बेंगलुरु से एक दिन की यात्रा - नंदी हिल्स
बेंगलुरु से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित, नंदी हिल्स एक बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थल है। बैडमिंटन टूर्नामेंट खत्म होने के बाद हमलोगों के पास एक दिन का समय था। कुछ लोगों का कुर्ग घुमने का मन था, पर ये एक दिन में नहीं हो पाता, तो हमारे मैनेजर साहब ने नंदी हिल्स घुमाने का प्रोग्राम बनाया। समुद्र तल से 4851 फीट की ऊंचाई पर स्थित नंदी हिल्स पर सूर्योदय बहुत खास होता है। सूरज की सुंदरता, हरे-भरे जंगल और पहाड़ियों के ठंडे मौसम के बीच पक्षियों की मीठी चहचहाहट, मानो एक स्वर्ग जैसा, ऐसा सुना था।
खूबसूरती से नक्काशीदार मेहराबों और राजसी स्तंभों के साथ जटिल चित्रित दीवारों और छतों से युक्त, नंदी हिल्स मंदिरों और स्मारकों और मंत्रमुग्ध कर देने वाले दृश्यों से घिरा हुआ है, जो इस जगह को किसी छिपे हुए स्वर्ग से कम नहीं बनाता है। गुरुवार का दिन था, शायद इसलिए घूमने वाले लोग भी कम थे। कैब के ड्राइवर ने बताया कि वीकेंड पर यहाँ ज्यादा लोग आते।
सूर्योदय दृश्य बिंदु (Sun Rise Point)
यह फोटोग्राफरों और आगंतुकों के लिए दिन के शुरुआती क्षणों को कैद करने और उनका आनंद लेने के लिए एक शानदार स्थान है। शीर्ष बहुत सुंदर, घुमावदार और बादलयुक्त है। जहाँ हमलोग सूर्योदय के बाद पहुंचे।
टीपू का समर पैलेस और किला:
भव्यता के मामले में यहाँ कुछ भी नहीं है, लेकिन यह आज भी प्राचीन वास्तुकला के प्रमाण के रूप में खड़ा है। यह पूरी तरह से लकड़ी से बना है।
टीपू ड्रॉप:
वह प्रसिद्ध स्थान जहां टीपू सुल्तान ने अपने कैदियों और दुश्मनों को मौत के घाट उतार दिया था।
योग नरसिम्हा मंदिर:
एक सुंदर सरल हिंदू मंदिर जहां आमतौर पर इतनी भीड़ नहीं होती है।
भोगा नंदीश्वर मंदिर:
नंदी गांव में 19वीं सदी का भोग नंदीश्वर मंदिर सबसे पुराने और सबसे सुंदर मंदिरों में से एक है, जो भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती और नंदी को समर्पित है। यह मंदिर वास्तुकला की द्रविड़ शैली में बनाया गया है और इसमें दो बड़े मंदिर हैं: "अरुणाचलेश्वर", और "भोग नंदीश्वर"।
बीच में, एक छोटा सा मध्यवर्ती मंदिर है जिसे "उमा-महेश्वर" मंदिर कहा जाता है, जिसमें एक कल्याण मंडप ("विवाह कक्ष") है जो हिंदू देवताओं के चित्रण के साथ काले पत्थर के अलंकृत स्तंभों से सजा है।
मुड्डेनहल्ली
इस मंदिर से लगभग 2 किमी दूर मुद्देनाहल्ली में प्रसिद्ध इंजीनियर और भारत रत्न सर एम. विश्वेश्वरैया का जन्मस्थान है। जिस घर में उनका जन्म हुआ था उसे अब संग्रहालय में बदल दिया गया है और इस संग्रहालय के बगल में ही वह स्थान है जहाँ उनका स्मारक बना है।
लेपाक्षी:
लेपाक्षी बेंगलुरु से लगभग 130 किमी और मुड्डेनहल्ली से 70 किमी दूर एक छोटा सा गाँव है। लेपाक्षी 15 वीं शताब्दी में विजयनगर राजाओं द्वारा निर्मित वीरभद्र मंदिर के लिए प्रसिद्ध है और नंदी और नागलिंग के सबसे बड़े मोनोलिथ के लिए जाना जाता है। 15 फीट ऊंची और 27 फीट लंबी मूर्ति को भारत में सबसे बड़ी नंदी कहा जाता है। एक ही पत्थर से बनी नंदी की मूर्ति मंदिर के सामने है।
गवी वीरभद्र स्वामी मंदिर:
कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र की एक लोकप्रिय प्रतिमा की प्रतिकृति है। यह प्रतिमा बैंगलोर से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चिक्कबल्लापुर जिले का नंदी हिल्स पर स्थापित है। यह प्रतिमा 112 फीट ऊंची है। यह ईशा फाउंडेशन की ओर से खोला गया दूसरा केंद्र है। तकरीबन 100 एकड़ में फैली यह फाउंडेशन प्रकृति की गोद में बसी हुई बेहद खूबसूरत लग रही है।
बहुत खूबसूरत
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice...
ReplyDeleteNazara dekhne wali aur nazara dono mast 🤩🤩🤩💗💗
ReplyDeleteVery beautiful ❤️
ReplyDeletewow, enjoy
ReplyDeleteWow very beautiful nazara
ReplyDeleteMast injoy👍👍👍👍
ReplyDeleteSuperb 👍🏻
ReplyDeleteBahut khooob 👌👌
ReplyDeleteGOOD FEELS WITH नंदी HILLS 🥰
ReplyDeleteवाह रूपा जी आपने तो बेंगलुरु की शोभा बढा दी ☺️👌🏻👌🏻🌹
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteSorry Aajkal time nahi mil raha hai isliye kooapp par bhi nahi aa raha hu.. bahut sundr jagah hai..👌
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeletelajwaab
ReplyDeleteSuperb ji ❤️
ReplyDelete🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
ReplyDelete🚩🚩जय जय सियाराम 🚩🚩
👍👍👍जी बहुत बढ़िया 🙏
👍Enjoy 💐💐
Bahut sundar
ReplyDeleteBeautiful 👌👌
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteWaa@h beautiful 👌👌👌🏻😍😍
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