Cricket News: Latest Cricket News, Live Scores, Results, Upcoming match Schedules | Times of India

Sportstar - IPL

गुलदाउदी (Guldaudi)/ Chrysanthemum

गुलदाउदी (Guldaudi)

गुलदाउदी (Guldaudi) का नाम सुनते ही फूलों से भरा बगीचा ध्यान में आ जाता है और मन प्रफुल्लित हो उठता है। गुलदाउदी (Guldaudi) के फूल अनेक रंगों के और बहुत ही मनमोहक होते हैं। गुलदाउदी (Guldaudi) का पौधा बगीचों में या गमलों में देखा जा सकता है। यह सिर्फ शोभा बढ़ाने वाला ही नहीं है, अपितु गुलदाउदी (Guldaudi) का प्रयोग औषधीय कार्यों के लिए भी किया जाता है। गुलदाउदी का पौधा घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखता है। 

गुलदाउदी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

गुलदावरी क्या है?

सर्दियों की रानी के नाम से प्रसिद्ध गुलदाउदी एक सजावटी फूलों का पौधा है। इसकी लगभग 30 प्रजातियां पाई जाती हैं। गुलदाउदी के फूल सफेद, नारंगी, पीले, गुलाबी, बैगनी अनेक रंगों के होते हैं। गुलदाउदी की पत्तियां भी आकार में अलग-अलग होती हैं। यह सीधा, कम पत्तों वाला, कुछ ही वर्ष तक जीवित रहने वाला पौधा है। गुलदाउदी के पत्ते पतले, कपास अथवा करेले के पत्तों जैसे कटे हुए तथा अलग-अलग आकार के होते हैं। गुलदाउदी के फूल छोटे और बड़े दो प्रकार के होते हैं। छोटे तथा सफेद अथवा पीले रंग के फूल वाली गुलदाउदी औषधि के लिए अधिक गुणकारी है। गुलदाउदी के पौधे पर फूल लगने का समय सितंबर से फरवरी तक होता है।

गुलदाउदी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

जानते हैं गुलदाउदी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

गुलदाउदी के फूलों और पत्तियों को सुखाकर रखने और जरूरत पड़ने पर इसे पानी में उबालकर चाय की तरह सेवन करने से अनेक प्रकार के रोगों में लाभ देता है। गुलदाउदी के फूलों के अलावा पत्तियां और जड़ भी बहुत फायदेमंद होते हैं। बड़े फूलों की बजाय गुलदाउदी के छोटे फूल अधिक फायदेमंद होते हैं।

माइग्रेन की समस्या

आधासीसी का दर्द यानी माइग्रेन सिरदर्द का एक प्रकार है, जो सिर के केवल आधे हिस्से में होता है। इसलिए इसे आधासीसी का दर्द और आयुर्वेद में अर्धावभेदक भी कहते हैं। इसमें सिर के किसी एक हिस्से में बहुत ही तेज और असहनीय दर्द होता है। गुलदाउदी के पत्तों को पीसकर मस्तक पर लगाने से माइग्रेन के दर्द में आराम मिलता है।

आंखों के लिए

गुलदाउदी के फूलों को पीसकर आंख के बाहर चारों तरफ लगाने से आंखों की जलन, दर्द और खुजली में आराम मिलता है।

गुलदाउदी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

पेट दर्द की समस्या

पेट में गैस बनना और उसके कारण दर्द की परेशानी आज लगभग सभी की समस्या बन गई है। गुलदाउदी के फूलों का काढ़ा बनाकर 20 मिलीलीटर मात्रा में सुबह और शाम पीने से गैस के कारण होने वाले पेट दर्द में आराम मिलता है।

बवासीर की समस्या

गुलदाउदी के पत्तों के 10 से 20 मिलीलीटर काढ़े में 20 ग्राम चीनी मिलाकर पीने से बवासीर रोग में आराम मिलता है।

मूत्र रोग में

गुलदाउदी के 8-10 पत्तों को 2 नग काली मिर्च के साथ पीसकर दिन में दो-तीन बार पिलाने से पेशाब खुलकर आने लगता है और पेशाब की जलन आदि समस्याओं में लाभ होता है।

पथरी की बीमारी

गुलदाउदी के सूखे फूलों को पीसकर 1 से 6 ग्राम में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर खाने से गुर्दे की पथरी टूटकर पेशाब के रास्ते निकल जाती है।

मासिक धर्म की समस्या

गुलदाउदी के 10 से 20 ग्राम फूलों को 240 मिलीलीटर पानी में पकाने पर जब चौथाई शेष रह जाए, तो इस काढ़े को रोजाना सुबह-शाम पीने से मासिक धर्म की कठिनाइयां दूर होती हैं।

गुलदाउदी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

सूजन की समस्या

  • गुलदाउदी के फूलों के रस को लगाने से सूजन ठीक होती है। 
  • 10 ग्राम गुलदाउदी के फूल 3 ग्राम सोंठ और 1 ग्राम सफेद जीरा को मिलाकर पीसकर लेप करने से कफ की वजह से होने वाली सूजन ठीक होती है।

मुंह के छाले की समस्या

गुलदाउदी का उपयोग मुंह के छालों की जलन को कम कर देता है।

कटे जले स्थान पर

कटे जले जगह पर गुलदाउदी के पत्तों को पीसकर लगाने से जलन कम होती है और घाव जल्दी भर जाते हैं।

हृदय की दुर्बलता

गुलदाउदी के फूलों का 4 से 6 ग्राम गुलकंद का सेवन शीत की वजह से उत्पन्न हृदय की धड़कनों को सामान्य करता है। दिल को ताकत देता है और प्रसन्नता पैदा करता है। 

गुलदाउदी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

विभिन्न भाषाओं में गुलदाउदी के नाम

Sanskrit –     सेवन्ती, शतपत्री
Hindi –         गुलदाउदी, सेवती
Urdu –         गुलेदावुदी (Guledawoodi)
Kannada  –  सेवन्तिज (Sevantij)
Gujarati –    गुलदावरी(Guldaveri)
Tamil –       अक्करकरम् (Akkarkaram)
Telugu –     चामुन्ति (Chamunti)
Punjabi –    बागौर (Bagaur), गेन्दी (Gendi)
Malayalam – चेवन्ती(Chevanti)
Marathi –    शेवटी (Shevati)
Manipuri –  चन्द्रमुखी (Chandramukhi)
Arabic –      नसरीन (Nasreen)
गुलदाउदी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

गुलदाउदी के नुकसान (Side Effects of Chrysanthemum)

गुलदाउदी के अधिक मात्रा में प्रयोग करने से दस्त हो सकते हैं।

English Translate

Guldaudi

गुलदाउदी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

On hearing the name of chrysanthemum, a garden full of flowers comes to mind and the mind becomes cheerful. The flowers of chrysanthemum are of many colors and very attractive. The plant of chrysanthemum can be seen in gardens or in pots. It is not only a beauty enhancer, but chrysanthemum is also used for medicinal purposes. Chrysanthemum plant maintains positive energy in the house.

What is chrysanthemum?

Known as the queen of winter, chrysanthemum is an ornamental flowering plant. About 30 species are found in it. The flowers of chrysanthemum are white, orange, yellow, pink, purple in many colors. Chrysanthemum leaves also vary in size. It is an erect, low-leafed plant that lives for only a few years. Chrysanthemum leaves are thin, cut like cotton or bitter gourd leaves and are of different sizes. Chrysanthemum flowers are of two types, small and large. Chrysanthemum with small and white or yellow flowers is more effective for medicine. The flowering time of the chrysanthemum plant is from September to February.

गुलदाउदी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

Know about the benefits, harms, uses and medicinal properties of chrysanthemum

By keeping the flowers and leaves of chrysanthemum dry and after boiling it in water and consuming it like tea, it gives benefit in many types of diseases. Apart from the flowers of chrysanthemum, the leaves and root are also very beneficial. Small flowers of chrysanthemum are more beneficial than large flowers.

migraine problem

Migraine is a type of headache that occurs in only half of the head. That is why it is called migraine pain and in Ayurveda it is also called Ardhavabheka. In this, there is a very sharp and unbearable pain in any one part of the head. Grinding chrysanthemum leaves and applying it on the head provides relief in migraine pain.

for the eyes

Grind the flowers of chrysanthemum and apply it around the outside of the eye, it provides relief in burning, pain and itching of the eyes.

stomach ache problem

The problem of gas formation in the stomach and the pain due to it has become a problem for almost everyone today. Make a decoction of chrysanthemum flowers and take 20 ml quantity in the morning and evening, it provides relief in stomachache due to gas.

piles problem

Mix 20 grams of sugar in 10 to 20 ml decoction of chrysanthemum leaves and take, it provides relief in piles.

गुलदाउदी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

in urinary tract

Grind 8-10 leaves of chrysanthemum with 2 pieces of black pepper and give it two to three times a day, urine starts coming freely and it is beneficial in problems like burning of urine.

stone disease

Grind dried flowers of chrysanthemum and mix equal quantity of sugar candy in 1 to 6 grams and eat, it breaks kidney stones and passes through urine.

menstrual problems

After cooking 10 to 20 grams of chrysanthemum flowers in 240 ml water, when one-fourth remains, then drinking this decoction daily in the morning and evening ends the difficulties of menstruation.

गुलदाउदी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

inflammation problem

  • Swelling is cured by applying the juice of chrysanthemum flowers.
  • Make a paste by mixing 10 grams flowers of chrysanthemum, 3 grams dry ginger and 1 gram white cumin seeds, it ends swelling caused by phlegm.

mouth ulcer problem

The use of chrysanthemum reduces the burning sensation of mouth ulcers.

at the burn site

Applying ground chrysanthemum leaves on the cut burn area reduces burning sensation and wounds get healed quickly.

heart weakness

Flowers of chrysanthemum from 4th to 6th June or Gulkand normalizes the heartbeat caused by cold, gives strength to the heart and creates happiness.

गुलदाउदी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

Sunday.. इतवार ..रविवार

 इतवार (Sunday)

Sunday.. इतवार ..रविवार
"अगर किसी चीज की चाहत हो
और ना मिले तो समझ लेना
की कुछ और लिखा है तेरे तकदीर में...❤"

तुम्हें चाहता वह भी सुन्दर 

तुम्हें चाहता वह भी सुन्दर
जो द्वार-द्वार फिर कर
भीख माँगता कर फैला कर
भूख अगर रोटी की ही मिटी
भूख की जमीन न चौरस पिटी
और चाहता है वह कौर उठाना कोई
देखो, उसमें उसकी इच्छा कैसे रोई

द्वार-द्वार फिर कर
भीख माँगता कर फैला कर
तुम्हें चाहता वह भी सुन्दर
देश का, समाज का
कर्णधार हो किसी जहाज का
पार करे कैसा भी सागर
फिर भी रहता है चलना उसे
फिर भी रहता है पीछे डर

चाहता वहाँ जाना वह भी
नहीं चलाना जहाँ जहाज, नहीं सागर
नहीं डूबने का भी जहाँ डर
तुम्हें चाहता है वह, सुन्दर
जो द्वार-द्वार फिर कर
भीख माँगता कर फैला कर

– सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

Sunday.. इतवार ..रविवार
"शक ना कर मेरी हिम्मत पर,
मैं ख्वाब बुन लेता हूँ,
टूटे धागों को जोड़कर...❤"

फूंक फूंक कर पग धरो : पंचतंत्र / Fuk Fuk kar pag dharo : Panchtantra

फूंक फूंक कर पग धरो

सेवाधर्मः परमगहनो...
सेवा धर्म बड़ा कठिन धर्म है।  
फूंक फूंक कर पग धरो : पंचतंत्र / Fuk Fuk kar pag dharo : Panchtantra

एक जंगल में मदोत्कट नाम का शेर रहता था। उसके नौकर चाकरों में कौवा, गीदड़, बाघ, चीता आदि अनेक पशु थे। एक दिन वन में घूमते घूमते एक ऊंट वहां आ गया। शेर ने ऊंट को देखकर अपने नौकरों से पूछा - "यह कौन सा पशु है? जंगली है या ग्राम्य? 

कौवे ने शेर के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा - "स्वामी, यह पशु ग्राम्य है और आपका भोज्य है। आप इसे खाकर भूख मिटा सकते हैं। 

शेर ने कहा - "नहीं यह हमारा अतिथि है। घर आए को मारना उचित नहीं। शत्रु भी अगर घर आए, तो उसे नहीं मारना चाहिए। फिर यह तो हम पर विश्वास करके हमारे घर आया है। इसे मारना पाप है। इसे अभयदान देकर मेरे पास लाओ। मैं इससे वन में आने का प्रयोजन पूछूंगा।" 

शेर की आज्ञा सुनकर अन्य पशु ऊंट को, जिसका नाम क्रथनक था, शेर के दरबार में लाए। ऊंट ने अपनी दुख भरी कहानी सुनाते हुए बताया कि वह अपने साथियों से बिछड़ कर जंगल में अकेला रह गया है। शेर ने उसे धीरज बंधाते हुए कहा - "अब तुझे ग्राम में जाकर भार ढोने की कोई आवश्यकता नहीं है। जंगल में रहकर हरी भरी घास से सानंद पेट भरो और स्वतंत्रता पूर्वक खेलो कूदो।" 

फूंक फूंक कर पग धरो : पंचतंत्र / Fuk Fuk kar pag dharo : Panchtantra

शेर का आश्वासन मिलने पर ऊँट जंगल में आनंद से रहने लगा। कुछ दिन बाद उस वन में एक मतवाला हाथी आ गया। मतवाले हाथी से अपने अनुचर पशुओं की रक्षा करने के लिए शेर को हाथी से युद्ध करना पड़ा। युद्ध में जीत तो शेर की ही हुई, किंतु हाथी ने भी जब एक बार शेर को सूँड़ में लपेट कर घुमाया, तो उसका अस्थि पंजर हिल गया। हाथी का एक दांत भी शेर की पीठ में चुभ गया था। इस युद्ध के बाद शेर बहुत घायल हो गया था और नए शिकार के योग्य नहीं रहा था। शिकार के अभाव में उसे बहुत दिन से भोजन नहीं मिला था। उसके अनुचर भी जो शेर के अवशिष्ट भोजन से ही पेट पालते थे, कई दिनों से भूखे थे। 

एक दिन उन सब को बुला कर शेर ने कहा - "मित्रों! मैं बहुत घायल हो गया हूं, फिर भी यदि कोई शिकार तुम मेरे पास तक ले आओ, तो मैं उसको मार कर तुम्हारे पेट भरने योग्य मांस अवश्य तुम्हें दे दूंगा।" 

शेर की बात सुनकर चारों अनुचर ऐसे शिकार की खोज में लग गए। किंतु कोई फल ना निकला। तब कौवे और गीदड़ में मंत्रणा हुई। गीदड़ बोला काकराज! अब इधर- उधर भटकने का क्या लाभ? क्यों नहीं इस ऊँट क्रथनक को मारकर ही भूख मिटाएं? 

कौवा बोला - तुम्हारी बात तो ठीक है, किंतु स्वामी ने उसे अभय वचन दिया हुआ है। 

गीदड़ बोला - मैं ऐसा उपाय करूंगा, जिससे स्वामी उसे मारने को तैयार हो जाएं। आप यहीं रहें, मैं स्वयं जाकर स्वामी से निवेदन करता हूं। 

गीदड़ ने तब शेर के पास जाकर कहा - "स्वामी! हमने सारा जंगल छान मारा है, किंतु कोई भी पशु हाथ नहीं आया। अब तो हम सभी इतने भूखे प्यासे हो गए हैं कि एक कदम आगे नहीं चला जाता आपकी भी दशा ऐसी ही है आज्ञा दें तो क्रथनक को ही मार कर उससे भूख शांत की जाए। 

गीदड़ की बात सुनकर शेर ने क्रोध से कहा - "पापी! आगे कभी यह बात मुख से निकाली तो उसी क्षण तेरे प्राण ले लूंगा। जानता नहीं कि उसे मैंने अभय वचन दिया है।" 

गीदड़ - "स्वामी! मैं आपको वचन भंग करने के लिए नहीं कह रहा। आप उस का स्वयं वध ना कीजिए, किंतु यदि वही स्वयं आपकी सेवा में प्राणों की भेंट लेकर आए, तब तो उसके वध में कोई दोष नहीं है। यदि वह ऐसा नहीं करेगा तो हम में से सभी आपकी सेवा में अपने शरीर की भेंट लेकर आपकी भूख शांत करने के लिए आएंगे। जो प्राण स्वामी के काम ना आए उनका क्या उपयोग। स्वामी के नष्ट होने पर अनुचर स्वयं नष्ट हो जाते हैं। स्वामी की रक्षा करना उनका धर्म है।" 

फूंक फूंक कर पग धरो : पंचतंत्र / Fuk Fuk kar pag dharo : Panchtantra

मदोत्कट- यदि तुम्हारा यही विश्वास है तो मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं। 

शेर से आश्वासन पाकर गीदड़ अपने अन्य अनुचर साथियों के पास गया और उन्हें लेकर फिर शेर के सामने उपस्थित हो गया। वह सब अपने शरीर के दान से स्वामी की भूख शांत करने आए थे। गीदड़ उन्हें यह वचन देकर लाया था कि शेर शेष सभी पशुओं को छोड़कर ऊंट को ही मारेगा। 

सबसे पहले कौवे ने शेर के सामने जाकर कहा - स्वामी! मुझे खाकर अपनी जान बचाईए, जिससे मुझे स्वर्ग मिले। स्वामी के लिए प्राण देने वाला स्वर्ग जाता है। वह अमर हो जाता है। 

गीदड़ ने कौवे से कहा - अरे कौवे तू इतना छोटा है कि तेरे खाने से स्वामी की भूख बिल्कुल शांत नहीं होगी। तेरे शरीर में मांस ही कितना है जो कोई खाएगा? मैं अपना शरीर स्वामी को अर्पण करता हूं। 

गीदड़ ने जब अपना शरीर भेंट किया तो बाघ ने उसे हटाते हुए कहा - तू भी बहुत छोटा है, तेरे नख कितने बड़े और विषैले हैं कि जो खाएगा उसे जहर चढ़ जाएगा। इसलिए तू अभय है। मैं अपने को स्वामी को अर्पण करुंगा। मुझे खाकर वे अपनी भूख शांत करें। 

उसे देखकर क्रथनक ने सोचा कि वह भी अपने शरीर को अर्पण कर दे। जिन्होंने ऐसा किया था, उसमें से शेर ने किसी को भी नहीं मारा था। इसीलिए उसे भी मरने का डर नहीं था। यही सोचकर क्रथनक ने भी आगे बढ़कर बाघ को एक ओर हटा दिया और अपने शरीर को शेर को अर्पण किया। तब शेर का इशारा पाकर गीदड़, चीता, बाघ आदि पशु ऊंट पर टूट पड़े और उसका पेट फाड़ डाला। सबने उसके मांस से अपनी भूख शांत की। 

संजीवक ने दमक से कहा - तभी मैं कहता हूं कि छल - कपट से भरे वचन सुनकर किसी को उन पर विश्वास नहीं करना चाहिए और यह कि राजा के अनुचर जिसे मरवाना चाहे उसे किसी न किसी उपाय से मरवा ही देते हैं।निसंदेह किसी ने मेरे विरुद्ध राजा पिंगलक को उकसा दिया है। अब दमनक भाई मैं एक मित्र के नाते तुझ से पूछता हूं कि मुझे क्या करना चाहिए? 

दमनक - मैं तो समझता हूं कि ऐसे स्वामी की सेवा का कोई लाभ नहीं है। अच्छा है कि तुम यहां से जाकर किसी दूसरे देश में घर बनाओ। ऐसी उल्टी राह पर चलने वाले स्वामी का परित्याग करना ही अच्छा है। 

संजीवक - दूर जाकर भी अब छुटकारा नहीं है। बड़े लोगों से शत्रुता लेकर कोई कहीं शांति से नहीं बैठ सकता। अब तो युद्ध करना ही ठीक जंचता है। युद्ध में एक बार ही मौत मिलती है, किंतु शत्रु से डर कर भागने वाला तो प्रतिक्षण चिंतित रहता है। उस चिंता से एक बार की मृत्यु कहीं अच्छी है। 

दकनक ने जब संजीवक को युद्ध के लिए तैयार देखा तो वह सोचने लगा, कहीं ऐसा ना हो, यह अपने पैने सिंघों से स्वामी पिंगलक का पेट फाड़ दे। ऐसा हो गया तो महान अनर्थ हो जाएगा। इसलिए वह फिर संजीवक को देश छोड़कर जाने की प्रेरणा करता हुआ बोला - मित्र! तुम्हारा कहना भी सच है, किंतु स्वामी और नौकर के युद्ध से क्या लाभ? विपक्षी बलवान हो तो क्रोध को पी जाना ही बुद्धिमता है। बलवान से लड़ना अच्छा नहीं। अन्यथा उसकी वही गति होती है, जो टिटिहरे से लड़कर समुंद्र की हुई थी। 

संजीवक ने पूछा - कैसे? 

दमनक ने तब टिटिहरे की यह कथा सुनाई।

घड़े - पत्थर का न्याय

To be continued ...

गेंदा (Marigold)

गेंदा (Marigold)

गेंदा (Marigold) का फूल देखने में जितना ज्यादा खूबसूरत होता है, उसमें उतना ही ज्यादा औषधीय गुण भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गेंदा (Marigold) के कई सारे औषधीय गुण हैं, जिसका उपयोग जड़ी बूटी के लिए किया जाता है। गेंदा (Marigold) का फूल दुनिया में लगभग हर जगह पाया जाता है। गेंदे के फूल का प्रयोग हिंदू धर्म में भगवान की पूजा करते समय भगवान को अर्पित किया जाता है तथा साथ ही इसका उपयोग सजावट के लिए भी किया जाता है।

गेंदा के फूल के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

गेंदा क्या है?

गेंदा लगभग सभी घरों में पाया जाता है और सभी इससे वाकिफ हैं। गेंदे का पौधा अपने सुंदर आकर्षक फूलों और पत्तियों के कारण जाना जाता है। इसके फूल से तेज खुशबू निकलती है, जिसकी वजह से घरों और बगीचों में गेंदे के फूलों को लगाया जाता है। फूलों के रंगों में भिन्नता के अनुसार गेंदा की कई प्रजातियां होती हैं। इन प्रजातियों में हजारा (इसका फूल बड़ा होता है), सुरनाई, कौकहान (लाल और पीले रंग के दल चक्र वाला) प्रजाति मुख्य रूप से पाई जाती है।

जानते हैं गेंदा के फूल के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

गेंदा के फूल के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

गेंदा कटु, कषाय, शीत, लघु, रूक्ष और कफपित्त शामक होता है। 

आंखों की समस्या

  • गेंदे के फूल की कली को पीसकर आंखों के बाहर चारों तरफ लगाने से आंखों के फूलने में लाभ होता है।
  • गेंदे के पत्ते के रस को आंखों के बाहर चारों तरफ लगाने से भी आंखों के रोग में लाभ होता है।

नाक से खून बहने की समस्या

नाक से खून बहने पर गेंदा के पत्ते के 1 से 2 बूंद रस को नाक में डालने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है।

श्वास नली में सूजन होने पर

गेंदा के पौधे से बने 15 से 20 मिलीलीटर शीत कषाय (ठंडे पानी में रात भर रखा गया) रस का सेवन करने से श्वास नली में सूजन की समस्या दूर होती है।

कान दर्द में

2-2 बूंद गेंदा के पत्ते के रस को कान में डालने से कान के दर्द में आराम मिलता है।

खांसी की समस्या

गेंदे के फूल के बीजों की घुंडी का चूर्ण बनाकर 2 से 5 ग्राम चूर्ण, 10 ग्राम शक्कर और एक चम्मच दही मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से खांसी और सांसों के रोग में लाभ होता है।

गेंदा के फूल के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

बवासीर की समस्या

  • 10 ग्राम गेंदे के पत्ते और 2 ग्राम कालीमिर्च को एक साथ पीसकर पीने से बवासीर में लाभ होता है।
  • 5 से 10 ग्राम गेंदे के फूल को घी में भूनकर दिन में 3 बार सेवन करने से बवासीर से होने वाले रक्त स्राव में फायदा मिलता है।
  • 5 से 10 ग्राम गेंदा के फूल के रस को दिन में 2-3 बार सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।

चोट- मोच- सूजन होने पर

  • गेंदे के पंचांग का रस निकालकर चोट - मोच और सूजन वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है।
  • पत्ते के रस को लगाने से घाव और घाव से होने वाले रक्त स्राव मैं आराम मिलता है।

बिवाई फटने पर

जब हाथ या पैर की त्वचा या एड़ी फट जाए, तो गेंदा के पत्तों का रस वैसलीन में मिलाकर हाथ पैर पर मलें। इससे बिवाई और हाथ पैरों की खुश्की दूर होती है।

फोड़ा - फुंसी होने पर

  • गेंदे के पत्तों को पीसकर फोड़े फुंसी और घाव पर लगाने से आराम मिलता है।
  • गेंदा के पत्ते को पीसकर गुनगुना करके लेप करने से फोड़ा फुंसी या डायबिटीज की अवस्था में होने वाले फोड़े फुंसी में लाभ होता है।

मूत्र रोग में

गेंदे के 10 ग्राम पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर दिन में 3 बार पीने से रुका हुआ पेशाब खुलकर आने लगता है।

गेंदा के फूल के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

मासिक धर्म या बवासीर में अधिक रक्तस्राव होने पर

5 से 10 ग्राम गेंदा के फूल को घी में भूनकर दिन में 3 बार सेवन करने से मासिक धर्म तथा बवासीर के दौरान अधिक रक्तस्राव की समस्या में फायदा होता है।

ततैया के काटने पर

ततैया के काटने पर उसके डंक के असर को कम करने के लिए गेंदे के पत्ते को पीसकर डंक वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है। डंक के कारण होने वाला दर्द भी कम हो जाता है।

पथरी की समस्या

20 से 30 मिलीलीटर गेंदा के पत्ते के काढ़े को दिन में 2 बार कुछ दिनों तक सेवन करने से पथरी गल कर निकल जाती है।

दांत दर्द की समस्या 

गेंदा के पत्ते के काढ़े से कुल्ला करने से दांतों के दर्द में आराम मिलता है।

त्वचा के लिए

गेंदे के फूल से बने तेल से चेहरे की मालिश करने पर त्वचा में रक्त का संचार बढ़ता है और त्वचा का रंग निखरता है।

गेंदा के फूल के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

विभिन्न भाषाओं में गेंदा के पौधे का नाम 

Hindi-         गेंदा, गुल्तोरा, कलग, लालमुरुगा, हजारा, मखमली
Sanskrit-     झण्डू, गणेरुक, स्थूलपुष्प
English-     Marigold, African marigold, Big marigold, French marigold,
Urdu-         गेंदा (Genda)
Oriya-         गेन्दु (Gendu)
Konkanni-  गोंडेफूल (Gondephool)
Kannada-    चण्डुमल्लिगे (Chandumallige), सीमेश्यमंतिगे (Seemeshyamantige) 
Gujarati-    गलगोटो (Galgoto), गुल्जहरो (Guljharo), मखमला (Makhamala) 
Tamil-       कानकापुचटी (Kancappucceti)
Telugu-      बाण्टिचेट्टू (Bantichettu), बण्टी (Banti)
Bengali-    गेंदा (Genda)
Nepali-     सयपत्री (Sayapatri)
Marathi-    मखमली (Makhamali), रोजी (Roji), जेंडू (Zendu) 
Malayalam- चेण्डुमल्ली (Chendumalli)
Manipuri-   सनारी (Sanarei)
Arabic-    हजाई (Hajai), हमाहमा (Hamahama)
Persian-    गुलहजारा (Gulhazara), काजेख्रूसा (Kajekharusa), सदाबर्ग (Sadabarg)
गेंदा के फूल के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

गेंदा फूल के नुकसान

गेंदा के फूल के सेवन से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। किसी बीमारी के लिए गेंदा का सेवन करने या गेंदा का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

English Translate

Marigold

The more beautiful the marigold flower is to look at, the more medicinal properties it has. According to Ayurveda, there are many medicinal properties of Marigold, which is used as a herb. Marigold flower is found almost everywhere in the world. Marigold flower is used in Hinduism as an offering to God while worshiping God as well as it is also used for decoration.

What is Marigold?

Marigold is found in almost every household and everyone is aware of it. Marigold plant is known for its beautiful attractive flowers and leaves. Its flower emits a strong fragrance, due to which marigold flowers are planted in homes and gardens. There are many species of marigold according to the variation in the color of the flowers. In these species, Hazara (its flowers are large), Surnai, Kaukahan (red and yellow colored swamps) species are mainly found.

Know about the benefits, harms, uses and medicinal properties of marigold flower

गेंदा के फूल के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

Marigold is bitter, astringent, cold, short, dry and phlegm is sedative.

eye problems

  • Grind the bud of marigold flower and apply it around the outside of the eyes, it is beneficial in the swelling of the eyes.
  • Applying the juice of marigold leaves around the eyes is also beneficial in eye diseases.

nose bleeding problem

In case of bleeding from the nose, putting 1 to 2 drops juice of marigold leaves in the nose stops bleeding from the nose.

inflammation of the respiratory tract

Taking 15 to 20 ml cold kashaya (kept overnight in cold water) juice made from marigold plant ends the problem of inflammation in the respiratory tract.

in ear pain

Putting 2-3 drops of marigold leaves juice in the ear provides relief in earache.

cough problem

Mixing 2 to 5 grams of powder, 10 grams of sugar and one spoon of curd, making a powder of the knob of marigold flowers and taking it thrice a day is beneficial in cough and respiratory diseases.

piles problem

  • Grind 10 grams marigold leaves and 2 grams black pepper together and take, it is beneficial in piles.
  • Roast 5 to 10 grams of marigold flowers in ghee and take it thrice a day, it provides relief in bleeding caused by piles.
  • Taking 5 to 10 grams juice of marigold flower 2-3 times a day is beneficial in bloody piles.

Injury - sprain - swelling

  • Taking out the juice of marigold's almanac and applying it on the injured, sprain and swollen area provides relief.
  • By applying the juice of the leaf, it provides relief in wounds and bleeding from wounds.

on sowing

When the skin of the hand or foot or the heel is cracked, mix the juice of marigold leaves with Vaseline and rub it on the hands and feet. It removes dryness of sowing and hands and feet.

abscess

  • Grinding marigold leaves and applying it on boils and wounds provides relief.
  • Grinding the leaves of marigold and applying it lukewarm, it is beneficial in boil pimple or boil pimple in the condition of diabetes.

in urinary tract

Mixing sugar candy in the juice of 10 grams of marigold leaves and drinking it thrice a day, stops urine coming out freely.

Heavy bleeding during menstruation or hemorrhoids

Roast 5 to 10 grams of marigold flowers in ghee and take it thrice a day, it is beneficial in the problem of excessive bleeding during menstruation and piles.

on wasp bite

To reduce the effect of its sting on a wasp bite, grinding the leaves of marigold and applying it on the sting area provides relief. The pain caused by the sting also subsides.

stone problem

Taking 20 to 30 ml decoction of marigold leaves twice a day for a few days helps to dissolve the stones.

toothache problem

Gargling with a decoction of marigold leaves provides relief in toothache.

to skin

Massaging the face with oil made from marigold flowers increases the circulation of blood in the skin and improves the complexion of the skin.

disadvantages of marigold flower

Consumption of marigold flowers can also cause some harm. Before consuming marigold or using marigold for any disease, consult an Ayurvedic doctor.

गेंदा के फूल के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

आधुनिक समाज (Modern Society)

आधुनिक समाज (Modern Society)

यह बहुत ही सही कहा गया हैं कि "आधुनिकीकरण पुरानी प्रक्रिया के लिए चालू शब्द है। यह सामाजिक परिवर्तन की वह प्रक्रिया हैं, जिससे कम विकसित समाज विकसित समाजों की सामान्य विशेषेताओं को प्राप्त करते हैं।"

कुछ महत्वपूर्ण कथनों के आधार पर यह एक क्रांतिकारी परिवर्तन है, जिससे परंपरागत समाज या किसी भी स्थान को उन्नत और आर्थिक रूप से अच्छा बनाना और यह राजनैतिक रूप से स्थिर सामाजिक परिवर्तन की ओर ले जाता है। इस परिवर्तन के बाद पुराने और नये समाज में स्पष्ट अंतर देखा जा सकता है। यह एक अत्यंत जटिल प्रक्रिया होती है, जो कृत्रिम और प्राकृतिक दोनों प्रकार के होते है।

आधुनिकीकरण(Modernization)

आधुनिकीकरण की परिभाषा

श्यामचरण दुबे के अनुसार – 

"आधुनिकीकरण एक ऐसी प्रक्रिया हैं। जिसके द्वारा पहले से चली आ रही व्यवस्था को तकनीकी के माध्यम से उसमें परिवर्तन लाया जाता हैं।"

मूरे के अनुसार – 

"आधुनिकीकरण एक क्रांतिकारी परिवर्तन हैं, जो परंपरागत समाज को उन्नत और आर्थिक रूप से ज्यादा अच्छा करने एवं राजनेतिक रूप से स्थिर सामाजिक परिवर्तन की ओर ले जाता हैं।"

अलातास के अनुसार–

"आधुनिकीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके आधुनिक वैज्ञानिक ज्ञान का समाज मे प्रचार एवं प्रसार होता है। जिससे समाज मे व्यक्तियों के स्तर मे सुधार होता है और समाज अच्छाई की तरफ बढ़ता है।"

डेनियल लर्नर के अनुसार– 

"आधुनिकीकरण परिवर्तन की एक प्रक्रिया है जिसका संबंध मुख्य रूप से विचारों एवं मनोवृत्तियों के तरीको मे बदलाव, नगरीकरण मे वृध्दि, साक्षारता का बढ़ना, प्रति व्यक्ति आय का अधिक होना तथा राजनीतिक सहभागिता मे वृध्दि जैसे परिवर्तन से होता है।"

सी.ई.ब्लैक के अनुसार– 

"आधुनिकीकरण वह प्रक्रिया है जिससे ऐतिहासिक रूप से उत्पन्न संस्थाएँ तेजी से बदलती हुई नई जिम्मेदारियों के साथ अनुकूलित होती हैं जिसमें वैज्ञानिक प्रगति से जुड़ी अपने परिवेश पर नियंत्रण की क्षमता वाले मनुष्य के ज्ञान मे अभूतपूर्व वृद्धि परिलक्षित होती हैं।"

आधुनिकीकरण(Modernization)

आधुनिकीकरण और शिक्षा 

आधुनिकीकरण वर्तमान शिक्षा में हो रहे बदलावों की ही देन हैं। आधुनिकीकरण और शिक्षा में बहुत गहरा संबंध होता हैं। यह छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करता हैं। सामाजिक आवश्यकताओं के अध्ययन करने में सहायक एवं अंधविश्वास से समाज को दूर रखने में भी यह सहायता प्रदान करता हैं।

आधुनिकीकरण लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास करता हैं एवं वैज्ञानिक विषयों के अध्ययन पर बल देने का कार्य करता हैं। यह शिक्षा को वास्तविक शिक्षा के उद्देश्यों से परिलक्षित करवाने का कार्य भी करता हैं। अनुभव आधारित पाठ्यक्रम पर बल देना, सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों को शिक्षा में शामिल करना आदि।

आधुनिकीकरण का प्रभाव 

इसका व्यापक प्रभाव बहुत से क्षेत्रों में देखा जा सकता है। जैसे कि 

  • कृषि और ग्रामीण उद्योगों में उन्नति 
  • बेरोजगारी में वृद्धि 
  • बाह्य संपर्क 
  • औपचारिकता में वृद्धि 
  • स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन 
  • पश्चिमीकरण 
  • नगरीकरण 
  • वैवाहिक संस्थाओं में परिवर्तन 
  • धार्मिक पुनरुत्थान एवं सुधार 
  • विश्वव्यापी वैधानिक व्यवस्था 
  • सामाजिक संस्थानों में परिवर्तन आदि
आधुनिकीकरण(Modernization)

आधुनिकीकरण की हानियाँ /नुकसान

इस आधुनिकीकरण प्रक्रिया में कई अच्छी चीजे बदल जाती है। कई बार ऐसे बदलाव आते है, जो समाज पर खतरा लेकर आते है। एक सीमा से अधिक आधुनिकीकरण प्रकृति के लिए खतरा बन जाता है, अर्थात् पर्यावरण संकट बढ़ रहा है। लगातार तीव्र आधुनिकीकरण से जीवन कृत्रिम बन रहा है, और पृथ्वी के जीवन पर संकट बढ़ रहा है।इससे वैश्वीकरण घरेलू व्यापार समाप्त हो रहे है, इसके स्थान पर मशीने आ रही है| आधुनिकीकरण से लगातार तापीय उत्सर्जन और प्रदूषण बढ़ रहा है। हमारी आधुनिकीकरण की प्रक्रिया इतनी अच्छी नही है कि वह अभूतपूर्व खतरों को रोक सके। इस प्रक्रिया में हो रहे प्रयोग वृद्धि, रासायनिक क्रांति और उत्परिवर्तन गतिविधियों से कई सूक्ष्मजीवों और वायरस को जन्म दिया जाता है, जिसका ताजा उदाहरण कोरोना वायरस है| आधुनिकीकरण की एक विडंबना है कि एक तरफ विकास हुआ है तो दूसरी तरफ वर्ग-भेद, गरीबी और भुखमरी बढ़ी हैं। इसकी तीव्र प्रक्रिया में आधुनिक मूल्यों और पारम्परागत मूल्यों के बीच द्वंद्व हो जाते हैं।

आधुनिकीकरण(Modernization)

English Translate

Modern Society

It is rightly said that "modernization is the current term for the old process. It is the process of social change by which less developed societies acquire the general characteristics of developed societies."

On the basis of some important statements, it is a revolutionary change, which makes the traditional society or any place better and economically better and it leads to politically stable social change. After this change, a clear difference can be seen between the old and the new society. It is an extremely complex process, both artificial and natural.

आधुनिकीकरण(Modernization)

Definition of Modernization

According to Shyamcharan Dubey –

"Modernization is a process by which the existing system is changed through technology."

According to Moore -

"Modernization is a revolutionary change, which leads the traditional society to improve and do better economically and towards politically stable social change."

According to Alatas-

"Modernization is such a process, whose modern scientific knowledge is propagated and spread in the society. By which the level of individuals in the society improves and society moves towards goodness."

According to Daniel Lerner-

"Modernization is a process of change which is mainly related to changes in the way of thinking and attitudes, increase in urbanization, increase in literacy, increase in per capita income and increase in political participation."

According to C.E.Black-

"Modernization is the process by which institutions that have historically been adapted to rapidly changing new responsibilities, reflecting the phenomenal increase in knowledge of man with the ability to control his environment linked to scientific progress."

Modernization and Education

Modernization is the result of the changes taking place in the present education. There is a close relationship between modernization and education. It develops scientific attitude in the students. It is helpful in studying social needs and also helps in keeping society away from superstition.

Modernization develops democratic values ​​and works to emphasize the study of scientific subjects. It also serves to make education reflect the objectives of real education. Emphasis on experiential curriculum, inclusion of co-curricular activities in education etc.

impact of modernization

Its wide impact can be seen in many fields. As if

Advancement in agriculture and rural industries
rise in unemployment
external contact
increase in formality
change in status of women
westernization
urbanization
change in matrimonial institutions
Religious Revival and Reformation
worldwide legal system
changes in social institutions etc.

Disadvantages of Modernization 

Many good things change in this modernization process. Many times such changes come, which bring danger to the society. Modernization beyond a limit becomes a threat to nature, that is, increasing the environmental crisis. Due to continuous rapid modernization, life is becoming artificial, and the crisis on the life of the earth is increasing. Due to this, globalization is ending domestic trade, machines are coming in its place. Thermal emissions and pollution are constantly increasing due to modernization. Our modernization process is not good enough to prevent unprecedented threats. Experimental growth, chemical revolution and mutation activities in this process give rise to many microorganisms and viruses, the latest example of which is the corona virus. There is an irony of modernization that on the one hand there has been development and on the other, class discrimination, poverty and hunger have increased. In its rapid process, conflicts arise between modern values ​​and traditional values.

आधुनिकीकरण(Modernization)

यूलन मैगनोलिया फूल, जो सुंदर पक्षियों की तरह दिखते हैं/ Magnolia Flower

 यूलन मैगनोलिया फूल, जो सुंदर पक्षियों की तरह दिखते हैं

इस तस्वीर को देखकर आप सचमुच सोच में पड़ गए होंगे ! यह अद्भुत से फूल दिखने में बिल्कुल पक्षियों की तरह लग रहे हैं। बता दें कि इस फूल का नाम यूलान मैगनोलिया (Yulan Magnolia) है। यह यूलान मैगनोलिया के फूल सुंदर पक्षियों की तरह दिखाई देते हैं। यह खासतौर पर चीन में पाया जाता है और इनके बारे में कहा जाता है कि यह फूल शुद्धता के प्रतीक के रूप में देखे जाते हैं।

गुलाबी फूल या फिर पेड़ की टहनियों पर बैठे पक्षियों का झुंड?

मैगनोलिया डेनुडेटा, लिलीट्री या युलन मैगनोलिया मध्य और पूर्वी चीन का मूल निवासी है। इसकी खेती 600 ईस्वी से चीनी बौद्ध मंदिर उद्यानों में की जाती रही है।

यह आँखों का भ्रम है, जो हमें प्रकृति में देखने को मिलता है और यह बहुत अच्छा है। ये विशेष फूल हैं, जो पक्षियों के समान दिखते हैं। फूल यूलन मैगनोलियास के हैं, जो एक प्रजाति है, जो चीन की मूल निवासी है। सुंदर और नाजुक गुलाबी फूल में एक खट्टे सुगंध के साथ-साथ एक बहुत लंबा इतिहास जुड़ा है। ये फूल कई वर्षों से बौद्ध मंदिरों के बगीचों में (लगभग 1,500 वर्षों से) उगाए जा रहे हैं। 

इन फूलों को पवित्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। चीन में तांग राजवंश के दौरान, इन मैगनोलिया को सम्राट के महल के साथ लगाया गया था। युलान मैगनोलिया अक्सर वसंत ऋतु में खिलते हैं और यह छोटे छोटे पक्षियों की तरह दिखते हैं। जैसे ही प्रत्येक फूल की पंखुड़ियाँ खुलने लगती हैं, वे इस ऑप्टिकल भ्रम को (पक्षी की तरह दिखना) खो देते हैं। लेकिन थोड़ी देर के लिए, उनकी एक तस्वीर आपके मन में सवाल उठा सकती है कि क्या यह किसी पक्षी की तस्वीर है?

गुलाबी फूल या फिर पेड़ की टहनियों पर बैठे पक्षियों का झुंड?

यूलन मैगनोलिया फूल :

मैगनोलिया की खेती व्यावसायिक रूप से की जाती है, इसका उपयोग सजावटी फूलों के रूप में किया जाता है। पूरी दुनिया में इसकी लगभग 250 से अधिक प्रजातियां पायी आती है।जिस समय यह फूल पेड़ पर खिलते है, तो ऐसे लगते है, जैसे की गुलाबी पक्षियों का एक समूह पेड़ पर बैठा है। मैगनोलिया के पेड़ की फूलों से लदी तस्वीर वास्तव में अद्भुत होती है।

यूलन मैगनोलिया पेड़ :

मैगनोलिया का पेड़ सुगन्धयुक्त होता है। इसके फूलों से एक मीठी सुगंध आती है। इन पेड़ो का आकर लगभग 10 से 12 मीटर तक होता है, और यह 15 से 18 मीटर के व्यास में फैलते है। मैगनोलिया के पेड़ और छोटे पौधे आसानी से सड़को के किनारे या बगीचों में नजर आ जाते है। यह पेड़ झाड़ीदार होते है।

इस पेड़ को पूरी तरह बढ़ने में लगभग दस साल तक का समय लग जाता है। लेकिन इस पेड़ की शुरुआत से अच्छी देखभाल और कटाई, छटाई की जाए तो यह बहुत जल्दी बड़े हो जाते है। मैगनोलिया के पेड़ का जीवन काल कितना होता है? मैगनोलिया का पेड़ अगर अच्छी मिटटी में लगाया जाए, तो यह लगभग 100 साल से ज्यादा दिन तक जीवित रह सकता है।

मैगनोलिया फूल या पक्षी? देखकर आप भी दंग रह जाएंगे

मैगनोलिया फूल के रंग

मैगनोलिया फूल अलग अलग रंगो का होता है।
  • बैंगनी मैगनोलिया 
  • पीला मैगनोलिया 
  • लाल मैगनोलिया 
  • गुलाबी मैगनोलिया
कुदरत की खूबसूरत कलाकारी है यूलान मैगनोलिया फ्लावर

मैगनोलिया फूल का उपयोग और फायदे 

  • मैगनोलिया के फूल और छाल में कई ऐसे तत्व पाए जाते है, जो की मानव शरीर के मसूड़ो के लिए फायदेमंद होते है। यह मसूड़ो में होने वाली समस्यांओ के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
  • चीनी परम्पराओं के अनुसार मैगनोलिया से बनी आयुर्वेदिक ओषधियाँ खांसी और कफ की समस्यांओ को दूर करने में फायदेमंद होती है।
  • मैगनोलिया त्वचा सम्बन्धी रोगो के लिए भी फायदेमंद होता है।
  • मैगनोलिया पाचन तंत्र को मजबूत करने में भी फायदा करता है।

English Translate

Yulan Magnolia Flowers Look Like Beautiful Birds

Magnolia denudata, the lilytree or Yulan magnolia is native to central and eastern China. It has been cultivated in Chinese Buddhist temple gardens since 600 AD. 

We all love a good trick of the eye. There is one optical illusion that has been brought to us courtesy of Mother Nature. And it’s pretty cool! These particular flowers also happen to look very similar to birds.

मैगनोलिया फूल या पक्षी? देखकर आप भी दंग रह जाएंगे

The flowers are those of the Yulan magnolias, a species that is native to China. The beautiful and fragile pink flower has a citrus scent, as well as a very long history. These flowers date back many, many years – having been raised for almost 1,500 years in the gardens of Buddhist temples. These flowers are seen as a symbol of purity. During the Tang Dynasty in China, these magnolias were planted along the emperor’s palace.

The Yulan magnolias will often bloom in the springtime. And it turns out that when their blossoms appear, they have an appearance of looking like tiny little birds. They lose this optical illusion as soon as the petals of each blossom start to open up. But for a little while, a photo of them could have you questioning if it’s a photo of a bird.

प्रकृति के अनोखे रंग : चिडियों की आकृति वाले फूल

Yulan Magnolia Flowers:

Magnolia is cultivated commercially, it is used as an ornamental flower. There are more than 250 species of it all over the world. When this flower blooms on the tree, it looks as if a group of pink birds is sitting on the tree. The flower-laden picture of a magnolia tree is truly amazing.

Yulan Magnolia Trees:

Magnolia tree is fragrant. A sweet fragrance emanates from its flowers. The size of these trees is about 10 to 12 meters, and it spreads in the diameter of 15 to 18 meters. Magnolia trees and small plants are easily seen along roadsides or in gardens. This tree is bushy.

It takes about ten years for this tree to grow fully. But from the beginning of this tree, if good care is taken and harvesting, pruning is done, then it grows very quickly. What is the life span of a Magnolia tree? If planted in good soil, Magnolia tree can live for more than 100 years.

magnolia flower colors

Magnolia flowers are of different colors.

  • purple magnolia
  • yellow magnolia
  • red magnolia
  • pink magnolia
कुदरत की खूबसूरत कलाकारी है यूलान मैगनोलिया फ्लावर

Uses and Benefits of Magnolia Flowers

  • Many such elements are found in the flower and bark of Magnolia, which are beneficial for the gums of the human body. It is very beneficial for gum problems.
  • According to Chinese traditions, Ayurvedic medicines made from magnolia are beneficial in relieving cough and phlegm problems.
  • Magnolia is also beneficial for skin related diseases.
  • Magnolia also benefits in strengthening the digestive system.
प्रकृति के अनोखे रंग : चिडियों की आकृति वाले फूल

थावे का दुर्गा मंदिर (Thave Ka Durga Temple)

थावे का दुर्गा मंदिर

माता थावेवाली का मंदिर बिहार राज्य के गोपालगंज जिले के थावे में स्थित है। यह गोपालगंज-सिवान राष्ट्रीय मार्ग पर गोपालगंज जिले से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां देवी दुर्गा के ही एक रूप माता थावेवाली की एक प्राचीन मंदिर है। माता थावेवाली को भक्तगण सुहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषू भवानी के नाम से भी जानते हैं।

थावे का दुर्गा मंदिर (Thave Ka Durga Temple)

गोपालगंज के सुप्रसिद्ध थावे का दुर्गा मंदिर दो तरफ जंगलों से घिरा है और इस मंदिर का गर्भगृह काफी पुराना है।

इस मंदिर के पीछे मान्यता यह है कि देवी दुर्गा कामाख्या से चलकर कोलकाता और पटना के रास्ते यहां पहुंची थीं।यह मंदिर देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है।इस मंदिर के पीछे एक प्राचीन किंतु रोचक कहानी है। इस मंदिर में नेपाल, उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जिलों से श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं। वैसे तो यहां साल भर भक्तों का आना जाना लगा रहता है, लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्र में पूजा करने का विशेष महत्व है। नवरात्रि के 9 दिन यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है, और यहां खास मेला भी लगता है।इसके अलावा सोमवार और शुक्रवार को भी इस मंदिर में विशेष पूजा की जाती है। यहां मां के भक्त प्रसाद के रूप में नारियल, पेड़ा और चुनरी चढ़ाते हैं। ज्यादा महंगा चढ़ावा यहां नहीं चढ़ाया जाता।इस मंदिर के पीछे एक प्राचीन किंतु रोचक कहानी है।

थावे का दुर्गा मंदिर (Thave Ka Durga Temple)

थावे दुर्गा मंदिर की कहानी

जनश्रुतियों के मुताबिक एक समय हथुआ के राजा मनन सिंह हुआ करते थे। वह स्वयं को मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त मानते थे। थावे में एक रहषू भगत रहते थे जो कामाख्या देवी के परम भक्त थे। वह दिन में जंगल से कतरा काटकर लाते थे और रात में सात सिंह(बाघ) उनके साथ दौनी करते थे, जिससे गेहूं, चावल निकलता था और उनके परिवार का भरण पोषण होता था। यह बात राजा तक पहुंची,उन्होंने रहषू भगत से पूछा कि कैसे तुम बाघ के साथ दौनी करते हो ? रहषू भगत बोले, देवी की कृपा से सब काम हो जाता हैै।लेकिन राजा को विश्वास नहीं हुआ। राजा ने रहषू भगत से कहा कि तुम्हारी देवी को मैं भी देखना चाहता हूं, उन्हें यहां बुलाओ। रहषू भगत ने राजा से बहुत प्रार्थना की कि- "इस प्रकार की जिद ना करें, अगर देवी मां यहां आएंगी तो सब कुछ आपका नष्ट हो जाएगा, और हमारा भी," लेकिन राजा नहीं माने । रहषू भगत के आवाह्न पर देवी मां कामाख्या से चलकर कोलकाता, विंध्याचल, पटना (पटन देवी के नाम से जानते हैं),आमी और घोड़ा घाट तक आयीं।जहां-जहां भगवती का स्थान पड़ा वहां वहां रहषू भगत ने राजा को सचेत करने की कोशिश की कि वे अभी भी अपनी जिद छोड़ दें, लेकिन राजा नहीं मानें। तब देवी दुर्गा गोपालगंज के थावे पहुंची और तप करते हुए रहषू भगत के सिर के बीच से अपना कंगन सहित एक हाथ निकाल कर साक्षात दर्शन दीं। इस प्रकार रहषू भगत मोक्ष को प्राप्त हुए और राजा का साम्राज्य बर्बाद हो गया।

थावे का दुर्गा मंदिर (Thave Ka Durga Temple)

एक अन्य मान्यता के अनुसार, हथुआ के राजा युवराज साहिब बहादुर ने वर्ष 1714 में थावे दुर्गा मंदिर की स्थापना उस समय की जब वे चंपारण के जमींदार  काबुल मोहम्मद बड़हरिया से दसवीं बार लड़ाई हारने के बाद फौज सहित हथुआ वापस लौट रहे थे। इसी दौरान थावे जंगल में एक विशाल वृक्ष के नीचे पड़ाव डाल कर विश्राम करने के समय अचानक स्वप्न में मां दुर्गा दिखीं। स्वप्न में आए तथ्यों के अनुरूप राजा ने काबुल मोहम्मद बड़हरिया पर आक्रमण कर विजय हासिल की और कल्याणपुर, हुसेपुर सेलारी, बेलारी, तुरकहां और भुरकाहा को अपने राज्य के अधीन कर लिया। विजय हासिल करने के पश्चात उस वृक्ष के चार कदम उत्तर दिशा में राजा ने खुदाई कराई, जहां 10 फुट नीचे वन दुर्गा की प्रतिमा मिली और वही मंदिर की स्थापना की गई।

थावे का दुर्गा मंदिर (Thave Ka Durga Temple)

मंदिर की तरफ जाते समय पहले हथुआ का राजमहल मिलता है, जो पूरी तरह से जर्जर अवस्था में है फिर मां दुर्गा का मंदिर है, और दुर्गा मां मंदिर के समीप ही रहषू भगत का मंदिर है जिसके सामने सात सिंह (बाघ) की भी मूर्ति है।

मंदिर के बाड़े के मध्य एक विशाल वृक्ष है, जिसका वानस्पतिक परिवार अभी भी पहचाना नहीं गया है।

English Translate

Thave Ka Durga Temple

The temple of Mata Thavewali is located in Thawe of Gopalganj district of Bihar state. It is situated at a distance of 6 kms from Gopalganj district on Gopalganj-Siwan national road. Here is an ancient temple of Mata Thavewali, a form of Goddess Durga. Mata Thavewali is also known by the devotees as Suhasini Bhavani, Thave Bhavani and Rashu Bhavani.

थावे का दुर्गा मंदिर (Thave Ka Durga Temple)

The Durga temple of the famous Thave of Gopalganj is surrounded by forests on two sides and the sanctum sanctorum of this temple is quite old.

The belief behind this temple is that Goddess Durga had reached here from Kamakhya via Kolkata and Patna. This temple is one of the 52 Shaktipeeths of the country. There is an ancient but interesting story behind this temple. Devotees from many districts of Nepal, Uttar Pradesh and Bihar come to this temple to offer prayers. Although devotees keep visiting here throughout the year, but worshiping in Chaitra and Shardiya Navratri has special significance. Special worship is performed here on the 9 days of Navratri, and a special fair is also held here. Apart from this, special worship is also done in this temple on Mondays and Fridays. Here the devotees of the mother offer coconut, peda and chunri as prasad. More expensive offerings are not offered here. There is an ancient but interesting story behind this temple.

थावे का दुर्गा मंदिर (Thave Ka Durga Temple)

Story of Thave Durga Temple

According to the legends, at one time there used to be Manan Singh, the king of Hathua. He considered himself the biggest devotee of Maa Durga. There lived a Rahashu Bhagat in Thave who was a great devotee of Kamakhya Devi. During the day, he used to bring shreds from the forest and at night seven lions (tigers) used to carry rosemary with him, which produced wheat, rice and fed his family. This matter reached the king, he asked Rahashu Bhagat that how do you do rosemary with the tiger? Rahashu Bhagat said, by the grace of the goddess everything gets done. But the king did not believe. The king told Rahashu Bhagat that I also want to see your goddess, call her here. Rahashu Bhagat prayed a lot to the king that- "Don't insist like this, if Mother Goddess comes here then everything will be destroyed for you, and ours too," but the king did not agree. On the call of Rashu Bhagat, Devi Maa came from Kamakhya to Kolkata, Vindhyachal, Patna (known as Patan Devi), Aami and Ghoda Ghat. That they still give up their insistence, but do not obey the king. Then Goddess Durga reached the thawe of Gopalganj and while doing penance, took out her bracelet from the middle of the head of Rashu Bhagat and gave a direct darshan. Thus Rahashu Bhagat attained salvation and the king's empire was ruined.

थावे का दुर्गा मंदिर (Thave Ka Durga Temple)

According to another belief, King Yuvraj Sahib Bahadur of Hathua established the Thawe Durga temple in the year 1714 when he was returning to Hathua with his army after losing the battle for the tenth time to the Zamindar of Champaran, Kabul Mohammad Barharia. Meanwhile, while resting under a huge tree in the Thave forest, suddenly Mother Durga appeared in a dream. According to the facts in the dream, the king conquered Kabul by attacking Mohammad Badhariya and took Kalyanpur, Hussepur Sellari, Bellary, Turkahan and Bhurkaha under his kingdom. After winning the victory, the king excavated that tree four steps to the north, where the idol of Van Durga was found 10 feet below and the same temple was established.

While going towards the temple, first the palace of Hathua is found, which is in a completely dilapidated state, then there is a temple of Maa Durga, and near the Durga Maa temple is the temple of Rahashu Bhagat, in front of which there is also a statue of seven lions (tigers). .

There is a huge tree in the center of the temple enclosure, whose botanical family is still not recognized.

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

मदार (आक)

आक के पेड़ से लगभग सभी परिचित होंगे। हमारे हिंदू धर्म में ज्यादातर घर के बाहर, गेट के किनारे यह पौधा लगा हुआ दिखाई पड़ता है। इसको मदार', आक, 'अर्क' और अकौआ भी कहते हैं। आक के पौधे या वृक्ष शुष्क, ऊसर और ऊँची भूमि में प्रायः हर जगह देखने को मिलते हैं। इस वनस्पति के विषय में समाज में यह भ्रांति फैली हुई है कि आक का पौधा विषैला होता है, इसमें किंचित सत्य जरूर है। आयुर्वेद संहिताओं में भी इसकी गणना उपविषों में की गई है। यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाए तो उल्टी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। इसके विपरीत यदि आक का सेवन उचित मात्रा में योग्य तरीके से आयुर्वेदाचार्य की निगरानी में किया जाए तो यह अनेक रोगों में बहुत लाभकारी भी होता है। इसका हर अंग अर्थात जड़, तना, पत्ती दवा के रूप में उपयोग होते हैं। यह सूर्य के समान तेजस्वी और पारे के समान उत्तम तथा दिव्य रसायन है। कहीं-कहीं इसे वानस्पतिक पारद भी कहा जाता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

आक क्या है?

आक एक बहूवर्षीय व बहू शाक्य 4 से 12 फुट ऊंचा पौधा होता है। इस पौधे के सभी अंग एक सफेद रूई की तरह धुने हुए सफेद रोमों में आच्छादित रहते हैं। पत्ते 4 से 6 इंच लंबे, 1 से 3 इंच चौड़े, आयताकार, मांसल व हृदयाकार होते हैं। पुष्प सुगंधित, गुच्छों में सफेद या लाल बैंगनी रंग के होते हैं। फल 2 से 3 इंच लंबे, 1 से 2 इंच तक चौड़े, टेढ़े मेढ़े गोल या अंडाकार बीच-बीच में कुछ मुड़े हुए होने के कारण तोते की चोच के जैसे दिखते हैं। इसलिए इन्हें शुकफल भी कहते हैं। फल के भीतर गुदे की बजाय छोटे-छोटे भूरे रंग के बीज भरे होते हैं। फल जब फटते हैं, तब बीज हवा में उड़ कर गोल हो जाते हैं और सब जगह फैल जाते हैं।

आक का संपूर्ण पौधा एक प्रकार के दुग्ध में एवं चरपर रस से परिपूर्ण होता है। इसके किसी भी भाग को तोड़ने से चीकर जैसा सफेद रसमय दुग्ध निकलता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

जानते हैं आक के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

पत्तियों का उपयोग मोच, आमवाती सूजन और हैजा में किया जाता है। इसके फूल, पत्ते, लेटेक्स और जड़-छाल का औषधीय रूप से उपयोग किया जाता है। फूलों को पाचन, पेट और टॉनिक गुणों के लिए जाना जाता है और पाउडर के रूप में, ये सर्दी, खांसी, अस्थमा और अपच के लिए उपयोग किया जाता है।

चेहरे की झाई तथा धब्बे के लिए

3 ग्राम हल्दी के चूर्ण को आक के 5-7 बूंद दूध व गुलाब जल के साथ मिलाकर आंखों को बचा कर झाइयों के स्थान पर लगाने से लाभ होता है।

कान का दर्द 

मदार के पीले पड़े बिना छेद वाले पत्तों पर घी लगाकर अग्नि में तपाकर उसका रस निकालकर कान में दो-दो बूंद डालने से लाभ होता है।

दांत का दर्द

मदार के दूध में रुई भिगोकर घी में मलकर दाढ़ में रखने से दाढ़ की पीड़ा मिटती है। आक के दूध में नमक मिलाकर दांतों पर लगाने से दांत का दर्द ठीक होता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

दांत निकालने के लिए

  • हिलते हुए दांत पर मदार का दूध लगाकर उसे आसानी से निकाला जा सकता है।
  •  आक के 8 -10 पत्तों को 10 ग्राम कालीमिर्च के साथ पीसकर उसमें थोड़ी हल्दी और सेंधा नमक मिलाकर मंजन करने से दांत मजबूत रहते हैं। 

माइग्रेन की समस्या

पीले पड़े हुए मदार के 1-2 पत्तों के रस का नाक में डालने से आधासीसी अर्थात माइग्रेन के दर्द में लाभ होता है परंतु इसका सेवन बहुत सावधानीपूर्वक करना चाहिए क्योंकि यह लगती बहुत ज्यादा है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

खांसी की समस्या

मदार की कोमल शाखा और फूलों को पीसकर 2 - 3 ग्राम की मात्रा में घी में सेक लें, फिर इसमें गुड़ मिलाकर नित्य प्रातः सेवन करने से पुरानी खांसी, जिसमें हरा पीला दुर्गंध युक्त चिपचिपा कफ निकलता है, उसमें शीघ्र आराम मिलता है।

हैजा की समस्या

मदार के पीले पत्ते जो झड़ कर खुद ही नीचे गिर गए हों, ऐसे 5 पत्तों को लेकर जला दें। जब यह जलकर कोयला हो जाए तो आधा किलो पानी में इसको डालकर रोगी को थोड़ा-थोड़ा करके जल के स्थान पर पिलाने से लाभ होता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

बवासीर की समस्या

सूर्योदय से पहले मदार की तीन बूंद दूध को बतासे में डालकर खाने से बवासीर में लाभ होता है।

पैरों के छाले

पैदल यात्रा करने से यदि पैरों में छाले हो गए हैं, तो मदार के दूध को लगाने मात्र से छाले ठीक हो जाते हैं।

गठिया की समस्या

मदार का फूल, सोंठ, काली मिर्च, हल्दी व नागर मोथा बराबर मात्रा में लेकर हल्के पानी के साथ पीसकर इसकी चने जैसी गोलियां बना लें। दो-दो गोली प्रातः सायं पानी के साथ सेवन करने से गठिया में लाभ होता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

पुराना घाव या जख्म होने पर 

मदार के पत्तों का चूर्ण बनाकर पुराने से पुराने घाव पर लगाने से घाव ठीक हो जाता है। कांटा, फांस आदि चुभने पर मदार के पत्ते में तेल चुपड़ कर उसे गर्म कर प्रभावित क्षेत्र पर बांधने से लाभ होता है।

मदार के 4-5 पत्तों को सुखाकर, उसको कूटकर छान कर खराब जख्मों पर बुरककर लगाने से दूषित मांस दूर होकर स्वस्थ मांस उत्पन्न हो जाता है।

सूनापन

मदार के 8 -10 पत्तों को 250 ग्राम तेल में तलकर तेल की मालिश करने से अंग के सूनापन में लाभ होता है।

एड़ी का दर्द

एक मुट्ठी मदार के फूल को दो गिलास पानी में उबालने और इसकी भाप से एडियों को सेंक कर गरम-गरम फूलों को एड़ियों पर बांध लें। 1 सप्ताह नियमित प्रयोग करने से एड़ियों का दर्द दूर होता है। शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो तो यह प्रयोग लाभकारी है।

बिच्छू का विष

बिच्छू के काटने पर विष उतारने के लिए मदार की जड़ को पानी में पीसकर लेप लगाने से बिच्छू का विष उतर जाता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope

मदार का नुकसान (Side Effects of Giant calotrope)

मदार का पौधा विशैला होता है। इसके दूध का अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। अतः इसका उपयोग सावधानी पूर्वक करना चाहिए।

मदार के पौधे का उपयोग करते समय ध्यान रखना चाहिए कि इसका दूध थोड़ी सी भी आंखों में ना जाने पाए। यदि इसका दूध आंखों में चला जाता है, तो इससे आंखों की दृष्टि को हानि पहुंचाता है।

मदार (आक)/ Madar (Aak)/Giant calotrope