सालासर बालाजी मंदिर, राजस्थान
भारत में यह एकमात्र बालाजी का मंदिर है, जिसमें बालाजी के दाढ़ी और मूँछ है। राजस्थान के चुरू जिले में हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो सालासर बालाजी (Salasar Balaji) के नाम से प्रसिद्ध है। बाला जी के प्रकट होने की कथा जितनी ही चमत्कारी है, उतने ही बाला जी भी चमत्कारी और भक्तों की मनोकामना पूरी करने वाले हैं।
बालाजी की प्रतिमा शालिग्राम पत्थर की है जिसे सिंदूरी रंग और सोने से सजाया गया है। दिन में कई बार इनकी पोशाक बदलकर इनका भव्य श्रृंगार किया जाता है,कभी गुलाब तो कभी मोगरा के फूलों से इनकी झांकी सजाई जाती है।
सालासर धाम की स्थापना करीब 268 साल पहले हुई थी। संत मोहन दासजी महाराज ने बालाजी के चढ़ावे में आए पांच रुपए से मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर बनाने के पीछे का मकसद भी श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। संवत 1811 श्रावण शुक्ला नवमी शनिवार के दिन बालाजी महाराज की मूर्ति स्थापित हुई थी। इसके बाद में संत मोहन दासजी ने फतेहपुर के नूर मोहम्मद और दाऊ नामक कारीगरों को मंदिर निर्माण के लिए बुलाया। सम्वत् 1815 में निर्माण पूरा हुआ। वर्तमान में मंदिर परिसर लंबे-चौड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ है और सभी सुविधाएं भी हैं। देशभर में सालासर धाम अलग पहचान रखता है। कई राज्यों से यहां श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने आते हैं।
यहाँ नारियल से पूरी होती है मनौती (मन्नत)
सालासर बालाजी धाम में नारियल चढ़ावे में खास तौर से रखा जाता है। माना जाता है कि भगवान नारियल के भेंट स्वीकार कर लोगों की मनोकामना पूरी करते हैं। हर साल करीब 25 लाख नारियल मंदिर में चढ़ाए जाते हैं। खास बात यह भी है कि यहां मनौती के इन नारियलों का दोबारा उपयोग में नहीं लिया जाता है। उन्हें खेत में गड्ढा खोदकर दबा दिया जाता हैं।
यहां करीब करीब 200 सालों से श्रद्धालु मंदिर परिसर में ही लगे खेजड़ी के एक पेड़ पर लाल कपड़े में नारियल बांधकर जाते हैं । इन नारियलों को फेंका नहीं जाता है। ना ही जलाया जाता है और ना ही कोई अन्य उपयोग होता है। इसके पीछे भी एक रोचक कथा है। नारियलों को सालासर बालाजी मंदिर से करीब 11 किलोमीटर दूर मुरड़ाकिया गांव के पास करीब 250 बीघा खेत में गड्ढा करके दबा दिया जाता है। यशोदा नंदन पुजारी ने बताया कि शुरुआती दिनों में इन नारियलों को धूने की ज्योत में डालकर जला दिया जाता था। लेकिन तीसरी पीढ़ी के पुजारी परिवार के मुखिया को एक सपना आया। इस सपने में पुजारी ने देखा कि नारियलों के साथ भक्तों की मनोकामनाएं भी जल रही हैं। पुजारी ने अपने परिवारजनों को इकट्ठा कर यह बात बताई। इसके बाद मन्नतों के इन नारियलों को सुरक्षित रखने का फैसला किया गया।
बालाजी के एक भक्त थे मोहनदास। इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर बालाजी ने इन्हे मूर्ति रूप में प्रकट होने का वचन दिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए बालाजी नागौर जिले के आसोटा गांव में 1811 में प्रकट हुए। इसकी भी एक रोचक कथा है।
आसोटा में एक जाट खेत जोत रहा था तभी उसके हल की नोक किसी कठोर चीज से टकराई। उसे निकाल कर देखा तो एक पत्थर था। जाट ने अपने अंगोछे से पत्थर को पोंछकर साफ किया तो उस पर बालाजी की छवि नजर आने लगी। इतने में जाट की पत्नी खाना लेकर आई। उसने बालाजी के मूर्ति को बाजरे के चूरमे का पहला भोग लगाया। यही कारण है कि बाला जी को चूरमे का भोग लगता है।
कहते हैं जिस दिन यह मूर्ति प्रकट हुई उस रात बालाजी ने सपने में आसोटा के ठाकुर को अपनी मूर्ति सलासर ले जाने के लिए कहा। दूसरी तरफ मोहन राम को सपने में बताया कि जिस बैलगाड़ी से मूर्ति सालासर पहुंचेगी उसे सालासर पहुंचने पर कोई नहीं चलाए। जहां बैलगाड़ी खुद रुक जाए वहीं मेरी मूर्ति स्थापित कर देना। सपने में मिले निर्देश के अनुसार ही मूर्ति को वर्तमान स्थान पर स्थापित किया गया है।
पूरे भारत में एक मात्र सालासर में दाढ़ी मूछों वाले हनुमान यानी बालाजी स्थित हैं। इसके पीछे मान्यता यह है कि मोहनराम को पहली बार बालाजी ने दाढ़ी मूंछों के साथ दर्शन दिए थे। मोहनराम ने इसी रूप में बालाजी को प्रकट होने के लिए कहा था। इसलिए हनुमान जी यहां दाढ़ी मूछों में स्थित हैं।
जय श्री सालासर बालाजी महाराज 🙏🏻
ReplyDeleteThank you very much! Your valuable insights greatly contribute to keeping us informed. For those interested in playing games for profit or seeking information about the intricacies of slot games, feel free to click on this link! Casinesia And perhaps fortune will smile upon you as you engage in this lucrative gaming experience.
ReplyDeleteJay Shree Balaji 🙏🏼🙏🏼💐
ReplyDeleteJai shree balaji
ReplyDeletejai bajrang bali
ReplyDeleteजय श्री बाला जी महाराज
ReplyDeleteJai ho
ReplyDelete