वृक्ष हों भले खड़े
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
तू न थकेगा कभी,
तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
- हरिवंशराय बच्चन
जिंदगी का एक ही उसूल रखो,
मुसीबत चाहे कितनी भी हो हमेशा
चेहरे पर मुस्कान रखो..
मुसीबत चाहे कितनी भी हो हमेशा
चेहरे पर मुस्कान रखो..
Good Morning 💐
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (11-06-2023) को "माँ की ममता" (चर्चा अंक-4667) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही सुन्दर रचना है क्या कहना हरिवंश जी का
ReplyDelete🌹🙏गोविंद🙏🌹 से यही प्रार्थना है की हे करुणाकर यदि तेरे मन को भाए तो इतना करना
स्वामी की जो अपनो को छोर गए उनकी याद
अधिक न आए।
Happy Sunday
ReplyDeleteVery nice poem...happy Sunday...
ReplyDeleteशानदार कविता
ReplyDeleteNice poem
ReplyDelete👌👌
ReplyDeleteशुभ सन्ध्या 🪔 with curve smile 😁।
ReplyDeleteजय श्री राम 🙏🚩🏹🙌
Very Nice 👌🏻👌🏻
ReplyDeleteप्रेरक कविता।
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteअतिउत्तम 👌👌
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