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अद्भुत संसार - 9 - Blue Whale

ब्लू व्हेल (Blue Whale)

 ब्लू व्हेल दुनिया की सबसे विशाल प्रणियों में से एक है। इनका विशाल आकार और अविश्वसनीय रूप से शांतिपूर्ण जीवन सबको आश्चर्यचकित कर देता है। हालांकि यह इस ग्रह का सबसे बड़ा प्राणी है, पर अभी तक इनके बारे में (शारीरिक या व्यवहारिक) कई चीजों में रहस्य बना हुआ है।यह हम सब जानते हैं कि ब्लू व्हेल एक प्रकार की मछली है ,लेकिन विज्ञान के अनुसार यह एक समुद्री स्तनपायी जीव है ,इसका आकार मछली जैसा होता है लेकिन वास्तव में यह एक स्तनधारी प्राणी है । इसकी कई सारी प्रजातियां पाई जाती हैं जैसे किलर व्हेल,स्पर्म व्हेल, वेलुगा व्हेल नीली व्हेल, पायलट व्हेल आदि। आज हम इस लेख के माध्यम से ब्लू व्हेल के बारे में कुछ रोचक और विस्मय तथ्य जानेंगे-

# वैज्ञानिक मानते हैं कि ब्लू व्हेल का अस्तित्व मानव सभ्यता के पहले का है और यह करीब 50000000 साल पहले से भी अस्तित्व में है। यह 30 मीटर तक लंबी और 180 टन तक वजन(यानी 30 हाथी के बराबर) हो सकती हैं। ब्लू व्हेल डायनासोर के मिलने वाले कंकाल जिसका आकार लगभग 27 मीटर है, उससे भी बड़ा है। अपने बड़े आकार के कारण वे पानी में उछाल का आनंद लेती हैं।

# सबसे हैरानी वाली बात यह है कि कोई भी व्हेल पानी में सांस नहीं ले सकती, इनके सिर पर एक छेद होता है जिसकी सहायता से ये सांस लेती हैं ब्लू व्हेल 35 मिनट लेकर से 2 घंटे तक अपनी 

सांस को रोक सकते हैं।सांस लेते समय हवा के साथ पानी भी चला जाता है जिसे बाद  में ये पानी के एक बड़े फव्वारे की तरह छोड़ती हैं।

# क्या आप जानते हैं ब्लू व्हेल की जीभ एक अफ्रीकी वन हाथी के बराबर होती है, और इनका दिल 4 चेंबर वाला लगभग 600 किलोग्राम वजन का होता है, जो कि कम से कम एक ऑटोमोबाइल के आकार के बराबर है, इनके दिल की धड़कनों को 2 मील दूर से भी सुना जा सकता है। इसकी आंखें मनुष्य के सिर के बराबर होती हैं।

 # कुछ ब्लू व्हेल के मुंह में दांत भी होते हैं और कुछ के दांत के जगह पर प्लेट के आकार की हड्डियां होती हैं।

# ब्लू व्हेल ज़्यादातर क्रिल कहे जाने वाली छोटी मछलियों पर निर्भर रहती हैं। एक बार पानी में गोता लगाने के बाद 3 मिनट से 15 मिनट तक पानी के अंदर ही रहती हैं और इस बीच वह सैकड़ों मछलियों को अपना निवाला बना लेती हैं। जानकारों का कहना है कि एक बार में ब्लू व्हेल लगभग 200 आदमियों के बराबर यानी कि 2000 से 5000 किलोग्राम तक खाना खा लेतीं हैं और इसी वजह से खाने के बाद लगभग कोमा की स्थिति आ जाती हैं।ये 150 से 200 दिन तक बिना कुछ खाए भी जिंदा रह सकतीं हैं।

# जब अपने बच्चे को जन्म देती है तो उस वक्त बच्चे का वजन लगभग 2.5 टन तक होता है, प्रति घंटे 8 पाउंड वजन की वृद्धि होती है और प्रतिदिन लंबाई 1.5 इंच की दर से वृद्धि होती है। यह बच्चे अपनी मां के प्रति दिन 200 से 300 लीटर दूध पी जाते हैं। इनका दूध टूथपेस्ट की तरह गाढ़ा होता है। ब्लू व्हेल एक बार में एक ही बच्चे को जन्म देती है। इनके बच्चे अपनी मां के साथ 1 साल या इससे अधिक समय रहते हैं।

# ब्लू व्हेल का मस्तिष्क बहुत छोटा होता है, इसका वजन केवल 6.92 किलोग्राम होता है जो उसके शरीर के वजन का 0.00 7% है। ब्लू व्हेल 90 दिनों तक बिना सोए रह सकती है, सोते वक्त इनका दिमाग आधा सोया और आधा जागता रहता है ।रिसर्च के अनुसार यह अगर पूरी तरह सो जाए तो डूब कर मर जाएगी।

# ब्लू व्हेल दुनिया में सबसे सशक्त जानवर हैं,वे एक दूसरे की आवाज लगभग 1000 मील की दूरी तक सुन सकते हैं, यानी 1000 मील दूर तक एक दूसरे को बुला सकते हैं।अपने साथियों को बुलाने के लिए बहुत मधुर आवाज निकालते हैं जिसे ब्लू व्हेल सॉन्ग कहते हैं।

# ब्लू व्हेल की गर्दन काफी लचीली होती है जो तैरते वक्त गोल घूम सकती है। इनके पूछ के अंत में दो सिर होते हैं , जो उन्हें तैरने में सहायता करते हैं। यह 46 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तैर सकती हैं। हमारी तरह इनकी भी एक रीढ की हड्डी होती है।

# ब्लू व्हेल एकांत प्रिय प्राणी है अन्य व्हेल  की अपेक्षा यह जोड़े में सफर करती हैं।

# बीसवीं सदी के शुरुआत में ब्लू व्हेल लगभग सभी महासागरों में प्रचुर मात्रा में थी।अंधाधुन शिकार के वजह से इनकी संख्या में काफी कमी आ गई थी जिसकी वजह से इंटरनेशनल व्हेलिंग कमीशन ने इसके व्यवसायिक शिकार पर पाबंदी लगा दी थी। हो सकता है आने वाले दिनों में इनकी संख्या में कुछ बढ़ोतरी हो जाए।

# ब्लू व्हेल लगभग 80 से 90 वर्ष तक जिंदा रहती हैं।

English Translate

Blue Whale

  The Blue Whale is one of the world's largest systems.  Their huge size and incredibly peaceful life amazes everyone.  Although it is the largest creature on this planet, yet many things (physical or behavioral) remain secret about them. We all know that blue whale is a type of fish, but according to science it is a marine  Mammal is an animal, it has a fishlike shape but is actually a mammal.  Many species of it are found such as killer whale, sperm whale, veluga whale blue whale, pilot whale etc.  Today we will learn some interesting and amazing facts about Blue Whale through this article-

 # Scientists believe that the Blue Whale existed before human civilization and it existed even before 50000000 years ago.  It can be up to 30 meters long and weigh up to 180 tons (ie equivalent to 30 elephants).  The blue whale is much larger than the dinosaur-found skeleton, which is about 27 meters in size.  She enjoys bouncing in water due to her large size.

 # The most surprising thing is that no whale can breathe in water, they have a hole on their head with the help of which the blue whale can breathe for 35 minutes to 2 hours.

 You can stop the breath. While breathing, water also goes with the air, which later they leave like a big fountain of water.

 # Do you know that the Blue Whale's tongue is equivalent to that of an African forest elephant, and has a heart weighing about 600 kilograms with 4 chambers, which is equivalent to the size of at least one automobile, their heart beats  Can also be heard from 2 miles away.  Its eyes are equal to man's head.

  # Some blue whales also have teeth in their mouths and some have plate-shaped bones in place of their teeth.

 # Blue whales mostly rely on small fish called krill.  Once she dives in the water, she stays inside the water for 3 minutes to 15 minutes and in the meantime she makes hundreds of fish her food.  Experts say that blue whales eat about 200 to 5000 kilograms of food at a time, and that is why they are in a state of coma after eating. These 150 to 200 days without eating anything.  Can also live.

 # When giving birth to a baby, the baby weighs about 2.5 tons, an increase of 8 pounds per hour, and a 1.5-inch per day length increase.  These children drink 200 to 300 liters of milk per day of their mother.  Their milk is thick like toothpaste.  Blue whale gives birth to only one child at a time.  Their children live with their mother for 1 year or more.

 # Blue whale's brain is very small, it weighs only 6.92 kg which is 0.00 7% of its body weight.  Blue whales can remain asleep for 90 days, while sleeping, their brain is half asleep and half awake. According to research, if it sleeps completely, it will die by drowning.

 # Blue whales are the most powerful animals in the world, they can hear each other's voice for up to 1000 miles, that is, they can call each other up to 1000 miles away. They make very sweet sounds to call their companions which Blue  Whale Song says.

 # Blue whale necks are quite flexible which can rotate round while swimming.  At the end of their inquiries are two heads, which help them to swim.  It can swim at a speed of 46 kilometers per hour.  Like us, they also have a back bone.

 # Blue whale is a lonely beloved creature, it travels in pairs more than other whales.

 # Blue whales were abundant in almost all the oceans in the early twentieth century. Their number was greatly reduced due to blind hunting, due to which the International Whaling Commission banned its commercial hunting.  May be there will be some increase in their numbers in the coming days.

 # Blue whales live for around 80 to 90 years.

कैलाश मंदिर (Kailash Temple Ellora)

कैलाश मंदिर (Kailash Temple) 

सुंदरकांड की समाप्ति के बाद आज से एक नए अध्याय की शुरुआत करते हैं, जिसमें अपने देश के प्राचीन वास्तु के बारे में चर्चा करेंगे। भारत की वास्तुकला यहां की परंपरागत एवं बाहरी प्रभावों का मिश्रण है। अनेक स्तूपों, चैत्य, बिहारों, स्तंभों, तोरणों और गुफा मंदिरों में वास्तुकला का चरम विकास हुआ। हिंदू वास्तु कौशल का विस्तार महलों, समाधियों, दुर्गों,  बावरड़ियों और घाटों में भी हुआ है।आज इस क्रम में महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के कैलाश मंदिर (Kailash Temple) की चर्चा करेंगे।

कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)

महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर से 20 किलोमीटर दूर भारत में 1200 साल प्राचीन हिंदू कैलाश मंदिर देख सकते हैं। जो सिर्फ एक पहाड़ को काटकर बनाया गया है। कैलाश मंदिर (Kailash Temple) संसार में अपने ढंग का अनूठा वास्तु है, जिसे मालखेड़ स्थित राष्ट्रकूट वंश के नरेश कृष्ण ने निर्मित कराया था। यह एलोरा औरंगाबाद में स्थित है। यह तेजस्वी भगवान शिव मंदिर के 24 मंदिरों के एक समूह का हिस्सा है जिसे एलोरा गुफाओं के नाम से जाना जाता है। भारत में शिल्पकारों की कोई कमी नहीं थी। प्राचीन काल के शिल्पकार बहुत उच्च कोटि से काम करते थे और मंदिरों का निर्माण करते थे। समूचे पर्वत को तराश कर इसे द्रविड़ शैली के मंदिर का रूप दिया गया है। 

कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)

अपनी समग्रता में 276 फीट लंबा 154 फीट चौड़ा यह मंदिर केवल एक चट्टान को काटकर बनाया गया है। इसका निर्माण ऊपर से नीचे की ओर किया गया है। इसके निर्माण के क्रम में अनुमानतः  40,000 टन भार के पत्थरों को चट्टान से हटाया गया। इसके निर्माण के लिए पहले खंड अलग किया गया और फिर इस पर्वत खंड को भीतर बाहर से काट कर 90 फुट ऊंचा मंदिर गढ़ा गया है। मंदिर के भीतर और बाहर चारों ओर मूर्ति अलंकरणों से भरा हुआ है। इस मंदिर के आंगन के तीन और कोठरिययों की पाँत थी जो एक सेतु द्वारा मंदिर के ऊपर खंड से संयुक्त थी। अब यह सेतु गिर गया है। सामने खुले मंडप में नंदी (कैलाश के द्वारपाल) हैं और उसके दोनों और विशालकाय हाथी तथा तंबू बने हैं। यह कृति भारतीय वास्तु शिल्पीओं के कौशल का अद्भुत नमूना है। आपको बता दें यह मंदिर दुनिया की सबसे बड़ी अखंड संरचना है, जो एक चट्टान पर खुदी हुई है। कैलाश मंदिर दिखने में इतना आकर्षक है कि सिर्फ भारत के लोग ही नहीं बल्कि दुनिया भर से पर्यटक को आकर्षित करती है। बता दें कि कैलाश मंदिर 2 मंजिला इमारत है, जो पूरी दुनिया में एक ही पत्थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति के लिए जानी जाती है। 

                                                                            
कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)
इस मंदिर के बारे में एक किवदंती प्रसिद्ध है। इस मंदिर की कहानी एक रानी से जुड़ी है। उसके पति राजा नरेश कृष्ण बेहद बीमार थे। रानी ने अपने पति को ठीक करने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। इसके बदले में रानी ने शिव को समर्पित एक मंदिर बनवाने की कसम खाई और मंदिर पूरा होने तक उपवास रखने की कसम खाई। रानी के वास्तुकार इस के बारे में चिंतित थे क्योंकि इस तरह के भव्य मंदिर को पूरा करने के लिए लंबे समय की आवश्यकता होती है। लेकिन एक वास्तुकार 'ओकासा' ने रानी को आश्वासन दिया कि वह 1 सप्ताह में मंदिर का निर्माण कर सकता है। राजा नई उसी को यह काम सौंपा। उसने ऊपर से नीचे तक चट्टान से मंदिर बनाना शुरू कर दिया इस तरह एक हफ्ते में कैलाश मंदिर बनकर तैयार हो गया। 

किवदंती के मुताबिक इसका निर्माण 1 हफ्ते में हुआ था, लेकिन इतिहासकारों की मानें तो इस मंदिर को 7000 मजदूरों ने लगभग 150 साल में तैयार किया था। 
कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)

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Kailash Temple

After the end of Sundarkand, let us start a new chapter from today, in which we will discuss about the ancient architecture of our country. The architecture of India is a mixture of traditional and external influences. There was an extreme development of architecture in many stupas, chaityas, bihars, pillars, torans and cave temples. Hindu architectural skills have also expanded in palaces, mausoleums, fortifications, stepwells and ghats. Today, in this sequence, we will discuss the Kailash Temple in Aurangabad city of Maharashtra.
कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)

One can see 1200 years old Hindu Kailash temple in India, 20 km from Aurangabad city of Maharashtra. Which is made by cutting just one mountain. Kailash Temple is a unique architecture of its kind in the world, which was built by King Krishna of Rashtrakuta dynasty located in Malkhed. It is located in Ellora Aurangabad. This stunning Lord Shiva temple is part of a group of 24 temples known as Ellora Caves. There was no dearth of craftsmen in India. The craftsmen of ancient times used to work with a very high quality and built temples. The entire mountain has been carved into a Dravidian style temple.
कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)

In its totality, 276 feet long by 154 feet wide, this temple has been built by cutting only one rock. It is constructed from top to bottom. In the course of its construction, an estimated 40,000 tons of stones were removed from the rock. For its construction, the first section was separated and then this mountain section was cut from inside out and a 90 feet high temple has been erected. Inside and outside the temple is full of idol ornaments. The courtyard of this temple had a row of three more chambers, which were connected to the top section of the temple by a bridge. Now this bridge has fallen. The open mandapa in front has Nandi (the gatekeeper of Kailash) and huge elephants and tents on either side of it. This work is a wonderful example of the skill of Indian architectural craftsmen. Let us tell you that this temple is the largest monolithic structure in the world, which is carved on a rock. The Kailash temple is so attractive in appearance that it attracts tourists not only from the people of India but from all over the world. Let us tell you that the Kailash temple is a 2-storey building, which is known for the largest statue made of a single stone in the whole world.
कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)
                                                                          
There is a famous legend about this temple. The story of this temple is related to a queen. Her husband Raja Naresh Krishna was very ill. The queen prayed to Lord Shiva to cure her husband. In return, the queen vowed to build a temple dedicated to Shiva and vowed to observe a fast till the temple was completed. Rani's architects were worried about this as such a grand temple requires a long time to complete. But an architect 'Okasa' assured the queen that he could build the temple in 1 week. Raja Nai entrusted this task to him. He started building the temple from top to bottom from the rock, thus in a week the Kailash temple was completed.

According to legend, it was built in 1 week, but according to historians, this temple was prepared by 7000 laborers in about 150 years.
कैलाश मंदिर (Kailash Temple  Ellora)

Ayurveda The Synthesis of Yoga and Natural Remedies - 57 - Psoriasis

            पिछले कई अंकों से पेट से संबंधित बीमारियों के विषय में चर्चा हो रही थी।यदि हमारा पेट स्वस्थ है तो हम बहुत सी बीमारियों से स्वतः ही बचे रहेंगे। किसी भी बीमारी के शुरुआत में अगर हम घरेलू उपचार की मदद लेते हैं तो संभवत वह बीमारी वही खत्म हो जाएगी,बढ़ नहीं पाएगी और कुछ हद तक इन छोटी-छोटी बीमारियों के लिए हम डॉक्टर के पास जाने से बच सकते हैं।

हमारे शरीर का एक बहुत महत्वपूर्ण अवयव है त्वचा। चमकदार त्वचा अच्छी सेहत की पहचान होती है अतः त्वचा की रक्षा करना भी हमारा कर्तव्य है। यदि त्वचा से संबंधित कोई रोग हो जाए तो निश्चित ही परेशानी का कारण बन जाता है। आज के ब्लॉग में  हम त्वचा से संबंधित बीमारी के विषय में चर्चा करेंगे। शुरुआत "सोरायसिस" रोग से करते हैं।

सोरायसिस

सोरायसिस एक चर्म रोग है। इसे अपरस भी कहा जाता है। इस रोग की शुरुआत ज्यादातर बाल्यावस्था में होती है। त्वचा की कोशिकाओं में वृद्धि होने से चांदी के समान चमकदार परत झड़ने लगती है। यह परतें मोटी होती हैं क्योंकि उन पर मृत कोशिकाएं अधिक होती हैं। यह संक्रामक रोग नहीं है। यह एक बार बार होने वाली बीमारी है जो समय के साथ बढ़ती जाती है। 



सोरायसिस रोग का कारण (Causes of Psoriasis) :-
#  आनुवांशिक 
#  यह सोडा और कोक पीने या यूरिक एसिड के कारण होती है
#  अधिक तनाव या हार्मोन्स में परिवर्तन के कारण
#  अंग्रेजी दवाओं के दुष्प्रभाव से 
#  किसी गंभीर बीमारी के कारण 
#  दो विरुद्ध आहार एक साथ लेने से 
#  शराब या अल्कोहल के कारण 
#  शीत ऋतु से

सोरायसिस रोग का लक्षण (Symptoms of Psoriasis) :-
#  त्वचा पर सूजन के साथ लाल चकत्ते हो जाते हैं
#  रोगी को हाथ और पैर में दर्द होने लगता है
#  सूजन आ जाती है 
#  चमड़ी का रंग कालापन लिए हो जाता है 
#  चमड़ी की मोटाई बढ़ जाती है या चमड़ी से सफेद परत झड़ती रहती है
#  शरीर पर जगह-जगह पर हल्के लाल या गुलाबी रंग के चकत्ते हो जाते हैं

सोरायसिस रोग का घरेलू उपचार  (Home Remedies of Psoriasis) :-

#  सोरायसिस जैसी बीमारियों को सुबह की लार से ठीक किया जा सकता है। समस्या बढ़ जाने पर यह लगभग 1 साल के अंदर परिणाम देता है
#  शरीर पर किसी भी प्रकार के दाग धब्बे हो सुबह की लार लगाते रहने से 1 साल के अंदर सब ठीक कर देती है। एग्जिमा और सोरायसिस जैसी बीमारियों को भी सुबह की लार से ठीक किया जा सकता है। 
#  गोमूत्र पीने से त्वचा के सभी रोग ठीक होते हैं जैसे - सोरायसिस, एग्जिमा, खुजली, खाज, दाद जैसे सब तरह के त्वचा रोग ठीक होते हैं।
#  नीम के पत्ते तथा नीम का तेल सोरायसिस के इलाज में बहुत कारगर होते हैं। 
#  हल्दी और गुलाबजल का लेप बना कर प्रभावित जगह पर लगाएं 
#  फिटकरी के पानी से नहाने से खुजली और रूखापन ठीक होता है 
#  एलोवेरा के ताजे पत्ते का गुदा प्रभावित जगह पर लगा के हल्के हांथों से मालिश करने से आराम मिलेगा 

Sunday

Sunday
🍁🍁  नांव तब नहीं डूबती 
जब पानी उसके चारों ओर रहता है, 
बल्कि नांव तब डूबती है जब 
पानी उसके अंदर घुस जाता है !! 🍁🍁

       प्रकृति
ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे
यह हवाओं की सरसराहट
यह पेड़ों पर फुदकते चिड़ियों की चहचहाहट
यह समुंदर की लहरों का शोर 
यह बारिश में नाचते सुंदर मोर 
कुछ कहना चाहती है हमसे 
यह प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे 
यह खूबसूरत चांदनी रात है
तारों की झिलमिलाती बरसात
यह खिले हुए सुंदर रंग - बिरंगे फूल 
यह उड़ते हुए धूल कुछ कहना चाहती है हमसे 
यह प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे 
यह नदियों की कल - कल
 यह मौसम की हलचल 
यह पर्वत की चोटियां 
यह झींगुर की सीटियां 
कुछ कहना चाहती हैं हमसे 
यह प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे!!

"सारे सबक किताबों में नहीं मिलते 
कुछ सबक जिंदगी भी सिखाती है" ❤❤

महान वानर की कथा (The Story of the Great Ape)

महान वानर की कथा

महान वानर की कथा (The Story of the Great Ape)

हिमवंत के निर्जन वन में एक महान वानर रहा करता था। वह शीलवान, दयावान और एकांतप्रिय था। वह सदा ही फल - फूल और सात्विक आहार के साथ अपना जीवन यापन करता था। 

एक दिन एक चरवाहा अपने जानवरों की खोज में रास्ता भूल उसी वन में भटक गया। भूख - प्यास से व्याकुल जब उसने एक पेड़ की छांव में विश्राम करना आरंभ किया, तभी उसकी नजर फलों से लदे एक तिन्दुक के पेड़ पर पड़ी। पलक झपकते ही वह उस पेड़ पर जा चढ़ा। भूख की तड़प में उसने यह भी नहीं देखा कि उस पेड़ की एक जड़ पथरीली पहाड़ी की एक पतली दरार से निकली थी और उसके निकट एक झरना बह रहा था। शीघ्र ही वह फलों से लदी एक शाखा पर पहुंच गया। मगर वह शाखा उसके भार को संभाल ना सकी और टूटकर बहते झरने में जा गिरी। चरवाहा भी उसी प्रताप में जा गिरा। बहते पानी के साथ फिर वह एक ऐसे गड्ढे में जा फंसा जहां की चिकनी चट्टानों को पकड़ कर उसका या किसी भी आदमी का बाहर आ पाना असंभव था। 

मृत्यु के भय से निकलती उस आदमी की चीखें उस निर्जन वन में गूंजने लगी। आदमी तो वहां कोई था भी नहीं जो उसकी पुकार सुन सके। 

महान वानर की कथा (The Story of the Great Ape)
हां, उसी वन में रहने वाले उस वानर ने उसकी क्रंदन को सुना और दौड़ता हुआ वह शीघ्र ही वहां पहुंचा और आनन-फानन में कूदता हुआ उस खड्डे में पहुंचकर उस आदमी को खींचता हुआ बड़ी मुश्किल से झरने के बाहर ले आया। आदमी के बोझ से उसके अंग प्रत्यंग में असहनीय पीड़ा हो रही थी। वह बेहोशी की हालत में था और विश्राम के लिए सोना चाहता था। इसी उद्देश्य से उसने आदमी को अपने पास बैठ रखवाली करने को कहा, क्योंकि उस वन में अनेक हिंसक पशु भी विचरते थे। 

जैसे ही वानर गहरी नींद में सोया, वह आदमी उठकर एक बड़ा सा पत्थर उठा लाया क्योंकि वह सोच रहा था कि उस वानर के मांस से ही वह अपना निर्वाह कर सकेगा। ऐसा सोचकर उसने उस पत्थर को वानर के ऊपर पटक दिया। पत्थर वानर पर गिरा तो जरूर मगर इतनी क्षति नहीं पहुंचा सका कि तत्काल ही उसकी मृत्यु हो सके। असह्य पीड़ा से कराहते वानर ने जब अपनी आंखें खोली और अपने ऊपर गिरे पत्थर और उस आदमी की भंगिमा को देखा तो उसने क्षण में ही सारी बातें जान ली। आवाज में उसने उस आदमी को यह कहते हुए धिक्कारा - 

महान वानर की कथा (The Story of the Great Ape)

"हे मानव तू मर कर दूसरी दुनिया में जाने वाला था। तुझे काल के मुंह से मैंने एक गहरी खाई से तो निकाल दिया लेकिन तू दूसरी खाई में जा गिरा जो और अधिक भयंकर है (यहां वानर का मतलब है पाप रूपी खाई)।धिक्कार है तुम्हारे उस अज्ञानता को जिसने तुम्हें यह क्रूरता और पाप भरा मार्ग दिखलाया है। इस रास्ते पर तुम्हें सिर्फ झूठी आशाओं के छलावे ही मिलेंगे। मुझे इस बात की जरा भी तकलीफ नहीं है कि तुम्हारे इस चोट ने मुझे इतनी पीड़ा पहुंचाई है, लेकिन इस बात का दर्द अत्यंत है कि मेरे ही कारण तुम इस गंदे खाई में गिरे हो, जहां से तुम्हें कोई बाहर नहीं निकाल सकता।"

घायल वानर ने फिर भी उस व्यक्ति को उस वन से बाहर निकाल दिया और सदा के लिए आंखें बंद कर ली। 

कालांतर में वह चरवाहा कुष्ठ रोग का शिकार हुआ। तब उसके सगे संबंधी व गांव वाले, घर वाले सभी उसको घर और गांव से निर्वासित कर दिए। कहीं और शरण ना मिलने पर वह फिर से उसी वन में निवास करने लगा। उसके कर्मों की परिणति कुष्ठ रोग में हो चुकी थी, जिससे उसका शरीर गर् रहा था और पश्चाताप की अग्नि में उसका मन। काश उसने वह कुकर्म ना किया होता।

English Translate

Legend of the great apes

There used to be a great monkey in the uninhabited forest of Himavant. He was affectionate, compassionate and reclusive. He always lived his life with fruits and flowers and satvic food.

One day a shepherd lost his way in search of his animals and wandered in the same forest. Distraught with hunger and thirst, when he started resting in the shade of a tree, then his eyes fell on a tree with fruit. In the blink of an eye, he climbed on that tree. In the yearning of hunger, he did not even see that a root of that tree had come out of a thin crack of a rocky hill and a waterfall was flowing near it. Soon he reached a branch laden with fruits. But that branch could not handle its load and broke and fell into the flowing waterfall. The shepherd also fell into the same glory. With the running water, he then got trapped in a pit where it was impossible for him or any man to come out by holding the smooth rocks.

महान वानर की कथा (The Story of the Great Ape)

The screams of the man emanating from the fear of death began to echo in that deserted forest. There was no man there who could hear his call.

Yes, the monkey living in the same forest heard his cry and running he soon reached there and jumped in a hurry and reached the pit and dragged the man and brought him out of the waterfall with great difficulty. The man's burden was causing unbearable pain in his limb. He was in a state of unconsciousness and wanted to sleep for rest. For this purpose, he asked the man to sit with him and guard, because in that forest many violent animals also wandered.

As the apes slept in deep sleep, the man got up and picked up a big stone because he was thinking that he would be able to sustain himself from the flesh of the monkey. Thinking like this, he slammed that stone on the apes. Surely the stone fell on the apes but could not cause so much damage that it could die instantly. When the monkey groaned with unbearable pain, he opened his eyes and saw the stone falling on him and the fragrance of the man, he knew all the things in a moment. In a voice, he shouted at the man saying -
महान वानर की कथा (The Story of the Great Ape)

  "O man, you were going to die and go to another world. I threw you out of a deep ditch from the mouth of Kaal but you fell into another ditch which is more terrible ( Here the monkey means a sinful form). Damn your ignorance that has shown you this cruelty and sinful path. On this path, you will only get rid of false hopes. I do not have any trouble at all. This injury has caused me so much pain, but the pain is so great that because of me you have fallen into this dirty abyss from which no one can get you out. "

The injured monkey still drove the man out of the forest and closed his eyes forever.

Later, that shepherd became a victim of leprosy. Then his relatives and villagers, all the housemates, deported him from home and village. When he could not find shelter elsewhere, he again resided in the same forest. His deeds had resulted in leprosy, causing his body to fall and his mind in the fire of repentance. I wish he had not done that misdeed.

Ayurveda The Synthesis of Yoga and Natural Remedies - 56 - Piles

 बवासीर

 मलद्वार से संबंधित शिरायें जब फैल जाती हैं तो यह ट्यूमर अथवा गेंद नुमा आकृति ले लेती हैं, तो इसे सामान्य तौर पर अर्श या बवासीर कहा जाता है। यह रोग मुख्यतः कब्ज के कारण होता है। जिन लोगों को कब्ज की शिकायत लंबे समय तक रहती है, उनको मुख्यतः यह रोग होता है। अत्याधिक बैठे रहने से भी यह रोग होता है। बवासीर दो तरह के होते हैं। 1) खूनी बवासीर, 2) बादी बवासीर। इस रोग में मल बहुत कठिनाई से निकलता है और मल के साथ खून भी निकलता है। अत्याधिक तीखा, मसालेदार और चिकना भोजन करने से यह रोग बढ़ता है। इसीलिए बवासीर वाले रोगी को खाने में हरी सब्जी और सलाद का प्रयोग अधिक करना चाहिए तथा तीखे मसाले और अत्याधिक खट्टी चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

बवासीर रोग का कारण (Causes of Piles):-

#  यह बीमारी ऑफिस में गद्दी पर लगातार बैठकर कार्य करने या लगातार ड्राइविंग करने से होती है।

#  कब्ज या अवरोध के कारण।

#  कभी-कभी  गर्भावस्था के कारण भी होती है।

#  महिलाओं में प्रसव दौरान अत्यधिक दबाव पड़ने से। 

#  अनियमित खान-पान के कारण।

#  अधिक तली हुई मिर्च, मसालेदार चीजें खाने से।

#  फाइबर युक्त भोजन का सेवन ना करने से। 

#  पानी का कम प्रयोग करने या मल त्याग करते समय जो लगाने से।

#  धूम्रपान और शराब का सेवन करने से। 

बवासीर रोग का लक्षण  (Symptoms of Piles):-

#  मल त्याग करने से मलद्वार से खून आना।

#  मल त्याग करते समय मलद्वार से गांठ का बाहर आना या सूजन होना।

#  मल त्याग करते समय अत्यधिक पीड़ा होना।

#  पेट फूला होना या अफारा होना।

#  गुदा के आस - पास खुजली, लालीपन तथा सूजन रहना। 

#  शौच के बाद भी पेट साफ ना होने का आभास होना। 

बवासीर रोग का  घरेलू उपचार (Home Remedies of Piles):-

#  आंवले का चूर्ण एक चम्मच सुबह - शाम शहद के साथ लेने पर बवासीर में लाभ मिलेगा।

#  आंवले का चूर्ण दही के साथ खाने पर आराम मिलता है।

#  मूली का रस काला नमक डालकर पीने से भी आराम मिलता है।

#  10 ग्राम त्रिफला चूर्ण शहद के साथ चाटे। आराम मिलेगा। 

#  एक चम्मच मेथी के बीजों को पीसकर 300 मि० ली० बकरी के दूध में औटाए। इसमें एक चम्मच पिसी हल्दी और एक चुटकी काला नमक भी मिला दें और दूध ठंडा होने के बाद सेवन करें। बीमारी में लाभ अवश्य मिलेगा।

#  मट्ठा बवासीर में अमृत के समान है। एक गिलास मट्ठे में आधा चम्मच अजवाइन पाउडर तथा काला नमक मिलाकर प्रतिदिन दोपहर के भोजन में सेवन करें। 

#  इसका एक बहुत कारगर उपाय है कि गाय के एक कप दूध में आधा नींबू का रस मिलाएं और तुरंत दूध फटने से पहले पी लें। सुबह खाली पेट, तीन दिन ही लेना है। 

#  प्रतिदिन सुबह खाली पेट तीन-चार पके हुए बीज वाले अमरूद खाने से बवासीर में काफी लाभ होता है।

#  सुबह - शाम बकरी का दूध पीने से बवासीर में काफी लाभ होता है।

#  करेले का रस और मिश्री मिलाकर लेने से बवासीर में लाभ होता है।

#  काशीफल का रस सभी तरह से बवासीर में लाभदायक होता है।

#  एलोवेरा का 200 - 250 ग्राम गुदा खायें, इससे कब्ज नहीं रहेगा और मस्सों में एलोवेरा जेल लगाने से आराम मिलेगा। 

बवासीर का इलाज सिर्फ सर्जरी ही नहीं है, समय पर किए गए उपचार और बेहतर जीवनशैली से इसे ठीक किया जा सकता है।  

कौन है असली मां - Asli Maa

कौन है असली मां 

कौन है असली मां  (Asli Maa)

एक बार शहंशाह अकबर के दरबार में बहुत ही अजीब मुकदमा आया, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया।  हुआ यूं की अकबर के दरबार में दो महिलाएं रोते हुए पहुंची। उनके साथ में लगभग 2 या 3 साल का सुंदर सा बच्चा भी था। दोनों महिलाएं लगातार रो रही थी और साथ ही दावा कर रही थी कि बच्चा उनका है। 

अब समस्या यह थी कि दोनों शहर के बाहर रहती थीं, जिस कारण उन्हें कोई नहीं जानता था। इसलिए यह बताना मुश्किल था कि उस नन्हे बच्चे की असली मां कौन है। तब अकबर बादशाह के सामने मुसीबत आ गई कि न्याय कैसे करें और बच्चा किसको दें?

 इस बारे में उन्होंने एक-एक करके सभी दरबारियों की राय ली, लेकिन कोई भी इस गुत्थी को नहीं सुलझा सका और तभी बीरबल दरबार में पहुंचे। बीरबल को देखकर बादशाह अकबर की आंखों में मानो चमक आ गई। बीरबल के आते ही अकबर ने इस समस्या के बारे में उन्हें बताया। अकबर ने बीरबल से कहा कि "अब तुम ही इस समस्या का समाधान करो।" 

अकबर कुछ सोचते रहे और फिर जल्लाद को बुलाने के लिए कहा। 

कौन है असली मां  (Asli Maa)

जल्लाद के आते ही बीरबल ने बच्चे को एक जगह बैठा दिया और कहा एक काम करते हैं। इस बच्चे के दो टुकड़े कर देते हैं। एक - एक टुकड़ा दोनों मां को दे देंगे। अगर इन दोनों महिलाओं में से किसी एक को यह बात मंजूर नहीं है, तो जल्लाद उस महिला के दो टुकड़े कर देगा। 

यह सुनकर उनमें से एक महिला बच्चे के टुकड़े करने की बात मान गई और बोली कि उसे यह आदेश मंजूर है। वह बच्चे के टुकड़े को लेकर चली जाएगी। लेकिन दूसरी महिला बिलख - बिलख कर रोने लगी और बोली मुझे बच्चा नहीं चाहिए। मेरे दो टुकड़े कर दो, लेकिन बच्चे को मत काटो। यह बच्चा दूसरी महिला को दे दो। 

यह देखकर सभी दरबारी मानने लगे कि जो महिला डर की वजह से रो रही है, वही दोषी है। लेकिन तभी बीरबल ने कहा कि जो महिला बच्चे के टुकड़े करने के लिए तैयार है, उसे कैद कर दो। वही मुजरिम है। इस बात को सुनकर वह महिला रोने लगी और माफी मांगने लगी। लेकिन बादशाह अकबर ने उसे जेल में डलवा दिया। 

फिर अकबर ने बीरबल से पूछा कि तुमको कैसे पता चला कि असली मां कौन है? तब बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा "महाराज! मां सारी मुसीबतों को अपने सिर पर ले लेती है, लेकिन बच्चे पर आंच नहीं आने देती और यही हुआ।इससे पता चल जाता है कि असली मां वह है, जो खुद के टुकड़े करवाने के लिए तैयार है, लेकिन बच्चे के नहीं।" 

बीरबल की बात सुनकर बादशाह अकबर एक बार फिर बीरबल की बुद्धि का लोहा मान गए। 

Asli Maa

Once there was a strange case in the court of Emperor Akbar, which made everyone think. Hua Yun's two women arrived in Akbar's court crying. He was accompanied by a beautiful child of about 2 or 3 years old. Both women were constantly crying and simultaneously claiming that the child belonged to them.

The problem now was that both lived outside the city, due to which no one knew them. So it was difficult to tell who the real mother of that little child is. Then the trouble came in front of the emperor Akbar, how to do justice and to whom to give the child?

 He took the opinion of all the courtiers one by one about this, but no one could solve this knot and then Birbal reached the court. Looking at Birbal, Emperor Akbar's eyes shone as if. As soon as Birbal arrived, Akbar told him about this problem. Akbar told Birbal that "now you solve this problem."

कौन है असली मां  (Asli Maa)

Akbar kept thinking and then asked to call the executioner.

As soon as the executioner arrived, Birbal made the child sit in one place and said do one thing. Cut this baby into two pieces. One piece will be given to both the mothers. If neither of these two women accept this, the executioner will cut the woman in two.

Hearing this, one of the women agreed to cut the child and said that he had approved this order. She will leave with a piece of baby. But the other woman wept bitterly and said, "I don't want a baby." Cut me in two, but don't bite the baby. Give this child to another woman.

Seeing this, all the courtiers started to believe that the woman who is crying due to fear, is the one to blame. But then Birbal said that the woman who is ready to slice the child, imprison her. He is the perpetrator. Hearing this, the woman started crying and apologizing. But Emperor Akbar got him put in jail.

कौन है असली मां  (Asli Maa)

Then Akbar asked Birbal how did you know who the real mother is? Birbal then smiled and said, "Maharaj, the mother takes all the troubles on her head, but does not allow the child to suffer and this is what happens. It shows that the real mother is the one who is ready to cut herself." Is, but not the child's. "

Hearing Birbal's talk, Emperor Akbar once again agreed on the wisdom of Birbal.

अद्भुत संसार - 8 - The Great Wall of India

द ग्रेट वाल ऑफ इंडिया 

(दुनिया की दूसरी सबसे लम्बी दीवार)

जैसा कि हम सभी जानते हैं दुनिया की सबसे लंबी दीवार चीन में है, लेकिन शायद कम ही लोग को पता होगा कि चीन की दीवार के बाद दुनिया में दूसरे स्थान पर सबसे लंबी दीवार भारत में है, शानदार बनावट और लंबाई को देखते हुए इसे "भारत की महान दीवार" का दर्जा दिया गया है।

चीन की दीवार की लंबाई लगभग 6400 किलोमीटर है, हालांकि पुरातत्व सर्वेक्षण के हाल के सर्वेक्षण के अनुसार समग्र महान दीवार अपनी सभी शाखाओं सहित 8851.8 किलोमीटर तक फैली है, वही दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार मेवाड़ के कुंभलगढ़ में है, जो 36 किलोमीटर लंबा है, और समुद्र तल से ग्यारह सौ मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस दीवार की चौड़ाई 15 मीटर है। कहते हैं इस पर एक साथ करीब 10 घोडों को दौड़ाया जा सकता हैं।सैकड़ों साल पहले बनने के बाद भी यह दीवार वैसे का वैसा ही खड़ा है।  कहीं से भी क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है। 

असल में कुंभलगढ़ एक किला है, जिसे अजेय गढ़ भी कहा जाता है, क्योंकि इस पर विजय प्राप्त करना बेहद ही मुश्किल काम था। इस किले की दीवार को भेदने में महाराजा अकबर के भी पसीने छूट गए थे।

कुंभलगढ़ किले का निर्माण महाराणा कुंभा ने करवाया था। कहते हैं इस किले के निर्माण में 15 साल का लंबा समय लगा था। 16वीं सदी में महान शासक महाराणा प्रताप का जन्म भी इसी किले में हुआ था। कहा जाता है कि हल्दीघाटी युद्ध में हार के बाद महाराणा प्रताप काफी समय तक इस किले में रहे थे। इसके अलावा महाराणा सांगा का बचपन इसी किले में बीता था। महाराणा उदय सिंह को भी पन्ना धाय ने इसी दुर्ग में छुपा कर पालन पोषण किया था। 

इस किले के अंदर 360 से ज्यादा प्राचीन मंदिर हैं, हालांकि बहुत सारे मंदिर अब खंडहर में बदल गये हैं। इस किले के अंदर भी एक किला है, जिसे 'कटार गढ़' के नाम से जाना जाता है। कुंभलगढ़ किला सात विशाल द्वारों से सुरक्षित है। किले में घुसने के लिए आरेठ पोल, हल्ला पोल, हनुमान पोल और विजय पोल आदि दरवाजे हैं। 

कुंभलगढ़ किले के निर्माण से जुड़ी एक  रहस्यमय कहानी है। कहते हैं सन 1443 में महाराणा कुंभा ने जब इसका निर्माण कार्य शुरू करवाया था तब इससे चिंतित होकर राणा कुंभा ने एक संत को बुलवाया और अपनी सारी परेशानियां बताई। उस संत ने कहा कि दीवार के बनने का काम तभी आगे बढ़ेगा, जब स्वेच्छा से कोई इंसान खुद की बलि देगा। यह सुनकर राणा कुंभा फिर से चिंतित हो गए, लेकिन तभी एक अन्य संत ने कहा कि इसके लिए वह खुद की बलि देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें पहाड़ी पर चलने दिया जाए और जहां भी वह रुकें, उन्हें मार दिया जाए और वहां देवी का एक मंदिर बनाया जाए। कहते हैं कि वह संत 36 किलोमीटर तक चलने के बाद रुक गए। इसके बाद वहीं पर उनकी बलि दे दी गई। इस तरह दीवार का निर्माण कार्य पूरा हो सका था। 


English Translate

The great wall of india

 (Second longest wall in the world)

 As we all know, the longest wall in the world is in China, but very few people would know that the second longest wall in the world after China wall is in India, given the magnificent texture and length it is "  Has been given the status of "Great Wall of India".

 The length of the China wall is about 6400 kilometers, although according to a recent survey by the Archaeological Survey, the overall Great Wall, with all its branches, extends to 8851.8 kilometers, the same as the second longest wall in the world at Kumbhalgarh in Mewar, which is 36 kilometers long.  , And is situated at an altitude of eleven hundred meters above sea level.  The width of this wall is 15 meters.  It is said that about 10 horses can be run on it simultaneously. Even after being built hundreds of years ago, this wall stands like that.  Has not been damaged anywhere.

 Actually Kumbhalgarh is a fort, also known as the invincible citadel, because conquering it was a very difficult task.  Maharaja Akbar was also left sweating to pierce this fort wall.

 Kumbhalgarh Fort was built by Maharana Kumbha.  It is said that the construction of this fort took a long time of 15 years.  The great ruler Maharana Pratap was also born in the 16th century in this fort.  Maharana Pratap is said to have lived in this fort for a long time after the defeat in the Haldighati war.  Apart from this, Maharana Sanga's childhood was spent in this fort.  Maharana Udai Singh was also nurtured in this fort by Panna Dhay.

 There are more than 360 ancient temples inside this fort, although many temples have now turned into ruins.  There is also a fort inside this fort, which is known as 'Katar Garh'.  Kumbhalgarh Fort is protected by seven huge gates.  There are doors like Aareth Pol, Halla Pol, Hanuman Pol and Vijay Pol etc. to enter the fort.

 There is a mysterious story associated with the construction of Kumbhalgarh Fort.  It is said that when Maharana Kumbha started its construction work in 1443, then Rana Kumbha called a saint and became aware of all his problems.  The saint said that the construction of the wall will proceed only when a person willingly sacrifices himself.  Hearing this, Rana Kumbha again became worried, but then another saint said that he was ready to sacrifice himself for this.  He said that he should be allowed to walk on the hill and wherever he stops, he should be killed and a temple of Goddess should be built there.  It is said that the saint stopped after walking for 36 kilometers.  After this he was sacrificed there.  In this way the construction of the wall was completed.

Sunderkand-19

  सुंदरकांड 

समुद्र पर श्री रामजी का क्रोध

दोहा (Doha – Sunderkand)

बिनय मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति।
बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ प्रीति 57

जब जड़ समुद्रने विनयसे नहीं माना अर्थात् रामचन्द्रजीको दर्भासनपर बैठे तीन दिन बीत गये तब रामचन्द्रजीने क्रोध करके कहा कि भय बिना प्रीति नहीं होती 57

समुद्र पर श्री रामजी का क्रोध

चौपाई (Chaupai – Sunderkand)

लछिमन बान सरासन आनू।
सोषौं बारिधि बिसिख कृसानु॥
सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीति।
सहज कृपन सन सुंदर नीति॥

हे लक्ष्मण! धनुष बाण लाओ। क्योंकि अब इस समुद्रको बाणकी आगसे सुखाना होगा॥
देखो, इतनी बातें सब निष्फल जाती हैं। शठके पास विनय करना, कुटिल आदमीसे प्रीति रखना, स्वाभाविक कंजूस आदमीके पास सुन्दर नीतिका कहना॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

ममता रत सन ग्यान कहानी।
अति लोभी सन बिरति बखानी॥
क्रोधिहि सम कामिहि हरिकथा।
ऊसर बीज बएँ फल जथा॥

ममतासे भरे हुए जनके पास ज्ञानकी बात कहना, अतिलोभीके पास वैराग्यका प्रसंग चलाना॥
क्रोधीके पास समताका उपदेश करना, कामी (लंपट) के पास भगवानकी कथाका प्रसंग चलाना और ऊसर भूमिमें बीज बोना ये सब बराबर है॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

अस कहि रघुपति चाप चढ़ावा।
यह मत लछिमन के मन भावा॥
संधानेउ प्रभु बिसिख कराला।
उठी उदधि उर अंतर ज्वाला॥

ऐसे कहकर रामचन्द्रजीने अपना धनुष चढ़ाया। यह रामचन्द्रजीका मत लक्ष्मणके मनको बहुत अच्छा लगा॥
प्रभुने इधर तो धनुषमें विकराल बाणका सन्धान किया और उधर समुद्रके हृदयके बीच संतापकी ज्वाला उठी॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

मकर उरग झष गन अकुलाने।
जरत जंतु जलनिधि जब जाने॥
कनक थार भरि मनि गन नाना।
बिप्र रूप आयउ तजि माना॥

मगर, सांप, और मछलियां घबरायीं और समुद्रने जाना कि अब तो जलजन्तु जलने है॥
तब वह मानको तज, ब्राह्मणका स्वरूप धर, हाथमें अनेक मणियोंसे भरा हुआ कंचनका थार ले बाहर आया॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

दोहा (Doha – Sunderkand)

काटेहिं पइ कदरी फरइ कोटि जतन कोउ सींच।
बिनय मान खगेस सुनु डाटेहिं पइ नव नीच 58

काकभुशुंडिने कहा कि हे गरुड़! देखा, केला काटनेसेही फलता है। चाहो दूसरे करोडों उपाय करलो और ख़ूब सींच लो, परंतु बिना काटे नहीं फलता। ऐसेही नीच आदमी विनय करनेसे नहीं मानता किंतु डाटने से ही नमता है 58 जय सियाराम जय जय सियाराम

समुद्र की श्री राम से विनती

चौपाई (Chaupai – Sunderkand)

सभय सिंधु गहि पद प्रभु केरे।
छमहु नाथ सब अवगुन मेरे॥
गगन समीर अनल जल धरनी।
इन्ह कइ नाथ सहज जड़ करनी॥

समुद्रने भयभीत होकर प्रभुके चरण पकड़े और प्रभुसे प्रार्थना की कि हे प्रभु मेरे सब अपराध क्षमा करो॥
हे नाथ! आकाश, पवन, अग्रि, जल, और पृथ्वी इनकी करणी स्वभावहीसे जड़ है॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

तव प्रेरित मायाँ उपजाए।
सृष्टि हेतु सब ग्रंथनि गाए॥
प्रभु आयसु जेहि कहँ जस अहई।
सो तेहि भाँति रहें सुख लहई॥

और सृष्टिके निमित्त आपकीही प्रेरणासे मायासे ये प्रकट हुए है, सो यह बात सब ग्रंथोंमें प्रसिद्ध हे॥
हे प्रभु! जिसको स्वामीकी जैसी आज्ञा होती है वह उसी तरह रहता है तो सुख पाता है॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्ही।
मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्ही॥
ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी।
सकल ताड़ना के अधिकारी॥

हे प्रभु! आपने जो मुझको शिक्षा दी, यह बहुत अच्छा किया; परंतु मर्यादा तो सब आपकी ही बांधी हुई है॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

प्रभु प्रताप मैं जाब सुखाई।
उतरिहि कटकु मोरि बड़ाई॥
प्रभु अग्या अपेल श्रुति गाई।
करौं सो बेगि जो तुम्हहि सोहाई॥

हे प्रभु! मैं आपके प्रतापसे सूख जाऊंगा और उससे कटक भी पार उतर जाएगा। परंतु इसमें मेरी महिमा घट जायगी॥
और प्रभुकी आज्ञा अपेल (अर्थात अनुल्लंघनीयआज्ञा का उल्लंघन नहीं हो सकता) है। सो यह बात वेदमें गायी है। अब जो आपको जचे वही आज्ञा देवें सो मै उसके अनुसार शीघ्र करूं॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

दोहा (Doha – Sunderkand)

सुनत बिनीत बचन अति कह कृपाल मुसुकाइ।
जेहि बिधि उतरै कपि कटकु तात सो कहहु उपाइ 59

समुद्रके ऐसे अतिविनीत वचन सुनकर, मुस्कुरा कर, प्रभुने कहा कि हे तात! जैसे यह हमारा वानरका कटक पार उतर जाय वैसा उपाय करो 59 जय सियाराम जय जय सियाराम

चौपाई (Chaupai – Sunderkand)

नाथ नील नल कपि द्वौ भाई।
लरिकाईं रिषि आसिष पाई॥
तिन्ह कें परस किएँ गिरि भारे।
तरिहहिं जलधि प्रताप तुम्हारे॥

रामचन्द्रजीके ये वचन सुनकर समुद्रने कहा कि हे नाथ! नील और नल ये दोनों भाई है। नलको बचपनमें ऋषियोंसे आशीर्वाद मिला हुआ है॥
इस कारण हे प्रभु! नलका छुआ हुआ भारी पर्वत भी आपके प्रतापसे समुद्रपर तैर जाएगा॥
(
नील और नल दोनो बचपनमें खेला करते थे। सो ऋषियोंके आश्रमोंमें जाकर जिस समय मुनिलोग शालग्रामजीकी पूजा कर आख मूंद ध्यानमें बैठते थे, तब ये शालग्रामजीको लेकर समुद्रमें फेंक देते थे। इससे ऋषियोंने शाप दिया कि नलका डाला हूआ पत्थर नहीं डुबेंगा। सो वही शाप इसके वास्ते आशीर्वादात्मक हुआ।) जय सियाराम जय जय सियाराम

मैं पुनि उर धरि प्रभु प्रभुताई।
करिहउँ बल अनुमान सहाई॥
एहि बिधि नाथ पयोधि बँधाइअ।
जेहिं यह सुजसु लोक तिहुँ गाइअ॥

हे प्रभु! मुझसे जो कुछ बन सकेगा वह अपने बलके अनुसार आपकी प्रभुताकों हदयमें रखकर मै भी सहाय करूंगा॥
हे नाथ! इस तरह आप समुद्रमें सेतु बांध दीजिये कि जिसको विद्यमान देखकर त्रिलोकीमें लोग आपके सुयशको गाते रहेंगे॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

एहि सर मम उत्तर तट बासी।
हतहु नाथ खल नर अघ रासी॥
सुनि कृपाल सागर मन पीरा।
तुरतहिं हरी राम रनधीरा॥

हे नाथ! इसी बाणसे आप मेरे उत्तर तटपर रहनेवाले पापके पुंज दुष्टोंका संहार करो॥
ऐसे दयालु रणधीर श्रीरामचन्द्रजीने सागरके मनकी पीड़ा को जानकर उसको तुरंत हर लिया॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

देखि राम बल पौरुष भारी।
हरषि पयोनिधि भयउ सुखारी॥
सकल चरित कहि प्रभुहि सुनावा।
चरन बंदि पाथोधि सिधावा॥

समुद्र रामचन्द्रजीके अपरिमित (अपार) बलको देखकर आनंदपूर्वक सुखी हुआ॥
समुद्रने सारा हाल रामचन्द्रजीको कह सुनाया, फिर चरणोंको प्रणाम कर अपने धामको सिधारा॥जय सियाराम जय जय सियाराम

दोहा (Doha – Sunderkand)

छं०निज भवन गवनेउ सिंधु श्रीरघुपतिहि यह मत भायऊ।
यह चरित कलि मलहर जथामति दास तुलसी गायऊ॥
सुख भवन संसय समन दवन बिषाद रघुपति गुन गना।
तजि सकल आस भरोस गावहि सुनहि संतत सठ मना॥

समुद्र तो ऐसे प्रार्थना करके अपने घरको गया। रामचन्द्रजीके भी मनमें यह समुद्रकी सलाह भा गयी।
तुलसीदासजी कहते हैं कि कलियुग के पापों को हरनेवाला यह रामचन्द्रजीका चरित मेरी जैसी बुद्धि है वैसा मैंने गाया है; क्योंकि रामचन्द्रजीके गुणगाण (गुणसमूह) ऐसे हैं कि वे सुखके तो धाम हैं, संशयके मिटानेवाले है और विषाद (रंज) को शांत करनेवाले है सो जिनका मन पवित्र है और जो सज्जन पुरुष है, वे उन चरित्रोंको सब आशा और सब भरोसोंको छोड़ कर गाते हैं और सुनते हैं॥ जय सियाराम जय जय सियाराम

दोहा (Doha – Sunderkand)

सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान।
सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान 60

सर्व प्रकारके सुमंगल देनेवाले रामचन्द्रजीके गुणोंका जो मनुष्य गान करते है और आदरसहित सुनते हैं वे लोग संसारसमुद्रको बिना नाव पार उतर जाते हें 60 जय सियाराम जय जय सियाराम

इति श्रीमद्रामचरितमानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने पंचमः सोपानः समाप्तः।