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वृक्ष हों भले खड़े- हरिवंशराय बच्चन

वृक्ष हों भले खड़े

वृक्ष हों भले खड़े- हरिवंशराय बच्चन

"आसान बहुत है खुशी में मुस्कुरा देना,
मुस्कुरा दे जो गम में भी
वह किरदार ही अलग होते हैं.."


वृक्ष हों भले खड़े,

हों घने हों बड़े,

एक पत्र छाँह भी,

माँग मत, माँग मत, माँग मत,

अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।


तू न थकेगा कभी,

तू न रुकेगा कभी,

तू न मुड़ेगा कभी,

कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,

अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।


यह महान दृश्य है,

चल रहा मनुष्य है,

अश्रु स्वेद रक्त से,

लथपथ लथपथ लथपथ,

अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।

- हरिवंशराय बच्चन

Good Morning

जिंदगी का एक ही उसूल रखो,
मुसीबत चाहे कितनी भी हो हमेशा
चेहरे पर मुस्कान रखो..

13 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (11-06-2023) को   "माँ की ममता"  (चर्चा अंक-4667)  पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  2. पवन कुमारJune 11, 2023 at 2:51 PM

    बहुत ही सुन्दर रचना है क्या कहना हरिवंश जी का
    🌹🙏गोविंद🙏🌹 से यही प्रार्थना है की हे करुणाकर यदि तेरे मन को भाए तो इतना करना
    स्वामी की जो अपनो को छोर गए उनकी याद
    अधिक न आए।

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  3. Very nice poem...happy Sunday...

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  4. शानदार कविता

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  5. शुभ सन्ध्या 🪔 with curve smile 😁।
    जय श्री राम 🙏🚩🏹🙌

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  6. प्रेरक कविता।

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