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तेनालीरामा : अपमान का बदला | Tenalirama : Apmaan Ka Badla

 तेनालीरामा : अपमान का बदला | Tenalirama : Apmaan Ka Badla

ये उस समय की बात है, जब तेनालीरमन राजा कृष्ण देव राय के दरबार में अभी नहीं पहुंचे थे। राजा कृष्णदेव राय दूर-दूर तक मशहूर थे। तेनालीरमन ने भी राजा कृष्णदेव राय के चर्चे खूब सुन रखे थे। तेनालीरमन ने सुना था कि राजा चतुर और बुद्धिमानों का सम्मान करते हैं। इसलिए, उन्होंने सोचा कि क्यों न राज दरबार में जाकर कुछ करतब दिखाया जाए। लेकिन, इसमें एक अड़चन थी कि बिना किसी बड़ी मदद के वो वहां तक पहुंचते कैसे? ऐसे में, तेनालीरमन को किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश थी, जो उन्हें राज दरबार तक पहुंचा सके। 

तेनालीरामा : अपमान का बदला | Tenalirama : Apmaan Ka Badla

इस बीच तेनालीरमन की शादी मगम्मा नाम की लड़की से हो गई। एक वर्ष बाद उनके घर बेटा हुआ। इस दौरान तेनालीरमन को पता चलता है कि राजा कृष्णदेव राय का राजगुरु मंगलगिरी नामक स्थान पर गया है। तेनालीरमन वहां पहुंचे और राजगुरु की खूब सेवा किएऔर उन्हें महाराज से मिलने की अपनी इच्छा भी बताए। लेकिन, राजगुरु बहुत चालाक थे, उन्होंने बड़े-बड़े वादे तेनालीरमन से किए और तेनालीरमन से खूब अपनी सेवा करवाई। 

इस बीच राजगुरु ने सोचा कि अगर कोई चतुर इंसान राज दरबार में आ गया, तो उसका सम्मान घट जाएगा। इसलिए, राजगुरु ने तेनालीरमन से कहा कि, "मुझे जब भी सही मौका दिखेगा, मैं तुम्हारी मुलाकात महाराज से करवा दूंगा।" इसके बाद क्या था, तेनालीरमन राजगुरु के बुलावे का इंतजार करने लगे, लेकिन कई दिनों तक कोई भी खबर नहीं आई।

इस बात पर कई लोग तेनालीरमन का मजाक उड़ाने लगे और कहते कि, "तेनालीरमन, विजयनगर जाने की तैयारी कर ली?" इस बात पर तेनालीरमन कहते थे कि, "उचित समय आने पर सब हो जाएगा।" लेकिन, धीरे-धीरे तेनालीरमन का राजगुरु पर विश्वास उठ गया और तेनालीरमन खुद ही विजयनगर जाने का फैसला किए। वो अपनी मां और पत्नी के साथ विजयनगर के लिए रवाना गए। 

यात्रा के दौरान किसी भी तरह की परेशानी आती, तो तेनालीरमन राजगुरु का नाम ले लेते। तेनालीरमन ने अपनी मां से कहा कि, "व्यक्ति जैसा भी हो, लेकिन नाम ऊंचा हो, तो सभी काम हो जाते हैं। इसलिए, मुझे अपना नाम बदलना होगा। महाराज कृष्णदेव राय के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए मैं भी अपने नाम के साथ कृष्ण लगाऊंगा।" इस बात पर तेनालीरमन की मां ने कहा कि, "बेटा मेरे लिए तो दोनों नाम बराबर हैं। मैं तुझे राम बुलाती थी और आगे भी इसी नाम से बुलाऊंगी।" 

चार महीने की यात्रा के बाद आखिरकार तेनालीरमन विजयनगर पहुंचते हैं। तेनालीरमन को राज्य की चमक-दमक देखकर बड़ा अच्छा लगा। बड़े-बड़े घर, साफ सड़कें और बाजार को देखकर वो दंग रह गए। इसके बाद, वहां कुछ दिन ठहरने के लिए तेनालीरमन वहां के किसी परिवार से प्रार्थना किए। फिर वो अकेला राज महल की ओर निकल पडे। वहां पहुंचकर तेनालीरमन एक सेवक के हाथों राजगुरु तक संदेश भिजवाए कि वह राजगुरु को जा के बता दे कि उनसे मिलने तेनालीरमन आए हैं। लेकिन, सेवक ने वापस आकर बताया कि राजगुरु इस नाम के किसी भी व्यक्ति को नहीं जानते हैं। 

यह बात सुनकर तेनालीरमन को गुस्सा आया और वो सीधा राजगुरु से मिलने अंदर चले गए। अंदर पहुंच कर तेनालीरमन  ने राजगुरु से कहा कि, "मैं तेनालीरमन! मैंने, मंगलगिरि में आपकी सेवा की थी।" लेकिन, राजगुरु ने जानबूझकर उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया। राजगुरु ने तेनालीरमन को धक्के देकर वहां से निकलवा दिया। यह देख वहां मौजूद सभी लोग तेनालीरमन पर हंसने लगे। तेनालीरमन का इससे बड़ा अपमान आज तक नहीं हुआ था। तेनालीरमन ने मन ही मन इस अपमान का बदला लेने की ठान ली। लेकिन, इसके लिए राजा का दिल जीतना जरूरी था।

अगले दिन तेनालीरमन दरबार में पहुंच गए। वहां गंभीर विषयों पर चर्चा जारी थी। संसार क्या है? जीवन क्या है? जैसे सवाल किए जा रहे थे। वहां मौजूद एक पंडित ने अपने जवाब में कहा कि, "संसार कुछ नहीं, बल्कि एक छलावा है। हम जो भी देखते हैं या खाते हैं, वो बस विचार है। सच में ऐसा कुछ होता ही नहीं है, लेकिन हमें लगता है कि ऐसा होता है।"

इस पर तेनालीराम ने पूछा कि, "क्या सच में ऐसा होता है?" उस पंडित ने कहा, "यह बात शास्त्रों में लिखी हुई है और शास्त्र गलत नहीं होते।" लेकिन, तेनालीरमन को अपनी बुद्धि पर पूरा विश्वास था। इसलिए, उन्होंने वहां मौजूद सभी लोगों से कहा कि, "क्यों न पंडित जी के विचारों की जांच की जाए। महाराज की तरफ से आज दावत का आयोजन है। हम सब खूब खाएंगे, लेकिन पंडित जी कुछ नहीं खाएंगे। पंडित जी बिना कुछ खाए विचार करेंगे कि वो खा रहे हैं।"

तेनालीराम की इस बात पर वहां मौजूद सभी लोग हंसने लगे। पंडित जी शर्म से पानी-पानी हो गए। महाराज भी तेनालीरमन से बहुत खुश हुए और तेनालीरमन को स्वर्ण मुद्राएं भेंट की। इसके बाद राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम को राज विदूषक का पद दे दिया। वहां मौजूद सभी लोगों ने महाराज के फैसले का स्वागत किया। फैसले की प्रशंसा करने वालों में राजगुरु भी थे। 

English Translation 

Tenalirama: Revenge of Insult  |  Tenalirama : Apmaan Ka Badla

This is about the time when Tenaliraman had not yet reached the court of King Krishna Deva Raya. King Krishna Deva Raya was famous far and wide. Tenaliraman had also listened a lot to the discussions of King Krishnadeva Raya. Tenaliraman had heard that the king respected the clever and the wise. So, he thought why not go to the royal court and perform some feat. But, there was a hindrance in this that how did he reach there without any big help? In such a situation, Tenaliraman was looking for someone who could take him to the royal court.

तेनालीरामा : अपमान का बदला | Tenalirama : Apmaan Ka Badla

 Meanwhile, Tenaliraman got married to a girl named Magamma. A year later they had a son. During this, Tenaliraman learns that the Rajguru of King Krishnadeva Raya has gone to a place called Mangalagiri. Tenaliraman reached there and served Rajaguru a lot and also told him his desire to meet Maharaj. But, Rajguru was very clever, he made big promises to Tenaliraman and got Tenaliraman to do his service a lot.

 Meanwhile, Rajguru thought that if a clever person entered the court, his honor would be reduced. Therefore, Rajaguru told Tenaliraman that, "Whenever I see the right opportunity, I will get you to meet Maharaj." What was after this, Tenaliraman waited for Rajguru's call, but for several days no news came.

 On this, many people started making fun of Tenaliraman and said, "Tenaliraman, have you prepared to go to Vijayanagara?" On this, Tenaliraman used to say that, "Everything will happen when the right time comes." But, gradually Tenaliraman lost faith in Rajguru and Tenaliraman himself decided to go to Vijayanagara. He left for Vijayanagara with his mother and wife.

 If there was any kind of trouble during the journey, Tenaliraman would have taken the name of Rajguru. Tenaliraman told his mother that, "Whatever the person may be, but the name is high, then all works are done. Therefore, I have to change my name. To show my respect to Maharaja Krishnadeva Raya, I also use my name. I will put Krishna with me." To this, Tenaliraman's mother said, "Son, both names are equal for me. I used to call you Ram and will call you by this name in future also."

 After four months of travel, Tenaliraman finally reaches Vijayanagara. Tenaliraman was very happy to see the splendor of the kingdom. He was stunned to see the big houses, clean roads and markets. Thereafter, Tenaliraman prayed to some family to stay there for a few days. Then he left alone towards the Raj Mahal. After reaching there, Tenaliraman sent a message to Rajguru in the hands of a servant that he should go and inform Rajguru that Tenaliraman has come to meet him. But, the servant came back and told that Rajguru does not know any person by this name.

 Hearing this, Tenaliraman got angry and went straight to meet Rajguru. Upon reaching inside, Tenaliraman told Rajaguru, "I am Tenaliraman! I served you at Mangalagiri." But, Rajguru deliberately refused to recognize him. Rajguru pushed Tenaliraman out of there. Seeing this, all the people present there started laughing at Tenaliraman. Tenaliraman had never been humiliated more than this. Tenaliraman decided to avenge this insult in his heart. But, for this it was necessary to win the heart of the king.

 The next day Tenaliraman reached the court. There were discussions on serious topics. What is world? what is life? As questions were being asked. A pundit present there said in his reply that, "The world is nothing but an illusion. Whatever we see or eat is just a thought. Nothing like this really happens, but we think it is so." It happens."

 On this Tenaliram asked, "Does this really happen?" The pundit said, "This is written in the scriptures and the scriptures are not wrong." But, Tenaliraman had complete faith in his intellect. Therefore, he told all the people present there that, "Why not examine Panditji's thoughts. Today there is a feast organized by Maharaj. We will all eat a lot, but Panditji will not eat anything. Panditji will not eat anything." Will consider that they are eating."

 On this talk of Tenaliram, all the people present there started laughing. Pandit ji became watery with shame. Maharaj was also very pleased with Tenaliraman and presented gold coins to Tenaliraman. After this, King Krishnadeva Raya gave Tenaliram the position of Raj Vidushak. Everyone present there welcomed the decision of Maharaj. Rajguru was also among those who praised the decision.

प्रकृति का अंधाधुंध दोहन || Indiscriminate Exploitation of Nature ||

प्रकृति का अंधाधुंध दोहन

मार्च अभी खत्म भी नहीं हुआ और मौसम का आलम ये है कि 10:00.बजे के बाद बाहर निकलना बहुत ही मुश्किल भरा हो गया है। इंसान तो इंसान इस बदलते मौसम से तो पक्षी और जानवर भी परेशान हैं। कभी किसी ने ये सोचने की कोशिश की है कि जो आजकल मौसम में ये अचानक बदलाव आने लगा है, ये बदलाव क्यूँ है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

प्रकृति का अंधाधुंध दोहन  || Indiscriminate Exploitation of Nature ||

हम इंसानों ने ही ये मुसिबतें अपने लिए पैदा की हैं। पेड़ - पौधों को आपनी सुविधा के लिए काटना, तरह तरह की रासायनिक फैक्ट्री लगाना आदि। बहुत से कारण है जिसकी वजह से मौसम में आजकल अचानक से बदलाव देखने को मिल रहा है। 

पिछले दिनों मनुष्य ने विकास की दौड़ में प्रकृति के साथ बड़ी छेङखानी की है। प्रकृति के अंधाधुंध दोहन ने समूचे पर्यावरण को चरमरा दिया है। डब्लू .के. इस्टेस ने सोशल इकालाजी एण्ड हयूमन विहेवियर मैं इसके प्रभावों की चर्चा करते हुए कहा कि इससे मनुष्यों की मानसिकता विकृत हुई है, जिसके परिणाम हिंसा, अपराध, विघटन आदि के रूप में दिखाई पड़ रहे हैं। 

वायुमंडल में हानिकारक पदार्थों के पहुंचने से उत्पन्न प्रदूषण के कारण वायुमंडल में गैसों की मात्रा एवं संगठन में असंतुलन उत्पन्न होता है और वायु प्राणियों, वनस्पति जीव तथा मनुष्य के लिए घातक हो जाती है। वायु प्रदूषण प्रकृति तथा सामान्य दोनों कारणों से होता है। प्राकृतिक कारणों में ज्वालामुखी उदगार, वनस्पतियों तथा जीवों  का सड़ना आदि प्रमुख हैं। 

जिस हवा को हम सांस के द्वारा प्रत्येक क्षण लेते हैं, वह पूरी तरह से प्रदूषित है। वह हमारे फेफड़ों और पूरे शरीर में रक्त परीक्षण रचना के माध्यम से जाती है और अनगिनत स्वास्थ संबंधित समस्याओं का कारण बनती है। प्रदूषित वायु पेड़ - पौधों, पशु और मनुष्य के लिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तरीके से नष्ट करने का कारण बनती है। यदि वातावरण को प्रेषित करने वाली नीतियों का गंभीरता और कड़ाई से पालन नहीं किया गया तो वायु प्रदूषण का बढ़ता हुआ स्तर आने वाले दिनों में मानव जाति के लिए बहुत घातक सिद्ध हो सकता है। 

प्रकृति का अंधाधुंध दोहन  || Indiscriminate Exploitation of Nature ||

लगातार बढ़ते प्रदूषण के स्तर ने सजीवों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक और हानिकारक प्रभाव को भी बढ़ाया है। वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का भी कारण है। यह ग्रीन हाउस गैसें ग्रीन हाउस प्रभाव और बढ़ता हुआ समुद्र का स्तर, ग्लेशियर का पिघलना, मौसम का बदलना, जलवायु का बदलना आदि को बढ़ाती है। बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण कई घातक रोगों को जन्म देता है, जिसके कारण कभी - कभी मनुष्य की मृत्यु भी हो जाती है। बहुत से वन्य जीव - जन्तु और पेड़ पौधों की प्रजातियां पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। पर्यावरण में हानिकारक गैसों का बढ़ना अम्लीय वर्षा और ओजोन परत में छेद का कारण बना है। 

विकास के नाम पर हम जिस पर्यावरण मे जी रहे हैं, साँस ले रहे हैं उसी को ही बर्बाद करने में लगे हैं। 

English Translate

indiscriminate exploitation of nature

March is not over yet and the weather is such that it has become very difficult to get out after 10:00. Human beings and birds and animals are also troubled by this changing weather. Has anyone ever tried to think that who is responsible for this sudden change in the weather these days, why is this change?

प्रकृति का अंधाधुंध दोहन  || Indiscriminate Exploitation of Nature ||

We humans have created these problems for ourselves. Cutting of trees and plants for your convenience, setting up of various chemical factories etc. There are many reasons due to which sudden changes are being seen in the weather nowadays.

In the past, man has played a big role in the race of development with nature. The indiscriminate exploitation of nature has ruined the entire environment. W.K. Estes, while discussing its effects in Social Ecology and Human Behavior, said that it has distorted the mentality of human beings, the results of which are visible in the form of violence, crime, disintegration etc.

Due to the pollution caused by the arrival of harmful substances in the atmosphere, imbalance arises in the amount and composition of gases in the atmosphere and air becomes fatal for animals, plants and humans. Air pollution occurs due to both natural and general causes. Natural causes include volcanic eruptions, decay of flora and fauna, etc.

प्रकृति का अंधाधुंध दोहन  || Indiscriminate Exploitation of Nature ||

The air we breathe every moment is completely polluted. It goes through blood test composition in our lungs and whole body and causes countless health related problems. Polluted air causes destruction of trees, plants, animals and humans in direct and indirect ways. If the policies that transmit the environment are not followed seriously and strictly, then the increasing level of air pollution can prove to be very fatal for mankind in the coming days.

The ever-increasing pollution levels have also increased the negative and harmful effects on the health of living beings. Air pollution is also the reason for increasing global warming. These greenhouse gases increase the greenhouse effect and rising sea level, melting of glaciers, changing of seasons, changing of climate etc. The increasing air pollution gives rise to many fatal diseases, due to which sometimes humans also die. Many wildlife and plant species have been completely destroyed. The increase of harmful gases in the environment has caused acid rain and hole in the ozone layer.

प्रकृति का अंधाधुंध दोहन  || Indiscriminate Exploitation of Nature ||

In the name of development, we are trying to destroy the environment in which we are living and breathing.

हनुमान वाटिका (उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले का मुख्य आकर्षण)

हनुमान वाटिका (उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले का मुख्य आकर्षण)

उड़ीसा के प्रमुख पर्यटक स्थलों में सुंदरगढ़ जिले के वेदव्यास, वैष्णो देवी मंदिर के साथ हनुमान वाटिका का नाम भी शामिल है। हनुमान वाटिका में 74 फीट 9 इंच ऊंची हनुमान प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है। सबसे बड़ी विशेषता यह है कि हनुमान वाटिका में देश के प्रख्यात मंदिरों के ढांचे में ही 21 मंदिरों का निर्माण किया गया है, तथा देवी देवताओं की पूजा की जा रही है। हर दिन यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचकर पूजा अर्चना के साथ सौंदर्य का आनंद लेते हैं।

हनुमान वाटिका (उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले का मुख्य आकर्षण)

इस्पात नगरी राउरकेला में हनुमान वाटिका को पर्यटन स्थल का रूप देने की परिकल्पना 1992 में की गई थी, तब से इसका निर्माण शुरू किया गया। करीब 13 एकड़ क्षेत्र में देश के प्रमुख मंदिरों को उसी ढांचे में बनाने व देवी देवताओं की पूजा करने का अवसर भक्तों को देने के साथ-साथ यहां पर्यटकों को हर तरह की सुविधा देने की योजना भी बनाई गई। संस्थापक पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप राय, ट्रस्टी आरपी गुप्ता, निहार राय, गौरीशंकर अग्रवाल, नंदू अग्रवाल समेत अन्य लोगों के प्रयास से इसे भव्य रूप देने का काम शुरू हुआ।23 फरवरी 1994 में आधुनिक उड़ीसा के निर्माता कलिंग वीर बीजू पटनायक ने इसका अनावरण किया। हालांकि, जब यह प्रतिमा बनकर तैयार हुई, तब यह देश की सबसे ऊंची हनुमान प्रतिमा थी, लेकिन जून 2003 में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में 134 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा का  निर्माण किया गया है।

हनुमान वाटिका राउरकेला में सोमनाथ मंदिर, पार्वती मंदिर, मां वैष्णो देवी मंदिर, दुर्गा, संतोषी मंदिर, साईं मंदिर, चर्चिका मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, मां विमला मंदिर, गणेश मंदिर, परशुराम मंदिर, समलेश्वरी मंदिर, मां काली मंदिर, द्वादश शिवलिंग मंदिर, विडला मंदिर,  लक्ष्मी मंदिर शारदा मंदिर, श्री राम मंदिर, हनुमान मंदिर समेत कुल 21 मंदिर देश के प्रख्यात मंदिरों के ढांचे में ही तैयार किया गया है। जय हनुमान समिति चैरिटेबल ट्रस्ट की देखरेख में मंदिरों में पूजा अर्चना की जाती है। सुबह से देर शाम तक यहां भक्तों का आना जाना जारी रहता है। जब कभी लोगों को समय मिलता है, परिवार के साथ है यहां आकर शांतिपूर्ण माहौल में समय गुजारते हैं।

हनुमान वाटिका में 74 फीट 9 इंच ऊंची हनुमान प्रतिमा आकर्षण का केंद्र

पर्यटन स्थल का रूप देने की परिकल्पना

इस्पात नगरी राउरकेला में हनुमान वाटिका को पर्यटन स्थल का रूप देने की परिकल्पना 1992 में की गयी थी। तब से इसका निर्माण शुरू किया गया। करीब 13 एकड़ क्षेत्र में देश के प्रमुख मंदिरों को उसी ढांचे में बनाने व देवी देवताओं की पूजा करने का अवसर भक्तों को देने के साथ-साथ यहां पर्यटकों को हर तरह की सुविधा देने की योजना बनी। संस्थापक पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप राय, ट्रस्टी आरपी गुप्ता, निहार राय, गौरी शंकर अग्रवाल, नंदू अग्रवाल समेत अन्य लोगों के प्रयास से यहां इसे भव्य रूप देने का काम शुरू हुआ ।

श्री मंदिर पुरी की तरह सुलभ कीमत पर यहां मिलता है प्रसाद

मंदिर प्रबंधन की ओर से हनुमान वाटिका में भी पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह अभड़ा भोग का प्रबंध किया गया है। हर दिन यहां सुलभ कीमत पर कूपन लेकर भगवान का प्रसाद प्राप्त करना होता है। पंक्ति में बैठ कर भक्त दोपहर के समय चावल, दाल, बेसर, खीर, चटनी आदि का सेवन कर सकते हैं। कूपन के जरिए घर के लिए भी प्रसाद लिया जा सकता है। प्रसाद का स्वाद भी पुरी के प्रसाद के समान होने के कारण भक्तों में काफी पसंद किया जाता है। यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए भी सुलभ दर पर कमरे उपलब्ध हैं। शादी विवाह एवं अन्य कार्यक्रम के लिए कल्याण मंडप का भी निर्माण कराया गया है।

हनुमान वाटिका (उड़ीसा के सुंदरगढ़ जिले का मुख्य आकर्षण)

English Translate

Hanuman Vatika (Main attraction of Sundargarh district of Orissa)

Among the major tourist places of Orissa, the name of Hanuman Vatika along with Ved Vyas, Vaishno Devi temple in Sundargarh district is also included. The 74 feet 9 inches high Hanuman statue in Hanuman Vatika is the center of attraction. The biggest feature is that in Hanuman Vatika, 21 temples have been built in the structure of the country's famous temples, and deities are being worshipped. Every day a large number of tourists reach here and enjoy the beauty with worship.


In the steel city of Rourkela, Hanuman Vatika was envisaged as a tourist destination in 1992, since then its construction was started. In an area of ​​about 13 acres, a plan was made to make the main temples of the country in the same structure and give the opportunity to the devotees to worship the deities, as well as to provide all kinds of facilities to the tourists here. The work of giving it a grand look started with the efforts of founder former Union Minister Dilip Rai, trustees RP Gupta, Nihar Rai, Gaurishankar Agarwal, Nandu Agarwal among others. It was unveiled on 23 February 1994 by Kalinga Veer Biju Patnaik, the creator of modern Orissa. . Although, when this statue was completed, it was the tallest Hanuman statue in the country, but in June 2003, a 134 feet tall Hanuman statue has been constructed in Vijayawada, Andhra Pradesh.

Hanuman Statue in Hanuman Vatika

Hanuman Vatika in Rourkela Somnath Temple, Parvati Temple, Maa Vaishno Devi Temple, Durga, Santoshi Temple, Sai Temple, Churchika Temple, Radha Krishna Temple, Maa Vimala Temple, Ganesh Temple, Parashuram Temple, Samaleshwari Temple, Maa Kali Temple, Dwadash Shivling Temple A total of 21 temples, including Vidla Mandir, Laxmi Mandir, Sharda Mandir, Shri Ram Mandir, Hanuman Mandir, have been built within the framework of the famous temples of the country. The worship is done in the temples under the supervision of Jai Hanuman Samiti Charitable Trust. Devotees continue to visit here from early morning till late evening. Whenever people get time, they come here with family and spend time in a peaceful environment.

vision of tourist destination

The idea of ​​making Hanuman Vatika as a tourist destination in the steel city of Rourkela was conceived in 1992. Since then its construction has started. In an area of ​​about 13 acres, a plan was made to make the main temples of the country in the same structure and give the opportunity to the devotees to worship the deities, as well as to provide all kinds of facilities to the tourists here. With the efforts of founder former Union Minister Dilip Rai, Trustee RP Gupta, Nihar Rai, Gauri Shankar Agarwal, Nandu Agarwal and others, the work of giving it a grand look started here.

Hanuman Vatika Rourkela (Odisha Tourism)

Prasad is available here at an affordable price like Shri Mandir Puri

On behalf of the temple management, in Hanuman Vatika, arrangements have been made for abhada bhog like Jagannath temple of Puri. Every day here one has to get the offerings of God by taking coupons at accessible prices. While sitting in a row, devotees can eat rice, pulses, besar, kheer, chutney etc. in the afternoon. Prasad can also be taken for home through coupons. The taste of the prasad is also very much liked among the devotees due to its similarity to the prasad of Puri. Rooms are also available here for the stay of tourists at affordable rates. Kalyan Mandap has also been constructed for marriage and other programs.

Hanuman Vatika (Main attraction of Sundargarh district of Orissa)

चांदनी || Crepe Jasmine (जूही) ||

चांदनी (Crepe Jasmine)

आज आपको एक और खूबसूरत फूल से मिलवाते हैं, जो एक ही रंग की होती है, सफेद रंग की, बेहद खूबसूरत। चांदनी (Crepe Jasmine) फूल चांदनी सी चमकती है, इसीलिए शायद इसका नाम चांदनी पड़ा। चांदनी (Crepe Jasmine) फूल को और भी कई नामों से जाना जाता है। कुछ लोग इसे जूही का फूल कहते हैं, तो कुछ जगहों पर चांदनी (Crepe Jasmine) का फूल भी कहा जाता है। दक्षिण भारत में महिलाएं जूही के फूल का गजरा लगाती हैं। वैसे तो पूरे भारत देश में गजरा लगाने का प्रचलन है, परंतु दक्षिण भारत में यह ज्यादा उपयोग में लाई जाती है। यह खूबसूरत और खुशबूदार होने के साथ-साथ औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण है।

चांदनी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

चांदनी क्या है?

चांदनी का पौधा 2 से 3 मीटर ऊंचा, चिकना, सदा हरा भरा रहने वाला होता है। चांदनी के पौधे के तने अत्यधिक चमकीले, भूरे रंग के होते हैं। इसके पत्ते चिकने एवं चमकीले हरे रंग के होते हैं। इस पौधे पर सफेद रंग के फूल आते हैं, जो सुगंधित होते हैं। इसके फूल दो प्रकार के होते हैं - पांच पंखुड़ियों वाले तथा दो पंक्तियों में व्यवस्थित पांच पंखुड़ियों से युक्त।

जानते हैं चांदनी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

इसका उपयोग सामान्य समस्याओं के लिए किया जाता है। यह पेट के विकारों, आँखों एवं दांतों की समस्या और सर दर्द में उपयोगी जड़ी बूटी है। 

सिर दर्द होने पर 

चांदनी के पौधे की पत्तियों को तोड़ने से निकलने वाले दूध को तेल में मिलाकर मस्तक पर लगाने से सिर दर्द और आंखों के दर्द में आराम मिलता है।

आंख में होने वाली सूजन तथा लालिमा के लिए

चांदनी के फूल तथा कलियों को पीसकर आंखों के बाहर चारों तरफ लगाने से आंखों में होने वाला दर्द, सूजन और आंखों के लाल होने की परेशानी में लाभ होता है।

दांत दर्द में

  • चांदनी की जड़ को चबाने से दातों के दर्द में आराम मिलता है।
  • चांदनी की जड़ के चूर्ण को मंजन की तरह दातों पर लगाने से दांतों के कीड़े लगने की समस्या और कीड़ों के कारण होने वाले दर्द में आराम मिलता है। इससे मसूड़ों से खून निकलना भी बंद होता है।

पेट में कीड़े होने पर

चांदनी की जड़ की छाल को पीसकर पेस्ट बना लें। इसे 1 से 2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

उच्च रक्तचाप की समस्या

चांदनी के पत्ते का काढ़ा बनाकर पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।

दस्त की समस्या

5 मिलीलीटर जूही के पत्ते के रस को पीने से दस्त बंद हो जाते हैं।

त्वचा की समस्या

  • चमेली के फूलों में रोपण यानी हीलिंग का गुण होता है, जिससे बाहरी तौर पर त्वचा पर लगाने से त्वचा की समस्याओं में आराम मिलता है। 
  • चांदनी के फूल के रस को त्वचा पर लगाने से जलन दर्द और सूजन में आराम मिलता है।

घाव को सुखाने में

चांदनी के फूल चांदनी के पौधों से प्राप्त दूध तथा पत्तों को पीसकर घाव पर लेप करने से घाव जल्दी सूख जाते हैं।

चांदनी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

विभिन्न भाषाओं में चांदनी का नाम

Hindi – चांदनी, तगर
English – East Indian Rosebay, Moon beam, Adam’s apple, Crepe jasmine 
Sanskrit – सुगन्धा
Oriya – काटो (Kato), काटोचम्पा (Katochampa), मोल्लीफुलाना (Mollifulana)
Konkani – वडलीनामदीत (Vadlinamdit)
Kannada – कोट्टू (Kottu), नंदीबटलू (Nandibatlu)
Gujarati – चांदनी (chandani), सागर (Sagar)
Tamil – करेरदूप्पलै (Karerduppalai), नंदीयावत्तम (Nandiyavattam);
Telugu – गंधीतगराप्पू (Gandhitagarapu), नंदीवरदानमु (Nandivardanamu)
Bengali – चमेली (Chameli), तगर (Tagar)
Nepali – चांदनी (chandani)
Marathi – अनंता (Ananta), गोंदतगर (Gondetagra)
Malayalam – बेलुटा अमेलपोडी (Belutta-amelpodi), नंदी ऐरवेटुम (Nandi ervatum), कूट्टमपाले (Kuttampale), तकरम (Takram)

चांदनी के नुकसान (Side Effects of Crepe Jasmine)

गुलब्बास के नुकसान के विषय में कोई भी उल्लेख प्राप्त नहीं है। 

English Translate

Chandni (Crepe Jasmine)

Today we introduce you to another beautiful flower, which is of the same color, white in color, very beautiful. Chandni(Crepe Jasmine) flower shines like moonlight, that is why it was probably named Chandni. Chandni (Crepe Jasmine) flower is known by many other names. Some people call it the flower of Juhi, while in some places it is also called the flower of Chandni (Crepe Jasmine). In South India, women plant Gajra of Juhi flower. Although there is a practice of planting Gajra in the whole of India, but it is used more in South India. Along with being beautiful and aromatic, it is also full of medicinal properties.

चांदनी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

What is Chandni?

Chandni plant is 2 to 3 meters high, smooth, always green. The stems of the Chandni plant are highly shiny, brown in color. Its leaves are smooth and bright green in color. This plant bears white flowers, which are fragrant. Its flowers are of two types - with five petals and with five petals arranged in two rows.

Know about the advantages, disadvantages, uses and medicinal properties of Chandni

It is used for common problems. It is a useful herb in stomach disorders, problems with eyes and teeth and headache.

having a headache

Mixing the milk extracted from plucking the leaves of moonshine plant with oil and applying it on the head provides relief in headache and eye pain.

For swelling and redness in the eye

Grind the flowers and buds of moonshine and apply it around the outside of the eyes, it provides relief in the problem of eye pain, swelling and redness of the eyes.

in toothache

  • Chewing the root of moonshine provides relief in toothache.
  • Applying the powder of moonshine root on the teeth like a paste provides relief in the problem of tooth worms and pain caused by insects. It also stops bleeding gums.

worms in stomach

Make a paste by grinding the bark of the root of moonshine. Taking it in the amount of 1 to 2 grams kills stomach worms.

high blood pressure problem

Making a decoction of moonshine leaves and drinking it is beneficial in high blood pressure.

diarrhea problem

Diarrhea is stopped by drinking 5 ml juice of Juhi leaves.

skin problem

  • Jasmine flowers have healing properties, due to which external application on the skin provides relief in skin problems.
  • Applying the juice of Chandni flower on the skin provides relief in burning pain and swelling.

to dry the wound

Grind the leaves and milk obtained from the moonlight flowers and apply it on the wound, the wounds dry up quickly.

चांदनी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

Koyal (कोयल) || Sunday.. इतवार ..रविवार ||

इतवार (Sunday)

Rupa Os ki Boond
"खोल दे पंख मेरे कहता है परिंदा,
अभी और उड़ान बाकी है, 
जमीन नहीं है मंजिल मेरी,
अभी पूरा आसमान बाकी है..❤"
Koyal (कोयल)

 अमवा की डाली पे,

बोले कोयलिया काली।

मानस की हृदय को अत्यंत ही भाती है,

सुनकरके कूक कूक सबही के मुदित मन।

लोग कहें देखो ये कितना सुंदर गाती है।

शरद के गमन से अमवा बौराए हैं, 

होली में शरद जरी, वृक्षों पे कोपल नई।

अमवा की वाली सी डाली गदराई है, 

कोयलिया काली का मन रोये विरहातुर,

लोग कहें धुन कैसी कोयलिया ने गाई है।

कोयल (Cuckoo)|| Koyal ||
"कामयाबी सुबह के
जैसी होती है,
मांगने पर नहीं, 
जागने पर मिलती है..❤"

कोयल कब कूकती है? कभी आपने सोचा है,क्या बसंत ऋतु के बाद कोयल कहीं चली जाती है? कोयल की आवाज बसंत ऋतु के बाद क्यों नहीं सुनाई देती?

कोयल बसंत ऋतु में ही कूकती हैं और बाद में भी हमारे आस पास रहती है पर आवाज़ नहीं निकाल पाती। बसंत ऋतु में कोयल की कूकने की मीठी बोली सुनाई देती है, जिसे सभी बहुत पसंद करते हैं। पर वसंत के जाते ही उसका कूकना सुनाई देना बंद हो जाता है, तो क्या वसंत के बाद कोयल कहीं चली जाती है? नहीं, ऐसा नहीं है, कोयल बसंत ऋतु के बाद भी कही नहीं जाती है, हमारे आस-पास ही रहती है, लेकिन मौसम में बदलाव के वजह से उसका गला फट जाता है और वह बोल नहीं पाती है। वह सिर्फ बसंत में ही बोल पाती है।

When does the cuckoo cook? Have you ever wondered, do cuckoos go somewhere after the spring season? Why is the cuckoo's voice not heard after the spring season?

Cuckoos chirp only in the spring and remain around us even later, but cannot make a sound. In the spring, the sweet speech of the cuckoo's cooking is heard, which is very much liked by all. But as soon as the spring leaves, its sound stops, so does the cuckoo go somewhere after the spring? No, it is not like that, the cuckoo does not go anywhere even after the spring season, it stays around us, but due to the change in weather, its throat breaks and she is unable to speak. She can speak only in the spring.

कोयल (Cuckoo)|| Koyal ||

शिक्षा का पात्र : पंचतंत्र, मूर्ख बंदर और चिड़िया की कहानी

शिक्षा का पात्र

उपदेशो न दातव्यो यादृशे तादृशे जने। 

जिसको तिसको उपदेश देना उचित नहीं। 

शिक्षा का पात्र : पंचतंत्र, मूर्ख बंदर और चिड़िया की कहानी

किसी जंगल के एक घने वृक्ष की शाखा पर चिड़ा-चिड़ी का एक जोड़ा रहता था। अपने घोसले में दोनों बड़े सुख से रहते थे। सर्दियों का मौसम था। उस समय एक बन्दर बर्फीली हवा और बरसात में ठिठुरता हुआ उस वृक्ष की शाखा पर आ बैठा। जाड़े के मारे उसके दांत कटकटा रहे थे। उसे देख चिड़िया ने कहा-अरे, तुम कौन हो? देखने में तो तुम्हारा चेहरा आदमियों का सा है; हाथ-पैर भी हैं तुम्हारे। फिर भी तुम कहां यहां बैठे हो। घर बनाकर क्यों नहीं रहते?

वानर बोला - अरी, तुझसे चुप नहीं रहा जाता? तू अपना  काम कर, मेरा उपहास क्यों करती है?

शिक्षा का पात्र : पंचतंत्र, मूर्ख बंदर और चिड़िया की कहानी

चिड़िया फिर भी कुछ कहती गई! वह चिढ़ गया। क्रोध में आकर उसने चिड़िया के उस घोंसले को तोड़-फोड़ डाला।

करटक ने कहा - इसलिए मैं कहता था। जिस - तिसको उपदेश नहीं देना चाहिए। किंतु तुझ पर इसका प्रभाव नहीं पड़ा। तुझे शिक्षा देना भी व्यर्थ है‌। बुद्धिमान को दी हुई शिक्षा का ही फल होता है। ‌मूर्ख को दी हुई शिक्षा का फल क‌ई बार उलटा निकल आता है, जिस तरह पापबुद्धि नाम के मूर्ख पुत्र ने विद्वता के जोश में पिता की हत्या कर दी थी।

दमनक ने पूछा-कैसे?

करटक ने तब धर्मबुद्धि-पापबुद्धि नाम के दो मित्रों की कथा सुनाई:

मित्र - द्रोह का फल

                                                                                                                   To be continued ... 

गुलब्बास या कृष्ण कली || Gulabbas or Krishnakali ||

गुलब्बास या कृष्ण कली

आज आपको एक ऐसे फूल से मिलवाते हैं, जिसको देखा तो सभी ने होगा, परंतु इसके नाम से और इसके गुणों से कम लोग ही कोई अवगत होंगे। यह है गुलब्बास या कृष्णकली का फूल। क्यों, सही कहा ना, गली - नुक्कड़ पर आसानी से दिखने वाले इस फूल का नाम किसी को पता नहीं था ना? अंग्रेजी में इस फूल को "फोर ओ क्लॉक फ्लावर" भी कहा जाता है, क्योंकि यह फूल दोपहर के बाद 4:00 बजे शाम को खिलता है। इसके फूल लाल, पीले, बैगनी और गुलाबी रंग के तथा धब्बेदार भी होते हैं।

गुलब्बास या कृष्ण कली  || Gulabbas or Krishnakali ||

गुलब्बास या कृष्ण कली क्या है?

कृष्णकली घर के बगीचों और गमलों में आसानी से उगने वाला, मोटे कंदीय जड़ वाला एक शाकीय पौधा होता है। यह लगभग 1 मीटर ऊंचा, बहूवर्षीय शाक होता है। इसकी शाखाएं द्विविभाजित होती हैं। इसका तना मांसल तथा पर्वसंधियों से युक्त होता है। इसके पत्ते साधारण होते हैं, जिसके आगे का भाग नुकीला होता है। इसके फूल पांच परिदल पत्ते वाले होते हैं। इसका फूल ठंडी प्रकृति वाला होता है। कृष्ण कली का फल गोलाकार काले रंग का झुर्रिदार, गोल मरीच के समान होता है। इस पौधे में फूल खिलने का समय जुलाई से जनवरी तक का होता है।

गुलब्बास या कृष्ण कली  || Gulabbas or Krishnakali ||

जानते हैं कृष्ण कली के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

आयुर्वेद में कृष्णकली के फायदे के बारे में अनेक बातें बताई गई हैं। कब्ज की समस्या, सूजन कम करने, डायबिटीज, खुजली आदि में गुलब्बास से लाभ मिलता है।

पित्त संबंधी समस्या

कृष्ण कली के पत्ते के रस का लेप करने से पित्त के कारण हुए जलन तथा खुजली में आराम मिलता है।

कब्ज की समस्या

अव्यवस्थित जीवनशैली की वजह से शरीर में बहुत सारी परेशानियां बढ़ गई हैं। संतुलित भोजन ना करने की वजह से कब्ज जैसी समस्या आम हो गई है। ऐसे में कृष्ण कली के पत्ते के रस को पेट पर लगाने मात्र से या पेट की मालिश करने से आराम मिलता है।

खुजली की समस्या

किसी बिमारी के वजह से या सनबर्न की वजह से या रूखे त्वचा के कारण खुजली की समस्या हो सकती है। कृष्णकली इसमें फायदेमंद है। कृष्णकली के पत्ते के रस को प्रभावित जगह पर लगाने से खुजली से आराम मिलता है।

गुलब्बास या कृष्ण कली  || Gulabbas or Krishnakali ||

डायबिटीज की वजह से होने वाले घाव में

यदि किसी व्यक्ति को मधुमेह है और उससे कोई घाव हो जाता है, तो वह जल्दी सूखता नहीं है। ऐसी अवस्था में कृष्णकली के कंद को पीसकर लगाने से मधुमेह के कारण होने वाले घाव में लाभ होता है।

फोड़े को सुखाने में

कृष्ण कली के पत्तों को पीसकर गुनगुना करके बांधने से फोड़े थोड़ी जल्दी पक कर फूट जाते हैं और सुख जाते हैं।

गुलब्बास या कृष्ण कली  || Gulabbas or Krishnakali ||

सूजन होने पर

अगर शरीर के किसी भी अंग में सूजन हो गया है और कम नहीं हो रहा है, तो कृष्ण कली के जड़ को पीसकर लेप लगाने से चोट के कारण उत्पन्न सूजन ठीक हो जाती है।

मोच के दर्द में

कृष्णकली के पत्तों को पीसकर मोच वाले जगह पर लगाने से लाभ होता है।

पाइल्स की समस्या

ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने से तथा पेट की गड़बड़ी से पाइल्स की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में बवासीर के मस्सों पर इसके पत्तों का रस लगाने से मस्से सूखकर नष्ट हो जाते हैं।

गुलब्बास या कृष्ण कली  || Gulabbas or Krishnakali ||

विभिन्न भाषाओं में कृष्णकली का नाम

Sanskrit-    संध्याकाली, कृष्णकली;
Hindi-        गुलब्बास, गुलाबास;
Urdu-         गुलेब्बास (Guleabbas);
Konkani-   आकाशमुरी (Akashmuri), मेरेम्डी (Meremdi);
Kannada-   संजामल्लिगे (Sanjamallige), संजिमल्लिगे (Sanjimallige), चट्टमल्लिगे (Chattmallige), चन्द्रमल्लिगे (Chandermallige);
Gujrati-     गुलबास (Gulbas);
Tamil-       अन्धिमल्लिगई (Andimalligai);
Telugu-     चन्द्रमल्ली (Chandarmalli), चन्द्रकान्ता (Chandarkanta);
Bengali-    कृष्णकेली (Krishnakeli);
Nepali-      लंकाफूल (Lankaphool);
Punjabi-    अबासी (Abasi), गुलब्बास (Gulabbas);
Malayalam-अन्तिमलारी(Antimalari);
Marathi-    गुलअब्बास (Gulababas);
Manipuri-    मुकाक लेई (Mukak lei)।
English-    ब्यूटी ऑफ दी नाइट (Beauty of the night);
Arbi-    जहरूलाजल (Zahrulajal), शाहेल्लेइल्ली (Shahelleilli);
Persian-गुलेब्बास(Guleabbas)
गुलब्बास या कृष्ण कली  || Gulabbas or Krishnakali ||

English Translate

Gulabbas or Krishnakali

Today, let us introduce you to such a flower, which everyone would have seen, but hardly anyone would be aware of its name and its properties. This is the flower of Gulabbas or Krishna Kali. Why, right? This flower is also called "four o clock flower" in English, because this flower blooms after noon at 4:00 pm. Its flowers are red, yellow, purple and pink in color and also speckled.

What is Gulabbas or Krishna Kali?

Krishnakali is a herbaceous plant with thick tuberous roots, easy to grow in home gardens and pots. It is a perennial herb about 1 meter high. Its branches are bifurcated. Its stem is fleshy and full of joints. Its leaves are simple, the front part of which is sharp. Its flowers are having five circumscribed leaves. Its flower is cold in nature. The fruit of Krishna bud is spherical black in color, wrinkled, like a round marig. The flowering time of this plant is from July to January.
गुलब्बास या कृष्ण कली  || Gulabbas or Krishnakali ||

Know about the advantages, disadvantages, uses and medicinal properties of Krishna Kali

Many things have been told about the benefits of Krishna Kali in Ayurveda. Gulabbas is beneficial in the problem of constipation, reducing swelling, diabetes, itching etc.

bile problem

Applying juice of black bud leaves provides relief in burning and itching caused by pitta.

constipation problem

Due to the chaotic lifestyle, many problems have increased in the body. Problems like constipation have become common due to lack of balanced diet, in such a situation, simply applying the juice of the leaves of Krishna bud on the stomach or massaging the stomach provides relief.

itching problem

The problem of itching can be due to some disease or due to sunburn or due to dry skin. Krishnakali is beneficial in this. Applying the juice of the leaves of Krishna Kali on the affected area provides relief from itching.

wound caused by diabetes

If a person has diabetes and it causes a wound, it does not dry quickly. In such a condition, grinding the tuber of Krishna Kali is beneficial in wounds caused by diabetes.
गुलब्बास या कृष्ण कली  || Gulabbas or Krishnakali ||

to dry the boil

Grinding the leaves of Krishna bud and tying it lukewarm, boils ripen a little sooner, bursts and dries up.

in case of swelling

If there is swelling in any part of the body and it is not decreasing, then applying paste by grinding the root of the black bud ends the swelling caused by the injury.

in sprain pain

Grinding the leaves of Krishna Kali and applying it on the sprained area is beneficial.

problem of piles

The problem of piles arises due to eating more spicy, spicy food and stomach upset, in such a situation, by applying the juice of its leaves on the piles, the warts get dried and destroyed.

गुलब्बास या कृष्ण कली  || Gulabbas or Krishnakali ||

गुलब्बास के नुकसान (Side Effects of Gulabbas)

गुलब्बास के नुकसान के विषय में कोई भी उल्लेख प्राप्त नहीं है। 

Jindagi quotes

 जिंदगी

 एक जिंदगी भागती हुई सी

 एक लम्हा ठहरा हुआ सा..🌙

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जीने का हक मुझे भी है,
तो क्या हुआ जो अपने रूठ गए
तो क्या हुआ जो अपने छूट गए
तो क्या हुआ जो दुनिया की भीड़
में हम अकेले रह गए..,🐨


तेनालीराम - झगड़ालू चमेली | Tenaliram - Jhagdalu Chameli

 तेनालीराम - झगड़ालू चमेली  | Tenaliram - Jhagdalu Chameli

महाराज कृष्ण देव के नगर में चमेली नाम की एक महिला रहती थी, जिसके पति का नाम माधो था। चमेली अपने पति से बहुत लड़ती - झगड़ती रहती थी और पति पर अपना गुस्सा उतारती थी। उनकी चांदकुमारी नाम की एक बेटी भी थी। 

तेनालीराम - झगड़ालू चमेली  | Tenaliram - Jhagdalu Chameli

चांदकुमारी देखने में बेहद खूबसूरत थी। खूबसूरत और काबिल होने के बावजूद भी उसकी झगड़ालू मां के कारण कोई उससे शादी नहीं करना चाहता था। चंदकुमारी की मां चमेली के झगड़ालू व्यवहार के बारे में गांव में सभी लोग अवगत थे।

वहीं तेनालीराम अपनी बुद्धि के कारण बहुत प्रसिद्ध थे। उनकी प्रसिद्धि के कारण, कई लोग उनसे ईर्ष्या करते थे। एक दिन ऐसे ही ईर्ष्यालु लोगों में से एक उनके घर आया। वह तेनालीराम को बताने लगा कि हमारे नगर में चांदकुमारी नाम की एक बेहद खूबसूरत लड़की रहती है। वह उस खूबसूरत लड़की का रिश्ता तेनालीराम के भाई के लिए ले आया है। 

वह आदमी चाहता था कि विवाह पश्चात चांदकुमारी भी अपनी मां की तरह अपने पति से लड़ाई झगड़ा करे और उसे डराकर रखे। यह सोच मन में लिए ही वह तेनालीराम के यहां आया था, लेकिन वह इस बात से अंजान था कि तेनालीराम का कोई भाई था ही नहीं। तेनालीराम को उस आदमी की खराब नियत का पता शुरू में ही लग चुका था, क्योंकि वे भी चमेली के झगड़ालू आदत के बारे में पहले से ही जानते थे। 

तेनालीराम बहुत बुद्धिमान थे, उन्होंने लड़की के बारे में और जानने का नाटक किया, आखिरकार रिश्ते के लिए राजी हो गए और एक कप चाय और पानी के बाद उस आदमी को विदा कर दिया। अब परेशानी यह थी कि तेनालीराम को शादी के लिए एक भाई की जरूरत थी, क्योंकि वह पहले ही शादी के लिए राजी हो गए थे।

तेनालीराम उसकी तलाश में दूसरे गांव की ओर चल दिए। जब वह युवक की तलाश कर रहे थे तो रास्ते में उन्हें एक परेशान युवक मिला। जब तेनालीराम ने उसकी परेशानी का कारण पूछा तो उसने जवाब दिया कि "मैं काम की तलाश में हूं। क्या तुम्हारे पास मेरे लिए कोई काम होगा?" 

तेनालीराम ने उसे काम देने का वादा किया और कहा कि "इसके बदले में तुम्हें मेरी इच्छा के अनुसार शादी करनी होगी। तुम निश्चिंत रहो क्योंकि जिस लड़की से मैं तुम्हारी शादी कराना चाहता हूं, वह बहुत सुंदर और योग्य है।" 

यह सुनकर युवक खुश हो गया। इधर चांदकुमारी के घर भी शादी का प्रस्ताव सुनकर सभी खुश हो गए। पंडित को जल्दी से बुलाकर शादी की तारीख पक्की की गई और तैयारियां शुरू हो गईं। 

बड़ी धूमधाम से चांदकुमारी का विवाह सम्पन्न हुआ। विदाई का समय आया तो चांदकुमारी की मां चमेली ने अपनी पुत्री के कान में कहा - "बेटी! मैं तुम्हारे पिता को रोज डरा-धमकाकर अपने नियंत्रण में रखती हूं। अगर तुम भी शुरुआत से ही अपने पति पर रौब झाड़ोगी तो तुम्हारा पति भी तुम्हारे नियंत्रण में रहेगा।" चांदकुमारी ने अपनी मां की बात को ध्यान से सुना और उनकी बात मान ली।

चमेली ने अपने पति माधो से भी कहा कि वह भी कुछ दिनों के लिए अपनी बेटी के यहां चला जाए।

धीरे-धीरे समय बीतता गया और चांदकुमारी को एहसास हुआ कि उसका पति और तेनालीराम बहुत जिद्दी और असभ्य हैं, लेकिन फिर भी वह हर दिन अपने पति से किसी न किसी बात पर झगड़ती रहती थी और अपना गुस्सा भी जाहिर करती रहती थी। 

यहाँ माधो भी वहीं रहता था, इसलिए तेनालीराम ने उसे दूध, घी, बादाम आदि पौष्टिक आहार खिलाए और कुछ ही महीनों में उसे बलवान बना दिया। जब वह अपने घर लौटने लगा, तो तेनालीराम ने उसे अपने पास बुलाया और समझाया - "देखो दोस्त! मुझे पता है कि तुमने इतने सालों में बहुत कुछ सहा है। अगर शुरू से ही अपनी पत्नी से डरने के बजाय तुमने उसे जवाब दिया और शब्द और क्रोध से समझाया होता, तो आज यह स्थिति नहीं होती। तो अब समय आ गया है, जब आपको साहस दिखाना होगा और अपनी पत्नी के क्रोधी स्वभाव को सुधारना होगा। अब तुम खुद जानते हो कि क्या करना है। तुम्हें अपनी मदद खुद करनी होगी।" 

माधो तेनालीराम की बात समझ गया। उसने तेनालीराम को धन्यवाद दिया और अपने घर के लिए रवाना हो गया। जब वह घर पहुंचा तो चमेली उसे देखकर बहुत खुश हुई। वह अपने पति से लड़ने के बहाने तलाशने लगी। 

यह सोचकर जैसे ही वह अपने पति पर चिल्लाने लगी, तो उसका पति उसे सच बताने लगा। वह उस पर बहुत क्रोधित होने लगा। झगड़े की शोर सुनकर सभी पड़ोसी वहां आ गए। सभी ने माधो को शांत करने की कोशिश की, लेकिन माधो का गुस्सा सातवें आसमान पर था। इतनी सारी बातें सुनकर चमेली शांत हो गई। माधो जानता था कि जब कोई किसी के बारे में बुरा बोलता है या उसका सम्मान नहीं करता है, तो कितना दुख होता है। कुछ देर बाद माधो का गुस्सा भी शांत हो गया और उसने चमेली से माफी मांगते हुए कहा कि उसने यह सब सिर्फ उसे सबक सिखाने के लिए किया है। 

अब चमेली भी पूरी तरह से बदल चुकी थी और उसने भी माधो से अपने बुरे व्यवहार के लिए माफी मांगी ली। इतना सब होने के बाद उसने अपनी बेटी चांदकुमारी को भी समझाया कि वह भी अपने पति की बात माने और उससे लड़ाई न करे। साथ ही उन्होंने अपनी बेटी से यह भी कहा कि किसी भी रिश्ते में स्नेह और सम्मान का होना बहुत जरूरी है। अपनी मां से यह सब सुनकर चांदकुमारी भी अपने पति के साथ सम्मान और खुशी से अपना जीवन व्यतीत करने लगी।



English Translate

Tenaliram - Jhagdalu Chameli / Cantaloupe Chameli

In the city of Maharaj Krishna Dev, there lived a woman named Jasmine, whose husband's name was Madho. Jasmine used to fight a lot with her husband and used to vent her anger on her husband. They also had a daughter named Chandkumari.

तेनालीराम - झगड़ालू चमेली  | Tenaliram - Jhagdalu Chameli

Chandkumari was very beautiful to see. Despite being beautiful and capable, no one wanted to marry her because of her quarrelsome mother. Everyone in the village was aware of the quarrelsome behavior of Chandkumari's mother, Jasmine.

At the same time, Tenaliram was very famous due to his intelligence. Because of his fame, many people envied him. One day one of such envious people came to his house. He started telling Tenaliram that a very beautiful girl named Chandkumari lives in our town. He has brought that beautiful girl's relation to Tenaliram's brother.

The man wanted that after marriage, Chandkumari, like her mother, should fight with her husband and keep him intimidated. With this thought in mind, he had come to Tenaliram's place, but he was unaware that Tenaliram had no brother. Tenaliram had come to know of the man's bad intentions from the very beginning, as he also already knew about Jasmine's quarrelsome habit.

Tenaliram was very intelligent, pretended to know more about the girl, eventually agreed to the relationship and after a cup of tea and water sent the man off. Now the trouble was that Tenaliram needed a brother for marriage, as he had already agreed to the marriage.

Tenaliram went in search of him towards another village. When he was looking for the young man, he found a troubled youth on the way. When Tenaliram asked the reason for his trouble he replied that "I am looking for work. Will you have any work for me?"

Tenaliram promised to give her work and said that "in return you will have to marry as per my wish. You rest assured because the girl I want to marry you is very beautiful and deserving."

The young man was happy hearing this. Here everyone became happy after hearing the proposal of marriage at Chandkumari's house. The wedding date was confirmed by calling the pandit quickly and the preparations started.

Chandkumari's marriage was completed with great pomp. When the time of farewell came, Chandkumari's mother Jasmine said in her daughter's ear - "Daughter! I keep your father under my control by intimidating you every day. will be under control." Chandkumari listened carefully to her mother's words and agreed to her.

Jasmine also asked her husband Madho to go to her daughter's place for a few days.

Gradually time passed and Chandkumari realized that her husband and Tenaliram were very stubborn and rude, but still she used to quarrel with her husband every day on some issue and also used to express her anger.

Here Madho also lived there, so Tenaliram fed him nutritious food like milk, ghee, almonds etc. and made him strong in a few months. When he started returning to his home, Tenaliram called him to himself and explained - "Look friend! I know you have gone through a lot over the years. If instead of being afraid of your wife from the beginning you answered her and said And had it been explained with anger, this situation would not have happened today. So now is the time when you have to show courage and correct the angry nature of your wife. Now you yourself know what to do. You have to help yourself. Will be."

Madho understood Tenaliram's point. He thanked Tenaliram and left for his home. When he reached home, Jasmine was very happy to see him. She started looking for excuses to fight with her husband.

Thinking this, as soon as she started shouting at her husband, her husband started telling her the truth. He got very angry at her. Hearing the noise of quarrel, all the neighbors came there. Everyone tried to pacify Madho, but Madho's anger was in seventh heaven. Jasmine became calm after hearing so many things. Madho knew how much it hurts when someone spoke ill of someone or didn't respect them. After sometime Madho's anger also subsided and she apologizes to Jasmine saying that she has done all this just to teach her a lesson.

Now Jasmine too had changed completely and she also apologized to Madho for her bad behavior. After all this, she also explained to her daughter Chandkumari that she should also obey her husband and not fight with him. At the same time, he also told his daughter that it is very important to have affection and respect in any relationship. Hearing all this from her mother, Chandkumari also started living her life with respect and happiness with her husband.

सांझ ढले कभी

सांझ ढले कभी


सांझ ढले कभी,
तो आओ बैठो साथ मेरे
एक चाय की प्याली के साथ
तुम्हें हाले दिल सुनाएं..

कैसे बीते ये दिन, महीने, साल
तेरे बिन
उस हर एक पल का
तुम्हें एहसास कराएं..

पतझड़ में जब
पेड़ों से पीले पत्ते गिरे
बिछड़ते उस मंजर को
अपनी आंखों में दिखाएं..

वसंत ऋतु में जब
कोयल कूकी
विरह की उस गीत को
तुम्हें गा के सुनाएं..

सावन के महीने में
जब मेरे बदन पर
पानी की बूंदे पड़ी
उन बूंदों की जलन बताएं..

ओस की बूंदे जब
मेरे बालों पर गिरी
उन ओस की बूंदों में
तुम्हें तेरा ही अक्स दिखाएं..

गर्मी की तपिश में
पसीने की बूंदों के साथ
आंसू कैसे मिलते,
अरमान कैसे पिघलते तुम्हें बताएं..

सांझ ढले कभी
तो आओ बैठो साथ मेरे
एक चाय की प्याली के साथ
तुम्हें हाले दिल सुनाएं..
❣❣

❣❣

❣❣

❣❣

समानता || Equality ||

समानता (Equality)

समानता शब्द  से आज भी हमारे समाज के बहुत से लोग अनभिज्ञ हैं। इस शब्द का महत्व हमारे लिए कितना है, इस बात की जानकारी बहुत से विद्वान अपनी पुस्तकों के माध्यम से तथा अपने लेखकों के माध्यम से लगातार हम तक पहुंचाने की कोशिश करते ही रहते हैं। समानता शब्द को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में वर्णन किया गया है। इस समानता शब्द को हमारे संविधान में रखने की वजह हमारे संविधान निर्माताओं से बेहतर कोई नहीं जान सकता है। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ था। इस दिन से पूरे भारतवर्ष में सभी को समता एवं समानता का अधिकार प्राप्त हुआ। इससे पूर्व हमारे इस समाज में जाति, धर्म, मजहब, मठ आदि के आधार पर लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए हमारे संविधान निर्माताओं ने इस शब्द को संविधान में रखने की आवश्यकता महसूस किया। 

समानता (Equality)

समानता अधिकार का विवरण देती है, तथ्य की नहीं-समानता एक ऐसा तत्व है, जिसकी मांग अधिकारों की भांति की जाती है। यह ऐसा गुन नहीं जिसका हम विवरण दे रहे हों। दूसरे शब्दों में, हम यह कहते हैं कि मनुष्यों के साथ समानता का बर्ताव होना चाहिए; यह नहीं कहते कि मनुष्य वास्तव में समान हैं।

हाँ, कभी-कभी हम लाक्षणिक अर्थ में मनुष्यों की समानता की बात अवश्य करते हैं। उदाहरण के लिए, हम यह कहते हैं कि "सब मनुष्य जन्म से समान हैं" या "ईश्वर ने सब मनुष्यों को समान बनाया है" या यह कहते हैं कि "मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है, अतः इस दृष्टि से सब मनुष्य समान हैं।"

समानता (Equality)

इन सब बातों का अभिप्राय यह होता है कि सब मनुष्यों को समान अधिकार प्राप्त होने चाहिए। हम यह दावा नहीं करते कि सब मनुष्यों की शारीरिक और मानसिक क्षमताएँ, सुन्दरता या प्रतिभा इत्यादि समान या बराबर हैं । 

भेदभाव

समानता की सकारात्मक अवधारणा कुछ भेदभाव स्वीकार करती है, शर्त यह है कि यह भेदभाव समानता की पुष्टि करे, उसका हनन न करे ।

समानता की आवश्यकता

मनुष्य के जीवन में समानता क्यों अभीष्ट है? यह एक दार्शनिक प्रश्न है। टॉनी ने इसका उत्तर देते हुए स्पष्ट किया है कि समानता का सिद्धांत ‘मानवीय आवश्यकताओँ की पूर्ति’ और ‘मानवीय क्षमताओं को फलीभूत करने’ के लिए सर्वथा उपयुक्त है। ‘जीवन और स्वाथ्य के साधन’ मनुष्य की मूल आवश्यकताएं हैं, क्योंकि इनके बिना कोई भी स्त्री-पुरुष मनुष्य की तरह कार्य नहीं कर सकता।

समानता (Equality)

समानता का अधिकार क्या है?

भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 तक समानता के अधिकार की गारंटी है। अनुच्छेद 14 कानून के तहत समानता के सामान्य मानकों को समाहित करता है और लोगों के बीच बेतुके और निराधार अलगाव को प्रतिबंधित करता है ।

भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों को छह भागों के तहत इस प्रकार समूहित किया गया है:

• समानता का अधिकार जिसमें अनुच्छेद 14 से 18 शामिल हैं।
• स्वतंत्रता का अधिकार जिसमे अनुच्छेद 19 से 22 शामिल है जो कई स्वतंत्रताओं की गारंटी देता है।
• शोषण के खिलाफ अधिकार में अनुच्छेद 23 और 24 शामिल हैं ।
• धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी अनुच्छेद 25 से 28 तक है ।
• सांस्कृतिक और शिक्षा अधिकारों की गारंटी अनुच्छेद 29 और 30 द्वारा दी जाती है ।
• संवैधानिक उपचार का अधिकार अनुच्छेद 32 से 35 तक सुरक्षित है।

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Equality

Even today many people of our society are unaware of the word equality. Many scholars keep trying to convey this information to us through their books and through their authors, about the importance of this word to us. The word equality is mentioned in Article 14 of the Indian Constitution. The reason for keeping this equality word in our constitution no one can know better than our constitution makers. The Constitution came into force on 26 January 1950. From this day everyone got the right to equality and equality in the whole of India. Earlier in this society of ours, people were mistreated on the basis of caste, religion, religion, math etc. Keeping all these things in mind, our constitution makers felt the need to keep this word in the constitution.

समानता (Equality)

Equality describes a right, not a fact—equality is an element that is demanded like rights. This is not a quality that we are describing. In other words, we say that human beings should be treated equally; It does not say that human beings are really equal.

Yes, sometimes we do speak of human equality in a figurative sense. For example, we say that "all human beings are equal by birth" or "God created all men equal" or say that "man is a rational being, therefore all human beings are equal in this respect."

समानता (Equality)

All these things mean that all human beings should have equal rights. We do not claim that all human beings have equal or equal physical and mental abilities, beauty or talent etc.

discrimination

The positive concept of equality accepts some discrimination, provided that this discrimination confirms equality, does not violate it.

need for equality

Why is equality necessary in human life? This is a philosophical question. Tony, while answering this, clarified that the principle of equality is well suited for 'satisfaction of human needs' and 'fulfilment of human capabilities'. The 'means of life and health' are the basic needs of man, because without them no man or woman can function like a human.

समानता (Equality)

What is the right to equality?

Every citizen of India is guaranteed the right to equality under Articles 14 to 18 of the Constitution. Article 14 encapsulates the general standards of equality under law and prohibits absurd and unfounded separation between people.

The Fundamental Rights in the Indian Constitution are grouped under six parts as follows:

• Right to equality which includes Articles 14 to 18.
• Right to freedom which includes Articles 19 to 22 which guarantee many freedoms.
• The right against exploitation includes Articles 23 and 24.
• The right to freedom of religion is guaranteed by Articles 25 to 28.
• Cultural and educational rights are guaranteed by Articles 29 and 30.
• The right to constitutional remedies is protected by Articles 32 to 35.