मैंने गाकर दुख अपनाए
"जरूरी नहीं कि मिठाई खिलाकर ही दूसरों का मुंह मीठा करें,
हम मीठा बोलकर भी लोगों को खुशियां दे सकते हैं.."
मैंने गाकर दुख अपनाए!
कभी न मेरे मन को भाया,
जब दुख मेरे ऊपर आया,
मेरा दुख अपने ऊपर ले कोई मुझे बचाए!
मैंने गाकर दुख अपनाए!
कभी न मेरे मन को भाया,
जब-जब मुझको गया रुलाया,
कोई मेरी अश्रु धार में अपने अश्रु मिलाए!
मैंने गाकर दुख अपनाए!
पर न दबा यह इच्छा पाता,
मृत्यु-सेज पर कोई आता,
कहता सिर पर हाथ फिराता-
’ज्ञात मुझे है, दुख जीवन में तुमने बहुत उठाये!
मैंने गाकर दुख अपनाए!
- हरिवंशराय बच्चन
"ख़ुशी उपलब्धि पाने के उत्त्साह
और रचनात्मक प्रयास के रोमांच में निहित है.."
और रचनात्मक प्रयास के रोमांच में निहित है.."
Good Morning 🌞
ReplyDeleteNice poem...happy Sunday.
ReplyDeleteHappy sunday
ReplyDeleteगाकर दुख खुद के अपनाए
ReplyDeleteBahut achi kabita
ReplyDeleteबढ़िया कविता।
ReplyDeleteशुभ रविवार
बहुत सुंदर कविता
ReplyDeleteबच्चन जी की रचनाएं साहित्य संसार में सदैव अमर रहेंगी
क्या कहना 🙏हरिवंशराय बच्चन की हरेक रचना
ReplyDeleteएक से बढ़ कर एक है🙏
Happy Sunday
ReplyDeleteHappy Sunday
ReplyDelete🙏🙏💐💐सुप्रभात 🕉️
ReplyDelete🙏जय शिव शम्भू 🚩🚩🚩
🙏आप का दिन शुभ हो 🙏
🙏हर हर महादेव 🚩🚩🚩
👌👌बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, धन्यवाद 🙏🙏🙏💐💐
Nice poem
ReplyDeleteखुशियों में गंभीरता तथा दुख में खुशी ढूनना चाहिए।
ReplyDeleteVery nice
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