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कंगारू के बारे में रोचक तथ्य || Interesting facts about Kangaroo ||

कंगारू से जुड़े रोचक तथ्य

कंगारू एक शाकाहारी जानवर है तथा शिशुधानीय जीव है। यह मार्सूपियल (marsupial) वर्ग से संबंधित जीव है जो कि ऐसा वर्ग है जिनके पेट के निचले भाग में थैली होती है,जिसमें वे अपने बच्चों को लेकर घूमते हैं। ये अपनी पूंछ पर पूरे शरीर का भार डाल सकते हैं। पेट की थैली में बच्चे को रखे हुए फुदक-फुदककर आगे बढ़ते हुए इन्हें देखना एक अद्भुत अनुभव होता है। आइए इनके बारे में रोचक तथ्य और जानकारियां शेयर करते हैं-

कंगारू से जुड़े रोचक तथ्य

  1. दुनिया में कंगारू की चार मुख्य प्रजातियाँ हैं -  i.लाल कंगारू (red kangaroo), ii. पूर्वी ग्रे कंगारू (Eastern Grey Kangaroo), iii. पश्चिमी ग्रे कंगारू (Western Grey Kangaroo) और iv. एंटीलोपाइन कंगारू (Antilopine Kangaroo)
  2. कंगारू नाम की उत्पत्ति बहुत ही रोचक है एक आदिवासी भाषा गुगु यिमिहिर (Guugu Yimihirr) के एक शब्द गंगरु (gangurru)से हुई है जिसे आदिवासी पूर्वी ग्रे कंगारू का वर्णन करने के लिए इसका इस्तेमाल करते थे।
  3. लोगों में यह मिथक प्रचलित है कि अंग्रेजी भाषा में ‘कंगारू’ शब्द का अर्थ है – I don’t know (‘मैं नहीं जानता’). सर जोसेफ बैंक्स और कैप्टेन कुक ने जब पहली बार इस जानवर को देखा, तो आदिवासियों से पूछा ‘ये क्या है?’ और जवाब मिला ‘कंगारू’, जिसका अर्थ था – I don’t know (‘मैं नहीं जानता’). उन्हें लगा ‘कंगारू’ उस जानवर का नाम है। पर बाद में यह ज्ञात हुआ कि ‘गुगु यिमिहिर’ भाषा का शब्द गंगरु (Gangurru) वास्तव में कंगारू की एक प्रजाति से संबंधित है।
  4. कंगारू दुनिया का एकमात्र विशाल जीव है जो कूदते हुए (hopping) चलता है सामान्यतः लगभग 13 -15 मील प्रति घंटे की गति से चलते हैं। हालांकि खतरे की स्थिति में वे 40 मील/घंटे की गति से कुछ समय के लिए कूदते हुए भाग सकते हैं।कंगारुओं को भी होती है इंसानों के मदद की जरुरत
  5. प्रजाति अनुसार कंगारू लगभग 5 से 6 फीट तक लंबे हो सकते हैं और इनका वजन 23 से 55 किलोग्राम तक हो सकता है।
  6. कंगारू की सबसे बड़ी प्रजाति रेड कंगारू (red kangaroo)है और सबसे छोटी प्रजाति कस्तूरी चूहा कंगारू (musky rat kangaroo) है।
  7. दुनिया के सबसे बड़े मर्सूपियल लाल कंगारू (red kangaroo) है। ये 2 मीटर ऊँचाई तक बढ़ सकते हैं। इनका वजन 200 किलोग्राम तक हो सकता है। इनकी छलांग लगाने की क्षमता 10 फीट तक है। इसके साथ ही ये 60 kph या 40 mph गति से 25 फीट दूर तक छलांग लगाने में सक्षम होते हैं।
  8. नर कंगारू मादा कंगारू से ऊँचे और भारी होते हैं।
  9. जंगल में कंगारू का जीवनकाल लगभग 6 साल होता है. चिड़ियाघर में रहते हुए पूरी देखरेख में ये 20 साल तक जीवित रह सकते हैं।
  10. वयस्क नर कंगारुओं को बक, जैक और बूमर (Buck, Jack and Boomer) कहा जाता हैं।
  11. वयस्क मादा कंगारूओं को जिल, फ्लायर और डो (Jill, Flyer and Doe) कहा जाता है।
  12. कंगारुओं के बच्चे को ‘जॉय’ (joeys) के नाम से जाना जाता है।कंगारुओं में होती है गजब की खूबियाँ
  13. कंगारुओं के आगे के पैर छोटे, लेकिन पिछले पैर बड़े और मजबूत होते हैं। पूंछ और पिछले पैरों की मदद से वे कूद-कूदकर आगे बढ़ते हैं।
  14. कंगारू दो पैरों पर जल्दी-जल्दी कूद सकते हैं या चारों पैरों से धीरे-धीरे चल सकते हैं।ये पीछे की ओर नहीं चल सकते।
  15. कंगारू काफी ऊंचाई तक कूद सकते हैं। ये ऊंचाई उनकी खुद की ऊंचाई की 3 गुना हो सकती हैं।
  16. कंगारू के पंजे में अंगूठे नहीं होते। इनकी 4 उंगलियाँ होती हैं, जिसमें से दूसरी और तीसरी उंगली झिल्ली से जुड़ी रहती है। चौथी और पांचवीं उंगली बड़ी होती है और चौथी उंगली में नाखून होता है.
  17. झिल्लीदार पंजे होने के कारण कंगारू तैरने में सक्षम होते हैं।
  18. कंगारूओं के पैरों के नाखून काफ़ी तेज होते हैं. एक-दूसरे या शिकारी जानवरों से भिड़ंत होने पर वे इसका इस्तेमाल करते हैं।
  19. कंगारुओं के बारे में एक अजीब बात यह है कि वे जमीन पर चलते समय अपने पिछले पैरों को अलग-अलग नहीं हिला सकते। लेकिन पानी में वे पिछले पैरों को अलग-अलग हिला सकते हैं, जो उन्हें तैरने में मदद करता है।
  20. अधिकांश कंगारू left-handed होते हैं।
  21. कंगारुओं की दृष्टि कमज़ोर होती है। जन्म उपरांत उनमें से कई पूर्णतः अंधे होते हैं। माना जाता है कि यह अंधापन आनुवंशिक होता है।
  22. कंगारू अपने शरीर को पूरा घुमाए बिना ही आवाज़ की दिशा में अपने कान मोड़ सकते हैं।
  23. कंगारू रात्रिचर (nocturnal) होते हैं। वे अपने दिन का अधिकांश समय पेड़ की छाया में आराम करते हुये बिताते हैं, और केवल रात, देर शाम या सुबह सक्रिय होते हैं।
  24. कंगारू समूह में रहने वाले जीव हैं। वे अकेले रहना पसंद नहीं करते. नर और मादा मिलकर लगभग 10 के समूहों में रहते हैं। समूह का सबसे मजबूत और सबसे बड़ी उम्र का कंगारू समूह का मुखिया होता है।
  25. जन्म के समय कंगारूओं के नवजात शिशु पूर्ण विकसित नहीं होते। वे 5 cm लम्बे होते हैं, लगभग एक अंगूर जितने। बाल रहित गुलाबी रंग के नवजात शिशु के सामने के दो हाथ ही विकसित हुए होते हैं, जिसकी सहायता से जन्म उपरांत वे अपनी माँ के पेट पर चढ़कर थैली में चले जाते हैं और 4 में से एक थन (Teat) से चिपके रहते हैं।
  26. मादा कंगारुओं की गर्भधारण अवधि 31 से 36 दिनों की होती है।
  27. जन्म के ठीक बाद, कंगारू के बच्चे स्थायी रूप से अपनी माँ के चूचक/थन (teats) से जुड़े रहते हैं। जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं, वे चूचक से अलग हो जाना और जुड़ जाना सीखते जाते हैं। कई महीने तक उनके शरीर पर बाल नहीं आते। जब तक उसके शरीर पर बाल आते हैं, वे इतने बड़े हो चुके होते है कि अपनी माँ की थैली से बाहर आ सकें।कंगारुओं में होती है कई अद्भुत प्रतिभाएँ
  28. 4 माह के होने के बाद वे थैली में से थोड़ी-थोड़ी देर के लिए बाहर आने लगते हैं। समय के साथ वे थैली के बाहर अधिक समय बिताने लगते हैं और बहुत कम थैली में वापस आते हैं‌। अंततः वे थैली को स्थायी रूप से छोड़ देते हैं।
  29. ऑस्ट्रेलिया में कंगारूओं की संख्या इंसानों की संख्या से अधिक है। वर्ष 2020 में जहाँ ऑस्ट्रेलिया की आबादी 25.88 मिलियन थे, वहीं कंगारू की आबादी 50 मिलियन थी (अनुमान अनुसार)।
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Interesting facts about Kangaroo

Kangaroo is a herbivorous animal and is an infantile animal. It is an organism belonging to the marsupial class, which is a class that has a pouch in the lower part of the abdomen, in which they move around with their babies. They can put their entire body weight on their tail. It is a wonderful experience to watch the baby hopping and hopping about in the tummy bag. Let us share interesting facts and information about them-
Interesting facts about Kangaroo
  1. There are four main species of kangaroo in the world - i. red kangaroo, ii. Eastern Gray Kangaroo, iii. Western Gray Kangaroo and iv. Antilopine Kangaroo
  2. The origin of the name kangaroo is very interesting. The word gangru (gangurru) from a tribal language Gugu Yimihir was used by the tribals to describe the eastern gray kangaroo.
  3. This myth is prevalent among the people that the word 'kangaroo' in English language means - I don't know ('I don't know'). When Sir Joseph Banks and Captain Cook saw this animal for the first time, the tribesmen asked 'What is this?' and the answer was 'Kangaroo', which meant - I don't know ('I don't know'). They thought 'Kangaroo' was the name of that animal. But later it was found that the word 'Gangurru' of 'Gugu Yimihir' language actually belongs to a species of Kangaroo.
  4. The kangaroo is the only giant animal in the world that can jump and run, usually at a speed of about 13 -15 miles per hour. However, in the event of danger, they can jump for some time at 40 mph and run away.
  5. Depending on the species, kangaroos can grow to be about 5 to 6 feet long and their weight can range from 23 to 55 kilograms.
  6. The largest species of kangaroo is the red kangaroo and the smallest species is the musky rat kangaroo.
  7. The world's largest marsupial is the red kangaroo. They can grow up to 2 meters in height. Their weight can be up to 200 kg. Their jumping ability is up to 10 feet. Along with this, they are capable of jumping up to 25 feet at a speed of 60 kph or 40 mph.
  8. Male kangaroos are taller and heavier than female kangaroos.
  9. The lifespan of a kangaroo in the wild is about 6 years. While in the zoo, they can live up to 20 years under full supervision.
  10. Adult male kangaroos are called Buck, Jack and Boomer.दुनिआ का सबसे अनोखा जानवर
  11. Adult female kangaroos are called Jill, Flyer and Doe.
  12. The babies of kangaroos are known as 'joeys'.
  13. The front legs of kangaroos are short, but the hind legs are large and strong. With the help of tail and hind legs, they move forward by jumping.
  14. Kangaroos can jump quickly on two legs or can walk slowly on all four legs. They cannot walk backwards.
  15. Kangaroos can jump to great heights. These heights can be 3 times their own height.
  16. Kangaroo paws do not have thumbs. They have 4 fingers, out of which the second and third fingers are attached to the membrane. The fourth and fifth fingers are big and the fourth finger has nails.
  17. Kangaroos are able to swim because of their webbed claws.
  18. Kangaroos have very sharp nails on their feet. They use it when they encounter each other or predatory animals.
  19. One strange thing about kangaroos is that they cannot move their hind legs apart when walking on the ground. But in water they can move their hind legs apart, which helps them to swim.
  20. Most kangaroos are left-handed.
  21. Kangaroos have poor eyesight. Many of them are completely blind after birth. This blindness is believed to be genetic.
  22. Kangaroos can turn their ears in the direction of sound without turning their body completely.
  23. Kangaroos are nocturnal. They spend most of their day resting in the shade of trees, and are active only at night, late evening or early morning.
  24. Kangaroos are group creatures. They don't like to be alone. Males and females live together in groups of about 10. The strongest and oldest kangaroo in the group is the head of the group.
  25. Newborns of kangaroos are not fully developed at birth. They are 5 cm tall, almost the size of a grape. The hairless pink-coloured newborn has developed only two front arms, with the help of which after birth, they climb onto their mother's stomach and move into the pouch and cling to one of the four twigs.एक नया जन्मा कंगारू इतना छोटा होता है कि एक चम्मच में भी आ जाता है
  26. The gestation period of female kangaroos is 31 to 36 days.
  27. Immediately after birth, kangaroo babies are permanently attached to their mother's teats. As they get older, they learn to separate and become attached to the rat. There is no hair on his body for several months. By the time the hair grows on his body, he has grown enough to come out of his mother's pouch.
  28. After 4 months, they start coming out of the pouch for a while. Over time they spend more time outside the pouch and less come back into the pouch. Eventually they leave the pouch permanently.
  29. There are more kangaroos in Australia than humans. In the year 2020, where the population of Australia was 25.88 million, the population of kangaroo was 50 million (as estimated).

श्रीमद्भगवद्गीता || Shrimad Bhagwat Geeta ||अध्याय तीन ~ कर्मयोग || अनुच्छेद 09 - 16 ||

 श्रीमद्भगवद्गीता || अध्याय तीन ~ कर्मयोग ||

अथ तृतीयोऽध्यायः ~ कर्मयोग

अध्यायतीन के अनुच्छेद 09 - 16

सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)

अध्याय तीन के अनुच्छेद 09 - 16 में यज्ञादि कर्मों की आवश्यकता तथा यज्ञ की महिमा का वर्णन

यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबंधनः ।
तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसंगः समाचर ॥

भावार्थ : 

यज्ञ के निमित्त किए जाने वाले कर्मों से अतिरिक्त दूसरे कर्मों में लगा हुआ ही यह मुनष्य समुदाय कर्मों से बँधता है। इसलिए हे अर्जुन! तू आसक्ति से रहित होकर उस यज्ञ के निमित्त ही भलीभाँति कर्तव्य कर्म कर॥9॥

सहयज्ञाः प्रजाः सृष्टा पुरोवाचप्रजापतिः ।
अनेन प्रसविष्यध्वमेष वोऽस्त्विष्टकामधुक्‌ ॥

भावार्थ :

प्रजापति ब्रह्मा ने कल्प के आदि में यज्ञ सहित प्रजाओं को रचकर उनसे कहा कि तुम लोग इस यज्ञ द्वारा वृद्धि को प्राप्त होओ और यह यज्ञ तुम लोगों को इच्छित भोग प्रदान करने वाला हो॥10॥

देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः ।
परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ ॥

भावार्थ :  

तुम लोग इस यज्ञ द्वारा देवताओं को उन्नत करो और वे देवता तुम लोगों को उन्नत करें। इस प्रकार निःस्वार्थ भाव से एक-दूसरे को उन्नत करते हुए तुम लोग परम कल्याण को प्राप्त हो जाओगे॥11॥

इष्टान्भोगान्हि वो देवा दास्यन्ते यज्ञभाविताः ।
तैर्दत्तानप्रदायैभ्यो यो भुंक्ते स्तेन एव सः ॥

भावार्थ : 

यज्ञ द्वारा बढ़ाए हुए देवता तुम लोगों को बिना माँगे ही इच्छित भोग निश्चय ही देते रहेंगे। इस प्रकार उन देवताओं द्वारा दिए हुए भोगों को जो पुरुष उनको बिना दिए स्वयं भोगता है, वह चोर ही है॥12॥

यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषैः ।
भुञ्जते ते त्वघं पापा ये पचन्त्यात्मकारणात्‌ ॥

भावार्थ : 

यज्ञ से बचे हुए अन्न को खाने वाले श्रेष्ठ पुरुष सब पापों से मुक्त हो जाते हैं और जो पापी लोग अपना शरीर-पोषण करने के लिए ही अन्न पकाते हैं, वे तो पाप को ही खाते हैं॥13॥

अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः ।
यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः ॥
कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम्‌ ।
तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम्‌ ॥

भावार्थ : 

सम्पूर्ण प्राणी अन्न से उत्पन्न होते हैं, अन्न की उत्पत्ति वृष्टि से होती है, वृष्टि यज्ञ से होती है और यज्ञ विहित कर्मों से उत्पन्न होने वाला है। कर्मसमुदाय को तू वेद से उत्पन्न और वेद को अविनाशी परमात्मा से उत्पन्न हुआ जान। इससे सिद्ध होता है कि सर्वव्यापी परम अक्षर परमात्मा सदा ही यज्ञ में प्रतिष्ठित है॥14-15॥

एवं प्रवर्तितं चक्रं नानुवर्तयतीह यः ।
अघायुरिन्द्रियारामो मोघं पार्थ स जीवति ॥

भावार्थ : 

हे पार्थ! जो पुरुष इस लोक में इस प्रकार परम्परा से प्रचलित सृष्टिचक्र के अनुकूल नहीं बरतता अर्थात अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता, वह इन्द्रियों द्वारा भोगों में रमण करने वाला पापायु पुरुष व्यर्थ ही जीता है॥16॥

दशहरा (Dussehra) 2022 || विजयादशमी (vijayadashami) 2022 ||

 दशहरा (Dussehra)/ विजयादशमी (Vijayadashami)

दशहरा (विजयादशमी या आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। यह पर्व प्रेम, भाईचारा, और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस बार दशहरा 5 अक्टूबर, आज मनाया जा रहा है। दशहरा यानी विजयादशमी का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। विजयादशमी या दशहरे का त्योहार अधर्म पर धर्म की जीत एवं अन्याय पर न्याय की विजय के रूप में मनाया जाता है।
दशहरा (Dussehra) 2022 || विजयादशमी (vijayadashami) 2022 ||

भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसे बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है तथा इस दिवस को दशहरा के नाम से जाना जाता है। आज ही के दिन देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को 'विजयादशमी' के नाम से जाना जाता है।

विजयादशमी और दशहरा

दशहरा (Dussehra) 2022 || विजयादशमी (vijayadashami) 2022 ||

क्या आप जानते हैं कि विजयादशमी का पर्व रावण के वध से पहले से ही मनाया जाता रहा है? 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवी दुर्गा ने इस दिन अर्थात विजयादशमी को महिषासुर का वध किया था। कथाओं के अनुसार महिषासुर रंभासुर का पुत्र था, जो अत्यंत शक्तिशाली था। जिसने कठोर तप करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न  किया था और वरदान मांगा था। 

ब्रह्मा जी ने प्रकट होकर उसे कहा था कि एक मृत्यु को छोड़कर कुछ भी वरदान मांग लो, जिसके बाद महिषासुर ने बहुत सोच विचार कर वरदान माँगा। ठीक है प्रभु आप मुझे यह वरदान दे दो कि देवता, असुर और मानव  किसी से मेरी मृत्यु ना हो। केवल स्त्री के हाथ से मेरी मृत्यु निश्चित हो। ब्रह्मा जी तथास्तु कर अंतर्ध्यान हो गए। दशहरा (Dussehra) 2022 || विजयादशमी (vijayadashami) 2022 ||

ब्रह्मा जी से वर प्राप्त करने के बाद महिषासुर ने तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया और त्रिलोकाधीपति बन गया। उसके अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवी देवताओं ने मां भगवती (मां शक्ति) की आराधना की। ऐसा कहा जाता है कि तब समस्त देवताओं के शरीर से एक द्रव्य तेज निकलकर परम सुंदरी स्त्री प्रकट हुई थी। जिसके बादहिमवान ने देवी भगवती को सवारी के लिए सिंह दिया तथा अन्य सभी देवताओं ने अपने अपने अस्त्र-शस्त्र माँ शक्ति की सेवा में प्रस्तुत किए। 

भगवती ने देवताओं पर प्रसन्न होकर उन्हें शीघ्र ही महिषासुर के भय से मुक्त करवाने का आश्वासन दिया।  पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ ने पूरे 9 दिन तक लगातार महिषासुर से युद्ध किया तथा 10वें  दिन उसका वध कर दिया। इसी उपलक्ष में विजयादशमी का उत्सव मनाया जाता है। इसके अलावा विजयादशमी के दिन ही प्रभु श्री राम और रावण का युद्ध कई दिनों तक चलने के बाद समाप्त हुआ था। श्री राम ने रावण का वध करके देवी सीता को उनके चंगुल से मुक्त करवाया था, जिसके उपलक्ष में दशहरे का पर्व मनाया जाता है।

दशहरा (Dussehra) 2022 || विजयादशमी (vijayadashami) 2022 ||

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Dussehra / Vijayadashami

Dussehra (Vijayadashmi or Ayudh-worship) is a major festival of Hindus. It is organized on the tenth day of Shukla Paksha of Ashwin (Kwar) month. This festival symbolizes love, brotherhood, and the victory of good over evil. This time Dussehra is being celebrated on 15 October, today. The festival of Dussehra i.e. Vijayadashami is celebrated with pomp across the country. It was on this day that Lord Rama killed Lankapati Ravana. The festival of Vijayadashami or Dussehra is celebrated as the victory of religion over unrighteousness and the victory of justice over injustice.

दशहरा (Dussehra) 2022 || विजयादशमी (vijayadashami) 2022 ||

Lord Rama killed Ravana on this day. It is celebrated as the victory of good over evil and this day is known as Dussehra. On this day, Goddess Durga won the victory over Mahishasura after nine nights and ten days of war. It is celebrated as the victory of truth over falsehood. That is why this Dashami is known as 'Vijayadashmi'.

Vijayadashami and Dussehra

Do you know that the festival of Vijayadashami has been celebrated even before the killing of Ravana?

According to religious beliefs, Goddess Durga killed Mahishasura on this day i.e. Vijayadashami. According to the legends, Mahishasura was the son of Rambhasura, who was extremely powerful. The one who had pleased Brahma ji by doing severe penance and asked for a boon.

Brahma ji appeared and told him to ask for any boon except one death, after which Mahishasura asked for the boon after a lot of thought. Alright Lord, give me this boon that I should not die from any deities, demons and human beings. Only by the hand of the woman should my death be certain. After praying to Brahma ji, he became meditative.

दशहरा (Dussehra) 2022 || विजयादशमी (vijayadashami) 2022 ||

After receiving a boon from Brahma ji, Mahishasura acquired his authority over the three worlds and became Trilokadhipati. Disturbed by her atrocities, all the gods and goddesses worshiped Maa Bhagwati (Mother Shakti). It is said that then the supremely beautiful woman appeared from the bodies of all the deities, a matter of effulgence emanating from them. After which Snowman gave a lion to Goddess Bhagwati for a ride and all the other gods presented their own weapons and weapons in the service of Mother Shakti.

Bhagwati, pleased with the deities, assured them that soon they would be freed from the fear of Mahishasura. According to mythology, the mother fought with Mahishasura continuously for 9 days and killed her on the 10th day. The festival of Vijayadashami is celebrated on this occasion. Apart from this, the battle of Lord Shri Ram and Ravana ended after lasting several days on the day of Vijayadashami. The festival of Dussehra is celebrated in the honor of Shri Ram who freed Goddess Sita from his clutches by killing Ravana.


🙏🙏आप सभी को दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयां 🙏🙏

विश्व पशु कल्याण दिवस 2022 || World Animal Welfare Day 2022 ||

विश्व पशु कल्याण दिवस  2022

आज विश्व पशु कल्याण दिवस (World Animal Welfare Day) है। हम सभी इस बात से अवगत हैं कि हर पशु किसी न किसी रूप में हमारे लिए सहायक होते हैं। प्रकृति की संरचना ही कुछ इस प्रकार की गई है कि इसमें हर पशु की या यूँ कहे हर प्राणी, जीव - जंतु, पशु पक्षी की अपनी अलग महत्ता होती है। पशु प्रकृति के सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक होते हैं, जो पर्यावरण संरक्षण और मानव कल्याण में अहम भूमिका निभाते हैं। पशु प्रकृति के पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखते हैं। यही वजह है कि प्रत्येक वर्ष 4 अक्टूबर को विश्व पशु कल्याण दिवस (World Animal Welfare Day) मनाया जाता है।

विश्व पशु कल्याण दिवस  2022 || World Animal Welfare Day 2022 ||

विश्व पशु कल्याण दिवस का आयोजन पहली बार सन 1931 को परिस्थिति विज्ञान शास्त्रियों के सम्मेलन में इटली के फ्लोरेंस शहर में शुरू किया गया था। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य था, विलुप्त हो रहे प्राणियों की रक्षा करना और उन्हें संरक्षण प्रदान करना तथा साथ ही जानवरों पर हो रहे क्रूरता और अत्याचारों को रोकना।

अधिकांशत यह देखा गया है कि आवारा जानवरों के प्रति हमारा व्यवहार बहुत ही घृणित तथा अमानवीय होता है। किसी प्राकृतिक आपदा के समय भी हम इन जानवरों के प्रति दया भाव और प्रेम का व्यवहार प्रगट नहीं करते तथा उनकी सुरक्षा के प्रति जागरूक नहीं होते। हम सिर्फ उन पशुओं के प्रति संवेदनशील होते हैं या प्रेम प्रकट करते हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से हमें लाभ पहुंचाते हैं अथवा जिन्हें हम अपने शौक के लिए पालते हैं। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य ही पशु कल्याण मानकों में सुधार लाना और व्यक्तियों के समूह और संगठन का समर्थन प्राप्त करना तथा जानवरों के प्रति प्रेम और स्नेह प्रकट करना है ताकि उनके जीवन को सुरक्षित एवं बेहतर बनाया जा सके। 

विश्व पशु संरक्षण दिवस का इतिहास

Assisi के Francis ने अपने चारों ओर जानवरों की दुर्दशा को अपनी आँखों से देखा था और वे उनके दर्द को ठीक करना चाहते थे।

विश्व पशु कल्याण दिवस  2022 || World Animal Welfare Day 2022 ||

24 मार्च, 1925 को, मूल रूप से विश्व पशु दिवस का आयोजन हेनरिक ज़िमरमैन (1887-1942) नामक एक जर्मन द्वारा किया गया था,जो न केवल एक लेखक थे, बल्कि उन्होने एक द्वि-मासिक पत्रिका भी प्रकाशित की थी, जिसका नाम Mensch und Hund (Man And Dog) था, इसे उन्होंने इस पत्रिका को पशु कल्याण पर अपने विचारों को बढ़ावा देने के लिए एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया और विश्व पशु दिवस समिति की स्थापना के लिए इसका इस्तेमाल किया।

24 मार्च 1925 को, उनकी समिति ने विश्व पशु कल्याण दिवस का आयोजन किया, उन्होंने उस समय के पशु कल्याण मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए बर्लिन, जर्मनी के स्पोर्ट्स पैलेस (Sports Palace of Berlin, Germany)  में इसका आयोजन किया और लगभग 5,000 लोगों ने इस पहले कार्यक्रम में हिस्सा लिया और यह कार्यक्रम सेंट फ्रांसिस ऑफ असीसी (Francis of Assisi) के पर्व के साथ रेखित किया गया था जो 4 अक्टूबर का दिन था।

अगले कुछ वर्षों में, यह कार्यक्रम हर साल आयोजित किया गया और 1929 में, यह 4 अक्टूबर को आयोजित किया गया। अंततः मई 1931 में फ्लोरेंस इटली में अंतर्राष्ट्रीय पशु संरक्षण कांग्रेस (International Animal Protection Congress) द्वारा 4 अक्टूबर को विश्व पशु दिवस मनाने का संकल्प अपनाया गया था।

World Animal Welfare Day 2022: थीम (Theme)

इस साल विश्व पशु कल्याण दिवस  2022 का थीम "रिकवरिंग की स्पेसीज फॉर इकोसिस्टम रेस्टोरेशन" है।

पिछले वर्ष विश्व पशु कल्याण दिवस 2021 का थीम "Forests and Livelihoods : Sustaining People and Planet"  था।

पशु कल्याण के लिए समय-समय पर अनेक नियम और कानून भी बनाए गए हैं। परंतु इन नियमों और कानूनों की सार्थकता तभी है जब मनुष्य खुद जागरूक हों और इन पशुओं के प्रति संवेदनशील हो, जो अपना दर्द तक भी बयां नहीं कर सकते। 

अंतर राष्ट्रीय पशु दिवस की अवधारणा यह है कि प्रत्येक जानवर एक अनोखा संवेदनात्मक प्राणी है और वह संवेदना और सामाजिक न्याय पाने के योग्य भी है।

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world animal welfare day 2022

Today is World Animal Welfare Day. We all are aware that every animal is helpful to us in some way or the other. Nature itself has been structured in such a way that every animal or rather every animal, animal, animal bird has its own importance. Animals are one of the most important parts of nature, which play an important role in environmental protection and human welfare. Animals keep nature's ecosystem balanced. This is the reason why World Animal Welfare Day is celebrated every year on 4 October.

विश्व पशु कल्याण दिवस  2022 || World Animal Welfare Day 2022 ||

World Animal Welfare Day was first started in 1931 in the city of Florence, Italy at a conference of ecologists. The main purpose of celebrating this day was to protect and provide protection to the extinct animals as well as to stop cruelty and atrocities on animals.

Mostly it has been seen that our behavior towards stray animals is very disgusting and inhuman. Even during any natural calamity, we do not show kindness and love towards these animals and are not aware of their safety. We are sensitive or show love only to those animals which directly benefit us or which we keep for our hobby. The main purpose of celebrating this day is to improve the animal welfare standards and to get the support of group and organization of individuals and to show love and affection towards animals so that their life can be made safer and better.

History of World Animal Protection Day

Francis of Assisi had seen with his own eyes the plight of the animals around him and wanted to heal their pain.

On March 24, 1925, World Animal Day was originally organized by a German named Heinrich Zimmermann (1887–1942), who was not only a writer, but also published a bi-monthly magazine named Mensch und Hund (Man And Dog), he used this magazine as a medium to promote his views on animal welfare and to establish the World Animal Day Committee.

On 24 March 1925, his committee organized World Animal Welfare Day, he organized it at the Sports Palace of Berlin, Germany, to raise awareness of animal welfare issues of the time, and around 5,000 people took part in this first event and the event was marked with the Feast of St. Francis of Assisi which was the 4th of October.

Over the next few years, the event was held every year and in 1929, it was held on 4 October. Finally, in May 1931, the International Animal Protection Congress in Florence, Italy adopted a resolution to celebrate 4 October as World Animal Day.

विश्व पशु कल्याण दिवस  2022 || World Animal Welfare Day 2022 ||

World Animal Welfare Day 2022: Theme

This year the theme of World Animal Welfare Day 2022 is "Recovering Key Species for Ecosystem Restoration".

Last year the theme of World Animal Welfare Day 2021 was "Forests and Livelihoods: Sustaining People and Planet".

Many rules and regulations have also been made from time to time for animal welfare. But these rules and laws have meaning only when humans themselves are aware and sensitive to these animals, which cannot even express their pain.

The concept of International Animal Day is that each animal is a unique sentient being and is also worthy of compassion and social justice.


औषधियों में विराजमान नवदुर्गा

Navdurga

9. सिद्धिदात्री (शतावरी) : -

मां का नवा रूप सिद्धिदात्री का है, जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं। बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है। शतावरी का नियम पूर्वक सेवन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं।

सिद्धिदात्री (शतावरी)

इस नवरात्रि आपसब को समृद्धि एवं आरोग्य की शुभकामनाओं सहित

बर्बरी तुलसी || जंगली तुलसी || बन तुलसी || Barbari Tulsi ||

बर्बरी तुलसी अर्थात जंगली तुलसी

तुलसी के पौधे से तो सभी वाकिफ हैं। बच्चे से लेकर बुजुर्ग सभी को तुलसी का ज्ञान है। तुलसी एक पवित्र पौधा है, जिसकी पूजा लगभग हर घरों में की जाती है। तुलसी एक नहीं बल्कि कई प्रकार की होती हैं। उन्हीं में से एक है, बर्बरी तुलसी। बर्बरी तुलसी को जंगली तुलसी भी कहा जाता है, जो औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। आज हम बर्बरी तुलसी अर्थात जंगली तुलसी के बारे में चर्चा करेंगे। 

बर्बरी तुलसी || जंगली तुलसी || बन तुलसी || Barbari Tulsi ||

बर्बरी तुलसी क्या है?

बरबरी तुलसी 60 से 90 सेंटीमीटर ऊंचा, सीधा और अनेक शाखा वाला पौधा होता है, जिसके तने बैंगनी रंग के होते हैं। इसके पत्ते सीधे, फूल सुगंधित, सफेद गुलाबी अथवा बैगनी होते हैं। इसके फल 2 मिली मीटर लंबे, थोड़े नुकीले, श्यामले रंग के चिकने तथा झुर्रीदार होते हैं। बर्बरी तुलसी के पौधे में फूल और फल सालों भर होते हैं।

जानते हैं बर्बरी तुलसी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

बर्बरी तुलसी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी बर्बरी के फायदे वात-पित्त-कफ विकार दोषों को दूर करने, भूख को बढ़ाने और ह्रदय को स्वस्थ बनाने में मिलते हैं। आप खुजली, रक्तविकार, कुष्ठ रोग, विसर्प और मूत्र संबंधित बीमारियों में भी तुलसी बर्बरी से लाभ ले सकते हैं।

सिर दर्द होने पर

वन तुलसी के पत्तों के रस को नाक में डालने से बेहोशी, सिर दर्द और साइनस की समस्या में फायदा होता है।

आंखों की समस्या

बन तुलसी के पत्ते के रस को आंखों में लगाने से आंखों की बीमारी में लाभ होता है।

बर्बरी तुलसी || जंगली तुलसी || बन तुलसी || Barbari Tulsi ||

नकसीर की समस्या (नाक से खून गिरना)

बन तुलसी के पत्ते के रस को नाक में डालने से बहने वाला खून रुक जाता है। 

कान का दर्द

बन तुलसी के पत्ते के एक से दो बूंद रस को कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।

खांसी की समस्या

5 से 10 मिलीलीटर बर्बरी तुलसी के पत्ते के रस में शहद मिलाकर चटाने से खांसी में आराम मिलता है।

दस्त होने पर

बन तुलसी के 10 से 15 मिलीलीटर काढ़े में 500 मिलीग्राम जायफल चूर्ण मिलाकर पिलाने से दस्त रूकती है।

पेट दर्द होने पर

वन तुलसी के पत्ते के 5 से 10 मिलीलीटर रस में मिश्री मिलाकर सेवन करने से पेट का दर्द ठीक होता है।

गठिया की समस्या

बन तुलसी के पत्तियों के 15 से 30 मिलीलीटर काढ़ा में 1 ग्राम सोंठ का चूर्ण मिलाकर तथा 500 मिलीग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से गठिया के दर्द में आराम होता है।

बर्बरी तुलसी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

मोच आने पर

बन तुलसी के पत्ते के रस को लगाने से मोच ठीक होता है।

त्वचा संबंधी समस्या

बन तुलसी के पत्ते के रस को त्वचा पर लगाने से दाग, सूजन तथा खुजली में लाभ होता है।

घाव को सुखाने में

बन तुलसी के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव तुरंत भर जाता है।

माइग्रेन की समस्या

बन तुलसी का उपयोग करने से माइग्रेन की समस्या दूर होती है और सिर दर्द में आराम मिलता है।

बुखार होने पर

बन तुलसी के 5 ग्राम बीजों को पीसकर उसका शर्बत बनाकर पीने से बुखार उतर जाता है।

शरीर में जलन होने पर

वन तुलसी को पीसकर लगाने से बुखार के कारण होने वाले शरीर में की जलन ठीक होती है।

सूजन की समस्या

वन तुलसी के पत्तों को पीसकर सूजन वाली जगह पर लगाने से सूजन में आराम मिलता है तथा दर्द ठीक होता है।

मलेरिया होने पर

वन तुलसी का औषधीय गुण मलेरिया के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है तथा इसका पौधा घर में लगे रहने से मच्छर दूर होते हैं।

हृदय को मजबूत बनाने में

वन तुलसी का औषधीय गुण खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है साथ ही यह दिल की कार्य क्षमता को भी बढ़ाता है। इसीलिए दिल के मरीजों को तुलसी जी का सेवन करने की सलाह दी जाती है।

बर्बरी तुलसी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

विभिन्न भाषाओं में तुलसी बर्बरी के नाम

Hindi – बर्बरी, बबुई तुलसी, गुलाल तुलसी, काली तुलसी, वन तुलसी, बार्बर, सबजा
Sanskrit – बर्बरी, क्षुद्रतुलसी, पर्णास, तुंगी (बड़ी होने से), खरपुष्पा
English – कॉमन बैसिल (Common basil), लेमन बैसिल (Lemon basil), मॉन्वस बैसिल (Maunvus basil), Common sweet-basil (कॉमन स्वीट बैसिल)
Urdu – जंगली तुलसी (Baburi tulasi)
Oriya – धालातुलसी (Dhalatulsi)
Kannada – कामकस्तूरी (Kamkasturi), रामकस्तूरी (Ramkasturi)
Gujarati – डमरो (Damaro), रन तुलसी (Ran tulsi)
Telugu – भू तुलसी (Bhu tulasi), विबूतिपत्ते (Vibuti patra)
Tami – तिरनुत्पतची (Tirnutpatchi)
Bengali – बाबुई तुलसी (Babui tulsi)
Nepali – बामरी (Bamri)
Punjabi – बबरि (Babri)
Marathi – सबजा (Sabza), मारवा (Marva)
Malayalam – पाच्चा (Pachcha)
Arabic – अलरिहान (Alrihan), हबाक (Habaq), रेहान (Rihan)
Persian – नाजबू (Nazbu), फिरंज मुश्क (Firanj mushk)

औषधियों में विराजमान नवदुर्गा 

औषधियों में विराजमान नवदुर्गा

8. महागौरी (तुलसी) : -

माता का आठवां रूप महागौरी का है। महागौरी का औषधीय नाम तुलसी है और इसको प्रत्येक व्यक्ति औषधि के रूप में जानता है। इसे घर में लगाकर इन की पूजा की जाती है। पौराणिक महत्व से तुलसी एक औषधि है, जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है। तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। ये रक्त को साफ कर ह्वदय रोगों का नाश करती है। 

महागौरी (तुलसी)

इस नवरात्रि आपसब को समृद्धि एवं आरोग्य की शुभकामनाओं सहित

औषधियों में विराजमान नवदुर्गा


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Tulsi Barbari: तुलसी बर्बरी (जंगली तुलसी) के फायदे- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

@भारतीय मसाला || Indian Spice || Bharatiya Masale ||

गर जुनून हो सिर पे तेरे

गर जुनून हो सिर पे तेरे

Rupa Oos ki ek Boond
"बारिश की बूँदें भले ही छोटी हों,
लेकिन उनका लगातार बरसना
बड़ी नदियों का बहाव बन जाता है...
वैसे ही हमारे छोटे छोटे प्रयास भी
जिंदगी में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं...❤"

गर जुनून हो सिर पे तेरे, और अंतर मन में हो विश्वास,

फिर ठोकर और ठुकराने का , क्या होगा तुम्हें एहसास?


मकसद में सच्चाई हो तो सीना ठोक के यही कहो,

झुकना होगा, दुनिया, तुमको, विश्वास पे अपने अडे रहो,

दुनिया बदली है जिसने भी, पहले उसको इनकार मिला,

अपमानों का हार मिला और तानों का उपहार मिला,

अविश्वास में अब विश्वास भरो, और लहरों के विपरीत बहो।

हाथों में विजय मशाल लिये विश्वास पे अपने खड़े रहो।


अपने सपने तुम स्वयं चुनो और बुन लो विश्वास कि डोरी से,

तुम विजय के नायक हो, तुमको क्या करना है लोरी से?

तुम सर्व सिद्ध इस जीवन के उन्मुक्त गगन में उडे चलो।

आरम्भ आज से नव युग का विश्वास पे अपने खडे रहो।

Rupa Oos ki ek Boond

"जब तक हम अपनी समस्याओं एंव
कठिनाइयों की वजह दूसरों को मानते है,
तब तक हम अपनी समस्याओं एंव
कठिनाइयों को मिटा नहीं सकते...❤"

औषधियों में विराजमान नवदुर्गा 

औषधियों में विराजमान नवदुर्गा

7. कालरात्रि (नागदौन) : -

मां का सातवां रूप कालरात्रि का है। यह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं। यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है।
कालरात्रि (नागदौन)

चुहिया का स्वयंवर : पंचतंत्र || Chuhiya ka Swayambar : Panchtantra || The Wedding Of The Mice ||

चुहिया का स्वयंवर

स्वजातिः दुरतिक्रमा।

स्वजातीय ही सबको प्रिय होते हैं।

चुहिया का स्वयंवर : पंचतंत्र || Chuhiya ka Swayambar  : Panchtantra ||

गंगा नदी के किनारे एक तपस्वियों का आश्रम था। वहाँ याज्ञवल्क्य नाम के मुनि रहते थे। मुनिवर एक नदी के किनारे जल लेकर आचमन कर रहे थे कि पानी से भरी हथेली में ऊपर से एक चुहिया गिर गई। उस चुहिया को आकाश में बाज लिए जा रहा था। उसके पंजे से छुटकर वह नीचे गिर गई। मुनि ने उसे पीपल के पत्ते पर रखा और फिर गंगाजल में स्नान किया। चुहिया में अभी प्राण शेष थे। उसे मुनि ने अपने प्रताप से कन्या का रूप दे दिया, और अपने आश्रम में ले आए। मुनि-पत्नी को कन्या अर्पित करते हुए मुनि ने कहा कि इसे अपनी ही लड़की की तरह पालना। उनके अपनी कोई सन्तान नहीं थी, इसलिए मुनि-पत्नी ने उसका लालन-पालन बड़े प्रेम से किया। बारह वर्ष तक वह उनके आश्रम में पलती रही।

चुहिया का स्वयंवर : पंचतंत्र || Chuhiya ka Swayambar  : Panchtantra || The Wedding Of The Mice ||

जब यह विवाह-योग्य अवस्था की हो गई तो पत्नी ने मुनि से कहा- नाथ! अपनी कन्या अब विवाह योग्य हो गई है। इसके विवाह का प्रबन्ध कीजिए।

मुनि ने कहा ममैं अभी आदित्य को बुलाकर इसे उसके हाथ सौंप देता हूँ । यदि इसे स्वीकार होगा तो उसके साथ विवाह कर लेगी, अन्यथा नहीं-मुनि ने आदित्य को बुलाकर अपनी कन्या से पूछा-पुत्री ! क्या तुझे यह त्रिलोक को प्रकाश देने वाला सूर्य पतिरूप में स्वीकार है? पुत्री ने उत्तर दिया- तात ! यह तो आग जैसा गरम हे, मुझे स्वीकार नहीं। इससे अच्छा कोई वर बुलाइए। 

मुनि ने सूर्य से पूछा कि वह अपने से अच्छा कोई वर बतलाए। सूर्य ने कहा मुझसे अच्छे मेघ हैं, जो मुझे ढककर छिपा लेते हैं। मुनि ने मेघ को बुलाकर फिर कन्या से पूछा- क्या तुझे स्वीकार है? कन्या ने कहा- यह तो बहुत काला है। इससे भी अच्छे किसी वर को बुलाओ। मुनि ने मेघ से पूछा कि उससे अच्छा कौन है? मेघ ने कहा - हमसे अच्छा पवन है, जो हमें उड़ाकर दिशा-दिशा में ले जाता है। मुनि ने पवन को बुलाया और कन्या से स्वीकृति ली। कन्या ने कहा – तात, यह तो बड़ा चंचल है। इससे भी किसी अच्छे वर को बुलाओ। मुनि ने पवन से भी पूछा कि उससे अच्छा कौन है पवन ने कहा मुझसे अच्छा पर्वत है जो बड़ी से बड़ी आँधी में भी स्थिर रहता है। मुनि ने पर्वत को बुलाया, तो कन्या ने कहा तात यह तो बड़ा कठोर और गम्भीर है, इससे भी अच्छा कोई वर बुलाओ। मुनि ने पर्वत से कहा कि वह अपने से अच्छा कोई वर सुझाए। तब पर्वत ने कहा-मुझसे अच्छा तो चूहा है, जो मुझे तोड़कर अपना बिल बना लेता है। मुनि ने तब चूहे को बुलाया और कन्या से कहा- पुत्री ! यह मूषकराज तुझे स्वीकार हो तो इससे विवाह कर लो। मुनिकन्या ने मूषकराज को बड़े ध्यान से देखा उसके साथ उसे विलक्षण अपनापन अनुभव हो रहा था। प्रथम दृष्टि में ही वह उसपर मुग्ध हो गयी और बोली मुझे मूषिका बनाकर मूषकराज के हाथ सौंप दीजिए। मुनि ने अपने तपोबल से उसे फिर चुहिया बना दिया और चूहे के साथ उसका विवाह कर दिया। 

रक्ताक्ष द्वारा यह कहानी सुनने के बाद भी उलूकराज के सैनिक स्थिरजीवी को अपने दुर्ग में ले आए। दुर्ग के द्वार पर पहुंचकर अरिमर्दन ने अपने साथियों से कहा कि स्थिरजीवी को वही स्थान दिया जाए जहाँ वह रहना चाहे। स्थिरजीवी ने सोचा कि दुर्ग के द्वार पर ही रहना चाहिए, दु से बाहर जाने का अवसर मिलता रहे यही सोच उसने उ से कहा-देव! आपने मुझे यह आदर देकर बहुत लज्जित किया है। मैं तो आपका सेवक हूँ, और सेवक के स्थान पर ही रहना चाहता हूँ। मेरा स्थान दुर्ग के द्वार पर रखिए। द्वार की जो धूलि आपके पद-कमलों से पवित्र होगी उसे अपने मस्तक पर रखकर ही मैं अपने को सौभाग्यवान् मानूँगा।

उलूकराज इन मीठे वचनों को सुनकर फूले न समाए। उन्होंने अपने साथियों से कहा कि स्थिरजीवी को यथेष्ट भोजन दिया जाए। प्रतिदिन स्वादु और पुष्ट भोजन खाते-पीते स्थिरजीवी थोड़े ही दिनों में पहले जैसा मोटा और बलवान हो गया।  रक्ताक्ष ने जब स्थिरजीवी को हष्ट-पुष्ट होते देखा तो वह मन्त्रियों से बोला- यहाँ सभी मूर्ख हैं। जिस तरह उस सोने की बीट देने वाले पक्षी ने कहा था कि यहाँ सब मूर्ख हैं, उसी तरह में कहता हूँ यहाँ सभी मूर्ख मण्डल हैं।

मन्त्रियों ने पूछा- किस पक्षी की तरह ?

तब रक्ताक्ष ने स्वर्ण पक्षी की यह कहानी सुनाई

To be continued ...

मूर्ख मण्डली



औषधियों में विराजमान नवदुर्गा

6. कात्यायनी (मोइया) :- 

मां दुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है। देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है। जैसे- अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका। इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं। यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है।

औषधियों में विराजमान नवदुर्गा
औषधियों में विराजमान नवदुर्गा
औषधियों में विराजमान नवदुर्गा
मोइया को किसी किसी स्थान पर माचिका भी कहते हैं।