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मुंशी प्रेमचंद्र की कहानियाँ.. मानसरोवर-2 ...कुत्सा (Kutsa)

मानसरोवर-2 ...कुत्सा (Kutsa)

कुत्सा - मुंशीप्रेमचंद | Kutsa by Munshi Premchand

अपने घर में आदमी बादशाह को भी गाली देता हैं। एक दिन मैं अपने दो-तीन मित्रों के साथ बैठा हुआ एक राष्ट्रीय संस्था के व्यक्तियों की आलोचना कर रहा था। हमारे विचार में राष्ट्रीय कार्यकर्त्ताओं को स्वार्थ और लोभ से ऊपर रहना चाहिए। ऊँचा और पवित्र आदर्श सामने रख कर ही राष्ट्र की सच्ची सेवा की जा सकती हैं। कई व्यक्तियों के आचरण ने हमें क्षुब्ध कर दिया था और हम इस समय बैठे अपने दिल का गुबार निकाल रहे थे! सम्भव था, उस परिस्थिति में पड़कर हम और भी गिर जाते; लेकिन उस वक़्त तो हम विचारक के स्थान पर बैठे हुए थे और विचारक उदार बनने लगे, तो न्याय कौन करे? विचारक को यह भूल जाने में विलम्ब नहीं होता कि उसमें भी कमजोरियाँ हैं। उसमें और अभियुक्त में केवल इतनी ही अन्तर हैं कि या तो विचारक महाशय उस परिस्थिति में पड़े नहीं, या पड़कर भी अपनी चतुराई से बेदाग निकल गये।

कुत्सा - मुंशीप्रेमचंद | Kutsa by Munshi Premchand

पद्मादेवी ने कहा- महाशय ‘क’ काम तो बड़े उत्साह से करते हैं; लेकिन अगर हिसाब देखा जाय, तो उनके जिम्मे एक हजार से कम न निकलेगा।

उर्मिलादेवी ने कहा- खैर ‘क’ को तो क्षमा किया जा सकता हैं। उसके बाल-बच्चे हैं, आखिर उनका पालन-पोषण कैसे से करे? जब वह चौबीसों घंटे सेवा-कार्य में लगा रहता हैं, तो उसे कुछ-न-कुछ तो मिलना ही चाहिए। उस योग्यता का आदमी 500/ वेतन पर भी न मिलता। अगर इस साल-भर में उसने एक हजार खर्च कर डाला, तो बहुत नहीं हैं। महाशय ‘ख’ तो बिल्कुल निहंग हैं। ‘जोरू न जाँता अल्लाह मियाँ से नाता’; पर उनके जिम्मे भी एक हजार से कम न होंगे। किसी को क्या अधिकार हैं कि वह गरीबों का धन मोटर की सवारी और यार-दोस्तों की दावत में उड़ा दे?

श्यामादेवी उद्दंड होकर बोली- महाशय ‘ग’ को इसका जवाब देना पड़ेगा, भाई साहब! यों बचकर नहीं निकल सकते। हम लोग भिक्षा माँग-माँग कर पैसे लाते हैं; इसीलिए कि यार-दोस्तों की दावतें हों. शराबे उडायी जायँ और मुजरे देखे जायँ? रोज सिनेमा की सैर होती हैं। गरीबों का धन यों उड़ाने के लिए नहीं हैं। यहाँ पाई-पाई का लेखा समझना पड़ेगी। मै भरी सभा में रगेंदूँगी। उन्हें जहाँ पाँच सौ वेतन मिलता हो, वहाँ चले जायँ। राष्ट्र के सेवक बहुतेरे निकल आवेंगे।

मैं भी एक बार इसी संस्था का मन्त्री रह चुका हूँ । मुझे गर्व हैं कि मेरे ऊपर कभी किसी ने इस तरह का आक्षेप नहीं किया; पर न-जाने क्यों लोग मेरे मन्त्रित्व से सन्तुष्ट नहीं थे। लोगो का ख्याल था कि मैं बहुत कम समय देता हूँ, और मेरे समय में संस्था ने कोई गौरव बढ़ानेवाला काम नहीं किया; इसलिए मैने रूठकर इस्तीफा दे दिया था। मै उसी पद से बेलौस रहकर भी निकाला गया। महाशय ‘ग’ हजारों हड़प करके भी उसी पद पर जमें हुए हैं। क्या यह मेंरे उनसे कुनह रखने की काफी वजह न थी? मैं चतुर खिलाड़ी की भाँति खुद को कुछ न कहना चाहता था, किन्तु परदे की आड़ से रस्सी खींचता रहता था।

मैने रद्दा जमाया- देवीजी, आप अन्याय कर रही हैं। महाशय ‘ग’ से ज्यादा दिलेर और …

उर्मिला ने मेरी बात को काटकर कहा- मैं ऐसे आदमी की दिलेरी नहीं कहती जो छिपकर जनता के रुपये से शराब पियें। जिन शराब की दूकानों पर हम धरना देने जाते थे, उन्हीं दूकानों से उनके लिए शराब आती थी। इससे बढ़कर बेवफाई और क्या हो सकती हैं? ऐसे आदमी को देशद्रोही कहती हूँ ।

मैने और खींची- लेकिन यह तो तुम भी मानती हो कि क्या महाशय ‘ग’ केवल अपने प्रभाव से हजारों रुपयें चन्दा वसूल कर लाते हैं। विलायती कपड़े को रोकने का उन्हें जिनता श्रेय दिया जाय, थोड़ा हैं।

उर्मिला देवी कब माननेवाली थी। बोली- उन्हें चन्दे इस संस्था के नाम पर मिलते हैं, व्यक्तिगत रूप से एक धेला भी लावें तो कहूँ । रहा विलायती कपड़ा। जनता नामों को पूजती हैं औऱ महाशय की तारीफें हो रही हैं; पर सच पूछिए तो यह श्रेय हमें मिलना चाहिए। वह तो कभी किसी दूकान पर गये ही नही। आज सारे शहर में इस बात की चर्चा हो रही हैं। जहाँ चन्दा माँगने जाओ, वहीं लोग यही आक्षेप करने लगते हैं। किस-किसका मुँह बन्द कीजिएगा? आप बनते तो है जाति के सेवक; मगर आचरण ऐसा कि शोहदों का भी न होगा। देश का उद्धार ऐसे विलासियों के हाथों नहीं हो सकता। उसके लिए त्याग होना चाहिए।

यहीं आलोचनाएँ हो रही थी कि एक दूसरी देवी आयीं, भगवती! बेचारी चन्दा माँगने आयी थी। थकी-माँदी चली आ रही थी। यहाँ जो पंचायत देवी, तो रम गयी। उनके साथ उनकी बालिका भी थी। कोई दस साल उम्र होगी, इन कामों में बराबर माँ के साथ रहती थी। उसे जोर की भूख लगी हुई थी। घर की कुंजी भगवती देवी के पास थी। पतिदेव दफ्तर से आ गये होगे। घर का खुलना भी जरूरी था, इसलिए मैंन बालिका को उसके घर पहुँचाने की सेवा स्वीकार की

कुछ दूर चलकर बालिका न कहा- आपको मालूम हैं, महाशय ‘ग’ शराब पीते हैं?

मैं इस आक्षेप का समर्थन न कर सका। भोली-भाली बालिका के हृदय में कटुता, द्वेष और प्रपंच का विष बोना मेरी ईर्ष्यालु प्रक प्रकृति को भी रुचिकर न जान पड़ा। जहाँ कोमलता और सारल्य, विश्वास और माधुर्य का राज्य होना चाहिए, वहाँ कुत्सा और क्षुद्रता का मर्यादित होना कौन पसन्द करेगा? देवता के गले में काँटों की माला कौन पहनायेगा?

सम्पूर्ण मानसरोवर कहानियाँ मुंशी प्रेमचंद्र

मैने पूछा- तुमसे किसने कहा कि महाशय ‘ग’ शराब पीते हैं?

‘वाह पीते ही हैं, आप क्या जानें?’

‘तुम्हें कैसे मालूम हुआ?’

‘सारे शहर के लोग कह रहे हैं!’

‘शहर वाले झूठ बोल रहे हैं।’

बालिका ने मेरी ओर अविश्वास की आँखों से देखा, शायद वह समझी, मैं भी महाशय ‘ग’ के ही भाई-बन्दों में हूँ ।

‘आप कह सकते हैं, महाशय ‘ग’ शराब नहीं पीते?’

‘हाँ, वह कभी शराब नहीं पीते।’

‘और महाशय ‘क’ ने जनता के रुपये भी नहीं उड़ाये?’

‘यह भी असत्य हैं।’

‘और महाशय ‘ख’ मोटर पर हवा खाने नही जाते?’

‘मोटर पर हवा खाना अपराध नहीं हैं।’

‘अपराध नहीं हैं, राजाओं के लिए, रईसों के लिए, अफसरों के लिए, जो जनता का खून चूसते हैं, देश-भक्ति का दम भरनेवालों के लिए यह बहुत बड़ा अपराध हैं।’

‘लेकिन यह तो सोचो, इन लोगों को कितना दौड़ना पड़ता हैं। पैदल कहाँ तक दौड़े?’

‘पैरगाड़ी पर तो चल सकते हैं। यह कुछ बात नहीं हैं। ये लोग शान दिखाना चाहते हैं, जिससे लोग समझे कि यह भी बहुत बड़े आदमी हैं। हमारी संस्था गरीबों की संस्था हैं। यहाँ मोटर पर उसी वक़्त बैठना चाहिए, जब और किसी तरह काम ही न चल सके औऱ शराबियों के लिए तो यहाँ स्थान ही न होना हिए। आप तो चन्दे माँगने जाते नहीं। हमें कितना लज्जित होना पड़ता हैं, आपको क्या मालूम।’

मैने गम्भीर होकर कहा- तुम्हें लोगों से कह देना चाहिए, यह सरासर गलत हैं। हम और तुम इस संस्था के शुभचिन्तक हैं। हमें अपने कार्यकर्त्ताओं का अपमान करना उचित नहीं हैं। मैं यह नही कहता कि क, ख, ग में बुराईयाँ नहीं हैं। संसार में ऐसा कौन हैं, जिसमें बुराईयाँ न हो, लेकिन बुराईयों के मुकाबले में उनमें गुण कितने हैं, यह तो देखो। हम सभी स्वार्थ पर जान देते हैं- मकान बनाते हैं, जायदाद खरीदते हैं। और कुछ नही, तो आराम से घर में सोते हैं। ये बेचारे चौबीसों घंटे देश-हित की फिक्र में डूबे रहते हैं। तीनों ही साल-साल भर की सजा काटकर, कई महीने हुए, लौटे हैं। तीनों ही के उद्योग से अस्पताल और पुस्तकायल खुले खुले। इन्हीं वीरों ने आन्दोलन करके किसानों का लगान कम कराया। अगर इन्हें शराब पीना और धन कमाना होता, तो इस क्षेत्र में आते हीं क्यो?

बालिका ने विचारपूर्ण दृष्टि से मुझे देखा। फिर बोली- यह बतलाइए, महाशय ‘ग’ शराब पीते हैं या नहीं?

मैने निश्चयपूर्वक कहा- नहीं। जो यह कहता हैं, वह झूठ बोलता हैं।

भगवती देवी का मकान आ गया। बालिका चली गयी। मैं आज झूठ बोलकर जितना प्रसन्न था, उतना कभी सच बोलकर भी न हुआ था। मैने बालिका के निर्मल हृदय को कुत्सा के पंक में गिरने से बचा लिया था!

गैंडों के बारे में 17 रोचक तथ्य | 17 Interesting Facts About Rhinos/ Rhinoceros

गैंडों के बारे में रोचक तथ्य

वैज्ञानिक नाम:  सेराटोथेरियम सिमम, डाइसेरोस बाइकोर्निस, गैंडा यूनिकॉर्निस, आर. सोंडाइकोस, डाइसेरोरहिनस सुमाट्रेन्सिस

सामान्य नाम:  सफेद, काला, भारतीय, जावन, सुमात्रा

गैंडों के बारे में 17 रोचक तथ्य | 17 Interesting Facts About Rhinos/ Rhinoceros

हाथी के बाद गैंडे दूसरे सबसे बड़े ज़मीनी जानवर हैं। वयस्क गैंडे का वज़न 1,000 से 5,500 पाउंड के बीच हो सकता है। गैंडे अफ्रीका और एशिया के मूल निवासी हैं और उनकी प्रजाति के आधार पर उनके निवास स्थान अलग-अलग होते हैं। उनके निवास स्थान में घास के मैदान, सवाना, जंगल और दलदल शामिल हैं। 

गैंडे पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे बड़े स्थलीय जानवरों में से हैं, जिनकी पांच प्रजातियाँ हैं: सफेद गैंडा, काला गैंडा, सुमात्रा गैंडा, जावन गैंडा और भारतीय गैंडा। गैंडे शाकाहारी होते हैं और उनकी मोटी खाल होती है, साथ ही उनके सींग केराटिन से बने होते हैं। 

गैंडों के बारे में 17 रोचक तथ्य | 17 Interesting Facts About Rhinos/ Rhinoceros

चलिए अब जान लेते हैं गैंडों के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  1. भारत में केवल एक-सींग वाला गैंडा पाया जाता है, जो गैंडों की प्रजातियों में सबसे बड़ा है। 
  2. गैंडे आकार में 4-15 फीट लंबे या 7-15 फीट लंबे होते हैं, जो कि प्रजाति पर निर्भर करता है। 
  3. गैंडों का वजन 1,000–5,000 पाउंड तक होता है। सफेद गैंडा सबसे भारी होता है, जिसका वजन 5,000 पाउंड (लगभग 2,300 किलोग्राम) तक हो सकता है। 
  4. इनका जीवनकाल 10 - 45 वर्ष तक का होता है। जंगल में, गैंडे लगभग 35 से 50 साल तक जीवित रह सकते हैं।कैद में, जहाँ उन्हें देखभाल और सुरक्षा मिलती है, वे इससे भी ज़्यादा समय तक जीवित रह सकते हैं। 
  5. गैंडे शाकाहारी होते हैं और ज़्यादातर घास, पत्ते और फल खाते हैं। इसके अलावा वे प्रतिदिन 100 पाउंड तक भोजन खा सकते हैं।
  6. गैंडे और ऑक्सपेकर पक्षियों के बीच सहजीवी संबंध होता है, जहाँ ऑक्सपेकर गैंडे की खाल पर बैठे परजीवी को खाता है। गैंडों के बारे में 17 रोचक तथ्य | 17 Interesting Facts About Rhinos/ Rhinoceros
  7. गैंडों की सबसे खास विशेषताओं में से एक है उनके सींग। सफ़ेद और काले दोनों ही गैंडों के थूथन पर एक या दो सींग होते हैं। ये सींग केराटिन नामक पदार्थ से बने होते हैं, जो वही पदार्थ है, जिससे मनुष्य के बाल और नाखून बनते हैं। 
  8. गैंडों की त्वचा मोटी और सख्त होती है, जो कवच जैसी दिखती है। यह त्वचा कीड़ों और सूरज से प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करती है। यह इतनी मजबूत होती है कि यह अपने आवास में कांटों और नुकीली शाखाओं को भी झेल सकती है। उस सख्त त्वचा के नीचे वसा की एक परत होती है, जो गैंडों को उनके शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती है।
  9. गैंडों की गंध शक्ति बहुत तेज होती है, लेकिन उनकी दृष्टि कमजोर होती है। विशाल आकार और ताकत के बावजूद, गैंडों की दृष्टि बहुत खराब होती है। वे बहुत दूर तक नहीं देख सकते। हालाँकि, उनके पास गंध और सुनने की उत्कृष्ट क्षमता होती है, जिससे उन्हें संभावित खतरों का पता लगाने में मदद मिलती है।
  10. गैंडे एकांतप्रिय प्राणी हैं और केवल संभोग के लिए ही एक साथ आते हैं। मादा गैंडों का गर्भकाल 15-16 महीने का होता है और आमतौर पर वे एक बच्चे को जन्म देती हैं।
  11. जब एक गैंडे का बच्चा पैदा होता है, तो वह तुरंत अपने शरीर का वजन सहन कर सकता है और अपनी माँ से दूध पीने के लिए एक से दो घंटे तक खड़ा रह सकता है। गैंडे का बच्चा अपने जीवन के पहले दो वर्षों तक अपनी माँ के साथ रहता है, अपनी बहुत बड़ी और अधिक शक्तिशाली माँ के संरक्षण में जीवित रहने के कौशल सीखता है। अंततः, बछड़ा स्वतंत्र हो जाता है और अपनी माँ से अलग हो जाता है।गैंडों के बारे में 17 रोचक तथ्य | 17 Interesting Facts About Rhinos/ Rhinoceros
  12. गैंडे शांत और शांतिपूर्ण लगते हैं, लेकिन जब उन्हें खतरा महसूस होता है तो वे काफी आक्रामक हो सकते हैं। अगर गैंडा घिरा हुआ या उकसाया हुआ महसूस करता है, तो वह कथित खतरे पर हमला कर सकता है। ये हमले अविश्वसनीय रूप से तेज़ हो सकते हैं, 30 मील प्रति घंटे तक की गति तक पहुँच सकते हैं। 
  13. गर्मी के दिनों में गैंडे मिट्टी से नहाकर ठंडक पाना पसंद करते हैं। वे कीचड़ के गड्ढों में लोटते हैं और खुद को मिट्टी की मोटी परत से ढक लेते हैं। इससे न केवल उन्हें ठंडक मिलती है बल्कि यह प्राकृतिक सनस्क्रीन का काम भी करता है, जो उनकी त्वचा को अफ़्रीकी सूरज की तेज़ धूप से बचाता है।
  14. गैंडे अपने गोबर (मल) का इस्तेमाल दूसरे गैंडों से संवाद करने के लिए करते हैं। वे अपने क्षेत्र को चिह्नित करने के लिए विशिष्ट स्थानों पर गोबर के ढेर छोड़ते हैं और दूसरे गैंडों को बताते हैं कि वे वहाँ रहे हैं। यह "मल संकेत" उनके सामाजिक संपर्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और टकराव से बचने में मदद कर सकता है।
  15. गैंडे अच्छे तैराक नहीं होते। वे काफी भारी होते हैं और लंबी दूरी तक तैरने के लिए अनुकूल नहीं होते। हालाँकि, अगर उन्हें नदी पार करनी हो या ठंडक लेनी हो तो वे उथले पानी में तैर सकते हैं। 
  16. गैंडे 50 मिलियन से ज़्यादा सालों से अस्तित्व में हैं और कई बार विलुप्त होने की घटनाओं से बच गए हैं। हालाँकि, अवैध शिकार और आवास विनाश जैसी मानवीय गतिविधियों ने उन्हें विलुप्त होने के खतरे में डाल दिया है।
  17. अवैध व्यापार और आवास के नुकसान के कारण उनके सींगों के लिए अवैध शिकार ने उनकी संख्या में काफी कमी ला दी है।
  18. 2022 में जारी एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान में अफ्रीका में 22,137 गैंडे हैं - 6,195 काले गैंडे और 15,942 सफेद गैंडे।
गैंडों के बारे में 17 रोचक तथ्य | 17 Interesting Facts About Rhinos/ Rhinoceros
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Interesting Facts About Rhinos/ Rhinoceros


Scientific Name: Ceratotherium simum, Diceros bicornis, Rhinoceros unicornis, R. sondaikos, Dicerorhinus sumatrensis
Common Name: White, Black, Indian, Javan, Sumatra

Rhinos are the second-largest land animals after the elephant. Adult rhinos can weigh between 1,000 and 5,500 pounds. Rhinos are native to Africa and Asia and their habitats vary depending on their species. Their habitats include grasslands, savannas, forests, and swamps.

Rhinos are among the largest terrestrial animals found on Earth, with five species: white rhinoceros, black rhinoceros, Sumatran rhinoceros, Javan rhinoceros, and Indian rhinoceros. Rhinos are herbivores and have thick skins, as well as horns made of keratin.
गैंडों के बारे में 17 रोचक तथ्य | 17 Interesting Facts About Rhinos/ Rhinoceros

Let us now know some interesting facts about rhinoceros


  1. Only the one-horned rhinoceros is found in India, which is the largest of the rhino species.
  2. Rhinoceroses range in size from 4–15 feet long or 7–15 feet long, depending on the species.
  3. Rhinoceroses weigh 1,000–5,000 pounds. The white rhino is the heaviest, weighing up to 5,000 pounds (about 2,300 kilograms).
  4. They have a lifespan of 10 – 45 years. In the wild, rhinoceroses can live about 35 to 50 years. In captivity, where they get care and protection, they can live even longer.
  5. Rhinoceroses are herbivores and eat mostly grass, leaves and fruits. Apart from this, they can eat up to 100 pounds of food per day.
  6. Rhinos and oxpecker birds have a symbiotic relationship, where the oxpecker feeds on parasites that settle on the rhino's skin.
  7. One of the most distinctive features of rhinos is their horns. Both black and white rhinos have one or two horns on their snouts. These horns are made of a substance called keratin, which is the same substance that makes up human hair and nails.गैंडों के बारे में 17 रोचक तथ्य | 17 Interesting Facts About Rhinos/ Rhinoceros
  8. Rhinos have thick and tough skin, which resembles armor. This skin provides natural protection from insects and the sun. It is so strong that it can withstand the thorns and sharp branches in their habitat. Underneath that tough skin is a layer of fat, which helps rhinos regulate their body temperature.
  9. Rhinos have a very strong sense of smell, but their eyesight is poor. Despite their enormous size and strength, rhinos have very poor eyesight. They cannot see very far. However, they have an excellent sense of smell and hearing, which helps them detect potential threats.
  10. Rhinos are reclusive creatures and only come together for mating. Female rhinos have a gestation period of 15-16 months and usually give birth to one baby.
  11. When a rhino calf is born, it can immediately bear its own body weight and stand for one to two hours to drink milk from its mother. The rhino calf remains with its mother for the first two years of its life, learning survival skills under the protection of its much larger and more powerful mother. Eventually, the calf becomes independent and separates from its mother.
  12. Rhinos appear calm and peaceful, but can be quite aggressive when they feel threatened. If a rhino feels cornered or provoked, it may attack the perceived threat. These attacks can be incredibly fast, reaching speeds of up to 30 miles per hour.
  13. Rhinos love to cool off by taking mud baths during the summer. They roll around in mud puddles and cover themselves with a thick layer of mud. This not only keeps them cool but it also acts as a natural sunscreen, protecting their skin from the harsh African sun.
  14. Rhinos use their dung (feces) to communicate with other rhinos. They leave piles of dung in conspicuous places to mark their territory and let other rhinos know they have been there. This "feces signal" is an important part of their social interaction and can help avoid confrontation.
  15. Rhinos are not good swimmers. They are quite heavy and not suited to swimming long distances. However, they can swim in shallow water if they need to cross a river or cool off.
  16. Rhinos have existed for over 50 million years and have survived several extinction events. However, human activities such as poaching and habitat destruction have put them at risk of extinction.गैंडों के बारे में 17 रोचक तथ्य | 17 Interesting Facts About Rhinos/ Rhinoceros
  17. Poaching for their horns has caused a significant decline in their numbers due to illegal trade and habitat loss.
  18. A report released in 2022 estimated that there are currently 22,137 rhinos in Africa – 6,195 black rhinos and 15,942 white rhinos.

बेरीनाग का वेणी नाग मंदिर : उत्तराखंड || Nag Devta Temples in Uttarakhand

वेणी नाग मंदिर

बेरीनाग उत्तराखंड का एक छोटा सा हिल स्टेशन है, जो समुद्र तल से 6100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। बेरीनाग  उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के चौकोरी के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित है। बेरीनाग में प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिलती है और यह अपने प्राचीन नाग मंदिरों के लिए लोकप्रिय है। बेरीनाग को नाग मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। इन्हीं नाग मंदिरों में से एक है वेणी नाग मंदिर। यह नाग देवता का एक रहस्यमयी मंदिर है, जिसकी आस्था और महिमा दूर दूर है। वेणीनाग देवता मंदिर में दो प्रमुख मेले लगते हैं, जो उत्तराखंड में लगने वाले प्रमुख मेलों में से एक हैं। 

बेरीनाग का वेणी नाग मंदिर : उत्तराखंड || Nag Devta Temples in Uttarakhand

इस मेले का सबसे बड़ा आकर्षण विशाल मैदान में लगने वाली चांचरी है, जिसमें सभी वर्गों के लोग बिना किसी भेदभाव के हिस्सा लेते हैं। स्त्री-पुरुष, बच्चे सभी मिलकर चांचरी का आनंद उठाते हैं। मेला जब अपनी चरम सीमा में होता है, तभी सांगड़ नामक गांव के दास ढोल-नगाड़ों के साथ बेरीनाग स्थित वेणीनाग मंदिर की ओर चल पड़ते हैं। जिसमें हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ साथ में चलती है। 

बेरीनाग का इतिहास काफी पुराना है। नाग मंदिर आज इस क्षेत्र में आस्था के प्रमुख केंद्र हैं। यहां पर नागों के अलग-अलग मंदिर हैं। इन प्रमुख मंदिरों में बेरीनाग, धौली नाग, फेणी नाग, पिंगली नाग, काली नाग और सुंदरी नाग मंदिर है। यहां तक कि कुछ पहाड़ों का नाम भी नागों के नाम पर रखा गया है। ये नाग मंदिर आज इस क्षेत्र के लोगों के ईष्ट देवताओं के मंदिर हैं। इन मंदिरों में रहने वाले देवताओं को बेहद शक्तिशाली माना जाता है। इस क्षेत्र विशेष के अलावा अन्य स्थानों पर नागों के मंदिर नहीं हैं। 

बेरीनाग का वेणी नाग मंदिर : उत्तराखंड || Nag Devta Temples in Uttarakhand

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में बेरीनाग के नाग मंदिरों का इतिहास आर्यों से भी पहले का रहा है। माना जाता है कि काकेशियन आर्यों के इस क्षेत्र में आने से पहले यहां पर नाग वंश का शासनकाल था। नाग वंश के प्रतापी शासकों के नाम पर आज भी उनके इस इलाके में काफी मंदिर हैं, जो अब भव्य रूप ले चुके हैं। 

कुछ धार्मिक पक्ष को मानने वाले इन्हें भगवान श्रीकृष्ण द्वारा पराजित किए गए कालीनाग का वंशज मानते हैं। इसके नाम पर यहां एक ऊंचा पहाड़ है और उसके शिखर पर कालीनाग का मंदिर मौजूद है, लेकिन इतिहासकार का केशियन आर्यों के आगमन से पूर्व के नागवंश से जोड़ते हैं। इन सब कारणों से बेरीनाग आज नागों के क्षेत्र के लिए जाना जाता है, जिसे अब मानस खण्ड कॉरिडोर में भी शामिल किया गया है ताकि इस क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन से जोड़ा जा सके। 

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Beni Nag Temple

Berinag is a small hill station in Uttarakhand, located at an altitude of 6100 feet above sea level. Berinag is located in the Kumaon region of Chaukori in Pithoragarh district of Uttarakhand. Berinag is full of natural beauty and is popular for its ancient Nag temples. Berinag is also called the city of Nag temples. One of these Nag temples is Beni Nag Temple. This is a mysterious temple of Nag Devta, whose faith and glory is far and wide. Two major fairs are held in the Veninag Devta Temple, which are one of the major fairs held in Uttarakhand.

बेरीनाग का वेणी नाग मंदिर : उत्तराखंड || Nag Devta Temples in Uttarakhand

The biggest attraction of this fair is the Chanchari held in a huge field, in which people of all classes participate without any discrimination. Men, women, children all enjoy Chanchari together. When the fair is at its peak, then the slaves of a village named Sangad start walking towards the Veninag temple located in Berinag with drums. In which a crowd of thousands of people walks along.

The history of Berinag is quite old. Nag temples are the main centers of faith in this region today. There are different temples of Nags here. These major temples include Berinag, Dhauli Nag, Feni Nag, Pingali Nag, Kali Nag and Sundari Nag Temple. Even some mountains are named after Nags. These Nag temples are today the temples of the favorite deities of the people of this region. The deities living in these temples are considered to be very powerful. Apart from this particular region, there are no temples of Nags in other places.

The history of Nag temples of Berinag in Pithoragarh district of Uttarakhand is even before the Aryans. It is believed that before the Caucasian Aryans came to this region, the Nag dynasty ruled here. Even today, there are many temples in this area in the name of the glorious rulers of the Nag dynasty, which have now taken a grand form.

बेरीनाग का वेणी नाग मंदिर : उत्तराखंड || Nag Devta Temples in Uttarakhand

Some religious believers consider them to be the descendants of Kalinag who was defeated by Lord Krishna. There is a high mountain named after it and a temple of Kalinag is present on its peak, but historians link it to the Naga dynasty before the arrival of the Kesian Aryans. For all these reasons, Berinag is today known for the region of Nagas, which has now also been included in the Manas Khand Corridor so that this area can be linked to religious tourism.

दालचीनी का महत्व | Benefits of Chinnamon | दालचीनी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

 दालचीनी का महत्व । Benefits of Daalchini

सबने दालचीनी के बारे में जरूर सुना होगा। हम साधारणतया मसाले के रूप में इसका इस्तेमाल करते हैं। आयुर्वेद में दालचीनी को बहुत ही फायदेमंद औषधि माना जाता है और इसके बहुत से स्वास्थ्य लाभ हैं। आयुर्वेद में कई रोगों के ईलाज में इसका उपयोग किया जाता है।

दालचीनी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

दालचीनी के फायदे (Benefits of Chinnamon):-

  •  दालचीनी वायु की सभी बीमारियों में काम आती है। जैसे- दमा, अस्थमा आदि रोगों को खत्म करती है। इसके साथ कफ के रोग भी खत्म करती है। जैसे- खांसी, सर्दी, जुकाम, मोटापा, वजन बढ़ाना आदि।
  •  दालचीनी पाउडर के रूप में अधिक उपयोगी है। इसे गुड़ में अच्छी तरह मिलाकर खाना चाहिए और ऊपर से गुनगुना/गरम पानी पीना चाहिए। इसे शहद  के साथ भी मर्दन (अच्छी तरह रगड़ कर मिलाना )के बाद लेना चाहिए और ऊपर से गुनगुना पानी पी लेना चाहिए।
  • दालचीनी में अकेले कम से कम 50 कफ के रोग और वात रोग को खत्म करने की क्षमता होती  है।
दालचीनी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण
  • अस्थमा वायु की बीमारी है, इसके लिए दालचीनी शहद के साथ ले सकते हैं। क्योंकि दालचीनी क्षारीय है। शहद की जगह गुड़ ले सकते हैं। यह दोनों क्षारीय है।
  • नारियल फलों में रस होते हुए भी यह क्षारीय है। अतः नियमित रूप से हरा नारियल खाइए। एक दिन 50 ग्राम तक चबा चबा कर खा सकते हैं। दालचीनी गुड़ के साथ  और नारियल 50 ग्राम साथ साथ लेने से 3 महीने के अंदर अस्थमा खत्म हो जाएगी।  
दालचीनी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण
  • दालचीनी के सेवन से पाचन तंत्र संबंधी विकार, दाँत, सिर दर्द, चर्म रोग, मासिक धर्म की परेशानियाँ  ठीक होती हैं। 
  • हिचकी आना एक साधारण शारीरिक वेग है, पर कभी कभी किसी को यह ज्यादा आने लगती है। ऐसी स्थिती में 10 - 20 मि.ली. दालचीनी का काढ़ा पियें, आराम मिलता है। 
  •  जिसको भूख न लगने की समस्या हो, उसे 500 mg सोंठ चूर्ण, 500 mg इलायची चूर्ण और 500 mg दालचीनी चूर्ण मिलाकर सुबह शाम खाने से पहले लेना चाहिए, इससे भूख बढ़ती है। 
  • बार- बार उल्टी आने की स्थिती में दालचीनी और लौंग का काढ़ा 10 -20 mg मात्रा में पिलाने फायदा मिलता है। 
  • दालचीनी के 8 - 10 पत्तों को पीसकर मस्तक पर लेप लगाने से गर्मी से होने वाले सिरदर्द में आराम मिलता है। 
  • दालचीनी के तेल से सिर मालिश करने से सर्दी की वजह से होने वाले सिरदर्द में आराम मिलता है। 
  • दालचीनी को पानी में घिसकर गरम कर लेप लगाने से जुकाम में फायदा होता है। 
  •  खांसी से परेशान होने पर आधा चम्मच दालचीनी के चूर्ण को 2 चम्मच शहद के साथ सुबह शाम सेवन करने से आराम मिलेगा। 
  • शरीर का वजन बढ़ने तथा कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर एक कप पानी में दो चम्मच मधु और तीन छोटा चम्मच दालचीनी डाल कर दिन में दो बार सेवन करें। 
  • 10 -20 मि.ली. दालचीनी का काढ़ा पीने से पेट संबंधी बिमारियों में आराम मिलता। 
  • दालचीनी, इलायची और तेजपत्ता को बराबर बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इसके सेवन से आमाशय की ऐंठन में लाभ मिलता। 
दालचीनी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण

दालचीनी के नुकशान (Side effects of Chinnamon):-

  • कोई भी चीज जरुरी नहीं के सबके लिए फायदेमंद हो, दूसरे व्यक्ति को इससे हानि भी हो सकती है। इसलिए अपने शरीर की प्रवृत्ति को जाने बिना इसका सेवन न करें।  
  • दालचीनी के अधिक मात्रा में सेवन से सिरदर्द की शिकायत हो सकती है। 
  • गर्भवती महिला को दालचीनी का सेवन नहीं करना चाहिए। 
दालचीनी के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण


कुछ पल...

 कुछ पल...

Rupa Oos ki ek Boond

"ख़त्म होती मेरी सज़ा ही नहीं,
जबकि मेरी कोई ख़ता भी नहीं..❣️"

जीवन से विदा लेना, एक अटल सत्य 

उसमें जो खोया, वो हमारे वश में नहीं था।


मगर हमने खोया... 

वह वक्त जो हमें मिला था, 

प्रेम करने के लिये, प्रेम पाने के लिये। 

खूबसूरत एहसासों को जीने के लिये, 

जी भर कर मुस्कुराने के लिये।


हम नहीं सुन सके वह गीत, 

जो झरनों ने गाया, बस हमारे लिये, 

शोर-शराबों के उत्सव होते ही रहे 

छत पर रोज राह तकता रहा 

चाँद तारों का शामियाना।


फूलों की पंखुड़ियाँ, चटक कर खिली 

फिर उदास हो झर गई आंगन में। 

इंतज़ार करती रही एक कविता 

काग़ज़ों के बोझ तले, 

कि इक दिन तुम उसे जरुर गुनगुनाओगे।


मगर.. वक्त फिसलता रहा 

हाथों से रेत की मानिन्द

हमने खोया.... 

किसी का विश्वास, 

किसी का निश्छल प्रेम, 

दुआएं पाने के पल, बस बनाते रहे, 

कुछ आभासी शीशमहल।


आ जाओ ना!

सब कुछ खो जाने से पहले, 

थोड़ा-सा ही सही, 

कुछ पा लें जो हमारे वश में है...

Rupa Oos ki ek Boond

"लम्हों की खताएं,
लफ्जों में क्या बताएं..❣️"

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 || International Women's Day 2025

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ( International Women's Day) पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं......

अपनी माताओं, बहनों और बेटियों का उचित सम्मान कर, अपनी प्राचीन संस्कृति को विश्व में  पुनः गौरवान्वित करें।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 || International Women's Day 2025

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से जुड़ी कुछ खास बातें

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कब हुई?

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1960 में हुई थी जब अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में करीब 15000 महिलाएं सड़कों पर उतरी थी यह महिलाएं काम के घंटों को कम करने बेहतर तनख्वाह और वोटिंग के अधिकार की मांग के लिए प्रदर्शन कर रही थी महिलाओं के इस प्रदर्शन के बाद अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहले राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने की घोषणा की थी महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का विचार एक महिला क्लारा जेटकिन का था क्लारा जेटकिन ने वर्ष 1910 में विश्व स्तर पर महिला दिवस मनाने का प्रस्ताव किया था। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता वर्ष 1975 में मिली जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे मनाना शुरू किया।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 || International Women's Day 2025

8 मार्च को ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाते हैं ?

पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है। जब अमेरिकी महिला अधिकार कार्यकर्ता क्लारा जेटकिन ने इंटरनेशनल विमेंस डे मनाने का प्रस्ताव रखा था तो उनके जेहन में कोई तारीख कोई 1 तारीख नहीं थी इसे औपचारिक जामा भी वर्ष 1917 में तब पहनाया गया जब रूस में महिलाओं ने ब्रेड एंड पीस की मांग करते हुए 4 दिनों तक हड़ताल की इसके बाद रूस में बनी अस्थाई सरकार ने महिलाओं को वोट करने का अधिकार दिया जब रूस में यह हड़ताल हुई थी तो वहां जूलियन कैलेंडर चलता था जिसके अनुसार उस दिन 23 फरवरी की तारीख थी वही दुनिया के बाकी देशों में प्रचलित ग्रेगोरियन कैलेंडर में वह तारीख 8 मार्च थी इसीलिए तब से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को 8 मार्च को मनाया जाने लगा।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 का थीम

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 का थीम है " सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए: अधिकार। समानता। सशक्तिकरण।" इस वर्ष का थीम सभी के लिए समान अधिकार, शक्ति और अवसर तथा एक समावेशी भविष्य के लिए कार्रवाई का आह्वान करता है, जहां कोई भी पीछे न छूटे।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 || International Women's Day 2025

चंद पंक्तियों के साथ एक बार पुनः अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। 

मां है जो,

बेटी है जो,

कभी बहन है ,

तो कभी पत्नी है जो,

जीवन के हर सुख दुःख में शामिल है जो 

शक्ति है जो

प्रेरणा है जो

नमन करो उन समस्त महिलाओं को 

जीवन के हर मोड़ पर सदा साथ देती है जो। 

ओड़िशा का राजकीय फूल - सीता अशोक || State Flower of Odisha - Ashoka Flower

ओड़िशा का राजकीय फूल

सामान्य नाम:  अशोक
स्थानीय नाम: सीता अशोक
वैज्ञानिक नाम: जोनेशिया अशोका (Jonasia Ashoka) अथवा सराका-इंडिका (Saraca Indica)

ओड़िशा का राजकीय फूल - सीता अशोक || State Flower of Odisha - Ashoka Flower

ओड़िशा (Odisha) जिसे पहले उड़ीसा के नाम से जाना जाता और प्राचीन समय में 'कलिंग' के नाम से विख्यात था, भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है। ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर है, जो कि श्री जगन्नाथ जी के भव्य मंदिर एवं उनके बार्षिक रथयाञा के लिए जाना जाता है। ओडीशा राज्य का क्षेञफल 155707 वर्ग किमी है। हर राज्य की तरह ओडिसा का भी अपना राज्य प्रतीक है। राज्य का प्रतीक राज्य की गुणवत्ता को दर्शाता है। यह प्रतीक राज्य की छवि प्रस्तुत करता है। आज हम ओडिसा के राजकीय पुष्प की चर्चा करेंगे। 

ओडिशा का राजकीय फूल अशोक है। अशोक के पेड़ से निकलने वाला यह फूल है, इसलिए इसका नाम अशोक पड़ा। वैज्ञानिक भाषा में इसे सरका असोका कहते हैं।

ओड़िशा का राजकीय फूल - सीता अशोक || State Flower of Odisha - Ashoka Flower

ओड़िशा के राजकीय प्रतीक

राज्य पशु – सांभर 
राज्य पक्षी – इंडियन राेलर
राज्य वृक्ष – एल्डर वृक्ष
राजकीय पुष्प – रोडोडेंड्रोन (बुरांस)
राजकीय भाषा  – उडिया
राजकीय फूल  – अशोक 
ओडिशा की प्रमुख नदियां – वैतरणी, महानदी, ब्राह्मणी

अशोक का पेड़ आम के पेड़ के समान 25 से 30 फुट तक ऊंचा, बहुशाकीय, घना व छायादार होता है। इसका तना कुछ लालिमा लिए हुए भूरे रंग का होता है। यह वृक्ष सारे भारतवर्ष में पाया जाता है। इसके पल्लव 9 इंच लंबे, गोल,व नोकदार होते हैं। यह साधारण डंठल के व दोनों ओर से 5 से 6 जोड़ों में लगे होते हैं। इसकी पत्तियां 8 से 10 इंच लम्बी तथा 1 से 2 इंच चौड़ी होती हैं। अशोक के पेड़ के फूल नारंगी रंग के होते हैं, जो बाद में लाल रंग में बदल जाते हैं। ये घने गुच्छों में आते हैं और सुगंधित होते हैं। अशोक के फूलों का इस्तेमाल दवाइयों के साथ-साथ सौंदर्य प्रसाधन में भी किया जाता है। 

English Translate

State flower of Odisha

Common name: Ashoka
Local name: Sita Ashoka
Scientific name: Jonasiya Ashoka or Saraca Indica

ओड़िशा का राजकीय फूल - सीता अशोक || State Flower of Odisha - Ashoka Flower

Odisha, formerly known as Orissa and in ancient times known as 'Kalinga', is a state located on the east coast of India. The capital of Odisha is Bhubaneswar, which is known for the grand temple of Shri Jagannath ji and his annual Rath Yatra. The area of ​​​​the state of Odisha is 155707 square km. Like every state, Odisha also has its own state emblem. The state emblem reflects the quality of the state. This emblem presents the image of the state. Today we will discuss the state flower of Odisha.

The state flower of Odisha is Ashoka. This flower comes out of the Ashoka tree, hence its name is Ashoka. In scientific language it is called Saraca Ashoka.

ओड़िशा का राजकीय फूल - सीता अशोक || State Flower of Odisha - Ashoka Flower

State symbols of Odisha

State animal – Sambhar
State bird – Indian Roller
State tree – Elder tree
State flower – Rhododendron (Burans)
State language – Oriya
State flower – Ashoka
Major rivers of Odisha – Vaitarni, Mahanadi, Brahmani

Ashoka tree is 25 to 30 feet tall, multi-vegetable, dense and shady like a mango tree. Its stem is brown in colour with some redness. This tree is found all over India. Its leaves are 9 inches long, round and pointed. They are attached to a simple stalk and in 5 to 6 pairs on both sides. Its leaves are 8 to 10 inches long and 1 to 2 inches wide. The flowers of Ashoka tree are orange in colour, which later turn red. They come in dense clusters and are fragrant. Ashoka flowers are used in medicines as well as cosmetics.

ओड़िशा का राजकीय फूल - सीता अशोक || State Flower of Odisha - Ashoka Flower

अशोक वृक्ष के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुण