बर्बरी तुलसी अर्थात जंगली तुलसी
तुलसी के पौधे से तो सभी वाकिफ हैं। बच्चे से लेकर बुजुर्ग सभी को तुलसी का ज्ञान है। तुलसी एक पवित्र पौधा है, जिसकी पूजा लगभग हर घरों में की जाती है। तुलसी एक नहीं बल्कि कई प्रकार की होती हैं। उन्हीं में से एक है, बर्बरी तुलसी। बर्बरी तुलसी को जंगली तुलसी भी कहा जाता है, जो औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। आज हम बर्बरी तुलसी अर्थात जंगली तुलसी के बारे में चर्चा करेंगे।
बर्बरी तुलसी क्या है?
बरबरी तुलसी 60 से 90 सेंटीमीटर ऊंचा, सीधा और अनेक शाखा वाला पौधा होता है, जिसके तने बैंगनी रंग के होते हैं। इसके पत्ते सीधे, फूल सुगंधित, सफेद गुलाबी अथवा बैगनी होते हैं। इसके फल 2 मिली मीटर लंबे, थोड़े नुकीले, श्यामले रंग के चिकने तथा झुर्रीदार होते हैं। बर्बरी तुलसी के पौधे में फूल और फल सालों भर होते हैं।
जानते हैं बर्बरी तुलसी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में
आयुर्वेद के अनुसार, तुलसी बर्बरी के फायदे वात-पित्त-कफ विकार दोषों को दूर करने, भूख को बढ़ाने और ह्रदय को स्वस्थ बनाने में मिलते हैं। आप खुजली, रक्तविकार, कुष्ठ रोग, विसर्प और मूत्र संबंधित बीमारियों में भी तुलसी बर्बरी से लाभ ले सकते हैं।
सिर दर्द होने पर
वन तुलसी के पत्तों के रस को नाक में डालने से बेहोशी, सिर दर्द और साइनस की समस्या में फायदा होता है।
आंखों की समस्या
बन तुलसी के पत्ते के रस को आंखों में लगाने से आंखों की बीमारी में लाभ होता है।
नकसीर की समस्या (नाक से खून गिरना)
बन तुलसी के पत्ते के रस को नाक में डालने से बहने वाला खून रुक जाता है।
कान का दर्द
बन तुलसी के पत्ते के एक से दो बूंद रस को कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
खांसी की समस्या
5 से 10 मिलीलीटर बर्बरी तुलसी के पत्ते के रस में शहद मिलाकर चटाने से खांसी में आराम मिलता है।
दस्त होने पर
बन तुलसी के 10 से 15 मिलीलीटर काढ़े में 500 मिलीग्राम जायफल चूर्ण मिलाकर पिलाने से दस्त रूकती है।
पेट दर्द होने पर
वन तुलसी के पत्ते के 5 से 10 मिलीलीटर रस में मिश्री मिलाकर सेवन करने से पेट का दर्द ठीक होता है।
गठिया की समस्या
बन तुलसी के पत्तियों के 15 से 30 मिलीलीटर काढ़ा में 1 ग्राम सोंठ का चूर्ण मिलाकर तथा 500 मिलीग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से गठिया के दर्द में आराम होता है।
मोच आने पर
बन तुलसी के पत्ते के रस को लगाने से मोच ठीक होता है।
त्वचा संबंधी समस्या
बन तुलसी के पत्ते के रस को त्वचा पर लगाने से दाग, सूजन तथा खुजली में लाभ होता है।
घाव को सुखाने में
बन तुलसी के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव तुरंत भर जाता है।
माइग्रेन की समस्या
बन तुलसी का उपयोग करने से माइग्रेन की समस्या दूर होती है और सिर दर्द में आराम मिलता है।
बुखार होने पर
बन तुलसी के 5 ग्राम बीजों को पीसकर उसका शर्बत बनाकर पीने से बुखार उतर जाता है।
शरीर में जलन होने पर
वन तुलसी को पीसकर लगाने से बुखार के कारण होने वाले शरीर में की जलन ठीक होती है।
सूजन की समस्या
वन तुलसी के पत्तों को पीसकर सूजन वाली जगह पर लगाने से सूजन में आराम मिलता है तथा दर्द ठीक होता है।
मलेरिया होने पर
वन तुलसी का औषधीय गुण मलेरिया के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है तथा इसका पौधा घर में लगे रहने से मच्छर दूर होते हैं।
हृदय को मजबूत बनाने में
वन तुलसी का औषधीय गुण खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है साथ ही यह दिल की कार्य क्षमता को भी बढ़ाता है। इसीलिए दिल के मरीजों को तुलसी जी का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
विभिन्न भाषाओं में तुलसी बर्बरी के नाम
Sanskrit – बर्बरी, क्षुद्रतुलसी, पर्णास, तुंगी (बड़ी होने से), खरपुष्पा
English – कॉमन बैसिल (Common basil), लेमन बैसिल (Lemon basil), मॉन्वस बैसिल (Maunvus basil), Common sweet-basil (कॉमन स्वीट बैसिल)
Urdu – जंगली तुलसी (Baburi tulasi)
Oriya – धालातुलसी (Dhalatulsi)
Kannada – कामकस्तूरी (Kamkasturi), रामकस्तूरी (Ramkasturi)
Gujarati – डमरो (Damaro), रन तुलसी (Ran tulsi)
Telugu – भू तुलसी (Bhu tulasi), विबूतिपत्ते (Vibuti patra)
Tami – तिरनुत्पतची (Tirnutpatchi)
Bengali – बाबुई तुलसी (Babui tulsi)
Nepali – बामरी (Bamri)
Punjabi – बबरि (Babri)
Marathi – सबजा (Sabza), मारवा (Marva)
Malayalam – पाच्चा (Pachcha)
Arabic – अलरिहान (Alrihan), हबाक (Habaq), रेहान (Rihan)
Persian – नाजबू (Nazbu), फिरंज मुश्क (Firanj mushk)
8. महागौरी (तुलसी) : -
माता का आठवां रूप महागौरी का है। महागौरी का औषधीय नाम तुलसी है और इसको प्रत्येक व्यक्ति औषधि के रूप में जानता है। इसे घर में लगाकर इन की पूजा की जाती है। पौराणिक महत्व से तुलसी एक औषधि है, जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है। तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। ये रक्त को साफ कर ह्वदय रोगों का नाश करती है।
इस नवरात्रि आपसब को समृद्धि एवं आरोग्य की शुभकामनाओं सहित
ब्राह्मी / Brahmi / Bacopa monniera
धनिया । Coriander । Dhaniya
पेठा (Petha)
अलसी या तीसी (Flaxseed)
नागदोन / Nagdon
तुलसी (Basil Leaves)
शतावरी (Asparagus)
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Tulsi Barbari: तुलसी बर्बरी (जंगली तुलसी) के फायदे- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)
जय माँ तुलसी 🙏🌹🚩
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ReplyDelete🙏🏻🌿 जय हो तुलसी मैया की 🌿🙏🏻
ReplyDelete🙏🏻🙏🏻 जय माँ महागौरी (तुलसी) 🙏🏻🙏🏻
रूपा जी आपको और आपके पूरे परिवार को दुर्गा अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं
तुलसी पूजन इसलिए ही सनातन में उत्तम है
ReplyDelete🙏जय माँ🙏
ReplyDeleteवन तुलसी (महागौरी) विभिन्न नामों से
जानी जाती है और यह विभिन्न रोगों के
उपचार में काफी मददगार भी है। हमलोगों
को प्रकृति में सुगमता पूर्वक उपलब्ध भी है।
बस हमलोगों को इसका प्रयोग कर खुद को तथा
परिवार और समाज के स्वास्थ्य रखने की कोशिश
करनी चाहिये।
ऐसे स्वास्थ्यवर्धक जानकारी देने के लिये आपका
आभार🙏🙏🙏
तुलसी के बारे में अदभुत जानकारी
ReplyDeleteNice..help full
ReplyDeleteTulsi ki chai best ha
ReplyDeleteNice information
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteएक द्विबीजपत्री तथा शाकीय, औषधीय पौधा है। तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और लोग इसे अपने घर के आँगन या दरवाजे पर या बाग में लगाते हैं। भारतीय संस्कृति के चिर पुरातन ग्रंथ वेदों में भी तुलसी के गुणों एवं उसकी उपयोगिता का वर्णन मिलता है।
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteतुलसी के गुणों के कारण ही हमारी संस्कृति में इसे पूजनीय माना गया है और ये हर घर में पाया जाता है।
ReplyDeleteअच्छी और उपयोगी जानकारी
Bahut upyogi jankari
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी दी है
ReplyDeleteGood information
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