सफेद तिल (White Sesame Seeds)
तिल से तो हम सभी परिचित ही हैं। यह मुख्यतः दो प्रकार की होती है - सफेद तिल और काला तिल। शरद ऋतु में तिल के लड्डू हमारे भारतीय घरों में बनाए जाते हैं और बड़े ही शौक से खाए जाते हैं। आजकल विभिन्न प्रकार के पकवान में सफेद तिल का प्रयोग किया जा रहा है। आयुर्वेद में सफेद और कला तिल का बहुत महत्व है।
तिल क्या है?
तिल एक शाकीय पौधा होता है, जो सीधा 30 से 60 सेंटीमीटर ऊंचा होता है। फूल 3 से 5 सेंटीमीटर तथा सफेद से बैंगनी रंग के होते हैं। तिल के बीज अधिकतर सफेद रंग के होते हैं, हालांकि वे रंग में काले, पीले, नीले और बैगनी रंग के भी हो सकते हैं। तिल प्रतिवर्ष बोया जाने वाला पौधा होता है, जिसकी खेती दुनिया भर के प्रायः सभी गर्म देशों में तेल के लिए की जाती है। इसकी पत्तियां 8 से 10 अंगुल तक लंबी और तीन से चार अंगुल तक चौड़ी होती हैं। इसके फूल गिलास के आकार के ऊपर चार दलों में विभक्त होते हैं। यह फूल सफेद रंग के होते हैं, जो मुंह पर भीतर की और बैंगनी धब्बे लिए हुए होते हैं।
जानते हैं तिल के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में
ज्यादातर तिल की खेती तिल से प्राप्त होने वाले तेल के लिए की जाती है, परंतु इसमें कई औषधीय गुण भी विद्यमान है। सफेद तिल के बीज में विटामिन और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए सफेद तिल का सेवन हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होता है। तिल का सेवन विशेषकर सर्दियों के मौसम में किया जाना चाहिए, क्योंकि तिल की तासीर गर्म होती है, जो शरीर को गर्माहट देती है। तिल में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, सेलेनियम, कॉपर, आयरन, विटामिन B6 और विटामिन ई जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो हमें कई रोगों से बचाने में मदद करते हैं।
हड्डियों के लिए
सफेद तिल में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम और मैग्नीशियम पाए जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। तिल के सेवन से हमारी हड्डियां मजबूत होती हैं, जिससे हड्डियों से जुड़ी बीमारियों के होने का खतरा कम होता है।
दांतो के लिए
- प्रतिदिन 20 ग्राम तिलों को चबा चबा कर खाने से दांत मजबूत होते हैं।
- मुंह में तिल को भरकर 5 से 10 मिनट तक रखने से पायरिया रोग में लाभ होता है तथा साथ ही दांत भी मजबूत होते हैं।
खांसी होने पर
- बदलते हुए मौसम में बार-बार तबीयत खराब होने से खांसी हो जाती है, तो तिल का सेवन लाभप्रद होता है। 30 से 40 मिलीलीटर तिल के काढ़े में दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से खांसी में आराम होता है।
- तिल और मिश्री को उबालकर पिलाने से सुखी खांसी ठीक होती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में
सफेद तिल में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जिससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और हम वायरस और अन्य वैक्टीरिया के चपेट में आने से बच सकते हैं।
मांसपेशियों के लिए
तिल में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। अतः सफेद तिल का सेवन करने से हमारी मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
पथरी की समस्या
छाया में सुखाएं गए तिल के कोमल कोपलों को 125 से 250 मिलीग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से पथरी गल कर निकल जाती है।
जोड़ों में दर्द की समस्या
आजकल एसी का प्रयोग ज्यादा करने के कारण आर्थराइटिस जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। किसी भी उम्र में यह समस्या बीमारी का रूप ले ले रही है। तिल तथा सोंठ चूर्ण को समान मात्रा में मिलाकर प्रतिदिन पांच 5 ग्राम की मात्रा में दिन में तीन से चार बार सेवन करने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।
तिल के नुकसान
कुष्ठ रोगियों को, सूजन वाले व्यक्ति को तथा डायबिटीज के रोगियों को भोजन में या किसी भी प्रकार से तिल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
विभिन्न भाषाओं में तिल का नाम
Sanskrit– तिल, स्नेहफल;
Hindi- तिल, तील, तिली;
Urdu- तिल (Til);
Oriya- खसू (Khasu), रासी (Rasi);
Kannada–एल्लू (Ellu), येल्लु (Yellu);
Gujrati- तल तिल (Tal til);
Telugu- नुव्वुलु (Nuwulu);
Tamil- एब्लु नूव्वूलु (Eblu nuvulu);
Bengali- तिलगाछ तिल (Tilgach til);
Nepali- तिल (Til);
Punjabi- तिल (Til), तिलि (Tili);
Malayalam–एल्लू (Ellu), करुयेल्लू (Karuyellu);
Marathi- तील तिल (Teel til)।
English- तील ऑयल (Teel oil), तिलसीड (Tilseed);
Arbi- सिमसिम (Simsim), सिमासिम (Simasim), शिराज (Shiraj);
Persian- कुंजद (Kunjad), कुँजेड (Kunjed), रोगने शिरीन (Roghane-shirin)।
सर्दियों में तिल का लड्डू बहुत अच्छा लगता है.
ReplyDeleteस्वाद के साथ साथ सेहद भी, अच्छी जानकारी
👍👍👌👌
रोचक जानकारी।
ReplyDeleteबेहद रोचक 👌👌
ReplyDeleteVery Nice Information 🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteतिल को हमलोग गजक बनाकर खाते हैं जो काफी स्वादिष्ट लगता है । कहि लड्डू तो कही
ReplyDeleteओर पकवान बनाये जाते हैं। तिल के तेल का
प्रयोग भी विभिन्न आयोजनों में हमलोग करते
हैं । आज आपने इसके औषधीय गुणों के बारे
में बतलाये हैं जिससे जोड़ों के दर्द , पथरी , खाँसी तथा दांतो सहित अनेक बीमारियों में कैसे प्रयोग
किया जाता है उसके बारे में बतलाये हैं जो कि
हमलोगों के लिये काफी महत्वपूर्ण है।
बहुत खूब 👍🏻
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteNice information..
ReplyDelete🙏🙏🙏जय श्री राम 🚩🚩🚩
ReplyDelete👌👌👌उपयोगी, लाभप्रद व महत्वपूर्ण जानकारी 🙏
🙏🙏🙏आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
Useful information
ReplyDeleteBahut badhiya jankari
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