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तमिलनाडु का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Tamilnadu ||

तमिलनाडु का राजकीय/राज्य पक्षी

मरकती पंडुक (Chalcophaps indica)/पन्ना कबूतर (Common emerald dove)

भारत देश के अलग अलग राज्य के  राजकीय/राज्य पक्षीयों  की चर्चा को आगे बढ़ाते हुए आज बात करते हैं तमिलनाडु के राजकीय पक्षी की।  तमिलनाडु राज्य का राज्यपक्षी "पन्ना कबूतर या मरकती पंडुक" है जो, उष्ण तथा उपोष्ण कटिबन्धीय भारतीय उपमहाद्वीप, म्याँमार, थाइलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया तथा उत्तरी व पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में पाया जाने वाले कबूतर का एक प्रकार है। इसे "हरा कबूतर या हरित-पक्ष-कबूतर" के नाम से भी जाना जाता है। इसकी अनेक उपप्रजातियाँ हैं, जिनमें तीन ऑस्ट्रेलिया में पायी जाती हैं।

तमिलनाडु का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Tamilnadu ||

सामान्य पन्ना कबूतर ( चाल्कोफैप्स इंडिका ) एक मध्यम आकार का कबूतर है, जिसकी लंबाई 25 से 30 सेमी और वजन 90 से 170 ग्राम होता है। आम पन्ना कबूतर प्रजाति की पीठ और पंख चमकीले चमकदार हरे रंग के होते हैं। ये पक्षी लैंगिक रूप से द्विरूपी होते हैं। नर के सिर पर हल्के नीले भूरे रंग का मुकुट और गर्दन होती है। माथे पर एक सफेद धारी होती है, जो आंखों के ऊपर और पीछे तक फैली होती है। कंधों के किनारे पर एक सफेद धब्बा है। मादा में इन विशेषताओं का अभाव होता है। पन्ना कबूतर प्रजाति की ठुड्डी, गला, ऊपरी स्तन और गर्दन के किनारे गहरे रंग की गुलाबी गुलाबी रंग की होती हैं। उड़ान के पंख और पूंछ गहरे भूरे रंग के होते हैं। निचली पीठ पर चौड़ी सफेद और काली पट्टियाँ होती हैं। निचला पेट भूरा-भूरा होता है।

तमिलनाडु का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Tamilnadu ||

यह वर्षा वनों आर्द्र घने वनों, कृषिक्षेत्रों, उद्योनों, ज्वारीयवनों तथा तटीय दलदल में पाये जाने वाली आम प्रजाति है। यह डंडियों से पेड़ों पर अनगढ़ सा घोंसला बनाता है और दो मलाई-रंग के अंडे देते हैं। ये तेजी से और तुरन्त उड़ान भरते हैं, जिसमें परों की नियमित ताल तथा तीखे झटके भी होते हैं, जो कबूतरों की सामान्य विशेषता है। ये प्रायः घने वनों के खंडों में नीचे-नीचे उड़ते हैं, लेकिन कभी कभी छेड़े जाने पर उड़ने के बजाय दौड़कर भी दूर हो जाते हैं।

तमिलनाडु का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Tamilnadu ||

इनका स्वर धीमी कोमल दुखभरी सी कूक जैसा होता है, जिसमें ये शांत से शुरू करके उठाते हुए छः से सात बार कूकते हैं। ये अनुनासिक "हु-हू-हूँ" की आवाज भी करते हैं।

पन्ना कबूतर मुख्य रूप से बीज और फल होते हैं। गिरे हुए फल, बीज, जामुन, अंजीर और कीड़े khate hain अधिकांश समय वे जमीन पर भोजन करते हैं। वे पेड़ों की शाखाओं पर बसेरा करते हैं। ये पन्ना कबूतर प्रजातियाँ जमीन से पाँच मीटर की ऊँचाई पर पेड़ों में लकड़ियों और टहनियों से निर्मित घोंसला बनाती हैं, जो एक कमजोर संरचना है।

English Translate

State Bird Of Tamilnadu

Taking forward the discussion about the state/state birds of different states of India, today let's talk about the state bird of Tamil Nadu. The state bird of Tamil Nadu is the "emerald pigeon or marakti panduk", a type of pigeon found in the tropical and subtropical Indian subcontinent, Myanmar, Thailand, Malaysia, Indonesia and northern and eastern Australia. It is also known as "green pigeon or green-sided-pigeon". It has several subspecies, of which three are found in Australia.


The common emerald pigeon (Chalcophops indica) is a medium-sized pigeon, measuring 25 to 30 cm in length and 90 to 170 g in weight. The back and wings of the Common Emerald Pigeon species are bright glossy green. These birds are sexually dimorphic. The male has a pale bluish gray crown and neck. There is a white stripe on the forehead, which extends above and behind the eyes. There is a white spot on the edge of the shoulders. The female lacks these characteristics. The chin, throat, upper breast and sides of the neck of the emerald pigeon species are a deep rosy pink colour. The flight feathers and tail are dark brown. There are broad white and black stripes on the lower back. The lower belly is greyish-brown.

तमिलनाडु का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Tamilnadu ||

It is a common species found in rain forests, moist dense forests, agricultural fields, gardens, tidal forests and coastal marshes. It builds a crude nest on trees with sticks and lays two cream-coloured eggs. They fly fast and quick, with a regular wing beat and sharp strokes, which is a common characteristic of pigeons. They often fly low and low in dense forest sections, but sometimes run away instead of flying when provoked.

Their voice is like a slow, soft, sad coo, in which they coo six to seven times, starting quietly and picking up. They also make nasal "hu-hu-hu" sounds.

तमिलनाडु का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Tamilnadu ||

Emerald pigeons are mainly seeds and fruits. Most of the time they feed on the ground, eating fallen fruits, seeds, berries, figs and insects. They nest on the branches of trees. These Emerald Pigeon species build a nest made of sticks and twigs in trees at a height of five meters from the ground, which is a flimsy structure.

भारत के सभी राज्यों के राजकीय पक्षियों की सूची |(List of State Birds of India)

श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)

श्रीमद्भगवद्गीता || अध्याय ग्यारह विश्वरूपदर्शनयोग ||

अथैकादशोऽध्यायःविश्वरूपदर्शनयोग

अध्याय ग्यारह के अनुच्छेद 15 - 31

 अर्जुन द्वारा भगवान के विश्वरूप का देखा जाना और उनकी स्तुति करना

श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)

अर्जुन उवाच

पश्यामि देवांस्तव देव देहे सर्वांस्तथा भूतविशेषसङ्‍घान्‌ ।
ब्रह्माणमीशं कमलासनस्थमृषींश्च सर्वानुरगांश्च दिव्यान्‌ || 11.15 || 

भावार्थ : 

अर्जुन बोले- हे देव! मैं आपके शरीर में सम्पूर्ण देवों को तथा अनेक भूतों के समुदायों को, कमल के आसन पर विराजित ब्रह्मा को, महादेव को और सम्पूर्ण ऋषियों को तथा दिव्य सर्पों को देखता हूँ॥15॥

अनेकबाहूदरवक्त्रनेत्रंपश्यामि त्वां सर्वतोऽनन्तरूपम्‌ ।
नान्तं न मध्यं न पुनस्तवादिंपश्यामि विश्वेश्वर विश्वरूप  || 11.16 || 

भावार्थ : 

हे सम्पूर्ण विश्व के स्वामिन्! आपको अनेक भुजा, पेट, मुख और नेत्रों से युक्त तथा सब ओर से अनन्त रूपों वाला देखता हूँ। हे विश्वरूप! मैं आपके न अन्त को देखता हूँ, न मध्य को और न आदि को ही॥16॥

किरीटिनं गदिनं चक्रिणं च तेजोराशिं सर्वतो दीप्तिमन्तम्‌ ।
पश्यामि त्वां दुर्निरीक्ष्यं समन्ताद्दीप्तानलार्कद्युतिमप्रमेयम्‌  || 11.17 || 

भावार्थ : 

आपको मैं मुकुटयुक्त, गदायुक्त और चक्रयुक्त तथा सब ओर से प्रकाशमान तेज के पुंज, प्रज्वलित अग्नि और सूर्य के सदृश ज्योतियुक्त, कठिनता से देखे जाने योग्य और सब ओर से अप्रमेयस्वरूप देखता हूँ॥17॥

त्वमक्षरं परमं वेदितव्यंत्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्‌ ।
त्वमव्ययः शाश्वतधर्मगोप्ता सनातनस्त्वं पुरुषो मतो मे  || 11.18 || 

भावार्थ : 

आप ही जानने योग्य परम अक्षर अर्थात परब्रह्म परमात्मा हैं। आप ही इस जगत के परम आश्रय हैं, आप ही अनादि धर्म के रक्षक हैं और आप ही अविनाशी सनातन पुरुष हैं। ऐसा मेरा मत है॥18॥

अनादिमध्यान्तमनन्तवीर्यमनन्तबाहुं शशिसूर्यनेत्रम्‌ ।
पश्यामि त्वां दीप्तहुताशवक्त्रंस्वतेजसा विश्वमिदं तपन्तम्‌  || 11.19 || 

भावार्थ : 

आपको आदि, अंत और मध्य से रहित, अनन्त सामर्थ्य से युक्त, अनन्त भुजावाले, चन्द्र-सूर्य रूप नेत्रों वाले, प्रज्वलित अग्निरूप मुखवाले और अपने तेज से इस जगत को संतृप्त करते हुए देखता हूँ॥19॥

द्यावापृथिव्योरिदमन्तरं हि व्याप्तं त्वयैकेन दिशश्च सर्वाः ।
दृष्ट्वाद्भुतं रूपमुग्रं तवेदंलोकत्रयं प्रव्यथितं महात्मन्‌  || 11.20 || 

भावार्थ : 

हे महात्मन्‌! यह स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का सम्पूर्ण आकाश तथा सब दिशाएँ एक आपसे ही परिपूर्ण हैं तथा आपके इस अलौकिक और भयंकर रूप को देखकर तीनों लोक अतिव्यथा को प्राप्त हो रहे हैं॥20॥

अमी हि त्वां सुरसङ्‍घा विशन्ति केचिद्भीताः प्राञ्जलयो गृणन्ति।
स्वस्तीत्युक्त्वा महर्षिसिद्धसङ्‍घा: स्तुवन्ति त्वां स्तुतिभिः पुष्कलाभिः  || 11.21 || 

भावार्थ : 

वे ही देवताओं के समूह आप में प्रवेश करते हैं और कुछ भयभीत होकर हाथ जोड़े आपके नाम और गुणों का उच्चारण करते हैं तथा महर्षि और सिद्धों के समुदाय 'कल्याण हो' ऐसा कहकर उत्तम-उत्तम स्तोत्रों द्वारा आपकी स्तुति करते हैं॥21॥

रुद्रादित्या वसवो ये च साध्याविश्वेऽश्विनौ मरुतश्चोष्मपाश्च ।
गंधर्वयक्षासुरसिद्धसङ्‍घावीक्षन्ते त्वां विस्मिताश्चैव सर्वे  || 11.22 || 

भावार्थ : 

जो ग्यारह रुद्र और बारह आदित्य तथा आठ वसु, साध्यगण, विश्वेदेव, अश्विनीकुमार तथा मरुद्गण और पितरों का समुदाय तथा गंधर्व, यक्ष, राक्षस और सिद्धों के समुदाय हैं- वे सब ही विस्मित होकर आपको देखते हैं॥22॥

रूपं महत्ते बहुवक्त्रनेत्रंमहाबाहो बहुबाहूरूपादम्‌ ।
बहूदरं बहुदंष्ट्राकरालंदृष्टवा लोकाः प्रव्यथितास्तथाहम्‌  || 11.23 || 

भावार्थ : 

हे महाबाहो! आपके बहुत मुख और नेत्रों वाले, बहुत हाथ, जंघा और पैरों वाले, बहुत उदरों वाले और बहुत-सी दाढ़ों के कारण अत्यन्त विकराल महान रूप को देखकर सब लोग व्याकुल हो रहे हैं तथा मैं भी व्याकुल हो रहा हूँ॥23॥

नभःस्पृशं दीप्तमनेकवर्णंव्यात्ताननं दीप्तविशालनेत्रम्‌ ।
दृष्टवा हि त्वां प्रव्यथितान्तरात्मा धृतिं न विन्दामि शमं च विष्णो  || 11.24 || 

भावार्थ : 

क्योंकि हे विष्णो! आकाश को स्पर्श करने वाले, दैदीप्यमान, अनेक वर्णों से युक्त तथा फैलाए हुए मुख और प्रकाशमान विशाल नेत्रों से युक्त आपको देखकर भयभीत अन्तःकरण वाला मैं धीरज और शान्ति नहीं पाता हूँ॥24॥

दंष्ट्राकरालानि च ते मुखानिदृष्टैव कालानलसन्निभानि ।
दिशो न जाने न लभे च शर्म प्रसीद देवेश जगन्निवास  || 11.25 || 

भावार्थ : 

दाढ़ों के कारण विकराल और प्रलयकाल की अग्नि के समान प्रज्वलित आपके मुखों को देखकर मैं दिशाओं को नहीं जानता हूँ और सुख भी नहीं पाता हूँ। इसलिए हे देवेश! हे जगन्निवास! आप प्रसन्न हों॥25॥

अमी च त्वां धृतराष्ट्रस्य पुत्राः सर्वे सहैवावनिपालसंघैः ।
भीष्मो द्रोणः सूतपुत्रस्तथासौ सहास्मदीयैरपि योधमुख्यैः ॥
वक्त्राणि ते त्वरमाणा विशन्ति दंष्ट्राकरालानि भयानकानि ।
केचिद्विलग्ना दशनान्तरेषु सन्दृश्यन्ते चूर्णितैरुत्तमाङ्‍गै  || 11.26.27 || 

भावार्थ : 

वे सभी धृतराष्ट्र के पुत्र राजाओं के समुदाय सहित आप में प्रवेश कर रहे हैं और भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य तथा वह कर्ण और हमारे पक्ष के भी प्रधान योद्धाओं के सहित सबके सब आपके दाढ़ों के कारण विकराल भयानक मुखों में बड़े वेग से दौड़ते हुए प्रवेश कर रहे हैं और कई एक चूर्ण हुए सिरों सहित आपके दाँतों के बीच में लगे हुए दिख रहे हैं॥26-27॥

यथा नदीनां बहवोऽम्बुवेगाः समुद्रमेवाभिमुखा द्रवन्ति ।
तथा तवामी नरलोकवीराविशन्ति वक्त्राण्यभिविज्वलन्ति  || 11.28 || 

भावार्थ : 

जैसे नदियों के बहुत-से जल के प्रवाह स्वाभाविक ही समुद्र के ही सम्मुख दौड़ते हैं अर्थात समुद्र में प्रवेश करते हैं, वैसे ही वे नरलोक के वीर भी आपके प्रज्वलित मुखों में प्रवेश कर रहे हैं॥28॥

यथा प्रदीप्तं ज्वलनं पतंगाविशन्ति नाशाय समृद्धवेगाः ।
तथैव नाशाय विशन्ति लोकास्तवापि वक्त्राणि समृद्धवेगाः  || 11.29 || 

भावार्थ : 

जैसे पतंग मोहवश नष्ट होने के लिए प्रज्वलित अग्नि में अतिवेग से दौड़ते हुए प्रवेश करते हैं, वैसे ही ये सब लोग भी अपने नाश के लिए आपके मुखों में अतिवेग से दौड़ते हुए प्रवेश कर रहे हैं॥29॥

लेलिह्यसे ग्रसमानः समन्ताल्लोकान्समग्रान्वदनैर्ज्वलद्भिः ।
तेजोभिरापूर्य जगत्समग्रंभासस्तवोग्राः प्रतपन्ति विष्णो  || 11.30 || 

भावार्थ : 

आप उन सम्पूर्ण लोकों को प्रज्वलित मुखों द्वारा ग्रास करते हुए सब ओर से बार-बार चाट रहे हैं। हे विष्णो! आपका उग्र प्रकाश सम्पूर्ण जगत को तेज द्वारा परिपूर्ण करके तपा रहा है॥30॥

आख्याहि मे को भवानुग्ररूपोनमोऽस्तु ते देववर प्रसीद ।
विज्ञातुमिच्छामि भवन्तमाद्यंन हि प्रजानामि तव प्रवृत्तिम्‌  || 11.31 || 

भावार्थ :

मुझे बतलाइए कि आप उग्ररूप वाले कौन हैं? हे देवों में श्रेष्ठ! आपको नमस्कार हो। आप प्रसन्न होइए। आदि पुरुष आपको मैं विशेष रूप से जानना चाहता हूँ क्योंकि मैं आपकी प्रवृत्ति को नहीं जानता॥31॥

सबसे बड़ा केंचुआ “जायंट गिप्पसलैंड केंचुआ” || Biggest Earthworm "Giant Gippsland Earthworm" ||

सबसे बड़ा केंचुआ “जायंट गिप्पसलैंड केंचुआ”

केंचुए से तो हम सभी भलीभांति परिचित हैं। केचुआ की लंबाई लगभग 10 मिलीमीटर के आसपास होती है। परंतु आज हम यहां जिसके चूहे के बारे में बात करने जा रहे हैं उसकी लंबाई 12 फुट तक हो है जी हां केंचुआ की कुछ प्रजाति ऐसी है जिसकी लंबाई 12 फिट तक हो सकती है, जिसे “जायंट गिप्पसलैंड केंचुआ” कहते हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा केंचुआ है, जिसे Giant gippsland के नाम से जाना जाता है जिसकी लंबाई 3 मीटर और वजन लगभग 200 ग्राम हो सकता है।
सबसे बड़ा केंचुआ “जायंट गिप्पसलैंड केंचुआ”
विशालकाय गिप्सलैंड केंचुआ मेगास्कोलाइड्स ऑस्ट्रेलिस केवल दक्षिण और पश्चिम गिप्सलैंड, विक्टोरिया के छोटे क्षेत्रों में पाया जाता है। विशाल केंचुए की यह प्रजातियाँ ऑस्ट्रेलिया, एशिया, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका में पाई जाती हैं। हालाँकि उनकी संख्या इतनी कम है कि कुछ प्रजातियाँ विलुप्त होने के करीब हैं और वे अब संरक्षित प्रजातियाँ हैं। यह दुनिया के सबसे बड़े केंचुओं में से एक है, जिसकी लंबाई अक्सर एक मीटर से अधिक होती है। यह अपने भूमिगत जीवन चक्र के कारण कम ही दिखाई देता है। ये छोटे केंचुओं की तरह जमीन के नीचे बिलों में रहते हैं। उनकी सुरंगें 2-3 सेमी चौड़ी होती हैं और 5 मीटर की गहराई तक पहुँच सकती हैं। गर्मियों के सूखे से बचने के लिए उन्हें गहराई में खोदा जाएगा। विशाल केंचुए सतह पर नहीं आते, बल्कि जमीन के नीचे अपने नम बिलों में सरकते रहते हैं। वास्तव में ये कीड़े इतने बड़े होते हैं कि सतह से इन्हें अपनी सुरंगों में रेंगते हुए सुना जा सकता है।
सबसे बड़ा केंचुआ “जायंट गिप्पसलैंड केंचुआ”
इस प्रजाति को सावधानीपूर्वक संरक्षण उपायों की आवश्यकता है, क्योंकि इसका अध्ययन करना कठिन है क्यूंकि यह आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकती है। एक विशाल केंचुए की लंबाई मापना मुश्किल है क्योंकि वे नाजुक होते हैं और अगर उन्हें बहुत अधिक खींचा जाए तो वे टूट सकते हैं। यह एक ऐसी प्रजाति भी है, जो कैद में मर जाती है और कैद में प्रजनन के लिए उपयुक्त नहीं है, जिससे मौजूदा आबादी को बनाए रखना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। चूँकि पश्चिमी गिप्सलैंड में भूमि का विकास जारी है, यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता है कि विशाल गिप्सलैंड केंचुआ जीवित रहे।

विशालकाय गिप्सलैंड केंचुए का सिर बैंगनी रंग का और शरीर गुलाबी-भूरे रंग का होता है। इसका व्यास 2 सेमी तक होता है और आमतौर पर शरीर की लंबाई 80 से 150 सेमी होती है, हालांकि 2 मीटर तक के नमूने दर्ज किए गए हैं।

English Translate

Largest Earthworm "Giant Gippsland Earthworm"


We are all very familiar with earthworms. The length of earthworm is around 10 mm. But today the rat about which we are going to talk here has a length of up to 12 feet, yes, there is some species of earthworm whose length can be up to 12 feet, which is called "Giant Gippsland Earthworm". It is the world's largest earthworm, known as the Gippsland giant, which can measure up to 3 meters in length and weigh around 200 grams.
Largest Earthworm "Giant Gippsland Earthworm"
The giant Gippsland earthworm Megascolides australis is found only in small areas of South and West Gippsland, Victoria. This species of giant earthworm is found in Australia, Asia, South Africa and America. However, their numbers are so small that some species are close to extinction and are now protected species. It is one of the largest earthworms in the world, often exceeding one meter in length. It is rarely visible due to its underground life cycle. They live in burrows under the ground like small earthworms. Their tunnels are 2–3 cm wide and can reach a depth of 5 m. They will be dug deeper to survive the summer drought. The giant earthworms do not come to the surface, but move underground in their moist burrows. In fact, these insects are so loud that they can be heard crawling through their tunnels from the surface.
Largest Earthworm "Giant Gippsland Earthworm"
This species requires careful conservation measures, as it is difficult to study because it can be easily damaged. Measuring the length of a giant earthworm is difficult because they are fragile and can break if pulled too hard. It is also a species that tends to die out in captivity and is not suitable for breeding in captivity, making it even more important to maintain existing populations. As land development continues in West Gippsland, special care is needed to ensure that the giant Gippsland earthworm survives.

The giant Gippsland earthworm has a purple head and a pinkish-brown body. It has a diameter of up to 2 cm and a body length of typically 80 to 150 cm, although specimens up to 2 m have been recorded.

हिन्दू संस्कृति का रहस्य और विज्ञान

हिन्दू संस्कृति का रहस्य और विज्ञान

हमारे देश में ऐसी कई चीज़ें होती हैं, जिनके पीछे की वजह के बारे में हम नहीं जानते। कुछ बातों का पालन हम अपने पूर्वजों को देख कर करते चले आ रहे हैं। कुछ चीज़ें हम दूसरों की देखा-देखी करने लगते हैं। आज यहां चर्चा करेंगे हिंदू परम्पराओं के पीछे छिपे वैज्ञानिक तथ्यों के बारे में। सनातन हिंदू धर्म को मानने वाले इस लेख को अवश्य पढ़ें और साथ ही विज्ञान को मानने वाले भी। हिंदू परम्पराओं पर हँसने वाले और उसे ढकोसला कहने वाले लोगों की सोच शायद यह लेख पढ़कर बदल जायेगी। क्योंकि सदियों से चली आ रही परंपरा के पीछे कितने ही वैज्ञानिक तथ्य छुपे हुए हैं। 

1. नदी में सिक्के डालना

नदी में सिक्के डालना

नदी में सिक्के क्यों फेंके जाते हैं? बस या ट्रेन से सफर करते समय जब हम नदियों से गुजरते हैं, तो लोगों को नदियों में सिक्के डालते हुए देखते हैं। 

दरअसल, ये परंपरा सालों से चली आ रही है। हमारे माता-पिता, दादा-दादी सभी कहते भी हैं, कि जब भी नदी से गुजरो, सिक्का नदी में फेंक देना। आखिर हम नदी में सिक्का क्यों डालते हैं? इस रिवाज के पीछे एक बड़ी वजह छिपी हुई है। दरअसल, जिस समय नदी में सिक्का डालने की ये प्रथा या रिवाज शुरु हुआ था, उस समय में आज के स्टील के सिक्के नहीं थे बल्कि तांबे के सिक्के चला करते थे और तांबा वाला पानी हमारे लिए फायदेमंद होता है। अगर हम इतिहास के आईने में झांक कर देखेंते हैं तो हम पाते हैं कि पहले के ज़माने में पानी का मुख्य स्रोत नदियां ही हुआ करती थीं। लोग हर काम में नदियों के पानी का ही इस्तेमाल किया करते थे। 

चूंकि तांबा पानी को शुद्ध करने में काम आता है और ये नदियों के प्रदूषित पानी को शुद्ध करने का एक बेहतर तरीका था, इसलिए लोग जब भी नदी या किसी तालाब के पास से गुजरते थे, तो उसमें तांबे का सिक्का डाल दिया करते थे। आज तांबे के सिक्के चलन में नहीं है, लेकिन फिर भी तब से चली आ रही इस प्रथा को लोग आज भी मान रहे हैं।

हालांकि, इसके अलावा ज्योतिष में भी कहा गया है कि अगर किसी तरह का ग्रह दोष दूर करना हो, तो उसके लिए जल में सिक्के और कुछ पूजा सामग्री को प्रवाहित करने चाहिए। ज्योतिष में यह भी कहा गया है कि अगर बहते पानी में चांदी का सिक्का डाला जाए, तो उससे अशुभ चुद्र का दोष समाप्त हो जाता है। यही नहीं, पानी में सिक्का डालने की प्रथा को एक प्रकार का दान भी कहा गया है। कुछ लोगों का ये भी मानना होता है कि अपनी कमाई का कुछ अंश सिक्के के रूप में नदी में फेंकने से तरक्की होती है ।

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2. चूड़ियों का महत्व

चूड़ियों का महत्व

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पुराने समय मे ज्यादातर महिलायें सोने-चांदी की चूड़ियाँ पहना करती थी। माना जाता है की सोने-चांदी के घर्षण से शरीर को इनके शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जिससे महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ मिलता है। महिलायें पुरुषों से कमजोर होती है। चूड़ियाँ उनके हाथो को मजबूत और शक्तिशाली बनाती हैं।

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3. बच्चों का कान छेदन

बच्चों का कान छेदन

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विज्ञान कहता है कि कर्णभेद से मस्तिष्क में रक्त का संचार समुचित प्रकार से होता है। इससे बौद्घिक योग्यता बढ़ती है। और बच्चो के चेहरे पर चमक आती है। इसके कारण बच्चा बेहतर ज्ञान प्राप्त कर लेता है।

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4.  ज़मीन पर बैठ कर भोजन करना

ज़मीन पर बैठ कर भोजन करना

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जमीन पर बैठकर खाना खाते समय हम एक विशेष योगासन की अवस्था में बैठते हैं, जिसे सुखासन कहा जाता है। सुखासन पद्मासन का एक रूप है। सुखासन से स्वास्थ्य संबंधी वे सभी लाभ प्राप्त होते हैं जो पद्मासन से प्राप्त होते हैं। बैठकर खाना खाने से हम अच्छे से खाना खा सकते हैं। इस आसन से मन की एकाग्रता बढ़ती है। जबकि इसके विपरित खड़े होकर भोजन करने से तो मन एकाग्र नहीं रहता है।बैठ कर खाना खाने से मोटापा, अपच, कब्ज, एसीडीटी आदि पेट संबंधी बीमारियों नहीं होती हैं, जबकि इसके विपरीत खड़े होकर खाना खाने से कब्ज, गैस, घुटनों का दर्द, कमर दर्द आदि की परेशानी हो सकती है। 

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5. हाथों में मेहंदी लगाना

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हाथों में मेहंदी लगाना

शादी-ब्याह, तीज-त्योहार पर हाथों-पैरों में मेंहद लगायी जाती है, ताकि महिलाएं सुंदर दिखें। वैज्ञानिक तर्क- मेंहदी एक जड़ी बूटी है, जिसके लगाने से शरीर का तनाव, सिर दर्द, बुखार, आदि नहीं आता है। शरीर ठंडा रहता है और खास कर वह नस ठंडी रहती है, जिसका कनेक्शन सीधे दिमाग से है। लिहाजा चाहे जितना काम हो, टेंशन नहीं आता। 

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6. सर पे चोटी रखना

सर पे चोटी रखना

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सिर पर चोंटी रखने की परंपरा को हिन्दुत्व की पहचान तक माना जाता है । असल में जिस स्थान पर शिखा यानि कि चोंटी रखने की परंपरा है, वहा पर सिर के बीचों-बीच सुषुम्ना नाड़ी का स्थान होता है।सुषुम्रा नाड़ी इंसान के हर तरह के विकास में बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चोटी सुषुम्रा नाड़ी को हानिकारक प्रभावों से बचाती है।

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7. भोजन के अंत में मीठा खाना

भोजन के अंत में मीठा खाना

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जब हम कुछ मसालेदार भोजन खाते हैं, तो हमारे शरीर एसिड बनने लगता है, जिससे हमारा खाना पचता है और यह एसिड ज्यादा ना बने इसके लिए आखिर में मिठा खाने का प्रचलन है, जो पाचन प्रक्रिया शांत करती है। मीठा में सबसे अच्छा देसी गुड़। 

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8. तुलसी के पेड़ की क्यों पूजा होती है

तुलसी के पेड़ की क्यों पूजा होती है

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तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्ध‍ि आती है। सुख शांति बनी रहती है। वैज्ञानिक तर्क- तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा, तो इसकी पत्त‍ियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियां दूर होती हैं। तुलसी में विद्यमान रसायन वस्तुतः उतने ही गुणकारी हैं, जितना वर्णन शास्रों में किया गया है। यह कीटनाशक है, कीटप्रतिकारक तथा खतरनाक जीवाणुनाशक है। विशेषकर एनांफिलिस जाति के मच्छरों के विरुद्ध इसका कीटनाशी प्रभाव उल्लेखनीय है।

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9. पीपल के वृक्ष की पूजा

पीपल के वृक्ष की पूजा

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पीपल की उपयोगिता और महत्ता वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों कारणों से है। यह वृक्ष अन्य वृक्षों की तुलना में वातावरण में ऑक्सीजन की अधिक-से-अधिक मात्रा में अभिवृद्धि करता है। यह प्रदूषित वायु को स्वच्छ करता है और आस-पास के वातावरण में सात्विकता की वृद्धि भी करता है। इसके संसर्ग में आते ही तन-मन स्वतः हर्षित और पुलकित हो जाता है। यही कारण है कि इस वृक्ष के नीचे ध्यान एवं मंत्र जप का विशेष महत्व है।

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10. हाथ जोड़कर नमस्ते करना 

हाथ जोड़कर नमस्ते करना

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जब किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं। वैज्ञानिक तर्क- जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्च‍िमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते। अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा।

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11. माथे पर कुमकुम/तिलक 

माथे पर कुमकुम/तिलक

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महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं। वैज्ञानिक तर्क- आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोश‍िकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता है।

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12. दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना 

दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना

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दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है, तो लोग कहते हैं कि बुरे सपने आयेंगे, भूत प्रेत का साया आ जायेगा, आदि। इसलिये उत्तर की ओर पैर करके सोयें। वैज्ञानिक तर्क- जब हम उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर संचारित होने लगता है। इससे अलजाइमर, परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है।

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13. सूर्य नमस्कार 

सूर्य नमस्कार

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हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परम्परा है। वैज्ञानिक तर्क- पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती हैं, तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है।

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14. व्रत रखना

व्रत रखना

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कोई भी पूजा-पाठ या त्योहार होता है, तो लोग व्रत रखते हैं। वैज्ञानिक तर्क- आयुर्वेद के अनुसार व्रत करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है, यानी उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी रोगों, मधुमेह, आदि रोग भी जल्दी नहीं लगते।

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15. चरण स्पर्श करना

चरण स्पर्श करना

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हिंदू मान्यता के अनुसार जब भी आप किसी बड़े से मिलें, तो उसके चरण स्पर्श करें। यह हम बच्चों को भी सिखाते हैं, ताकि वे बड़ों का आदर करें। वैज्ञानिक तर्क- मस्त‍िष्क से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है। इसे कॉसमिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं। इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है, या तो बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक या फिर छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक।

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16. मूर्ति पूजन

मूर्ति पूजन

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हिंदू धर्म में मूर्ति का पूजन किया जाता है। वैज्ञानिक तर्क- यरि आप पूजा करते वक्त कुछ भी सामने नहीं रखेंगे तो आपका मन अलग-अलग वस्तु पर भटकेगा। यदि सामने एक मूर्ति होगी, तो आपका मन स्थ‍िर रहेगा और आप एकाग्रता ठीक ढंग से पूजन कर सकेंगे।

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17. मंदिर क्यों जाते हैं 

मंदिर क्यों जाते हैं

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मंदिर वो स्थान होता है, जहां पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। मंदिर का गर्भगृह वो स्थान होता है, जहां पृथ्वी की चुंबकीय तरंगें सबसे ज्यादा होती हैं और वहां से ऊर्जा का प्रवाह सबसे ज्यादा होता है। ऐसे में अगर आप इस ऊर्जा को ग्रहण करते हैं, तो आपका शरीर स्वस्थ्य रहता है। मस्त‍िष्क शांत रहता है।

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18. हवन या यज्ञ करना 

हवन या यज्ञ करना

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किसी भी अनुष्ठान के दौरान यज्ञ अथवा हवन किया जाता है। वैज्ञानिक तर्क- हवन सामग्री में जिन प्राकृतिक तत्वों का मिश्रण होता है, वह और कर्पुर, तिल, चीनी, आदि का मिश्रण के जलने पर जब धुआं उठता है, तो उससे घर के अंदर कोने-कोने तक कीटाणु समाप्त हो जाते हैं। कीड़े-मकौड़े दूर भागते हैं।

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19. महिलाएं क्यों पहनती हैं बिछिया 

महिलाएं क्यों पहनती हैं बिछिया

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हमारे देश में शदीशुदा महिलाएं बिछिया पहनती हैं। वैज्ञानिक तर्क- पैर की दूसरी उंगली में चांदी का बिछिया पहना जाता है और उसकी नस का कनेक्शन बच्चेदानी से होता है। बिछिया पहनने से बच्चेदानी तक पहुंचने वाला रक्त का प्रवाह सही बना रहता है। इसे बच्चेदानी स्वस्थ्य बनी रहती है और मासिक धर्म नियमित रहता है। चांदी पृथ्वी से ऊर्जा को ग्रहण करती है और उसका संचार महिला के शरीर में करती है।

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20. क्यों बजाते हैं मंदिर में घंटा 

क्यों बजाते हैं मंदिर में घंटा

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हिंदू मान्यता के अनुसार मंदिर में प्रवेश करते वक्त घंटा बजाना शुभ होता है। इससे बुरी शक्त‍ियां दूर भागती हैं। वैज्ञानिक तर्क- घंटे की ध्वनि हमारे मस्त‍िष्क में विपरीत तरंगों को दूर करती हैं और इससे पूजा के लिय एकाग्रता बनती है। घंटे की आवाज़ 7 सेकेंड तक हमारे दिमाग में ईको करती है। और इससे हमारे शरीर के सात उपचारात्मक केंद्र खुल जाते हैं। हमारे दिमाग से नकारात्मक सोच भाग जाती है।

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जामुन ( Black Berry )

जामुन (Black Berry)

आजकल बाजार में काले - काले छोटे - छोटे जामुन देखने को मिलते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, जामुन (Jamun fruit) के बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं। इन औषधीय गुणों के कारण जामुन के फायदे अनेक हैं। गर्मी के मौसम में आम के आने के समय जामुन (black berry) भी आ जाता है। यह फल रसीला होने के साथ-साथ प्रोटीन, विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनोइड, मैंगनीज, पोटेशियम, फास्फोरस और कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत हैं। 

जामुन के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

जामुन क्या है?

औषधीय रूप में जामुन के बीज, पत्ते तथा छाल का ही प्रयोग किया जाता है। जामुन की मुख्य प्रजाति के अतिरिक्त पाई जाने वाली अन्य प्रजातियां कम गुण वाली होती है। जामुन की पांच प्रजातियां पायी जाती हैं,

जानते हैं जामुन के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

आयुर्वेद में जामुन को सबसे ज्यादा मधुमेह को नियंत्रण करने के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही जामुन, खाना को हजम करने के साथ-साथ दांतों के लिए, आंखों के लिए, पेट के लिए, चेहरे के लिए, किडनी स्टोन के लिए भी फायदेमंद होता है। जामुन में आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेड भी होता है, इसलिए ये बच्चों के सेहत के लिए भी बहुत अच्छा होता है।

जामुन के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

मधुमेह को नियंत्रित करता है

आयुर्वेद मधुमेह से लड़ने के लिए जामुन खाने की सलाह देता है। इस फल के बीज में जैम्बोलिन और जैम्बोसाइन नामक सक्रिय तत्व होते हैं, जो रक्त में जारी शर्करा की दर को धीमा कर देते हैं और शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ाते हैं। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने के कारण यह शुगर के रोगियों के लिए उपयुक्त है। यह स्टार्च को ऊर्जा में परिवर्तित करता है और मधुमेह के लक्षणों को कम करता है जैसे बार-बार पेशाब आना। 

स्वस्थ हृदय के लिए

जामुन उच्च मात्रा में पोटेशियम से भरा हुआ है। दिल से संबंधित बीमारियों को दूर रखने में यह बेहद फायदेमंद है। जामुन का नियमित सेवन धमनियों को सख्त होने से रोकता है, जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस होता है। यह उच्च रक्तचाप के विभिन्न लक्षणों को कम करता है, जिससे स्ट्रोक और कार्डियक अरेस्ट का खतरा कम होता है। 

विटामिन C से भरपूर

विटामिन C का एक उत्कृष्ट स्रोत होने के कारण इसके कई फायदे हैं। विटामिन-C या एस्कॉर्बिक एसिड के एंटीऑक्सीडेंट गुण घावों को भरने, दांतों, हड्डियों और कार्टिलेज को मजबूत करने में मदद करते हैं। इसे व्यापक रूप से एक इम्युनिटी बूस्टर के रूप में भी जाना जाता है

वजन घटाने में कारगर

कम कैलोरी और उच्च फाइबर होने के कारण, जामुन वजन घटाने वाले सभी आहारों और व्यंजनों में एक आदर्श फल है। यह आपके पाचन में सुधार करता है और औषधीय गुण शरीर के चयापचय को बढ़ावा देने के अलावा वॉटर रिटेंशन को कम करने में मदद करते हैं।

जामुन के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

एनीमिया में फायदेमंद

जामुन में आयरन की प्रचुरता इसे रक्त को शुद्ध करने वाले प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में से एक बनाती है, लाल रक्त कोशिकाओं और रक्त के हीमोग्लोबिन की संख्या को बढ़ाती है। इसके अलावा यह शरीर को कमजोरी और थकान से उबरने में मदद करता है।

पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद

जामुन फाइबर से भरा हुआ है, जो बीमारियों को रोकता है। ये पाचन में सहायता करता है और कब्ज, बाउल डिसऑर्डर, घबराहट, दस्त और पेचिश जैसी कई गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं को ठीक करता है। 

मुँहासे दूर करने में  

जामुन के रस का उपयोग पिम्पल्स यानि मुंहासों को कम करने किया जाता है। इसके लिए जामुन या इसकी पत्तियों के रस को त्वचा पर लगाने से ये अधिक मात्रा में तैल को त्वचा पर आने से रोकता है, जिससे पिम्पल्स जैसी  समस्याओ में आराम मिलता है। जामुन में कषाय गुण होने के कारण त्वचा के विकारो में फायदेमंद होता है। 

त्वचा और आँखों के लिए 

जामुन का त्वचा के रोगों को दूर करने के लिए आंतरिक और बाहय दोनों प्रकार से उपयोग कर सकते हैं। जामुन की छाल एक अच्छी रक्तशोधक होती है, जो कि खून को साफ़ कर त्वचा के रोगो को दूर करती है। साथ ही बाहय रूप से प्रयोग के करने पर जामुन कषाय होने से त्वचा रोग में लाभदायक होता है। जामुन का रस स्किन पर लगाने से पिम्पल्स जैसे विकारो से आराम मिलता है।

जामुन के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

आँखों के बीमारी 

बच्चों हो या बड़े, सभी को आंखों से संबंधित परेशानी होती ही हैं। आंखों से संबंधित कई तरह के विकार होते हैं, जैसे- आंखों का दुखना। इसमें जामुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। जामुन के 15-20 कोमल पत्तों को 400 मिली पानी में पका लें। जब यह काढ़ा एक चौथाई बच जाए, तो इससे आंखों को धोएं। इससे लाभ होता है।

मोतियाबिंद रोग में 

अनेक लोगों को मोतियाबिंद की समस्या होती है, इसमें जामुन बहुत ही काम आता है। जामुन की गुठली के चूर्ण को शहद में अच्छी तरह से मिला लें। इसकी तीन-तीन ग्राम की गोलियां बना लें। रोज 1-2 गोली सुबह-शाम खाएं। इन्हीं गोलियों को शहद में घिसकर काजल की तरह लगाएं। इससे मोतियाबिन्द में लाभ मिलता है।

दांत दर्द के लिए

दांत संबंधी किसी भी समस्या में जामुन फायदेमंद होता है। जामुन के पत्तों की राख बना लें। इससे दांत और मसूड़ों पर मलने से दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं। जामुन के पके हुए फलों के रस को मुंह में भरकर, अच्छी तरह हिलाकर कुल्ला करें। इससे पाइरिया ठीक होता है।

मुंह के छाले में 

अक्सर खान-पान में बदलाव होने पर मुँह में छाले होने लगते हैं। जामुन के पत्तों के रस से कुल्ला करने पर मुंह के छालों में लाभ होता है। 10-15 मिली जामुन के फल के रस का नियमित सेवन करें।

जामुन के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

पेचिश में 

  • 2-5 ग्राम जामुन के पेड़ की छाल के चूर्ण में 2 चम्मच मधु मिला लें। इसे 250 मिली दूध के साथ पिएं। इससे पेचिश में फायदा होता है।
  • 10 ग्राम जामुन के पेड़ की छाल को 500 मिली पानी में पकाएं। जब यह एक चौथाई बच जाए तो पिएं। इससे पेचिश में लाभ मिलता है। इस काढ़ा को 20-30 मिली की मात्रा में दिन में 3 बार पीना चाहिए।

बवासीर या पाइल्स के दर्द में 

पाइल्स या बवासीर होने पर जामुन के कोमल कोपलों के 20 मिली रस में, थोड़ी-सी शक्कर मिला लें। इसे दिन में तीन बार पीने से बवासीर से बहने वाला खून बन्द हो जाता है।

पीलिया में

पीलिया होने पर जामुन का सेवन करें। जामुन के 10-15 मिली रस में 2 चम्मच मधु मिला लें। इसका सेवन करने से पीलिया, खून की कमी तथा रक्त-विकार में लाभ होता है।

जामुन के नुकसान (Side Effects of Black Berry)

जामुन का पका हुआ फल अधिक खाने से पेट और फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। यह देर से पचता है, कफ बढ़ाता है, तथा फेफड़ों के विकार का कारण बनता है। इसको अधिक खाने से बुखार भी आने लगता है। इसमें नमक मिलाकर खाना चाहिए।

जामुन के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

विभिन्न भाषाओं में जामुन के नाम

Sanskrit– फलेन्द्रा, राजजम्बू, महाफला, सुरभिपत्रा, महाजम्बू, जम्बू;

Hindi– बड़ी जामुन, फड़ेना, फलेन्द्र, राजजामुन;

Assamese– जमू (Jamu);

Urdu– जामन (Jaman);

Oriya– जामो (Jamo), भूतोजामो (Bhotojamo);

Konkani– जम्बोल (Jambol);

Kannada– जम्बुनेराले (Jambunaerale), नराला (Narala);

Gujarati– जाम्बु (Jambu), झम्बूडी (Jhambudi);

Telugu– नीरेडु (Neredu), जम्बूवू (Jambuvu);

Tamil– नवल (Naval),सम्बल (Sambal);

Bengali– जाम (Jam), कालाजाम (Kalajam);

Nepali– कालो जामुन (Kalo jaamun);

Punjabi– जामूल (Jamul);

Marathi– जाम्बूल (Jambul), जामन (Jaman), राजाजाम्बूल (Rajajambula);

Malayalam– नवल (Naval), पेरीनरल (Perinnaral)

English (jamun in English)– ब्लैक प्लम (Black plum), जम्बोलन प्लम (Jambolan plum), Jambul Tree (जम्बुल ट्री)।

माँ होने का एहसास

माँ होने का एहसास


Rupa Oos ki ek Boond
“औरो के जोर पर अगर उड़कर दिखाओगे,
तो अपने पैरों से उड़ने का हुनर भूल जाओगे..”

माँ होने का एहसास

 अनोखा होता है,

अपनी नींद अपने बच्चे को दे के.. उसे अपनी बाहों में ले के... उसे अपने सीने से लगा के.. 

उसकी सूरत को निहारते

 कभी जी नही भरता है.

माँ होने का एहसास 

अनोखा होता है..!!


आँखे बंद कर के 

तेरी अठखेलियाँ ही दिखे.. 

तुझमे खुद का बचपन दिखे

अपने चारों ओर,अपने आसपास अपनी धड़कनें हँसती गाती दिखें तेरे लिए ये मेरा मन सदा

 ममता के सागर में डूबता है...

माँ होने का एहसास 

अनोखा होता है...!!


सारे पल जी लू मैं तेरे साथ.

ऐ खुदा तेरा शुक्रिया

जो तू है मेरे पास...

तुझ में किसी की नज़र न लगे

कयामत के दिन तक तू खुश रहे साथ तेरा दिल खुश करता है...

माँ होने का एहसास 

अनोखा होता है...!!


  तेरे माँ- माँ कहने पर 

  मन पंछी बन उड़ता है

 तेरे नन्हे हाथों को चूम ये मन भविष्य के सपने संजोता है...

माँ होने का एहसास 

अनोखा होता है...!!


समय चक्र के बढ़ने से

तेरी निश्छलता आँखों मे दिखेगी . 

पुकारे जब तू मुझे ऐ मां

 लिपट के मुझसे छिप जाती है... 

देखकर मुझे तेरे मुस्कुराने का पल सबसे हसीन होता है...

माँ होने का एहसास

 अनोखा होता है...!!


 एक तेरी आह पर मैं भागती हूँ

 आती हूँ बिटिया हर लम्हे में

 कभी बन के मां कभी होके सखी

 .. समय के उड़ते हुए ये पल 

  कहाँ वापस आ पाएंगे

 सोच के इक दिन तेरी विदाई 

 मेरा दिल रोता है....

 माँ होने का एहसास

 अनोखा होता है....!!


अपनी ममता की छांव में सदा तुझे रखूंगी 

तेरी खुशियो के लिए सदा तेरी परछायीं बन मिलूंगी...

मेरे कष्ट कंटकों से ही

तेरा जीवन सुमन खिलता बै

माँ होने का एहसास 

अनोखा होता है....!!


*हर माँ की कलम की*....✍️

Rupa Oos ki ek Boond

बदल जाओ वक्त के साथ,
या फिर वक्त बदलना सीखो,
मजबूरियों को मत कोसो,
हर हाल में चलना सीखो..

अच्छाई पलट - पलट कर वापस आती रहती है

 अच्छाई पलट - पलट कर वापस आती रहती है

ब्रिटेन के स्कॉटलैंड में फ्लेमिंग नाम का एक गरीब किसान था। एक दिन वह अपने खेत पर काम कर रहा था। अचानक पास में से किसी के चीखने की आवाज सुनाई पड़ी। किसान ने अपना साजो सामान व औजार फेंका और तेजी से आवाज की तरफ लपका।

अच्छाई पलट - पलट कर वापस आती रहती है

आवाज की दिशा में जाने पर उसने देखा कि एक बच्चा दलदल में डूब रहा था। वह बालक कमर तक कीचड़ में फंसा हुआ बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा था। वह डर के मारे बुरी तरह कांप पर रहा था और चिल्ला रहा था।

किसान ने आनन-फानन में लंबी टहनी ढूंढी। अपनी जान पर खेलकर उस टहनी के सहारे बच्चे को बाहर निकाला। अगले दिन उस किसान की छोटी सी झोपड़ी के सामने एक शानदार गाड़ी आकर खड़ी हुई। उसमें से कीमती वस्त्र पहने हुए एक सज्जन उतरे। 

उन्होंने किसान को अपना परिचय देते हुए कहा - "मैं उस बालक का पिता हूं और मेरा नाम राँडॉल्फ चर्चिल है।" फिर उस अमीर राँडाल्फ चर्चिल ने कहा कि वह इस एहसान का बदला चुकाने के लिए कुछ देना चाहता हूँ।  फ्लेमिंग नामक उस किसान ने उन सज्जन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

उसने कहा, "मैंने जो कुछ किया उसके बदले में मैं कोई पैसा नहीं लूंगा। किसी को बचाना मेरा कर्तव्य है, मानवता है, इंसानियत है और उस मानवता इंसानियत का कोई मोल नहीं होता।"

इसी बीच फ्लेमिंग का बेटा झोपड़ी के दरवाजे पर आया। उस अमीर सज्जन की नजर अचानक उस पर गई तो उसे एक विचार सूझा ।

उसने पूछा - "क्या यह आपका बेटा है ?"

किसान ने गर्व से कहा- "हां यह मेरा बेटा है !"

उस व्यक्ति ने अब नए सिरे से बात शुरू करते हुए किसान से कहा - "ठीक है अगर आपको मेरी कीमत मंजूर नहीं है, तो ऐसा करते हैं कि आपके बेटे की शिक्षा का भार मैं अपने ऊपर लेता हूं। मैं उसे उसी स्तर की शिक्षा दिलवाने की व्यवस्था करूंगा जो अपने बेटे को दिलवा रहा हूं। फिर आपका बेटा आगे चलकर एक ऐसा इंसान बनेगा , जिस पर हम दोनों गर्व महसूस करेंगे।"

किसान ने सोचा "मैं तो अपने पुत्र को उच्च शिक्षा दिला पाऊंगा नहीं और ना ही सारी सुविधाएं जुटा पाऊंगा, जिससे कि यह बड़ा आदमी बन सके ।अतः इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता हूँ।"

बच्चे के भविष्य की खातिर फ्लेमिंग तैयार हो गया। अब फ्लेमिंग के बेटे को सर्वश्रेष्ठ स्कूल में पढ़ने का मौका मिला। आगे बढ़ते हुए उसने लंदन के प्रतिष्ठित सेंट मेरीज मेडिकल स्कूल से स्नातक डिग्री हासिल की। फिर किसान का यही बेटा पूरी दुनिया में "पेनिसिलिन" का आविष्कारक महान वैज्ञानिक सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग के नाम से विख्यात हुआ।

लेकिन

यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती। कुछ वर्षों बाद, उस अमीर के बेटे को निमोनिया हो गया और उसकी जान सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग द्वारा बनाए गए पेनिसिलीन के इंजेक्शन से ही बची। उस अमीर चर्चिल के बेटे का नाम था- विंस्टन चर्चिल, जो दो बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे। 

हैं न आश्चर्यजनक संजोग।

इसलिए ही कहते हैं कि व्यक्ति को हमेशा अच्छे काम करते रहना चाहिए। क्योंकि हमारा किया हुआ काम आखिरकार लौटकर हमारे ही पास आता है। यानी अच्छाई पलट - पलट कर आती रहती है। यकीन मानिए मानवता की दिशा में उठाया गया प्रत्येक कदम आपकी  स्वयं की चिंताओं को कम करने में मील का पत्थर साबित होगा।

कुँए में उतरने के बाद
बाल्टी झुकती है,
लेकिन झुकने के बाद,
भर कर ही बाहर निकलती है।

यहीं जिन्दगी जीने का सार हैं।

जीवन भी कुछ ऐसा ही है,
जो झुकता है वो अवश्य,
कुछ न कुछ लेकर ही उठता है।

English Translate

goodness keeps coming back

There was a poor farmer named Fleming in Scotland, UK. One day he was working on his farm. Suddenly someone's scream was heard from nearby. The farmer threw away his equipment and tools and quickly ran towards the sound.
goodness keeps coming back
On going in the direction of the voice, he saw that a child was drowning in the swamp. The boy was stuck in waist-deep mud and was struggling to get out. He was trembling badly with fear and was crying out.

The farmer hurriedly found a long branch. Risking his life, he pulled the child out with the help of that branch. The next day, a magnificent vehicle came and stood in front of that farmer's small hut. A gentleman wearing expensive clothes got down from it.

Introducing himself to the farmer, he said - "I am the father of that child and my name is Randolph Churchill." Then that rich Randalph Churchill said that he wanted to give something to repay this favor. That farmer named Fleming rejected the proposal of that gentleman.

He said, "I will not take any money in return for what I did. It is my duty to save someone, it is humanity, it is humanity and that humanity has no value."

Meanwhile Fleming's son came to the door of the hut. When the eyes of that rich gentleman suddenly fell on him, he got an idea.

He asked - "Is this your son?"

The farmer proudly said - "Yes, this is my son!"

The man started talking afresh and said to the farmer - "Okay if you don't accept my price, then do it so that I take the burden of your son's education on myself. I will give him the same level of education." I will arrange for the education that I am getting my son. Then your son will grow up to be a person of whom we will both be proud."

The farmer thought, "I will not be able to give higher education to my son, nor will I be able to collect all the facilities, so that he can become a big man. So I accept this proposal."

For the sake of the child's future, Fleming agreed. Now Fleming's son got a chance to study in the best school. Moving on, she graduated from the prestigious St. Mary's Medical School in London. Then this son of the farmer became famous all over the world as the great scientist Sir Alexander Fleming, the inventor of "Penicillin".

But

This story does not end here. A few years later, the rich man's son developed pneumonia and his life was saved only by an injection of penicillin created by Sir Alexander Fleming. The name of the son of that rich Churchill was Winston Churchill, who was the Prime Minister of Britain twice.

Isn't it a wonderful coincidence.

That is why it is said that a person should always keep doing good deeds. Because the work done by us ultimately comes back to us. Means the goodness keeps on coming again and again. Believe me, every step taken in the direction of humanity will prove to be a milestone in reducing your own worries.

after landing in the well
bucket tilts
But after bowing
It comes out only after being filled.

This is the essence of living life.

life is like that too,
The one who bows down must
He wakes up with something or the other.

छत्तीसगढ़ और मेघालय का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Chhattisgarh and Meghalaya ||

छत्तीसगढ़ और मेघालय का राजकीय/राज्य पक्षी

पहाड़ी मैना (Gracula religiosa peninsularis)/मैना (Mynah)

भारत देश के अलग अलग राज्य के  राजकीय/राज्य पक्षीयों  की चर्चा को आगे बढ़ाते हुए आज बात करते हैं छत्तीसगढ़ और मेघालय के राजकीय पक्षी की। हूबहू इंसानों की तरह आवाज निकालने में माहिर है, छत्तीसगढ़ और मेघालय की राजकीय पक्षी "मैना (Mynah)"

छत्तीसगढ़ का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Chhattisgarh ||

वर्ष 2001 में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन उपरांत राज्य के राजकीय के राजकीय पशु, पक्षी इत्यादि चिन्हित कर घोषित किये हैं। वर्ष 2002 में  “पहाड़ी मैना” को छत्तीसगढ़ का राजकीय/राज्य पक्षी घोषित किया गया। मुख्यतः यह बस्तर क्षेत्र में पाई जाती है। इसे “कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान” में संरक्षित किया गया है। पहाड़ी मैना का जीवनकाल औसतन 8 वर्ष होता है।  

छत्तीसगढ़ का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Chhattisgarh ||

पहाड़ी मैना एक छोटे आकार की चिड़िया है। इसे अंग्रेजी में “Hill Myna” कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम “Gracula Religiosa Peninnsularis” है। इसकी सबसे ख़ास बात यह है कि यह हूबहू मनुष्यों की बोली की नक़ल कर लेते हैं। तोते से भी स्पष्ट मनुष्यों की आवाज़ की नक़ल करने के कारण पहाड़ी मैना को ‘mimic bird’ भी कहा जाता है। पहाड़ी मैना चमकीले काले रंग का हल्की हरी आभा वाला पक्षी है। यह आकार में 28 से 30 सेमी लंबा और वजन में 200 ग्राम से 250 ग्राम भारी होता है। बैठे हुए इसके काले पंख ही दिखाई देते हैं, लेकिन उड़ते समय इसके सफ़ेद पंख देखे जा सकते हैं। इसकी मजबूत चोंच नारंगी रंग की होती और पैर पीले रंग के होते हैं। इसके सिर और आँखों के पास पीले रंग के धब्बे होते हैं। नर और मादा पहाड़ी मैना एक समान दिखते हैं। अतः इनमें अंतर कर पाना कठिन होता है। 

छत्तीसगढ़ का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Chhattisgarh ||

पहाड़ी मैना सर्वाहारी पक्षी है। यह छोटे कीड़े-मकोड़े, अनाज के दाने, फल, पत्ती, घास-फूंस खाता है तथा फूलों का रस पीता है। पहाड़ी मैना समाजिक पक्षी है, जो समूह बनाकर रहते हैं। ये 2 से 8 के समूह में रहते हैं। ये एक बार में 2 से 3 अंडे देती हैं। इनके अंडे गहरे नीले रंग के होते हैं, जिसमें लाल-भूरे स्पॉट्स होते हैं। यह 14 से 18 दिन तक अंडों को सेते हैं। अंडों को सेने और उसकी देखभाल का कार्य नर और मादा पहाड़ी मैना दोनों मिलकर करते है। अंडों से बच्चे निकलने के बाद उनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी भी दोनों साथ मिलकर निभाते हैं। 

छत्तीसगढ़ में यह बस्तर क्षेत्र के जंगलों में पाई जाती है। दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागाँव, जगदलपुर, कांगेर घातिम गुप्तेश्वर तिरिया क्षेत्र, कुंचा आदि क्षेत्रों में भी इसे विचरण करते देखा जा सकता हैं। ऊँचे-ऊँचे साल के वृक्ष इनका घर हैं। ये कठफोड़वा द्वारा पेड़ों पर बनाये गए खोह में रहती हैं। 

छत्तीसगढ़ का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Chhattisgarh ||

पहाड़ी मैना की संख्या दिन पर दिन कम होती जा रही है और इसे विलुप्तप्राय पक्षियों में शामिल है। अतः इसके संरक्षण और संवर्धन की दिशा में छत्तीसगढ़ शासन प्रयासरत है।

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state bird of chhattisgarh


Taking forward the discussion about the state/state birds of different states of India, today let's talk about the state bird of Chhattisgarh. Chhattisgarh's state bird "Mynah" specializes in making sounds exactly like humans.

After the formation of the state of Chhattisgarh in the year 2001, the state animals, birds etc. have been marked and declared as the state animals of the state. In the year 2002, "Pahari Myna" was declared as the official / state bird of Chhattisgarh. Mainly it is found in Bastar region. It has been preserved in the "Kanger Valley National Park". The average life span of hill myna is 8 years.

छत्तीसगढ़ का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Chhattisgarh ||

The hill myna is a small bird. It is called "Hill Myna" in English. Its scientific name is "Gracula Religiosa Peninnsularis". Its most important thing is that it exactly copies the speech of humans. The mountain myna is also called 'mimic bird' because of its ability to imitate human sounds more clearly than parrots. The hill myna is a bird of bright black color with a slight green tint. It is 28 to 30 cm long in size and 200 grams to 250 grams heavy in weight. Its black wings are visible while sitting, but its white wings can be seen while flying. Its strong beak is orange in color and the feet are yellow. It has yellow spots near its head and eyes. Male and female mountain mynas look alike. Hence it is difficult to differentiate between them.

छत्तीसगढ़ का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Chhattisgarh ||

The mountain myna is an omnivorous bird. It eats small insects, grains, fruits, leaves, grasses and drinks the juice of flowers. Hill Myna is a social bird, which lives in groups. They live in groups of 2 to 8. They lay 2 to 3 eggs at a time. Their eggs are dark blue in colour, with reddish-brown spots. It incubates the eggs for 14 to 18 days. The work of hatching and caring for the eggs is done by both the male and the female hill myna. After the hatching of the eggs, both together share the responsibility of their upbringing.

In Chhattisgarh it is found in the forests of Bastar region. It can also be seen roaming in areas like Dantewada, Bijapur, Narayanpur, Kondagaon, Jagdalpur, Kanger Ghatim Gupteshwar Tiriya area, Kuncha etc. Tall Sal trees are their home. They live in holes made by woodpeckers on trees.

छत्तीसगढ़ का राजकीय/राज्य पक्षी || State Bird Of Chhattisgarh ||

The number of hill myna is decreasing day by day and it is included in endangered birds. Therefore, Chhattisgarh government is making efforts towards its protection and promotion.

भारत के सभी राज्यों के राजकीय पक्षियों की सूची |(List of State Birds of India)

श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)

श्रीमद्भगवद्गीता || अध्याय ग्यारह विश्वरूपदर्शनयोग ||

अथैकादशोऽध्यायःविश्वरूपदर्शनयोग

अध्याय ग्यारह के अनुच्छेद 09 - 14

अध्याय ग्यारह के अनुच्छेद  09 - 14 में संजय द्वारा धृतराष्ट्र के प्रति विश्वरूप का वर्णन है। 

श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)

संजय उवाच

एवमुक्त्वा ततो राजन्महायोगेश्वरो हरिः ।
दर्शयामास पार्थाय परमं रूपमैश्वरम्‌ || 11.9 || 

भावार्थ : 

संजय बोले- हे राजन्‌! महायोगेश्वर और सब पापों के नाश करने वाले भगवान ने इस प्रकार कहकर उसके पश्चात अर्जुन को परम ऐश्वर्ययुक्त दिव्यस्वरूप दिखलाया॥9॥

अनेकवक्त्रनयनमनेकाद्भुतदर्शनम्‌ ।
अनेकदिव्याभरणं दिव्यानेकोद्यतायुधम्‌ ॥
दिव्यमाल्याम्बरधरं दिव्यगन्धानुलेपनम्‌ ।
सर्वाश्चर्यमयं देवमनन्तं विश्वतोमुखम्‌ || 11.10-11 || 

भावार्थ : 

अनेक मुख और नेत्रों से युक्त, अनेक अद्भुत दर्शनों वाले, बहुत से दिव्य भूषणों से युक्त और बहुत से दिव्य शस्त्रों को धारण किए हुए और दिव्य गंध का सारे शरीर में लेप किए हुए, सब प्रकार के आश्चर्यों से युक्त, सीमारहित और सब ओर मुख किए हुए विराट्स्वरूप परमदेव परमेश्वर को अर्जुन ने देखा॥10-11॥

दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता ।
यदि भाः सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मनः || 11.12 || 

भावार्थ : 

आकाश में हजार सूर्यों के एक साथ उदय होने से उत्पन्न जो प्रकाश हो, वह भी उस विश्व रूप परमात्मा के प्रकाश के सदृश कदाचित्‌ ही हो॥12॥

तत्रैकस्थं जगत्कृत्स्नं प्रविभक्तमनेकधा ।
अपश्यद्देवदेवस्य शरीरे पाण्डवस्तदा || 11.13 || 

भावार्थ : 

पाण्डुपुत्र अर्जुन ने उस समय अनेक प्रकार से विभक्त अर्थात पृथक-पृथक सम्पूर्ण जगत को देवों के देव श्रीकृष्ण भगवान के उस शरीर में एक जगह स्थित देखा॥13॥

ततः स विस्मयाविष्टो हृष्टरोमा धनञ्जयः ।
प्रणम्य शिरसा देवं कृताञ्जलिरभाषत || 11.14 || 

भावार्थ : 

उसके अनंतर आश्चर्य से चकित और पुलकित शरीर अर्जुन प्रकाशमय विश्वरूप परमात्मा को श्रद्धा-भक्ति सहित सिर से प्रणाम करके हाथ जोड़कर बोले॥14॥

International Yoga Day - अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस

International Yoga Day - अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day) की आप सभी को बधाई।

International Yoga Day - अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस
कुछ वर्षों पूर्व तक 'योग' शब्द सुनने पर योगी, तपस्वी, महर्षि लोगों की छवि हमारे दिमाग में बनती थी, परन्तु आज ऐसा वक्त है जब बच्चा बच्चा योग से परिचित है। भारत को योग गुरु कहा जाता है। योग प्राचीन भारतीय संस्कृति की बहुमूल्य विरासत है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग लाभकारी है। योग का  अभ्यास शरीर को रोगमुक्त रखता है और मन को शांति देता है। भारत में ऋषि मुनियों के दौर से योगाभ्यास होता आ रहा है।
International Yoga Day - अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस


योग विद्या में शिव को ‘आदि योगी’ माना जाता है, यानी भगवान शिव योग के जनक थे। वेदों के अनुसार योग जीवात्मा और परमात्मा का मिलन है। योग अहंकार का विनाश करता है। जिस पल चित की वृत्तियां समाप्त हो जाएं, तब योग का एक कण प्रारंभ होता है। 

International Yoga Day - अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस

योग आज के जीवन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गई है। योग पूर्णता के साथ जीवन जीने का विज्ञान है। योग न सिर्फ रोग से मुक्ति दिलाता है अपितु ये हमारे आत्विश्वास में बढ़ोत्तरी और मन को शांत रखने में भी मददगार है। 

27 सितंबर 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त महासभा में दुनिया के तमाम देशों से योग दिवस को मनाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वीकार करते हुए महज तीन माह के अंदर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन का ऐलान कर दिया। जिसके बाद अगले वर्ष 2015 में पहली बार विश्व ने योग दिवस मनाया। योग दिवस को मनाने के लिए एक दिन सुनिश्चित किया गया, जो कि 21 जून है। 

21 जून को योग दिवस के तौर पर मनाने की वजह भी है। इस तारीख  को उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है। जिसे ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं। भारतीय परंपरा के अनुसार, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन होता है। सूर्य दक्षिणायन का समय आध्यात्मिक सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए असरदार है। इस कारण प्रतिवर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाते हैं।

International Yoga Day - अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस

योग दिवस 2023 की थीम 

योग दिवस 2023 की थीम'वसुधैव कुटुंबकम के लिए योग' (Yoga for Vasudhaiva Kutumbakam) है। वसुधैव कुटुंबकम का अर्थ है- धरती ही परिवार है। इस थीम से तात्पर्य धरती पर सभी लोगों के स्वास्थ्य के लिए योग की उपयोगिता से है।