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Sunday ~ इतवार ~ रविवार

इतवार 

Sunday
सन्डे का सफर बया करूँ अपने जुबानी
सुबह से ही शुरू होती हैं इसकी कहानी

नींद खुलते ही, नहीं रहती कोई परेशानी
ना जाना हैं दफ्तर, ना स्कूल की रवानी
इसलिये मम्मी भी कहती हैं, सो लो - 2
आज सनडे हैं जानी,

ना मम्मी की डाँट, ना टीचर की फटकार
पर दोस्तों के साथ घूमने जाना हैं यार
Game, Movie, shopping और
outing के लिये ready रहता पूरा परिवार(अभी कोरोना है, आउटिंग मना है)

मम्मी- पापा के लिये भी रहता है, सनडे special दिन यार
मम्मी बनाती हैं, आज के दिन नये-नये पकवान,
पापा भी बुला लेते है, घर में नये-नये मेहमान
फिर हमसब मिलकर करते है T.V को परेशान
क्योंकि आज Sunday हैं मेरी जान.

दादा - दादी भी खुश रहते हैं आज
क्यूंकि इक्कठा रहता हैं पूरा परिवार
फिर हमसब करते हैं मजा जमकर यार
Sunday शाम के बाद, Monday सुबह से वही tension है तैयार
फिर करेंगे अब तो इस दिन का इंतजार
क्योँकि सारे वारो का Sunday हैं राजा
हफ्ते भर की थकान मिटाने के लिये,
ओ मेरे Sunday अब तो आजा.

English Translate

Sunday

Sunday

As soon as sleep opens, there is no problem
 Neither to go to office, nor to go to school
 That's why the mother also says, sleep - 2
 Today it is Sunday,

 Neither mother's scolding, nor teacher's reprimand
 But man to go out with friends
 Game, Movie, shopping and
 The whole family is ready for outing (right now Corona, outing is forbidden)

 Mommy stays for father too, Sunday special day
 Mummy makes new dishes today,
 Father also calls, new guests in the house
 Then together we harass T.V.
 Because today Sunday is my life.

 Grandparents are also happy today
 Because the whole family lives together
 Then we all have fun very dear
 Sunday evening, same tension is ready from Monday morning
 Will wait for this day again
 Because Sunday is the king of all the warriors
 To eliminate a week's fatigue,
 Oh my Sunday, now come

जादुई छड़ी - Magic Sticks

जादुई छड़ी 

जादुई छड़ी  (Magic Sticks )

दूर देश का एक व्यापारी कारोबार के सिलसिले में कुछ दिन के लिए अकबर की राजधानी में ठहरा हुआ था। वह गर्मी के दिन थे।सोने जाने केे पहले उसने अपने सारे जवाहरात एक पोटली में बांध कर बक्से में रखा और उसकी चाभी अपने सिरहाने के नीचे छुपा कर रख दिए और सो गया। सुबह ऊठा तो पाया की बक्सा खुला था और चाभी जमीन पे पड़ी मिली। वह उसके पूरे जीवन की जमापूंजी थी। उसने अपने नौकरों को बुलाया और सबसे जवाब-तलब किया, लेकिन किसी को कुछ मालूम नहीं था। इसलिए वह व्यापारी शहंशाह अकबर के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचा।

शहंशाह ने उसकी फरियाद सुनी और यह मामला अपने सबसे बुद्धिमान मंत्री बीरबल के हवाले कर दिया। बीरबल ने व्यापारी को बुलाया और साथ में उसके सभी नौकरों को भी। सभी एक साथ बीरबल के पास पहुंचे। बीरबल ने सभी नौकरों से कहा, ‘मैं तुम सब को एक-एक छड़ी दे रहा हूं। याद रखना यह जादू की छड़ियां हैं। तुममें से जिसने भी जवाहरात चुराए हैं, उसकी छड़ी रात ही रात में एक सूत लंबी हो जाएगी। कल सुबह तुम्हें इसी वक्त फिर यहां हाजिर होना है। अपने साथ में अपनी छड़ी लाना मत भूलना। मैं देखना चाहूंगा कि चोर कौन है।’ यह सुन कर सभी रवाना हो गए।

             अगली सुबह व्यापारी के साथ सभी नौकर वापस लौटे। बीरबल ने सभी छड़ियां अपने सामने रखवाईं। उन्होंने देखा कि एक छड़ी शेष से कुछ छोटी है। उन्होंने अपने सिपाहियों को आदेश दिया कि उस नौकर को पकड़ लिया जाए, जिसकी यह छड़ी है। चोर वही है।
     इसके बाद बीरबल ने बताया कि"यह जादुई छड़ी नहीं है, बल्कि साधारण छड़ी हैं जो एक ही बराबर काटी हुई थीं। चोर ने घबराकर अपनी छड़ी को एक सूत छोटी काट दी थी।
चोर ने अपना गुनाह  कबूल कर लिया। व्यापारी ने बीरबल का सुक्रिय अदा किया।

जादुई छड़ी  (Magic Sticks )

Magic Sticks

There were a number of rich traders and wealthy merchants in the empir of Akbar. Once upon a time, a wealthy merchant was robbed. The thief stole away each and every thing including the clothes and utensils. The wealthy merchant was turned into a pauper in a day. 
             The state officer was told but there aas no clue found about the thieves. The Emperor was extremely worried about the expensive robbery. He decided to discover about the thief. He called birbal and instructed him to probe into the matter. He was asked to catch the thief alone with the booty. 
                Birbal ventured to fulfil the mission. He summoned the merchant and made neccesary inquiries. He asked-"Do you suspect anyone, if so, please tell us. Please do not worry, we shall make sure to recover all your wealth." The Emperor was also present. The merchant was slightly relieved. "Jahapanah! I feel it is the job of my servants because I think no outsider can have so much information and details about everything. It is also a thruth that I have not seen any of my servant indulging into foul play. I can not blame or name any particular employee." Replied the merchant. 

जादुई छड़ी  (Magic Sticks )

                   Birbal sent a servant and summoned all the employees. When the servants gathered, Birbal fetch a bunch of sticks cut into equal size. He pretended to chant some mantras at the sticks and handed each stick to every servant. He said, "All of you may keep the sticks with you tonight. 
Tomorrow morning, all of you may come to the court and show me your sticks. Whoever is the thief or is indirectly or directly involved in the robbery shall be caught. His stick shall increase by half an inch on its own. "
                  Birbal instructed the state officials to take care that each servant stayed in a seperate room, an assistant was arranged to look after them. The actual thief was afraid of being found. He thought of choping up half an inch of the stick so thst when it is incresed it would become equal to the other sticks. He wondered, "Diwan Birbal shall not be able to find out the real thief if I chopped off the sticks." He care fully chopped off the stick by half an inch. 

जादुई छड़ी  (Magic Sticks )

                      The next day the Emperor, Birbal & the merchant went to the quaters where the servants spent there night. Birbal had a look at all the sticks. The thief's stick was half an inch shorter. Birbal found the thief. 
                       Birbal took him aside and said that he would set him free if he disclosed where he has hidden the booty. When the thief displayed his reluctance in speaking out, Birbal asked a servant to give him a sound thrashing. 
                        The thief was terrified. He accepted his guilt and declared where he has hidden the booty. The booty was recovered. Birbal asked the merchant to take away his belongings. The merchant was overwhelmed to get back his wealth, he had almost lost all the hopes of ever getting it back. The Emperor had been carefully observing everything. He was very happy at the manner in which Birbal dealt the case. 
                       The merchant fell at birbal's feet to express his gratitude. He said, "I would never get anything back if you had not helped me. You are a God sent angel to me." 

जादुई छड़ी  (Magic Sticks )

Birbal clasped at the merchant to his heart and handed over all that was recovered from the thief. The thief was adequately punished according to the law of the state.

हमारा तेल कैसा हो (Best Cooking Oil for Health)

  हमारा तेल कैसा हो 

वात को संतुलित रखने के लिए शुद्ध तेल  खाएं। रिफाइंड , डबल रिफाइंड, ट्रिपल रिफाइन माने जहर। जो तेल मीलों में निकालने के बाद मिलता है, वह शुद्ध तेल  है। तेल को रिफाइंड करते समय तेल की चिकनाई निकाल लेते हैं। चिकनाई निकालने के बाद तेल  में उसका गुण नहीं रह जाता। 
हमारा तेल कैसा हो (Best Cooking Oil for Health)
                 तेल  की चिकनाई जब एक बार निकाली जाती है तो वह रिफाइंड तेल  होता है। दो बार निकालने पर डबल और तीन बार निकालने पर ट्रिपल हो जाता है। चिकनाई खाएं लेकिन देखकर खाएं कि कौन सी खाने लायक है और कौन सी खाने लायक नहीं है। चिकनाई दो तरह की होती है एक अच्छी दूसरी बुरी।
                 अच्छी चिकनाई जरूर खाएं।अच्छी चिकनाई शरीर में HDL बढ़ाती है, जो बुरी चिकनाई है वह  LDL और VLDL बढ़ाती है, यह खतरनाक है।  अच्छी चिकनाई नहीं खाने से शरीर चूसे हुए आम की तरह हो जाता है। चिकनाई नहीं खाने से शरीर की चमक चली जाती है।

               बर्फीले इलाकों तथा पहाड़ी इलाकों में रहने बालों के लिए तिल का तेल अच्छा होता है। शुद्ध तेल में अच्छी चिकनाई मिलती है। नारियल, सरसों, मूंगफली ,तिल  को मिल में डालने के बाद जो सीधे तेल निकलता है वह शुद्ध तेल होता है। अशुद्ध तेल- रिफाइंड तेल, डबल रिफाइंड तेल, ट्रिपल रिफाइंड तेल, डालडा, वेजिटेबल तेल मत खाएं। जो आपकी तासीर को सूट करे वही तेल खाएं।

                   मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए सरसों का तेल तथा समुद्र के किनारे रहने वालों के लिए नारियल का तेल अच्छा होता है। शुद्ध तेल से वात का कोई रोग नहीं होता है।  वात के कुल 80 रोग हैं- जैसे घुटने का दर्द, कमर दर्द, गर्दन का दर्द, जोड़ों का दर्द।
                     
# तेल का चिपचिपापन तेल का सबसे महत्वपूर्ण घटक है। जैसा वैज्ञानिक लोग कहते हैं। जिस तेल में चिपचिपा पन नहीं होता है, वह तेल नहीं होता है।
# वात को  समभाव में रखने की सबसे अच्छी वस्तु है तेल जिसमें आप सब्जियां बनाते हैं। तेल का मतलब शुद्ध तेल यानी तेल की घानी से निकला हुआ सीधा- सीधा तेल। बिना कुछ मिलाए हुए माने रिफाइंड तेल ना खाएं।
# किसी भी तेल को रिफाइन करने में 6-7 केमिकल इस्तेमाल होते हैं। डबल रिफाइन में 12- 13 केमिकल इस्तेमाल होते हैं। यह सारे केमिकल मनुष्य के द्वारा बनाए हुए इन ऑर्गेनिक केमिकल हैं। इन ऑर्गेनिक केमिकल जहर बनाते हैं। आधुनिकता के नाम पर प्रयोग किए जाने वाले यह केमिकल सभी के शरीर में जहर बन कर उतर रहे हैं।
# तेल में प्रोटीन बहुत है। तेल से आने वाली महक तेल का ऑर्गेनिक घटक है। प्रोटीन के लिए कुल 5 तरह के प्रोटीन तेल में होते हैं, जो बास के साथ ही तेल से गायब हो जाते हैं। यह दोनों चीजें निकलने के बाद तेल, तेल नहीं होता है पानी हो जाता है इसलिए शुद्ध तेल खाएं।
# रिफाइंड तेल पिछले 20- 25 वर्षों  पहले से आए हैं। शुद्ध तेल खाने से लिवर में HDL बनता है, जो शरीर के लिए आवश्यक है। HDL ही वात को नियंत्रित करता है।
# मूंगफली और तेल में मिलने वाला तेल HDL बढ़ाता है। अतः इसे बिल्कुल भी डरना नहीं चाहिए। मोटापा VLDL और LDL बढ़ने से होता है अर्थात जब HDL बढ़ेगा तो LDL और VLDL कम होने लगेगा, जिसके कारण मोटापा कम होने लगेगा और पेट अंदर चला जाएगा।


खरीदते समय सावधान रहें
- कोई भी तेल की बोतल उठाने से पहले उसका लेबल गौर से देखें। अच्छे तेल में ओमेगा3 और ओमेगा6 के बीच 1:2 का रेश्यो होना चाहिए। मसलन अगर 1 ग्राम ओमेगा3 ले रहे हैं तो 2 ग्राम ओमेगा6 लेना चाहिए। तेल खरीदते हुए देखें कि ओमेगा3 ऊपर लिखा हो और ओमेगा6 नीचे यानी ओमेगा3 ज्यादा हो और ओमेगा6 कम। अगर किसी तेल में ओमेगा6 (सनफ्लार और कॉर्न) बहुत ज्यादा हो तो उसे भी अच्छा नहीं माना जाता।
- देखें कि तेल की बोतल पर जीरो ट्रांस फैट लिखा हो। साथ ही, नॉन हाइड्रोजिनेटिड और नॉन पीएचवीओ (PHVO)भी लिखा हो। लेकिन जीरो ट्रांस फैट का फायदा तभी तक है, जब तक आप उस तेल को गर्म नहीं करते। किसी भी तेल को अगर बार-बार गर्म किया जाए तो उसमें ट्रांस फैट्स बन जाते हैं।
- देखें कि बोतल पर कोल्ड कंप्रेस्ड ऑयल लिखा हो। फिजिकली रिफाइनिंग में थोड़ा-बहुत केमिकल इस्तेमाल होते हैं, जबकि सॉल्वेंट एक्स्ट्रैक्शन में भी केमिकल इस्तेमाल किए जाते हैं। लेकिन कोल्ड कंप्रेस्ड में बिना कोई केमिकल मिलाए बेहद कम तापमान पर तेल निकाला जाता है। यह सबसे बेहतर होता है।
हमारा तेल कैसा हो (Best Cooking Oil for Health)

How our oil should be

 Eat pure oil to keep Vata balanced.  Refined, double refined, triple refined mana poison.  The oil that is obtained after extracting it in miles is pure oil.  Lubricates the oil while refining the oil.  After removing the lubricating oil, it does not retain its properties.
 The lubricating oil, once extracted, is refined oil.  Double takes out double and triple throws.  Eat smoothness, but eat what is eatable and which is not edible.  There are two types of smoothness, one good and the other bad.
 Eat good smoothness. Good lubrication increases HDL in the body, bad lubrication increases LDL and VLDL, it is dangerous.  The body becomes like sucked mango due to not eating good lubricity.  The body glows by not eating greasy.
 Sesame oil is good for hair living in icy areas and mountainous areas.  Pure oil has a good smoothness.  The oil directly extracted after adding coconut, mustard, groundnut, sesame is pure oil.  Impure oil- Do not eat refined oil, double refined oil, triple refined oil, Dalda, vegetable oil.  Eat the oil that suits your taste.
 Mustard oil is good for the people living in the plains and coconut oil is good for those living on the coast.  There is no disease of Vata with pure oil.  There are total 80 diseases of vata- such as knee pain, back pain, neck pain, joint pain.
 # The viscosity of oil is the most important component of oil.  As scientific people say.  Oil that does not have a sticky pan is not oil.
 # The best thing to keep Vata in sync is the oil in which you make vegetables.  Oil means pure oil i.e. straight oil derived from the oil condensate.  Do not eat refined oil without adding anything.
 # 6-7 chemicals are used to refine any oil.  Double refines use 12–13 chemicals.  All these chemicals are these organic chemicals made by humans.  These organic chemicals make poison.  These chemicals used in the name of modernism are becoming poison in everyone's body.
 # There is a lot of protein in oil.  Smell coming from oil is the organic component of oil.  There are a total of 5 types of protein in the oil, which disappear from the oil along with the bass.  After both these things come out, there is no oil, no oil becomes water, so eat pure oil.
 # Refined oils come from the last 20–25 years ago.  Eating pure oil produces HDL in the liver, which is essential for the body.  HDL only controls Vata.
 # Peanut and oil found in oil increases HDL.  So it should not be afraid at all.  Obesity is caused by increasing VLDL and LDL, that is, when HDL increases, LDL and VLDL will start decreasing, due to which obesity will start to decrease and go inside the stomach.

हमारा तेल कैसा हो (Best Cooking Oil for Health)

 Before taking any oil bottle, check its label carefully.  Good oil should have a ratio of 1: 2 between omega 3 and omega 6.  For example, if taking 1 gram of omega 3, then 2 grams of omega 6 should be taken.  When buying oil, see that omega 3 is written above and omega 6 is below, ie omega 3 is more and omega 6 is less.  If omega 6 (sunflower and corn) is too much in any oil, it is also not considered good.
 See that the bottle of oil has zero trans fat written on it.  Also, non-hydrogenated and non-PHVO is also written.  But the advantage of zero trans fat is only until you heat that oil.  If any oil is heated again and again, trans fats are formed in it.
 - See that the bottle has cold compressed oil written on it.  Physically some little chemical is used in refining, while solvent extraction is also used chemically.  But in cold compressed oil is extracted at a very low temperature without adding any chemical.  This is the best.

बीरबल की खिचड़ी - Birbal Ki Khichdi

बीरबल की खिचड़ी 


बीरबल की खिचड़ी (Birbal Ki Khichdi)

एक दिन बादशाह अकबर ने अपने महल में ये घोषणा की कि जो आदमी सर्दी के मौसम में नदी के ठंडे पानी में  पूरी रात खड़ा रहेगा.उसे बादशाह अकबर खुद पुरस्कृत करेंगे.अकबर के कहे अनुसार पुरे नगर में डंका पिटवा कर बताया गया की सर्दी के मौसम में नदी के ठंडे पानी में  पूरी रात  जो व्यक्ति  खड़ा रहेगा उसे राजा अपने हाथो  से इनाम देगे.
अगले ही दिन एक व्यक्ति ने सोचा की  गरीबी से परेशान हुँ क्यू ना गरीबी दूर करने की खातिर नदी में घुटने तक डूबे रहकर पानी में ठिठुरते हुए सारी रात बिता दी जाय.
और उसने ऐसा  ही किया बहुत मुश्किल उसने जैसे तैसे ठिठुरते हुए वो सर्द रात पानी में बिता दी और अगले दिन वो बादशाहअकबर के दरबार में अपना इनाम लेने पहुँचा तो बादशाह अकबर ने उससे पूछा “तुमने कैसे सारी रात बिना सोए, खड़े-खड़े ही नदी में रात बिताई? तुम्हारे पास इस बात का क्या सबूत है में कैसे मान लू ?”
इस पर उस व्यक्ति ने उत्तर दिया की “जहाँपनाह, मैं सारी रात नदी किनारे से जो महल के कमरे में जलता हुआ चिराग  दिख रहा था मै पूरी रात उसे ही देखता रहा और जागते हुए सारी रात नदी के ठंडे पानी  में गुजार दी.

बीरबल की खिचड़ी (Birbal Ki Khichdi)

" ऐसा सुनते ही राजा ने प्रतिउतर देते हुए कहा की इसका मतलब तो यह हुआ कि तुमने महल के उस जलते हुए चिराग की गरमी के सहारे पूरी रात पानी में खड़े रहे और ठन्डे पानी में खड़े रहने का इनाम  पाना चाहते हो?  ये तो सरासर गलत है और बादशाह अकबर ने क्रोधित होकर सिपाहियों को उसे जेल में बन्द कर देने का आदेश दे दिया ."
बीरबल भी दरबार में बैठे बैठे ये सब देख रहे थे की राजा गलत कर रहे है  बीरबल को यह देख बुरा लगा कि बादशाह उस गरीब पर जुल्म कर रहे हैं और सारी रात ठण्ड पानी में ईमानदार से खड़े रहने के बाद  भी उसे इनाम की जगह सजा दे रहे है. तभी बीरबल ने मन ही मन सोच  लिया की राजा को एक उदाहरण के जरिये न्याय करने की सही सलाह दी जाये ताकि राजा के पद की गरिमा भी बनी रहे  और गरीब आदमी को उसका हक  मिल सके.
अगले ही दिन बीरबल ने अकबर को अपने घर भोजन पे खिचड़ी खाने के लिये आमंत्रित किया अकबर कभी भी बीरबल का आग्रह नहीं टालते थे इसलिये अगले दिन अकबर तय समय पर बीरबल के घर भोजन करने पहुंच गए काफी देर तक जब राजा भोजन के इंतजार में बैठे रहे और भोजन नहीं आया तो राजा ने कहा बीरबल वो स्वादिस्ट खिचड़ी कब परोसोगे तो बीरबल ने जबाब दिया की राजन खिचड़ी पका रहे हैं और वह खिचड़ी पकते ही आपको परोसी जायेगी.


काफी समय बीत जाने के बाद भी जब भोजन नहीं आया तो  बादशाह गुस्से  में खड़े हुए और कहा की ये कैसा भोजन  जो पक ही नहीं रहा है. मैं  स्वयं देखना चाहता हूं और गुस्से में राजा उस जगह पर पहुंचे जहां बीरबल राजा के लिये खिचड़ी पका रहे थे.
बादशाह ने देखा कि एक बहुत लंबे से डंडे पर एक घड़ा बाँध कर उसे बहुत ऊँचा लटका दिया गया है और नीचे जरा सी आग जल रही है. पास में बीरबल आराम से खटिए पर लेटे हुए हैं.  इस पर बादशाह ने गुस्से में बीरबल से  पूछा यह क्या तमाशा है? क्या ऐसे  भी खिचड़ी पकती है? बीरबल तुम बेवकूफी कर रहे हो ऐसे तो न कभी खिचड़ी पकेगी और न मैं खा पाउगा.
इस पर तुरंत ही बीरबल ने कहा  माफ करें, जहाँपनाह, खिचड़ी जरूर पकेगी, पर वैसी ही पकेगी जैसी कि उस व्यक्ति ने सारी रात नदी के उस ठन्डे पानी में 1 किलोमीटर दूर  महल के दीये की गरमी लेते हुए रात बिताई थी. बादशाह अकबर को बात तुरंत समझ में आ गई. उन्होंने बीरबल को गले लगाया और उस निर्धन व्यक्ति को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया और साथ ही मुह मांगा इनाम  भी दिया तो ऐसी थी अकबर बीरबल की खिचड़ी.

Birbal Ki Khichdi

Those were the days of chilly nights of winter. One day there was a royal announcement, 'Anyone standing whole night in the river will be awarded.' A poor man accepted the challenge for the sake of the reward. He stood all throughnight in the river.
                      Next day the poor man reached the court to procure the reward. He was accompanied by a guard who was the witness.
                     Akbar asked him, "Was there fire alighted any where close by? " The guard replied, "No, a tiny lamp was lighted a few miles away." Badshah was not in a mood to give reward, he said, "Oh! You recieved the warmth from that lamp, you are not entitled to the prize. "

बीरबल की खिचड़ी (Birbal Ki Khichdi)

                    Birble didn't agree with this,  he felt hurt that the poor man was deprived of his due. Few days later Birbal went to Badshah Akbar for hunting. As it grew dark Birbal told the emperor, "Huzoor!  Tonight I am going to cook your dinner,  you may ask the royal cooks not to prepare for it."
                    Badshah accepted the offer graciously. He asked, "What are you cooking for dinner? "
         "Huzoor khichdi! "
          Badshah liked the khichdi cooked by birbal. At night,  it was getting very late for dinner. Badshah was feeling hungry,  he inquired for the dinner,  time and again. Each time he was told it was being cooked. At last he went to look into it personally. He saw that birbal has dug three poles and made a shape of tripod. Fier was burning on the ground.
          Birbal saw Akbar and said, "Huzoor! Khichdi is being cooked. "Oh Birbal!  The fire is so far from the vessel,  how can the warmth reach the earthen pot of khichdi? "
          Birbal said, "Huzoor! When a tiny lamp can give warmth to a man, then why....? "
          Badshah Akbar realized his mistake. He called the poor man and rewarded him.

बीरबल की खिचड़ी (Birbal Ki Khichdi)

Daily Routine (दिनचर्या)

दिनचर्या

Daily Routine (दिनचर्या)

दिनचर्या हर व्यक्ति के अपने शरीर के हिसाब से अलग-अलग होती है। यह सभी के लिए एक समान नहीं हो सकती है। दिनचर्या की दृष्टि से हर व्यक्ति के जीवन को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है। बचपन (यानी पहले दिन से 14 साल के समय तक), जवानी (14 साल से 60 साल तक), बुढ़ापा (60 साल के बाद का समय)।

# बचपन की दिनचर्या

कफ के प्रभाव वालों की दिनचर्या पहले दिन से 14 वर्ष तक।

*  बचपन में कफ का प्रभाव अधिक होता है। उस समय  वात और पित्त कफ की तुलना में बहुत कम होता है । 14 वर्ष तक 8 से 10 घंटे  सोना भी अनुकूल ही माना गया है।
*   बच्चों को नींद 8 से 10 घंटे की लेनी चाहिए। यह नींद यदि दो हिस्सों में ले तो बहुत ही अच्छा। यानी रात में 8 घंटे तक सो जाएं और दिन में दो घंटे तक सो जाए।
*   पहले दिन से 4 वर्ष तक के बच्चे को कम से कम 16 घंटे की नींद लेनी चाहिए। 4 वर्ष से 8 वर्ष के बच्चों को 12 से 14 घंटे की नींद तथा 8 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चों को 8 से 10 घंटे नींद लेनी चाहिये।
*   ह्रदय से ऊपर मस्तिष्क तक कफ का क्षेत्र है। हृदय के नीचे नाभि तक पित्त का क्षेत्र है। नाभि के नीचे पूरा वात का क्षेत्र है। बच्चों के ज्यादातर रोग छाती के ऊपर वाले (कफ) ही होंगे, जैसे- नाक बहेगी, जुकाम होगा, खांसी होगी यह सब कफ के रोग हैं।  कफ के प्रभाव को संतुलित करने के लिए नींद के बाद दूसरी चीज है बच्चों की तेल मालिश। अतः बच्चों की रोज तेल मालिश होनी ही चाहिए।
*   देसी गाय का घी बच्चों की आंखों में लगा सकते हैं । देसी गाय के घी की उपलब्धता नहीं होने पर आंखों में काजल लगाया जा सकता है। काजल मतलब कार्बन, कार्बन कफ को शांत करने में बड़ी भूमिका निभाता है।
 *    कफ के प्रभाव की स्थिति में खानपान में में दूध सबसे आवश्यक वस्तु है। दूसरी वस्तु है मक्खन, घी, तेल, मट्ठा तथा गुड़ है।यह सब कफ को शांत करते हैं। गुड़ के साथ बच्चों को तिल, मूंगफली आदि वस्तुएं जरूर खिलाना चाहिए। यह सारी वस्तुएं रोज के खानपान में होनी चाहिए। यह सारी वस्तु भारी है और भारी वस्तुएं कफ को संतुलित रखने में मदद करती हैं।
*    मैदा बच्चों को कभी नहीं खिलाना चाहिए। मैदा या मैदे से बनी कोई भी वस्तु बच्चों को नहीं खिलानी चाहिए क्योंकि मैदा की चीज कफ को बिगाड़ने वाली होती है।
*     शरीर की मालिश तेल से हमेशा स्नान करने के पहले होनी चाहिए और मालिश करते समय जब उनके बगल में पसीना आ जाए तो मालिश रोक दें। माथे पर पसीना आने पर भी मालिश रोक देनी चाहिए। नहाते समय कफ को कम करने वाली वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए जैसे चने का आटा, चंदन की लकड़ी का पाउडर, मसूर की दाल का आटा, कोई भी मोटा आटा, मूंग की दाल का आटा अर्थात बच्चों का स्नान इन्हीं से कराएं तथा साबुन ना लगाएं। साबुन सोडियम ऑक्साइड यानी कास्टिक सोडा से बनता है जो कि कफ को भड़काने वाली वस्तु है अतः साबुन कभी भी ना लगाएं मुल्तानी मिट्टी से भी स्नान कर सकते हैं।
*  12:00 से 4:00 के बीच में पित्त बढ़ता है। इस समय घी की बनाई हुई वस्तुएं ज्यादा खिलाना चाहिए। शाम को वात कम करने वाली वस्तुएं खिलाए।
*   कफ के प्रभाव वालों की कल्पनाशीलता सबसे ऊंची होती है। बच्चों पर कहानियों का असर बहुत पड़ता है। अतः बच्चों को जैसा बनाना हो उनको वैसी ही लोगों की कहानियां सुनानी चाहिए।
*   कफ प्रकृति में चंचलता होती है, अस्थिरता, चेहरा गोल मटोल होगा। विशेषता में सब कुछ नया नया लगता है, दूसरा दिमाग बहुत ही तीव्र होता है। यही कारण है कि सीखने की सबसे ज्यादा अनुकूल उम्र 14 वर्ष तक ही मानी गई है।

# जवानी की दिनचर्या

पित्त के प्रभाव वाले लोगों की दिनचर्या 14 वर्ष से 60 वर्ष वालों की।

*     14 साल से लेकर 60 सालों तक पूरा शरीर पित्त के प्रभाव में होता है। पित्त के लोगों को कफ कम हो जाता है और वात बहुत कम होता है। पित्त प्रकृति के लोगों की नींद 6 घंटे कम से कम और ज्यादा ज्यादा 8 घंटे होनी चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में पित्त प्रकृति के लोगों का जागना बहुत आवश्यक है। अर्थात सुबह 4:00 बजे जाग जाएं।
*     पित्त प्रकृति के लोगों को दांत कसाए अथवा कड़वी और तीक्त वाली वस्तुओं से साफ करना चाहिए। अथवा नीम की दातुन करें। मदार, बबूल, अर्जुन, आम, अमरूद आदि की दातुन करें।
*     सभी पेस्ट मरे हुए जानवरों की हड्डियों से बन रहे हैं। कोलगेट मरे हुए सूअर की हड्डियों से और पेप्सोडेंट बन रहा है मरे हुए गाय की हड्डियों से तथा क्लोज़अप और फॉरहंस बन रहे हैं बकरे और बकरियों की हड्डी से।  अतः पेस्ट का उपयोग ना करें ।
*     त्रिफला चूर्ण का दन्त मंजन किसी भी ऋतु में किया जा सकता है।पित्त प्रकृति के लोगों को मालिश और व्यायाम दोनों करना चाहिए। वात के रोगियों के लिए मालिश पहले व्यायाम बाद में।  पित्त की प्रधानता वाले व्यक्तियों के लिए व्यायाम पहले मालिश बाद में।
*    माताओं बहनों के लिए मालिक जरूरी है। शरीर मालिश के साथ-साथ सिर की कान की और तलवों की ज्यादा मालिश करनी चाहिए। मालिश के बाद स्नान करना चाहिए। स्नान उबटन आदि से करना चाहिए। इसके बाद भोजन तथा भोजन के बाद 20 मिनट का विश्राम या 10 मिनट वज्रासन। दिन के कार्यकलाप इसके बाद शाम को 6:00 से 7:00 का भोजन। फिर 2 घंटे बाद सोना। पित्त वालों का इसी प्रकार का नियम है।

# बुढ़ापे की दिनचर्या

वात के प्रभाव वाले लोगों की दिनचर्या , 60 साल के बाद वाले लोग।

*  60 साल से अधिक होने की स्थिति में शरीर में वात प्रबल होता है। इन दिनों में वात की समस्या होना प्राकृतिक है। जो लोग 60 साल या अधिक के हैं उनके लिए व्यायाम निषेध है। जैसे बच्चों को निषेध है। ऐसे लोगों को मालिश बहुत जरूरी है। जैसे बच्चे वैसे ही वात वालों की। मालिश सिर, तलवे और कान की ज्यादा करनी है। यदि व्यायाम करें तो बिल्कुल हल्का करें।
*   वात के लोगों को आराम अधिक से अधिक करना चाहिए। पूजा पाठ और भगवान की भक्ति ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए। वात के लोगों को भागदौड़ बहुत कम करनी चाहिए और दिशा निर्देश देने का कार्य ज्यादा करना चाहिए।

Daily Routine

The routines vary from person to person.  It may not be the same for everyone.  In terms of routine, every person's life is divided into three categories.  Childhood (ie from the first day to 14 years of age), youth (from 14 years to 60 years), old age (after 60 years).

 # Childhood routine

 From the first day to the age of 14 for the effects of phlegm.

 * Kapha is more effective in childhood.  At that time Vata and Pitta are much less than Kapha.  Sleeping 8 to 10 hours for 14 years is also considered favorable.

 * Children should have 8 to 10 hours of sleep.  If you take this sleep in two parts, it is very good.  That is, sleep for 8 hours at night and sleep for two hours in the day.

 * Children from the first day to 4 years of age should get at least 16 hours of sleep.  Children aged 4 to 8 years should sleep 12 to 14 hours and children from 8 years to 14 years should sleep 8 to 10 hours.
Daily Routine (दिनचर्या)

 * There is a region of phlegm from the heart up to the brain.  There is a region of bile under the heart to the navel.  Below the navel is the entire vata region.  Most of the diseases of children will be on the top of the chest (phlegm), such as runny nose, cold, cough and all these are diseases of phlegm.  To balance the effects of phlegm, another thing to do after sleep is oil massage for children.  Therefore, children should have oil massage daily.

 * Desi cow's ghee can be applied in children's eyes.  If there is no availability of desi cow's ghee, kajal can be applied in the eyes.  Kajal means carbon, plays a big role in calming the carbon phlegm.

  * Milk is the most important item in catering in case of effects of phlegm.  The other thing is butter, ghee, oil, whey and jaggery. These all soothe phlegm.  Children should be fed with sesame, groundnut etc. with jaggery.  All these items should be in daily catering.  This whole item is heavy and heavy items help in keeping the phlegm balanced.

* Maida should never be fed to children.  Children should not feed any product made from refined flour or maida, because all purpose flour is spoiling the phlegm.

 * Massage of the body should always be done before bathing with oil and stop the massage when sweating beside them while doing massage.  Massage should be stopped even after sweating on the forehead.  During bathing, you should use items that reduce phlegm such as gram flour, sandalwood powder, lentil lentil flour, any thick flour, moong dal flour, that is, make the children bathe with them and do not apply soap.  .  Soap is made from sodium oxide, caustic soda, which is an irritant to the phlegm, so never apply soap. You can also bathe with multani mitti.

 * Bile increases between 12:00 and 4:00.  At this time, things made of ghee should be fed more.  In the evening, feed the items that reduce vata.

 * Kapha influences have the highest imaginability.  Stories have a great impact on children.  Therefore, children should be told stories of the same people as they want to be made.


 * Kapha is lightheaded in nature, instability, face will be chubby.  Everything in the specialty seems brand new, the second brain is very intense.  This is the reason that the most favorable age of learning has been considered up to 14 years.

# Youth routine

 People with the effects of bile have a routine of 14 to 60 years.

 * From 14 years to 60 years, the entire body is under the influence of bile.  People with pitta get reduced phlegm and Vata is very less.  People of bile nature should sleep at least 6 hours and more than 8 hours.  It is very important to wake up people of Pitta nature in Brahma Muhurta.  That is to wake up at 4:00 am.

 * People of bile nature should be cleaned with gnawing teeth or bitter and hot items.  Or give neem teeth.  Date of Madar, Babool, Arjun, Mango, Guava etc.

 * All pastes are made from dead animal bones.  Colgate is being made from dead pig bones and pepsodent from dead cow bones and closeups and forenses are being made from goat and goat bones.  So do not use paste.
 * Tooth brushing of Triphala powder can be done in any season. People of the pitta nature should do both massage and exercise.  Massage for Vata patients first exercise afterwards.  Exercise for individuals with bile predominance first massage afterwards.
Daily Routine (दिनचर्या)

 * Owners are essential for mothers and sisters.  Along with body massage, head and ear soles should be massaged more.  Bath should be done after massage.  Bath should be done with boiling etc.  After this, 20 minutes rest or 10 minutes Vajrasana after meals and meals.  Day activities followed by a meal from 6:00 to 7:00 in the evening.  Then after 2 hours sleep.  A similar rule is for bile.

 # Old age routine 

Routines of people with the effects of Vata, people after 60 years.

 * Vata prevails in the body if it is more than 60 years.  It is natural to have the problem of Vata in these days.  Exercise is prohibited for those who are 60 years or older.  As children are prohibited.  Massage is very important for such people.  Just like the children of Vata.  Massage is to be done more than the head, sole and ear.  If you exercise then lighten up.

* People of Vata should do more and more comfort.  Pooja recitation and devotion to God should be done at most.  People of Vata should reduce Bhagodar very much and should give more work to give directions

Stye (गुहेरी)

गुहेरी

Stye (गुहेरी)

गुहेरी की समस्या ( Pimple on eyelid) :

आंखों में गुहेरी की समस्या हर उम्र के लोगों को हो सकती है। इसमें आंखों की पलकों के नीचे या उपर लाल रंग का दाना हो जाता है। भले ही यह समस्या देखने में छोटी लगे लेकिन इसके कारण आंखों में तेज दर्द, जलन, खुजली और बार-बार आंसू आने जैसी प्रॉब्लम हो जाती है। बैक्टीरिया पैदा होने, विटामिन A, D की कमी या कब्ज के कारण होने वाली इस समस्या के कारण आंखों के लिए नुकसानदायक हो सकती है। कुछ लोग इसे छोटी समझ इग्नोर कर देते है तो कुछ इसके लिए घरेलू उपाय करते हैं। समय रहते इसका इलाज करने पर आप आंखों को सुरक्षित रख सकते है। आज हम आपको इस गुहेरी की समस्या को दूर करने के लिए कुछ घरेलू उपाय बताएंगे, जिससे आप इस परेशानी से 2-3 दिन में ही छुटकारा पा सकते है।

आंखों में गुहेरी के लक्षण ( Stye Symptoms)

दर्द और सूजन
आंसू आना
आंखों में पपड़ी बनना
खुजली होना

इसको ठीक करने के घरेलू उपाय निम्न प्रकार हैं:-

1.  लौंग को पानी में घिसकर लगाने से गुहेरी बैठ जाती है।
2.  रात में भिगोए हुए त्रिफला चूर्ण के पानी से आंखों को छपक्के मारकर धोने से भी लाभ होता है।
3.  बकरी का दूध गुहेरी पर लगाने से आराम होता है। 
4.  गुलाब जल में छोटी हरड़ घिसकर लेप करने से लाभ मिलता है।
5.  अनार का रस आंखों में डालने से काफी लाभ होता है।
6.   छुहारे की गुठली को सील पर घिसकर गुहेरी पर लगाने से आराम मिलता है।
7.   एक घंटे के लिए धनिया बीज को पानी में भिगोकर रख दें और फिर बीजों को छानकर अलग कर दें और           उस पानी का उपयोग अपनी आँख को धोने के लिए करें | 
8.  एलोवेरा जेल को गुहेरी पर लगाने से लाभ मिलता है।
9.  आंख की गुहेरी से राहत पाने के लिए 2 कप पानी और 1 चम्मच हल्दी डाल कर इसे अच्छी तरह से उबाल        लें। फिर इसे ठंडा करके आंख पर सूखे और साफ कपड़े से लगाएं। इससे बहुत जल्दी आराम मिलेगा।
10. केसर को ठंडे पानी में घिसकर लगाने से गुहेरी दूर होती है.
11.  इमली के बीज को पानी में भिंगोकर इसे चन्दन की तरह घिसकर गुहेरी पैर लगाएं       
12. हरड़ को पानी में घिसकर गुहेरी पर लगाने से आराम मिलता है।
13. आम के पत्तों को डाली से तोड़ने पर जो रस निकलता है, उस रस को गुहेरी पर लगाने से बहुत जल्दी आराम मिलता है
Stye (गुहेरी)

Pimple on eyelid

 People of all ages can have problems in the eyes.  In this, there is a red colored grain under or above the eyelids.  Even if this problem seems small, but due to this, there is a problem like sharp eye pain, burning, itching and frequent tears.  This problem caused by bacteria, vitamin A, D deficiency or constipation can be harmful to the eyes.  Some people ignore it as small, while some take home remedies for it.  You can protect the eyes by treating it in time.  Today we will tell you some home remedies to overcome this Guheri problem, so that you can get rid of this problem within 2-3 days.

 Stye Symptoms in the Eye

 Pain and swelling
 tears fall
 Crust in the eye
 Itching
Stye (गुहेरी)

 Home remedies to cure it are as follows: -

 1. By grinding cloves in water, Guheri settles.
 2. Wash the eyes with splash of water, soaked at night, by splashing the eyes, it is also beneficial.
 3. Applying goat milk on Guheri provides relief.
 4. Grind small myrabalan chebulie in rose water and apply it on the affected part, it provides relief.
 5. Putting pomegranate juice in the eyes is very beneficial.
 6. Grinding date palm kernels on the seal and applying it to Guheri provides relief.
 7. Soak coriander seeds in water for one hour and then filter and separate the seeds and use that water to wash your eyes.
 8. Applying Aloe Vera gel on Guheri is beneficial.
 9. To get relief from eye cavity, add 2 cups of water and 1 teaspoon of turmeric and boil it well.  Then cool it and apply it on the eye with a dry and clean cloth.  This will give relief very quickly.

Stye (गुहेरी)

 10. Grinding saffron in cold water removes Guheri.

 11. Soak tamarind seeds in water and rub it like sandalwood and apply Guheri feet.

 12. Grinding myrabalan chebulie in water and applying it on Guheri provides relief.

 13. The juice that comes out when the mango leaves are broken from the dali, by applying that juice on Guheri, it gets relief very quickly.

Sunderkand-3

सुंदरकाण्ड 

Hanuman Jayanti 2020

हनुमानजी का लंका में प्रवेश


चौपाई (Chaupai – Sunderkand)
                                                           प्रबिसि नगर कीजे सब काजा।
हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई॥
अयोध्यापुरी के राजा रघुनाथ को हृदय में रखे हुए नगर में प्रवेश करके सब काम कीजिए। उसके लिए विष अमृत हो जाता है, शत्रु मित्रता करने लगते हैं, समुद्र गाय के खुर के बराबर हो जाता है, अग्नि में शीतलता आ जाती है। जय सियाराम जय जय सियाराम
गरुड़ सुमेरु रेनु सम ताही।
राम कृपा करि चितवा जाही॥
अति लघु रूप धरेउ हनुमाना।
पैठा नगर सुमिरि भगवाना॥
और हे गरुड़! सुमेरु पर्वत उसके लिए रज के समान हो जाता है, जिसे राम ने एक बार कृपा करके देख लिया। तब हनुमान ने बहुत ही छोटा रूप धारण किया और भगवान का स्मरण करके नगर में प्रवेश किया। जय सियाराम जय जय सियाराम

हनुमानजी की लंका में सीताजी की खोज

मंदिर मंदिर प्रति करि सोधा।
देखे जहँ तहँ अगनित जोधा॥
गयउ दसानन मंदिर माहीं।
अति बिचित्र कहि जात सो नाहीं॥
उन्होंने एक-एक (प्रत्येक) महल की खोज की। जहाँ-तहाँ असंख्ययोद्धा देखे। फिर वे रावण के महल में गए। वह अत्यंत विचित्र था, जिसका वर्णन नहीं हो सकता। जय सियाराम जय जय सियाराम
सयन किएँ देखा कपि तेही।
मंदिर महुँ न दीखि बैदेही॥
भवन एक पुनि दीख सुहावा।
हरि मंदिर तहँ भिन्न बनावा॥
हनुमानजी ने महल में रावण को सोया हुआ देखा। वहा भी हनुमानजी ने सीताजी की खोज की, परन्तु सीताजी उस महल मेंकही भी दिखाई नहीं दीं। फिर उन्हें एक सुंदर भवन दिखाई दिया। उस महल में भगवान का एक मंदिर बना हुआ था। जय सियाराम जय जय सियाराम

दोहा (Doha – Sunderkand)
रामायुध अंकित गृह सोभा बरनि न जाइ।
नव तुलसिका बृंद तहँ देखि हरष कपिराई ॥5॥
वह महल राम के आयुध (धनुष-बाण) के चिह्नों से अंकित था, उसकी शोभा वर्णन नहीं की जा सकती। वहाँ नवीन-नवीन तुलसी के वृक्ष-समूहों को देखकर कपिराज हनुमान हर्षित हुए॥ 5॥

हनुमानजी की विभीषण से भेंट

चौपाई (Chaupai – Sunderkand)
लंका निसिचर निकर निवासा।
इहाँ कहाँ सज्जन कर बासा॥
मन महुँ तरक करैं कपि लागा।
तेहीं समय बिभीषनु जागा॥
और उन्हीने सोचा की यह लंका नगरी तो राक्षसोंके कुलकी निवासभूमी है। यहाँ सत्पुरुषो के रहने का क्या काम॥
इस तरह हनुमानजी मन ही मन में विचार करने लगे। इतने में विभीषण की आँख खुली॥ जय सियाराम जय जय सियाराम
राम राम तेहिं सुमिरन कीन्हा।
हृदयँ हरष कपि सज्जन चीन्हा॥
एहि सन सठि करिहउँ पहिचानी।
साधु ते होइ न कारज हानी॥
और जागते ही उन्होंने ‘राम! राम!’ ऐसा स्मरण किया, तो हनुमानजीने जाना की यह कोई सत्पुरुष है। इस बात से हनुमानजीको बड़ा आनंद हुआ॥ हनुमानजीने विचार किया कि इनसे जरूर पहचान करनी चहिये, क्योंकि सत्पुरुषोके हाथ कभीकार्यकी हानि नहीं होती॥ जय सियाराम जय जय सियाराम
बिप्र रूप धरि बचन सुनाए।
सुनत बिभीषन उठि तहँ आए॥
करि प्रनाम पूँछी कुसलाई।
बिप्र कहहु निज कथा बुझाई॥
फिर हनुमानजीने ब्राम्हणका रूप धरकर वचन सुनाया तो वहवचन सुनतेही विभीषण उठकर उनके पास आया॥ और प्रणाम करके कुशल पूँछा, की हे विप्र (ब्राह्मणदेव)! जो आपकी बात होसो हमें समझाकर कहो॥ जय सियाराम जय जय सियाराम
की तुम्ह हरि दासन्ह महँ कोई।
मोरें हृदय प्रीति अति होई॥
की तुम्ह रामु दीन अनुरागी।
आयहु मोहि करन बड़भागी॥
विभीषणने कहा कि शायद आप कोई भगवन्तोमेंसे तो नहीं हो! क्योंकि मेरे मनमें आपकी ओर बहुत प्रीती बढती जाती है॥
अथवा मुझको बडभागी करने के वास्ते भक्तोपर अनुराग रखनेवाले आप साक्षात दिनबन्धु ही तो नहीं पधार गए हो॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

दोहा (Doha – Sunderkand)
तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम।
सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम ॥6॥
विभिषणके ये वचन सुनकर हनुमानजीने रामचन्द्रजीकी सब कथा विभीषणसे कही और अपना नाम बताया।
परस्परकी बाते सुनतेही दोनोंके शरीर रोमांचित हो गए और श्री रामचन्द्रजीका स्मरण आ जानेसे दोनों आनंदमग्न हो गए ॥6॥

हनुमानजी और विभीषण का संवाद


चौपाई (Chaupai – Sunderkand)
सुनहु पवनसुत रहनि हमारी।
जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी॥
तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा।
करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥
विभीषण कहते है की हे हनुमानजी! हमारी रहनी हम कहते है सो सुनो। जैसे दांतों के बिचमें बिचारी जीभ रहती है, ऐसे हम इनराक्षसोंके बिच में रहते है॥
हे प्यारे! वे सूर्यकुल के नाथ (रघुनाथ) मुझको अनाथ जानकरकभी कृपा करेंगे? जय सियाराम जय जय सियाराम
तामस तनु कछु साधन नाहीं।
प्रीत न पद सरोज मन माहीं॥
अब मोहि भा भरोस हनुमंता।
बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता॥
जिससे प्रभु कृपा करे ऐसा साधन तो मेरे है नहीं। क्योंकि मेराशरीर तो तमोगुणी राक्षस है, और न कोई प्रभुके चरणकमलों में मेरे मनकी प्रीति है॥
परन्तु हे हनुमानजी, अब मुझको इस बातका पक्का भरोसा हो गया है कि भगवान मुझपर अवश्य कृपा करेंगे। क्योंकि भगवानकी कृपा बिना सत्पुरुषोंका मिलाप नहीं होता॥ जय सियाराम जय जय सियाराम
जौं रघुबीर अनुग्रह कीन्हा।
तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा॥
सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती।
करहिं सदा सेवक पर प्रीति॥
रामचन्द्रजी ने मुझपर कृपा की है। इसीसे आपने आकर मुझको दर्शन दिए है॥
विभीषणके यह वचन सुनकर हनुमानजीने कहा कि हे विभीषण! सुनो, प्रभुकी यह रीतीही है की वे सेवकपर सदा परमप्रीति किया करते है॥ जय सियाराम जय जय सियाराम
कहहु कवन मैं परम कुलीना।
कपि चंचल सबहीं बिधि हीना॥
प्रात लेइ जो नाम हमारा।
तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥
हनुमानजी कहते है की कहो मै कौनसा कुलीन पुरुष हूँ। हमारीजाति देखो (चंचल वानर की), जो महाचंचल और सब प्रकारसेहीन गिनी जाती है॥ जो कोई पुरुष प्रातःकाल हमारा (बंदरों का) नाम ले लेवे तो उसे उसदिन खानेको भोजन नहीं मिलता॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

दोहा (Doha – Sunderkand)
अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर ॥7॥
हे सखा, सुनो मै ऐसा अधम नीच हूँ। तिस पर भी रघुवीरने कृपा कर दी, तो आप तो सब प्रकारसे उत्तम हो॥
आप पर कृपा करे इस में क्या बड़ी बात है। ऐसे प्रभु श्रीरामचन्द्रजी के गुणोंका स्मरण करनेसे दोनों के नेत्रोमें आंसू भर आये॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

हनुमानजी और विभीषण का संवाद


चौपाई (Chaupai – Sunderkand)
जानतहूँ अस स्वामि बिसारी।
फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी॥
एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा।
पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा॥
जो मनुष्य जानते बुझते है ऐसे स्वामीको छोड़ बैठते है। वे दूखी क्यों न होंगे?
इस तरह रामचन्द्रजीके परम पवित्र व कानोंको सुख देने वाले गुणग्रामको (गुणसमूहोंको) विभीषणके कहते कहते हनुमानजी ने विश्राम पाया॥ जय सियाराम जय जय सियाराम
विभीषणने कहा कि शायद आप कोई भगवन्तोमेंसे तो नहीं हो! क्योंकि मेरे मनमें आपकी ओर बहुत प्रीती बढती जाती है॥
अथवा मुझको बडभागी करने के वास्ते भक्तोपर अनुराग रखनेवाले आप साक्षात दिनबन्धु ही तो नहीं पधार गए हो॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

दोहा (Doha – Sunderkand)
तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम।
सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम ॥6॥
विभिषणके ये वचन सुनकर हनुमानजीने रामचन्द्रजीकी सब कथा विभीषणसे कही और अपना नाम बताया।
परस्परकी बाते सुनतेही दोनोंके शरीर रोमांचित हो गए और श्री रामचन्द्रजीका स्मरण आ जानेसे दोनों आनंदमग्न हो गए ॥6॥

हनुमानजी और विभीषण का संवाद


चौपाई (Chaupai – Sunderkand)
सुनहु पवनसुत रहनि हमारी।
जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी॥
तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा।
करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा॥
विभीषण कहते है की हे हनुमानजी! हमारी रहनी हम कहते है सो सुनो। जैसे दांतों के बिचमें बिचारी जीभ रहती है, ऐसे हम इनराक्षसोंके बिच में रहते है॥
हे प्यारे! वे सूर्यकुल के नाथ (रघुनाथ) मुझको अनाथ जानकरकभी कृपा करेंगे? जय सियाराम जय जय सियाराम
तामस तनु कछु साधन नाहीं।
प्रीत न पद सरोज मन माहीं॥
अब मोहि भा भरोस हनुमंता।
बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता॥
जिससे प्रभु कृपा करे ऐसा साधन तो मेरे है नहीं। क्योंकि मेराशरीर तो तमोगुणी राक्षस है, और न कोई प्रभुके चरणकमलों में मेरे मनकी प्रीति है॥
परन्तु हे हनुमानजी, अब मुझको इस बातका पक्का भरोसा हो गया है कि भगवान मुझपर अवश्य कृपा करेंगे। क्योंकि भगवानकी कृपा बिना सत्पुरुषोंका मिलाप नहीं होता॥ जय सियाराम जय जय सियाराम
जौं रघुबीर अनुग्रह कीन्हा।
तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा॥
सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती।
करहिं सदा सेवक पर प्रीति॥
रामचन्द्रजी ने मुझपर कृपा की है। इसीसे आपने आकर मुझको दर्शन दिए है॥
विभीषणके यह वचन सुनकर हनुमानजीने कहा कि हे विभीषण! सुनो, प्रभुकी यह रीतीही है की वे सेवकपर सदा परमप्रीति किया करते है॥ जय सियाराम जय जय सियाराम
कहहु कवन मैं परम कुलीना।
कपि चंचल सबहीं बिधि हीना॥
प्रात लेइ जो नाम हमारा।
तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा॥
हनुमानजी कहते है की कहो मै कौनसा कुलीन पुरुष हूँ। हमारीजाति देखो (चंचल वानर की), जो महाचंचल और सब प्रकारसेहीन गिनी जाती है॥ जो कोई पुरुष प्रातःकाल हमारा (बंदरों का) नाम ले लेवे तो उसे उसदिन खानेको भोजन नहीं मिलता॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

दोहा (Doha – Sunderkand)
अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्हीं कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर ॥7॥
हे सखा, सुनो मै ऐसा अधम नीच हूँ। तिस पर भी रघुवीरने कृपा कर दी, तो आप तो सब प्रकारसे उत्तम हो॥
आप पर कृपा करे इस में क्या बड़ी बात है। ऐसे प्रभु श्रीरामचन्द्रजी के गुणोंका स्मरण करनेसे दोनों के नेत्रोमें आंसू भर आये॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

हनुमानजी और विभीषण का संवाद

चौपाई (Chaupai – Sunderkand)
जानतहूँ अस स्वामि बिसारी।
फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी॥
एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा।
पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा॥
जो मनुष्य जानते बुझते है ऐसे स्वामीको छोड़ बैठते है। वे दूखी क्यों न होंगे?
इस तरह रामचन्द्रजीके परम पवित्र व कानोंको सुख देने वाले गुणग्रामको (गुणसमूहोंको) विभीषणके कहते कहते हनुमानजी ने विश्राम पाया॥ जय सियाराम जय जय सियाराम
Sunderkand

Eid mubarak (ईद मुबारक )

ईद मुबारक 

*Eid is a day to cheer and to laugh with all your heart. It’s a day to be grateful to Allah for all of his heavenly blessings on us. Wishing you a happy Eid.*
Eid mubarak (ईद मुबारक )
इस्लाम में ईद  का दिनबहुत ही खुशी का दिन माना गया है। ईद के दिन बंदे न केवल अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं, बल्कि वे अपने लिए और अपने करीबी लोगों के लिए अल्लाह से दुआ भी करते हैं।ईद उल फित्र का दिन पवित्र रमज़ान माह के बाद आता है़ जब सभी लोग पूरे माह रमज़ान के रोज़े रखने के बाद अल्लाह से दुआ करते हैं।

Eid mubarak (ईद मुबारक )

ईद इस्लाम धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है। रमजान के पवित्र महीना में 30वें दिन चांद का दीदार कर ईद का त्योहार मनाया जाता है। इस खास त्योहार के लिए रोजेदार महीने भर का इंतजार करते हैं। चांद दिखने के बाद ईद का त्योहार मनाया जाता है। भारत में इस साल ईद का त्योहार 25 मई को यानी आज मनाया जा रहा है। ईद का चांद दिखाई देने के बाद से ही बधाईयां देने का सिलसिला शुरू हो जाता है। ईद के खास मौके पर लोग अपने करीबी परिजनों और दोस्तों को शुभकामनाएं भेजते हैं। 
Eid mubarak (ईद मुबारक )
रात को नया चांद मुबारक,
चांद को चांदनी मुबारक,
फलक को सितारे मुबारक,
सितारों को बुलंदी मुबारक
और आपको हमारी तरफ से ईद मुबारक!❤

Eid mubarak

Eid is considered a very happy day in Islam.  On the day of Eid, the people not only ask Allah for forgiveness of their sins, but they also pray to Allah for themselves and those close to them. The day of Eid ul Fitr comes after the holy month of Ramadan when all the people of the month Ramadan  After praying to Allah, pray to Allah.
Eid mubarak (ईद मुबारक )
 Eid is the biggest festival of the religion of Islam.  The festival of Eid is celebrated on the 30th day of the moon in the holy month of Ramadan.  For this special festival, the daily wait for a month.  The festival of Eid is celebrated after the sighting of the moon.  In India this year, the festival of Eid is being celebrated on 25th May i.e. today.  The process of offering greetings starts only after the Eid moon appears.  On the special occasion of Eid, people send greetings to their close family and friends.

Sunday

Sunday           


Sunday
रविवार का प्यारा दिन है,
आज हमारी छुट्टी है।
उठ जायेंगे क्या जल्दी है,
नींद तो पूरी करने दो।
बड़ी थकावट हफ्ते भर की,
आराम ज़रूरी करने दो।
नहीं घड़ी की ओर देखना,
न करनी कोई भागम- भाग।
मनपसंद वस्त्र पहनेंगे,
आज नहीं वर्दी का राग।
खायेंगे आज गर्म पराँठे,
और खेलेंगे मित्रों संग।
टीचर जी का डर न हो तो,
उठती मन में खूब उमंग।
होम-वर्क को नमस्कार,
और बस्ते के संग कुट्टी है।
मम्मी कोई काम न कहना,
आज हमारी छुट्टी है।

श्याम सुन्दर अग्रवाल


Sunday



English Translate

Sunday

Sunday is a lovely day
Today is our holiday.
Will you wake up soon?
Let me sleep.
A week of great exhaustion,
Let the rest be necessary.
No looking at the clock,
Do not do any running - Part.
Will wear favorite clothes,
Today is not the melody of uniforms.
Eat hot parathas today,
And will play with friends.
If the teacher is not afraid,
There was a lot of excitement in the mind.
Hello homework,
And there is no more work
Mom, don't say anything
Today is our holiday.