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बाल श्रम / Child Labour

ओए छोटू (एक बाल श्रमिक)

हमारे हिंदुस्तान में ओए छोटू शब्द बहुत प्रसिद्ध है। एक नाम किसी इंसान की पहचान होती है। अक्सर हम जब कही लंबी दूरी की यात्रा करते हैं, तो नाश्ते पानी करने के लिए किसी ढाबे या टपरी पर रुकते हैं और उस छोटू के नाम से मशहूर बच्चे को आदेश देते हैं। कभी वो आदेश प्यार से होता है तो कभी बिल्कुल बेरुखा।

बाल श्रम / Child Labour

मुझे लगता है बहुत ही कम लोग होंगे, जिसने ये जानने की कोशिश की होगी कि ये छोटू जिससे आज किसी स्कूल में होना चाहिए था, जिसके हाथ में पेन्सिल या पेन होना चाहिए था, वो आज यहाँ ढाबे पर क्या कर रहा है? जिन हाथों से उससे कोई सुंदर शब्द लिखना चाहिए, वो उन हाथों से बड़े बड़े बर्तन क्यों धुल रहा है?

बाल श्रम / Child Labour

आज तो ये स्थिति हैं की वो ढाबे पर वाला छोटू अब हमारे घर में भी आ गया हैं हमारे घर में बर्तन धोता हैं झाड़ू लगता हैं पोछा लगता हैं अगर उसके पास थोड़ा समय बच जाता हैं तो हम अपना कुत्ता या अपना छोटा बच्चा टहलने की जिम्मेदारी छोटू को दे देते हैं, हमारी नज़रो में छोटू हमारा बंधुआ मज़दूर हैं, सब से मजे की बात तो ये हैं की रात का कुछ बच जाता हैं तो हम बड़ी मोहब्बत से चर्चा करते हुए उसको छोटू के लिए रख देते हैं की कल सुबह छोटू बेचारा आएगा तो खा लेगा।।

पने देश के समक्ष बालश्रम की समस्या एक चुनौती बनती जा रही है। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम भी उठाये हैं। समस्या के विस्तार और गंभीरता को देखते हुए इसे एक सामाजिक-आर्थिक समस्या मानी जा रही है जो चेतना की कमी, गरीबी और निरक्षरता से जुड़ी हुई है। इस समस्या के समाधान हेतु समाज के सभी वर्गों द्वारा सामूहिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।

बाल श्रम / Child Labour

वर्ष 1979 में भारत सरकार ने बाल-मज़दूरी की समस्या और उससे निज़ात दिलाने हेतु उपाय सुझाने के लिए 'गुरुपाद स्वामी समिति' का गठन किया था। समिति ने समस्या का विस्तार से अध्ययन किया और अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की। उन्होंने देखा कि जब तक गरीबी बनी रहेगी तब तक बाल-मजदूरी को हटाना संभव नहीं होगा। इसलिए कानूनन इस मुद्दे को प्रतिबंधित करना व्यावहारिक रूप से समाधान नहीं होगा। ऐसी स्थिति में समिति ने सुझाव दिया कि खतरनाक क्षेत्रों में बाल-मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया जाए तथा अन्य क्षेत्रों में कार्य के स्तर में सुधार लाया जाए। समिति ने यह भी सिफारिश की कि कार्यरत बच्चों की समस्याओं को निपटाने के लिए बहुआयामी नीति बनाये जाने की जरूरत है।

आपने देश से अगर ये छोटू शब्द को ख़तम करना हैं तो सरकार के साथ साथ थोड़ा प्रयास हम सब को भी करना होगा अगर आप करने के लिए सक्षम हैं तो किसी छोटू की मदद करिये और उसको स्कूल तक पहुंचने में उसकी और उसके घर वालो की मदद करिये अपने घर में किसी छोटू को काम करेके लिए न रखे तभी ये देश और समाज में परिवर्तन आएगा आज जिस गरीबी की हम बात करते हैं उसको मिटने के लिए हर छोटू का पढ़ना आवश्यक हैं।

बाल श्रम / Child Labour

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Child Labour

Oy Chotu word is very famous in our Hindustan. A name is the identity of a person. Often when we travel long distances, we stop at some dhaba or tapri to have breakfast and water and order that child popularly known as chhotu. Sometimes that order is done with love and sometimes it is completely rude.

I think there will be very few people, who must have tried to know that this shorty, who should have been in some school today, who should have had a pencil or pen in his hand, what is he doing here at the dhaba today? Why is he washing big utensils with the hands with which he should write a beautiful word?

Today it is such a situation that that dhaba chotu has now come to our house too, washes dishes in our house, takes a broom, feels like mopping, if he has some time left, then we take the responsibility of taking our dog or our little child for a walk. We give it to Chhotu, in our eyes, Chhotu is our bonded laborer, the most interesting thing is that if some of the night is left, then we keep it for Chhotu, discussing with great love that tomorrow morning Chhotu is poor If he comes, he will eat.

बाल श्रम / Child Labour

The problem of child labor is becoming a challenge before our country. The government has also taken several steps to deal with this problem. Considering the extent and severity of the problem, it is being considered as a socio-economic problem which is associated with lack of consciousness, poverty and illiteracy. Collective efforts are needed by all sections of the society to solve this problem.

In the year 1979, the Government of India had formed 'Gurupad Swami Committee' to suggest the problem of child labor and ways to get rid of it. The committee studied the problem in detail and submitted its recommendations. He saw that as long as poverty remained, it would not be possible to remove child labor. So restricting the issue by law would not be a practical solution. In such a situation, the committee suggested that child labor should be banned in hazardous areas and the standard of work should be improved in other areas. The committee also recommended that there is a need to formulate a multi-pronged policy to deal with the problems of working children.

If you want to eliminate this short word from the country, then along with the government, we all have to make a little effort, if you are able to, then help any shorty and help him and his family members to reach his school. Do not keep any shorty in your house for work, only then this country and society will change, in order to eradicate the poverty we talk about today, it is necessary to read every shorty.

बाल श्रम / Child Labour

नींबू का छिलका / Lemon Peel

नींबू का छिलका / Lemon Peel

नींबू के स्वास्थ्य लाभ से तो सभी परिचित हैं। संतरा और आम जैसे खट्टे फलों के बाद नींबू के रस का ही प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। नींबू एक ऐसा फल है, जो पूरे साल प्रयोग में लाया जाता है। नींबू का उपयोग कई औषधीय गुणों के लिए भी किया जाता है, जिसकी चर्चा यहां पहले हो गई है। आज हम नींबू के छिलके के फायदे के बारे में जानते हैं। नींबू के छिलके भी स्वास्थ्य के लिए उतने ही फायदेमंद है, जितना कि नींबू। 

नींबू के छिलके के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

जानते हैं नींबू के छिलके के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

नींबू के छिलकों को स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि सुंदरता के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। नींबू के छिलके में विटामिन A, विटामिन C, पोटैशियम, कैल्शियम, फाइबर समेत कई पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाने में मददगार हैं। 

इम्यूनिटी बढ़ाने में 

नींबू को विटामिन सी का अच्छा स्रोत माना गया है। विटामिन C इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मददगार है। नींबू के छिलकों का इस्तेमाल कर इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है।

पाचन तंत्र के लिए

नींबू के छिलके से निकले तेल में डी-लाइमोनीन नामक तत्व पाया जाता है, जो पाचन के लिए अच्छा माना जाता है। नींबू के छिलके के प्रयोग से पाचन संबंधी समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है।

नींबू के छिलके के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

वजन घटाने में

नींबू के रस की तरह नींबू के छिलके से मोटापे को कम किया जा सकता है। नींबू के छिलकों में पेक्टिन नामक तत्व पाया जाता है। पेक्टिन शरीर के वजन को घटाने में सहायक होता है।

कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करने में

नींबू के छिलके में पाए जाने वाले पेक्टिन में हाइपोकॉलेस्टेरोलेमिक प्रभाव पाया जाता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने मैं कुछ हद तक सहायक होता है।

हड्डियों के लिए

नींबू के छिलके में कैल्शियम की भी मात्रा पाई जाती है। कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए जरूरी होता है। नींबू के छिलकों के इस्तेमाल से हड्डियों को मजबूत बनाया जा सकता है।

नींबू के छिलके के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

त्वचा के सौंदर्य के लिए

नींबू के छिलके त्वचा के लिए अच्छे माने जाते हैं। नींबू के छिलके में पॉलीफेनोल्स पाए जाते हैं, जिनमें एंटी एजिंग और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसके साथ ही इसमें विटामिन ए और विटामिन सी भी पाया जाता है, जो त्वचा को हानिकारक यूवी किरणों से बचाता है और त्वचा को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

नींबू के छिलके के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

फ्रीज़ किए गए नींबू के आश्चर्यजनक परिणाम

सबसे पहले नींबू को धोकर फ्रीज़र में रखिए। 
8 से 10 घंटे बाद वह बर्फ़ जैसा ठंडा तथा कड़ा हो जाएगा। 
अब उपयोग मे लाने के लिए उसे कद्दूकस कर लें। 
इसे जो भी खाएँ उस पर डाल कर इसे खा सकते हैं। 
इससे खाद्य पदार्थ में एक अलग ही टेस्ट आऐगा। 

  • नीबू के छिलके में 5 से 10 गुना अधिक विटामिन सी होता है और वही हम फेंक देते हैं। 
  • नींबू के छिलके में शरीर कॆ सभी विषैले द्रव्यों को बाहर निकालने की क्षमता होती है। 
  • यह बैक्टेरियल इन्फेक्शन, फंगस आदि पर भी प्रभावी है। 
  • नींबू का रस विशेषत: छिलका,  रक्तदाब तथा मानसिक दबाव को नियंत्रित करता है। 
  • नींबू का छिलका 12 से ज्यादा प्रकार के कैंसर में पूर्ण प्रभावी है और वो भी बिना किसी साईड इफेक्ट के

इसलिये आप अच्छे पके हुए तथा स्वच्छ नींबू फ्रीज़र में रखें और कद्दूकस कर प्रतिदिन अपने आहार के साथ प्रयोग करें। 


नींबू के छिलके के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

नींबू के छिलके से नुकसान (Side Effects of  Lemon Peel)

  • लो शुगर वाले लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • नींबू का छिलका रक्तचाप को भी कम करता है अतः निम्न रक्तचाप की समस्या वाले लोगों को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • संवेदनशील त्वचा पर देखभाल कर ही नींबू के छिलके का उपयोग करें। इस से एलर्जी हो सकती है।
नींबू के छिलके के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

नींबू के फायदे

Sunday.. इतवार ..रविवार

 इतवार (Sunday)

Sunday.. इतवार ..रविवार
"खामोशियां बेवजह नहीं होती,
कुछ दर्द आवाज छीन लिया करते हैं..❤"

स्वप्न-स्मृति

आँख लगी थी पल-भर
देखा, नेत्र छलछलाए दो
आए आगे किसी अजाने दूर देश से चलकर
मौन भाषा थी उनकी, किन्तु व्यक्त था भाव

एक अव्यक्त प्रभाव
छोड़ते थे करुणा का अन्तस्थल में क्षीण
सुकुमार लता के वाताहत मृदु छिन्न पुष्प से दीन
भीतर नग्न रूप था घोर दमन का

बाहर अचल धैर्य था उनके उस दुखमय जीवन का
भीतर ज्वाला धधक रही थी सिन्धु अनल की
बाहर थीं दो बूँदें- पर थीं शांत भाव में निश्चल
विकल जलधि के जर्जर मर्मस्थल की

भाव में कहते थे वे नेत्र निमेष-विहीन
अन्तिम श्वास छोड़ते जैसे थोड़े जल में मीन
हम अब न रहेंगे यहाँ, आह संसार
मृगतृष्णा से व्यर्थ भटकना, केवल हाहाकार

तुम्हारा एकमात्र आधार
हमें दु:ख से मुक्ति मिलेगी- हम इतने दुर्बल हैं
तुम कर दो एक प्रहार

– सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
Sunday.. इतवार ..रविवार
"जीवन में कोई भी काम तब तक कठिन लगता है,
जब तक उसे करने के लिए हम अपना कदम नही बढ़ाते..❤"

अक्ल बड़ी या भैंस : पंचतंत्र / Akl badi ya Bhains : Panchtantra

3. अक्ल बड़ी या भैंस (सांप और कौवे की कहानी)

उपायेन हि यच्छक्यं न तच्छक्यं पराक्रमैः  

उपाय द्वारा जो काम हो जाता है, वह पराक्रम से नहीं हो पाता

अक्ल बड़ी या भैंस (सांप और कौवे की कहानी)

एक स्थान पर वट वृक्ष की एक बड़ी खोल में एक कौवा कौवी रहते थे। उसी खोल के पास एक काला सांप भी रहता था। वह सांप कौवी के नन्हे - नन्हे बच्चों को उनके पंख निकलने से पहले ही खा जाता था। दोनों इससे बहुत दुखी थे। अंत में दोनों ने अपनी दुख भरी कथा उस वृक्ष के नीचे रहने वाले एक गीदड़ को सुनाई और उससे यह भी पूछा कि अब क्या किया जाए? सांप वाले घर में रहना प्राणघातक है। 
अक्ल बड़ी या भैंस (सांप और कौवे की कहानी)

गीदड़ ने कहा - इसका उपाय चतुराई से ही हो सकता है। शत्रु पर बुद्धि के उपाय द्वारा विजय पाना अधिक आसान है। एक बार एक बगुला बहुत ही उत्तम, मध्यम, अधम मछलियों को खाकर प्रलोभनवश एक केकड़ा के हाथों उपाय(बुद्धि) से ही मारा गया था।  

कौवा कौवी दोनों ने पूछा - कैसे?
तब गीदड़ ने कहा: - सुनो। 

इसके बाद गीदड़ बगुला भगत की कहानी सुनाता है। 

4. बगुला भगत (बगुला और केकड़े की कहानी)

To be continued ...

कड़ी पत्ता / Curry Leaves

कड़ी पत्ता (Curry Leaves)

भारतीय रसोई घर में खासकर दक्षिण भारत में करी पत्ता का उपयोग व्यंजन को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। कड़ी पत्ता ना सिर्फ हमारे खाने के स्वाद को बढ़ाता है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी होता है। इसको मीठी नीम के नाम से भी जाना जाता है। 
कड़ी पत्ता के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

कड़ी पत्ता क्या है?

कड़ी पत्ता भारत का एक उष्णकटिबंधीय पेड़ है। हरे रंग के मध्य आकार के पत्ते एक मुख्य तने से जुड़े होते हैं और इसमें एक तीक्ष्ण सुगंध होती है। इसमें सफेद रंग के फूल आते हैं तथा हरे, लाल रंग के फल लगते हैं जो पकने के बाद काले हो जाते हैं। कड़ी पत्ता कई व्यंजनों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, जो खाने के स्वाद को बढ़ाता है। इसके साथ ही दवाओं में भी इसका प्रयोग किया जाता है। इसके पत्तों को बड़े पैमाने पर दक्षिण पूर्व एशियाई खाना पकाने में इस्तेमाल करते हैं, जो व्यंजनों में एक अलग स्वाद और सुगंध छोड़ता है।
कड़ी पत्ता के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

जानते हैं कड़ी पत्ता के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

कड़ी पत्ता में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन b1, विटामिन b2, विटामिन सी, विटामिन ए जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके साथ ही करी पत्ता एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी डायबिटिक, एंटीमाइक्रोबियल गुणों से परिपूर्ण होता है।
कड़ी पत्ता के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

मधुमेह में

  • मधुमेह से पीड़ित रोगी के लिए कड़ी पत्ता बहुत ही लाभकारी है। इसके लिए कड़ी पत्ते को कूटकर पाउडर बना लें और सुबह-शाम नियमित रूप से 3 से 4 ग्राम पाउडर का सेवन करें। इससे मधुमेह व मधुमेह से होने वाली परेशानियां दूर होती है।
  • मीठी नीम की 10 पत्तियों का रोज सुबह खाएं। इससे डायबिटीज और डायबिटीज के कारण होने वाली बीमारियों में लाभ होता है।

त्वचा के झाइयों व मुंहासे के लिए

कड़ी पत्ता हमारे सौंदर्य के लिए भी बहुत अचूक है। जो व्यक्ति झाइयों, मुंहासे व फोड़े फुंसी आदि से परेशान है वह इसके ताजे पत्ते को पीसकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। इससे चेहरे की सुंदरता बढ़ती है तथा झाइयां, मुहासे, फोड़े फुंसी आदि में लाभ मिलता है। कड़ी पत्ते के बीज का तेल त्वचा संबंधी परेशानियों के लिए लाभकारी होता है।

रक्त दोष में

कड़ी पत्ते के पके फलों को पीसकर पाउडर बना लें और सुबह-शाम एक-एक चम्मच नियमित रूप से सेवन करने से रक्त दोष की समस्या दूर होती है। आंतरिक कांति बढ़ती है और त्वचा की विकृति दूर होती है।

फोड़े फुंसियां होने पर

शरीर में कहीं पर भी फोड़ा फुंसी है तो कड़ी पत्ते को पीसकर पेस्ट बनाकर उस जगह पर लगाने से फोड़े फुंसियां ठीक हो जाती हैं।

पेट दर्द की समस्या

2-3 ग्राम कड़ी पत्ते को लेकर दो गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा गिलास बच जाए तो उसको पीने से पेट दर्द व अफारा ठीक होते हैं।

अपच की समस्या/कम भूख लगना

 1- 2 ग्राम कड़ी पत्ते को उबालकर चाय की तरह सुबह-सुबह नियमित रूप से पीने से पाचन क्रिया ठीक होती है, भूख बढ़ती है, और पेट संबंधी परेशानियां भी दूर होती हैं।

पेट में कृमि होने पर

बड़े या बच्चों के पेट में कृमि होने पर 2 - 3 ग्राम कढ़ी पत्ते का पाउडर बनाकर सुबह खाली पेट नियमित रूप से सेवन करने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं और पेट संबंधी अन्य परेशानियां भी दूर होती हैं।

वजन कम करने में / कोलेस्ट्रॉल कम करने में 

कड़ी पत्ते के प्रयोग से वजन को भी घटाया जा सकता है। कड़ी पत्ता में पर्याप्त मात्रा में फाइबर मौजूद है, जो शरीर में जमी हुई चर्बी और विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए काम करता है। प्रतिदिन 8 से 10 कड़ी पत्ता खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है और वजन नियंत्रित रहता है।

बालों के लिए

कढ़ी पत्ते का प्रयोग बालों की जड़ों को मजबूत बनाने के लिए भी किया जाता है। इसमें मौजूद विटामिन बालों को झड़ने से रोकता है और बालों में रूसी की समस्या को भी दूर करता है। कड़ी पत्ते को पानी में पीसकर बालों पर 15 से 20 मिनट के लिए हफ्ते में दो बार लगाया जाए या कड़ी पत्ते को पानी में उबालकर इस पानी से हफ्ते में दो-तीन बार बालों की जड़ों में मसाज की जाए तो बालों को काफी फायदा होता है। इसके साथ ही यदि करी पत्ते को दही के साथ पीसकर पेस्ट बनाकर बालों पर लगाया जाए तो यह नेचुरल कंडीशनर की तरह काम करता है।

संक्रमण से बचाव

कड़ी पत्ते के तेल में पाए जाने वाले कुछ खास पोषक तत्वों में एंटीबायोटिक और एंटीफंगल गुण होते हैं। यही गुण बैक्टीरिया और फंगल के प्रभाव को कम करने में सहायक होते हैं, जिससे संक्रमण से बचाव होता है।

कड़ी पत्ता में पाए जाने वाले पोषक तत्व

कड़ी पत्ता में पाए जाने वाले पोषक तत्व

अन्य भाषाओं में कड़ी पत्ता के नाम

अन्य भाषाओं में कड़ी पत्ता के नाम

कड़ी पत्ता के नुकसान (Side effects of Curry Leaves)

कड़ी पत्ता के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण
कढ़ी पत्ते का कोई भी नुकसान नहीं होता है, परंतु इसकी तासीर ठंडी होती है। अतः इसका जरूरत से ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। यदि कोई गठिया से पीड़ित या सर्दी खांसी वाला व्यक्ति इसका सेवन जरूरत से ज्यादा मात्रा में कर ले तो कुछ दुष्प्रभाव दिखाई दे सकते हैं।

English Translate

Curry Leaves

Curry leaves are used for flavoring dishes in Indian kitchens, especially in South India. Curry leaves not only enhance the taste of our food, but are also very beneficial for our health. It is also known as Meethi Neem.
कड़ी पत्ता के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

What is curry leaf?

Curry leaves are a tropical tree native to India. The green mid-sized leaves are attached to a main stem and have a pungent aroma. It bears white colored flowers and bears green, red colored fruits which turn black after ripening. Curry leaves are widely used in many cuisines, which enhance the taste of food. Along with this, it is also used in medicines. Its leaves are extensively used in Southeast Asian cooking, adding a distinct flavor and aroma to dishes.

Know about the benefits, harms, uses and medicinal properties of curry leaves

Nutrients like iron, calcium, protein, vitamin B1, vitamin B2, vitamin C, vitamin A are found in curry leaves. Along with this, curry leaves are full of anti-oxidant, anti-diabetic, antimicrobial properties.
कड़ी पत्ता के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

in diabetes

  • Curry leaves are very beneficial for the patient suffering from diabetes. For this, make powder by crushing curry leaves and take 3 to 4 grams of powder regularly in the morning and evening. This removes the problems caused by diabetes and diabetes.
  • Eat 10 leaves of sweet neem every morning. It is beneficial in diabetes and diseases caused by diabetes.

For skin blemishes and acne

Curry leaves are also very infallible for our beauty. The person who is troubled by freckles, acne and boils, pimple, etc., grind its fresh leaves and make a paste and apply it on the face. It enhances the beauty of the face and benefits in freckles, acne, boils, pimple etc. Curry leaf seed oil is beneficial for skin related problems.

in blood defect

Make a powder by grinding the ripe fruits of curry leaves and take one spoon regularly in the morning and evening, it ends the problem of blood defects. Inner radiance increases and skin discoloration is removed.

on boils

If there is a boil anywhere in the body, then making a paste by grinding curry leaves and applying it on that place cures the boils.
कड़ी पत्ता के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

stomach ache problem

Boil 2-3 grams curry leaves in two glasses of water. When half a glass of water is left, drinking it ends stomachache and bloating.

Indigestion

 Boiling 1- 2 grams curry leaves and drinking it like tea regularly in the morning improves digestion, increases appetite, and stomach related problems are also removed.

having stomach worms

In case of worms in the stomach of elders or children, make 2-3 grams of curry leaves powder and take it regularly in the morning on an empty stomach, it removes stomach worms and other stomach related problems.

Weight loss / Cholesterol lowering

Weight can also be reduced by using curry leaves. Curry leaves are rich in fiber, which works to flush out the accumulated fat and toxins from the body. Eating 8 to 10 curry leaves daily reduces cholesterol and keeps weight under control.

for hair

Curry leaves are also used to strengthen the hair roots. The vitamin present in it prevents hair fall and also removes the problem of dandruff in the hair. Grind curry leaves in water and apply it on the hair twice a week for 15 to 20 minutes or if curry leaves are boiled in water and massaged with this water two to three times a week, the hair gets a lot of benefit. . Along with this, if curry leaves are mixed with curd and made into a paste and applied on the hair, then it acts as a natural conditioner.

prevention of infection

Certain nutrients found in curry leaf oil have antibiotic and antifungal properties. These properties are helpful in reducing the effects of bacteria and fungi, thereby preventing infection.

कड़ी पत्ता के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

तेनालीराम - महान पुस्तक । Tenali Raman - Mahan Pustak

महान पुस्तक

एक दिन राजा कृष्णदेव राय अपने दरबारियों तथा मंत्रियों के साथ किसी विषय पर चर्चा कर रहे थे, तभी एक महान विद्वान दरबार में उपस्थित हुआ। उसने सभी विजयनगर वासी को ललकारते हुए अहंकार से कहा: "पुरे विश्व में मेरे जितना कोई बुद्धिमान नहीं हैं। अगर किसी दरबारी की इच्छा हैं कि मेरे साथ किसी भी प्रतियोगिता में खरा उतर सके, तो मैं चुनौती के लिए तैयार हूं।" उसके अहंकार को सच्चा मान कर सभी डर गए और किसी ने भी वाद-विवाद करने का साहस नहीं किया। अंत में सभी प्रजाजन इसका समाधान ढूंढने के लिए पंडित तेनालीराम के पास जा पहुंचे। तेनालीरमन ने पूरी बात सुनी और दरबार में आकर घमंडी का चुनाव स्वीकार करते हुए दिन भी निश्चित कर लिया। 

तेनालीराम - महान पुस्तक । Tenali Raman - Mahan Pustak

निश्चित किये हुए दिन पर तेनालीराम एक विद्वान पंडित के रूप में राजदरबार पहुंचे। तेनालीराम ने अपने हाथ में एक गट्ठर ले रखा था, जो कि दिखने में पुस्तकों के सामान लग रहा था। उसी समय वो घमंडी भी राजदरबार में उपस्थित हुआ और तेनालीराम के सामने बैठ गया। तेनालीराम ने अपने राजा कृष्णदेवराय को नमस्कार किया और अपने साथ लाए हुए गट्ठर को दोनों के बीच में रख दिया।

इसी के साथ दोनों ही विवाद के लिए पूरी तरह से तैयार थे। राजा कृष्णदेव को पहले से ज्ञात था की तेनालीराम के मन में अवश्य कोई न कोई योजना होगी। इसलिए महाराज निश्चिंत थे। इसी के साथ राजा ने वाद-विवाद प्रारंभ करने लिए दोनों प्रत्योगी को अनुमति दी। तेनालीराम पहले उठे, और उस प्रत्योगी से कहा,"विद्वान! मैंने आपकी बहुत चर्चा सुन रखी है। आप जैसे विद्वान पुरुष के लिए मैं एक पुस्तक लाया हूं। हमारे वाद विवाद का विषय यह पुस्तक होगा।" 

विद्वान ने विनती करते हुए तेनालीराम से पुस्तक का नाम जानने की चेस्टा की। तेनालीराम ने पुस्तक का नाम बताया "तिलक्षता महिषा बंधन" उस विद्वान ने अपने जीवन में कभी भी इसके पहले इस पुस्तक का नाम तक नहीं सुना था। पढ़ना तो दूर की बात थी। विद्वान बड़ी ही दुविधा में पड गया। वह सोंचने लगा, कभी न पढ़ी किताब के बारे में विवाद करूं तो कैसे करूं? 

फिर भी वह साहस कर के बोला - "यह किताब मैंने पढ़ी है। बहुत ही बेहतरीन है। इस पर चर्चा करने का मजा आने वाला है, परन्तु मेरा एक अनुरोध है कि आज यह वाद-विवाद रोक दिया जाए। मैं कुछ दिन का समय चाहता हूं। मैं इस पुस्तक की कुछ महत्वपूर्ण बातें भूल गया हूं। उस विद्वान ने राजा से विनती की कि कल प्रातःकाल को इस विवाद का आयोजन किया जाए। 

"अतिथि देवो भव:" की परंपरा के अनुसार अतिथी के विचार को मानना तेनालीराम का कर्तव्य था। परन्तु विद्वान को आभास था कि वाद-विवाद में वह हार जाएगा। उसे पता था की पंडित के सामने मेरी एक न चलेगी। इसलिए वह नगर छोड़ कर भाग गया। 

अगले दिन विद्वान की राजमहल में गैरमौजूदगी से तेनालीराम ने राजा से भरी सभा में कहा: महाराज! लगता है घमंडी हारने के डर से विजयनगर छोड़  के भाग गया।   

राजा ने तेनालीरामा से आश्चर्य से पूछा, " तेनालीराम पहले तुम हमें उस पुस्तक के बारे में बताओ जिसे देख कर वह विद्वान नगर छोड़ कर भाग गया।" तेनालीरमन ने हंसते हुए कहा, महाराज! असल में ऐसी कोई पुस्तक है ही नहीं। यह मेरी बनाई हुई योजना थी।       

वास्तव में तिलक्षता का मतलब है - शीशम की सुखी लकडियां और महिषा बंधन का अर्थ है - भैंसों को बांधना। वास्तव में मेरे हाथ में शीशम की लकड़ियां थी, जो भैंसों को बांधने वाली रस्सी से बाँधी गई थी। मलमल के कपड़े की वजह से पुस्तक जैसी लग रही थी। तेनाली राम ली बुद्धिमत्ता देख कर सब नगरवासी हंसी न रोक पाए और तेनालीराम ने एक बार फिर विजयनगर की शान बचाई। राजा ने प्रशन्न हो कर कई सारी पुस्तकें तेनालीराम को सौगात के रूप में दी।

English Translate

great book

One day King Krishna Deva Raya was discussing a matter with his courtiers and ministers, when a great scholar appeared in the court. He arrogantly challenged all the Vijayanagara residents: "There is no one in the whole world as intelligent as me. If any courtier wishes to compete with me in any competition, I am up for the challenge." Considering his ego to be true, everyone got scared and no one dared to argue. In the end, all the people went to Pandit Tenaliram to find a solution for this. Tenaliraman listened to the whole thing and came to the court and accepted the election of the arrogant and fixed the day.

तेनालीराम - महान पुस्तक । Tenali Raman - Mahan Pustak

On the appointed day, Tenaliram reached the court as a learned Pandit. Tenaliram held a bundle in his hand, which looked like a book. At the same time that arrogant also appeared in the court and sat in front of Tenaliram. Tenalirama saluted his king Krishnadevaraya and placed the bundle he had brought in between the two.

With this, both were completely ready for controversy. King Krishnadeva knew in advance that Tenaliram must have some plan in his mind. So the king was restless. With this, the king gave permission to both the contestants to start the debate. Tenaliram got up first, and said to the contestant, "Scholar! I have heard your discussion a lot. I have brought a book for a learned man like you. This book will be the subject of our debate."

The scholar pleaded with Tenaliram to know the name of the book. Tenaliram named the book as "Tilakshata Mahisha Bandhan". That scholar had never even heard the name of this book before in his life. Reading was a far cry. The scholar was in great dilemma. He started thinking, how can I dispute about the book I have never read?

Still he boldly said - "I have read this book. It is very good. It is going to be fun to discuss, but I have a request that this debate should be stopped today. I will have a few days' time." I have forgotten some important things of this book. The scholar requested the king to organize this dispute tomorrow morning.

According to the tradition of "Atithi Devo Bhava" it was the duty of Tenaliram to accept the idea of ​​the guest. But the scholar had a feeling that he would be defeated in the debate. He knew that my one would not work in front of the pandit. So he left the city and fled.

The next day, in the absence of the scholar in the palace, Tenaliram said in a meeting full of the king: Maharaj! The arrogant seems to have left Vijayanagara for fear of being defeated.

The king asked Tenalirama in surprise, "Tenalirama first you tell us about the book, seeing which the scholar fled the city." Tenaliraman laughed and said, Maharaj! Actually there is no such book. This was my plan.

Actually Tilakshta means - dry rosewood sticks and Mahisha Bandhan means - tying buffaloes. In fact, I had rosewood sticks in my hand, which were tied with a rope to bind buffaloes. The muslin cloth made it look like a book. Seeing the wisdom of Tenali Rama, all the townspeople could not stop laughing and Tenaliram once again saved the glory of Vijayanagara. The king was pleased and gave many books to Tenaliram as a gift.

ध्वनि प्रदूषण / Noise Pollution

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

आज जितना शोर बाहर वातावरण में है उससे कहीं अधिक शोर हमारे भीतर भी है, जो हमारे कानों को तो सुनाई नही देता है लेकिन नुकसान बराबर करता है। परंतु आज का मुद्दा हमारा आंतरिक शोर का नही हैं। आज हम कुछ बातें बाहरी शोर की करते हैं, जिसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। आज जितने संसाधनों का हम प्रयोग करते हैं अपनी जिंदगी को आसान बनाने के लिए क्या कभी किसी ने सोचा है कि इन संसाधनों ने बदले में हमसे क्या लिया है? कितनी हमारे आस पास अशांति फैला दी है? वातावरण को कितना दुषित किया है?

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

 ध्वनि प्रदूषण क्या है?

एक फुसफुसाहट लगभग 30 डेसीबल होत है, सामान्य बातचीत लगभग 60 डेसीबल होती है। लंबे समय तक 70 डेसीबल से ऊपर का शोर हमारी सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचाना शुरू कर सकता है। 120 डेसीबल से ऊपर की तेज आवाज हमारे कानों को तुरंत नुकसान पहुंचा सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) 65 डेसिबल (dB) से ऊपर के शोर को ध्वनि प्रदूषण के रूप में परिभाषित करता है। शोर हानिकारक हो जाता है, जब यह 75 डेसिबल (dB) से अधिक हो जाता है और 120 डेसीबल से ऊपर दर्दनाक होता है।अगर कोई व्यक्ति अपना अधिकतर समय भीड़ भाड़ जैसी जगह या फिर ज्यादा शोर-शराबे वाली जगह पर बिताता है, तो धीरे-धीरे उसके सुनने की क्षमता क्षीण होने लगती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 75 डेसीबल से अधिक तीव्रता की ध्वनि मानव जीवन के लिए हानिकारक है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

ध्वनि प्रदूषण के कारण  

वातावरण में ध्वनि प्रदूषण ज्यादा तेज आवाज के कारण होता है, जो दर्द का कारण बनता है। ध्वनि प्रदूषण के कुछ मुख्य स्त्रोत सड़क पर यातायात के द्वारा उत्पन्न शोर, निर्माणकार्य (भवन, सड़क, शहर की गलियों, फ्लाई ओवर आदि) के कारण उत्पन्न शोर, औद्योगिक शोर, दैनिक जीवन में घरेलू उत्पादकों (जैसे घरेलू सामान, रसोइ घर का सामान, वैक्यूम क्लीनर, कपड़े धोने की मशीन, मिक्सी, जूसर, प्रेसर कूकर, टीवी, मोबाइल, ड्रायर, कूलर आदि) से उत्पन्न शोर, आदि हैं।

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

कुछ देशों में (बहुत अधिक जनसंख्या वाले शहर जैसे भारत आदि) खराब शहरी योजना ध्वनि प्रदूषण में मुख्य भूमिका निभाती है। क्योंकि इसकी योजना में बहुत छोटे घरों का निर्माण किया जाता है, जिसमें कि संयुक्त बड़े परिवार के लोग एक साथ रहते हैं (जिसके कारण पार्किंग के लिये झगड़ा, आधारभूत आवश्यकताओं के लिये झगड़ा होता है आदि), जो ध्वनि प्रदूषण का नेतृत्व करता है।

आधुनिक पीढ़ी के लोग पूरी आवाज में गाना चलाते हैं और देर रात तक नाचते हैं, जो पड़ोसियों के लिये बहुत सी शारीरिक और मानसिक समस्याओं का कारण बनता है। अधिक तेज आवाज सामान्य व्यक्ति की सुनने की क्षमता को हानि पहुँचाती है। अधिक तेज आवाज धीरे-धीरे स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और एक धीरे जहर के रुप में कार्य करती है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव 

यह ध्वनि प्रदूषण जंगली जीवन, पेड़-पौधों के जीवन और मनुष्य जीवन को बहुत बड़े पैमाने पर प्रभावित करती है। सामान्यतः, हमारे कान एक निश्चित ध्वनि की दर को बिना कानों को कोई हानि पहुंचाये स्वीकार करते हैं। हालांकि, हमारे कान नियमित तेज आवाज को सहन नहीं कर पाते और जिससे कान के पर्दें बेकार हो जाते हैं, जिसका परिणाम अस्थायी या स्थायी रुप से सुनने की क्षमता की हानि होता है। इसके कारण और भी कई परेशानी होती हैं जैसे: सोने की समस्या, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, कमजोरी, अनिद्रा, तनाव, उच्च रक्त दाब, वार्तालाप समस्या आदि। 120 डेसीबल से अधिक की ध्वनि गर्भवती महिला, उसके गर्भस्थ शिशु, बीमार व्यक्तियों तथा 10 साल से छोटी उम्र के बच्चों के स्वास्थ्य को अधिक हानि पहुंचाती है। 

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय 

ध्वनि प्रदूषण को रोकने के उपाय किए जा सकते हैं। 

  • ध्वनि प्रदूषण को कम करने का सबसे बड़ा उपाय जागरूकता है। साधारण जनमानस में ध्वनि प्रदूषण को लेकर जागरूकता होनी जरूरी है। लोगों को ध्वनि प्रदूषण से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक होना चाहिए। 
  • सरकार द्वारा भी ध्वनि प्रदूषण को कम करने के प्रयास किए जाते हैं।
  •  यहां एक रोचक तथ्य यह है कि पेड़ - पौधे ध्वनि की तीव्रता को कम करते हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण कम होता है।  इसलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ - पौधे लगाने चाहिए।
  • सड़क पर अपने वाहनों के हॉर्न का उपयोग कम से कम करना चाहिए। उनकी तीव्रता भी कम होनी चाहिए। 
ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

रूद्र महालय, गुजरात (Rudra Mahalaya)

रूद्र महालय (Rudra Mahalaya)

10 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में गुजरात की राजधानी पाटन थी। महाराजा मूलराज सोलंकी प्रतापी राजा हुए थे। सिद्धपुर (श्री स्थल) प्राचीन सिद्धपीठ थी। महाराज मूलराज ने अपने मातुल (मामा) सामंत सिंह का वध कर पाटन की राजगद्दी प्राप्त की थी। संपूर्ण भारत के सर्वाधिक ऐश्वर्यशाली राज्य कायम किया। वृद्धावस्था में पश्चाताप वश रूद्र महालय (Rudra Mahalaya) जिसमें एक सहस्त्र शिवलिंगों वाला एक सहस्त्र मंदिरों का विशाल रूद्र महालय या रुद्र की माला के समान मंदिर बनवाने का विचार उनके मन में आया।

1500 स्तंभ वाला रूद्र महालय (Rudra Mahalaya)

सिद्धपुर, पापनाशनी पुण्य सलिला सरस्वती नदी के पावन तट पर स्थित है। महर्षि कर्दम की तपोभूमि है, जगन्माता देवहूति का मुक्ति स्थान है, योगाचार्य कपिल मुनि का जन्म स्थान है, यहीं सरस्वती तट पर महर्षि दधीचि का आश्रम है,और इस स्थान पर महाराजा मूलराज ने तत्कालीन उत्तर भारत या उदित दिशा से 1037 अति उच्च विद्वान ब्राह्मणों को बुलवाकर सिद्धपुर में सरस्वती के तट पर रूद्र याग (रूद्र यज्ञ) करवाया और  मंदिर निर्माण प्रारंभ किया था।

1500 स्तंभ वाला रूद्र महालय (Rudra Mahalaya)

इस मंदिर का पुनर्निर्माण चौथी पीढ़ी में महाराज जय सिंह ने किया। इस समय महाराज जयसिंह द्वारा प्रजा का ऋण माफ किया गया और इसी अवसर पर नव संवत् चलवाया गया जो आज भी संपूर्ण गुजरात में चलता है।

रूद्र महालय, गुजरात (Rudra Mahalaya)

इस रूद्र महालय में 1500 स्तंभ थे। माणिक्य मुक्ता युक्त 1000 मूर्तियां थीं। इस पर 30000 स्वर्ण कलश थे, जिन पर पताकाएं फहराती थीं। रूद्र महालय में पाषाण पर कलात्मक "गज" एवं "अश्व" उत्कीर्ण थे। अगणित जालियां पत्थरों पर खुदी हुईं थीं। कहा जाता है कि यहां 7000 धर्मशालाएं थीं, इनके रत्न जड़ित द्वारों की छटा निराली थी। मध्य में एकादश रुद्र के एकादश मंदिर थे। वर्ष 995 में मूलराज ने रूद्र महालय की स्थापना की थी। वर्ष 1150 (ईसवी संवत् 1094) में सिद्धराज ने रूद्र महालय का विस्तार करके "श्री स्थल" का "सिद्धपुर" नामकरण किया था।

रूद्र महालय, गुजरात (Rudra Mahalaya)

महाराज मूलराज महान शिव भक्त थे, अपने परवर्ती जीवन में अपने पुत्र चावंड को राज्य सौंप कर श्री स्थल (सिद्धपुर) में तपस्या में व्यतीत किया और वहीं उनका स्वर्गवास हुआ।

आज इस भव्य और विशाल रूद्र महल को खंडहर के रूप में देखा जा सकता है। आततायी आक्रमणकारी लुटेरे बादशाहों अलाउद्दीन खिलजी और बाद में अहमद शाह प्रथम ने 1410 -44 के बीच तीन बार इसे तोड़ा और लूटा। यही नहीं, इसके एक भाग में मस्जिद बना दी इसके एक भाग को बाजार का रूप दिया। इस बारे में वहां फारसी और देवनागरी में शिलालेख हैं।

वर्तमान में रूद्रमहल के पूर्व भाग के तोरण द्वार 4 शिव मंदिर और ध्वस्त सिर्फ सूर्यकुंड है। यह पुरातत्व विभाग के अधीन है।

30000 स्वर्ण कलश वाला शिव मंदिर  रूद्र महालय, गुजरात (Rudra Mahalaya)

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Rudra Mahalaya

The capital of Gujarat was Patan in the late 10th century. Maharaja Mulraj Solanki had become a majestic king. Siddhapur (Shri Sthal) was an ancient Siddhapeeth. Maharaj Mulraj had obtained the throne of Patan by killing his matul (uncle) Samant Singh. Established the most opulent state of the whole of India. Out of repentance in old age, the idea of ​​building a huge Rudra Mahalaya or a temple of Rudra's garland came to his mind.

30000 स्वर्ण कलश वाला शिव मंदिर  रूद्र महालय, गुजरात (Rudra Mahalaya)

Siddhapur is situated on the holy bank of the Papanashani Punya Salila Saraswati River. Maharishi is the penance of Kardam, Jaganmata is the place of salvation of Devhuti, birth place of Yogacharya Kapil Muni, here is the ashram of Maharishi Dadhichi on the banks of Saraswati, and at this place Maharaja Mulraj had 1037 highly learned Brahmins from the then North India or Udit direction. He got Rudra Yag (Rudra Yagna) done on the banks of Saraswati in Sidhpur and started the temple construction.

30000 स्वर्ण कलश वाला शिव मंदिर  रूद्र महालय, गुजरात (Rudra Mahalaya)

This temple was rebuilt in the fourth generation by Maharaj Jai Singh. At this time, the debt of the subjects was waived by Maharaj Jai Singh and on this occasion a new era was started, which continues even today in the whole of Gujarat.

Shiva Temple Rudra Mahalaya with 30000 Golden Kalash, Gujarat (Rudra Mahalaya)

There were 1500 pillars in this Rudra Mahalaya. There were 1000 idols containing rubies. It had 30,000 gold urns on which flags were hoisted. In Rudra Mahalaya, artistic "Gaj" and "Horse" were engraved on the stone. Countless jaalis were carved on the stones. It is said that there were 7000 Dharamshalas here, the color of their gem-studded gates was unique. In the middle were the eleven temples of Ekadash Rudra. Rudra Mahalaya was established by Mulraj in the year 995. In the year 1150 (AD 1094), Siddharaj expanded the Rudra Mahalaya and renamed "Sri Sthal" as "Siddhapur".

Rudra Mahalaya with 1500 pillars

Maharaj Moolraj was a great devotee of Shiva, handed over the kingdom to his son Chavand, spent his penance at Sri Sthal (Siddhapur) and died there.

Today this grand and huge Rudra Mahal can be seen in ruins. It was broken and plundered thrice between 1410-44 by the tyrannical invading robber emperors Alauddin Khilji and later Ahmad Shah I. Not only this, a part of it was made a mosque, a part of it was given the form of a market. There are inscriptions in Persian and Devanagari about this.

At present, the pylon gate of the east part of Rudramahal has 4 Shiva temples and only Suryakund is demolished. It is under the Department of Archeology.

30000 स्वर्ण कलश वाला शिव मंदिर  रूद्र महालय, गुजरात (Rudra Mahalaya)


शतावरी /Shatavari / Asparagus

शतावरी (Asparagus)

हिमालय की वादियाँ प्राकृतिक जड़ी बूटियों की भरमार है। शायद ही कोई ऐसी जड़ी बूटी हो, जो हिमालय में मौजूद ना हो। शतावरी भी हिमालय और हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली जड़ी बूटी है।

शतावरी को आयुर्वेद में बहुत ही फायदेमंद जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है। शतावरी का नाम कम लोगों को ही पता है, इसलिए बहुत कम लोग ही शतावरी का प्रयोग करते हैं।

ब्रह्मा जी के दुर्गा कवच में वर्णित नव दुर्गा के नौ विशिष्ट औषधियों में से एक शतावरी भी है।

शतावरी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

शतावरी क्या है?

शतावरी झाड़ीदार लता वाली एक जड़ी - बूटी है। एक- एक बेल के नीचे कम से कम 100 या उससे अधिक जड़े होती हैं। यह जड़े लगभग 30 से 100 सेंटीमीटर लंबी एवं 1 से 2 सेंटीमीटर मोटी होती हैं। जड़ों के दोनों सिरे नुकीले होते हैं। इन जड़ों के ऊपर भूरे रंग का पतला छिलका होता है। इस छिलके को निकाल देने से अंदर दूध के समान सफेद जड़ निकलती है। इन जड़ों के बीच में कड़ा रेशा होता है, जो गीली एवं सुखी अवस्था में ही निकाला जा सकता है। शतावरी पौधे के लगभग हर भाग का उपयोग औषधि बनाने में किया जाता है।

जानते हैं शतावरी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

शतावरी में बहुत मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसमें फोलेट होता है, जो कि हड्डियों के लिए भी बहुत अच्छा होता है। सामान्यता शतावरी दो प्रकार की होती है- 
1. विरलकंद 
2. कुंतपत्रा  
विरल कंद के कंद छोटे, मांसल फूले हुए और गुच्छों में होते हैं। 
जबकि कुंतपत्रा झाड़ीनुमा पौधा है। इसके कंद छोटे और मोटे होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और फल गोल होते हैं। कच्ची अवस्था में फल हरे रंग के और पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। 
शतावरी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

नींद ना आने की समस्या (अनिद्रा)

अनिद्रा की परेशानी होने पर शतावरी चूर्ण बहुत ही लाभकारी है। 2 से 4 ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध में पका लें और इसमें घी मिलाकर सेवन करने से नींद ना आने की समस्या दूर होती है।

शारीरिक कमजोरी में

किसी भी व्यक्ति को अगर शरीर में ताकत की कमी महसूस होती है, तो शतावरी को घी में पकाकर उससे शरीर की मालिश करने से कमजोरी दूर होती है।

सर्दी जुकाम में

शतावरी के जड़ का काढ़ा बनाकर 15 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में सेवन करने से सर्दी जुकाम से आराम मिलता है।

सांसों से संबंधित रोग

शतावरी के एक भाग में एक भाग घी तथा चार भाग दूध मिलाकर पेस्ट बना लें। इसे घी में पकाकर 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से सांस से संबंधित रोग, रक्त से संबंधित रोग, सीने में जलन, बात और पित्त विकार में आराम मिलता है।

बवासीर की समस्या

तीन से चार ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध के साथ सेवन करने से बवासीर में आराम मिलता है।

पेचिश की समस्या

ताजे शतावर को दूध के साथ पीसकर छान लें। इसे दिन में दो-तीन बार पीने से पेचिश की समस्या में फायदा होता है।

अपच की समस्या

5 मिलीलीटर शतावरी के जड़ के रस को मधु और दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से अपच की परेशानी दूर होती है।

पेट दर्द में

अगर पित्त दोष के कारण पेट में दर्द हो रहा है, तो प्रतिदिन सुबह 10 मिलीलीटर शतावरी के रस में 10 से 12 ग्राम मधु मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

सिर दर्द में

शतावरी के ताजे फल को कूटकर रस निकाल लें। इस रस में बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर उबाल लें। इस तेल से सिर की मालिश करने से सिर दर्द और अधकपारी में आराम मिलता है।

घाव सुखाने में

शतावरी के 20 ग्राम पत्तों के चूर्ण को दोगुने घी में तल लें। इस चूर्ण को अच्छी तरह पीसकर घाव पर लगाने से पुराना घाव भी ठीक हो जाता है।

रतौंधी में

शतावरी के मुलायम पत्तों को घी में भूनकर सेवन करने से रतौंधी रोग में आराम मिलता है।

बुखार में

शतावर और गिलोय के बराबर -बराबर 10 मिलीलीटर भाग में थोड़ा सा गुड़ मिलाकर पीने से बुखार में लाभ होता है।

पथरी की समस्या

20 - 30 मिलीलीटर शतावरी के जड़ से बने रस में बराबर मात्रा में गाय के दूध को मिलाकर पीने से पुरानी पथरी भी जल्दी गल जाती है।

शतावरी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

शतावरी के नुकसान (Side Effects of Shatavari)

जैसा कि हम सभी जानते हैं "अति सर्वत्र वर्जयेत"। वैसे तो शतावरी का कोई भी नुकसान नहीं होता है, परंतु अधिक मात्रा में शतावरी के सेवन से कुछ समस्याएं हो सकती हैं-
  • त्वचा पर दाने लचकत आना
  • आंखों में खुजली या जलन की समस्या

शतावरी में मौजूद पौष्टिक तत्व (Nutritional Value of Asparagus)

शतावरी में मौजूद पौष्टिक तत्व (Nutritional Value of Asparagus)

अन्य भाषाओं में शतावरी के नाम

हिंदी(Hindi)     - सतावर, सतावरि, सतमूली, शतावरी, सरनोई
इंग्लिश (English)     - Wild asparagus (वाईल्ड एस्पैरागस)
संस्कृत (Sanskrit)     -शतावरी, शतपदी, शतमूली, महाशीता, नारायणी, काञ्चनकारिणी, पीवरी, सूक्ष्मपत्रिका, अतिरसा, भीरु, नारायणी, बहुसुता, बह्यत्रा, तालमूली
उर्दू (Urdu)    - सतावरा (Satavara)
उड़िया (Oriya)    - चोत्तारु (Chhotaru), मोहनोले (Mohnole)
गुजराती (Gujarati)    - एकलकान्ता (Ekalkanta), शतावरी (Shatavari)
तमिल (Tamil)    - किलावरि (Kilavari), पाणियीनाक्कु (Paniyinakku)
तेलुगु (Telugu)    - छल्लागडडा (Challagadda), एट्टावलुडुटीगे (Ettavaludutige);
बंगाली (Bengali)    - शतमूली (Shatamuli), सतमूली (Satmuli)
पंजाबी (Punjabi)    - बोजान्दन (Bozandan); बोजीदान (Bozidan)
मराठी (Marathi)    - अश्वेल (Asvel), शतावरी (Shatavari)
मलयालम (Malayalam)    - शतावरि (Shatavari), शतावलि (Shatavali)
नेपाली (Nepali)     - सतामूलि (Satamuli), कुरीलो (Kurilo)
अराबिक (Arabic)    - शकाकुल (Shaqaqul)
पर्शियन (Persian)- शकाकुल (Shaqaqul)
शतावरी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

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Asparagus

The Himalayan valleys are full of natural herbs. There is hardly any herb that is not present in the Himalayas. Shatavari is also a herb found in the Himalayas and the Himalayan region.

Shatavari is known as a very beneficial herb in Ayurveda. Few people know the name of Shatavari, so very few people use Shatavari.

Shatavari is also one of the nine special medicines of Nav Durga, described in the Durga Kavach of Brahma ji.


What is Shatavari?

Shatavari is a herbaceous shrub. There are at least 100 or more roots under each vine. These roots are about 30 to 100 cm long and 1 to 2 cm thick. Both ends of the roots are sharp. On top of these roots there is a thin brown skin. By removing this peel, a white root like milk comes out inside. In between these roots there is a tough fiber, which can be removed only in wet and dry condition. Almost every part of the Shatavari plant is used to make medicine.

Know about the benefits, harms, uses and medicinal properties of Shatavari

A lot of anti-oxidants are found in Shatavari. It contains folate, which is also great for bones. Generally Shatavari is of two types-

1. Viralkand

2. Kuntapatra

The tubers of the rare tuber are small, fleshy whorls and in clusters.

Whereas kuntapatra is a bushy plant. Its tubers are small and thick. Its flowers are white in color and the fruits are round. The fruits are green in unripe state and turn red when ripe.

शतावरी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

trouble sleeping (insomnia)

Shatavari powder is very beneficial in case of insomnia. Cook 2 to 4 grams of shatavari powder in milk and mix it with ghee and consume it, it ends sleeplessness.

in physical weakness

If any person feels lack of strength in the body, then by cooking Shatavari in ghee and massaging the body with it, weakness is removed.

in winter

Make a decoction of asparagus root and take it in 15 to 20 ml quantity, it provides relief from cold and flu.

respiratory diseases

Make a paste by mixing one part ghee and four parts milk in one part of asparagus. Cooking it in ghee and consuming it in the amount of 5 to 10 grams, it provides relief in respiratory diseases, blood related diseases, heartburn, talking and bile disorders.

piles problem

Taking three to four grams of Shatavari powder with milk provides relief in piles.

dysentery problem

Grind fresh asparagus with milk and filter it. Drinking it two-three times a day is beneficial in the problem of dysentery.

indigestion problem

Taking 5 ml juice of shatavari root mixed with honey and milk ends indigestion.

in stomachache

If there is pain in the stomach due to pitta dosha, then taking 10 to 12 grams of honey mixed with 10 ml shatavari juice every morning is beneficial.

in headache

Crush the fresh fruit of asparagus and extract the juice. Boil this juice by mixing equal quantity of sesame oil. Massaging the head with this oil provides relief in headache and migraine.

in wound drying

Fry the powder of 20 grams of Shatavari leaves in double the ghee. Grind this powder well and apply it on the wound, old wounds are also cured.

in night blindness

Roast soft leaves of Shatavari in ghee and take, it provides relief in night blindness.

in fever

Mixing a little jaggery in 10 ml equal parts of Shatavar and Giloy and drinking it, it provides relief in fever.

stone problem

Mixing equal quantity of cow's milk in 20-30 ml juice made from the root of asparagus and drinking it, old stones also dissolve quickly.

Side Effects of Shatavari