उलाहना
झील के उस पार चलते हैं
कुछ देर सुकून से बैठते हैं
बहुत सी बातें मुझे बतानी हैं
शिकायतें आपस में बांट लेते हैं..
थोड़ी खामोशी भी होगी
थोड़ा हंसी का शोर भी होगा
दिल में जमा ढेर उलाहनों को
हम साझा कर मिटा देते हैं..
चलो, आज सब भूल जाते हैं
अपने अरमान फिर से सजाते हैं
जिंदगी के ऊन अनमोल पलों को
फिर एक बार हम जी लेते हैं..
वो लम्हें जो हमने खो दिए थे
आज फिर से उन्हें जी लेते हैं
अपनी ये अभिमानी दूरियाँ
मिटा देते हैं करीब आ जाते हैं..
चलो, उन यादों को ताजा करते हैं
जो दिल के कोने में बसी हुई हैं
झील पार दरख्तों के पीछे खोई हैं
हम तुम मिलकर उन्हें खोज लेते हैं..
झील में लहरों का खेल देखते हैं
उनमें दीवानगी को फिर खोजते हैं
दिल में भी वैसी ही लहरें पैदा कर
खोई जिंदगी वापस पा लेते हैं..
"फिर ना सिमटेंगे ये पल जो बिखर जायेंगे
ये जिंदगी है, जुल्फे नहीं जो फिर से संवर जाएगी...❣️"
वाह ❤️💙
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 10 जून 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDelete' पांच लिंकों के आनन्द में' इस रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।
Deleteरविवार की सुबह को खुशनुमा बनाती एक बेहतरीन कविता
ReplyDeleteGood Morning ⚘️
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteVery nice 🙂
ReplyDeleteBahut badiya kavita
ReplyDeleteVery nice poem..
ReplyDeletevery nice pic and lines
ReplyDeleteWaah 👌👌
ReplyDelete👍👍वाह... बहुत खूब 🙏
ReplyDelete🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
🚩🚩राधे राधे 🚩🚩
Happy Sunday
ReplyDeleteबहोत खूब 👏👏👏👌
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteVery Nice poem 👌🏻👍
ReplyDeleteवाह ! अलग हुए रास्तों को घर की तरफ़ मोड़ लाते हैं.
ReplyDeleteAisi ulaaahna to hum roz sunne ke liye taiyaar hain...
ReplyDeleteBeautiful pic 😍😍
Good morning.
ReplyDeleteVery nice pic
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteLajwaab 👌👌
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