झारखंड का राजकीय/राज्य पक्षी
"कोयल (Cuckoo)" को झारखण्ड का राजकीय पक्षी कहा जाता है। कोयल का वैज्ञानिक नाम "यूडाइनेमिस स्कोलोपेकस (eudainemis scolopecus)" है। यह सर्वाहारी जीवों की श्रेणी वाला पक्षी है। बसंत ऋतू के समय कोयल कूकती है। इस कोयल की एक बहुत ही विचित्र विशेषता है कि यह अपना अंडा कौए के घोसले में देती है, और खुद का घोसला कभी नहीं बनाती।
मीठी मीठी इसकी तान,
सबसे मीठा मीठा बोलो,
सदा मिलेगा यश, सम्मान "
कोयल इस बात का उदाहरण है कि कोई रूप से कैसा भी हो वाणी का मधुर है, तो किसी को भी आकर्षित कर सकता है। अपनी मधुर वाणी से किसी का भी मन मोह लेता है।
कोयल प्रकृति की बेटियां हैं। हर साल वसंत ऋतु में पूरी तन्मयता, ईमानदारी और समयबद्धता के साथ अपनी मीठी तान छेड़कर सम्पूर्ण वातावरण को और भी अधिक मोहक और हसीन बनाती हैं। हालांकि प्रकृति ने कोयल को सुरीली आवाज से नवाजा है, लेकिन इसके बावजूद यह पक्षी स्वभाव से बेहद चालाक पक्षी की श्रेणी में आने वाला जीव है।
कोयल पक्षी काफी हद तक पेड़ों पर ही पाया जा सकता है। वे मुख्य रूप से पर्णपाती और शंकुधारी जंगलों, लकड़ी के भूमि क्षेत्रों, घास के मैदानों, झाड़ियों, दलदली भूमि, तराई और यहां तक कि जंगल के सपाट मैदानों में निवास करते हैं। दुनियाभर में कोयल की 127 प्रजातियां पाई जाती हैं, यूरोप में केवल दो ही प्रजातियां पाई जाती हैं। अधिकांश प्रजातियां अफ्रीका, एशिया और आस्ट्रेलिया में पाई जाती हैं। कोयल की आधी से ज्यादा प्रजातियां ऐसी हैं, जो दूसरे पक्षियों के घोंसलों में अंडे देती हैं। वास्तव में, कोयल अपने बच्चों को पालने के प्रयास से बचने के लिए अन्य पक्षियों के घोंसलों में अंडे देती है। लगभग 20 दिनों के बाद कोयल घोंसला छोड़ देती है।
कोयल अपना लगभग पूरा जीवन जंगल में बिताती है, जंगल उसका निवास स्थान है और जंगलों में एक स्वस्थ कोयल का जीवनकाल लगभग 6 साल होता है।
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State bird of Jharkhand
"Cuckoo" is called the state bird of Jharkhand. The scientific name of the cuckoo is "Eudainemis scolopecus". It is a bird in the category of omnivores. The cuckoo cuckoos in the spring. A very strange feature of this cuckoo is that it lays its egg in the crow's nest, and never builds its own nest.
The cuckoo is an example of the fact that no matter what one's appearance is, if one's speech is sweet, one can attract anyone. He fascinates anyone with his sweet voice.
Cuckoos are the daughters of nature. Every year in the spring season, with full devotion, honesty and punctuality, she makes the whole environment even more attractive and beautiful by teasing her sweet tones. Although nature has blessed the cuckoo with a melodious voice, but despite this, this bird is a very clever bird by nature.
The cuckoo bird can be found largely on trees. They mainly inhabit deciduous and coniferous forests, wooded land areas, grasslands, scrublands, marshlands, lowlands and even forest flatlands. There are 127 species of cuckoos found worldwide, only two species are found in Europe. Most species are found in Africa, Asia and Australasia. More than half of the cuckoo species lay eggs in the nests of other birds. In fact, cuckoos lay their eggs in other birds' nests to avoid the effort of raising their young. The cuckoo leaves the nest after about 20 days.
The cuckoo spends almost its entire life in the forest, the forest being its habitat and the life span of a healthy cuckoo in the wild is about 6 years.
Naam hi jo koyal hai
ReplyDeleteबढ़िया जानकारी दी आपने
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteकुछ पंछी अपने शारीरिक सुंदरता के कारण जानी जाती है तो कुछ अपने मीठी और सुरीली आवाज के कारण । कोयल मीठी आवाज के कारण जानी जाती है । यह भी प्रकृति की एक अमूल्य धरोहर है हमलोगो को इसकी रक्षा करनी चाहिए और इससे बहुत कुछ सीखनी चाहिए🌹🙏गोविंद🙏🌹
ReplyDeleteVery nice..
ReplyDeleteBadhiyaa jankari 👍👌
ReplyDeleteGreat information
ReplyDeleteKoyal ki koo koo ki awaz mujhe bahut pasand hai..
ReplyDeleteGood information 👍👌
ReplyDelete,🙏🙏
ReplyDeletekoooooo....kooooooooo
ReplyDeleteSo she is known for dropping her own babies to other birds.
ReplyDeleteGood knowledge
ReplyDeleteGood information 👍
ReplyDeleteGood information
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