बंदर का ह्रदय
किसी जगह पर एक नदी के तट पर एक वन था। उस वन में एक बंदर निवास करता था। जो वन के फल आदि खाकर अपना निर्वाह करता था। नदी में एक टापू भी था और टापू और तट के बीच में एक बड़ी सी चट्टान थी। जब कभी बंदर को टापू के फल खाने की इच्छा होती, वह उस चट्टान से होते हुए उस टापू पर पहुंच जाता और जी भर अपने मनचाहे फलों का आनंद उठाता था।
उसी नदी में घड़ियाल की 1 जोड़ी भी रहती थी। उसमें से मादा घड़ियाल जब भी उस हृष्ट- पुष्ट बंदर को मीठे रसीले फलों का आनंद उठाते देखती, तो उसके मन में उस बंदर के हृदय को खाने की तीव्र इच्छा हो उठती। एक दिन उसने नर घड़ियाल से कहा, - "प्रिय अगर तुम मुझसे प्रेम करते हो, तो मुझे इस बंदर का हृदय खिलाकर दिखा दो।" नर घड़ियाल ने उसकी बात मान ली।
दूसरे दिन बंदर जैसे ही टापू पर पहुंचा नर घड़ियाल टापू और तट के बीच के चट्टान के निचले हिस्से पर चिपक गया। वह बंदर बहुत बुद्धिमान था। शाम के समय जब वह लौटने लगा और तट और टापू के बीच के चट्टान को देखा तो उसे चट्टान की आकृति में कुछ परिवर्तन दिखाई पड़ा। उसने तत्काल समझ लिया कि जरूर कुछ गड़बड़ है। तथ्य का पता लगाने के लिए उसने चट्टान को नमस्कार करते हुए कहा," हे चट्टान मित्र! आज तुम शांत कैसे हो? मेरा अभिवादन भी स्वीकार नहीं कर रही हो?" घड़ियाल ने समझा, शायद चट्टान और बंदर हमेशा बात करते रहते हैं। इसलिए उसने स्वर बदलकर बंदर के नमस्कार का प्रत्युत्तर दे डाला। बंदर की आशंका सत्य निकली। बंदर टापू पर ही रुक तो सकता था, मगर टापू में उसके निर्वाह के लिए पर्याप्त आहार उपलब्ध नहीं था।
जीविका के लिए उसका वापस लौटना अनिवार्य था। अतः अपनी परेशानी का निदान ढूंढते हुए उसने घड़ियाल से कहा,"मित्र! चट्टान तो कभी बातें नहीं करती। तुम कौन हो और क्या चाहते हो?" दंभी घड़ियाल ने तब उसके सामने प्रकट हो कहा - "ओ बंदर! मैं एक घड़ियाल हूं और तुम्हारा हृदय अपनी पत्नी को खिलाना चाहता हूं।" तभी बंदर को एक युक्ति सूझी। उसने कहा," हे घड़ियाल! बस इतनी सी बात है, तो तुम तत्काल अपनी मुंह खोल दो, मैं सहर्ष ही अपने नश्वर शरीर को तुम्हें अर्पित करता हूं।" बंदर ने ऐसा इसलिए कहा कि वह जानता था कि जब घड़ियाल मुख खोलते हैं, तो उनकी आंखें बंद हो जाती हैं। फिर जैसे ही घड़ियाल ने अपना मुंह खोला बंदर ने तेजी से एक छलांग उसके सिर पर मारी और दूसरी छलांग में नदी के तट पर जा पहुंचा। इस प्रकार अपनी सूझबूझ और बुद्धिमानी से बंदर ने अपने प्राण बचा लिए।
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The Heart of the Monkey
At some place there was a forest on the banks of a river. A monkey lived in that forest who used to eat the fruits of the forest etc. The river also had an island and there was a big rock between the island and the coast. Whenever the monkey wished to eat the fruit of the island, he would reach that island through that rock and enjoy all the fruits he wanted.
There were also a pair of alligators in the same river. From there, whenever the female crocodile would see that strong monkey enjoying the sweet juicy fruits, she would have a strong desire to eat that monkey's heart. One day he said to the male crocodile, "Dear you, if you love me, bring me this monkey's heart and feed me." The male crocodile obeyed him.
The next day, as soon as the monkey reached the island, the male gong was stuck on the lower part of the rock between the island and the coast. That monkey was very intelligent. In the evening when he started returning and saw the rock between the coast and the island, he saw some change in the shape of the rock. He immediately realized that something was definitely wrong. To find out the fact, he greeted the rock and said, "O rock friend! How are you calm today? Not even accepting my greetings?" Ghadiyal understood, perhaps the rock and the monkey are always talking. So he changed the tone and responded to the monkey's greeting. Monkey's fears turned out to be true. The monkey could have stayed on the island itself, but the island did not have enough food to sustain it. It was mandatory for him to return for a living. So, looking for a solution to his problem, he said to the crocodile, "Friend! The rock never talks. Who are you and what do you want?" The proud crocodile then appeared in front of him and said - "O monkey! I am a crocodile and I want to feed your heart to my wife." Then the monkey thought of a trick. He said, "Hey crocodile! That's all the matter, then you open your mouth immediately, I gladly offer my mortal body to you." The monkey said this because he knew that when the gongs open the mouth, their eyes are closed. Then as soon as the crocodile opened its mouth, the monkey quickly hit one jump on its head and reached the banks of the river in the second jump. Thus the monkey saved his life with his intelligence and intelligence.
एक और मनोरंजक और प्रेरक कथा।
ReplyDeleteVery Nice Story..
ReplyDeleteOld memories this poem's 😀
ReplyDeleteNice story
ReplyDeletenice story
ReplyDeleteबुद्धि बल में शक्ति है।प्रेरणास्पद एवं शिक्षाप्रद कहानी।
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteबुद्धि से बल होता है..अच्छी और प्रेरणादायक कहानी👍👍👌👌
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteBahut achi kahani...buddhi se badi se badi samasya se chutkara paya ja sakta ha..👌👌
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteAchi kahani..buddhi bal se her mushkil se bahar nikal sakate ..👏👏👏
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteAchi kahani...buddhibal sarwopari..
ReplyDeleteNice story..
ReplyDeleteJatak kahaniyan...Bhagwaan Buddha ka accha Sandesh....
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