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औषधियों में विराजमान नवदुर्गा

औषधियों में विराजमान नवदुर्गा

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।
Navdurga

एक मत के अनुसार ब्रह्माजी के दुर्गा कवच में वर्णित नवदुर्गा नौ विशिष्ट औषधियों में विराजमान हैं। यह नौ  औषधियां ऐसी हैं, जिनमें मां दुर्गा के नौ रूप विराजमान है। इन 9 औषधियों को दुर्गा कवच कहा जाता है क्योंकि मानना है कि यह औषधियां रोगों को हरने वाली और उनसे बचा कर रखने के लिए एक कवच के रूप में कार्य करती हैं। आज नव दुर्गा का पांचवा दिन है। इसमें मां दुर्गा के पांचवें रूप स्कंदमाता की पूजा की जाती है। आज यहां नवरात्र के 9 दिनों से संबंधित इन दिव्य गुणों वाली 9 औषधियों के बारे में जानते हैं।

1. प्रथम शैलपुत्री (हरड़) :- 

मां दुर्गा के नौ रूपों में प्रथम शैलपुत्री के रूप में जाना जाता है। इसी प्रकार औषधियों में प्रथम औषधि हरण को चिकित्सा शास्त्र में प्रथम स्थान प्राप्त है। यह सात प्रकार की होती है। इसको हरीतकी के नाम से भी जानते हैं। कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है, जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है। यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है। 

प्रथम शैलपुत्री (हरड़)

2. ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी) : -

मां दुर्गा का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का है। ब्राह्मी मन, मस्तिष्क और स्मरण शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ रक्त संबंधी समस्याओं को दूर करती है और स्वर को मधुर करने में मदद करती है। अतः कहा गया है कि इन समस्याओं से ग्रस्त लोगों को ब्रह्मचारिणी की आराधना करनी चाहिए तथा ब्राह्मी का सेवन करना चाहिए। ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है। इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है।

ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी)

3. चंद्रघंटा (चंदुसूर) : -

मां दुर्गा का तृतीय रूप चंद्रघंटा का है। इसको चंदुसूर से जोड़ा गया है। यह एक ऎसा पौधा है, जो धनिए के समान है। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है। इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं। इस पौधे में कई औषधीय गुण है। यह शक्ति को बढ़ाने वाली एवं ह्रदय रोग को ठीक करने वाली चंद्रिका औषधि है। अतः इन बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को मां चंद्रघंटा की पूजा और प्रसाद के रूप में चंदुसूर ग्रहण करना चाहिए।

चंद्रघंटा (चंदुसूर)

4. कूष्मांडा (पेठा) : -

मां दुर्गा का चौथा रूप कुष्मांडा का है। कुष्मांडा अर्थात पेठा, इसे साधारण बोलचाल की भाषा में कुम्हड़ा (कोहड़ा) भी कहा जाता है। इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है। इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। यह रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रोगों में यह अमृत समान है। यह हृदय रोगियों के लिए भी लाभदायक होता है। कोलेस्ट्रोल को कम करने वाला, ठंडक पहुंचाने वाला और मूत्र वर्धक होता है। यह पेट की गड़बड़ियों में भी असरदायक है।

कूष्मांडा (पेठा)

5. स्कंदमाता (अलसी) :-

मां दुर्गा का पांचवा रूप स्कंदमाता का है। देवी स्कंदमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है। अलसी कई औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। इसके प्रतिदिन सेवन से कई रोगों से छुटकारा मिलता है। इसमें ओमेगा-3 और फाइबर बहुत अधिक मात्रा में होता है।

स्कंदमाता (अलसी)

6. कात्यायनी (मोइया) :- 

मां दुर्गा का छठा रूप कात्यायनी है। देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है। जैसे- अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका। इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं। यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है।

स्कंदमाता (अलसी)

7. कालरात्रि (नागदौन) : -

मां का सातवां रूप कालरात्रि का है। यह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं। यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है।

कालरात्रि (नागदौन)

8. महागौरी (तुलसी) : -

माता का आठवां रूप महागौरी का है। महागौरी का औषधीय नाम तुलसी है और इसको प्रत्येक व्यक्ति औषधि के रूप में जानता है। इसे घर में लगाकर इन की पूजा की जाती है। पौराणिक महत्व से तुलसी एक औषधि है, जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है। तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। ये रक्त को साफ कर ह्वदय रोगों का नाश करती है। 

महागौरी (तुलसी)

9. सिद्धिदात्री (शतावरी) : -

मां का नवा रूप सिद्धिदात्री का है, जिसे नारायणी शतावरी कहते हैं। बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है। शतावरी का नियम पूर्वक सेवन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं।

सिद्धिदात्री (शतावरी)

इस नवरात्रि आपसब को समृद्धि एवं आरोग्य की शुभकामनाओं सहित

औषधियों में विराजमान नवदुर्गा


28 comments:

  1. जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
    जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे 🙏🙏

    मां दुर्गा को भी औषधियों से जोड़ दिया

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    1. हम नहीं जोड़े..हमारी धार्मिक संस्कृति ही ऐसी विशालता और वैज्ञानिकता समेटे हुए है। सभी पूजा पाठ की पद्धतियों में कुछ विज्ञान है...

      जय माता दी 🙏🙏

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  2. जय हो माता रानी की 🙏🏻 🙏🏻 🌷

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  3. नव दुर्गा के साथ औषधि भी जुड़ी है। ये औषधियां मानव जाति के लिए बहुत ही लाभदायक हैं।
    सभी को नवरात्र की बधाई।

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  4. प्रेम से बोलों जय माता दी सारे बोलों जय माता दी मिल कर बोलों जय माता दी🙏🙏🙏🙏

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  5. मां दुर्गा के नौ रूप के साथ इन औषधियों से जोड़कर आज का यह ब्लॉग बहुत महत्वपूर्ण है..
    अदभुत जानकारी 👌👌
    जय माता दी 🙏

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  6. सनातन धर्म ऐसा ही है। यहां हमारे पूजा पाठ की पदत्तियों में भी विज्ञान है।

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  7. हमारी पूजा पद्धति भी औषधि का कार्य करती हैं,विशेष रूप से मानसिक रोगों में।

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  8. अति सुन्दर जानकारी। आप ऐसी दुर्लभ जानकारी के लिए बधाई की पात्र हैं।।

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  9. Nayi jankari.. Very good article

    Jai mata di

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  10. माँ नव-दूर्गा के नौ रूपों में
    विद्यमान हैं नौ औषधियाँ
    दूर्गा-कवच अद्भुत-अनोखा
    दूर करें कई रोग-व्याधियाँ
    सनातन-धर्म-संस्कृति को
    बीत गई अनगिनत सदियां
    सदैव विज्ञान पर आधारित
    सनातन की कई पद्धतियां
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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