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श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta) अध्याय - 18 (19 - 40 )

 श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)

अथाष्टादशोऽध्यायः- मोक्षसंन्यासयोग

श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)

तीनों गुणों के अनुसार ज्ञान, कर्म, कर्ता, बुद्धि, धृति और सुख के पृथक-पृथक भेद

ज्ञानं कर्म च कर्ता च त्रिधैव गुणभेदतः ।
प्रोच्यते गुणसङ्ख्याने यथावच्छ्णु तान्यपि || 18.19 ||

भावार्थ : 

गुणों की संख्या करने वाले शास्त्र में ज्ञान और कर्म तथा कर्ता गुणों के भेद से तीन-तीन प्रकार के ही कहे गए हैं, उनको भी तु मुझसे भलीभाँति सुन৷

सर्वभूतेषु येनैकं भावमव्ययमीक्षते ।
अविभक्तं विभक्तेषु तज्ज्ञानं विद्धि सात्त्विकम् || 18.20 ||

भावार्थ : 

जिस ज्ञान से मनुष्य पृथक-पृथक सब भूतों में एक अविनाशी परमात्मभाव को विभागरहित समभाव से स्थित देखता है, उस ज्ञान को तू सात्त्विक जान ৷

पृथक्त्वेन तु यज्ज्ञानं नानाभावान्पृथग्विधान्‌ ।
वेत्ति सर्वेषु भूतेषु तज्ज्ञानं विद्धि राजसम्‌  || 18.21 ||

भावार्थ : 

किन्तु जो ज्ञान अर्थात जिस ज्ञान के द्वारा मनुष्य सम्पूर्ण भूतों में भिन्न-भिन्न प्रकार के नाना भावों को अलग-अलग जानता है, उस ज्ञान को तू राजस जान৷

यत्तु कृत्स्नवदेकस्मिन्कार्ये सक्तमहैतुकम्‌।
अतत्त्वार्थवदल्पंच तत्तामसमुदाहृतम्‌ || 18.22 ||

भावार्थ : 

परन्तु जो ज्ञान एक कार्यरूप शरीर में ही सम्पूर्ण के सदृश आसक्त है तथा जो बिना युक्तिवाला, तात्त्विक अर्थ से रहित और तुच्छ है- वह तामस कहा गया है৷

नियतं सङ्‍गरहितमरागद्वेषतः कृतम।
अफलप्रेप्सुना कर्म यत्तत्सात्त्विकमुच्यते || 18.23 ||

भावार्थ : 

जो कर्म शास्त्रविधि से नियत किया हुआ और कर्तापन के अभिमान से रहित हो तथा फल न चाहने वाले पुरुष द्वारा बिना राग-द्वेष के किया गया हो- वह सात्त्विक कहा जाता है ৷৷18.23॥

यत्तु कामेप्सुना कर्म साहङ्‍कारेण वा पुनः।
क्रियते बहुलायासं तद्राजसमुदाहृतम्‌ || 18.24 ||

भावार्थ : 

परन्तु जो कर्म बहुत परिश्रम से युक्त होता है तथा भोगों को चाहने वाले पुरुष द्वारा या अहंकारयुक्त पुरुष द्वारा किया जाता है, वह कर्म राजस कहा गया है৷

अनुबन्धं क्षयं हिंसामनवेक्ष्य च पौरुषम्‌ ।
मोहादारभ्यते कर्म यत्तत्तामसमुच्यते || 18.25 ||

भावार्थ : 

जो कर्म परिणाम, हानि, हिंसा और सामर्थ्य को न विचारकर केवल अज्ञान से आरंभ किया जाता है, वह तामस कहा जाता है৷

मुक्तसङ्‍गोऽनहंवादी धृत्युत्साहसमन्वितः ।
सिद्धयसिद्धयोर्निर्विकारः कर्ता सात्त्विक उच्यते || 18.26 ||

भावार्थ : 

जो कर्ता संगरहित, अहंकार के वचन न बोलने वाला, धैर्य और उत्साह से युक्त तथा कार्य के सिद्ध होने और न होने में हर्ष -शोकादि विकारों से रहित है- वह सात्त्विक कहा जाता है ৷৷18.26॥

रागी कर्मफलप्रेप्सुर्लुब्धो हिंसात्मकोऽशुचिः।
हर्षशोकान्वितः कर्ता राजसः परिकीर्तितः || 18.27 ||

भावार्थ : 

जो कर्ता आसक्ति से युक्त कर्मों के फल को चाहने वाला और लोभी है तथा दूसरों को कष्ट देने के स्वभाववाला, अशुद्धाचारी और हर्ष-शोक से लिप्त है वह राजस कहा गया है ৷৷18.27॥

आयुक्तः प्राकृतः स्तब्धः शठोनैष्कृतिकोऽलसः ।
विषादी दीर्घसूत्री च कर्ता तामस उच्यते || 18.28 ||

भावार्थ : 

जो कर्ता अयुक्त, शिक्षा से रहित घमंडी, धूर्त और दूसरों की जीविका का नाश करने वाला तथा शोक करने वाला, आलसी और दीर्घसूत्री (दीर्घसूत्री उसको कहा जाता है कि जो थोड़े काल में होने लायक साधारण कार्य को भी फिर कर लेंगे, ऐसी आशा से बहुत काल तक नहीं पूरा करता। ) है वह तामस कहा जाता है৷

बुद्धेर्भेदं धृतेश्चैव गुणतस्त्रिविधं श्रृणु ।
प्रोच्यमानमशेषेण पृथक्त्वेन धनंजय  || 18.29 ||

भावार्थ : 

हे धनंजय ! अब तू बुद्धि का और धृति का भी गुणों के अनुसार तीन प्रकार का भेद मेरे द्वारा सम्पूर्णता से विभागपूर्वक कहा जाने वाला सुन৷

प्रवत्तिं च निवृत्तिं च कार्याकार्ये भयाभये।
बन्धं मोक्षं च या वेति बुद्धिः सा पार्थ सात्त्विकी  || 18.30 ||

भावार्थ : 

हे पार्थ ! जो बुद्धि प्रवृत्तिमार्ग (गृहस्थ में रहते हुए फल और आसक्ति को त्यागकर भगवदर्पण बुद्धि से केवल लोकशिक्षा के लिए राजा जनक की भाँति बरतने का नाम 'प्रवृत्तिमार्ग' है।) और निवृत्ति मार्ग को (देहाभिमान को त्यागकर केवल सच्चिदानंदघन परमात्मा में एकीभाव स्थित हुए श्री शुकदेवजी और सनकादिकों की भाँति संसार से उपराम होकर विचरने का नाम 'निवृत्तिमार्ग' है।), कर्तव्य और अकर्तव्य को, भय और अभय को तथा बंधन और मोक्ष को यथार्थ जानती है- वह बुद्धि सात्त्विकी है৷

यया धर्ममधर्मं च कार्यं चाकार्यमेव च।
अयथावत्प्रजानाति बुद्धिः सा पार्थ राजसी || 18.31 ||

भावार्थ : 

हे पार्थ! मनुष्य जिस बुद्धि के द्वारा धर्म और अधर्म को तथा कर्तव्य और अकर्तव्य को भी यथार्थ नहीं जानता, वह बुद्धि राजसी है৷

अधर्मं धर्ममिति या मन्यते तमसावृता।
सर्वार्थान्विपरीतांश्च बुद्धिः सा पार्थ तामसी || 18.32 ||

भावार्थ : 

हे अर्जुन! जो तमोगुण से घिरी हुई बुद्धि अधर्म को भी 'यह धर्म है' ऐसा मान लेती है तथा इसी प्रकार अन्य संपूर्ण पदार्थों को भी विपरीत मान लेती है, वह बुद्धि तामसी है৷

धृत्या यया धारयते मनःप्राणेन्द्रियक्रियाः।
योगेनाव्यभिचारिण्या धृतिः सा पार्थ सात्त्विकी  || 18.33 ||

भावार्थ : 

हे पार्थ! जिस अव्यभिचारिणी धारण शक्ति (भगवद्विषय के सिवाय अन्य सांसारिक विषयों को धारण करना ही व्यभिचार दोष है, उस दोष से जो रहित है वह 'अव्यभिचारिणी धारणा' है।) से मनुष्य ध्यान योग के द्वारा मन, प्राण और इंद्रियों की क्रियाओं ( मन, प्राण और इंद्रियों को भगवत्प्राप्ति के लिए भजन, ध्यान और निष्काम कर्मों में लगाने का नाम 'उनकी क्रियाओं को धारण करना' है।) को धारण करता है, वह धृति सात्त्विकी है৷

यया तु धर्मकामार्थान्धत्या धारयतेऽर्जुन।
प्रसङ्‍गेन फलाकाङ्क्षी धृतिः सा पार्थ राजसी || 18.34 ||

भावार्थ : 

परंतु हे पृथापुत्र अर्जुन! फल की इच्छावाला मनुष्य जिस धारण शक्ति के द्वारा अत्यंत आसक्ति से धर्म, अर्थ और कामों को धारण करता है, वह धारण शक्ति राजसी है ৷৷18.34॥

यया स्वप्नं भयं शोकं विषादं मदमेव च।
न विमुञ्चति दुर्मेधा धृतिः सा पार्थ तामसी || 18.35 ||

भावार्थ : 

हे पार्थ! दुष्ट बुद्धिवाला मनुष्य जिस धारण शक्ति के द्वारा निद्रा, भय, चिंता और दु:ख को तथा उन्मत्तता को भी नहीं छोड़ता अर्थात धारण किए रहता है- वह धारण शक्ति तामसी है ৷৷18.35॥

सुखं त्विदानीं त्रिविधं श्रृणु मे भरतर्षभ।
अभ्यासाद्रमते यत्र दुःखान्तं च निगच्छति || 18.36 ||
यत्तदग्रे विषमिव परिणामेऽमृतोपमम्‌।
तत्सुखं सात्त्विकं प्रोक्तमात्मबुद्धिप्रसादजम्‌ || 18.37 ||

भावार्थ : 

हे भरतश्रेष्ठ! अब तीन प्रकार के सुख को भी तू मुझसे सुन। जिस सुख में साधक मनुष्य भजन, ध्यान और सेवादि के अभ्यास से रमण करता है और जिससे दुःखों के अंत को प्राप्त हो जाता है, जो ऐसा सुख है, वह आरंभकाल में यद्यपि विष के तुल्य प्रतीत (जैसे खेल में आसक्ति वाले बालक को विद्या का अभ्यास मूढ़ता के कारण प्रथम विष के तुल्य भासता है वैसे ही विषयों में आसक्ति वाले पुरुष को भगवद्भजन, ध्यान, सेवा आदि साधनाओं का अभ्यास मर्म न जानने के कारण प्रथम 'विष के तुल्य प्रतीत होता' है) होता है, परन्तु परिणाम में अमृत के तुल्य है, इसलिए वह परमात्मविषयक बुद्धि के प्रसाद से उत्पन्न होने वाला सुख सात्त्विक कहा गया है৷

विषयेन्द्रियसंयोगाद्यत्तदग्रेऽमृतोपमम्‌।
परिणामे विषमिव तत्सुखं राजसं स्मृतम्‌ || 18.38 ||

भावार्थ : 

जो सुख विषय और इंद्रियों के संयोग से होता है, वह पहले- भोगकाल में अमृत के तुल्य प्रतीत होने पर भी परिणाम में विष के तुल्य (बल, वीर्य, बुद्धि, धन, उत्साह और परलोक का नाश होने से विषय और इंद्रियों के संयोग से होने वाले सुख को 'परिणाम में विष के तुल्य' कहा है) है इसलिए वह सुख राजस कहा गया है ৷৷18.38॥

यदग्रे चानुबन्धे च सुखं मोहनमात्मनः।
निद्रालस्यप्रमादोत्थं तत्तामसमुदाहृतम्‌ || 18.39 ||

भावार्थ : 

जो सुख भोगकाल में तथा परिणाम में भी आत्मा को मोहित करने वाला है, वह निद्रा, आलस्य और प्रमाद से उत्पन्न सुख तामस कहा गया है৷

न तदस्ति पृथिव्यां वा दिवि देवेषु वा पुनः।
सत्त्वं प्रकृतिजैर्मुक्तं यदेभिःस्यात्त्रिभिर्गुणैः || 18.40 ||

भावार्थ : 

पृथ्वी में या आकाश में अथवा देवताओं में तथा इनके सिवा और कहीं भी ऐसा कोई भी सत्त्व नहीं है, जो प्रकृति से उत्पन्न इन तीनों गुणों से रहित हो৷

फ्लैटवुड मॉन्स्टर (Flatwoods Monster) (दुनिया के रहस्यमई जीव जंतु || Mysterious animals of the world)

फ्लैटवुड मॉन्स्टर (Flat woods Monster)

दुनिया के सबसे रहस्यमय विचित्र प्राणीयों के क्रम को आगे बढ़ाते हैं। ये ऐसे प्राणी है जिसका रहस्य अभी तक अनसुलझा रहा है और तो और इनमें से कुछ रहस्यमय, विचित्र और डरावने प्राणी को देखने का अब भी कुछ लोग दावा करते है। तो जानते हैं फ्लैटवुड मॉन्स्टर (Flat woods Monster) के बारे में। मैंने तो इस पोस्ट के डालने के पहले तक कभी इसका नाम भी नहीं सुना था।

फ्लैटवुड मॉन्स्टर (Flatwoods Monster),दुनिया के  रहस्यमई जीव जंतु || Mysterious animals of the world

"फ्लैटवुड मॉन्स्टर" इस भयानक, विचित्र और रहस्यमई प्राणी को वेस्ट वर्जीनिया की ब्राक्सटॉन काउंटी के फ्लैटवुड कस्बे के स्थानीय लोगों ने 12 सितंबर 1952 को देखा था।

यह विचित्र प्राणी किसी परग्रही प्राणी के जैसा दिखाई देता था। उस इलाके की रिपोर्ट्स के अनुसार फ्लैटवुड मॉन्स्टर की लम्बाई करीब 10 फीट तक थी और उसका चेहरा विचित्र और लाल रंग का था। और उसकी आँखें इंसानों जैसी नहीं थीं। उसके बहुत छोटे हाथ थे जिनकी बड़ी बडी ऊंगलियाँ थी। इस वक्त कस्बे के कई लोगों ने इस विचित्र प्राणी को देखने का दावा किया था। इस प्राणी को फ्लैटवुड कस्बे में देखा गया था इसलिए इसका नाम "फ्लैटवुड मॉन्स्टर"  रखा गया।

12 सितंबर, 1952 को शाम 7:15 बजे, दो भाइयों, एडवर्ड और फ्रेड मे और उनके दोस्त टॉमी हायर ने कहा कि उन्होंने एक चमकीली वस्तु को आसमान से पार करते हुए स्थानीय किसान जी बेली फिशर की संपत्ति पर उतरते देखा। लड़के कैथलीन मे के घर गए, जहाँ उन्होंने अपनी कहानी बताई। मे, तीन लड़कों, स्थानीय बच्चों नील ननले और रोनी शेवर और वेस्ट वर्जीनिया नेशनल गार्ड्समैन यूजीन लेमन के साथ, जो कुछ भी लड़कों ने कहा था कि उन्होंने देखा था, उसका पता लगाने के प्रयास में फिशर फार्म में गए। समूह एक पहाड़ी की चोटी पर पहुंच गया, जहां ननले ने कहा कि उन्होंने एक स्पंदनशील लाल रोशनी देखी। लेमन ने कहा कि उसने उस दिशा में एक टॉर्च का लक्ष्य रखा और क्षण भर में उसे एक लंबी "आदमी जैसी आकृति दिखाई दी, जिसका गोल, लाल चेहरा एक नुकीले, हुड जैसी आकृति से घिरा हुआ था"।

फ्लैटवुड मॉन्स्टर (Flatwoods Monster), दुनिया के  रहस्यमई जीव जंतु || Mysterious animals of the world

वर्णन भिन्न-भिन्न थे। अपने टेप-रिकॉर्ड किए गए साक्षात्कारों के आधार पर फेट मैगज़ीन के लिए एक लेख में , यूएफओ लेखक ग्रे बार्कर ने इस आकृति का वर्णन लगभग 10 फीट (3  मीटर ) लंबा, गोल रक्त-लाल चेहरे के साथ, चारों ओर एक बड़ी नुकीली "हुड जैसी आकृति" के रूप में किया है। चेहरा, आंखों जैसी आकृतियाँ जो हरी-नारंगी रोशनी उत्सर्जित करती हैं, और गहरा काला या हरा शरीर। मे ने इस आकृति को "छोटे, पंजे जैसे हाथ", कपड़े जैसी तह और "एक सिर जो हुकुम के इक्के जैसा दिखता था " के रूप में वर्णित किया। कहानी के अनुसार, जब आकृति ने फुसफुसाहट की आवाज निकाली और "समूह की ओर सरक गई", लेमन चिल्लाया और अपनी टॉर्च गिरा दी, जिससे समूह भाग गया।

50 से अधिक वर्षों के बाद, जांचकर्ताओं ने सुझाव दिया कि प्रकाश एक उल्का था और जीव एक खलिहान उल्लू था जो एक पेड़ पर बैठा था जिसकी छाया से यह एक बड़े मानव जैसा प्रतीत हुआ था। 

इस अजीब से विचित्र प्राणी के विषय में और अधिक विस्तृत जानकारी के लिए विकिपीडिआ के इस लिंक को क्लिक करें। 

English Translate

Flatwoods Monster

Leading the ranks of the world's most mysterious strange creatures. These are such creatures whose mystery is still unsolved and even now some people claim to have seen some of these mysterious, strange and scary creatures. So let us know about Flatwoods Monster. I had never even heard its name before posting this post.

दुनिया के  रहस्यमई जीव जंतु || Mysterious animals of the world

"Flatwood Monster" This terrifying, strange and mysterious creature was seen by the locals of the town of Flatwood in Braxton County, West Virginia on September 12, 1952.

This strange creature looked like an alien creature. According to reports from that area, the Flatwood Monster was about 10 feet tall and its face was strange and red in color. And his eyes were not like humans. He had very small hands with big fingers. At this time many people in the town claimed to have seen this strange creature. This creature was sighted in the town of Flatwoods, hence the name "Flatwood Monster".

On September 12, 1952, at 7:15 pm, two brothers, Edward and Fred May, and their friend Tommy Hyer said they saw a bright object cross the sky and land on the property of local farmer G. Bailey Fisher. The boys went to Kathleen May's house, where they told their story. May, along with three boys, local children Neil Nunley and Ronnie Shaver, and West Virginia National Guardsman Eugene Lemon, went to the Fisher Farm in an attempt to locate whatever the boys said they had seen. The group reached the top of a hill, where Nunley said he saw a pulsating red light. Lemon said he aimed a flashlight in that direction and momentarily saw a tall "man-like figure, whose round, red face was surrounded by a pointed, hood-like figure".

Descriptions varied. In an article for Fate Magazine based on his tape-recorded interviews, UFO author Gray Barker described the figure as approximately 10 feet (3 m) tall, with a round blood-red face, with a large fang around it. "Hood like shape". Face, eye-like shapes that emit green-orange light, and dark black or green body. May described the figure as having "small, claw-like hands", cloth-like folds, and "a head that looked like the ace of spades". According to the story, when the figure made a whimpering sound and "swaggered toward the group", Lemon screamed and dropped his flashlight, causing the group to flee.

More than 50 years later, investigators suggested that the light was a meteor and that the creature was a barn owl perched on a tree whose shadow made it appear to be a large humanoid.

For more detailed information about this strange creature, click this link of Wikipedia.


14 रहस्यमयी, विचित्र और भयानक जीव :-

  1. जर्सी डेविल (Jersey Devil)
  2. लिजार्डमैन (Lizard Man)
  3. फ्लैटवुड मॉन्स्टर (Flat woods Monster)
  4. डोवर डीमन (Dover Demon)
  5. आउलमैन (Owlman)
  6. गॉटमैन (Goatman)
  7. कन्वै आईलैंड मॉन्स्टर (Canvey Island Monster)
  8. पोप लिक मॉन्स्टर (Pop Lick Monster)
  9. यति (Yeti)
  10. लोच मॉन्स्टर (Loch Monster)
  11. छुपाकाबरा (Chupacabra)
  12. मोथमैन (Mothman)
  13. परियाँ (Fairies)
  14. सिगबिन (Sigbin)

अयोध्या का राम मंदिर || Ram temple of Ayodhya

अयोध्या का राम मंदिर

अयोध्या का राम मंदिर आजकल हर किसी की जुबान पर है और भगवान श्री राम तो हर सनातनी के दिल में वास करते हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को 12:20 पर तय किया गया है।

अयोध्या का राम मंदिर || Ram temple of Ayodhya

राम मन्दिर अयोध्या में राम जन्मभूमि के स्थान पर बनाया जा रहा एक हिन्दू मन्दिर है। जहाँ रामायण के अनुसार, हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता भगवान श्रीराम का जन्मस्थान है। मन्दिर निर्माण की पर्यवेक्षण श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र कर रहा है। 5 अगस्त 2020 को भारत के प्रधान मन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भूमिपूजन अनुष्ठान किया गया था और मन्दिर का निर्माण आरम्भ हुआ था। 

सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया था। हिंदू पक्ष के मुताबिक 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सिपहसलार मीर बाकी ने मंदिर गिराकर बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) बनवाई थी। 1528 से लेकर 2020 तक यानी 492 साल के इतिहास में कई मोड़ आए। कुछ मील के पत्थर भी पार किए गए। खास तौर से 9 नवंबर 2019 का दिन जब 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसले को सुनाया। अयोध्या जमीन विवाद मामला देश के सबसे लंबे चलने वाले केस में से एक रहा।         

Laser light show in Ram Temple Ayodhya 

सन् 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने (विवादित जगह पर) एक मस्जिद का निर्माण कराया। इसे लेकर हिंदू समुदाय ने दावा किया कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां एक प्राचीन मंदिर था। हिंदू पक्ष के मुताबिक मुख्य गुंबद के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था। बाबरी मस्जिद में तीन गुंबदें थीं।

सन् 1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी। मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई।         
अयोध्या का राम मंदिर || Ram temple of Ayodhya
सन् 1949 में असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट (डीएम) केके नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।

सन् 1950 में फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई। इसमें एक में रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की।

सन् 1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की। 1984 में विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की।1986 में यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया।                  
अयोध्या का राम मंदिर || Ram temple of Ayodhya
6 दिसंबर 1992 को वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़के गए, जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए। फिर सन्  2002 में हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई। इसकी वजह से गुजरात में हुए दंगे में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।                  

सन् 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया। 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया। 

8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा। 1 अगस्त 2019 को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। 2 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा। 6 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई। 16 अक्टूबर 2019 को अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।

9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली। मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश दिया गया। 25 मार्च 2020 को तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलर मंदिर में प्रवेश हुए। 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम किया गया। 

अब मंदिर लगभग पूरा बनकर तैयार है, जिसका उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को 12:20 पर तय किया गया है।
जय श्री राम 🙏

English Translate

Ram temple of Ayodhya

Ram temple of Ayodhya is on everyone's lips these days and Lord Shri Ram resides in the heart of every Sanatani. As you all know, the inauguration of the grand Ram temple being built in Ayodhya, Uttar Pradesh has been fixed on 22 January 2024 at 12:20.
अयोध्या का राम मंदिर || Ram temple of Ayodhya
Ram Mandir is a Hindu temple being built at the site of Ram Janmabhoomi in Ayodhya. Where according to Ramayana, it is the birthplace of Lord Shri Ram, the main deity of Hindu religion. The construction of the temple is being supervised by Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra. On 5 August 2020, the Bhoomi Pujan ritual was performed by the Prime Minister of India, Shri Narendra Modi and the construction of the temple started.

The constitutional bench of five judges of the Supreme Court had given its verdict in favor of Ram Temple on 9 November 2019. According to the Hindu side, in 1528, Mughal emperor Babar's commander Mir Baqi had demolished the temple and built Babri Masjid. There were many turning points in the history of 492 years from 1528 to 2020. Some milestones were also crossed. Especially the day of 9 November 2019 when the constitutional bench of 5 judges gave the historic decision. The Ayodhya land dispute case has been one of the longest running cases in the country.

In 1528, Mughal emperor Babar's general Mir Baqi built a mosque (at the disputed site). Regarding this, the Hindu community claimed that this place was the birthplace of Lord Ram and there was an ancient temple here. According to the Hindu side, the birthplace of Lord Rama was below the main dome. Babri Masjid had three domes.

For the first time, riots took place around this place in 1853. In 1859 the British administration erected a fence around the disputed site. Muslims were allowed to worship inside the structure and Hindus were allowed to worship outside on the platform.

The real controversy started in 1949 on 23 December 1949, when idols of Lord Ram were found in the mosque. Hindus said that Lord Rama had appeared, while Muslims alleged that someone quietly placed the idols there at night. The UP government ordered the removal of the statues, but District Magistrate (DM) KK Nair expressed his inability to carry out the order for fear of riots and inflaming Hindu sentiments. The government considered it a disputed structure and got it locked.

In 1950, two petitions were filed in Faizabad Civil Court. In one of them, permission was sought to worship Ramlala and in the other, permission was sought to keep the idol of Lord Ram in the disputed structure. In 1959, Nirmohi Akhara filed a third application.

In 1961, the UP Sunni Waqf Board filed an application demanding possession of the disputed site and removal of the statues. Vishwa Hindu Parishad formed a committee in 1984 to build a temple in place of the disputed structure. In 1986, on the petition of UC Pandey, Faizabad District Judge KM Pandey, on 1 February 1986, demolished the structure, allowing Hindus to worship there. Ordered to remove the lock.

On 6 December 1992, lakhs of workers of VHP and Shiv Sena and other Hindu organizations demolished the disputed structure. Communal riots broke out across the country, in which more than 2 thousand people were killed. Then in 2002, a train carrying Hindu activists was set on fire in Godhra, in which 58 people died. Because of this, more than 2 thousand people were killed in the riots in Gujarat.

In 2010, Allahabad High Court in its decision ordered to divide the disputed site into 3 equal parts between Sunni Waqf Board, Ram Lalla Virajman and Nirmohi Akhara. In 2011, the Supreme Court stayed the Allahabad High Court's decision on the Ayodhya dispute. In 2017, the Supreme Court called for out-of-court settlements.
अयोध्या का राम मंदिर || Ram temple of Ayodhya
On March 8, 2019, the Supreme Court referred the case to arbitration. The panel was asked to conclude the proceedings within 8 weeks. The arbitration panel submitted its report on 1 August 2019. On 2 August 2019, the Supreme Court said that the arbitration panel had failed to resolve the case. On 6 August 2019, daily hearing of the Ayodhya case started in the Supreme Court. Hearing of Ayodhya case completed on 16 October 2019. The Supreme Court reserved the decision.

On 9 November 2019, a five-judge bench of the Supreme Court ruled in favor of the Ram temple. The Hindu side got 2.77 acres of disputed land. An order was given to provide separate 5 acres of land for the mosque. On March 25, 2020, after almost 28 years, Ramlala came out of the tent and entered the temple. Bhoomi pujan program of Ram temple was conducted on 5 August 2020.

Now the temple is almost complete, the inauguration of which is scheduled on 22 January 2024 at 12:20.
Jai Shri Ram 🙏

गुरु नानक जयंती 2023 || Guru Nanak Jayanti 2023

गुरु नानक जयंती 2023

गुरु नानक देव जयंती हर साल कार्तिक पूर्णिमा को ही मनाई जाती है। गुरु नानक देव की जयंती को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सिख धर्म के लोग गुरुद्वारे जाकर गुरुग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं।

गुरु नानक जयंती 2023

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु नानक जी का जन्म हुआ था। उनका जन्म सन् 1469 में पंजाब प्रांत के तलवंडी में हुआ था, जो कि अब पाकिस्तान में है। नानक जी के जन्म स्थान को अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। सिख समुदाय के लोगों के लिए यह स्थान काफी पवित्र माना जाता है। गुरु नानक जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी। इसलिए वे सिखों के पहले गुरु माने जाते हैं। नानक जी ने ही पवित्र शब्द 'इक ओंकार' को लिखा था। सिखों के लिए इस गुरुवाणी का काफी अधिक महत्व है।

गुरु नानक जयंती केवल एक दिन के लिए नहीं बल्कि यह पर्व तीन दिन चलता है। जिसमें गुरुद्वारों में अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है। इस दौरान सिख समुदाय की आध्यात्मिक पुस्तक (श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी) का लगातार 48 घंटे तक पाठ किया जाता है। गुरु नानक जी के जन्मदिन से एक दिन पहले नगर कीर्तन जुलूस निकाला जाता है।

Guru Nanak Jayanti 2023

इस साल गुरु नानक जयंती 27 नवंबर को (आज) मनाई जा रही है। गुरु नानक जयंती के पावन अवसर पर देशभर के सभी गुरुद्वारों में खास रौनक देखने को मिलती है। इस दिन गुरुद्वारे को रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से सजाया जाता है। इसके साथ ही कीर्तन, पाठ का आयोजन किया जाता है और प्रभात फेरियां भी निकाली जाती है। गुरु नानक जयंती को गुरु पूरब और प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है।              

गुरु नानक जी ने अपना जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने जात-पात मिटाने के लिए और लोगों को एकता के सूत्र में बांधने के लिए उपदेश दिए थे। नानक जी ने समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाने का कार्य किया थी, इसी वजह से गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।

गुरु नानक जयंती 2023 || Guru Nanak Jayanti 2023

गुरु नानक गुरु वाणी-
इक ओंकार सतनाम करता पुरख
अकाल मूरत
अजूनी सभम
गुरु परसाद जप आड़ सच जुगाड़ सच
है भी सच नानक होसे भी सच
सोचे सोच न हो वे
जो सोची लाख वार
छुपे छुप न होवै
जे लाइ हर लख्ता
रउखिया पुख न उतरी
जे बनना पूरिया पार
सहास्यांपा लाख वह है
ता एक न चले नाल
के वे सच यारा होइ ऐ
के वे कूड़े टूटते पाल
हुकुम रजाई चलना नानक लिखिए नाल

समय अनमोल है || Time is Precious

समय अनमोल है

समय निरंतर गति से चलायमान है। समय अनमोल है, किसी भी कीमत पर और किसी के लिए भी इसकी गति को परिवर्तित नहीं किया जा सकता। गुजरा हुआ वक़्त कभी भी लौट कर नहीं आता। अतः समय का दुरूपयोग कभी भी न करें। समय का अधिक से अधिक सदुपयोग करें और अपने जीवन में सदैव आगे बढ़ें। प्रस्तुत है समय पर कुछ महान लोगों के विचार :-

समय अनमोल है || Time is Precious

  1. दो स्थानों के बीच की अधिकतम दूरी समय होती है - टेनेसी विलियम्स
  2. इंतज़ार मत करो। समय कभी भी सही नहीं होगा - मार्क ट्वेन
  3. अपना समय क्रोध, पछतावा, चिंता तथा ईर्ष्या में मत ज़ाया करें। दुखी रहने के लिए ज़िन्दगी बहुत छोटी है - रॉय टी. बेनेट
  4. समय मुफ्त में मिलता है, परंतु यह अनमोल है। आप इसे अपना नहीं सकते, लेकिन आप इसका उपयोग कर सकते हैं। आप इसे रख नहीं सकते, पर आप इसे खर्च कर सकते हैं। एक बार आपने इसे खो दिया, तो वापस कभी इसे पा नहीं पाएंगे - हार्वे मैके
  5. वह व्यक्ति जो अपनी ज़िन्दगी का एक घण्टा भी व्यर्थ करने की हिम्मत रखता है, उसने अभी तक ज़िन्दगी की कीमत नहीं समझी - चार्ल्स डार्विन
  6. सिर्फ एक ही चीज़ है जो हमारे समय से अधिक कीमती है, वह यह कि हम इसे किस पर खर्च कर रहे हैं - लियो क्रिस्टोफर
  7. आप किसी भी चीज़ के लिए समय नहीं निकाल सकते। यदि आपको समय चाहिए, तो आपको इसे बनाना पड़ेगा - चार्ल्स बुक्सटॉन
  8. समय की कीमत धन से अधिक होती है। आपको और धन तो मिल सकता है, लेकिन आपको और अधिक समय नहीं प्राप्त हो सकता - जिम रोहं
  9. दो सबसे महान योद्धा धैर्य और समय हैं - लियो टॉलस्टॉय
  10. ज़िन्दगी बहुत छोटी है। उस पर ध्यान केंद्रित करें जो आपके लिए सबसे अधिक मायने रखता है। समय के साथ साथ आपको अपनी प्राथमिकताएं बदलनी चाहिए - रॉय टी. बेनेट
  11. एक मिनट देर करने से अच्छा है, कि समय से तीन घण्टे पूर्व कार्य कर लिया जाये - विलियम शेक्सपियर
  12. समय अनमोल है। यह सुनिश्चित करें कि आपका समय सही लोगों के साथ ही व्यतीत हो - अज्ञात
  13. समय फिसलता है, इसे एक बार ढीला करने पर, इसकी डोर हाथ से हमेशा के लिए फिसलती चली जाती है - एंथोनी डोरर
  14. समय एक निर्मित वस्तु के समान है। यह कहना कि ‘मेरे पास समय नहीं है’, यह कहने के समान है कि ‘मैं उक्त कार्य करना नहीं चाहता’।
  15. हर उस मिनट में जिसमें आप क्रोधित होते हो, आप अपनी खुशियों के 60 सेकंड गंवा देते हो - अज्ञात
  16. कई बार ऐसा लगता है कि अपनी घडी को वापस पलट दूँ, और उससे सारे बुरे और दुःख भरे पल अलग निकाल दूँ, पर फिर मुझे ऐसा महसूस होता है कि अगर मैंने ऐसा किया तो सारे खुशियों के पल भी मेरे जीवन से मिट जाएंगे - निकोलस स्पार्क्स
  17. जो चीज़ वास्तव में हमारे पास है, वह है समय; क्योंकि जिसके पास कुछ भी नहीं होता, उसके पास समय होता है - बाल्टसर ग्रेसियन
  18. रेत के कणों की तरह ही समय फिसलता चला जाता है और फिर कभी वापस नहीं मिलता - रोबिन शर्मा
  19. समय दोस्ती से कभी दूर नहीं कर सकता और न ही अलगाव से दोस्ती कम होती है - टेनेसी विलियम्स
  20. मैं आपको अपने मिनटों का सदुपयोग करने का सुझाव देता हूँ, और इसके बाद आपके जीवन के घण्टे खुद- ब- खुद संवर जाएंगे - अर्ल ऑफ़ चेस्टरफ़ील्ड
  21. सफल व्यक्ति अपने समय का उपयोग बुद्धिमत्ता पूर्वक करते हैं, वे साधारण लोगों की तरह अपने समय को बेमतलब के कार्यों में खर्च नहीं करते हैं - ए. टी. जी. डब्लू.
  22. कुछ यादें ऐसी होती हैं, जिन्हें समय नहीं मिटा सकता। इस अभाव को पूरी उम्र में भी भुलाया नहीं जा सकता, बस लोग उसे सहन करना सीख लेते हैं - कैसान्द्रा क्लार
  23. ऐसा नहीं है कि हमारे पास ज़िन्दगी जीने के लिए बहुत कम समय होता है, परंतु उसमें से अधिकांश का हम व्यर्थ में दुरुपयोग कर देते हैं - सेनेका
  24. कार्य करने के लिए कोई भी समय सही समय नहीं होता, खुद को तैयार करने से पहले अपनी चाल चलें और सब कुछ अपने आप ही अपने उचित स्थान पर आ जाएगा - ए. टी. जी. डब्लू.
  25. भले ही हमारा समय अच्छा हो या बुरा हो, हमारे पास यही एकमात्र समय होता है - आर्ट बुचवाल्ड
  26. यदि आप बहुत अधिक समय तक एक चीज़ के बारे में सोचते रहेंगे, तो आप कभी भी उसे पूरा नहीं कर पाएंगे - ब्रूस ली
  27. हमें अपना समय हमेशा बुद्धि के साथ उपयोग करना चाहिए और हमेशा ये याद रखना चाहिए, सही कार्य करने के लिए समय हमेशा ही उचित होता है - नेल्सन मंडेला
  28. आपके अंदर का व्यस्त इंसान जीवन में समय की कमी से भली भांति परिचित है और उसे पता है कि बीता हुआ कल आज की याद है और आने वाला कल आज के ख्वाब की तरह है - काहलिल गिब्रन
  29. लोग कहते हैं कि वक़्त सारे घाव भर देता है, पर ये बात वो इस संदर्भ में कहते हैं कि उस दुःख का स्त्रोत निश्चित होता है - कैसान्द्रा क्लेयर
  30.  समय प्रबंधन ही जीवन प्रबंधन है - ए. टी. जी. डब्लू.
  31. इंसान को शान के साथ काम करने के लिए लंबे समय तक सपने देखने चाहिए और ये सपने अक्सर अँधेरे में पलते हैं - जीन जेनेट
  32. समय गुज़र जाता है, लेकिन अपनी परछाई पीछे छोड़ जाता है - नथानिएल हॉथ्रोने
  33. मुझे नकारात्मकता अच्छी लगती थी। इस खाली ड्रामा में फंसने के लिए जीवन बहुत बड़ा है और समय बहुत कम है - अज्ञात
  34. पुराना समय कभी नहीं बीतता। यह कभी पुराना भी नही होता - विलियम फॉल्कनर
  35. असल बात समय को खर्च करना नहीं है, परंतु इसका उचित उपयोग करना है - स्टीफन आर. कोवे
  36. जो लोग अपने समय का सबसे अधिक दुरूपयोग करते हैं, वही लोग अक्सर समय न होने की शिकायत किया करते हैं - जीन डी ला ब्रुयेरे
  37. ज़िन्दगी मील के पत्थरों से नहीं बनती बल्कि यह छोटे बड़े सभी पलों से मिलकर बनती है - रोज़ केनेडी
  38. सही कार्य करने के लिए समय हमेशा सही ही होता है - मार्टिन लूथर किंग जूनियर
  39. समय बहुत कीमती होता है। पेंडुलम के साथ साथ ही यह उड़ता जाता है। दिन के अंत के साथ यह भी कम होता जाता है। घडी की टिक टिक के साथ ज़िन्दगी के दिन घटते जाते हैं - लिंकिन पार्क
  40. जख्मों के पास बार बार याद दिलाने की अनूठी कला होती है कि हमारा गुज़रा समय सच था - कॉर्मक मैक कार्थी
  41. समय सबको समान अवसर देता है, परंतु हम उसका जैसे उपयोग करते हैं वह एक समान नहीं है - जॉन सी. मैक्सवेल
  42. वर्तमान समय का बाकी सभी समय पर एक लाभ यह होता है कि यह हमारा स्वयं का होता है - चार्ल्स कलेब कॉल्टन
  43. अपना समय व्याख्याओं में मत व्यर्थ करो, लोग वही सुनेंगे जो वो सुनना चाहते हैं - पाउलो कोएल्हो
  44. किसी भी चीज़ की कीमत यह होती है कि आप आपने जीवन की कितनी मात्रा देकर उसे पाना चाहेंगे - हेनरी डेविड थोरेओ
  45. कल (बीता हुआ) जा चुका है। कल (आने वाला) अभी तक नहीं आया है। हमारे पास बस आज है। इसलिए अभी से अपने कार्य शुरू कर दीजिए - मदर टेरेसा
  46. किताबों के पास किसी विशेष क्षण में रुकने की शक्ति होती है और वे कहती हैं कि इस बात को भूलना नहीं है - डेव एग्गेर्स
  47. आप देर कर सकते हो, पर समय देर नहीं करेगा - बेंजामिन फ्रेंक्लिन
  48. जो समय आप खुश रहने में व्यर्थ कर देते हो, वो समय असल में व्यर्थ नहीं होता - मार्थे ट्रॉली- कर्टिन
  49. समय ही धन है - बेंजामिन फ्रेंक्लिन
  50. ज़िन्दगी में मेरी पसंदीदा चीज़ पर किसी प्रकार का धन नहीं खर्च हुआ। यह साफ़ है कि सबसे कीमती संसाधन जो हमारे पास मौजूद होता है, वह समय है - स्टीव जॉब्स
  51. समस्या समय की कमी नहीं, बल्कि दिशा की कमी होती है। हम सभी को दिन के 24 घंटे प्राप्त होते हैं - ज़िग ज़िगलर

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Time is Precious

Time moves at a constant speed. Time is precious, its speed cannot be changed at any cost and for anyone. The time passed never comes back. Therefore, never misuse time. Make maximum use of time and always move forward in your life. Here are the thoughts of some great people on time:-

समय अनमोल है || Time is Precious

  1. The greatest distance between two places is time - Tennessee Williams
  2. Don't wait. The timing will never be right - Mark Twain
  3. Don't waste your time in anger, regret, worry and jealousy. Life's too short to be sad - Roy T. Bennett
  4. Time is free, but it is precious. You can't own it, but you can use it. You can't keep it, but you can spend it. Once you've lost it, you'll never get it back - Harvey Mackay
  5. The man who dares to waste even an hour of his life has not yet understood the value of life - Charles Darwin
  6. The only thing that's more valuable than our time is what we spend it on - Leo Christopher
  7. You can't find time for anything. If you want time, you have to make it - Charles Buxton
  8. Time is worth more than money. You can get more money, but you can't get more time - Jim Rohn
  9. The two greatest warriors are patience and time - Leo Tolstoy
  10. Life is very short. Focus on what matters most to you. Your priorities must change over time - Roy T. Bennett
  11. It is better to do a task three hours early than a minute late - William Shakespeare
  12. Time is the coin of your life. Make sure you spend your time with the right people - Unknown
  13. Time slips, once loosed, its string slips forever - Anthony Dorr
  14. Time is like a created thing. Saying ‘I don’t have time’ is like saying ‘I don’t want to do that work’.
  15. For every minute you are angry, you lose 60 seconds of happiness - Unknown
  16. Sometimes I feel like turning back the clock and removing all the bad and sad moments from it, but then I feel that if I do so, all the happy moments will also be erased from my life - Nicholas sparks
  17. What we really have is time; Because he who has nothing has time - Baltasar Gracian
  18. Like grains of sand, time slips away and never comes back - Robin Sharma
  19. Time never takes away friendship, nor does separation diminish friendship - Tennessee Williams
  20. I suggest you make good use of your minutes, and then the hours of your life will take care of themselves - Earl of Chesterfield
  21. Successful people use their time wisely, they do not spend their time in meaningless activities like ordinary people - A. T.G. W.
  22. There are some memories which time cannot erase. This absence cannot be forgotten even in adulthood, people just learn to tolerate it - Cassandra Klar
  23. It is not that we have very little time to live, but that we waste most of it - Seneca
  24. There is no right time to act, prepare yourself before you make your move and everything will fall into place - A. T.G. W.
  25. Whether our times are good or bad, this is the only time we have - Art Buchwald
  26. If you think about one thing for too long, you'll never finish it - Bruce Lee
  27. We must always use our time wisely and always remember that the time is always right to do the right thing - Nelson Mandela
  28. The busy person inside you is well aware of the lack of time in life and knows that yesterday is a memory of today and tomorrow is like a dream of today - Kahlil Gibran
  29. People say that time heals all wounds, but they say this in the context that the source of that pain is certain - Cassandra Claire
  30.   Time management is life management - A. T.G. W.
  31. A man must dream long to work with dignity and these dreams often grow in darkness - Jean Genet
  32. Time passes, but it leaves behind its shadow - Nathaniel Hawthorne
  33. I liked negativity. Life is too big and time too short to get caught up in this empty drama - Unknown
  34. Old times never pass. It never gets old - William Faulkner
  35. The point is not to spend time, but to use it wisely - Stephen R. covey
  36. The people who misuse their time the most are the ones who most often complain about not having time. - Jean de la Bruyère
  37. Life is not made up of milestones, it is made up of moments, big and small - Rose Kennedy
  38. The time is always right to do the right thing - Martin Luther King Jr.
  39. Time is very precious. It keeps flying along with the pendulum. This also decreases with the end of the day. The days of life keep ticking as the clock ticks - Linkin Park
  40. Scars have a unique art of reminding us again and again that our past was true - Cormac Mac Carthy
  41. Time gives equal opportunity to all, but we do not use it equally - John C. Maxwell
  42. The present moment has one advantage over all other times: it is our own - Charles Caleb Colton
  43. Don't waste your time explaining, people will hear what they want to hear - Paulo Coelho
  44. The price of anything is the amount of your life you are willing to give to get it - Henry David Thoreau
  45. Yesterday is gone. Tomorrow has not come yet. We just have today. So start your work right now - Mother Teresa
  46. Books have the power to linger on a particular moment and tell us not to forget it - Dave Eggers
  47. You may delay, but time will not delay - Benjamin Franklin
  48. The time you waste trying to be happy is not time wasted - Martha Trolli-Curtin
  49. Time is money - Benjamin Franklin
  50. No money was spent on my favorite thing in life. It's clear that the most precious resource we have is time - Steve Jobs
  51. The problem is not lack of time, but lack of direction. We all get 24 hours a day - Zig Ziglar


कोयला-और-चंदन || Coal-and-Sandalwood

 कोयला-और-चंदन

भरत नाम का एक लड़का था, जो कुछ गलत बच्चों की संगत में पड़ता जा रहा था। भरत के माँ पिता को भरत के भविष्य की लेकर बहुत फ़िक्र सताने लगी। उनका मानना ये था कि मारने पीटने से ये और ज्यादा ढीठ बन सकता है। इसलिए वो रोज भरत को समझाते की बेटा बुरे बच्चों का साथ छोड़ दो। दिन पर दिन तुम्हारी आदतें बिगड़ती जा रही हैं। भरत पर उनके समझाने का कोई असर नहीं दिख रहा था। 

कोयला-और-चंदन || Coal-and-Sandalwood

एक दिन भरत शाम को बहुत बुरी हालत मे घर पहुंचा। भरत के कपड़े फ़टे हुए और गंदे थे। भरत को कुछ जगह पर चोटें भी आई थीं। माँ ने भरत को इस हालत में देखा तो बहुत दुखी और अचंभित हो गई। माँ पूछने लगी की ये सब कैसे हुआ, किसने मारा?

भरत की हालत देख कर साफ पता लगा रहा था की भरत झगड़ा कर के आया है। इतने में भरत के पिता भी दफ्तर से घर पहुँच गए। भरत की हालत देख पिता जी भी अचंभित रह गए। पिता जी के हाथ में 4-5 कोयले के टुकड़े और दूसरे हाथ मे चंदन की लकड़ी थी। पिता ने भरत को बुलाया और भरत के एक हाथ मे कोयले के टुकड़े और दूसरे हाथ में चंदन की लकड़ी रखते हुए बोले - "बेटा कुछ देर दोनों को अपने हाथों में ऐसे ही पकड़े रखो।"

कुछ समय बाद पिता ने बोला की बेटा अब दोनों नीचे रख दो। भरत के जिस हाथ में कोयला था उतनी जगह पर हाथ काला हो चुका था और जिस हाथ मे चंदन था वह हाथ बिलकुल साफ था और हाथ से चंदन की सुगंध भी आ रही थी। अब पिता ने कहा की कोयले की वजह से तुम्हारा हाथ काफ़ी गन्दा दिख रहा है, अब इसे साफ करो। भरत ने बहुत कोशिस की, लेकिन अब भी भरत का हाथ काफ़ी गन्दा ही दिख रहा था। 

अब पिता ने भरत को सीख देते हुए कहा की बेटा, ठीक ऐसी ही बुरी संगत भी होती है। बुरी संगत में रहने से बुरी आदतें पड़नी ही है, बुरी आदतें पड़ गई तो बहुत मुश्किल से छूटेंगी। बुरी संगत से बुरी आदतें लगती हैं, जो जीवन को बर्बाद कर देती हैं। जीवन में दुख देती हैं। 

वहीं दूसरी तरफ चंदन अच्छे लोगों की संगत की तरह है। अच्छी संगत से जीवन में अच्छी आदतें और अच्छे गुण आते हैं, जो जीवन को चंदन की सुगंध की तरह सुगंधित कर देता हैं। पिता जी की इन बातों का भरत के मन पर गहरा प्रभाव हुआ। भरत ने उसी समय बुरे लोगों की संगत छोड़ दी। 

शिक्षा : लोगों की संगत से हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है, हमेशा अच्छे लोगों की संगत में रहें। 

जय श्री कृष्णा 🙏

English Translate

Coal-and-Sandalwood

There was a boy named Bharat, who was falling into the company of some wrong children. Bharat's parents started worrying a lot about Bharat's future. His belief was that beating him could make him more insolent. That's why he used to tell Bharat every day that son, leave the company of bad children. Your habits are worsening day by day. There was no visible effect of his explanation on Bharat.

कोयला-और-चंदन || Coal-and-Sandalwood

One day Bharat reached home in the evening in a very bad condition. Bharat's clothes were torn and dirty. Bharat also suffered injuries at some places. When mother saw Bharat in this condition, she became very sad and surprised. Mother started asking how did all this happen, who killed her?

Seeing Bharat's condition, it was clear that Bharat had come after a fight. Meanwhile, Bharat's father also reached home from office. Seeing Bharat's condition, father was also surprised. Father had 4-5 pieces of coal in his hand and sandalwood in the other hand. The father called Bharat and said to Bharat, placing pieces of coal in one hand and sandalwood in the other hand - "Son, hold both of them in your hands like this for some time."

After some time, the father said, son, put both of them down now. Bharat's hand in which there was coal had turned black at that place and the hand in which there was sandalwood was completely clean and the fragrance of sandalwood was also coming from the hand. Now father said that your hand is looking very dirty because of the coal, now clean it. Bharat tried hard, but Bharat's hands still looked quite dirty.

Now the father taught Bharat a lesson and said that son, bad company is like this only. Staying in bad company is bound to lead to bad habits, if bad habits are formed then it will be very difficult to get rid of them. Bad company leads to bad habits which ruin life. Gives sorrow in life.

On the other hand, sandalwood is like the company of good people. Good company brings good habits and good qualities in life, which makes life fragrant like the fragrance of sandalwood. These words of his father had a deep impact on Bharat's mind. Bharat left the company of bad people at that very moment.

Lesson: The company of people has a great impact on our lives, always stay in the company of good people.

Jai Shri Krishna 🙏

असम का राज्य पशु एक सींग वाला गैंडा (राइनोसीरस यूनिकॉर्निस)

असम का राज्य पशु एक सींग वाला गैंडा

असम का राज्य पशु एक सींग वाला गैंडा है। एक सींग वाला गैंडा एक संकटग्रस्त प्रजाति है। भारत में असम में एक सींग वाले गैंडों की सबसे बड़ी आबादी है। दुनिया में एक सींग वाले गैंडों की आबादी लगभग 3000 है। अकेले असम में उनमें से लगभग 2000 हैं।

असम का राज्य पशु एक सींग वाला गैंडा (राइनोसीरस यूनिकॉर्निस)

भारतीय गैंडा, जिसे एक सींग वाले बड़े गैंडे के रूप में भी जाना जाता है, पृथ्वी पर गैंडे की सबसे बड़ी प्रजाति है। नर लगभग तीन टन वजन तक पहुँच सकते हैं और अधिकांश मनुष्यों की तुलना में लम्बे खड़े हो सकते हैं। अपने नाम के अनुरूप, एक सींग वाले गैंडे का केवल एक सींग होता है, 

एक सींग वाले गैंडा (राइनोसीरस यूनिकॉर्निस) की त्वचा भूरे या भूरे-भूरे रंग की होती है, जिसमें कई ढीले सिलवटें और ट्यूबरकल होते हैं, जो इसे कवच-प्लेटेड रूप देते हैं। कंधों के आगे और पीछे तथा जाँघों के सामने भारी सिलवटें एक सींग वाले गैंडे की त्वचा को दो विशाल ढालों में विभाजित कर देती हैं। इस गैंडे की एक विशिष्ट विशेषता यह है कि कंधों के सामने की तह पीछे की ओर नहीं बढ़ती है।

असम का राज्य पशु एक सींग वाला गैंडा (राइनोसीरस यूनिकॉर्निस)

गैंडे की कुल पाँच प्रजातियाँ होती हैं- अफ्रीका में सफेद और काले राइनो, एक सींग वाले गैंडे, एशिया में जावा और सुमात्रन गैंडे/राइनो। भारत में केवल एक-सींग वाला गैंडा पाया जाता है। एक-सींग वाला गैंडा (भारतीय गैंडा) राइनो प्रजाति में सबसे बड़ा है। इस गैंडे की पहचान एकल काले सींग और त्वचा के सिलवटों के साथ भूरे रंग से होती है। ये मुख्य रूप से घास, पत्तियों, झाड़ियों और पेड़ों की शाखाओं, फल तथा जलीय पौधे की चराई (Graze) करते हैं। गैंडे की यह प्रजाति इंडो-नेपाल के तराई क्षेत्र, उत्तरी पश्चिम बंगाल और असम तक सीमित है। भारत में गैंडे मुख्य रूप से असम, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं। असम में चार संरक्षित क्षेत्रों (पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य, राजीव गांधी ओरंग नेशनल पार्क, काज़ीरंगा नेशनल पार्क और मानस राष्ट्रीय उद्यान) में 2,640 गैंडे हैं। इनमें से लगभग 2,400 गैंडे काज़ीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिज़र्व (Kaziranga National Park and Tiger Reserve) में हैं।

असम का राज्य पशु एक सींग वाला गैंडा (राइनोसीरस यूनिकॉर्निस)

भारतीय गैंडे प्रकृति में अकेले रहते हैं, नर आक्रामक रूप से क्षेत्रीय नहीं होते हैं और उनकी घरेलू सीमाएँ अक्सर ओवरलैप होती हैं। वे लोटने या चरने के लिए प्रमुख स्थानों पर भी इकट्ठा होंगे। गैंडों के लिए लोटना एक महत्वपूर्ण गतिविधि है - वे उथले मिट्टी के तालाब ढूंढते हैं और अपनी त्वचा को मिट्टी की सुरक्षात्मक परत में ढकने के लिए चारों ओर लोटते हैं। यह उन्हें दिन के सबसे गर्म घंटों के दौरान ठंडा रहने में मदद करता है, काटने वाले कीड़ों को दूर रखता है और संभावित रूप से यूवी किरणों को भी रोकता है। भारतीय गैंडे आमतौर पर सुबह और देर शाम के दौरान भोजन करते हैं, जब तापमान ठंडा होता है। 

बड़े एक सींग वाले गैंडों की प्रजनन क्षमता धीमी होती है, जो उनके आकार के स्तनधारियों के लिए विशिष्ट है। मादाएं लगभग 15 से 16 महीने तक गर्भधारण करती हैं और अपने बछड़ों को कम से कम डेढ़ साल तक अकेले पालती हैं। कई संभावित साझेदारों वाली एक स्वस्थ मादा गैंडा हर दो से तीन साल में एक बछड़े को जन्म देगी ।

असम का राज्य पशु एक सींग वाला गैंडा (राइनोसीरस यूनिकॉर्निस)

अन्य गैंडों की तरह, भारतीय गैंडे की दृष्टि कमजोर होती है और इसके बजाय वह सुनने और सूंघने की अपनी बेहतर इंद्रियों पर निर्भर रहता है। भारतीय गैंडे महान तैराक होते हैं और बिना किसी परेशानी के नदियों को पार कर सकते हैं। यह उन्हें अफ़्रीकी गैंडों से अलग करता है, जो तैर ​​नहीं सकते।

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State Animal of Assam One Horned Rhinoceros

The state animal of Assam is the one-horned rhinoceros. The one-horned rhinoceros is an endangered species. Assam has the largest population of one-horned rhinoceros in India. The population of one-horned rhinoceros in the world is around 3000. There are about 2000 of them in Assam alone.

असम का राज्य पशु एक सींग वाला गैंडा (राइनोसीरस यूनिकॉर्निस)

The Indian rhinoceros, also known as the greater one-horned rhinoceros, is the largest species of rhinoceros on Earth. Males can reach a weight of nearly three tons and stand taller than most humans. True to its name, the one-horned rhinoceros has only one horn,

The skin of a one-horned rhinoceros (Rhinoceros unicornis) is brown or grayish-brown, with numerous loose folds and tubercles, giving it an armour-plated appearance. Heavy folds on the front and back of the shoulders and on the front of the thighs divide the one-horned rhinoceros' skin into two huge shields. A distinctive feature of this rhinoceros is that the fold in front of the shoulders does not extend backward.

असम का राज्य पशु एक सींग वाला गैंडा (राइनोसीरस यूनिकॉर्निस)असम का राज्य पशु एक सींग वाला गैंडा (राइनोसीरस यूनिकॉर्निस)

There are five species of rhinoceros – the white and black rhinos in Africa, the one-horned rhinoceros, the Javan and Sumatran rhinoceros in Asia. Only the one-horned rhinoceros is found in India. The one-horned rhinoceros (Indian rhinoceros) is the largest of the rhino species. This rhinoceros is identified by its single black horn and brown color with skin folds. They mainly graze on grass, leaves, branches of bushes and trees, fruits and aquatic plants. This species of rhinoceros is limited to the Terai region of Indo-Nepal, northern West Bengal and Assam. In India, rhinos are found mainly in Assam, West Bengal and Uttar Pradesh. There are 2,640 rhinos in four protected areas in Assam (Pobitora Wildlife Sanctuary, Rajiv Gandhi Orang National Park, Kaziranga National Park and Manas National Park). Of these, about 2,400 rhinos are in Kaziranga National Park and Tiger Reserve.

Indian rhinoceros live alone in nature, males are not aggressively territorial and their home ranges often overlap. They will also gather at prime spots to roost or graze. Wallowing is an important activity for rhinos – they find shallow mud ponds and roll around to cover their skin in a protective layer of mud. This helps them stay cool during the hottest hours of the day, keeps out biting insects and potentially even blocks UV rays. Indian rhinoceros usually feed during the early morning and late evening, when temperatures are cooler.

असम का राज्य पशु एक सींग वाला गैंडा (राइनोसीरस यूनिकॉर्निस)

The greater one-horned rhinoceros has a slow reproductive rate, which is typical for mammals of their size. Females gestation for about 15 to 16 months and raise their calves alone for at least a year and a half. A healthy female rhinoceros with multiple potential partners will give birth to one calf every two to three years.

Like other rhinos, the Indian rhinoceros has poor eyesight and instead relies on its superior senses of hearing and smell. Indian rhinos are great swimmers and can cross rivers without any trouble. This distinguishes them from African rhinos, which cannot swim.

भारतीय राज्य के राजकीय पशुओं की सूची || List of State Animals of India ||

भारतीय राज्य के राजकीय पक्षियों की सूची |(List of State Birds of India)

श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta) अध्याय - 18 (13 - 18 )

श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)

अथाष्टादशोऽध्यायः- मोक्षसंन्यासयोग

कर्मों के होने में सांख्यसिद्धांत का कथन

श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)
पञ्चैतानि महाबाहो कारणानि निबोध मे ।
साङ्ख्ये कृतान्ते प्रोक्तानि सिद्धये सर्वकर्मणाम्‌  || 18.13 ||

भावार्थ : 

हे महाबाहो! सम्पूर्ण कर्मों की सिद्धि के ये पाँच हेतु कर्मों का अंत करने के लिए उपाय बतलाने वाले सांख्य-शास्त्र में कहे गए हैं, उनको तू मुझसे भलीभाँति जान৷

अधिष्ठानं तथा कर्ता करणं च पृथग्विधम्‌ ।
विविधाश्च पृथक्चेष्टा दैवं चैवात्र पञ्चमम्‌  || 18.14 ||

भावार्थ : 

इस विषय में अर्थात कर्मों की सिद्धि में अधिष्ठान (जिसके आश्रय कर्म किए जाएँ, उसका नाम अधिष्ठान है) और कर्ता तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के करण (जिन-जिन इंद्रियादिकों और साधनों द्वारा कर्म किए जाते हैं, उनका नाम करण है) एवं नाना प्रकार की अलग-अलग चेष्टाएँ और वैसे ही पाँचवाँ हेतु दैव (पूर्वकृत शुभाशुभ कर्मों के संस्कारों का नाम दैव है) है৷

शरीरवाङ्‍मनोभिर्यत्कर्म प्रारभते नरः ।
न्याय्यं वा विपरीतं वा पञ्चैते तस्य हेतवः || 18.15 ||

भावार्थ : 

मनुष्य मन, वाणी और शरीर से शास्त्रानुकूल अथवा विपरीत जो कुछ भी कर्म करता है- उसके ये पाँचों कारण हैं৷

तत्रैवं सति कर्तारमात्मानं केवलं तु यः ।
पश्यत्यकृतबुद्धित्वान्न स पश्यति दुर्मतिः  || 18.16 ||

भावार्थ : 

परन्तु ऐसा होने पर भी जो मनुष्य अशुद्ध बुद्धि (सत्संग और शास्त्र के अभ्यास से तथा भगवदर्थ कर्म और उपासना के करने से मनुष्य की बुद्धि शुद्ध होती है, इसलिए जो उपर्युक्त साधनों से रहित है, उसकी बुद्धि अशुद्ध है, ऐसा समझना चाहिए।) होने के कारण उस विषय में यानी कर्मों के होने में केवल शुद्ध स्वरूप आत्मा को कर्ता समझता है, वह मलीन बुद्धि वाला अज्ञानी यथार्थ नहीं समझता৷

यस्य नाहङ्‍कृतो भावो बुद्धिर्यस्य न लिप्यते ।
हत्वापि स इमाँल्लोकान्न हन्ति न निबध्यते  || 18.17 ||

भावार्थ : 

जिस पुरुष के अन्तःकरण में 'मैं कर्ता हूँ' ऐसा भाव नहीं है तथा जिसकी बुद्धि सांसारिक पदार्थों में और कर्मों में लिपायमान नहीं होती, वह पुरुष इन सब लोकों को मारकर भी वास्तव में न तो मरता है और न पाप से बँधता है। (जैसे अग्नि, वायु और जल द्वारा प्रारब्धवश किसी प्राणी की हिंसा होती देखने में आए तो भी वह वास्तव में हिंसा नहीं है, वैसे ही जिस पुरुष का देह में अभिमान नहीं है और स्वार्थरहित केवल संसार के हित के लिए ही जिसकी सम्पूर्ण क्रियाएँ होती हैं, उस पुरुष के शरीर और इन्द्रियों द्वारा यदि किसी प्राणी की हिंसा होती हुई लोकदृष्टि में देखी जाए, तो भी वह वास्तव में हिंसा नहीं है क्योंकि आसक्ति, स्वार्थ और अहंकार के न होने से किसी प्राणी की हिंसा हो ही नहीं सकती तथा बिना कर्तृत्वाभिमान के किया हुआ कर्म वास्तव में अकर्म ही है, इसलिए वह पुरुष 'पाप से नहीं बँधता'।)৷

ज्ञानं ज्ञेयं परिज्ञाता त्रिविधा कर्मचोदना ।
करणं कर्म कर्तेति त्रिविधः कर्मसङ्ग्रहः  || 18.18 ||

भावार्थ : 

ज्ञाता (जानने वाले का नाम 'ज्ञाता' है।), ज्ञान (जिसके द्वारा जाना जाए, उसका नाम 'ज्ञान' है। ) और ज्ञेय (जानने में आने वाली वस्तु का नाम 'ज्ञेय' है।)- ये तीनों प्रकार की कर्म-प्रेरणा हैं और कर्ता (कर्म करने वाले का नाम 'कर्ता' है।), करण (जिन साधनों से कर्म किया जाए, उनका नाम 'करण' है।) तथा क्रिया (करने का नाम 'क्रिया' है।)- ये तीनों प्रकार का कर्म-संग्रह है৷

लिजार्डमैन (Lizard Man) (दुनिया के रहस्यमई जीव जंतु || Mysterious animals of the world)

लिजार्डमैन (Lizard Man)

रहस्यमयी, विचित्र और भयानक प्राणीयों कि दुनिया में आगे बढ़ते हैं और आज बात करते हैं अमेरिका के विचित्र प्राणी "लिजार्डमैन (Lizard Man)" के बारे में। साउथ कैरोलिना की ली काउंटी के स्वाम्पलैंड क्षेत्र में इसे 29 जून 1988 को देखा गया था। इस विचित्र प्राणी की लंबाई 7 फीट 2 इंच थी। उसकी त्वचा का रंग हरा और आंखें चमकीली लाल हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार बेहद ताकतवर इस प्राणी (लिजार्डमैन) के  हर पैर में तीन अंगूठे और हर हाथ में तीन उंगलियां थीं। कुछ के अनुसार उसकी पूंछ भी थी। वह दीवारों और सीलिंग पर चढ़ जाता था।
लिजार्डमैन (Lizard Man),दुनिया के  रहस्यमई जीव जंतु || Mysterious animals of the world

लिजार्डमैन का पहला किस्सा 29 जून 1988 को सुनने में आया था। 17 साल का क्रिस्टोफर डेविस रात दो बजे काम से लौट रहा था। स्केप और स्वैंप के पास पंहुचकर उसकी कार का टायर फट गया। टायर बदलने के लिए उसने कार सडक़ पर रोक दी।  कुछ ही देर बाद उसे अपने पीछे से दौडने कि आवाज़ सुनाई दी। उसने देखा खेतों में से एक विचित्र प्राणी उसकी तरफ़ दौडते हुआ आ रहा है। उसको देख कर डेविस डर के कारण कार मे छिप गया। डेविस के अनुसार वह काफी गुस्सें मे था। वह कार की छत पर चढ़ा, काफी खरोंचे मारी और साइड मिरर भी तोड दिया।

इसके अगले महीने लिजार्डमैन को देखने कि कई लोगों ने शिक़ायत की। सभी घटनाएं स्केप और स्वैंप के पाँच किमी व्यास के इलाके मे हूई। सभी की कार पर काटने और खरोंचने के निशान थे। इतने लोगो की शिकायत के बाद स्थानीय अधिकारियों ने सोचा कहीं कुछ तो गड़बड़ है। फिर भी उन्हें लगता था कि ये कोइ भालू हो सक्ता है। इसके बाद डेविस के दिए विवरण के अनुसार प्लास्टर से लिजार्डमैन के पन्जे बना के देखे गये। ये करीब 14 इंच के थे, जीव वैज्ञानिकों को ये निशान दिखाए गए। उनके अनुसार ऐसे फूटप्रिंट्स साइंस के रिकॉर्ड में नहीं थे। इसलिए इन्हें जांच के लिए एफबीआई को नहीं भेजा गया। 

साउथ कैरोलिना के मरीन रिसोर्स डिपार्टमेंट के प्रवक्ता जॉनी इवांस ने इसकी संभावना को खारिज कर दिया था। स्थानीय रेडियो स्टेशन ने इसे जिंदा पकड़ने वाले को दस लाख डालर के इनाम देने की घोषणा की। अगले साल गर्मियों के अंत तक लिजार्डमैन देखे जाने की खबरें कम हो गईं। अब भी बीच-बीच में लोग ऐसे दावे करते रहते हैं। 
लिजार्डमैन (Lizard Man),दुनिया के  रहस्यमई जीव जंतु || Mysterious animals of the world
अगस्त 2015 में अमेरिका के साउथ कैरोलिना शहर में ऐसी ही रहस्‍यमयी मानव छिपकली देखी गई है। जिस महिला ने इसे देखा था, उसने तुरंत इसकी फोटो खींच ली। खबरों की मानें तो अमेरिका के स्यूमटर शहर के पास रहने वाली महिला सारा बेरा ने इसे देखने को दावा किया है। सारा का कहना है कि, वह पिछले रविवार को अपने एक फ्रेंड के साथ चर्च गई हुई थी। तभी वहां उसने पेड़ों के पास एक अजीबो-गरीब आकृति के जीव की झलक देखी। छिपकली जैसा दिखने वाला यह विशालकाय जानवर पेड़ों के सहारे भाग रहा था। इसका आधा शरीर छिपकली और बाकी मानव जैसा था। सारा ने उसी समय इस रहस्यमयी जानवर को मोबाइल में कैद कर लिया। मानव छिपकली को लेकर कई वैज्ञानिकों में भले ही मतभेद हो लेकिन इसके मौजूद होने के प्रमाण हमेशा मिलते रहते हैं। अब वास्तव में कभी लिजार्डमैन जैसा कोइ प्राणी था या नहीं, है या नहीं ये आज तक एक रहस्य है।

English Translate

Lizard Man

Let's move ahead in the world of mysterious, strange and terrifying creatures and today let's talk about America's strange creature "Lizard Man". It was observed on June 29, 1988, in a swampland area of Lee County, South Carolina. The length of this strange creature was 7 feet 2 inches. His skin color is green and his eyes are bright red. According to reports, this extremely powerful creature (Lizard Man) had three thumbs on each foot and three fingers on each hand. According to some he also had a tail. He used to climb walls and ceilings.
दुनिया के  रहस्यमई जीव जंतु || Mysterious animals of the world
The first episode of Lizardman was heard on June 29, 1988. 17-year-old Christopher Davis was returning from work at 2 am. His car's tire burst after reaching the scape and swamp. He stopped the car on the road to change the tyre. After some time he heard the sound of running from behind him. He saw a strange creature coming running towards him from the fields. Seeing him, Davis hid in the car out of fear. According to Davis, he was very angry. He climbed on the roof of the car, left a lot of scratches and also broke the side mirror.

The following month, many people complained about seeing Lizardman. All the incidents took place in a five km diameter area of scape and swamp. There were bite and scratch marks on everyone's car. After so many complaints, local officials thought something was wrong. Still they felt that it could be a bear. After this, Lizardman's claws were made from plaster according to the description given by Davis. These were about 14 inches long, these marks were shown to the biologists. According to him, such footprints were not in the records of science. Therefore they were not sent to the FBI for investigation.

Johnny Evans, a spokesman for South Carolina's Department of Marine Resources, dismissed the possibility. The local radio station announced a reward of one million dollars for anyone capturing it alive. By the end of the summer the following year, reports of Lizardman sightings diminished. Even now people keep making such claims from time to time.
दुनिया के  रहस्यमई जीव जंतु || Mysterious animals of the world
In August 2015, a similar mysterious human lizard was seen in South Carolina city of America. The woman who saw it immediately took a photo of it. If reports are to be believed, Sarah Bera, a woman living near Sumter city of America, has claimed to have seen it. Sara says that she had gone to church with a friend last Sunday. Then there he saw a glimpse of a strange shaped creature near the trees. This huge animal that looked like a lizard was running with the help of trees. Half of its body was like a lizard and the rest was like a human. Sara captured this mysterious animal on her mobile at that very moment. There may be differences of opinion among many scientists regarding the human lizard, but there is always evidence of its existence. Now whether or not there actually ever was a creature like Lizardman or not is still a mystery.

अक्षय नवमी (Akshay Navami) / आंवला नवमी (Amla Navami) 2023

अक्षय नवमी (आंवला नवमी)

अक्षय नवमी का त्यौहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अर्थात दीपावली के 8 दिन बाद मनाई जाती है। इस बार अक्षय नवमी आज 21.11.2023 है। इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है, अतः इसे आंवला नवमी भी कहते हैं।

अक्षय नवमी (आंवला नवमी) 2023

अक्षय नवमी पर लोग स्नान, दान, पूजा, पाठ करते हैं। अक्षय नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन आंवला के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर भगवान विष्णु को उसका भोग लगाकर स्वयं भी यह भोजन प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।          

आंवला को अमरता का फल माना जाता है। कहा जाता है कि जो इंसान अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठ कर भोजन करता है, उसे अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

अक्षय नवमी (आंवला नवमी) 2023

कैसे शुरू हुआ यह पर्व 

आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और इसके वृक्ष के नीचे भोजन करने की प्रथा की शुरुआत करने वाली माता लक्ष्मी मानी जाती हैं। प्रचलित कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं। रास्ते में भगवान विष्णु और शिव की पूजा एक साथ करने की उनकी इच्छा हुई। लक्ष्मी मां ने विचार किया कि एक साथ विष्णु और शिव की पूजा कैसे हो सकती है। तभी उन्हें ख्याल आया कि तुलसी और बेल के गुण एक साथ आंवले में पाया जाता है। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय है और बेल शिव को। आंवले के वृक्ष को विष्णु और शिव का प्रतीक चिह्न मानकर मां लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर विष्णु और शिव प्रकट हुए। लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर विष्णु और भगवान शिव को भोजन कराया। इसके बाद स्वयं ने भोजन किया। जिस दिन यह घटना हुई उस दिन कार्तिक शुक्ल नवमी थी तभी से यह परम्परा चली आ रही है।

ब्लॉग के सभी पाठकों को आंवला नवमी की हार्दिक शुभकामनायें। 
श्री हरि की कृपा सभी पर बनी रहे, सभी निरोगी और स्वस्थ रहें।