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जिज्ञासु बनो : पंचतंत्र || Zigyasu Bano : Panchtantra ||

जिज्ञासु बनो

पृच्छकेन सदा भाव्यं पुरुषेण विजानता।

मनुष्य को सदा प्रश्नशील, जिज्ञासु रहना चाहिए।

 जिज्ञासु बनो : पंचतंत्र || Zigyasu Bano : Panchtantra ||

एक जंगल में चंडकर्मा नाम का राक्षस रहता था। जंगल में घूमते-घूमते उसके साथ एक दिन एक ब्राह्मण आ गया। वह राक्षस ब्राह्मण के कन्धे पर बैठ गया। ब्राह्मण के प्रश्न पर वह बोला- ब्राह्मण मैंने व्रत लिया है। गीले पैरों से मैं जमीन को नहीं छू सकता। इसलिए तेरे कन्धों पर बैठा हूँ।

थोड़ी दूर पर जलाशय था। जलाशय में स्नान के लिए जाते हुए राक्षस ने ब्राह्मण को सावधान कर दिया कि जब तक मैं स्नान करता हूँ, तू यहीं बैठकर मेरी प्रतीक्षा कर राक्षस की इच्छा थी कि वह स्नान के बाद ब्राह्मण का वध करके उसे खा जाएगा। ब्राह्मण को भी इसका सन्देह हो गया था। अतः ब्राह्मण अवसर पाकर वहाँ से भाग निकला। उसे मालूम हो चुका था कि राक्षस गीले पैरों से ज़मीन नहीं छू सकता, इसलिए वह उसका पीछा नहीं कर सकेगा।

चतुर ब्राम्हण और राक्षस की कहानी : पंचतन्त्र | Chatur Bramhan Aur Rakshas Ki Kahanai : Panchtantra

ब्राह्मण यदि राक्षस से प्रश्न न करता तो उसे यह भेद कभी मालूम न होता। अतः मनुष्य को प्रश्न करने से कभी चुकना नहीं चाहिए। प्रश्न करने की आदत अनेक बार उसकी जीवन रक्षा कर देती है।

स्वर्ण-सिद्धि ने कहानी सुनकर कहा-यह तो ठीक ही है। दैव अनुकूल हो तो सब काम स्वयं सिद्ध हो जाते है। फिर भी पुरुष को श्रेष्ठ मित्रों के वचनों का पालन करना ही चाहिए। स्वेच्छाचार बुरा है। मित्रों की सलाह से मिल-जुलकर और एक-दूसरे का भला चाहते हुए ही सब काम करने चाहिए। जो लोग एक-दूसरे का भला नहीं चाहते और स्वेच्छया सब काम करते हैं, उनकी दुर्गति वैसी हो होती है। जैसी स्वेच्छाचारी भारण्ड पक्षी की हुई थी।

चक्रधर ने पूछा- वह कैसे?

स्वर्ण-सिद्धि ने तब यह कथा सुनाई

मिलकर काम करो

To be Continued...

18 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (23-04-2023) को  "बंजर हुई जमीन"    (चर्चा अंक 4658)   पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. चर्चा मंच पर इस प्रविष्टि को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार।

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  2. मनुष्य की जिज्ञासु प्रवृति ही उसके ज्ञान चक्षु खोलने का साधन बनती है।

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  3. सच्ची बात है

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  4. ज्ञान का भंडार अथाह है इसलिए हर कदम पर सीखने की चाह इंसान को जिंदगी में आगे ले जाती है

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  5. अच्छी कहानी

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  6. पवन कुमारApril 22, 2023 at 10:30 PM

    जिज्ञासु हरेक इंसान को होनो चाहिये । ब्राह्मण की जिज्ञासा ही उसे मौत के मुंह से बचा लिया । बहुत
    ही अनुकरणीय कहानी है।

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  7. जिज्ञासु व्यक्ति ही जीवन के इस सफर में आगे बढ़ता है और अपने मुकाम को हासिल करता है।

    संदेशात्मक बढ़िया कहानी

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  8. मनुष्य का प्रश्नशील स्वभाव होना चाहिए।





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  9. सुंदर प्रस्तुति

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  10. जिज्ञासा से ज्ञान प्राप्त होता है... ब्राह्मण की तो जान ही बच गई

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  11. Jigyasa to honi hi chahiye, jigyasu vyakti hi jivan me aage badhte

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