जरा सी रात ढल जाए तो शायद नींद आ जाए
जरा सी रात ढल जाए तो शायद नींद आ जाए
जरा सा दिल बहल जाए तो शायद नींद आ जाए
अभी तो कर्ब है, बे-चैनियाँ हैं, बे-क़रारी है
तबीअं'त कुछ सँभल जाए तो शायद नींद आ जाए
हवा के नर्म झोंकों ने जगाया तेरी यादों को
हवा का रुख बदल जाए तो शायद नींद आ जाए
ये तूफ़ाँ आँसुओं का जो उमड आया है पलकों तक
किसी सूरत ये टल जाए तो शायद नींद आ जाए
ये हँसता मुस्कुराता क़ाफ़िला जो चाँद तारों का
'फ़रह' आगे निकल जाए तो शायद नींद आ जाए
"बेचैन इस क़दर थी कि सो न सकी रात भर,
पलकों से लिख रही थी तेरा नाम चांद पर ..❣️
Hpy sunday ji 🌹☕
ReplyDelete🙏🙏💐💐
ReplyDelete🕉Good Morning 🕉️☕️☕️
Have a wonderful day ahead
🙏 Take care.. Stay healthy, stay happy 🙏🙏
🙏जय श्री हरि 🚩🚩
Nice
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