इतवार (Sunday)
"बेवजह दिल पे बोझ न भारी रखिये,
जिंदगी एक खूबसूरत जंग है, जारी रखिए.."❤
जिंदगी एक खूबसूरत जंग है, जारी रखिए.."❤
*मेरा गांव*
वो सूरज की अरुणाई थी
या धरती की तरुनाई थी ,
उन पेड़ों की उस सर सर में
जाने कैसी शहनाई थी..
या धरती की तरुनाई थी ,
उन पेड़ों की उस सर सर में
जाने कैसी शहनाई थी..
कुछ ओस की भीगी बूंदों में
वो कैसी अदभुत सरगम थी ,
मन भीगा था , तन भीगा था
वसुधा थोड़ी शरमाई थी..
वो कैसी अदभुत सरगम थी ,
मन भीगा था , तन भीगा था
वसुधा थोड़ी शरमाई थी..
खेतो की पीली सरसों भी
यौवन पर इतराती थी ,
वो धान रोपती बाला भी
थोडा़ सा इठलाती थी..
यौवन पर इतराती थी ,
वो धान रोपती बाला भी
थोडा़ सा इठलाती थी..
पीपल के बूढ़े पेड़ों में
एक धूप का बड़ा झरोखा था ,
ये मेरे गांव का यौवन था
बचपन में मैंने देखा था..
एक धूप का बड़ा झरोखा था ,
ये मेरे गांव का यौवन था
बचपन में मैंने देखा था..
काका काकी , दादा दादी
घंटो हमसे बतलाते थे ,
कुछ अपनी बाते कहते थे
कुछ नई कथा सिखलाते थे..
घंटो हमसे बतलाते थे ,
कुछ अपनी बाते कहते थे
कुछ नई कथा सिखलाते थे..
अब शहर शहर मै जाता हूं
पर कुछ ना ऐसा पाता हूं ,
मै शहर में आज अकेला हूं
वो गांव अभी भी मेला है ..
पर कुछ ना ऐसा पाता हूं ,
मै शहर में आज अकेला हूं
वो गांव अभी भी मेला है ..
सुनीता गुप्ता
"मुश्किल कोई आ जाये तो ड़रने से क्या होगा,
जीने की तरकिब निकालो मर जाने से क्या होगा.."❤
जीने की तरकिब निकालो मर जाने से क्या होगा.."❤
Happy Sunday.......जिन्दगी से बङी जंग तो कुछ हो ही नही सकती है जैसा इंसान वैसी उसकी जंग कुछ हारे कुछ जीते, अब जिंदगी किसी फिल्म की इश्कृपट सी लगने लगी है.. इसके बारे मे जितना लिखों कम ही लगता है।🙏
ReplyDeleteHappy Sunday😁
ReplyDeleteVery nice happy Sunday
ReplyDeleteआप सबको शुभ रविवार, जंग में तो जीत हार लगी ही रहती है और फिर जिंदगी की जंग तो सबसे बड़ी और सबके लिए है। हार से सबक और जीत से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना ही जीवन है। सुंदर कविता, गांव की यादें फिर ताजा हो गई।
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDelete👌👌
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteHappy Sunday 👍
ReplyDeleteअच्छी कविता 👌👌 वह दिन ज्यादा दूर नहीं जब लोग शहर से गांव की ओर जाएंगे सुकून ढूंढने के लिए.. रविवार और नवरात्रि की शुभकामनाएं 💐
ReplyDeleteVery nice pic 😍
ग्रामीण दृश्य का प्राकृतिक वर्णन किया गया है ।शुभ रविवार।
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteबेहतरीन पंक्तियां
ReplyDeleteशुभ रविवार।
गांव की तो बात ही है निराली
ReplyDeleteप्रेम-स्नेह के फूलों की है डाली
चिड़ियों की चहचहाहट है यहां
पेड़ पर कूंकती कोयल है काली
सरसों के पीले फुल लहराते हैं
इठलाती रहे गैहूं कि हर बाली
मिट्टी की महक सौंधी-सौंधी
चहुंओर तो देखो है हरियाली
कच्चे आंगन पर बैठ बतियाते
पीते पुरी भरी चाय कि प्याली
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
बहुत सुंदर👌👌👌
Deleteहर बात को कविता की तरह कहने का लाजवाब हुनर
वो गांव मेरा मुझे कहता है
ReplyDeleteशहर जाकर क्यों रहता है
वहां कि धुल-मिट्टी-ताप
सब जाने तु क्यूँ सहता है
गाँव मेरे तेरा मीठा पानी
मेरे लहू संग ही बहता है
तेरा प्यारा अपनापन तो
मेरी धड़कन में ही रहता है
पर क्या करूँ मजबूरी में
ये गाँव छोड़ना पड़ा मुझे
याद आती महक मिट्टी की
दर्द होता रहता बड़ा मुझे
रोजी-रोटी के चक्कर में
होना पैरों पर खडा़ मुझे
अपने परिवार को छोड़कर
फैसला लेना था कड़ा मुझे🤔
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
Happy Sunday.. beautiful picc👌
ReplyDeleteछोटी सी कविता में बहुत कुछ समाहित है..सुंदर कविता 👌👌
ReplyDeleteBlted hpy sunday ji
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteSweet sweet rupa😍😍👌👌👌❤️
ReplyDeleteHappy Sunday....very nice poem
Blted happy Sunday 🌹🌹
ReplyDeleteVery nice poem, wonderful pic 😘😘😘😘❤️
ReplyDeleteHappy Sunday 😍
ReplyDeleteHappy Sunday..nice pic
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