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बड़ / बरगद / वट / Bargad / Banyan

 बरगद (Banyan)

बरगद (Banyan)

बरगद(Banyan) के पेड़ को वटवृक्ष या बड़ का पेड़ भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम "फाइकस बेंगालेंसिस" है। सामान्यता घर के आसपास या ज्यादातर मंदिरों में दिखाई देता है। बरगद(Banyan) का पेड़ बहुत विशाल और बड़े-बड़े पत्तों वाला होता है। यह हमें अत्यधिक मात्रा में ऑक्सीजन देता है तथा साथ ही इसकी विशालकाय छवि हम लोगों को छाया भी देती है। आयुर्वेद के अनुसार बरगद(Banyan) का पेड़ एक उत्तम औषधि भी है और बरगद के पेड़ से कई बीमारियों का इलाज भी होता है। वैसे तो हर पेड़ का अपना - अपना महत्व होता है, परंतु बरगद(Banyan) का पेड़ कुछ अलग है। यह पेड़ लंबे समय तक रहता है। सूखा और पतझड़ आने पर भी यह हरा-भरा बना रहता है और सदैव बढ़ता रहता है।  यही कारण है कि इसे "राष्ट्रीय वृक्ष" का दर्जा प्राप्त है। यह पेड़ पूजनीय भी है। हिंदू धर्म में इस वृक्ष की पूजा की जाती है।

बरगद (Banyan)

बरगद क्या है?

बरगद एक विशाल तना और शाखा वाला वृक्ष है। यह बहुत ही छायादार और लंबे समय तक जीवित रहने वाला वृक्ष है। यहां इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि अकाल के समय भी यह जीवित रहता है, अर्थात सूखा, पतझड़ और किसी भी तरह की प्राकृतिक आपदा में भी यह जीवित रहता है। मनुष्य बरगद के पेड़ के फल खाते हैं तो जानवर इसके पत्ते खाते हैं। बरगद का पेड़ सीधा बड़ा होता है और फैलता जाता है। इसकी जड़ें तने से निकलकर नीचे की तरफ बढ़ती हैं, जो बढ़ते हुए धरती के अंदर घुस जाती हैं और एक तने की तरह बन जाती हैं। इसके इन जड़ों को बरोह या प्राप जड़ भी कहा जाता है। बरगद का फल गोलाकार, छोटा और लाल रंग का होता है। इसके फल के अंदर बीज होता है, जो बहुत ही छोटा होता है। बरगद की पत्तियां चौड़ी होती हैं। इसकी ताजी पत्तियां, तना और छाल को तोड़ने पर उनमें से सफेद रंग का तरल पदार्थ निकलता है, जिसे लेटेक्स अम्ल कहा जाता है। 

बरगद (Banyan)

जानते हैं बरगद के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

बरगद का औषधीय गुण वात, पित्त और कफ दोष को ठीक करने की क्षमता रखता है। यह पेड़ अपने विभिन्न औषधीय गुणों से महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सभी के लिए अत्यंत फायदेमंद है।

बरगद (Banyan)

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में

बरगद के पेड़ की पत्तियों में कुछ खास तत्व पाए जाते हैं, जैसे कि हेक्सेन, ब्यूटेनाल, क्लोरोफॉर्म और पानी यह सभी तत्व संयुक्त रूप से प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इस कारण बरगद के पेड़ की पत्तियों का सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

दांत और मसूड़ों के लिए

बरगद में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल्स प्रभाव दांतों को सड़ने और मसूड़ों में सूजन की समस्या से आराम दिलाता है। इसकी जड़ को चबाकर नरम कर उससे दातुन करने से भी दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।

बालों की समस्या

बरगद की पत्तियों का भस्म बना लें। 20 से 25 ग्राम भस्म को 100 मिलीग्राम अलसी के तेल में मिलाकर सिर पर लगाने से बालों की समस्या दूर होती है।

त्वचा के लिए

वटवृक्ष के 5-6 कोमल पत्तों को 10-20 ग्राम मसूर के साथ पीसकर त्वचा पर लेप करने से मुंहासे और झाइयां दूर होती हैं।

पेचिश रोग में

दस्त के साथ अगर खून आता है, तो वटवृक्ष की 20 ग्राम कोमल पत्तियों को पीस लें। इसे रात में पानी में भिगोकर सुबह छान लें। अब इस पानी में 100 ग्राम घी मिलाकर पकाएं। इसमें केवल घी बच जाने पर उतार लें। इस घी से 5 - 10 ग्राम घी में दो चम्मच शहद और चीनी मिलाकर सेवन करने से खूनी दस्त या पेचिश में लाभ होता है।

दस्त में

वटवृक्ष के 8-10 कोपलों को दही के साथ सेवन करने से दस्त में लाभ होता है।

मधुमेह में

  • 20 ग्राम बरगद के फल के चूर्ण को आधा लीटर पानी में पकाएं। जब इस का आठवां भाग शेष रह जाए, तब उतार कर ठंडा होने दें। ठंडा होने पर छानकर इसका सेवन करें। ऐसा एक महीने तक सुबह और शाम करने से डायबिटीज में बहुत लाभ होता है।
  • 4 ग्राम की मात्रा में बरगद की जटा के चूर्ण को सुबह-शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से भी मधुमेह में लाभ होता है।

याददाश्त बढ़ाने में

छाया में सुखाएं गए वट वृक्ष की छाल का महीन चूर्ण बना लें। इसमें दोगुनी मात्रा में खांड या मिश्री मिला लें। इस चूर्ण को 6 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम गाय के दूध के साथ सेवन करने से याददाश्त बढ़ती है। इस दौरान खट्टे चीजों के सेवन से परहेज रखें। 

घाव होने पर

  • बरगद के दूध की कुछ बूंद दिन में तीन - चार बार घाव पर लगाने से घाव के कीड़े मर जाते हैं और घाव ठीक हो जाता है।
  • वर्षा ऋतु में पानी में अधिक रहने से उंगलियों के बीच में जख्म हो जाते हैं। ऐसी जगह पर बड़ का दूध लगाने से जल्दी आराम मिलता है।

आग से जलने पर

आग से जले हुए स्थान पर वटवृक्ष के कोमल पत्तों को गाय के दही में पीसकर लगाने से लाभ होता है।

खुजली में

बरगद के पेड़ के आधा किलो पत्तों को कूट लें। अब इसको 4 लीटर पानी में रात भर भिगोकर रख दें तथा सुबह होने पर इसे पकाकर 1 लीटर बचने पर इसमें आधा लीटर सरसों का तेल डालकर फिर पकाएं। जब केवल तेल रह जाए, तो छानकर इस तेल की मालिश से गीली और सुखी दोनों प्रकार की खुजली में आराम होता है।

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का कारण कफ दोष का असंतुलित होना माना गया है और बरगद में कफ शामक गुण होने के कारण यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है।

बरगद (Banyan)

बरगद पेड़ के नुकसान

बरगद के पेड़ का कोई भी नुकसान नहीं होता है। बस औषधि के रूप में इसके सेवन के लिए इसकी नियंत्रित मात्रा लेनी चाहिए।

पीपल, बरगद,पकड़ी और नीम, पर्यावरण के लिए और स्वास्थ्य के लिए 

46 comments:

  1. बुंदेलखंड मै बरिया का पेड भी कहा जाता है
    ये आक्सीजन बहुत देता है
    बुंदेलखंड मै बहुत पूज्यनीय पेड है
    इसकी बहुत पूजा होती है

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  2. बहुत उपयोगी जानकारी

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  3. पाठको प्रत्येक वनस्पतति के आगे वैज्ञानिक नाम करके अंग्रेजी में नाम लिखा जाता हें,,तो क्या भारतीय ऋषि मुनियों द्वारा दी गई वनस्पतियों की जानकारी,उपयोग,मात्रा,लाभ-हानि उनके द्वारा हुआ उस वनस्पति का नामांकरण क्या विज्ञान सम्मत नहीं हैं ? यदि है तो यह लिखा जाना चाहिये की इस वनस्पति का फला भाषा में यह नाम है । क्यूंकि जब इन वनस्पतियों की सभी प्रकार की जानकारी हुई तब इस तथाकथित विज्ञान का विचारों में भी जन्म नही हुआ था । कृपया मैरे संशोधन को आगे तक पहुंचाने की कृपा करें । आप सभी का आभार ।

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    1. आपकी बात सही है. . हर वनस्पति के साथ उसका वैज्ञानिक नाम लिखा होता है। पर साधारण बोलचाल की भाषा ज्यादा लोग समझते। आगे से मेरा प्रयास रहेगा की वनस्पति के साथ वैज्ञानिक नाम के साथ साथ प्रांतीय भाषा में भी जरूर लिखूंगी। आपके द्वारा दी गई प्रतिक्रिया और सुझाव के लिए धन्यवाद 😊

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    2. Banyan tree
      महिलायें उपवास के दिन परिक्रमा लगाती है

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  4. बरगद का वृक्ष धार्मिक दृष्टिकोण के साथ ही साइंटिफिक दृष्टिकोण से भी बहुत उपयोगी है 👍👍

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  5. अच्छी जानकारी, जब विज्ञान नाम की कोई चीज ही इस दुनिया में नहीं थी तब हमारे ऋषि मुनियों ने जो कहा और लिखा वो आज भी कितना सार्थक है।

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    1. निराला जी, पोस्ट के पहले para में ही लिखा हुआ है..इस वृक्ष को राष्ट्रीय वृक्ष का दर्जा प्राप्त है।

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  7. मप्र सागर देवरी के पास महाराजपुर पंचायत मै ये विशाल राय बँट वृक्ष लगा जो लगभग आधा किनी नै फैला है इसे देंखने लोग दूर दूर से आते है
    इत्तफ़ाक़ से हमारा वहा जन्म हुआ था
    तो मेरा पचपन वहा बीता मै बहुत अच्छे से जानता बरगद के बारे मै

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    1. बहुत अच्छी बात है।

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  8. मप्र सागर देवरी के पास महाराजपुर पंचायत मै ये विशाल राय बँट वृक्ष लगा जो लगभग आधा किमी मै फैला है इसे देंखने लोग दूर दूर से आते है
    इत्तफ़ाक़ से हमारा वहा जन्म हुआ था
    तो मेरा पचपन वहा बीता मै बहुत अच्छे से जानता बरगद के बारे मै

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  9. हमारा बचपन गरगद की छांव नै निकला है इसका अध्ययन भी किया हुआहै
    इसके कीड़े वाले फल भी बहुत ख्ये है

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  10. बरगद के साथ अपना कुछ अनुभव भी लिंखे

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    1. आपके जैसे बरगद के साथ का कोई अनुभव नहीं है मुझे। ये मेरा दुर्भाग्य हो सकता है कि मेरा जीवन गांव में कभी नहीं बीता। बरगद के पेड़ देखे हैं और जितनी मेरी जानकारी थी वो मैंने यहां शेयर किया।

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  11. ऐसी जानकारी तो तो अब सब जगह उपलब्ध है

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    1. अगर आपके पास कोई ऐसी जानकारी है जो सब जगह उपलब्ध नहीं है, तो आप उस जानकारी को यहां जरूर शेयर करें। आपके द्वारा दी गई जानकारी इस ब्लॉग से जुड़े लोगों तक जाएगी, इसके लिए आपका बहुत आभार..

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  12. अनुभव एक अलग अनुभूति है

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  13. This comment has been removed by the author.

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  14. बाक़ी तो हा मै हा मिलाते है

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    1. अच्छा है, कुछ लोग हां में ना मिलाने वाले भी होने चाहिए..

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    2. हिंदू धर्म नै बरगद को
      ब्रह्मा विष्णु महेश यानी
      बरगद को तिर्मूर्ती कहा जाता है
      ये अहम जानकारी है

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    3. हिंदू धर्म नै बरगद को
      ब्रह्मा विष्णु महेश यानी
      बरगद को तिर्मूर्ती कहा जाता है
      ये सामान्य ज्ञान की जानकारी है

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    4. तभी इस वृक्ष की पूजा होती

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  15. बरगद का महत्व आज भी है

    वट सावित्री व्रत सौभाग्य को देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला व्रत माना गया है। भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक बन चुका है। इस व्रत की तिथि को लेकर भिन्न मत हैं। स्कंद पुराण तथा भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह व्रत करने का विधान है, वहीं निर्णयामृत आदि के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को व्रत करने की बात कही गई है।
    To bi continue......................

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  16. मान्यता

    अपनी विशेषताओं और लंबे जीवन के कारण इस वृक्ष को अनश्‍वर माना जाता है। इसीलिए इस वृक्ष को अक्षयवट भी कहा जाता है। लोक मान्यता है कि बरगद के एक पेड़ को काटे जाने पर प्रायश्चित के तौर पर एक बकरे की बलि देनी पड़ती है। वामनपुराण में वनस्पतियों की व्युत्पत्ति को लेकर एक कथा भी आती है। आश्विन मास में विष्णु की नाभि से जब कमल प्रकट हुआ, तब अन्य देवों से भी विभिन्न वृक्ष उत्पन्न हुए। उसी समय यक्षों के राजा 'मणिभद्र' से वट का वृक्ष उत्पन्न हुआ।

    यक्षाणामधिस्यापि मणिभद्रस्य नारद।
    वटवृक्ष: समभव तस्मिस्तस्य रति: सदा।।

    पौराणिक वर्णन



    बरगद के वृक्ष, कोलकाता
    Banyan Tree, Kolkata
    यक्ष से निकट सम्बन्ध के कारण ही वट वृक्ष को 'यक्षवास', 'यक्षतरु', 'यक्षवारूक' आदि नामों से भी पुकारा जाता है। हमारे पुराणों में ऐसी अनेक प्रतीकात्मक कथाएँ, प्रकृति, वनस्पति व देवताओं को लेकर मिलती हैं। जिस प्रकार अश्वत्थ अर्थात् पीपल को विष्णु का प्रतीक कहा गया, उसी प्रकार इस जटाधारी वट वृक्ष को साक्षात जटाधारी पशुपति शंकर का रूप मान लिया गया है। स्कन्दपुराण में कहा गया है-

    अश्वत्थरूपी विष्णु: स्याद्वरूपी शिवो यत:

    अर्थात् पीपलरूपी विष्णु व जटारूपी शिव हैं।

    हरिवंश पुराण में एक विशाल वृक्ष का वर्णन आता है, जिसका नाम 'भंडीरवट' था और उसकी भव्यता से मुग्ध हो स्वयं भगवान ने उसकी छाया में विश्राम किया।
    न्यग्रोधर्वताग्रामं भाण्डीरंनाम नामत:।
    दृष्ट्वा तत्र मतिं चक्रे निवासाय तत: प्रभु:।।

    'सुभद्रवट' नाम से एक और वट वृक्ष का भी वर्णन मिलता है, जिसकी डाली गरुड़ ने तोड़ दी थी। रामायण के अक्षयवट की कथा तो लोक प्रचलित है ही। परन्तु वाल्मीकि रामायण में इसे 'श्यामन्यग्रोध' कहा गया है। यमुना के तट पर वह वट अत्यन्त विशाल था। उसकी छाया इतनी ठण्डी थी कि उसे 'श्यामन्योग्राध' नाम दिया गया। श्याम शब्द कदाचित वृक्ष की विशाल छाया के नीचे के घने अथाह अंधकार की ओर संकेत करता है और गहरे रंग की पत्रावलि की ओर। रामायण के परावर्ति साहित्य में इसका अक्षयवट के नाम से उल्लेख मिलता है। राम, लक्ष्मण और सीता अपने वन प्रवास के समय जब यमुना पार कर दूसरे तट पर उतरते हैं, तो तट पर स्थित इस विशाल वट वृक्ष को सीता प्रणाम करती हैं।

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  17. बरगद बहुवर्षीय विशाल वृक्ष है। इसे 'वट' और 'बड़' भी कहते हैं। यह एक स्थलीय द्विबीजपत्री एंव सपुष्पक वृक्ष है। इसका तना सीधा एंव कठोर होता है। इसकी शाखाओं से जड़े निकलकर हवा में लटकती हैं तथा बढ़ते हुए धरती के भीतर घुस जाती हैं एंव स्तंभ बन जाती हैं। इन जड़ों को बरोह या प्राप जड़ कहते हैं। इसका फल छोटा गोलाकार एंव लाल रंग का होता है। इसके अन्दर बीज पाया जाता है। इसका बीज बहुत छोटा होता है किन्तु इसका पेड़ बहुत विशाल होता है। इसकी पत्ती चौड़ी, एंव लगभग अण्डाकार होती है। इसकी पत्ती, शाखाओं एंव कलिकाओं को तोड़ने से दूध जैसा रस निकलता है जिसे लेटेक्स अम्ल कहा जाता है।

    To bi continue........................

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  19. बरगद मप्र की और हर हिंदूओ की धड़कन मै बसता है
    बरगद का महत्व शब्दो मै लिखा नही कहा जा सकता ! शब्दो मै सुनाया नही जा सकता

    पुराणों में वर्णन आता है कि कल्पांत या प्रलय में जब समस्त पृथ्वी जल में डूब जाती है उस समय भी वट का एक वृक्ष बच जाता है। अक्षय वट कहलाने वाले इस वृक्ष के एक पत्ते पर ईश्वर बालरूप में विद्यमान रहकर सृष्टि के अनादि रहस्य का अवलोकन करते हैं। अक्षय वट के संदर्भ कालिदास के रघुवंश तथा चीनी यात्री ह्वेन त्सांग के यात्रा विवरणों में मिलते हैं। भारतवर्ष में क्रमशः चार पौराणिक पवित्र वटवृक्ष हैं--- गृद्धवट- सोरों 'शूकरक्षेत्र', अक्षयवट- प्रयाग, सिद्धवट- उज्जैन और वंशीवट- वृन्दावन।
    To bi continue.......................................

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  20. भारत में पाए जाने वाला एक विशाल पेड़ जिसे वट वृक्ष या बरगद का पेड़ कहते है। जिसकी जड़े शाखाओं से निकलती है, और यह धीरे धीरे बड़ी होकर जमीन को छूने लगती है। जमीन में आने के बड़ यह जड़े एक स्तम्भ के रूप में पेड़ के साथ जुड़ जाती है, और एक नए तने को विकसित करती है।
    बरगद के पेड को सादर प्रणाम
    बरगद सत्य सनातन है
    बरगद शाश्वत है

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  21. कहे तो और जानकारी दे दे बरगद की

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  22. एक बार अर्जुन बरगद के नीचे ब्रह्मा का कर रहे थे तो
    अचानक एक जंगली सुअर अर्जुन की तरफ भागता क़दमों की आहट से सतर्क होकर अपना धनिया उठाकर सुअर को मार देते है
    मरते वक्त अर्जुन सुअर से परिचय माँगते है
    और कहते है मुझे सिर्फ दौणाचार्य भीष्म केशव महादेव और ब्रह्मा जी ही हमारे प्राण ले सकते है
    दौणाचार्य आप है नही
    तातश्री आप है नही
    आप या तो महादेव है या ब्रह्मा
    है कृप्या आप अनन्दा परिचय दे
    तब ब्रह्मा प्रकट होते है कहते कि कि बरगद के नीचे क्या कर रहे
    तब अर्जुन कहते है कि मै दिव्यस्त्र की खोज नै देवी जी
    का ध्यान कर रहा था तब ब्रह्मा अपने साथ परलोक ले जाते है
    बहुत बड़ा इतिहास है बरगद का

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  24. एक बार राजा शान्तनु
    राजा शांतनु पत्नी रानी गंगा और पुत्र देवब्रत के वियोग मै
    अपनी अपने सारथी साथ जंगल घूमने निकले
    जंगल में अचानक दो बच्चों के रोने की आवाज़ जाती है
    रा राजा शान्तनु शक होने लगता है और अपने हाथ धनुष बाण उठाते ही बोहोत तेज गर्जना हुई
    जब राजस्थान शान्तनु जब राजा शान्तनु जब अपना धनुष उठाते थे तो तो चारों तरफ़ तेज गर्जना होती थी तो
    सामने ही बरगद के पेड के नीचे दो बच्चे रोने की आवाज़ आती है
    तभी सारथी एक बच्चे को उठाकर शांतनु की गोदी में दे देता है
    शां शान्तनु ख़ुश होकर उसे ही छाती से लगा लेते है और सार्थी से पूछते है ये क्या है
    तब सारथी बोलते है ईश्वर ने पर कृपा की है आपके सूनेपन को देखकर शांतनु पूछते हैं इनका नाम क्या रखे
    सा सारथी जवाब देता है जब ईश्वर आप पर कृपा की है तो इनका नाम कृपा ही रखते हैं
    राजा शांतनु हाथ से ऊपर उठाकर आप आकाश में
    ध्वनि करके बोलते हैं आज से इस बालक का नाम कृपा होगा
    और लड़की का और लड़की का नाम कृपी होगा
    लड़का बड़े होने के बाद कृपाचार्य की उपाधि मिली हस्तिनापुर में
    लडकी बही होने पर शांतनु उनका बेवा है द्रोणाचार्य से कर देती है
    इस प्रकार इस प्रकार से द्रोणाचार्य शान्तनु के दामाद होते हैं और
    दौणाचार्य भीष्म पितामह रे बहनोई होते है
    राजा शांतनु के आशीर्वाद से कृपाचार्य की मृत्यु नही होती शायद मेरी जानकारी मै

    ऐसी सैकड़ों पुरानी पौराणिक कथाऐ है हैं बरगद के पेड़ की
    मै धर्म से हिंदू हू ये जानकारी सदैव बनी रहती है

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    1. आपने तो बरगद के विषय में सारी जानकारी ही यहां प्रस्तुत कर दी। बहुत धन्यवाद आपका😊

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  25. Very Useful post. .

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  26. The unusual properties of the tree - it's worth reading.

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  27. Very useful information..इसके इतने स्वास्थ्य लाभ हैं पता ही नहीं था...

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