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वन्यजीव सफारी (The Wild life safari) / चिड़ियाघर सफारी, राजगीर /जू-सफारी (Zoo safari) /नेचर सफारी (Nature Safari), Rajgir -2

नेचर सफारी (Nature Safari)

ज़ू सफारी के बाद आज चलते हैं नेचर सफारी की तरफ। हमलोग एक दिन ज़ू सफारी गए और अगले दिन नेचर सफारी। एक दिन में दोनों कवर करना थोड़ा हेक्टिक होगा, बाकि सबका अपने समय के अनुसार अपनी प्लानिंग। ज़ू सफारी में हम जानवरों के बीच थे और नेचर सफारी में बहुत कुछ था। 

ग्लास ब्रिज (Glass Bridge), Rajgir, Bihar

नेचर सफारी में हम खूबसूरत नजारों के बीच लुत्फ उठा सकते हैं - 👇

  • जू-सफारी (वन्यजीव सफ़ारी/ Zoo safari), 
  • ग्लास ब्रिज (Glass Bridge), 
  • पार्क (Park), 
  • सस्पेंशन ब्रिज (Suspension Bridge), 
  • जिपलाइन (Zipline), 
  • स्काई बाइकिंग (Sky Biking), 
  • राइफल शूटिंग (Rifle Shooting), 
  • वाल क्लाइम्बिंग (Wall Climbing), 
  • आर्चरी (Archery)
  • मड हट (Mud Hut) 
वन्यजीव सफारी (The Wild life safari) / चिड़ियाघर सफारी, राजगीर /जू-सफारी (Zoo safari) /नेचर सफारी (Nature Safari), Rajgir

जैसा कि पहले के ब्लॉग में बताया था नेचर सफारी में अलग अलग एक्टिविटी के चार्जेज अलग हैं। 

Nature Safari Activity Rate list
Nature Safari Activity Rate list

ग्लास ब्रिज (Glass Bridge)

सबसे पहले चलते हैं ग्लॉस ब्रिज (ग्लॉस स्काई वॉक) पर। चीन में ही नहीं बल्कि बिहार में भी है, दुनिया का सबसे खूबसूरत ब्रिज, राजगीर में बना यह ग्लास ब्रिज अपने आप में अनूठा है। बिहार के इस ग्लास ब्रिज का उद्गाटन 27 मार्च 2021 को मुख्यमंत्री ने किया था, इसके बाद इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था। पूर्वोत्तर भारत का यह पहला ग्लास ब्रिज अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर में है। राजगीर के इस ग्लास ब्रिज को चीन के हांगझोऊ ब्रिज की तर्ज पर बनाया गया है। दुनिया में कुछ गिनी चुनी जगह हैं, जहां इतने बड़े ग्लास के ब्रिज देखने को मिलेंगे। राजगीर का ग्लास ब्रिज भारत का दूसरा सबसे बड़ा ग्लास ब्रिज है। 
ग्लास ब्रिज (Glass Bridge), Rajgir, Bihar

कांच का ये पुल 200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ये 6 फीट चौड़ा है। पुल को काफी मजबूती से बनाया गया है।  राजगीर ब्रिज खूबसूरत जंगलों के बीच बना हुआ है, यहां जाकर 200 फीट की ऊंचाई से हम बिहार के खूबसूरत नजारे देख सकते हैं। यहां खड़े होकर प्रकृति को देखने का जो मजा है, वो शायद ही किसी पहाड़ी जगह पर देखने को मिल सकता है, क्यूंकि जब इस ब्रिज पर खड़े होकर नीचे देखते हैं तो लगता है मानो हम हवा में खड़े हैं और मानो जैसे सांसें थम जाती हैं। 
ग्लास ब्रिज (Glass Bridge), Rajgir, Bihar

ग्लास ब्रिज के डी सेक्टर यानी लास्ट प्वॉइंट पर एक साथ 10 लोग खड़े हो सकते हैं, जबकि ब्रिज के अन्य हिस्सों पर 40 लोग एक साथ घूम सकते हैं। ग्लास की मजबूती को लेकर फिक्र करने की जरुरत नहीं है, इसकी मोटाई 45 एमएम है जो तीन लेयर में है, फिर भी सांसे थोड़ी देर के लिए थमती जरूर हैं। 

पहाड़ी के उपर इस ब्रिज पर चलते हुए हम 85 फीट आगे अंतिम छोर पर पहुंचते हैं। मजे की बात यह है कि यह अंतिम छोर बिल्कुल हवा में है। मतलब की यह ब्रिज एक पहाड़ी को दूसरे पहाड़ी से जोड़ती नहीं है। 

सस्पेंशन ब्रिज (Suspension Bridge)

राजगीर की पहाड़ियों के बीच स्थित नेचर सफारी का हवा में हिलता-डुलता सस्पेंशन ब्रिज। यह राजगीर की पांच पहाड़ियों में शामिल वैभव गिरी की दो पर्वत श्रृंखलाओं को आपस में जोड़ता है। 300 फीट ऊपर हैंग कर रहे इस ब्रिज पर एक बार में 25 लोगों को ही चढ़ने की इजाजत दी जाती है। नेचर सफारी परिसर स्थित सस्पेंशन ब्रिज लगभग 25 करोड़ की लागत से थ्री लेयर सुरक्षा प्रणाली से लैस है। एक बार में इस ब्रिज पर 25 पर्यटकों से अधिक को जाने की अनुमति नहीं दी जाती है। 

सस्पेंशन ब्रिज (Suspension Bridge), Rajgir, Bihar

सबसे खास बात यह है कि सस्पेंशन ब्रिज दो छोटी पहाड़ियों के बीच गहरी खाई के ऊपर हैंग करता है। इस खाई की गहराई लगभग 300 फीट है। जबकि पुल की भी लंबाई 300 फीट है। सस्पेंशन ब्रिज की चौड़ाई लगभग साढ़े पांच फीट। पुल को प्लाइवुड सनमाइका को लोहे के रोप में मढ़ाई कर गहरी खाई के ऊपर से हैंग करवाया गया है। पुल के दोनों ओर लोहे की पतली जारी का लेयर लगाया गया है। ब्रिज के बीच में तैनात गार्ड लगातार गश्त कर ज्यादा देर खड़े पर्यटकों को सचेतकर आगे बढ़ने का निर्देश देते रहते हैं।

जिपलाइन (Zipline)


यहाँ पर जिप लाइनिंग का भी मज़ा ले सकते है। नेचर सफारी में वैभारगिरी पर्वत शृंखला के बीच एक जिप लाइन भी है। इसके लिए दो पहाड़ियों को जिप लाइन के माध्यम से एक दूसरे से जोड़ा गया है जिससे की पर्यटक पुली के सहारे लटक कर रस्सी के इस छोर से दूसरे छोर तक जा सकते हैं। 
जिप लाइन वीडियो 👆🏻

यह 500 मीटर दूर अगली पहाड़ी की छोर तक है। इसमें लोहे की रस्सी पर लाकर बेल्ट से बंधे पर्यटक हवा की सैर करते हैं। 250 फीट गहरी घाटियों और खाई के ऊपर इस पर्वतीय शृंखला को पार करते हैं। जिप लाइन के तीन फेज में बने ए से बी प्वाइंट पर जाना होता है। पुन: बी से सी प्वाइंट तक के बीच हवा की सैर करते पर्यटक उड़ते पक्षियों की तरह महसूस करते हैं।

टिकट लेने के बाद कुछ दुरी पैदल चलकर एक पहाड़ी पर पहुंचना होता है। वहाँ से ज़िप लाइनिंग शुरू होती। यहाँ से दूसरी पहाड़ी पर जाते हैं और वहाँ मौजूद कर्मी तुरंत बिना रुके आगे बढ़ा देता है और फिर शैलानी पहली पहाड़ी पर पहुँच जाते।  

स्काई बाइकिंग (Sky Biking/cycling)

स्काई साइकिलिंग वीडियो 👆🏻

यहाँ पर स्काई साइकिलिंग का भी मज़ा ले सकते है। नेचर सफारी के कैंप एरिया परिसर में जिप लाइन साइक्लिंग का रोमांच भी पर्यटकों को लुभाता है। यह लोहे के रोप से बना है। जमीन से 20 फीट ऊपर लोहे के रोप पर साइकिल चलाने के दौरान थ्रिल का एहसास होता है।  इसके लिए दो पहाड़ियों को जिप लाइन के माध्यम से एक दूसरे से जोड़ा गया है, जिसकी लंबाई सौ मीटर है, जिसपर साइकिलिंग की जाती है। इसपर पर्यटक साइकिलिंग करते हुए एक छोर से दूसरे छोर पर जाते हैं। वहाँ साइकिल घुमाई जाती है और जाने वाले वापस इस छोर पर पहुँच जाते हैं।

मड हाउस & ट्री-हाउस

ट्री-हाउस, Rajgir, Bihar
नेचर सफारी के द्वारा बिहार सरकार ईको-टूरिज़्म को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देना चाहती है और उनका ये प्रयास है की लोग प्रकृति के और भी करीब आए। इसीलिए उन्होंने नेचर सफारी में मड हाउस का निर्माण करवाया है। जिसे मिट्टी और भूसे की मदद से बनाया गया है। इसके अलावा ट्री-हाउस भी बनया गया है, जिससे पहले के लोग कैसे पेड़ों पर रहते थे इसका अनुभव यहाँ आने वाले पर्यटक भी कर सकें। इसका शुल्क 500 रुपये है।

राइफल शूटिंग & तीरंदाजी


नेचर सफारी में आर्चरी यानि तीरंदाजी तथा राइफल शूटिंग रेंज भी बनाया गया है। तीरंदाजी में लगभग दस मीटर दूर लक्ष्य को टारगेट करते हैं। निशाना साधते लोग एकबारगी धनुष-बाण चलाने जैसा महसूस करते हैं। वहीं दूसरी ओर राइफल शूटिंग रेंज में 15 मीटर दूर टारगेट को भेदना होता है। वहाँ मौजूद कर्मी उसको चलाने का तरीका बताता है। वैसे तो उसके बताने पर राइफल के होल से मुझे दिख नहीं रहा था, फिर भी पांच में से दो गोलियाँ निशाने पर थीं। 


राजगीर का यह सफर यादगार रहा।  उम्मीद है आपको पोस्ट पसंद आई होगी। 

हनुमान जयंती 2024 (Hanuman Jayanti / Hanuman Janmotsav)

हनुमान जयंती

हनुमान जयंती एक हिन्दू पर्व है। यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था। हनुमान जयंती हर साल राम नवमी के छह दिन बाद चैत्र पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस साल हनुमान जयंती मंगलवार, 23 अप्रैल 2024 आज मनाया जा रहा है। मंगवार का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए समर्पित है, ऐसे में इसी दिन हनुमान जयंती का होना बहुत शुभ माना जा रहा है। 

हनुमान जयंती 2024 (Hanuman Jayanti / Hanuman Janmotsav)

विष्णु जी के 7वें अवतार राम और शिव जी के 11वें रुद्रावतार हैं हनुमान

भगवान राम का जन्म श्रीहरि विष्णु के 7वें अवतार के रूप में धरती पर त्रेतायुग में हुआ। वहीं हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रूद्रावतार कहा जाता है। विष्णु जी के 7वें अवतार यानी भगवान राम का जन्म धरती लोक पर असुरों के संहार के लिए मानव रूप में हुआ, लेकिन इससे शिवजी चिंतित हो गए और रामजी की सहायता के लिए उन्होंने स्वयं हनुमानजी के रूप में जन्म लेकर रामजी की सहायता की। 

हनुमान जयंती 2024 (Hanuman Jayanti / Hanuman Janmotsav)

तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में लिखा है, ‘भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचंद्रजी के काज संवारे.’  अर्थात  रामजी सबके बिगड़े कार्य बनाते हैं, लेकिन हनुमान जी राम जी के काम बनाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि, हनुमान जी का जन्म प्रभु राम की सहायता और बिगड़े काम बनाने के लिए हुआ। 

हनुमान जयंती 2024 (Hanuman Jayanti / Hanuman Janmotsav)

सभी भक्तों को हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏

विश्व पृथ्वी दिवस 2024 || World Earth day 2024

विश्व पृथ्वी दिवस

लोगों के भीतर पर्यावरण के प्रति जागरुकता फैलाने और धरती को बचाने के लिए प्रति वर्ष 22 अप्रैल के दिन दुनियाभर में "विश्व पृथ्वी दिवस" मनाया जाता है। पहला पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल 1970 को संयुक्त राज्य अमेरिका में मनाया गया था। यह दिन पृथ्वी और इसके पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसकी सुरक्षा के लिए कार्रवाई करने का प्रतीक है। 

विश्व पृथ्वी दिवस 2024 || World Earth day 2024

औद्योगिक क्रांति के बाद से कार्बन उत्सर्जन काफी बढ़ा है। इसका बुरा असर हमारी पृथ्वी पर पड़ रहा है। इसके अलावा आज के इस पूंजीवादी विकास के मॉडल ने विभिन्न स्तरों पर प्रकृति को काफी क्षति पहुंचाया है। इस कारण पृथ्वी के संरक्षण की जरूरत महसूस हुई है। ऐसे में विकास की दौड़ के साथ-साथ प्रकृति के साथ संतुलन बनाने की आवश्यकता है। इस कारण पृथ्वी दिवस की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।

इस दिन लोग धरती को बचाने के लिए संकल्प लेते हैं। स्कूलों में अलग-अलग तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। कई सामाजिक कार्यकर्ता पृथ्वी को बचाने के लिए जुलूस और नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन करते हैं।

पृथ्वी दिवस की शुरुआत कैसे हुई

पृथ्वी दिवस का विचार पहली बार 1969 में यूनेस्को सम्मेलन में शांति कार्यकर्ता जॉन मैककोनेल द्वारा दिया गया था। प्रारंभ में, इस दिन की अवधारणा पृथ्वी का सम्मान करने और उस पर शांति बनाए रखने के लिए थी। 

विश्व पृथ्वी दिवस 2024 || World Earth day 2024

1990 में डेनिस हेस ने विश्व स्तर पर इस दिन को मनाने का विचार बनाया और इसमें 141 देशों ने भाग लिया। साल 2016 में, पृथ्वी दिवस को जलवायु संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया गया। इसके लिए एक अंतर-सरकारी संधि, पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। 2020 में पृथ्वी दिवस की 50वीं वर्षगांठ भी मनाई गई थी।

विश्व पृथ्वी दिवस 2024 थीम 

हर साल पृथ्वी दिवस को एक थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल पृथ्वी दिवस की थीम "पृथ्वी बनाम प्लास्टिक (Planet Vs Plastic)" है। इसके माध्यम से बढ़ते प्लास्टिक के उपयोग से मानव स्वास्थ्य को जिन जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है। उसके प्रति लोगों को जागरुक करना है। इसके अलावा तेजी से बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए वैश्विक संगठनों का ध्यान इस ओर खींचना है।

विश्व पृथ्वी दिवस 2024 || World Earth day 2024


English Translate 

World Earth Day

"World Earth Day" is celebrated across the world on 22 April every year to spread environmental awareness among people and save the earth. The first Earth Day was celebrated on 22 April 1970 in the United States. This day symbolizes raising awareness of the Earth and its environment and taking action to protect it.
विश्व पृथ्वी दिवस 2024 || World Earth day 2024

Carbon emissions have increased significantly since the Industrial Revolution. It is having a bad effect on our earth. Apart from this, today's model of capitalist development has caused considerable damage to nature at various levels. For this reason the need for conservation of the earth has been felt. In such a situation, there is a need to maintain balance with nature along with the race for development. For this reason the role of Earth Day becomes very important.

On this day people take a pledge to save the earth. Different types of programs are organized in schools. Many social workers also organize processions and street plays to save the earth.

How did Earth Day start?

The idea of Earth Day was first proposed by peace activist John McConnell at a UNESCO conference in 1969. Initially, the concept of this day was to honor the earth and maintain peace on it.

In 1990, Dennis Hayes came up with the idea of celebrating this day globally and 141 countries participated in it. In the year 2016, Earth Day was dedicated to climate protection. For this, an inter-governmental treaty, the Paris Agreement, was signed. The 50th anniversary of Earth Day was also celebrated in 2020.

World Earth Day 2024 Theme

विश्व पृथ्वी दिवस 2024 || World Earth day 2024
Every year Earth Day is celebrated with a theme. The theme of Earth Day this year is “Planet Vs Plastic”. Through this, the risks that human health is facing due to the increasing use of plastic. People have to be made aware about it. Apart from this, the attention of global organizations has to be drawn towards this to stop the rapidly increasing plastic pollution.

महावीर जयंती 2024 || Mahavir Jayant 2024

महावीर जयंती

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म उत्सव मनाया जाता है। इस बार महावीर जयंती  21 अप्रैल (आज) को मनाई जाएगी। भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। उनका जन्म ईसा पूर्व 599 वर्ष माना जाता है। उनके पिता राजा सिद्धार्थ और माता रानी त्रिशला थीं और बचपन में उनका नाम वर्द्धमान था।

महावीर जयंती 2024 || Mahavir Jayant 2024

महावीर जयंती जैन समुदाय का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। चैत्र माह के 13वें दिन यानी चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को जैन दिगंबर और श्वेतांबर एक साथ मिलकर इस उत्सव को मनाते हैं।

जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक है। उनका जीवन त्याग और तपस्या से परिपूर्ण था। उन्होंने एक लंगोटी तक का परिग्रह नहीं रखा। हिंसा, पशु बलि, जाती पाती के भेदभाव जिस युग में बढ़ गए उसी, युग में ही भगवान महावीर ने जन्म लिया। उन्होंने दुनिया को सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाया। पूरी दुनिया को उपदेश दिया।

महावीर स्वामी के माता-पिता जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ (पार्श्वनाथ महावीर से 250 वर्ष पूर्व हुए थे) के अनुयायी थे। महावीर जब शिशु अवस्था में थे, तब इंद्र और देव ने उन्हें सुमेरु पर्वत पर ले जाकर प्रभु का जन्म कल्याणक मनाया। महावीर स्वामी का बचपन राजमहल में बिता। युवावस्था में यशोदा नामक राजकन्या से महावीर का विवाह हुआ तथा प्रियदर्शना नामक उन्हें एक पुत्री भी हुई। जब वे 28 वर्ष के थे तभी उनके माता-पिता का देहांत हो गया। बड़े भाई नंदी वर्धन के आग्रह पर महावीर 2 वर्षों तक घर में रहे। आखिर 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने मार्गशीर्ष कृष्ण दशमी के दिन दीक्षा ग्रहण की।

महावीर जयंती 2024 || Mahavir Jayant 2024

महावीर स्वामी ने तप संयम और साधना की और पंच महाव्रत रूपी धर्म चलाया। उन्हें इस बात का अनुभव हो गया था कि इंद्रियों, विषय - वासनाओं के सुख दूसरों को दुख पहुंचा करके ही पाए जा सकते हैं। अतः उन्होंने सबसे प्रेम का व्यवहार करते हुए दुनियाभर को अहिंसा का पाठ पढ़ाया। महावीर कहते थे कि धर्म सबसे उत्तम है। अहिंसा, संयम और तप ही धर्म है। महावीर स्वामी कहते थे जो धर्मात्मा है जिनके मन में सदा धर्म रहता है उसे देवता भी नमस्कार करते हैं।

महावीर स्वामी ने अपने प्रवचनों में धर्म, सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह क्षमा पर सबसे अधिक जोर दिया और संयम, प्रेम और करुणा, शील और सदाचार ही उनके प्रवचनों के मुख्य अंश थे। महावीर स्वामी ने चतुर्भुज संघ की स्थापना की। देश के विभिन्न भागों में घूमकर महावीर स्वामी ने अपना पवित्र संदेश फैलाया।

उन्होंने दुनिया को पंचशील के सिद्धांत बताएं। इसके अनुसार के सिद्धांत सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय, अहिंसा और क्षमा है। उन्होंने अपने कुछ खास उद्देश्यों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाने की कोशिश की है। अनेक प्रवचनों से दुनिया का सही मार्गदर्शन किया है।

महावीर जयंती 2024 || Mahavir Jayant 2024

महावीर स्वामी के पंचशील सिद्धांत

सत्य: सत्य के बारे में भगवान महावीर स्वामी कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ। जो बुद्धिमान सत्य की ही आज्ञा में रहता है, वह मृत्यु को तैर कर पार कर जाता है।

अहिंसा: इस लोक में जितने भी त्रस जीव (एक, दो, तीन, चार और पांच इंद्रिय वाले जीव) आदि की हिंसा मत कर, उनको उनके पद पर जाने से ना रोको। उनके प्रति अपने मन में दया का भाव रखो। उनकी रक्षा करो। यही अहिंसा का संदेश भगवान महावीर अपने उपदेशों से हमें देते हैं।

अपरिग्रह: अपरिग्रह पर भगवान महावीर कहते हैं कि जो आदमी खुद सजीव या निर्जीव चीजों का संग्रह करता है, दूसरों से ऐसा संग्रह कराता है या दूसरों को ऐसे संग्रह करने की सम्मति देता है, उसको दुखों से कभी छुटकारा नहीं मिल सकता। यही संदेश अपरिग्रह के माध्यम से भगवान महावीर दुनिया को देना चाहते हैं।

ब्रम्हचर्य : महावीर स्वामी ब्रम्हचर्य के बारे में बहुत ही अनमोल उपदेश देते हैं कि ब्रम्हचर्य उत्तम तपस्या, नियम, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, संयम और विनय की जड़ है। तपस्या में ब्रह्मार्चय श्रेष्ठ तपस्या है। जो पुरुष, स्त्रियों से संबंध नहीं रखते वह मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ते हैं।

क्षमा: क्षमा के बारे में भगवान महावीर कहते हैं- 'मैं सब जीवो से क्षमा चाहता हूं। जगत के सभी जीवो के प्रति मेरा मैत्रीभाव है। मेरा किसी से वैर नहीं है। मैं सच्चे हृदय से धर्म में स्थिर हुआ हूं। सब जीवों से मैं सारे अपराधो की क्षमा मांगता हूं। सब जीवो ने मेरे प्रति जो अपराध किए हैं, उन्हें में क्षमा करता हूं।'

महावीर जयंती 2024 || Mahavir Jayant 2024

वे यह भी कहते हैं- 'मैंने अपने मन में जिन-जिन पाप की वृत्तीयों का संकल्प किया हो, वचन से जो-जो पापवृत्तीय प्रकट की हो, और शरीर से जो-जो पापवृत्तियां की हो, मेरी वह सभी पापवृत्तियां विफल हों। मेरे वे सारे पाप मिथ्या हों।

उन्होंने अपने जीवन काल में अहिंसा का भरपूर विकास किया। महावीर को 'वर्धमान', 'वीर', 'अतिवीर' भी कहा जाता है। पूरे विश्व को अध्यात्म का पाठ पढ़ाने वाले भगवान महावीर ने 72 वर्ष की आयु में कार्तिक कृष्ण अमावस्या की रात्रि में पावापुरी नगरी में मोक्ष प्राप्त किया।

भगवान महावीर के निर्वाण समय उपस्थित अट्ठारह गणराजाऔं ने रत्नों के प्रकाश से उस रात्रि को आलोकित करके भगवान महावीर का निर्वाण उत्सव मनाया।

शब्दों की ताकत

शब्दों की ताकत

एक नौजवान चीता पहली बार शिकार करने निकला। अभी वो कुछ ही आगे बढ़ा था कि एक लकड़बग्घा उसे रोकते हुए बोला, "अरे छोटू, कहाँ जा रहे हो तुम ?"

शब्दों की ताकत

"मैं तो आज पहली बार खुद से शिकार करने निकला हूँ !"चीता रोमांचित होते हुए बोला।

 हा-हा-हा-, लकड़बग्घा हंसा, अभी तो तुम्हारे खेलने-कूदने के दिन हैं, तुम इतने छोटे हो, तुम्हे शिकार करने का कोई अनुभव भी नहीं है, तुम क्या शिकार करोगे? लकड़बग्घे की बात सुनकर चीता उदास हो गया।

दिन भर शिकार के लिए वो बेमन इधर-उधर घूमता रहा, कुछ एक प्रयास भी किये पर सफलता नहीं मिली और उसे भूखे पेट ही घर लौटना पड़ा। अगली सुबह वो एक बार फिर शिकार के लिए निकला।

कुछ दूर जाने पर उसे एक बूढ़े बन्दर ने देखा और पुछा, "कहाँ जा रहे हो बेटा ?" "बंदर मामा, मैं शिकार पर जा रहा हूँ"- चीता बोला। बहुत अच्छे बन्दर बोला - ” तुम्हारी ताकत और गति के कारण तुम एक बेहद कुशल शिकारी बन सकते हो। जाओ तुम्हे जल्द ही सफलता मिलेगी।" यह सुन चीता उत्साह से भर गया और कुछ ही समय में उसने एक छोटे हिरन का शिकार कर लिया।

हमारी ज़िन्दगी में “शब्द” बहुत मायने रखते हैं। दोनों ही दिन चीता तो वही था, उसमें वही फूर्ति और वही ताकत थी पर जिस दिन उसे हतोत्साहित किया गया वो असफल हो गया और जिस दिन प्रोत्साहित किया गया वो सफल हो गया।


शिक्षा

इस छोटी सी कहानी से हम तीन ज़रूरी बातें सीख सकते हैं:-

पहली, हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम अपने “शब्दों” से किसी को प्रोत्साहित करें, हतोत्साहित नहीं। इसका ये मतलब नहीं कि हम उसे उसकी कमियों से अवगत न करायें, या बस झूठ में ही प्रोत्साहित करें।

दूसरी हम ऐसे लोगों से बचें जो हमेशा नकारात्मक सोचते और बोलते हों, और उनका साथ लेंवे जिनकी सोच सकारात्मक हो।

तीसरी और सबसे अहम बात, हम खुद से क्या बात करते हैं, खुद में हम कौन से शब्दों का प्रयोग करते हैं इसका सबसे ज्यादा ध्यान रखें, क्योंकि ये “शब्द” बहुत ताकतवर होते हैं। क्योंकि ये “शब्द” ही हमारे विचार बन जाते हैं, और ये विचार ही हमारी ज़िन्दगी की हकीकत बन कर सामने आते हैं, इसलिए दोस्तों,शब्दों की शक्ति को पहचानिये, जहाँ तक हो सके पॉजिटिव वर्ड्स का प्रयोग करिये, इस बात को समझिए कि ये आपकी ज़िन्दगी बदल सकते हैं।

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वन्यजीव सफारी (The Wild life safari)

नालंदा यूनिवर्सिटी के बाद अब चलते हैं राजगीर के "वाइल्ड लाइफ सफारी (वन्यजीव सफारी)" की तरफ, जो 16 फरवरी 2022 को जनता के लिए खोला गया था। वाइल्डलाइफ सफारी के अंदर बहुत कुछ देखने के साथ-साथ बहुत कुछ करने के लिए भी है। यहां हम प्रकृति के नजारे का लुत्फ भी उठा सकते हैं और साथ ही अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं तो वो ख्वाहिशें भी यहां पूरी हो सकती हैं। 

वन्यजीव सफारी (The Wild life safari)

वन्यजीव सफारी (The Wild life safari)

राजगीर पांच पहाड़ियों (विपुलगिरि, रत्नागिरी, उदयगिरि, स्वर्णगिरि और वैभारगिरि) से घिरा एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल है। राजगीर की वादियों की मनमोहक छटा सैलानियों को अपनी तरफ आकर्षित करने वाली है और इस खूबसूरती में यह वन्यजीव सफारी चार चाँद लगा रहा है। इस वन्यजीव सफारी के दो पार्ट कर सकते हैं - "नेचर सफारी (Nature Safari) और ज़ू सफारी (Zoo Safari)"। 

नेचर सफारी में हम यहां के खूबसूरत नजारों के बीच लुत्फ उठा सकते हैं - 👇

  • जू-सफारी (वन्यजीव सफ़ारी/ Zoo safari), 
  • ग्लास ब्रिज (Glass Bridge), 
  • पार्क (Park), 
  • सस्पेंशन ब्रिज (Suspension Bridge), 
  • जिपलाइन (Zipline), 
  • स्काई बाइकिंग (Sky Biking), 
  • राइफल शूटिंग (Rifle Shooting), 
  • वाल क्लाइम्बिंग (Wall Climbing), 
  • आर्चरी (Archery)
  • मड हट (Mud Hut) 
वन्यजीव सफारी (The Wild life safari) Entry Point
View of Entry Point 

हमने ऑनलाइन टिकट बुक कर रखी थी। कुछ लोग वहां पहुँच कर भी टिकट बुक कर रहे थे। अंदर दो लाइन थी एक ज़ू सफारी के लिए और एक नेचर सफारी के लिए। कुछ लोगों को एक साथ अंदर भेजा जा रहा था। जिस गैलरी से होकर अंदर जाना था वहाँ का मुख्य आकर्षण आदमकद जंगली जानवरों की मूर्तियों वाला एक सेल्फी प्वाइंट है। 

वन्यजीव सफारी (The Wild life safari)

इसके बाद हम पहुँच जाते हैं एक 180 डिग्री 3डी थिएटर ओरिएंटेशन सेंटर में। जहाँ हमें लगभग 10 मिनट की वीडियो क्लिप दिखाई जाती है, जिसमें वन्य जीवों के बारे में जानकारी दी जाती है और साथ ही प्लास्टिक के दुष्प्रभाव को बताया जाता है। हम कह सकते हैं कि इस वीडियो में हमें जंगल में जंगली जानवरों को देखने के अलावा, आगंतुकों को वन्य जीवन और उनके संरक्षण के बारे में जागरूक करने का प्रयास किया गया है। 

वन्यजीव सफारी (The Wild life safari)

अंदर खाने पीने की व्यवस्था है, जो सामान्य रेट पर ही उपलब्ध है, जिसमें चाट, समोसे, कचौड़ी, गुलाब जामुन, चाय, कोल्ड ड्रिंक्स हैं, जहाँ हमें बैठ कर अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी होती है। बारी आने पर अनाउंसमेंट होती और फिर शुरू होता ज़ू सफारी और नेचर सफारी का सफर। 

वन्यजीव सफारी (The Wild life safari)
Wow❣️

जू-सफारी (Zoo safari)

अनाउंसमेंट के बाद हमें जाकर गाड़ी में बैठ जाना होता है और फिर हम पहुँच जाते हैं जंगली जानवरों के बीच में, जहाँ जानवर खुले में होते और हम पिंजरे में मतलब गाड़ी में। 

ज़ू तो हमने बहुत से घूम रखे हैं कल पटना का ज़ू भी घूम कर ही आये थे, पर बहुत अंतर है ज़ू और ज़ू सफारी में। ज़ू में जानवर कैद में होते और ज़ू सफारी में हम कैद में होते। थोड़ा जान लेते हैं इस ज़ू सफारी के बारे में। इस सफारी के अंदर पार्क भी है, जहां पौधों को काटकर अलग-अलग जानवरों की आकृति दी गई है।

जू-सफारी (Zoo safari), Rajgir

बिहार के इस पहले जू-सफारी में पर्यटकों की सुविधा का खास ख्याल रखा गया है। पर्यटक शीशे की बंद गाड़ी में सफारी का मजा लेते हैं। गर्मी के दिनों में सैलानियों को परेशानी न हो इस वजह से सभी गाड़ियांँ एयर कंडीशन हैं। इन गाड़ियों में एक ड्राइवर होता, निःसंदेह जो गाड़ी चलाता है और उसकी बगल की सीट पर एक कंडक्टर था, जो टिकट देने के लिए नहीं बल्कि हास्यात्मक तरीके से वहाँ के जानवरों की जानकारी दे रहा था। 

जू-सफारी (Zoo safari), Rajgir

191 हेक्टेयर (470 एकड़) में बने जू सफारी में शेर, बाघ, तेंदुआ, भालू और हिरण का अलग-अलग सफारी बना हुआ है। अपने इलाके में ये जानवर विचरण करते नजर आते हैं। हमलोग मजबूत ग्लास (शीशा) लगे बंद वाहन में सवार होकर उन्हें नजदीक से देख पा रहे थे। सभी जानवरों के अलग-अलग सफारी हैं। सुरक्षा की दृष्टि से प्रवेश द्वार पर दो-दो गेट बने हैं। एक में प्रवेश के बाद उसके बंद होने के बाद दूसरा गेट खुलता है और हम पहुँच जाते हैं जानवरों के बीच। 

मुख्य जंगली जानवरों की प्रजातियों में चीतल , सांभर , काला हिरण , हॉग हिरण, बार्किंग हिरण, जंगली सूअर , स्लॉथ भालू , भारतीय तेंदुआ , रॉयल बंगाल टाइगर और एशियाई शेर शामिल हैं। आगंतुकों को एक सुरक्षित पर्यावरण-अनुकूल वाहन से जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास में करीब से देखना ही इस ज़ू सफारी को अन्य ज़ू से अलग बनाता है।

जू-सफारी (Zoo safari), Rajgir
गाड़ी के अंदर से ली गयी तस्वीरें 

ब्लॉग बहुत लंबा हो रहा इसलिए आज सिर्फ ज़ू सफारी। कल चलते हैं नेचर सफारी के सफर पर।  

अल्बर्ट आइंस्टीन || Albert Einstein

 अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein)

Born: 14 March 1879, Ulm, Germany
Died: 18 April 1955 (age 76 years), Princeton, New Jersey, United States

एक जर्मन मूल केसैद्धांतिक भौतिक विज्ञानीजिन्हें व्यापक रूप से सभी समय के सबसे महान और सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों में से एक माना जाता है।

अल्बर्ट आइंस्टीन || Albert Einstein ||

अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय 

शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो अल्बर्ट आइंस्टीन को ना जानता हो। अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व के जाने-माने वैज्ञानिक और भौतिक शास्त्री थे। आज ही के दिन 14 मार्च 1879 को अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म हुआ था। अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने जीवन में बहुत से अविष्कार किये, कुछ अविष्कारों के लिए आइंस्टीन का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। वे एक सफल और बहुत ही बुद्धिमानी वैज्ञानिक थे। आधुनिक समय में भौतिकी को सरल बनाने में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। सन 1921 में अल्बर्ट आइंस्टीन को उनके अविष्कारों के लिए नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था। अल्बर्ट आइंस्टीन ने कड़ी मेहनत कर यह मुकाम हासिल किया था। अल्बर्ट आइंस्टीन को गणित में भी बहुत रूचि थी। इन्होंने भौतिकी को सरल तरीके से समझाने के लिए बहुत से अविष्कार किये, जोकि लोगों के लिए प्रेरणादायक है। 

अल्बर्ट आइंस्टीन ||  Albert Einstein

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म और शिक्षा

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च सन 1879 को जर्मनी के उल्म शहर में हुआ था। किन्तु जर्मनी के म्युनिच शहर में वे बड़े हुए और उनकी शिक्षा का आरम्भ भी वही से हुआ। आइंस्टीन बचपन में पढ़ाई में बहुत ही कमजोर थे, जिसके कारण उनके कुछ अध्यापकों ने उन्हें मानसिक रूप से विकलांग कहना शुरू कर दिया। 9 साल की उम्र तक वे बोलना नहीं जानते थे। वे प्रकृति के नियमों, आश्चर्य की वेदना का अनुभव, कंपास की सुई की दिशा आदि में मंत्रमुग्ध रहते थे। उन्होंने 6 साल की उम्र में सारंगी बजाना शुरू कर दिया था और अपनी पूरी जिन्दगी में इसे बजाना जारी रखा। 12 साल की उम्र में इन्होंने ज्यामिति की खोज की एवं उसका सजग और कुछ प्रमाण भी निकाला। 16 साल की उम्र में, वे गणित के कठिन से कठिन प्रश्न को बड़ी आसानी से हल कर लेते थे। 

अल्बर्ट आइंस्टीन || Albert Einstein ||

अल्बर्ट आइंस्टीन की सेकेंडरी पढ़ाई 16 साल की उम्र तक ख़त्म हो चुकी थी। उनको स्कूल पसंद नही था, वे बिना किसी को परेशान किये, विश्वविद्यालय में जाने के अवसर को ढूंढने की योजना बनाने लग। उनके अध्यापक ने उन्हें वहाँ से हटा दिया, क्यूंकि उनका बर्ताव अच्छा नहीं था, जिसके कारण उनके सहपाठी प्रभावित होते थे। अल्बर्ट आइंस्टीन स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिच में "फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी" में जाने के लिए प्रयास करने लगे, किन्तु वे वहाँ के दाखिले की परीक्षा में असफल हुए। फिर उनके प्राध्यापक ने सलाह दी कि सबसे पहले उन्हें स्विट्ज़रलैंड के आरौ में "कैनटोनल स्कूल" में डिप्लोमा करना चाहिए। उसके बाद सन 1896 में फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में अपने आप ही दाखिला मिल जायेगा। उन्होंने प्राध्यापक की सलाह को समझा, वे यहाँ जाने के लिए बहुत ज्यादा इक्छुक थे और वे भौतिकी और गणित में अच्छे थे। 

अल्बर्ट आइंस्टीन ||  Albert Einstein

सन 1900 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने फ़ेडरल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से अपने ग्रेजुएशन की परीक्षा पास की, किन्तु उनके एक अध्यापक उनके खिलाफ थे, उनका कहना था की आइंस्टीन युसूअल युनिवर्सिटी असिस्टेंटशिप के लिए योग्य नही है। 1902 में उन्होंने स्विट्ज़रलैंड के बर्न में पेटेंट ऑफिस में एक इंस्पेक्टर को रखा। उन्होंने 6 महीने बाद मरिअक से शादी कर ली जो उनकी ज्युरिच में सहपाठी थी। उनके 2 बेटे हुए, तब वे बर्न में ही थे और उनकी उम्र 26 साल थी। उस समय उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और अपना पहला क्रांतिकारी विज्ञान सम्बन्धी दस्तावेज लिखा। 

अल्बर्ट आइंस्टीन || Albert Einstein ||

अल्बर्ट आइंस्टीन के रोचक तथ्य 

  • अल्बर्ट आइंस्टीन अपने आप को संशयवादी कहते थे, वे खुद को नास्तिक नहीं कहते थे।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन अपने दिमाग में ही सारे प्रयोग का हल निकाल लेते थे।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन में पढाई में और बोलने में कमजोर हुआ करते थे।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु के बाद एक वैज्ञानिक ने उनके दिमाग को चुरा लिया था, फिर वह 20 साल तक एक जार में बंद था।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन को नॉबल पुरस्कार भी मिला किन्तु उसकी राशि उन्हें नही मिल पाई।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन को राष्ट्रपति के पद के लिए भी अवसर मिला।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन युनिवर्सिटी की दाखिले की परीक्षा में फेल भी हो चुके है।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन की याददाश बहुत ख़राब होने के कारण, उनको किसी का नाम, नम्बर याद नही रहता था।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन की आँखे एक सुरक्षित डिब्बे में रखी हुई है।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन के पास खुद की गाड़ी नही थी, इसलिए उनको गाड़ी चलाना भी नहीं आता था।
  • अल्बर्ट आइंस्टीन का एक गुरुमंत्र था "अभ्यास ही सफलता का मूलमंत्र है"। 

अल्बर्ट आइंस्टीन के सुविचार 

  • वक्त बहुत कम है यदि हमें कुछ करना है तो अभी से शुरुआत कर देनी चाहिए।
  • आपको खेल के नियम सिखने चाहिए और आप किसी भी खिलाड़ी से बेहतर खेलेंगे।
  • मुर्खता और बुद्धिमता में सिर्फ एक फर्क होता है कि बुद्धिमता की एक सीमा होती है। 


अल्बर्ट आइंस्टीन को पुरस्कार 

अल्बर्ट आइंस्टीन को निम्न पुरस्कारों से नवाज़ा गया 

  • भौतिकी का नॉबल पुरस्कार सन 1921 में दिया गया।
  • मत्तयूक्की मैडल सन 1921 में दिया गया।
  • कोपले मैडल सन 1925 में दिया गया।
  • मैक्स प्लांक मैडल सन 1929 में दिया गया।
  • शताब्दी के टाइम पर्सन का पुरस्कार सन 1999 में दिया गया।
अल्बर्ट आइंस्टीन ||  Albert Einstein

अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु 

जर्मनी में जब हिटलर शाही का समय आया, तो अल्बर्ट आइंस्टीन को यहूदी होने के कारण जर्मनी छोड़ कर अमेरिका के न्यूजर्सी में आकर रहना पड़ा। अल्बर्ट आइंस्टीन वहाँ के प्रिस्टन कॉलेज में अपनी सेवाएं दे रहे थे और उसी समय 18 अप्रैल 1955 में उनकी मृत्यु हो गई।

English Translate

Albert Einstein

Born: 14 March 1879, Ulm, Germany
Died: 18 April 1955 (age 76 years), Princeton, New Jersey, United States


A German-born theoretical physicist who is widely considered one of the greatest and most influential scientists of all time.

Biography of Albert Einstein

There is hardly any person who does not know Albert Einstein. Albert Einstein was a world famous scientist and physicist. On this day, March 14, 1879, Albert Einstein was born. Albert Einstein made many inventions in his life, for some inventions Einstein's name got recorded in the pages of history. He was a successful and very intelligent scientist. He has made a huge contribution in simplifying physics in modern times. In 1921, Albert Einstein was awarded the Nobel Prize for his inventions. Albert Einstein had achieved this position by working hard. Albert Einstein was also very interested in mathematics. He made many inventions to explain physics in a simple way, which is inspiring for people.

Birth and education of Albert Einstein

Albert Einstein was born on March 14, 1879 in the city of Ulm, Germany. But he grew up in Munich city of Germany and his education also started from there. Einstein was very weak in studies in his childhood, due to which some of his teachers started calling him mentally handicapped. He did not know how to speak until the age of 9. He was fascinated by the laws of nature, the pang of wonder, the direction of the compass needle, etc. He started playing Sarangi at the age of 6 and continued playing it throughout his life. At the age of 12, he discovered geometry and also derived some proofs of it. At the age of 16, he could solve the most difficult mathematics problems with ease.

Albert Einstein's secondary education was over by the age of 16. He didn't like school, so he started planning to find a chance to go to university without bothering anyone. His teacher removed him from there because his behavior was not good, which affected his classmates. Albert Einstein tried to get into the "Federal Institute of Technology" in Zurich, Switzerland, but he failed the entrance examination there. His professor then advised him to first pursue a diploma at the "Cantonal School" in Aarau, Switzerland. After that, he would automatically get admission in the Federal Institute of Technology in 1896. He understood the professor's advice, he was very interested in going here, and he was good at physics and mathematics.

In 1900, Albert Einstein passed his graduation examination from the Federal Institute of Technology, but one of his teachers was against him, saying that Einstein was not qualified for the usual university assistantship. In 1902 he held an inspectorship at the patent office in Bern, Switzerland. He married Mariak, his classmate in Zurich, six months later. He had two sons, when he was still in Bern and he was 26 years old. At that time he obtained his doctorate degree and wrote his first revolutionary scientific paper.

Interesting facts about Albert Einstein

  • Albert Einstein called himself a skeptic, he did not call himself an atheist.
  • Albert Einstein used to solve all the experiments in his own mind.
  • Albert Einstein was weak in studies and speaking in his childhood.
  • After Albert Einstein's death, a scientist stole his brain, then it was kept in a jar for 20 years.
  • Albert Einstein also received the Nobel Prize but he could not get its amount.
  • Albert Einstein also got the opportunity for the post of President.
  • Albert Einstein has also failed in the university entrance examination.
  • Due to Albert Einstein's very poor memory, he could not remember anyone's name or number.
  • Albert Einstein's eyes are kept in a safe box.
  • Albert Einstein did not have his own car, so he did not even know how to drive.
  • One of Albert Einstein's gurumantra was "Practice is the key to success".

Thoughts of Albert Einstein

  • Time is very short, if we have to do something then we should start from now.
  • You must learn the rules of the game and you will play better than any player.
  • The only difference between stupidity and intelligence is that intelligence has a limit.

Albert Einstein Award

Albert Einstein was awarded the following awards

  • The Nobel Prize for Physics was given in 1921.
  • Matteucci Medal was awarded in 1921.
  • Copley Medal was given in 1925.
  • Max Planck Medal was given in 1929.
  • The Time Person of the Century award was given in 1999.

death of albert einstein

When the time of Hitler's rule came in Germany, Albert Einstein, being a Jew, had to leave Germany and come to live in New Jersey, America. Albert Einstein was serving at Princeton College there.