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नामीबिया (Namibia)

नामीबिया (Namibia)

नामीबिया (Namibia)

नामीबिया (Namibia) दक्षिण अफ्रीका का एक ऐसा देश है, जो रेगिस्तानों से मिलकर बना है। नामीबिया (Namibia) में एक ऐसी जगह है, जहां अटलांटिक महासागर यहां के वेस्ट कोस्ट रेगिस्तान से मिलता है। नामिब रेगिस्तान के ऊंचे रेत के टीले और वह स्थान जहां रेगिस्तान समुद्र से मिलता है यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के प्रमुख आकर्षण है। खास बात यह है कि यहां दिखने वाले रेत के टीले पूरी दुनिया में सबसे बड़े हैं।एक जगह पर रेगिस्तान पहाड़ और समुद्र होने के कारण यहां की खूबसूरती बिल्कुल अलग है।रेगिस्तान के किनारों पर अटलांटिक महासागर का पानी लहरें मारता दिखता है।

 नीचे अद्भुत गंतव्य के बारे में प्रमुख तत्व इसप्रकार है-

नामीबिया (Namibia)

  • नाब्मिया (नामीबिया) अफ्रीका के दक्षिण में स्थित है, इसके पड़ोसी देश अंगोला, बोत्सवाना और दक्षिण अफ्रीका है।नामीबिया का नाम नामिब रेगिस्तान पर रखा गया है।
  •  क्या आप जानते हैं कि नामिब रेगिस्तान ग्रह पर सबसे शुष्क स्थलों में से एक है। इसके मंगल जैसे परिदृश्य में 3 देशों के लगभग 81000 वर्ग किलोमीटर तक फैले रेत के टीलों, बंजर पहाड़ों और बजरी के मैदानों के अलावा और कुछ भी नहीं है।
  • माना जाता है कि नामिब रेगिस्तान 55 मिलियन वर्ष पुराना है, इस प्रकार यह दुनिया का सबसे पुराना रेगिस्तान है।
  • इस रेगिस्तान में गर्मी का तापमान अक्सर 9-20 डिग्री सेल्सियस (48-68 डिग्री फॉरेनहाइट) के बीच होता है, और रात के समय का तापमान थोड़ा ठंडा हो सकता है।
  •  जाहिर है, नामिब रेगिस्तान मानव निवास के लिए उपयुक्त नहीं है। बहरहाल, कई जीवित प्राणी जैसे शुतुरमुर्ग, मृग,कृतक और कई प्रकार के पक्षी इस रेगिस्तान के अनुकूल होने में कामयाब रहे हैं।
नामीबिया (Namibia)
  • नामीबिया की सबसे बड़ी घाटी का नाम द फिश रिवर कैनियन (The Fish River Canyon)है। यह 5900 वर्ग किलोमीटर में फैली है, और अफ्रीका की सबसे बड़ी घाटी है। यह नामीबिया के दक्षिण भाग में स्थित है, और देश के कई प्राकृतिक आश्चर्य में से एक है।यह नामीबिया का दूसरा सबसे अधिक देखा जाने वाला पर्यटन स्थल है।
  • दिलचस्प बात यह है कि नामिब रेगिस्तान में बनाई गई भू- आकृति घटना जिसे फेयरी सर्कल कहा जाता है, ने दुनिया भर के कई शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को चकित कर दिया है। इसे फेयरी रिंग भी कहा जाता है, यह एक ही किस्म के घास से गिरी रेत के बंजर पैच हैं ।कई शोधकर्ताओं का मानना है कि फेयरी सर्किल इस क्षेत्र में विदेशी गतिविधियों का परिणाम हो सकता है, हालांकि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो इसे साबित करता हो।
  • नामिब को पानी की आपूर्ति कोहरे से होती है।
  • नामिब क्षेत्र में सोसुस्वैली क्षेत्र के रेत के टीलों को स्टार टिब्बा भी कहा जाता है। सभी दिशाओं से आने वाली हवा के कारण, रेत के टीले तारे के आकार में बनते हैं, और परिणाम स्वरुप, वे काफी अचल हैं।
  • रेगिस्तान में रेत का रंग अलग होता है। अंतर्देशीय की ओर रेत गुलाबी रंग की दिखती है जबकि समुद्र के पास सफेद होती है।
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Namibia

नामीबिया (Namibia)

Namibia is a country in South Africa, which is made up of deserts. There is a place in Namibia, where the Atlantic Ocean meets the West Coast desert here. The high sand dunes of the Namib Desert and the place where the desert meets the sea are the main attractions of the UNESCO World Heritage Site. The special thing is that the sand dunes seen here are the largest in the whole world. Due to the desert mountains and the sea being at one place, the beauty of this place is completely different. The water of the Atlantic Ocean seems to be rolling on the edges of the desert.

 Below are the key elements about the wonderful destination-

  • Namibia (Namibia) is located in the south of Africa, its neighbors are Angola, Botswana and South Africa. Namibia is named after the Namib Desert.
  •  Did you know that the Namib Desert is one of the driest places on the planet? Its Mars-like landscape consists of nothing more than sand dunes, barren mountains and gravel plains spread over about 81000 square kilometers of 3 countries.
  • The Namib Desert is believed to be 55 million years old, thus making it the oldest desert in the world.
  • Summer temperatures in this desert are often between 9–20 °C (48–68 °F), and nighttime temperatures can be slightly cooler.
  •  Obviously, the Namib Desert is not suitable for human habitation. Nonetheless, many living creatures such as ostriches, antelopes, rodents and many types of birds have managed to adapt to this desert.
  • The name of the largest canyon in Namibia is The Fish River Canyon. It covers an area of ​​5900 square kilometres, and is the largest valley in Africa. It is located in the southern part of Namibia, and is one of the country's many natural wonders. It is the second most visited tourist destination in Namibia.
  • Interestingly, a landform phenomenon called the Fairy Circle that formed in the Namib Desert has astonished many researchers and scientists around the world. Also called Fairy Rings, these are barren patches of sand that have fallen from a single type of grass. Many researchers believe that the Fairy Circle may be the result of alien activity in the region, although there is no evidence to prove this. 
  • The water supply to Namib comes from fog.
  • The sand dunes of the Sosuswali region in the Namib region are also known as star dunes. Due to wind coming from all directions, sand dunes are formed in the shape of stars, and as a result, they are quite immovable.
  • The color of sand is different in the desert. Towards the inland the sand appears pinkish while near the sea it is white.
नामीबिया (Namibia)

बल्लालेश्वर मंदिर (पालीगांव रायगढ़) ~ Ballaleshwar Temple (Paligaon Raigad)

बल्लालेश्वर मंदिर (पालीगांव रायगढ़)

बल्लालेश्वर मंदिर (पालीगांव रायगढ़) ~ Ballaleshwar Temple (Paligaon Raigad)

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के पाली गांव में अष्टविनायक तीर्थ के तीसरे पड़ाव कहे जाते हैं।

यहां विराजे गणेश जी का एक अद्भुत स्वरूप बल्लालेश्वर (Ballaleshwar) है। भगवान गणेश के 8 स्वरूपों को देखने का सौभाग्य प्राप्त होता है। यहां पर प्रतिदिन भक्त अपनी मनोकामना के साथ भगवान गणेश के बल्लालेश्वर स्वरूप का दर्शन करने आते हैं। महीने की चतुर्थी वाले दिन बड़ी संख्या में लोग पूरे विधि विधान से गणेश जी की पूजा करने आते हैं। बल्लालेश्वर की मूर्ति प्राचीन काल की है। भगवान बल्लालेश्वर ब्राह्मण की पोशाक में हैं।

किवदंती

बल्लालेश्वर मंदिर (पालीगांव रायगढ़) ~ Ballaleshwar Temple (Paligaon Raigad)
पौराणिक कथा के अनुसार, पाली गांव में कल्याण और इंदुमती नाम के एक सेठ दंपति रहते थे। उनका बल्लाल नाम का इकलौता पुत्र श्री गणेश का परम भक्त था। उसके भक्ति से सेठ खुश नहीं थे, क्योंकि भक्ति में मग्न उनका बेटा व्यवसाय में कोई विशेष रूचि नहीं लेता था। वह अपने दोस्तों से भी गणपति की भक्ति के लिए कहता था।इस बात से परेशान दोस्तों के माता-पिता ने सेठ से शिकायत की और उसे रोकने के लिए कहा। इस पर कल्याण सेठ गुस्से में बल्लाल को ढूंढने निकले, तो वह जंगल में गणेश जी की आराधना करते हुए मिला। उन्होंने उसे खूब पीटा और गणेश की प्रतिमा खंडित कर उसे दूर फेंक दिया। इसके बाद उसे वहीं जंगल में एक वृक्ष से बांधकर यह कह कर छोड़ गए कि भूखे प्यासे रहकर उसकी अक्ल ठिकाने आ जाएगी। सेठ के जाने के बाद बल्लाल की भक्ति से प्रसन्न श्री गणेश उसके समक्ष ब्राह्मण के भेष में प्रकट हुए और उसे बंधन मुक्त करके वरदान मांगने को कहा। इस पर बल्लाल ने उसे अपने क्षेत्र में स्थापित होने का अनुरोध किया श्री गणेश ने उनकी इच्छा पूरी करते हुए स्वयं को एक पाषाण प्रतिमा में स्थापित कर लिया और तब उस स्थान पर कलाल विनायक मंदिर बनाया गया। साथ ही शिव मंदिर के पास बलराम के पिता द्वारा फेंकी गई प्रतिमा ढूंडी विनायक के नाम से मौजूद है। आज भी लोग बल्लालेश्वर के दर्शन से पहले ढूंडी विनायक की पूजा करते हैं।

मंदिर का स्थापत्य

इस मंदिर में गणपति की प्रतिमा पत्थर के सिंहासन पर स्थापित है।पूर्व की ओर मुख वाली 3 फीट ऊंची प्रतिमा स्वयंभू है, और इसमें श्री गणेश की सूंड बायीं ओर मुड़ी हुई है। प्रतिमा के नेत्रों और नाभि में हीरे जड़े हुए हैं।श्री गणेश के दोनों ओर रिद्धि सिद्धि की प्रतिमाएं भी है जो चंवर लहरा रही हैं। बताते हैं कि बल्लालेश्वर का प्राचीन मंदिर काष्ट का बना था। कालांतर में इसके पुनर्निर्माण के समय पाषाढ़ का उपयोग हुआ है। मंदिर के पास दो सरोवर भी हैं। उनमें से एक का जल भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है।कहते हैं कि ऊंचाई से इस मंदिर को देखा जाए तो यह देवनागरी के श्री अक्षर की भांति दिखता है।

English Translate

Ballaleshwar Temple (Paligaon Raigad)

बल्लालेश्वर मंदिर (पालीगांव रायगढ़) ~ Ballaleshwar Temple (Paligaon Raigad)

It is said to be the third stop of Ashtavinayak pilgrimage in Pali village of Raigad district of Maharashtra.

There is a wonderful form of Ganesh ji sitting here, Ballaleshwar. One gets the privilege of seeing 8 forms of Lord Ganesha. Here devotees come here every day with their wishes to see the Ballaleshwar form of Lord Ganesha. On the day of Chaturthi of the month, a large number of people come to worship Lord Ganesha with full rituals. The idol of Ballaleshwar dates back to ancient times. Lord Ballaleshwar is dressed as a Brahmin.

Legend

बल्लालेश्वर मंदिर (पालीगांव रायगढ़) ~ Ballaleshwar Temple (Paligaon Raigad)

According to the legend, there lived a Seth couple named Kalyan and Indumati in the village of Pali. His only son named Ballal was a great devotee of Shri Ganesha. Seth was not happy with his devotion, because his son, engrossed in devotion, did not take any special interest in business. He used to ask his friends also to worship Ganapati. The parents of friends upset by this complained to Seth and asked him to stop. On this, Kalyan Seth angrily went out to look for Ballal, then he was found worshiping Ganesha in the forest. They beat him severely and broke the idol of Ganesha and threw it away. After this, tied him to a tree in the forest and left him saying that after being hungry and thirsty, his wisdom would come. After Seth's departure Shri Ganesha, pleased with Ballal's devotion, appeared before him in the guise of a Brahmin and asked him to free him from bondage and ask for a boon. On this Ballal requested him to be established in his area. Shri Ganesha fulfilled his wish and installed himself in a stone statue and then the Kalal Vinayak temple was built at that place. Also, near the Shiva temple, the statue thrown by the father of Balarama is present in the name of Dhundi Vinayak. Even today people worship Dhundi Vinayaka before visiting Ballaleshwar.



Temple Architecture

The idol of Ganapati is installed on a stone throne in this temple. The 3 feet high statue facing east is Swayambhu, and has the trunk of Shri Ganesha bent to the left. The eyes and navel of the idol are studded with diamonds. There are also idols of Riddhi Siddhi on either side of Shri Ganesha, who are waving a chanwar. It is said that the ancient temple of Ballaleshwar was made of wood. Later, the stone has been used at the time of its reconstruction. There are also two lakes near the temple. The water of one of them is offered to Lord Ganesha. It is said that if the temple is seen from a height, it looks like the Shri Akshar of Devanagari.

बल्लालेश्वर मंदिर (पालीगांव रायगढ़) ~ Ballaleshwar Temple (Paligaon Raigad)

कच्चा नारियल का पानी (Coconut Water)

कच्चा नारियल का पानी

कच्चा नारियल का पानी (Coconut Water)

नारियल (Coconut) के फल का हर हिस्सा ही बहुत उपयोगी होता है। सदियों पहले से समुंद्री तटीय इलाकों में नारियल का उपयोग खाने पीने और सौंदर्य के लिए किया जाता रहा है। नारियल का पानी स्वादिष्ट और पौष्टिक होने के साथ-साथ कई तरह के खनिज और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। आयुर्वेद में भी इसके गुणों के बारे में विस्तार में बताया गया है।

कच्चा नारियल का पानी (Coconut Water)

नारियल पानी के फायदे

नारियल पानी हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद होता है। समुद्र तटीय इलाकों में रहने वालों के लिए तो इसकी उपयोगिता और ज्यादा बढ़ जाती है। कई चिकित्सक गर्मियों के मौसम में नियमित रूप से नारियल पानी पीने की सलाह देते हैं।

प्यास बुझाने में

अगर बहुत तेज प्यास लगी है और पानी पीने से नहीं बुझ रही है तो ऐसे में नारियल पानी का सेवन करें नारियल पानी प्यास बुझाने में उपयोगी है। शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) होने पर भी नारियल पानी पीना फायदेमंद होता है।

शरीर में जरूरी खनिज लवणों की कमी दूर करने में

कई बार डायरिया या दस्त होने से शरीर में जरूरी खनिज लवणों (इलेक्ट्रोलाइट्स) की बहुत कमी हो जाती है, जिनकी आपूर्ति ना होने पर समस्या और बढ़ने का खतरा रहता है। कच्चे नारियल का पानी इन खनिज लवणों से भरपूर होता है। इसलिए इस स्थिति में नारियल पानी पीना लाभकारी होता है। यह शरीर में पानी की कमी दूर करके खनिज लवणों की आपूर्ति करता है।

शरीर को ठंडक पहुंचाने में

नारियल पानी की तासीर ठंडी होती है। आयुर्वेद में भी इसके शीतल गुणों के बारे में बताया गया है। इसलिए गर्मी के दिनों में इसे पीने से सेहत ठीक रहता है। यह शरीर और पेट की गर्मी को शांत करती है और शरीर को ठंडक पहुंचाती है।

इम्यूनिटी तथा शारीरिक शक्ति के लिए

कच्चा नारियल का पानी (Coconut Water)

आयुर्वेद में नारियल पानी के बलदायक गुणों के बारे में व्याख्या मिलता है, जिसके अनुसार नियमित रूप से नारियल पानी पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और साथ ही शारीरिक शक्ति भी बढ़ती है। इसलिए शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को नियमित रूप से थोड़ी मात्रा में नारियल पानी का सेवन करना चाहिए।

पाचन तंत्र के लिए

आयुर्वेद में पाचकअग्नि कमजोर है तो इसका मतलब है कि पेट से जुड़ी कई तरह की बीमारियों को बढ़ावा देना। इसलिए अपने खानपान में उन चीजों को शामिल करें जो पाचक अग्नि को बढ़ाते हैं ऐसे में नारियल पानी काफी उपयोगी हो सकता है। इसके नियमित सेवन से पाचकअग्नि बढ़ती है और पेट से जुड़ी कई बीमारियों से बचाव होता है।

लीवर की गर्मी दूर करने में

कच्चा नारियल का पानी (Coconut Water)

लीवर हमारे शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। अक्सर गलत खान पान और कुछ अन्य कारणों की वजह से लिवर की गर्मी और उसमें सूजन बढ़ जाती है, जिससे कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में नारियल पानी पीते हैं तो यह लिवर की गर्मी को दूर कर पेट में सूजन पाचन खराब होने जैसे लक्षणों से आराम दिलाता है।

किडनी की सूजन में

किडनी में सूजन होने पर कच्चे नारियल का पानी पीने से सूजन कम होती है।

माइग्रेन के दर्द में

कच्चे नारियल का पानी माइग्रेन में होने वाले सिर दर्द से भी आराम दिलाता है नारियल के पानी को 12 बूंद नाक में डालने से माइग्रेन का दर्द कम होता है।

चेहरे की चमक के लिए

चेहरे पर यदि बार-बार मुंहासे, दाग - धब्बे निकलते हैं, तो नारियल पानी से नियमित रूप से चेहरा धोने पर मुंहासे और झाइयां कम होती हैं और चेहरे की चमक बढ़ती है।

वात और पित्त को संतुलित करने में

कच्चे नारियल का पानी शरीर में वात एवं पितृ दोष की अनियमितता को संतुलित करता है तथा वात और पित्त के असंतुलन से होने वाले रोगों को दूर करता है।

नारियल पानी कब पीना चाहिए?

नारियल पानी का सेवन किसी भी मौसम में किया जा सकता है, लेकिन गर्मियों के मौसम में इसका सेवन ज्यादा लाभकारी माना जाता है। अधिकांश लोग गर्मियों के दिनों में अपनी प्यास बुझाने के लिए कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, कोल्ड ड्रिंक्स आदि का सेवन करते हैं। यह केमिकल युक्त चीजें सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं। इसकी बजायग गर्मियों में नारियल पानी का सेवन करें तो इससे प्यास भी आसानी से बुझेगी और कई तरह की हानिकारक बीमारियों से बचाव भी होगा। छोटे बच्चों को किसी भी हाल में कोल्ड ड्रिंक्स ना पीने दे, बल्कि उन्हें नारियल पानी पीने की आदत डालें।

Sunday.. इतवार ..रविवार

   इतवार (Sunday)

Sunday.. इतवार ..रविवार

🍂🍂"जहां एक निराशावादी व्यक्ति ,
किसी भी कार्य में उसका दुष्परिणाम ढूंढ लेता है।
वहीं लगनशील और आशावादी व्यक्ति
हर एक कठिन कार्य में भी एक अवसर ढूंढ लेता है।"🍁🍁🥀🥀

मेरे सपने तो फिर से जागो 

मेरे सपने तुम फिर से जागो 
छू लो नभ को बढ़कर आगे 
ना होगा तेरा कोई अंत 
तू आगे बढ़, बनकर अनंत 
आशा बनकर, तुम फिर जागो 
मेरे सपने तुम फिर जागो 

देखो हिम को कैसा उतुंग  
है झेल रहा बहु मेरुदंड 
जब गरुड़ चला नभ को छूने 
लघु पक्षी ने फैलाए पंख 
तो भीरु हुआ होकर अनंत 
मेरे सपने तुम फिर से जागो 

चला पवन बन ईश्वर रूप 
हिम दर्शाता उसका स्वरूप 
गगन खड़ा बनकर स्तंभ 
इठलाता वरुण भरकर घमंड 
फिर तूने कायर बन, मेरे मन 

क्यों डाले कुरुक्षेत्र में अस्त्र 
ना होगा तेरा कोई अंत 
आगे बढ़ तू बनकर अनंत 
आशा बनकर तुम फिर जागो 
मेरे सपने तुम फिर से जागो 

Sunday.. इतवार ..रविवार

🍂🍂"सभी प्राणियों में एक विशिष्ट प्रकार की प्रतिभा होती है
जिसे अगर वह समय रहते समझ ले तो श्रेष्ठ बन जाता है.."🍁🍁🥀🥀

शूकर का साहस - जातक कथा (Shukar ka Sahas - Jataka Katha)

 शूकर के साहस की कहानी

प्राचीन काल में जब काशी में महाराज ब्रह्मदत्त राज्य किया करते थे, तब काशी के समीप के एक गांव में कुछ बढ़ई रहते थे। उनमें से एक को जंगल में लकड़ी काटते समय एक सूअर का बच्चा गड्ढे में गिरा मिला। वह उसे निकाल कर घर ले आया और बड़े यत्नपूर्वक उसे पालने और सिखाने लगा।

शूकर का साहस - जातक कथा  (Shukar ka Sahas - Jataka Katha)

धीरे-धीरे वह शूकर बड़ा हुआ और उसके मुख के बाहर दो तेज दांत दिखाई देने लगे। यह तरुण शूकर बहुत ही हृष्ट पुष्ट और सौम्य स्वभाव वाला था। मांसाहारी मनुष्यों से उसकी रक्षा करने के विचार से एक दिन बढ़ई ने उसे फिर जंगल में छोड़ने का निश्चय किया और उसे जंगल में छोड़ आया।

वह बलवान युवा शूकर वन में घूम- घूम कर अपने रहने योग्य कंदरा और खाने योग्य कंदमूल, फल खोजने लगा। इसी समय उसे उसकी जाति के अनेक शूकर मिले, परंतु वह सब दुखी और दुर्बल दिखाई दिए। उसने जब उनसे उनकी विपत्ति पूछी, तो उन्होंने उसे बताया कि इस वन में एक ढोंगी सन्यासी रहता है, जो कहीं से एक सिंह को ले आया है। 

सिंह के भय से वे त्रस्त रहते हैं। क्योंकि वह नित्य ही कुछ शूकरों को मारकर स्वयं खाता है और उस सन्यासी को भी खिलाता है। बढ़ई के शूकर ने उन सब को अभयदान दिया और उन सब ने उस शूकर का साहस देखकर उसे अपना नेता स्वीकार कर लिया। अब सब मिलकर उसी का सामना करने की युक्ति सोचने लगे। 

शूकर नेता ने समस्त अनुयायियों को युद्ध कौशल सिखाया और शकट व्यूह बनाकर दुर्बल बच्चों, मादाओं और बूढ़ों को उसके मध्य में सुरक्षित करके तरुण और बलवान शूकरों को बाहर वाले भाग में नियुक्त किया। इस प्रकार वह सिंह का सामना करने को तैयार होकर उसकी प्रतीक्षा करने लगे।

ठीक समय पर सिंह आया। पर्वत के ऊपर से उसने नीचे व्यूह बद्ध शूकरो को देखा और भयंकर गर्जना किया। परंतु जब उसने देखा कि एक भी शूकर भयभीत होकर उस व्यूह से बाहर नहीं भागा। तब शूकर का साहस देखकर उसकी आक्रमण की हिम्मत नहीं हुई। सिंह को चिंता कूल खाली हाथ लौट के देख ढोंगी सन्यासी ने यह गाथा कही, "जब तुम जंगल में सूअर के शिकार को जाते थे, तब सदा ही उत्तम मांस लाया करते थे। आज तुम खाली हाथ शोक ग्रस्त आ रहे हो। तुम्हारा वह विगत पराक्रम कहां गया?"

इसका उत्तर सिंह ने इस प्रकार दिया, "पहले मुझे देखकर शूकर समूह में भगदड़ मच जाती थी। वह अपनी कंदराओं की ओर भयभीत होकर भाग जाते थे। परंतु जित की भांति खड़े होकर मेरा सामना करने का साहस नहीं करते थे।"

ढोंगी सन्यासी ने सिंह को धिक्कारते हुए कहा, "उन से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। एक भयंकर गर्जना के साथ जब तुम छलांग भरोगे उस समय उनकी सिट्टी पिट्टी गुम हो जाएगी और वह घबराकर इधर-उधर भागने लगेंगे। सिंह ने अपने गुरु के उपदेश अनुसार ही काम किया। वह वन में गया और एक ऊंची पहाड़ी पर से दहाड़कर छलांग भरी। पहाड़ी बहुत ऊंची थी। सिंह छलांग भरकर उसकी ढलान पर जा गिरा और लुढ़कता पुढ़कता नीचे एक गहरे गड्ढे में जा गिरा। 

शूकर का साहस - जातक कथा  (Shukar ka Sahas - Jataka Katha)

शेर की हड्डी पसली चूर चूर हो गई। इसी समय शूकरों के नेता ने अपने साथियों सहित आक्रमण करके उसे मार डाला। सिंह के मर जाने पर नेता ने कहा, "अब तो तुम लोग निर्भय हो गए।" शूकरों ने कहा- अभी कहां जब तक वह ढोंगी सनयासी जीवित है, तब तक सिंह का आना बंद नहीं होगा। वह फिर किसी को बुला लाएगा। नेता ने कहा अच्छा चलो उसे भी देख लें। 

सब लोग उसकी कंदरा की ओर चल पड़े। इधर सिंह की प्रतीक्षा करते जब बहुत देर हुई तो ढोंगी सन्यासी बड़बड़ाता हुआ उसकी खोज में निकला। रास्ते में उसने जब सूअरों के झुंड को अपनी ओर आते देखा तब तो वह एकदम घबरा गया और दौड़ कर एक अंजीर के पेड़ पर चढ़ गया। शूकरों ने उस पेड़ को घेर लिया। अब नेता ने बताया कि अपनी खीसों से सब लोग पेड़ के आसपास की मिट्टी खोद डालो। इससे जड़े बाहर आ जाएंगी फिर उन जोड़ों को भी दांतों से काट डालो। इससे पेड़ कमजोर हो जाएगा। इसके पश्चात धक्का मार कर पेड़ को गिरा दो। जिससे ढोंगी सन्यासी अपने आप भूमि पर गिर जाएगा। सब ने ऐसा ही किया और उस ढोंगी सनयासी का वहीं अंत हो गया। 

बोधिसत्व उस समय निकट ही एक वृक्ष के खोखले में निवास करते थे। उन्होंने शूकर का साहस व उसकी कुशलता देखकर नीचे लिखी गाथा कहीं 

"समस्त समवेत जातियों की जय हो। मैंने स्वयं एक आश्चर्यजनक संगठन देखा है कि शूकरों ने एक बार संघ शक्ति और सम्मिलित दंत शक्ति के द्वारा वनराज केसरी को परास्त कर दिया।"

English Translate

Shukar ka Sahas - Jataka Katha

In ancient times, when Maharaja Brahmdutt used to rule in Kashi, some carpenters lived in a village near Kashi. One of them found a piggy fell in a pit while chopping wood in the forest. He took her out and brought her home and with great care began to raise and teach her.

शूकर का साहस - जातक कथा  (Shukar ka Sahas - Jataka Katha)

Slowly the pig grew and two sharp teeth started appearing outside its mouth. This young boar was very strong and soft-spoken. One day the carpenter decided to release him again in the forest with the idea of ​​protecting him from the carnivorous humans and left him in the forest.

That strong young pig roamed in the forest and started searching for his habitable tubers and edible tubers, fruits. At the same time he found many pigs of his caste, but all of them looked sad and weak. When he asked them about their calamity, they told him that in this forest there lives a hypocritical hermit, who has brought a lion from somewhere.

They are tormented by the fear of lions. Because he kills some pigs and eats it himself and also feeds that sannyasi. The carpenter's pig gave protection to all of them and all of them, seeing the courage of that pig, accepted him as their leader. Now everyone started thinking together to face the same.

The boar leader taught war skills to all the followers and by making a shakata array, keeping weak children, females and old people in its middle, appointed young and strong pigs in the outer part. Thus he got ready to face the lion and waited for him.

The lion came on time. From the top of the mountain he saw the arrayed pigs below and roared fiercely. But when he saw that not a single boar ran out of that array in fear. Then seeing the courage of the pig, he did not dare to attack. Seeing the lion returning empty-handed, the hypocrite sanyasi told this story, "When you used to go hunting for boar in the forest, you always used to bring good meat. Today you are coming empty handed mourning. Your past Where did the might go?"

To this Singh replied, "At first seeing me, there used to be a stampede in the boar group. They used to run away in fear towards their caves. But they did not dare to stand up to face me like a victor."

The hypocritical ascetic cursed the lion and said, "There is no need to be afraid of them. When you jump with a fierce roar, his spit-pittti will disappear and he will start running here and there in panic. Singh asked his master. He acted as instructed. He went into the forest and roared from a high hill and jumped. The hill was very high. The lion jumped and fell on its slope and while rolling it fell into a deep pit below.

The lion's bone rib was shattered. At the same time the leader of the pigs attacked and killed him along with his companions. On Singh's death the leader said, "Now you have become fearless." The pigs said- Where now as long as that hypocritical monk is alive, the lion will not stop coming. He'll call someone again. The leader said well let's see him too.

Everyone started walking towards his cave. When it was too late while waiting for the lion, the hypocritical sannyasi murmured and went in search of him. On the way, when he saw a herd of pigs coming towards him, he was very frightened and ran and climbed a fig tree. Pig surrounded the tree. Now the leader told that everyone should dig the soil around the tree with their giggles. Roots will come out from this, then cut those joints also with teeth. This will weaken the tree. After this push the tree down. Due to which the hypocritical sannyasi will fall on the ground on his own. Everyone did the same and that hypocritical monk ended there.

Bodhisattvas used to reside in the hollow of a tree nearby at that time. Seeing the courage and skill of the pig, he wrote the story below.

"Victory to all the assembled castes. I myself have seen a wonderful organization that the boars once defeated Vanraj Kesari by the union power and combined dental power."

नारियल (Coconut)

  नारियल (Coconut)

 नारियल (Coconut) एक ऐसा फल है, जिसके बारे में सभी लोग जानते हैं कि यह कितना उपयोगी है। नारियल (Coconut) का फल पूजा के काम आने के साथ-साथ स्वास्थ्य को भी कई तरह से फायदा पहुंचाता है। नारियल (Coconut) का फल और नारियल का पानी दोनों ही स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। इनके अनगिनत स्वास्थ्य लाभ हैं। इसलिए आयुर्वेद में कई बीमारियों के लिए भी इन दोनों का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है।

नारियल (Coconut)

नारियल क्या है?

नारियल एक बहुवर्षीय एवं एक बीज पत्री पौधा है। इसका तना लंबा तथा शाखा रहित होता है। मुख्य तने के ऊपरी सिरे पर लंबी पत्तियों का मुकुट होता है। यह वृक्ष समुद्र के किनारे या नमकीन जगह पर पाए जाते हैं। इसके फल हिंदुओं के धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयुक्त होता है। बांग्ला में इसे नारिकेल कहते हैं। नारियल के वृक्ष भारत में प्रमुख रूप से केरल, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में पाए जाते हैं। महाराष्ट्र में मुंबई तथा तटीय क्षेत्रों व गोवा में भी इसकी उपज होती है। यह एक बेहद उपयोगी फल है। इस की तासीर ठंडी होती है।

जानते हैं नारियल के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

नारियल में विटामिन, मिनरल, एमिनो एसिड, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन जैसे पोषक तत्व होते हैं। इन पोषक तत्वों की वजह से यह कई बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

इम्यूनिटी बढ़ाने में

नारियल के नियमित सेवन से शरीर की इम्युनिटी अर्थात रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। नारियल में पाचन को मजबूत करने तथा बल्य गुण पाए जाते हैं, जिससे यह हमारे शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाता है।

ह्रदय विकार में

हृदय के विकारों के जोखिम को कम करने के लिए सूखा नारियल का सेवन करना चाहिए। सूखे नारियल में अधिक फाइबर होता है, जो हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होता है।

सिर दर्द में

नारियल पानी को पीने से सिर दर्द से आराम मिलता है।

माइग्रेन में

नारियल के पानी की दो-दो बूंद सुबह शाम कुछ दिनों तक नाक में टपकाने से आधा शीशी के दर्द अर्थात माइग्रेन में बहुत आराम मिलता है।

मोटापे से मुक्ति

नारियल हमें मोटापे से भी बचाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार एक स्वस्थ व्यस्क के भोजन में प्रतिदिन 15 मिलीग्राम जिंक होना जरूरी है, जिससे मोटापे से बचा जा सकता है। ताजा नारियल में जिंक की भरपूर मात्रा होती है।

हिचकी से दिलाए राहत 

नारियल की जटा की 65 मिलीग्राम भाग को पानी में घोलकर, उस पानी को छानकर पिलाने से हिचकी बंद होती है।

उल्टी से दिलाया आराम 

नारियल गिरी के काढ़े में मिश्री, मधु तथा पीपल का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से पित्त के कारण जो उल्टी होती है उसमें आराम मिलता है। 

पेट के कीड़े

  • नारियल जड़ से बने काढ़े में हींग डालकर पीने से पेट की कीड़े दूर होते हैं।
  • आंतों में कृमि की समस्या होने पर हरा नारियल पीसकर उसकी एक-एक चम्मच मात्रा का सुबह-शाम नियमित रूप से सेवन करने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं।

दस्त से आराम

नारियल पानी का सेवन करने से भूख कम लगने की बीमारी, दस्त एवं प्रवाहिका से राहत मिलती है।

मूत्र संबंधी समस्या

नारियल पुष्प के 1-2 ग्राम के चूर्ण को दूध अथवा दही के साथ सेवन करने से मूत्रकृच्छ में लाभ होता है। इसके अलावा कच्चे नारियल के जल का सेवन करने से मूत्र संबंधी रोगों का शमन होता है। नारियल जड़ का काढ़ा तथा नारियल के भीतर के अंश का सेवन करने से भी मूत्र संबंधी समस्याओं में आराम होता है। 

किडनी के सूजन में

कच्चे नारियल के जल का सेवन करने से किडनी की सूजन कम होती है।

गर्भाशय के दर्द में

डिलीवरी के बाद यदि गर्भाशय में दर्द हो तो नारियल की गिरी खिलाने से मां को दर्द से जल्दी आराम मिलता है। 

स्वस्थ सुंदर संतान के लिए

स्वस्थ्य सुंदर संतान प्राप्ति के लिए गर्भवती महिला को तीन- चार टुकड़े नारियल प्रतिदिन चबा चबा कर खाने चाहिए। इसके साथ एक चम्मच मक्खन, मिश्री तथा थोड़ी सी पीसी कालीमिर्च मिलाकर चाहते हैं। बाद में थोड़ी सी सौंफ चबाएं। इसके आधे घंटे बाद तक कुछ भी खाना पीना नहीं चाहिए। 

अल्सर का घाव भरने में

पुराने नारियल के तेल का लेप करने से घाव जल्दी भर जाता है। अल्सर के दर्द से आराम पाने में नारियल के तेल का इस्तेमाल करने से जल्दी आराम मिलता है। 

त्वचा की रौनक के लिए

कच्चे नारियल के पानी से चेहरे को धोने से मुंहासे झाइयां दाग धब्बे कम होते हैं तथा मुख की कांति बढ़ती है।

नारियल (Coconut)

चेचक या स्मॉल पॉक्स की जलन में

कच्चे नारियल के जल में बिगड़ी हुई रुई के फाहे को स्मालपॉक्स पर रखने से तथा नारियल जल से धोने से धीरे-धीरे दाने कम होते हैं तथा दाग भी कम हो जाता है साथ ही दानों में होने वाली जलन से भी आराम मिलता है

चोट का दर्द कम करने में

पुराने नारियल की गिरी को बारीक कूटकर उसमें एक चौथाई पिसी हुई हल्दी मिलाकर चोट तथा मुझ पर लगाने से दर्द में आराम होता है।

बुखार कम करने में

नारियल गिरी का रस निकालकर रात को पीने से बुखार में आराम होता है। बुखार के कारण बार-बार लगने वाली प्यास के इलाज के लिए नारियल की जटा को जलाकर गर्म पानी में डालकर रख दें। जब यह पानी ठंडा हो जाए तो छानकर इससे रोगी को पीने दे इससे प्यास मिटती है।

नकसीर में

पित्त की वृद्धि के कारण अगर नक्शे की बीमारी है अर्थात नाक से खून निकल रहा है तो नारियल का सेवन करने से आसाम करने से नक्शी जैसी परेशानी से आराम मिलता है क्योंकि नारियल में पित्त शामक गुण पाए जाते हैं।

पथरी के इलाज में

नारियल में एंटी कोलीसिस्टिक गुण पाए जाने के कारण यह पथरी की समस्या में भी लाभदायक होता है।

दो मुंहे बालों को ठीक करने में

नारियल नारियल हमारे बालों की चमक एवं मजबूती के लिए भी फायदेमंद होता है तथा इसके सेवन से दो मुंहे बालों की समस्या भी दूर होती है। नारियल में मौजूद विटामिनK और आयरन बालों को स्वस्थ बनाए रखते हैं और उनमें चमक लाते हैं।

डैंड्रफ रूसी से राहत दिलाए 

शरीर में वात दोष बढ़ने के कारण डैंड्रफ होता है जिसके वजह से बाल रूखे हो जाते हैं और रुचि उत्पन्न होती है नारियल में वास शामक एवं स्निग्ध गुण होने के कारण यह डैंड्रफ को खत्म करने में भी सहायक होता है।

पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में

पाचन तंत्र को मजबूत करने के लिए नारियल में उसने एवं दीपक का गुण पाया जाता है जो की अग्नि को बढ़ाकर पाचन को मजबूत करने में सहायक होता है। सूखे नारियल का सेवन करने से पाचन संबंधी सभी समस्याओं से आराम होता है।

दांतों की मजबूती के लिए

नारियल में उपस्थित तेल का प्रयोग दांतों की समस्या का एक कारगर इलाज है जो कि दातों की आम समस्या से हमें छुटकारा दिलाता है।

नारियल (Coconut)

नारियल के नुकसान

*  कई बार नारियल खाने से लोगों को पेट संबंधित परेशानियां हो जाती हैं इसके अलावा ब्लोटिंग डायरी आया पेट फूलने जैसी दिक्कतें होने लगती हैं अतः नारियल का सेवन अत्यधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए

*  उन लोगों को नारियल पानी नहीं पीना चाहिए, जो अक्सर कमजोरी महसूस करते हैं क्योंकि इसे ज्यादा पीने से इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बिगड़ सकता है।

नारियल का सेवन कैसे करना चाहिए?

आयुर्वेद में मूल नारियल जल फल की गिरी पुष्प नारियल जटा तेल एवं छार का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है चिकित्सक के परामर्श के अनुसार नारियल जल 10 से 20 मिलीलीटर और चूर्ण 1 से 2 ग्राम तक ले सकते हैं।

नारियल पानी पीने का सही समय?

सुबह से शाम तक कभी भी नारियल पानी का सेवन किया जा सकता है। परंतु सही समय पर इसके सेवन से फायदे ज्यादा मिलेंगे। अगर सुबह खाली पेट नारियल पानी पीते हैं तो इससे सुस्ती दूर हो जाती है और शरीर को भरपूर ऊर्जा मिलती है। इसके अलावा खाना खाने से पहले या बाद में नारियल पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं इससे कई फायदे होते हैं खाने से पहले नारियल पानी पीने से भूख कम लगती है इससे हम ज्यादा खाने से बचते हैं और वजन कम होता है अगर खाना खाने के बाद नारियल पानी पीते हैं इससे खाना पचाने में मदद मिलती है।

नारियल खाने के बाद पानी पी सकते हैं या नहीं?

किसी भी फल को खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि ज्यादातर फलों में शुगर कंटेंट होता है या साइट्रिक एसिड होता है। मीठे फल खाते ही पानी पीने से अपच, खांसी या शुगर का स्तर बढ़ने की समस्या हो सकती है, जबकि खट्टे फल खाने के तुरंत बाद पानी पीने से गले में दर्द, खराश इत्यादि समस्या हो सकती है।

English Translate

Coconut

Coconut is such a fruit, about which everyone knows how useful it is. Along with being used for worship, the fruit of coconut also benefits health in many ways. Coconut fruit and coconut water are both healthy. They have countless health benefits. Therefore, both of them are also used as medicine for many diseases in Ayurveda.

नारियल (Coconut)

What is coconut?

Coconut is a perennial and a cotyledonous plant. Its stem is long and branchless. At the upper end of the main stem is a crown of long leaves. These trees are found on the seashore or in salty places. Its fruit is used in religious rituals of Hindus. In Bengali it is called Narikeel. Coconut trees are found mainly in Kerala, West Bengal and Orissa in India. It is also grown in Mumbai and coastal areas in Maharashtra and Goa. It is a very useful fruit. Its taste is cold.

Know about the benefits, harms, uses and medicinal properties of coconut

Coconut contains nutrients like vitamins, minerals, amino acids, fiber, carbohydrates, proteins. Because of these nutrients, it is used to treat many diseases.

In Boosting Immunity

Regular consumption of coconut increases the immunity of the body. Coconut has strong digestion and healing properties, due to which it increases the immunity of our body.

In Heart Disorder

Dry coconut should be consumed to reduce the risk of heart disorders. Dried coconut contains more fiber, which is helpful in keeping the heart healthy.

In Headache

Drinking coconut water provides relief from headache.

In Migraine

Dripping two drops of coconut water in the nose for a few days in the morning and evening provides great relief in the pain of half a vial i.e. migraine.

Getting Rid of Obesity

Coconut also protects us from obesity. According to scientists, it is necessary to have 15 mg of zinc per day in the diet of a healthy adult, which can prevent obesity. Fresh coconut is rich in zinc.

Get Relief from Hiccups

Dissolve 65 mg part of coconut oil in water, filter that water and take, it ends hiccups.

Relief from Vomiting

Taking a decoction of coconut kernel mixed with powder of sugar candy, honey and peepal provides relief in vomiting caused by bile.

Stomach Bug

Adding asafetida in a decoction made from coconut root and drinking it cures stomach worms.

If there is a problem of worms in the intestines, grinding green coconut and taking one spoon of it regularly in the morning and evening destroys stomach worms.

Relief from Diarrhea

Consuming coconut water provides relief from loss of appetite, diarrhea and flu.

Urinary Problems

Taking 1-2 grams powder of coconut flower with milk or curd is beneficial in urinary tract. Apart from this, consuming raw coconut water cures urinary diseases. Consuming a decoction of coconut root and the inner part of coconut also provides relief in urinary problems.

In Kidney Inflammation

Kidney inflammation is reduced by consuming raw coconut water.

In Uterine Pain

If there is pain in the uterus after delivery, then feeding coconut kernels gives quick relief to the mother from the pain.

For a Healthy Baby

To get a healthy and beautiful child, a pregnant woman should eat three to four pieces of coconut daily after chewing it. With this, want to mix a spoonful of butter, sugar candy and a little black pepper. Afterwards, chew a little fennel. Do not eat or drink anything for half an hour after this.

Ulcer Healing

The wound heals quickly by applying old coconut oil. Using coconut oil to get relief from ulcer pain gives quick relief.

For Skin Glow

Washing the face with raw coconut water reduces acne, freckles, spots and increases the radiance of the face.

In the Irritation of Smallpox

By placing a cotton swab soaked in raw coconut water on the smallpox and washing it with coconut water, the rash gradually reduces and the stains are also reduced, as well as relief from the burning sensation in the grains.

Reduce the pain of Injury

Grind the old coconut kernel finely and mix one-fourth of the ground turmeric in it and apply it on the injury, it provides relief in pain.

To Reduce fever

Taking the juice of coconut kernel and drinking it at night provides relief in fever. For the treatment of recurrent thirst due to fever, burn the hair of coconut and put it in hot water. When this water cools down, filter it and let the patient drink it, it ends thirst.

In a Nosebleed

If there is a disease of the map due to the increase of bile, that is, blood is coming out of the nose, then taking coconut gives relief from the problem like nakshi, because coconut has sedative properties of pitta.

In the Treatment of Gallstones

Due to the anti-cholecystic properties found in coconut, it is also beneficial in the problem of stones.

To fix split ends

Coconut coconut is also beneficial for the shine and strength of our hair and its consumption also removes the problem of split ends. Vitamin K and iron present in coconut keep hair healthy and add shine to it.

Get Rid of Dandruff

Dandruff occurs due to the increase of Vata dosha in the body, due to which hair becomes dry and interest arises.

It is believed that due to the sedative and aliphatic properties in coconut, it is also helpful in eliminating dandruff.

Strengthen the Digestive System

To strengthen the digestive system, the properties of he and lamp are found in coconut, which helps in strengthening digestion by increasing the fire. Consuming dried coconut provides relief from all digestive problems.

For Teeth Strength

The use of oil present in coconut is an effective treatment for the problem of teeth, which relieves us from the common problem of teeth.

Side Effects of Coconut

* Many times people get stomach related problems by eating coconut, apart from this, problems like bloating diary come, flatulence starts, so coconut should not be consumed in excessive quantity.

* Coconut water should not be consumed by those people who often feel weak because drinking too much of it can disturb the balance of electrolytes.

How should coconut be consumed?

In Ayurveda, coconut water, the kernel, flower, coconut oil and bark are used for medicine. According to the advice of the doctor, coconut water can be taken from 10 to 20 ml and 1 to 2 grams of powder.

Right time to drink coconut water?

Coconut water can be consumed anytime from morning till evening. But its consumption at the right time will give more benefits. If you drink coconut water on an empty stomach in the morning, it removes lethargy and gives plenty of energy to the body. Apart from this, you can use coconut water before or after eating food, it has many benefits. Drinking water helps in digestion.

Can I drink water after eating coconut?

Water should not be drunk immediately after eating any fruit. It is so called because most of the fruits have sugar content or contain citric acid. Drinking water immediately after eating sweet fruits can cause indigestion, cough or increase in sugar level, while drinking water immediately after eating citrus fruits can cause sore throat, sore throat, etc.

नारियल (Coconut)

मनुष्य कौन गधा कौन - Manushya kaun gadha kaun

मनुष्य कौन गधा कौन 

एक दिन बादशाह अकबर सारा कामकाज निपटाने के बाद मनोरंजन की मुद्रा में बैठे हुए थे। लेकिन बीरबल ऐसे वातावरण में भी शांत बैठे थे। उस दिन वे हँसी-मजाक में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे थे।

मनुष्य कौन गधा कौन - Manushya kaun gadha kaun

  बीरबल के बिना बादशाह की महफिल पूरी कैसे होती? इसलिए उन्हें उकसाने की दृष्टि से बादशाह ने उन्हें छेड़ा, “बीरबल, जरा यह बताओ कि तुममें और गधे में कितना अंतर है?”  

ईर्ष्यालु दरवारियों ने बादशाह का सवाल सुनकर ठहाके लगाने शुरू कर दिए। उधर बीरबल कहाँ चुप रहने वाले थे। उन्होंने चुपचाप अपना सिर नीचे झुका लिया जैसे भूमि की ओर देखते हुए कुछ गणना कर रहे हों।  

उनकी मुद्रा बड़ी गम्भीर थी और वे अपने हाथों पर कुछ गिनती कर रहे थे। “क्या गिनती कर रहे हो, बीरबल?” अकबर ने थोड़ी हँसी के साथ पूछा।

“मैं अपने और गधे के बीच की दूरी पता करने की कोशिश रहा था मैंने गिनती कर ली है,” बीरबल ने अपनी दृष्टि अकबर की ओर उठाते हुए कहा, “यह कोई सोलह फीट जान पड़ती है।” इस उत्तर पर अकबर अत्यंत लज्जित हो गए और कुछ देर तक दृष्टि ऊपर न कर सके।

  दरअसल बीरबल ने अकबर के सिंहासन के सामने खड़े होकर उनके और अपने बीच की दूरी बताई थी। इस प्रकार बीरबल ने बादशाह द्वारा किए गए मजाक को उन्हीं पर पलट दिया। 

English Translate

Manushya kaun gadha kaun

One day Emperor Akbar was sitting in the posture of entertainment after completing all the work. But Birbal was sitting still in such an environment. That day he was not taking any interest in laughter.

मनुष्य कौन गधा कौन - Manushya kaun gadha kaun

  How would the emperor's gathering be complete without Birbal? So in order to provoke them, the king teased them, "Birbal, tell me what is the difference between you and a donkey?"

The jealous courtiers started laughing after hearing the king's question. Where was Birbal going to remain silent? He quietly lowered his head as if doing some calculations while looking at the ground.

His posture was very serious and he was doing some counting on his hands. "What are you counting, Birbal?" Akbar asked with a slight laugh.

“I was trying to find the distance between myself and the donkey, I have counted it,” said Birbal, lifting his gaze towards Akbar, “it looks like some sixteen feet.” Akbar became very ashamed on this answer and could not look up for a while.

  Actually Birbal stood in front of Akbar's throne and told the distance between him and himself. Thus Birbal turned the joke made by the emperor on him.

झांगजियाजी ग्लास-बॉटम ब्रिज / Zhangjiajie glass-bottom bridge

झांगजियाजी ग्लास-बॉटम ब्रिज

इस दुनिया में बहुत सारे पुल हैं, लेकिन कुछ एक ऐसी संरचना से कहीं बढ़कर हैं, जो हमें दूसरी जगह से जोड़ती है। दुनिया भर में सभी प्रकार के पुल हैं, लेकिन चीन में एक ऐसा पुल है, जो पहले ही कई रिकॉर्ड बना चुका है। हम बात कर रहे हैं झांगजियाजी ग्लास-बॉटम ब्रिज की, जिसे 20 अगस्त, 2016 को जनता के लिए खोला गया है। यह ब्रिज दुनिया की सबसे लम्बी कांच की ब्रिज है। 

झांगजियाजी ग्लास-बॉटम ब्रिज - Zhangjiajie glass-bottom bridge

आकार, ऊंचाई और स्थान

झांगजियाजी कांच का फुटपाथ 'वूलिंगयुआन क्षेत्र' के ऊपर झांगजियाजी, हुनान में स्काईवॉक पुल है।  पुल की ऊंचाई 360 मीटर (1,180 फीट) तथा लम्बाई 430 मीटर (1,410 फीट) है।  पुल की चौड़ाई 6 मीटर है।  पुल हुनान प्रांत के उत्तर-पश्चिम में झांगजियाजी नेशनल फॉरेस्ट पार्क में दो पहाड़ी चट्टानों के बीच घाटी तक फैला है।

 पुल की प्रबंधन समिति के अनुसार, पुल ने अपने डिजाइन और निर्माण में दस विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं।  यहाँ कांच के पुल के बारे में दस रोचक तथ्य दिए गए हैं:

झांगजियाजी ग्लास-बॉटम ब्रिज - Zhangjiajie glass-bottom bridge

  •  झांगजियाजी ग्रांड कैन्यन कांच का पुल न केवल दुनिया का सबसे लंबा बल्कि सबसे ऊंचा कांच का ब्रिज भी है।
  •  यह पुल एक स्थान से दूसरे स्थान को पार करने के साथ साथ 'बंजी जंपिंग' के लिए भी है, जो एक रिकॉर्ड धारक भी है।
  • पुल की क्षमता क्या है?  एक बार में 800 लोग। यह बहुत सारे लोग हैं, विशेष रूप से एक पुल के लिए जिसके फर्श के रूप में कांच के पैनल हैं।
झांगजियाजी ग्लास-बॉटम ब्रिज - Zhangjiajie glass-bottom bridge
  • पारदर्शी कांच के फर्श ने इसकी सुरक्षा के बारे में कुछ सवाल उठाए लेकिन पुल के अधिकारियों ने कई बार साबित किया है कि कांच नहीं टूटेगा। पर्यटकों को हाल ही में आमंत्रित किया गया था और कांच को बार-बार मारने के लिए स्लेजहैमर दिए गए थे।
  • पर्यटकों की यात्रा के दौरान कांच पे दरार आ गया लेकिन पुल अधिकारियों के अनुसार यह ठीक है क्योंकि यह कभी भी टुकड़ों में नहीं टूटेगा।
  • कांच के फर्श की सुरक्षा एक ऐसी चीज है, जिसके बारे में बहुत से लोग चिंतित हैं, इसलिए पार्क के अधिकारियों ने फिर से साबित कर दिया कि कांच नहीं टूटेगा। इस बार उन्होंने कांच के पैनल के ऊपर एक SUV चलाई।
झांगजियाजी ग्लास-बॉटम ब्रिज - Zhangjiajie glass-bottom bridge
  • दुनिया के सबसे लंबे और सबसे ऊंचे पुल की कीमत करीब 39 मिलियन डॉलर है।
  • यह पुल झांगजियाजी नेशनल फॉरेस्ट पार्क में स्थित है, जिसका क्षेत्रफल 11,900 एकड़ है।
  • इस ब्रिज को मशहूर इस्राइली आर्किटेक्ट हैम डोटन ने डिजाइन किया था।
  • उनमें से प्रत्येक में टेम्पर्ड ग्लास की तीन परतें हैं।
  • इसे थ्री-लेयर्ड ट्रांसपेरेंट ग्लास के 99 पैन से पक्का किया गया है।

Zhangjiajie glass-bottom bridge

 Zhangjiajie glass-bottom bridge

There are lots of bridges in this world but some are known for being just more than a structure that connects us to another place. There are all types of bridges around the world, but in China, there is one that has already set a number of records. We’re talking about the Zhangjiajie glass-bottom bridge, which hasn’t been opened to the public. The bridge, opened to the public on August 20, 2016. The record as longest glass bridge has since passed to a glass bridge in the Hongyagu Scenic Area, Hebei.

Zhangjiajie glass-bottom bridge

Size, height and location

Zhangjiajie glass footpath is a skywalk bridge in Zhangjiajie, Hunan, above the Wulingyuan area. The height of the bridge is 360m (1,180 ft). The longest span is 430m (1,410 ft). The width of bridge is 6m. The bridge spans the canyon between two mountain cliffs in Zhangjiajie National Forest Park in the northwest of Hunan province.

According to the Management Committee of the Bridge, the bridge has set ten world records spanning its design and construction. Here are ten interesting facts about the glass bridge:

  • The Zhangjiajie Grand Canyon glass bridge is not only the world’s longest but also the highest glass bridge.
  • The bridge won’t be just about crossing from one point to another, it also has a bungee jump, which is also a record holder.
  • The bridge is 375 meters long, 6 meters (20 ft) wide and is 300 meters above the floor of the canyon.

Zhangjiajie glass-bottom bridge

  • What’s the capacity of the bridge? 800 people at a time. That’s a lot of people, especially for a bridge that has glass panels as its floor.
  • The transparent glass floor raised some questions about its safety but park officials have proven a few times that the glass won’t break. Tourists were recently invited and given sledgehammers to hit the glass repeatedly.
  • The glass cracked during the visit from tourists but that’s OK according to park officials because it will never break into pieces.

Zhangjiajie glass-bottom bridge

  • The safety of the glass floor is something that many people are worried about, so park officials proved again that the glass won’t break. This time, they drove an SUV over the glass panels.
  • The cost of the world’s longest and highest bridge was approximately $39 million.
  • The bridge is located in the Zhangjiajie National Forest Park, which has an area of 11,900 acres.
  • The bridge was designed by the famous Israeli architect Haim Dotan.

Zhangjiajie glass-bottom bridge

  • Each of them has three layers of tempered glass.
  • It has been paved with 99 panes of three-layered transparent glass.

सिद्धिविनायक मंदिर (Shri Siddhi Vinayak Ganapati Mandir)

सिद्धिविनायक मंदिर (Shri Siddhi Vinayak Ganapati Mandir)

सिद्धटेक का सिद्धिविनायक मंदिर (Shri Siddhi Vinayak Ganapati Mandir) एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो ज्ञान के देव माने जाने वाले श्री गणेश को समर्पित है। यह मंदिर अष्टविनायक की सूची में शामिल है। महाराष्ट्र राज्य में गणेश जी के आठ सम्मानित मंदिरों की कड़ी है, उन्हीं में से एक है अहमदनगर जिले का अष्टविनायक मंदिर। यह अहमदनगर जिले के करजत क्षेत्र के सिद्ध टेक में भीमा नदी के उत्तरी तट पर स्थित है। सिद्ध टेक को मोर गांव के बाद अष्टविनायक मंदिरों में आने वाली सूची में दूसरे स्थान पर माना जाता है। हालांकि कुछ भक्त इसे मोरगांव और थूर के बाद तीसरे स्थान पर भी मानते हैं।

सिद्धिविनायक मंदिर (Shri Siddhi Vinayak Ganapati Mandir)

सूंड के आधार पर कहते हैं सिद्धिविनायक-

सिद्धटेक के गणेश मंदिर की प्रतिमा में उनकी सूंड  सीधे हाथ ओर मुड़ी हुई है। आमतौर पर गणेश जी की सूंड को बाई ओर बनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि सीधे हाथ पर सूंड वाले गणपति अत्यंत शक्तिशाली होते हैं, लेकिन उन्हें प्रसन्न करना उतना ही कठिन होता है। इस क्षेत्र में यह एकमात्र अष्टविनायक मंदिर है, जहां पर गणेश प्रतिमा की सूंड सीधे हाथ पर है। परंपरागत रूप से ऐसी प्रतिमा वाले गणेश को 'सिद्धि-विनायक' नाम दिया जाता है। यहां सिद्धि का अर्थ है 'उपलब्धि', 'सफलता' और अलौकिक शक्तियों का दाता। इस प्रकार मंदिर को जाग्रत क्षेत्र कहा जाता है, और यहां के देवता को अत्यधिक शक्तिशाली माना जाता है।

सिद्धिविनायक मंदिर (Shri Siddhi Vinayak Ganapati Mandir)

विष्णु जी को मिली थी सिद्धियां-

सिद्ध टेक में सिद्धिविनायक मंदिर बहुत ही सिद्ध स्थान के रूप में प्रतिष्ठित है। ऐसा माना जाता है यहां भगवान विष्णु ने सिद्धियां हासिल की थीं।मुद्गल पुराण में वर्णित है कि सृष्टि के आरंभ में जब विष्णु अपने योग निद्रा में थे, तब विष्णु की नाभि से एक कमल निकला। ब्रह्मांड के निर्माता ब्रह्मा इसी कमल से निकले हैं । जैसे ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना शुरू की, विष्णु के कान में गंदगी से दो राक्षस मधु और कटक प्रकट हुए। इन राक्षसों ने ब्रह्मा जी की प्रक्रिया में बाधा डालना शुरू कर दिया। फिर विष्णु जी ने मधु और कैटभ से युद्ध किया। विष्णु जी पूरे प्रयास के बाद भी दोनों राक्षसों का अंत नहीं कर सके तो वे शिवजी के शरण में गए। तब उन्होंने उत्तर दिया कि वे प्रथम पूज्य गणेश जी का आह्वान करना भूल गए हैं इसलिए असुरो को पराजित नहीं कर पा रहे हैं। इसके बाद भगवान विष्णु सिद्धटेक में तपस्या करने लगे और 'ऊं श्री गणेशाय नमः' मंत्र का जाप कर उन्होंने गणपति को प्रसन्न किया । गणेश जी के आशीर्वाद से मिली सिद्धियों से विष्णु जी ने दोनों दानवों का संहार कर दिया।

मंदिर

सिद्धिविनायक मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर बना हुआ है, जिसका मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है। मंदिर की परिक्रमा के लिए पहाड़ी की यात्रा करनी होती है। अहिल्याबाई होल्कर ने इस सिद्धिविनायक मंदिर के गर्भगृह का निर्माण कराया, जिसे पेशवा काल में महत्व मिला।परमेश्वर का सिर पीतल का बना है और उनका सिंहासन पत्थर का है।मंदिर में सिद्धिविनायक की मूर्ति स्वयंभू है, और तीन फीट ऊंची और ढाई फीट चौड़ी है। मूर्ति का मुख उत्तर दिशा की ओर है। यह सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।

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Shri Siddhi Vinayak Ganapati Mandir

The Siddhivinayak Temple of Siddhatek (Shri Siddhi Vinayak Ganapati Mandir) is a famous Hindu temple dedicated to Shri Ganesha, the god of wisdom. This temple is included in the list of Ashtavinayak. There is a chain of eight revered temples of Ganesh ji in the state of Maharashtra, one of them is the Ashtavinayak temple in Ahmednagar district. It is situated on the northern bank of river Bhima in Siddha Tek of Karjat area of ​​Ahmednagar district. Siddha Tek is considered second in the list of Ashtavinayak temples after Mor village. Although some devotees also consider it the third place after Morgaon and Thur.

सिद्धिविनायक मंदिर (Shri Siddhi Vinayak Ganapati Mandir)

On the basis of trunk it is said that Siddhivinayak-

In the idol of Ganesh temple of Siddhatek, his trunk is bent towards the right hand. Usually the trunk of Ganesh ji is made on the left side. It is believed that Ganapati with trunk on the right hand is extremely powerful, but it is equally difficult to please him. This is the only Ashtavinayak temple in this area, where the trunk of the Ganesha idol is on the right hand. Traditionally, Ganesh with such an idol is given the name 'Siddhi-Vinayaka'. Here Siddhi means 'achievement', 'success' and the giver of supernatural powers. Thus the temple is called the Jagrat Kshetra, and the deity here is considered to be extremely powerful.

Vishnu ji had got siddhis-

Siddhivinayak Temple in Siddha Tek is revered as a very Siddha place. It is believed that Lord Vishnu had achieved siddhis here. It is mentioned in the Mudgal Purana that at the beginning of creation, when Vishnu was in his yoga nidra, a lotus emerged from the navel of Vishnu. Brahma, the creator of the universe, has emerged from this lotus. As Brahma began the creation of the universe, two demons Madhu and Kataka appeared from the dirt in Vishnu's ear. These demons started obstructing the process of Brahma ji. Then Vishnu fought with Madhu and Kaitabh. Vishnu ji could not put an end to both the demons even after all the efforts, so he went to the shelter of Shiva. Then he replied that he had forgotten to invoke the first Pujya Ganesh ji, so he was not able to defeat the Asuras. After this Lord Vishnu started doing penance in Siddhatek and by chanting the mantra 'Om Shri Ganeshaya Namah', he pleased Ganapati. With the blessings of Ganesha, Vishnu killed both the demons.

सिद्धिविनायक मंदिर (Shri Siddhi Vinayak Ganapati Mandir)

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Siddhivinayak Temple is built on top of a mountain, with the main entrance facing north. One has to travel up the hill to circumambulate the temple. Ahilyabai Holkar built the sanctum sanctorum of this Siddhivinayak temple, which gained importance during the Peshwa period. The head of the Lord is made of brass and His throne is of stone. The idol of Siddhivinayak in the temple is Swayambhu, and is three feet high and two and a half feet wide. . The idol is facing north direction. It is one of the oldest temples.

International Yoga Day - अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस

International Yoga Day - अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) की आप सभी को बधाई।

International Yoga Day - अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस

योग प्राचीन भारतीय संस्कृति की बहुमूल्य विरासत है। योग आज के जीवन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गई है। योग पूर्णता के साथ जीवन जीने का विज्ञान है। योग हमारे जीवन के भौतिक, मानसिक, और आध्यात्मिक विकास के लिए परम आवश्यक है। योग शरीर और मन की भावनाओं के संतुलन के साथ हमारे चेतना के स्तर को ही भी उठाता है। शारीरिक और मानसिक रोगों के उपचार में योग बहुत सफल सिद्ध हुआ है,यहां तक की कुछ ऐसी बीमारियां जिनका इलाज आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में नहीं है ,उन्हें भी योग के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। एचआईवी एड्स पर योग के सफल प्रभाव का अध्ययन चल रहा है। हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बढ़ते तनाव के कारण हम जाने- अनजाने अनेक रोगों को न्योता देते हैं। तनाव कई रोगों के मूल में होता है। नियमित योगाभ्यास करने से तनाव को शत प्रतिशत दूर किया जा सकता है।  हमारा देश योग विद्या का जनक कहा जाता है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने योग की महत्ता को समझा और  योग को संपूर्ण विश्व में लोकप्रिय बनाया। 

उन्ही के सद्प्रयासों से हर वर्ष 21 जून को इंटरनेशनल या अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।

भारत सरकार और राज्य सरकारें अपने स्तर से योग को बढ़ावा दे रहे हैं। हमे भी आगे आना होगा। व्यक्तिगत स्तर पर हमें योग को अपनाना होगा और दूसरों को भी योग अपनाने के लिए प्रेरित करना होगा।

आइए इस योग दिवस पर हम प्रतिज्ञा करें कि योग को हम अपने दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाएंगे।

हम इस योग दिवस पर यह भी शपथ लें कि इस योग दिवस पर अपने जान-पहचान के कम से कम तीन व्यक्तियों को योग के विषय मे जागरूक करेंगे और उन्हें भी अपनी जीवन शैली में योग को शामिल करने के लिए पुरजोर प्रयास करेंगे। एक बार पुनः आप सभी को योग दिवस की शुभकामना।

Sunday.. इतवार ..रविवार

इतवार (Sunday)

Sunday.. इतवार ..रविवार

"एक दिन खुद की तलाशी ले ली ,
जो भी मिला वो अपना था लेकिन अपना नहीं लगा"❤️❤️

सपने बुनना सीख लो

बैठ जाओ सपनों के नाव में,

मौके की ना तलाश करो, 

सपने बुनना सीख लो.. 

खुद ही थाम लो हाथों में पतवार, 

मांझी का ना इंतजार करो, 

पलट सकती है नाव की तकदीर, 

गोते खाना सीख लो, 

सपने बुनना सीख लो.. 

अब नदी के साथ बहना सीख लो,

डूबना नहीं, तैरना सीख लो, 

भंवर में फंसी सपनों की नाव, 

अब पतवार चलाना सीख लो,

सपने बुनना सीख लो..

खुद ही बनाना सीख लो, 

अपने दम पर कुछ करना सीख लो,

तेज नहीं तो धीरे चलना सीख लो,

भय के भरम से लड़ना सीख लो,

सपने बुनना सीख लो..

Sunday.. इतवार ..रविवार
🍂🍂"कुछ इस कदर चलो, 
कि लोग तुम्हारे निशानों पर चलना शुरू कर दें।"🥀🥀

शिवि का नेत्र दान - Shivi ka netra daan

शिवि का नेत्र दान 

प्राचीन काल में शिवि देश में शिवराज नामक राजा राज्य करता था। बोधिसत्व का जन्म इसी शिवि कुल में एक राजकुमार के रूप में हुआ। राजकुमार शिवि ने तक्षशिला में रहकर विद्याध्ययन किया और वेदों का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त करके राजधानी को लौट आए। पिता ने उनको सब प्रकार से योग्य समझकर उन्हें एक प्रांत का शासक नियुक्त कर दिया।

जातक कथा- शिवि का नेत्र दान

कालांतर में पिता का देहांत हो जाने पर राजकुमार शिवि ने राज्यभार संभाला। तरुण राजा को दान देने में अत्यधिक आनंद आता था। उसने अपनी राजधानी में विशाल मंडलों का निर्माण कराया, जहां वह स्वयं उपस्थित होकर दान दिया करता था धीरे-धीरे उसकी कीर्ति सारे संसार में फैल गई।

एक दिन राजा अपने मन में सोच रहा था, "मैंने अभी तक ऐसे तमाम पदार्थों का ही दान किया है, जिनके देने में स्वयं मुझे कोई विशेष कष्ट नहीं हुआ। अब मुझे कोई असाधारण दान देना चाहिए- बाहर की वस्तु का नहीं, अपने शरीर का।"

उपरोक्त गाथा में राज्य का यही संकल्प व्यक्त हुआ है- "यदि कोई ऐसा दान है जो मैंने अभी तक नहीं दिया है, चाहे वह नेत्रों का ही दान क्यों ना हो, तो मैं दृढ़ता और निर्भयता- पूर्वक उसे भी तुरंत दे दूंगा।"

धीरे-धीरे लोगों को राजा की इच्छा का पता लगा, परंतु लोग उसे बहुत चाहते थे। अतः ऐसी किसी चीज को मांगने की किसी की इच्छा ही ना होती थी जिससे राजा को कष्ट उठाना पड़े।

इंद्र (सक्र) ने राजा की परीक्षा लेने की ठानी।वह अंधे ब्राह्मण का रूप धरकर राजा के पास आया और कहा, "हे राजा, मैं नेत्रहीन हूं परंतु तुम्हारे दोनों आंख हैं। यदि तुम मुझे एक दे दो तो हम दोनों एक-एक आंख से अपना काम का चला सकते हैं।

राजा जिस चीज की प्रतीक्षा कर रहा था, वही उसे मिल गई। उसने अपने राज राजवैद्य को बुलाकर कहा, "मेरी  एक आंख निकाल कर इस ब्राह्मण के लगा दो।"

जब शिवि का नेत्र-दान संकल्प नगर के लोगों ने सुना तो सब दौड़े आए और राजा को नेत्रदान करने से रोकना चाहा, पर वह अपने वचन पर दृढ़ था। अंत में लोग शक्र को बुरा-भला बोलने लगे।

वैद्य ने एक नेत्र निकालकर ब्राह्मण की आंख में बिठा दिया। इसके पश्चात बोधिसत्व ने दूसरा नेत्र भी निकलवाकर उसकी दूसरी आंख में बिठवा दिया। शिवि का नेत्र दान महान त्याग था। इस महान त्याग से शक्र बहुत प्रभावित हुआ। उसने राजा से कहा, "हे राजा, याचना से अधिक दान देने और स्वयं अपने को बिल्कुल अंधा और दुखी बना लेने का क्या कारण है? यदि तुम यह भेद मुझे बता दो तो मैं तुम्हें तुम्हारी आंख लौटा सकता हूं। मैं स्वयं इंद्र हूं।"

राजा ने कहा, "नेत्र लौटाने के लिए सौदा कैसा। मेरे नेत्रदान का यदि कोई महत्व है तो आप उसे ही स्वीकार कीजिए और कुछ मत पूछिए।"

इंद्र इस शील से और भी प्रसन्न हुए और राजा को पुनः नेत्र प्राप्त हो गए।

कथा सुनकर भगवान बुद्ध ने कहा- "इस कथा में आनंद वैद्य था, अनिरुद्ध शक्ल था और राजा शिवि तो मैं स्वयं ही था"।            

English Translate 

Shivi ka netra daan

In ancient times, a king named Shivraj ruled in the country of Shiva. Bodhisattva was born in this Shiva clan as a prince. Prince Shiva studied in Taxila and after getting complete knowledge of the Vedas returned to the capital. Considering him worthy in all respects, his father appointed him the ruler of a province.

Later, after the death of his father, Prince Shiva took over the throne. The young king used to take great pleasure in giving charity. He built huge mandalas in his capital, where he himself used to present and donate, gradually his fame spread all over the world.

जातक कथा- शिवि का नेत्र दान

One day the king was thinking in his mind, "I have so far donated all such things, in giving of which I myself have not felt any special trouble. Now I should give some extraordinary donation - not from the outside thing, but to my body."

This is the resolve of the state expressed in the above saga - "If there is any gift which I have not given yet, even if it is a donation of eyes, then I will give it immediately with firmness and fearlessness."

Gradually people came to know about the king's wish, but people loved him very much. Therefore, there was no desire of anyone to ask for such a thing that the king would have to suffer.

Indra (Sakra) decided to test the king. He came to the king disguised as a blind brahmin and said, "O king, I am blind but you have both eyes. If you give me one, both of us will be one each." You can do your work with your one eyes.

The king got what he was waiting for. He called his royal physician and said, "Take out one of my eyes and put it on this Brahmin."

When the people of the city heard Shiva's decision to donate his eyes, everyone ran and tried to stop the king from donating his eyes, but he was firm on his word. In the end people started abusing Shakra.

The Vaidya took out one eye and placed it in the Brahmin's eye. After this, the Bodhisattva got the second eye removed and placed it in his other eye. Shiva's eye donation was a great sacrifice. Shakra was greatly affected by this great sacrifice. He said to the king, "O king, what is the reason for giving more charity than asking and making yourself completely blind and miserable? If you tell me this secret, I can return your eyes to you. I am Indra. "

The king said, "How is the deal to return the eyes. If there is any importance of my eye donation, then accept it only and do not ask anything."

Indra was more pleased with this modesty and the king got his eyes again.

Hearing the story, Lord Buddha said- "In this story Anand was Vaidya, Aniruddha was in the form and King Shiva was he himself."