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छिप-छिप अश्रु बहाने वालों (गोपालदास नीरज)

छिप-छिप अश्रु बहाने वालों

Gopaldas Neeraj (गोपालदास नीरज) Indian poet

गोपालदास नीरज (4 जनवरी 1925 - 19 जुलाई 2018), हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फ़िल्मों के गीत लेखक थे। वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया, पहले पद्म श्री से, उसके बाद पद्म भूषण से। यही नहीं, फ़िल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्हें लगातार तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला। 

Gopaldas Neeraj (गोपालदास नीरज) Indian poet

प्रस्तुत है गोपालदास जी की एक बेहतरीन कविता :-

छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
कुछ सपनों के मर जाने से, जीवन नहीं मरा करता है।
सपना क्या है, नयन सेज पर
सोया हुआ आँख का पानी
और टूटना है उसका ज्यों
जागे कच्ची नींद जवानी
गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों
कुछ पानी के बह जाने से, सावन नहीं मरा करता है।

माला बिखर गयी तो क्या है
खुद ही हल हो गयी समस्या
आँसू गर नीलाम हुए तो
समझो पूरी हुई तपस्या
रूठे दिवस मनाने वालों, फटी कमीज़ सिलाने वालों
कुछ दीपों के बुझ जाने से, आँगन नहीं मरा करता है।

खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर
केवल जिल्द बदलती पोथी
जैसे रात उतार चांदनी
पहने सुबह धूप की धोती
वस्त्र बदलकर आने वालों! चाल बदलकर जाने वालों!
चन्द खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।

लाखों बार गगरियाँ फूटीं,
शिकन न आई पनघट पर,
लाखों बार किश्तियाँ डूबीं,
चहल-पहल वो ही है तट पर,
तम की उमर बढ़ाने वालों! लौ की आयु घटाने वालों!
लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।

लूट लिया माली ने उपवन,
लुटी न लेकिन गन्ध फूल की,
तूफानों तक ने छेड़ा पर,
खिड़की बन्द न हुई धूल की,
नफरत गले लगाने वालों! सब पर धूल उड़ाने वालों!
कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है!
Gopaldas Neeraj (गोपालदास नीरज) Indian poet

गोपाल दास 'नीरज'

14 comments:

  1. Gopaldas Neeraj was an Indian poet and author of Hindi literature. He was also a poet of Hindi Kavi sammelan... very heart touching lines of gopal ji which I like very much " आज की रात बड़ी शोख़ बड़ी नटखट है
    आज तो तेरे बिना नींद नहीं आएगी
    आज तो तेरे ही आने का यहाँ मौसम है
    आज तबियत न ख़यालों से बहल पाएगी। "

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  2. आप भी कहां कहां कब की बातें याद दिला देती हैं। एक वक्त था जब Google search नहीं था और हम लोग नीरज जी की कविताएं ढूंढ ढूंढ के पढ़ते थे। और अब जबकि सारी चीजें एक क्लिक पर अवेलेबल है, ध्यान ही नहीं जाता।
    आपके माध्यम से ही सही, फिर से ये सब पढ़ने मिल रहा।
    Thanks for sharing

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  3. पवन कुमारFebruary 5, 2023 at 2:15 PM

    क्या कहना गोपालदास नीरज जी कभी
    उनकी कविताओं को पढ़ने से मन हटता
    नही था । एक से बढ़ कर एक............

    जितना कम सामान रहेगा उतना सफ़र आसान रहेगा
    जितनी भारी गठरी होगी उतना तू हैरान रहेगा
    उससे मिलना नामुमक़िन है जब तक ख़ुद का ध्यान रहेगा
    हाथ मिलें और दिल न मिलें ऐसे में नुक़सान रहेगा
    जब तक मंदिर और मस्जिद हैं मुश्क़िल में इंसान रहेगा
    ‘नीरज’ तो कल यहाँ न होगा उसका गीत-विधान रहेगा।
    दिल से आपका आभार नीरज जी को फिर से याद दिलाने के लिये🙏🙏🙏🙏🙏

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  4. कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे।

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  5. बहुत ही सुन्दर 👏🏻

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