श्रीमद्भगवद्गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)
इस ब्लॉग के माध्यम से हम सम्पूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता प्रकाशित कर रहे हैं, इसके तहत हम सभी 18 अध्यायों और उनके सभी श्लोकों का सरल अनुवाद हिंदी में प्रकाशित करेंगे।
अर्जुन उवाच
भावार्थ :
अर्जुन बोले- मुझ पर अनुग्रह करने के लिए आपने जो परम गोपनीय अध्यात्म विषयक वचन अर्थात उपदेश कहा, उससे मेरा यह अज्ञान नष्ट हो गया है || 11.1 ||
भावार्थ :
क्योंकि हे कमलनेत्र! मैंने आपसे भूतों की उत्पत्ति और प्रलय विस्तारपूर्वक सुने हैं तथा आपकी अविनाशी महिमा भी सुनी है॥2॥
भावार्थ :
हे परमेश्वर! आप अपने को जैसा कहते हैं, यह ठीक ऐसा ही है, परन्तु हे पुरुषोत्तम! आपके ज्ञान, ऐश्वर्य, शक्ति, बल, वीर्य और तेज से युक्त ऐश्वर्य-रूप को मैं प्रत्यक्ष देखना चाहता हूँ॥3॥
भावार्थ :
हे प्रभो! (उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय तथा अन्तर्यामी रूप से शासन करने वाला होने से भगवान का नाम 'प्रभु' है) यदि मेरे द्वारा आपका वह रूप देखा जाना शक्य है- ऐसा आप मानते हैं, तो हे योगेश्वर! उस अविनाशी स्वरूप का मुझे दर्शन कराइए॥4॥
🙏🙏
ReplyDeleteजय श्रीकृष्ण
ReplyDeleteजय श्री कृष्ण
ReplyDelete🌹🙏गोविंद🙏🌹कामना तो हमसाब की भी
ReplyDeleteयही है की प्रभु अपने असली रूप में हमलोग को
भी दर्शन दें लेकिन शायद कर्म अर्जुन के जैसा
नही कर पा रहे है🌹🙏शक्ति दो प्रभु🙏🌹जिससे
आपकी भक्ति कर सकूं🥀
Jai shree krishna 🙏
ReplyDeleteॐ श्री भगवते वासुदेवाय नमः 🙏🏻
ReplyDeleteकर्म करना आपका अधिकार है फल की इच्छा में नहीं।
ReplyDeleteJai shree krishna
ReplyDeleteजय श्री कृष्ण
ReplyDeleteJai shree krishna
ReplyDeleteJai shree shyam. .🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteJai shree Krishna
ReplyDeletejai shree krishna
ReplyDeleteJai krishna
ReplyDelete🙏 🙏 🕉️ 🙏 🙏
ReplyDelete