मणिपुर में अफीम की खेती भी हिंसा का मुख्य कारण
मई महीने में राज्य और केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि मणिपुर में जातीय हिंसा की शुरुआत अफीम की खेती पर कार्रवाई की वजह से हुई, जिसमें म्यांमार के अवैध प्रवासी और पहाड़ी ज़िलों में नशीली दवाओं का कारोबार भी जुड़ा हुआ था।
मणिपुर में बसी एक विदेशी मूल की जाति कुकी है, जो मात्र डेढ़ सौ वर्ष पहले पहाड़ों में आ कर बसी थी। ये मूलतः मंगोल नस्ल के लोग हैं। जब अंग्रेजों ने चीन में अफीम की खेती को बढ़ावा दिया तो उसके कुछ दशक बाद अंग्रेजों ने ही इन मंगोलों को वर्मा के पहाड़ी इलाके से ला कर मणिपुर में अफीम की खेती में लगाया। आश्चर्य की बात यह है कि तमाम कानूनों को धत्ता बता कर ये अब भी अफीम की खेती करते हैं और कानून इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता। इनके व्यवहार में अब भी वही मंगोली क्रूरता है और व्यवस्था के प्रति प्रतिरोध का भाव है। मतलब नहीं मानेंगे, तो नहीं मानेंगे।
अधिकांश कुकी यहाँ अंग्रेजों द्वारा बसाए गए हैं, पर कुछ उसके पहले ही रहते थे। उन्हें वर्मा से बुला कर मैतेई राजाओं ने बसाया था। क्यों? क्योंकि तब ये सस्ते सैनिक हुआ करते थे। अब भी कुकी अवैध तरीके से वर्मा से आ कर मणिपुर के सीमावर्ती जिलों में बस रहे हैं। सरकार इस घुसपैठ को रोकने का प्रयास कर रही है, पर पूर्णतः सफल नहीं है।
आजादी के बाद जब उत्तर पूर्व में मिशनरियों को खुली छूट मिली तो उन्होंने इनका धर्म परिवर्तन कराया और अब लगभग सारे कुकी ईसाई हैं। और यही कारण है कि इनके मुद्दे पर एशिया-यूरोप सब एक सुर में बोलने लगते हैं। इन लोगों का एक विशेष गुण है। नहीं मानेंगे, तो नहीं मानेंगे। क्या सरकार, क्या सुप्रीम कोर्ट?
सरकार कहती है, अफीम की खेती अवैध है। ये कहते हैं, "तो क्या हुआ? हम करेंगे।" कोर्ट ने कहा, "मैतेई भी अनुसूचित जाति के लोग हैं।" ये कहते हैं, "कोर्ट कौन? हम कहते हैं कि वे अनुसूचित नहीं हैं, मतलब नहीं हैं। हमीं कोर्ट हैं।
मैती, मैतेई या मैतई... ये मणिपुर के मूल निवासी हैं। सदैव वनवासियों की तरह प्राकृतिक वैष्णव जीवन जीने वाले लोग। पुराने दिनों में सत्ता इनकी थी, इन्हीं में से राजा हुआ करते थे। अब राज्य नहीं है, जमीन भी नहीं है। मणिपुर की जनसंख्या में ये आधे से अधिक हैं, पर भूमि इनके पास दस प्रतिशत के आसपास है। उधर कुकीयों की जनसंख्या 30% है, पर जमीन 90% है।
90% जमीन पर कब्जा रखने वाले कुकीयों की मांग है कि 10% जमीन वाले मैतेई लोगों को जनजाति का दर्जा न दिया जाय। वे लोग विकसित हैं, सम्पन्न हैं। यदि उनको अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया गया तो हमारा विकास नहीं होगा। हमलोग शोषित हैं, कुपोषित हैं।
अब मैतेई भाई बहनों की दशा ये है कि जनसंख्या इनकी अधिक है, विधायक इनके अधिक हैं, सरकार इनके समर्थन की है। पर कोर्ट से आदेश मिलने के बाद भी ये अपना हक नहीं ले पा रहे हैं।
यह बात तो हुई मणिपुर में हुए हिंसा की। अब बात करते हैं अफीम की। क्या वाकई में अफीम सिर्फ एक नशा है?
पोस्ता दाना का प्रयोग लगभग हर घर में मसाले के रूप में होता है और अफीम (Afeem) पोस्त के डोडों से प्राप्त की जाती है। एक तरफ तो इसके फायदों के लिए इसका उपयोग मसाले के तौर पर होता तो वहीं दूसरी तरफ नशे के लिए। नशे से बचिए, फायदे के तरफ चलते हैं।
जानते हैं अफीम के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में
पोस्त के बीजों में हल्के पीले रंग का मीठा स्थिर तेल होता है, जिसे रोगन खसखस कहते हैं। अफीम में मार्फिन, नर्कोटीन एवं कोडीईन आदि एलकेलाइट्स पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें अनेक प्राथमिक तथा द्वितीयक एलकेलाइट्स, कार्बनिक अम्ल, लेक्टिक एसिड एवं मेकोनिक एसिड आदि ऑर्गेनिक अम्ल, जल, ग्लूकोज, वसा, उड़नसील तेल आदि तत्व पाए जाते हैं।
सिर दर्द में
1 ग्राम अफीम और दो लौंग पीसकर मस्तक पर लेप करने से वादी तथा सर्दी की वजह से होने वाले सिर दर्द में आराम होता है।
नेत्र रोग में
आंख के दुखने और आंख के दूसरे रोगों में इसका लेप बहुत लाभकारी होता है।
नकसीर की समस्या
अफीम तथा कुंदरू गोंद दोनों बराबर मात्रा में पानी के साथ पीसकर सूंघने से नकसीर बंद होती है।
बालों के लिए
पोस्ट के बीजों को दूध में पीसकर सिर पर लगाने से, सर में होने वाले फोड़े फुंसी एवं रूसी साफ हो जाते हैं।
दांत दर्द में
16 मिलीग्राम अफीम और 125 मिलीग्राम नौसादर, दोनों को दाढ़ में रखने से दाढ़ की पीड़ा मिटती है और दांत के छेद में रखने से दंत शूल मिटता है।
खुजली की समस्या
अफीम को तिल के तेल में मिलाकर मालिश करने से खुजली मिटती है।
जोंक का डंक
जोंक का डंक अगर पक जाए तो, उस पर इसके दानों को पीसकर लेप करने से आराम मिलता है।
बुखार में
अफीम के 1 डोडे और 7 काली मिर्च को औटाकर दोनों समय पिलाने से बुखार मिटता है।
स्वरभंग की समस्या
अफीम के डोडे और अजवाइन को औंटकर गरारा करने से बैठी हुई आवाज़ खुल जाती है।
खांसी की समस्या
बीजों सहित इसके 60 ग्राम डोडे का क्वाथ बनाकर 50 ग्राम बुरा मिलाकर शर्बत बनाकर पिलाने से खांसी मिटती है।
गर्भाशय की पीड़ा
प्रसव के बाद अफीम के डोडों का क्वाथ पिलाने से गर्भाशय की पीड़ा मिटती है।
अफीम के नुकसान (Side Effects of Opium)
- अफीम का अधिक मात्रा में सेवन उपद्रवकारी है और इससे मृत्यु तक हो जाती है।
- अफीम का लगातार सेवन से नपुंसकता हो सकती है।
English Translate
Opium
You all know the use of opium for intoxication, but today here we will discuss about the medicinal properties of opium. Opium (Afeem) is obtained from poppy shoots, which are grown on cultivated plants. Poppy is cultivated in Bihar, eastern Uttar Pradesh, central and western India and Malwa in India. When poppy buds are fully developed, but are in raw state, then a condensed milk or latex comes out by making an incision in them. It is collected and dried. This is the commercial and medicinal opium. Poppy seeds are cool, mild, receptive, bitter, astringent, phlegmatic, phlegmatic and dry, drying metals, seductive and generating interest.
What is opium?
Poppy is a semi-annual plant from one and a half feet to four feet, in which the leaves are 4 inches long - wide, sessile, heart-shaped and the trunk is attached. The flower is single, blueish white, the underside is purple. The fruits are round oval like pomegranate. It has a griva at the bottom and a fringed peak at the top. When the fruit is ripe, small small holes are formed at the bottom of the kangoor for dehiscence.
Mainly according to the color of flowers it is of three types-
- Powdered white (poppy white)
- Red (Poppy Mansoor)
- black or blue (poppy seed)
Know about the benefits, harms, uses and medicinal properties of opium
Poppy seeds contain a sweet, stable oil of light yellow color, which is called rogan poppy seed. Alkalites are found in opium like morphine, narcotine and codeine. Apart from this, many primary and secondary alkalites, organic acids, lactic acid and meconic acid etc., organic acids, water, glucose, fat, flaxseed oil etc. are found in it.
in headache
Grind one gram opium and two cloves and apply it on the head, it provides relief in headache and headache due to cold.
in eye disease
Its paste is very beneficial in eye pain and other eye diseases.
nosebleeds problem
Grind both opium and kundru gum with equal quantity of water and sniff it, it stops nosebleeds.
for hair
Grinding the seeds of post in milk and applying it on the head, boils and dandruff are cleared on the head.
in toothache
Putting both 16 mg opium and 125 mg Nausadar in the molar ends the pain of the molar and keeping it in the hole of the tooth cures colic.
itching problem
Mixing opium with sesame oil and massaging it ends itching.
leech sting
If the sting of a leech is cooked, then grinding its grains on it and applying it provides relief.
in fever
Fever is cured by taking 1 ball of opium and 7 black peppercorns and giving it both times.
hoarseness problem
By gargling opium balls and carom seeds, the sitting voice is opened.
cough problem
Make a quart of 60 grams of lozenges along with seeds, mix 50 grams of bad and take it after making sherbet, it ends cough.
uterine pain
The pain of the uterus ends by taking opium bales after delivery.
Side Effects of Opium
- Consumption of opium in excessive quantity is nuisance and it leads to death.
- Continuous consumption of opium can cause impotence.