फाल्गुन का महीना और हमारा आहार
आज दिनांक 06.02.2023 से फाल्गुन मास की शुरुआत हो रही है। फाल्गुन मास हिंदू पंचाग का आखिरी महीना होता है। इसके पश्चता हिंदू नववर्ष का आरंभ होता है। हिंदू पंचाग के बारह महीनों में पहला महीना चैत्र का होता है तो फाल्गुन आखिरी। फाल्गुन मास को मस्त महीने के तौर पर जाना जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार वर्ष के प्रत्येक माह में एक विशेष खाद्य पदार्थ की मनाही हमारे मनीषियों द्वारा की गयी है। माघ माह में मिश्री खाने को निषेध बताया गया है। माघी पूर्णिमा के साथ माघ माह कल बीत गया है। फाल्गुन माह में चने को खाना निषेध बताया गया है। कहा गया है कि इसके सेवन से व्यक्ति बीमार तो पड़ ही सकता है, साथ ही कालग्रास भी बन सकता है।
फाल्गुन माह उत्साह उमंग के लिए जाना जाता है। चहुंओर वसंती रंग की बहार होती है। खेत सरसों के पीले फूलों से लहलहा रहे होते हैं। फूलों से बाग़ बगीचों की रौनक बढ़ी हुई होती है। इसी वक़्त पर चना बूट भी बहुतायत में हरे और कच्चे उपलब्ध होते हैं। आयुर्वेेद में कच्चे पदार्थाें के सेवन पर अधिकांशतः रोक है। पका हुआ भोजन ही श्रेष्ठ बताया गया है।
वैसे तो अंकुरित मूंग और अंकुरित चने खाने की सलाह दी जाती है, जो तन मन को स्फूर्तिवान बनाते हैं। वजन घटाने में तथा इम्युनिटी बढ़ाने के साथ ही अन्य कई रोगों के लिए लाभप्रद होते हैं। अंकुरित दाल और चना में विटामिन ए,बी,सी,डी तथा ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है तथा अंकुरित मूंग दाल में आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम आदि मिनरल्स भी अच्छी मात्रा में होते हैं। काले चने में आयरन, फोलेट, कॉपर, मैग्नीशियम, फास्फोरस आदि पोषक तत्व होते हैं तथा इसको अंकुरित करने पर इसकी गुणवत्ता भी बढ़ जाती है।
परन्तु फाल्गुन माह में चने का सेवन खासकर कच्चा चना खाना आयुर्वेद में निषिद्ध किया गया है। इसके साथ ही मौसम में बदलाव भी चने के सेवन को निषिद्ध बताता है। चने के समान ही गेंहूं की बाली, अन्य कच्चे व अधपके अन्न का प्रयोग निषिद्ध है।
फाल्गुन माह की पूर्णिमा को फाल्गुन माह ख़त्म होती है और उसी दिन होली का पर्व मनाया जाता है। होली की पूर्णिमा के दिन होली की पवित्र अग्नि में चने और गेहूं की बालियों को भूनकर खाना आरंभ किया जाता है। इससे पहले इन्हें नहीं खाना चाहिए। इसीलिए होलिका दहन वाले दिन होलिका अग्नि में कहीं कहीं पर गेहूं और चने की बालियों को जलाने का रिवाज है।
हमारे पूर्वजों द्वारा एक बहुत अच्छी कहावत कही गई है किस माह में क्या न खाएं-
चैते गुड़, वैशाखे तेल, जेठ के पंथ, अषाढ़े बेल। सावन साग, भादो मही, कुवांर करेला, कार्तिक दही। अगहन जीरा, पूसै धना, माघै मिश्री, फाल्गुन चना। जो कोई इतने परिहरै, ता घर बैद पैर नहिं धरै।
Bahut badhiya jaankari
ReplyDeleteसुप्रभात जी🌳🍀🏵️🙏🏵️🍀🌳
ReplyDeleteक्वांर करेला कातक दही
मरे ने तो परै सही।
अर्थात अश्विन माह में करेला तथा कार्तिक माह में दही का सेवन करने से आदमी मरेगा नहीं तो बीमार अवश्य हो जाएगा।
🌹🙏हरि ॐ🙏🌹
ReplyDeleteफागुन का महीना कितना सुहावन होता है।
बगीचे में आम के मंजर की खुशबू ,सरसों
का फूल और लीची के मंजर तथा हरेक
पेड़ पौधे में नए नए पत्ते निकल रहे है।
प्रभु ने कितना सुहावन रचना किये है।
हरेक महीने की अपनी एक विशेषता है।
🌹🙏हे परम् पिता परमात्मा🙏🌹
सुंदर आर्टिकल
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteis mahine chana nahi khayenge..
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteMai subah ke naste me ankurit chana hi khata hun ..
ReplyDeleteVery Nice 👌🏻👌🏻🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteदुर्लभ जानकारी
ReplyDeleteफाल्गुन महीने में चना नहीं खाना है।
ReplyDeleteक्या बात है लाजबाब मेम 👌👌 स्वास्थप्रदाय अद्धभुत जानकारी
ReplyDeleteChalo aapne kaha hai to 1 mahina nahi khate
ReplyDeleteNice knowledge
ReplyDeleteNice information
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