विटामिन सी का मुख्य स्रोत "आंवला "
आंवला एक ऐसा फल है जो अपने गुणों के कारण भारत में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय है। कभी आपने सोंचा है हमारे भारत वर्ष में किन किन पेड़ों की पूजा होती है। इनकी संख्या बहुत है और अलग अलग क्षेत्रों को देखा जाये तो ये पेड़ पौधे बहुत हैं। जैसे: पीपल, बरगद, नीम, केला, आम, बेल, अशोक, नारियल, तुलसी आदि। अब अगर औषधीय गुणों को नजर में रखकर देखें तो जिन जिन पेड़ पौधों की पूजा होती है वो सभी औषधीय गुणों से परिपूर्ण हैं, जिनमें आंवला एक नम्बर पर है।
आयुर्वेद में आंवले का बहुत महत्व बताया गया है। यहां तक कि आयुर्वेद में इसे अमृत फल भी कहा गया है। यह एक ऐसा फल है, जिसके अनगिनत लाभ हैं। यह ना सिर्फ त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद है बल्कि कई तरह के रोगों के लिए औषधि का काम भी करता है। यह हमारे शरीर की इम्युनिटी भी बढ़ाता है। आंवले का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है जैसे- आमला जूस, आंवल पाउडर, आंवला अचार, आंवला कैंडी आदि।आंवला में प्रचुर मात्रा में विटामिन, मिनरल और न्यूट्रिएंट्स होते हैं जो आंवला को अनमोल गुणों वाला बना देते हैं।
जिस देश में परंपराओं में पूजा पाठ में "विटामिन सी के सम्राट" हैं। पूरी दुनिया में एंटी ऑक्सीडेंट को जब कोई जानता नहीं था" उस एंटी ऑक्सीडेंट और एंटीएजिंग के सम्राट आंवले की हमारे देश भारतवर्ष में पूजा की जाती थी और आंवले को खाना परंपरा माना जाता था, जो आजतक बदस्तूर जारी है। अक्षय नवमी (कल 21.11.2023 को अक्षय नवमी है ) पर आंवले के पेड़ की पूजा कर उसी के नीचे भोजन करने का विधान है। आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करना शुभ माना जाता है। आंवले की लकड़ी को कुएं में लगाया जाता हो ताकि जो पानी आए, वह भी एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर आए।
सनातन भारत में सब्जी में खट्टापन लाने के लिये टमाटर के स्थान पर आंवले का प्रयोग होता था। इसलिये सनातन हिंदुओ की हड्डियां महर्षि दधीचि की तरह कठोर होती थीं। इतनी मजबूत होती थी कि महाराणा प्रताप का महावज़नी भाला उठा सकतीं थी।
जिस मौसम में देशी टमाटर मिले तो ठीक लेकिन अंडे जैसे आकार के अंग्रेजी टमाटर खाने के स्थान पर आंवले का प्रयोग हमारी सब्ज़ी को स्वादिष्ट भी बनाएगा और हमें दवाइयों से दूर भी रखेगा। आंवला ही एक ऐसा फल है जिसमे सब तरह के रस होते है। जैसे आंवला, खट्टा भी है, मीठा भी कड़वा भी है, नमकीन भी।
आँवले का सनातन संस्कृति में महत्तम इतना है कि दीपावली के कुछ दिन बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी जिसको आँवला नवमी भी कहते हैं, मनाई जाती है ।
आंवला बाजार में मिलना काफी दिनों से शुरू हो गया है। मुझे पोस्ट डालने में थोड़ी देरी हो गयी। पर अभी भी बहुत देर नहीं हुई है, जनवरी - फरवरी तक आंवला बाजार में उपलब्ध होता है। ज्यादा से ज्यादा अपने भोजन में इसका उपयोग करें। जबतक बाजार में उपलब्ध है ताज़ा आंवले का सेवन करें। चाहे तो इसे स्टोर करके भी रख सकते हैं - अचार, मुरब्बा, कैंडी और च्यवनप्राश बना के इसको पूरे साल खाया सकता है। इसके औषधीय गुणों की चर्चा पहले ही इस ब्लॉग में कर चुकी हूँ, जिसको यहाँ 👇क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।
अमृत फल आंवला के गुण अद्भुत है। यह काफी सस्ता मिलता है शायद इसीलिए लोग इसे बहुत महत्व नही देते।
ReplyDeleteअमृत फल आंवला के गुण अद्भुत है। यह काफी सस्ता मिलता है शायद इसीलिए लोग इसे बहुत महत्व नही देते।
ReplyDeletePrakriti ka chamtkar hai , guno se bharpoor 👌🏼
ReplyDeleteआंवले की पोस्ट देख के आपके च्यवनप्राश और rttc की याद आ गई।
ReplyDeleteइस बार च्यवनप्राश बनाई की नहीं..
बनाई है मैम, rttc ना सही, घर पर आ जाइए।
Deleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteVery nice information
ReplyDelete🙏🙏💐💐सुप्रभात 🕉️
ReplyDelete🙏जय जय सियाराम 🚩🚩🚩
🙏आप का दिन मंगलमय हो 🙏
🙏जय श्री गणेश 🚩🚩🚩
👍👍👍अत्यंत उपयोगी व लाभदायक जानकारी शेयर करने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
Nice information
ReplyDeleteNice
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