ईमानदारी
आज गांव के एक बच्चे की ईमानदारी की बात करते हैं, जो अभाव में भी अपनी ईमानदारी को नहीं छोड़ता।
किसी गांव में एक लड़का रहता था। उसके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। बहुत ही मुश्किल से उसके घर में भोजन पानी की व्यवस्था हो पति थी। आर्थिक तंगी के बीच पले बढ़े इस बच्चे के मन में विचार आया कि किसी बड़े शहर में जाकर वह नौकरी कर ले। वह कलकत्ता गया और नौकरी ढूंढने लगा।
कुछ दिन खोज बीन के बाद उसे एक सेठ के घर में नौकरी मिल गयी। काम था सेठ को रोज़ 6 घंटे अख़बार और किताब पढ़कर सुनाना। लड़के को नौकरी की ज़रूरत थी तो उसने वह नौकरी स्वीकार कर ली।
एक दिन की बात है लड़के को दुकान के कोने में 100-100 के 8 नोट पड़े मिले। उसने चुपचाप उन्हें अख़बारों और किताबों से ढक दिया। दूसरे दिन रुपयों की खोजबीन हुई। वह रुपये किसी ग्राहक के थे, जो गलती से गिर गए थे। दुकान पर काम करने वाले सभी लोगों से पूछ ताछ शुरू हुई। लड़का सुबह जब दुकान पर आया तो उससे भी पूछा गया।
लड़के ने तुरंत ही प्रसनन्ता से रूपये निकालकर ग्राहक को दे दिए। वह बहुत ही खुश हुआ। लड़के के ईमानदारी से सबको बहुत प्रसनन्ता हुई। सेठ भी लड़के से बहुत खुश हुआ। सेठ ने लड़के को पुरस्कार देना चाहा, तो लड़के ने लेने से मना कर दिया।
लड़के ने सेठ जी से कहा - अगर आप कुछ करना ही चाहते हैं तो, मैं आगे पढ़ना चाहता हुँ , पर पैसो के आभाव ने पढ़ नहीं पा रहा। यदि आप कुछ सहयता कर दें।
सेठ ने लड़के की पढ़ाई का प्रबंध कर दिया। लड़के ने जी जान लगा दी और बहुत मेहनत से पढता गया। यह लड़का आगे चलकर सहित्यकार बना। इसका नाम था – राम नरेश त्रिपाठी। हिंदी साहित्य में इनका बहुत बढ़ा योगदान है।
Nice Story 👍
ReplyDeleteBahut achi kahani
ReplyDelete🙏श्री राम नरेश त्रिपाठी जी को नमन 🙏
ReplyDelete🙏🙏💐💐
🕉शुभप्रभात🕉️☕️☕️
🙏ॐ नमः शिवाय 🚩🚩🚩
🙏जय जय भोलेनाथ 🚩🚩
🙏आप का दिन शुभ हो 🙏
🚩🚩हर हर महादेव 🚩🚩
👍👍👍बहुत बढ़िया, प्रेरणादायक प्रसंग.. शेयर करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
Nice story
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