स्वाधिष्ठान चक्र (Swadhisthana Chakra) : निचले पेट का केन्द्र
स्थान=जगह
स्वाधिष्ठान चक्र त्रिकास्थि (पेडू के पिछले भाग की पसली) के निचले छोर में स्थित है। इसका मंत्र वम (ङ्क्ररू) है।
स्वाधिष्ठान चक्र हमारे विकास के एक-दूसरे स्तर का संकेतक है। चेतना की शुद्ध, मानव चेतना की ओर उत्क्रांति का प्रारंभ स्वाधिष्ठान चक्र में होता है। यह अवचेतन मन का वह स्थान है जहां हमारे अस्तित्व के प्रारंभ में गर्भ से सभी जीवन अनुभव और परछाइयां संग्रहीत रहती हैं। मूलाधार चक्र हमारे कर्मों का भंडारग्रह है तथापि इसको स्वाधिष्ठान चक्र में सक्रिय किया जाता है।
स्वाधिष्ठान चक्र की जाग्रति स्पष्टता और व्यक्तित्व में विकास लाती है। किन्तु ऐसा हो, इससे पहले हमें अपनी चेतना को नकारात्मक गुणों से शुद्ध कर लेना चाहिए। स्वाधिष्ठान चक्र के प्रतीकात्मक चित्र ६ पंखुडिय़ों वाला एक कमल है। ये हमारे उन नकारात्मक गुणों को प्रकट करते हैं, जिन पर विजय प्राप्त करनी है - क्रोध, घृणा, वैमनस्य, क्रूरता, अभिलाषा और गर्व। अन्य प्रमुख गुण जो हमारे विकास को रोकते हैं, वे हैं आलस्य, भय, संदेह, बदला, ईर्ष्या और लोभ।
स्वाधिष्ठान चक्र का प्रतीक पशु मगर (मगरमच्छ) है। यह सुस्ती, भावहीनता और खतरे का प्रतीक है जो इस चक्र में छिपे हैं। स्वाधिष्ठान चक्र का तत्त्व है जल, यह भी छुपे हुए खतरे का प्रतीक है। जल कोमल और लचीला है, किन्तु यह जब नियंत्रण से बाहर हो जाता है तो भयंकर शक्तिशाली भी है। स्वाधिष्ठान चक्र के साथ यही विचित्रता है। जब अवचेतन से चेतनावस्था की ओर नकारात्मक भावनाएं उत्पन्न होती हैं, तब हम पूर्णरूप से संतुलन खो सकते हैं।
इस चक्र का देवता ब्रह्मा सृष्टिकर्ता और उनकी पुत्री सरस्वती बुद्धि और ललितकलाओं की देवी है। स्वाधिष्ठान का रंग संतरी, सूर्योदय का रंग है जो उदीयमान चेतना का प्रतीक है। संतरी रंग सक्रियता और शुद्धता का रंग है। यह सकारात्मक गुणों का प्रतीक है और इस चक्र में प्रसन्नता, निष्ठा, आत्मविश्वास और ऊर्जा जैसे गुण पैदा होते हैं।
you write very well
ReplyDeleteइसको हरियाणा में धरण बोलते हैं , अगर डिग जाए तो इंसान की पाचन क्रिया अस्त व्यस्त हो जाती है✌🏻
ReplyDeleteहां जी, फिर कोई दवा काम नहीं करती
Deleteइतनी अच्छी जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत अच्छी और उपयोगी जानकारी
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteबढिया, हमारे सनातन संस्कृति में जितना डुबकी लगाएंगे उतने अनमोल मोतियों का संग्रह पाएंगे।
ReplyDeleteBadhiya lekh
ReplyDeleteGood knoeledge
ReplyDeleteVery Good
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी जानकारी रूपा जी
Nice
ReplyDeleteजीवन के लिए उपयोगी बाते होती है आपके ब्लॉग पर सदा पड़ने और बाकी लोगो को जुड़ने के लिए कहते हुए मन मैं हर्ष होता है कुछ अच्छा कर पा रहे है
ReplyDeleteस्वाधिस्थान चक्र के बारे में रोचक जानकारी
ReplyDeleteअति लाभदायक जानकारी ।
ReplyDelete💯👏🏼👌🏼👍🌹🙋♂️🙏
Very good.
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