बचपन, सच में प्यारा सा
आज कुछ बातें फिर याद आ गईं...
काश लौट आता वो बचपन हमारा
भुलाये ना भुले वो दिन था सुहाना
होती गरमी की छुट्टी,
बस नानी के घर जाना
नाना से बतियाना,
किस्से कहानियां सुनना और सुनाना
भुलाये ना भुले वो दिन था सुहाना
वो यादें पुरानी, वो बचपन हमारा
गलबहियां डाले, टीलों की गीटे सजाना
और खो खो कबड्डी में दिन भर बिताना
भुलाये ना भुले वो बचपन की यादें
वो सरसों की खेतों में तितलियाँ पकडना
और खेतों की मेडों पर चढ़ना उतरना
गिरना फिर गिरकर संभलना
भुलाये ना भुले वो बचपन की शरारतें
वो सरफुल्ली की ड़डी से धुंये के छल्ले बनाना
और कौडें की आग में आलू का पकाना
भुलाये ना भुले वो बचपन की बातें
वो गोबर का गोवर्धन बनाना
सखियों के सगं पिडियां लगाना
और ताल तलैया नहरों में नहाना
भुलाये ना भुले वो बचपन की बातें
मां, दादी, चाची और बूआ का साथ मे हंसना बतियाना
गन्ने के रस से मीठे पकवान बनाना
वो मिट्टी का चूल्हा, वो लकड़ी का बरतन
जमीन पर बैठकर पंक्ति में खाना
भुलाये ना भुले वो बचपन सुहाना
न था मखमली बिस्तर, ना रेशमी तकिया
ना AC ना COOLER, ना बिजली की चिंता
खुले आसमान तले बातें करना
और फिर सब लोगों का इकट्ठे ही,
चैन से हर रोज सो जाना
भुलाये ना भुले वो दिन था सुहाना
काश लौट आता वो बचपन हमारा
उस इंसान के अंदर हर चीज की काबिलियत है..!!
बहुत बेहतरीन अभिव्यक्ति शब्दो के माध्यम से
ReplyDeleteइस कविता को पढ़कर सभी मो अपने बचपन के सुहाने दिन अवश्य याद आ जायँगे।
ReplyDeleteशुभ रविवार।
Jai Shree Ram 💓💓💓
ReplyDeleteबहुत सुन्दर यादें 🌺🙏🌺
ReplyDeleteHappy Sunday with sweet memories of Bachpan....
ReplyDeleteबचपन के यादों को ताजा करती सुंदर कविता। वो समय ही और था जब गर्मी की छुट्टियों में परिवार की संख्या 25-30 को भी पार कर जाती थी और इतने लोगों का खाना पीना सोना बड़े मजे से हो जाया करता था। मुझे अभी भी याद है, जो नानी हाथ वाला पंखा झेलती थी सारे बच्चे उन्हीं के बगल में सोने के जुगाड में रहते थे। लिखने लगूं तो कमेंट बहुत लंबा हो जाएगा। आपने बचपन की यादें ताजा कर दी।
ReplyDeleteवो दिन भी क्या दिन थे...
यादें ताजा हो सुकून को सहारा मिलता ☝🏻
ReplyDelete🙏🙏🙏जय श्री राम 🚩🚩🚩
ReplyDelete👏👌👌वाह, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति🙏
🙏🙏🙏यादें ताज़ा करने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद💐💐
बहुत ही सुंदर कविता । बचपन की यादों को
ReplyDeleteकविता के माध्यम से तरो ताजा कर कितना
आनन्द की अनुभूति होती है । काश!कोई लौटा
देता वो बचपन🌹
सच बचपन जैसा समय फिर जिंदगी में देखने को नहीं मिलता , यादों में रह जाता है।
ReplyDeleteकुछ सूझता नहीं मुझे आजकल
ReplyDeleteसुकून से लबरेज थे वो बीते पल
बचपन था मौज-मस्ती का आलम
तरुणाई में पढ़ाई का बोझ कायम
40 की उम्र अब तो पार हो गई है
बालों में थोड़ी सफेदी छाने लगी है
दाढ़ी के बाल ज्यादा सफेद हो गये
काले बालों की रंगत सताने लगी है
गुजरे उस दौर में बहुत जोश था
खुशी के गुलिस्ताँ में मदहोश था
जो करते अपनी मर्जी से "राजन"
उस उम्र में हमें तो कहां होश था
अब सिर पर है कमाने का बोझ
लगता है जैसे जमाने का बोझ
सुकून की तलाश रहती हरदम
निकलता रहता हरेक दिन रोज
ना आराम से बात कर पाते हैं
ना चैन-सुकून पल भर पाते हैं
तकलीफ किसी से करें बयां
टूटकर वो भी बिखर जाते हैं
ये जिंदगी है इसे जीना पड़ेगा
जख्म तो खुद ही सीना पड़ेगा
मुश्किल सफर है अगर अपना
हर मुश्किल जाम पीना पड़ेगा
अकेले हैं माना कोई साथ नहीं
किसी के भी हाथों में हाथ नहीं
संघर्ष से थककर हम बैठ जाएं
निराश होने की कोई बात नहीं
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
🙏नरेश"राजन"विजयवर्गीय🙏
👌🏻👌
Deleteए जिंदगी चाहे तू रोज इम्तिहान लेना
ReplyDeleteकभी-कभी खुशियों की मुस्कान देना
जब तक है सांसे संघर्ष करती रहूँगी
तू भी मेरे दिल की ये बात जान लेना
मेरी भी आदत है हर जिद ठान लेना
मुश्किल घड़ी में होश से काम लेना
जब तक ना मिले मुझे मेरी मंजिल
चाहत नहीं कहीं भी आराम लेना
तूने ही तो दी है ये सांसे-ये धड़कन
बचपन मजे का जवानी लड़कपन
माना बुढ़ापा बड़ी तकलीफ देता है
बुढ़ापे में साथ देता अपना बड़प्पन
जीवन की कोई समय सीमा नहीं है
समय तो गतिमान है धीमा नहीं है
माना समय के साथ चलना है मुझे
किसके सिर पे कोई जिम्मा नहीं है
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
🙏नरेश"राजन"विजयवर्गीय🙏
नासमझ है-भोला है-मासूम है
ReplyDeleteदुनियादारी उन्हें क्या मालूम है
हमें उनके सपनों को सजाना है
उनका बेकसूर बचपन बचाना है
यकीनन बचपन बड़ा निराला है
मौज-मस्ती का एक प्याला है
उनके हक का जीवन जीने दो
वो बच्चे तो कल का उजाला है
🤔बाल मजदूर कितने मजबूर🤔
#STOP_CHILD_LABOUR
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
🙏नरेश"राजन"विजयवर्गीय🙏
बचपन में बहाते थे सब
ReplyDeleteजो वो कागज की कश्ती
नजरें पानी में बहती उस
कश्ती पर ही जाकर बसती
याद कितनी आती है हमें
वो अपने बचपन की मस्ती
कहां महंगी थी वो किताबें
सब चीजें भी तो थी सस्ती
अब घर के खर्चे जुटाने में
मिट जाती इंसान की हस्ती
फिर कहां ढूंढे वो मौज-मस्ती
हर चीज फिर हो जाए सस्ती
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
🙏नरेश"राजन"विजयवर्गीय🙏
माना जवानी जी का जंजाल होती है
ReplyDelete#बचपन_की_यादें बड़ी कमाल होती है
किसी भी उम्र के पड़ाव पर हो कभी आप
बचपन की यादें दिल में जागती-सोती है
इस सफर में दुख-सुख का स्वाद चखना
बचपन की यादों को सदा संजोकर रखना
कभी किसी मोड़ पर गर दिल उदास हो
बचपन की यादों में फिर से कदम रखना
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
🙏नरेश"राजन"विजयवर्गीय🙏
Bahut khub
Deleteबचपन के दिन भी क्या दिन थे
ReplyDeleteवो मौज-मस्ती भरे और चुलबुले
उन यादों को फिर से ताजा करें
झूले फिर से #सावन_के_झूले
हर्षित-प्रफुल्लित और आनंदित
उस उत्साह को फिर से छू ले
फिर से हम सब बच्चे बन जाए
मिलकर झूले सावन के झूले
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
🙏नरेश"राजन"विजयवर्गीय🙏
👌👌👌👌👌💐
Deleteउम्र के हर दौर का मजा लीजिए
ReplyDeleteअच्छी कविता बचपन की ओर झांकती हुई 👌👌👌👍👍👍
Ohoo ... Gaun ki yaad dila di...Jeth ki dupahri me bhi khet khalihaan bag bagicha ghuma krte the...is baat ka jikr na kiya...
ReplyDeleteOhoo ... Gaun ki yaad dila di...Jeth ki dupahri me bhi khet khalihaan bag bagicha ghuma krte the...is baat ka jikr na kiya...
ReplyDeleteWow... beautiful pic💕...nice poem 💗
ReplyDeleteKya baat hai. ...👌👌
ReplyDeleteवाह रूपा जी बचपन की यादें ताजा हो गई
ReplyDeleteवैसे तो मैंने बचपन में सबसे ज्यादा मार खाया है हमारे घर में लेकिन शरारत भी मेरे जितने किसी में नहीं थी बचपन में हम 6 दोस्त थे तो 1 गेंद लाने के लिए पैसे इकट्ठे करते थे क्योंकि उस वक्त हम में से किसी के पास ज्यादा पैसे नहीं थे लेकिन आज हम सभी दोस्तों के पास ढेर सारे पैसे हैं लेकिन आज भी एक साथ सभी दोस्त इकट्ठे नहीं हो सकते हैं मतलब हम सबके पास पैसे हैं लेकिन किसी के पास वक्त नहीं है
Very nice poem
ReplyDeleteHnji bchpn boht pyara 🥰💖
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ReplyDeleteDoor desh se haardik badhaee.
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