ओए छोटू (एक बाल श्रमिक)
हमारे हिंदुस्तान में ओए छोटू शब्द बहुत प्रसिद्ध है। एक नाम किसी इंसान की पहचान होती है। अक्सर हम जब कही लंबी दूरी की यात्रा करते हैं, तो नाश्ते पानी करने के लिए किसी ढाबे या टपरी पर रुकते हैं और उस छोटू के नाम से मशहूर बच्चे को आदेश देते हैं। कभी वो आदेश प्यार से होता है तो कभी बिल्कुल बेरुखा।
मुझे लगता है बहुत ही कम लोग होंगे, जिसने ये जानने की कोशिश की होगी कि ये छोटू जिससे आज किसी स्कूल में होना चाहिए था, जिसके हाथ में पेन्सिल या पेन होना चाहिए था, वो आज यहाँ ढाबे पर क्या कर रहा है? जिन हाथों से उससे कोई सुंदर शब्द लिखना चाहिए, वो उन हाथों से बड़े बड़े बर्तन क्यों धुल रहा है?
आज तो ये स्थिति हैं की वो ढाबे पर वाला छोटू अब हमारे घर में भी आ गया हैं हमारे घर में बर्तन धोता हैं झाड़ू लगता हैं पोछा लगता हैं अगर उसके पास थोड़ा समय बच जाता हैं तो हम अपना कुत्ता या अपना छोटा बच्चा टहलने की जिम्मेदारी छोटू को दे देते हैं, हमारी नज़रो में छोटू हमारा बंधुआ मज़दूर हैं, सब से मजे की बात तो ये हैं की रात का कुछ बच जाता हैं तो हम बड़ी मोहब्बत से चर्चा करते हुए उसको छोटू के लिए रख देते हैं की कल सुबह छोटू बेचारा आएगा तो खा लेगा।।
पने देश के समक्ष बालश्रम की समस्या एक चुनौती बनती जा रही है। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम भी उठाये हैं। समस्या के विस्तार और गंभीरता को देखते हुए इसे एक सामाजिक-आर्थिक समस्या मानी जा रही है जो चेतना की कमी, गरीबी और निरक्षरता से जुड़ी हुई है। इस समस्या के समाधान हेतु समाज के सभी वर्गों द्वारा सामूहिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
वर्ष 1979 में भारत सरकार ने बाल-मज़दूरी की समस्या और उससे निज़ात दिलाने हेतु उपाय सुझाने के लिए 'गुरुपाद स्वामी समिति' का गठन किया था। समिति ने समस्या का विस्तार से अध्ययन किया और अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की। उन्होंने देखा कि जब तक गरीबी बनी रहेगी तब तक बाल-मजदूरी को हटाना संभव नहीं होगा। इसलिए कानूनन इस मुद्दे को प्रतिबंधित करना व्यावहारिक रूप से समाधान नहीं होगा। ऐसी स्थिति में समिति ने सुझाव दिया कि खतरनाक क्षेत्रों में बाल-मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया जाए तथा अन्य क्षेत्रों में कार्य के स्तर में सुधार लाया जाए। समिति ने यह भी सिफारिश की कि कार्यरत बच्चों की समस्याओं को निपटाने के लिए बहुआयामी नीति बनाये जाने की जरूरत है।
आपने देश से अगर ये छोटू शब्द को ख़तम करना हैं तो सरकार के साथ साथ थोड़ा प्रयास हम सब को भी करना होगा अगर आप करने के लिए सक्षम हैं तो किसी छोटू की मदद करिये और उसको स्कूल तक पहुंचने में उसकी और उसके घर वालो की मदद करिये अपने घर में किसी छोटू को काम करेके लिए न रखे तभी ये देश और समाज में परिवर्तन आएगा आज जिस गरीबी की हम बात करते हैं उसको मिटने के लिए हर छोटू का पढ़ना आवश्यक हैं।
Child Labour
Oy Chotu word is very famous in our Hindustan. A name is the identity of a person. Often when we travel long distances, we stop at some dhaba or tapri to have breakfast and water and order that child popularly known as chhotu. Sometimes that order is done with love and sometimes it is completely rude.
I think there will be very few people, who must have tried to know that this shorty, who should have been in some school today, who should have had a pencil or pen in his hand, what is he doing here at the dhaba today? Why is he washing big utensils with the hands with which he should write a beautiful word?
Today it is such a situation that that dhaba chotu has now come to our house too, washes dishes in our house, takes a broom, feels like mopping, if he has some time left, then we take the responsibility of taking our dog or our little child for a walk. We give it to Chhotu, in our eyes, Chhotu is our bonded laborer, the most interesting thing is that if some of the night is left, then we keep it for Chhotu, discussing with great love that tomorrow morning Chhotu is poor If he comes, he will eat.
The problem of child labor is becoming a challenge before our country. The government has also taken several steps to deal with this problem. Considering the extent and severity of the problem, it is being considered as a socio-economic problem which is associated with lack of consciousness, poverty and illiteracy. Collective efforts are needed by all sections of the society to solve this problem.
In the year 1979, the Government of India had formed 'Gurupad Swami Committee' to suggest the problem of child labor and ways to get rid of it. The committee studied the problem in detail and submitted its recommendations. He saw that as long as poverty remained, it would not be possible to remove child labor. So restricting the issue by law would not be a practical solution. In such a situation, the committee suggested that child labor should be banned in hazardous areas and the standard of work should be improved in other areas. The committee also recommended that there is a need to formulate a multi-pronged policy to deal with the problems of working children.
If you want to eliminate this short word from the country, then along with the government, we all have to make a little effort, if you are able to, then help any shorty and help him and his family members to reach his school. Do not keep any shorty in your house for work, only then this country and society will change, in order to eradicate the poverty we talk about today, it is necessary to read every shorty.
आज कहा जाता है कि पढेलिखे लोग ही देश में परिवर्तन ला सकते है लेकिन यह पढा लिखा वर्ग की इस छोटू को जन्म भी देता है बहुत लोग बेरोजगार है काम करवाना है तो उनसे करवाइए किसी बालक को बाल श्रमिक न बनाए ये सरकार के साथ साथ हमारी भी जिम्मेदारी है।
ReplyDeleteबाल श्रम अपराध है।
ReplyDeleteबाल श्रम अपराध है।
ReplyDeleteMem an excellent artical, by which the society has been awakened by you thanks for a specific knowledge given by you
ReplyDeleteबाल श्रम या बाल मजदूरी हमारे देश के लिए अभिशाप है।अतः हमें अपने स्वार्थ में बाल श्रम नहीं करना चाहिए।
ReplyDeleteनासमझ है-भोला है-मासूम है
ReplyDeleteदुनियादारी उन्हें क्या मालूम है
हमें उनके सपनों को सजाना है
उनका बेकसूर बचपन बचाना है
यकीनन बचपन बड़ा निराला है
मौज-मस्ती का एक प्याला है
उनके हक का जीवन जीने दो
वो बच्चे तो कल का उजाला है
🤔बाल मजदूर कितने मजबूर🤔
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
बाल श्रम बहुत बड़ा अपराध है
ReplyDeleteकितने बाल मजदूर काम करते है
ReplyDeleteकिसी के घर-ढाबे या टपरी पर
कुछ ऐसा क्यों नहीं करते हम सब
उनकी जिंदगी आ जाए पटरी पर
उनका भी ख्वाब है कि जिंदगी में
कुछ ना कुछ बनना और बनाना
जरा सोचो आप सब-वो मांग तो
नहीं रहे आप सबसे कोई खजाना
#बाल_मजदूर_है_मजबूर
नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी
good article
ReplyDeleteबाल श्रम से संबंधित जागरूक करने वाला आलेख।
ReplyDeleteकितने बाल मजदूर काम करते है
ReplyDeleteकिसी के घर-ढाबे या टपरी पर
कुछ ऐसा क्यों नहीं करते हम सब
उनकी जिंदगी आ जाए पटरी पर
उनका भी ख्वाब है कि जिंदगी में
कुछ ना कुछ बनना और बनाना
जरा सोचो आप सब-वो मांग तो
नहीं रहे आप सबसे कोई खजाना
#बाल_मजदूर_है_मजबूर
नसीब के मारे-नासमझ-बाल मजदूर है
अपने सारे सपनों से तो वो बहुत दूर है
नन्हे कंधो पर काम का बोझ डाल दिया
आज का ये जमाना देखो कितना क्रूर है
क्या उनको ढंग से जीने का भी हक नहीं
क्या उनमें पढ़ने लिखने की ललक नहीं
कितनी मतलबी हो गई है सारी दुनिया
इस बात पर मुझे तो अब कोई शक नहीं
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
bahut hi samvedansheel mudda ha. in bacchon ko dekh kar dya bhi aati hai. per asli jimmedar to in bacchon ke maa pita hi hain.
ReplyDeleteबहुत बुरा लगता छोटे-छोटे बच्चों को दुकानों पर स्टेशनों पर और जगह-जगह ढाबों पर काम करते देखते हुए…लेकिन हम लोग कुछ कर पाते, कुछ लोग हैं जो इन बच्चों कि जिंदगी संवारने में लगे हैं लेकिन इनकी संख्या इतनी ज्यादा है कि बालश्रम को सुधारने में कई बरस लग जाएंगे
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा आपने 👍👍
सरकार ने बाल श्रम को अपराध की श्रेणी में रखा है और उसके लिए दंड का विधान भी है लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं हुआ है और न ही होगा जबतक सबलोग जिम्मेदारी नहीं लेंगे। अपने देश की सबसे बड़ी समस्या है कि हम सब कुछ सरकार को करने के लिए ही छोड़ देते हैं।
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteबच्चों को काम करते देख कर बहुत बुरा लगता है, पर हमलोग कर भी क्या सकते हैं? इसके पीछे भी बहुत बड़े गैंग होते हैं,जो बच्चों से भीख मंगवाते हैं। कुछ गलती तो उन मां बाप की भी है जो बच्चों को पाल पोष नहीं सकते, पैदा कर देते हैं।
ReplyDeleteVery nice article...
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