इस प्यारे से बदलते मौसम पर कुछ लाइनें
मौसम में मिस्री घोल रहा
अगहन का जाड़ा बोल रहा
पंखा कुलर एसी नहीं
अब काफी चाय पर चर्चा चल रहा
अगहन का जाड़ा बोल रहा ..
लपसी पूरी का स्वाद नहीं
माता के पंडाल नहीं
दीपों की लरियों में सज कर
बाबा की नगरी डोल रही
हां सच में काशी बोल रही
अगहन का जाड़ा बोल रहा..
तरबुजे खरबुजा नहीं
गन्ना, सुदनी, गंजी का रुतबा बोल रहा
जाड़े की धूप,
टमाटर की सूप
और मूंगफली के दाने
तबीयत नरम, पकौड़े गरम,
चाय पीने का बहाना ढूंढ रहा
अगहन का जाड़ा बोल रहा..
मंडी सज गयी गोभी, पालक, मेथी, मूली से
आंवला, अमरुद ठेलों पर
बगिया में धूम गेंदा गुलदावदी
खुशबू हवा में घोल रहा
अगहन का जाड़ा बोल रहा..
आंगन में तुलसी डोल रही
मदमस्त नयन को खोल रही
अब ओढ़ गुलाबी चुनरिया को
अगहन का जाड़ा बोल रहा
मौसम में मिस्री घोल रहा
स्वागत सर्दी के मौसम का ..
और सभी अच्छी चीजों को आपकी ओर खींचती है..❣️
यह सुहाना हैं ।
ReplyDelete👌👏🌬️👃🆒😎🙏
जिनकी आंखों में एहसासों के
ReplyDeleteसमंदर होते हैं
ये बात तय है वो
गिनती में कम होते हैं ✍🏻
Happy Sunday
ReplyDeleteBeautiful 😍
ReplyDeleteNice poem 👌
Happy chhath Puja 🙏
Very nice
ReplyDeleteVery nice poem 👌
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteVery nice ..❣️
ReplyDeleteHave a great Sunday 🌹
🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
ReplyDelete🙏जय जय सियाराम 🚩🚩🚩
👍👍👍बहुत खूब, आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
सुहाने मौसम का खुशनुमा रविवार शुभ हो।
ReplyDeleteबदलते मौसम पर सुन्दर कविता.
ReplyDeleteमौसम के साथ साथ परिधान, रहन सहन, भोजन आदी के बदलाव पर सटीक व्याख्या.
Very nice poem
ReplyDeleteVery nice..
ReplyDeleteNice
ReplyDelete👌👌
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 22 नवंबर 2023 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअथ स्वागतम शुभ स्वागतम
"पांच लिंको का आनंद" पर इस रचना को शामिल करने के लिए आपका आभार।
Deleteशानदार
ReplyDeleteमौसम के अनरूप
आभार...
सादर
Very nice..
ReplyDeleteBahut hi sunder
ReplyDeleteKhubsurat
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