जेठ की तपती दोपहर में
हर रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़े हैं ,
ऐ जिंदगी देख मेरे हौसले तुझ से भी बड़े है....❣️❣️
जेठ की तपती दोपहर में
बादलों का आना ही
राहत और सुकून देता है
और उनका बरस जाना
ज्यों तन-मन को भिगोता देता है
तुम आना तो वैसे ही आना
रूह में बस जाने को आना
इम्तिहान लेने को ही सही
तुम आना, न जाने को आना
मेरी जिंदगी के साजों को
अपने मीठे संगीत से सजाना
तुम आना, चांद की तरह आना
भले रहो दूर मुझसे
अपनी चांदनी में समेट लेना
मैं सब्र करूँगी चांदनी संग जी लूंगी..
मगर तुम आना ..
आती नहीं हैं आहटें अब उस पार से
फिर भी हम हैं कि सरगोशियां करते जाते हैं..❣️
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 24 जून 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDelete"पांच लिंकों के आनन्द में" इस रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर
DeleteVery Very nice
Deleteबहुत खूब...कभी तुम भी तो आना😊
ReplyDeleteHappy Sunday
Anonymous se comment hota...naam ata hi nahi hai
Very nice...
ReplyDeleteचांद फिर निकला मगर तुम ना आए लुटा घर किसी का करूं क्या मैं हाय रे आज आपको देखा चांद को देखा और चांद को हंसते हुए देखा बहुत अच्छा लगा आप ऐसे ही हमेशा खुश रहें और मुस्कुराते रहें
ReplyDeleteचांद फिर निकला मगर तुम ना आए लुटा घर किसी का करूं क्या मैं हाय रे आज आपको देखा चांद को देखा और चांद को हंसते हुए देखा बहुत अच्छा लगा आप ऐसे ही हमेशा खुश रहें और मुस्कुराते रहें
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDeleteबेहतरीन कविता
ReplyDeleteशुभ रविवार
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteVery nice happy Sunday
ReplyDeleteबहुत सुंदर निमंत्रण ! प्रेम भरा आमंत्रण!!
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण सृजन ।
चाँद सा बनके आना , शीतल एवं सौम्य...
Very Nice Happy Sunday Rupaji 🙏🏻
ReplyDeleteSalute 🥰🥰
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteBahut sunder !
ReplyDeleteVery nice Rupa
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