श्री रामचरितमानस की महत्वपूर्ण घटनाएं
रामचरितमानस की समग्र घटनाओं को मुख्य 7 कांड में विभाजित कर सरलता से समझा जा सकता है। बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकांड, किष्किंधा कांड, सुंदरकांड, लंका कांड के बाद उत्तर कांड आता है।
श्रीरामचरितमानस – उत्तर कांड ( Shri Ramcharitmanas – Uttar Kand )
जानकीकरसरोजलालितौ चिन्तकस्य मनभृंगसंगिनौ॥
निर्विकार और निर्विचार त्रिगुणातीत श्री राम के पावन चरण ब्रह्मा और महेश के लिए सदैव वंदनीय है। मिथलेश कुमारी सीता के चरण कमलों से सुसज्जित है । नित्य पूर्व की भांति सदैव प्रभु के चरणों में सब कुछ अर्पित है।
उत्तरकांड में श्री राम के न्याय और काक भुसुंडि की भक्ति और गरुड़ के प्रश्न शामिल है। उत्तरकांड में ही यह लिखा गया है कि श्री राम के 2 पुत्र हैं। जिनका नाम लव कुश है श्री राम अपने न्याय के लिए अपने पत्नी तक त्याग कर देते हैं। उनके लिए कोई भी कार्य व्यक्तिगत नहीं है। वह जो भी कार्य करते हैं जनता को केंद्र में रखकर करते हैं ।इसलिए श्री राम निष्काम भाव से और परिवार के बंधनों से मुक्त होकर निष्पक्ष भाव से निर्णय करते हैं ।उनके निर्णय में पुरुष और उनके भगवान होने में जो तादात्म्य में संबंध स्थापित किया गया है। उसका वर्णन तुलसीदास ने उत्तरकांड में बखूबी से किया है।
उत्तर कांड का संक्षिप्त वर्णन
अयोध्या आगमन के बाद श्री राम अपनी माता और अपने स्नेही बंधुओं और गुरु और भाइयों से मिलते हैं। इसके बाद राम का राज्याभिषेक होता है। राज्याभिषेक होने के बाद बड़ी निष्ठा के साथ श्रीराम शासन करना प्रारंभ कर देते हैं। उनके शासन में अयोध्या की प्रजा बहुत आनंदमय में थी ।लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। एक ऐसी घटना घटती है कि सीता का त्याग करना पड़ता है श्री राम को। उसके बाद सीता वन में चली जाती हैं । बाल्मीकि के सानिध्य में उसी वन में सीता के दो पुत्र जन्म लेते हैं लव कुश। उसके बाद श्री राम राजसूय यज्ञ करते हैं। यज्ञ के घोड़े लव कुश पकड़ लेते हैं। फिर युद्ध होता है युद्ध में राम की भाई और सुग्रीव और हनुमान सब पराजित हो जाते हैं।
अंततः राम आते हैं और राम अपने घोड़े को लेकर जाते हैं ।फिर जब यह पता चलता है लव कुश को राम हमारे पिता हैं तब उन्हें ग्लानि महसूस होती है। उसके बाद वहां की प्रजा से न्याय मांगते हैं। सीता का भी आगमन होता है राज दरबार में। सीता धरती मां की कोख में समा जाती हैं। फिर धीरे-धीरे करके कालांतर में लक्ष्मण भी अपने परमधाम चले जाते हैं और फिर श्रीराम भी अपने परमधाम चले जाते हैं बैकुंठ।हनुमान जी यहीं रहते हैं क्योंकि श्रीराम ने उन्हें कलयुग के अंत तक रहने का आदेश दिया है। इसमें काक भुसुंडि का भी वर्णन है जो श्रीराम के परम ब्रह्म रूप का वर्णन करते हैं।
उत्तर कांड की विशेषता क्या है ?
(1) रामराज्य
राम राज्य में प्रजा ही राजा है कोई भी दरिद्र व्यक्ति नहीं था ।राम राज्य में सब व्यक्तियों को आदर सम्मान के साथ चाहे वह जिस भी निम्न श्रेणी का क्यों ना हो उसे सम्मान मिलता था बराबर का । न्याय में भी कोई भेदभाव नहीं होता था। सबको बराबर न्याय मिलता था। राम राज्य मे धन और शांति ,करुणा ,परोपकार सब था। प्रजा में संतोष भी था सबके अंदर शांति की भावना थी। किसी के अंदर ईर्ष्या की भावना नहीं थी ।एक दूसरे के साथ मिलकर रहते थे ।
साथ ही साथ हर एक व्यक्ति दूसरे की मदद करने के लिए तत्पर रहता था। सहिष्णु की भावना थी। लड़की और लड़की में कोई भेदभाव नहीं किया जाता था ।राम प्रजा के ऊपर खेतों के उत्पादन के अनुसार ही कर आरोपित करते थे । चाहे भले ही राजस्व खाली क्यों ना हो जाए ।लेकिन प्रजा के ऊपर बिना जोर-जबर्दस्ती के ही जो उनकी स्वेच्छा होती थी वह कर के रूप में भुगतान करते थे। अर्थव्यवस्था खुली अर्थव्यवस्था थी।
चारिउ चरन धर्म जग माहीं। पूरि रहा सपनेहुँ अघ नाहीं॥
राम भगति रत नर अरु नारी। सकल परम गति के अधिकारी॥
श्री राम अपनी प्रजा से कहते हैं कि यह मनुष्य तन बड़े दुर्लभ से मिलता है। तन का उपयोग धर्म के कार्यों में करो। यह तन देवता भी नहीं पाते हैं। यह तन मोक्ष का आधार है। इसीलिए इस तन से अधर्म का कार्य मत करो।
बड़ें भाग मानुष तनु पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा॥
साधन धाम मोच्छ कर द्वारा। पाइ न जेहिं परलोक सँवारा॥
(2) काक भुसुंडि के द्वारा राम के निराकरण रूप का वर्णन करना
काक भुसुंडि ने विस्तार रूप से गरुड़ को श्री राम के इन्द्रियातीत स्वरूप के बारे में बताया कि जब श्रीराम का जन्म हुआ ।श्री राम जन्म से नटखट थे।और इस नटखट पन के कारण काक भुसुंडि के मन में यह प्रश्न उठता था कि यह बालक जो रोटी के टुकड़े को लेकर इधर उधर भाग रहा है ।वह कैसे भगवान हो सकता है। वह कैसे तीनों लोकों का स्वामी हो सकता है ?इस प्रश्न के निदान के लिए वह अयोध्या पहुंचा। प्रभु श्री राम जब आंगन में खेल रहे थे और हाथ में रोटी का एक टुकड़ा लिए हुए थे। काक भुसुंडि ने श्री राम के हाथों से रोटी का टुकड़ा छीन कर उड़ गया।
जब उसने पीछे देखा तो प्रभु श्रीराम भी उसके पीछे-पीछे आने लगे। वह तीनों लोग भागा लेकिन श्री राम उसका पीछा नहीं छोड़े ।फिर अंततः वह श्री राम के चरणों में आ जाता है। श्री राम उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उससे कुछ मांगने के लिए कहते हैं तो काक भुसुंडि कहता है कि प्रभु यदि आप मुझे कुछ देना चाहते हैं तो मुझे आप अपनी अनन्य भक्ति प्रदान करें ।उसके बाद प्रभु श्री राम ने कहा कि हे काक तुमने इस संसार में भौतिक विलास की वस्तुएं ना मानकर तुमने आनंद कि वह खान मांग ली है जो ऋषि मुनि और देवताओं को भी दुर्लभ है ।तुम्हारी बुद्धि कि मैं प्रशंसा करता हूं और मैं तुम्हें यह वर देता हूं
सप्ताबरन भेद करि जहाँ लगें गति मोरि।
गयउँ तहाँ प्रभु भुज निरखि ब्याकुल भयउँ बहोरि॥
राम की निराकार स्वरूप कल्पना नहीं की जा सकती है। वह पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त हैं ।वह हर एक कण में है। उन्हीं की इच्छा से ही यह पूरी प्रकृति संचालित हो रही है। उनके निराकार स्वरूप में हजारों करोड़ों सूर्य और चंद्रमा और नक्षत्र सब परिक्रमा कर रहे हैं । मैं जहां जहां भागता था मैं श्री राम प्रभु को वहां पाता था। वह पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त है। वह पूरे जगत के स्वामी हैं ।उनकी महिमा वही समझ सकता है जो उनकी नित्य प्रक्रिया पूजा करता है ।
क्योंकि उन्हें ज्ञान के माध्यम से नहीं जाना जा सकता है ।उनके लिए सिर्फ एक सच्चे मन से भक्ति चाहिए ।जो भक्त अपने भगवान के लिए सच्ची श्रद्धा रखता है। उसे अपने भगवान का दर्शन एक दिन जरूर प्राप्त होता है । श्रीराम ऐसे भगवान हैं जो अपने भक्तों की एक पुकार से दौड़े चले आते हैं। वह की दुख पीड़ा अपनी पीड़ा मानते हैं।
हिमगिरि कोटि अचल रघुबीरा। सिंधु कोटि सत सम गंभीरा॥
कामधेनु सत कोटि समाना। सकल काम दायक भगवाना॥
🙏🙏💐💐सुप्रभात 🕉️
ReplyDelete🙏जय जय सियाराम 🚩🚩🚩
🙏आप का दिन मंगलमय हो 🙏
🚩🚩जय जय सियाराम 🚩🚩
👍👍👍बहुत सुन्दर प्रस्तुति 🙏
🙏आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
जय श्री राम
ReplyDelete🙏🏻🚩 जय श्री राम 🚩🙏🏻
ReplyDeleteजय श्री सीताराम
ReplyDeleteJai Shri Ram🙏🙏🚩🚩
ReplyDeletejai shree ram
ReplyDeleteJai shree ram
ReplyDeleteJai shree ram
ReplyDelete