World Sparrow Day (विश्व गौरैया दिवस)
आज विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) है। आज से कुछ वर्षों पूर्व किसी ने सोचा भी न होगा कि एक दिन हमें गौरैया के संरक्षण की आवश्यकता पड़ेगी।
हमारे घर-आंगन में चहकती-फुदकती गौरैया का दिन है आज 20 मार्च को। आज से 11 वर्ष पूर्व इस विशेष दिन विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) की शुरुआत हुई थी।
अपने छोटे से आकार वाले खूबसूरत पक्षी, चिड़िया या गौरैया का कभी इंसान के घरों में बसेरा हुआ करता था। हम सभी अपने बचपन से इसे देखते बड़े हुआ करते थे। अब स्थिति बदल गई है। गौरैया के अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों ने इसकी संख्या काफी कम कर दी है। घरों को अपनी चीं..चीं से चहकाने वाली गौरैया अब दिखाई नहीं देती और कहीं..कहीं तो अब यह बिल्कुल दिखाई नहीं देती।
पहले यह चिड़िया जब अपने बच्चों को चुग्गा खिलाया करती थी, तो इंसानी बच्चे इसे बड़े कौतूहल से देखते थे। लेकिन अब तो इसके दर्शन भी मुश्किल हो गए हैं और यह विलुप्त हो रही प्रजातियों की सूची में आ गई है। पक्षी विज्ञानी हेमंत सिंह के मुताबिक गौरैया की आबादी में 60 से 80 फीसदी तक की कमी आई है। यदि इसके संरक्षण के उचित प्रयास नहीं किए गए तो हो सकता है कि गौरैया इतिहास की चीज बन जाए और भविष्य की पीढ़ियों को यह देखने को ही न मिले। गौरैया विश्व के विभिन्न देशों में पाई जाती है। गौरैया का वैज्ञानिक नाम "पासर डोमेस्टिकस" है। यह पासेराडेई परिवार का हिस्सा है। यह कीड़े और अनाज खाकर अपना जीवनयापन करती है। यह लगभग 15 सेंटीमीटर के होती है। यह बहुत ही छोटी होती है। विकास की अंधी दौड़ में शहरों के मुकाबलों गांवों की स्वच्छ जलवायु में इसे रहना इसे अधिक सुहाता है। इसका अधिकतम वजन 32 ग्राम तक होता है।
ब्रिटेन की ‘रॉयल सोसायटी ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ बर्डस’ ने भारत से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययनों के आधार पर गौरैया को ‘रेड लिस्ट’ में डाला है। आंध्र विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक गौरैया की आबादी में करीब 60 फीसदी की कमी आई है। यह ह्रास ग्रामीण और शहरी..दोनों ही क्षेत्रों में हुआ है। लेकिन शहरी क्षेत्रों में पेड़ों की घटती संख्या के कारण यह ज्यादा है। पश्चिमी देशों में हुए अध्ययनों के अनुसार गौरैया की आबादी घटकर खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है।
सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद मोहम्मद ई. दिलावर जैसे लोगों के प्रयासों से गौरैया पर मंडरा रहे खतरे के कारण ही आज दुनिया भर में 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है, ताकि लोग इस पक्षी के संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें। दिलावर द्वारा गौरैया संरक्षण के लिए नेचर फॉर सोसाइटी नामक एक संस्था शुरू की गई थी। दिलावर द्वारा शुरू की गई पहल पर ही आज बहुत से लोग गौरैया बचाने की कोशिशों में जुट रहे हैं। विश्व गौरैया दिवस पहली बार 2010 में मनाया गया था। प्रतिवर्ष पिछले 12 सालों से 20 मार्च यानी विश्व गौरैया दिवस पर पर्यावरण एवं गौरैया संरक्षण के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे लोगों को गौरैया पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
गौरैया की कम होती संख्या के कारण आवासीय ह्रास, अनाज में कीटनाशकों के इस्तेमाल, आहार की कमी और मोबाइल फोन तथा मोबाइल टॉवरों से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें हैं जो गौरैया के अस्तित्व के लिए खतरा बन रही हैं। आज लोगों में गौरैया को लेकर जागरूकता पैदा किए जाने की जरूरत है क्योंकि कई बार लोग अपने घरों में इस पक्षी के घोंसले को बसने से पहले ही उजाड़ देते हैं। कई बार बच्चे इन्हें पकड़कर पहचान के लिए इनके पैर में धागा बांधकर इन्हें छोड़ देते हैं। इससे कई बार किसी पेड़ की टहनी या शाखाओं में अटक कर इस पक्षी की जान चली जाती है। इतना ही नहीं कई बार बच्चे गौरैया को पकड़कर इसके पंखों को रंग देते हैं जिससे उसे उड़ने में दिक्कत होती है और उसके स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ता है।
गौरैया की आबादी में ह्रास का एक बड़ा कारण यह भी है कि कई बार उनके घोंसले सुरक्षित जगहों पर न होने के कारण कौए जैसे हमलावर पक्षी उनके अंडों तथा बच्चों को खा जाते हैं। उनके अनुसार गौरैया को फिर से बुलाने के लिए लोगों को अपने घरों में कुछ ऐसे स्थान उपलब्ध कराने चाहिए जहां वे आसानी से अपने घोंसले बना सकें और उनके अंडे तथा बच्चे हमलावर पक्षियों से सुरक्षित रह सकें।
चलिए आज से हम भी कोशिश करें कि गौरैया संरक्षण के प्रति हम सभी जागरूक होएंगे।
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World Sparrow Day
Today is World Sparrow Day. A few years ago, no one would have thought that one day we would need the protection of sparrows.
The day of chirping sparrows in our courtyard is today on 2o March. This special day started 11 years ago today.
The beautiful bird bird or sparrow with its small size once used to live in the homes of humans. We all used to grow up watching it from our childhood. Now the situation has changed. The clouds of crisis over the existence of sparrows have reduced its numbers significantly. The sparrow, which chirping the house with its chirping, is no longer visible and at some places it is not visible at all. Earlier, when this bird used to feed its chicks to its children, then human children used to watch it with great curiosity. But now its sighting has also become difficult and it has come in the list of extinct species. According to ornithologist Hemant Singh, the sparrow population has come down by 60 to 80 percent. If proper efforts are not made to conserve it, the sparrow may become a thing of history and future generations may not get to see it. Sparrows are found in different countries of the world. The scientific name of the sparrow is "Passar domesticus". It is part of the Passeridae family. It makes its living by eating insects and grains. It measures about 15 cm. It is very small. In the blind race of development, it is better to live in the clean climate of the villages than in the cities. Its maximum weight is up to 32 grams.
Britain's 'Royal Society for Protection of Birds' has put sparrows in the 'Red List' on the basis of studies done by researchers from India to different parts of the world. According to a study conducted by Andhra University, the sparrow population has come down by about 60 percent. This decline has happened in both rural and urban areas. But it is more due to the decreasing number of trees in urban areas. According to studies in Western countries, the sparrow population has decreased to an alarming level.
Due to the efforts of people like famous environmentalist Mohammad E. Dilawar, due to the danger looming on the sparrow, today, on 20 March, World Sparrow Day is celebrated all over the world, so that people can become aware of the conservation of this bird. An organization called Nature for Society was started by Dilawar for the conservation of sparrows. Today many people are engaged in efforts to save sparrows on the initiative started by Dilawar. World Sparrow Day was first celebrated in 2010. Every year on March 20 i.e. World Sparrow Day for the last 12 years, people doing good work in the field of environment and sparrow protection are honored with the Sparrow Award.
The reasons for the declining numbers of sparrows are habitat loss, use of pesticides in cereals, lack of food and microwaves emitted from mobile phones and mobile towers which are threatening the existence of sparrows. Today there is a need to create awareness among the people about the sparrow because many times people destroy the nest of this bird in their homes before it settles down. Many times children hold them and leave them by tying a thread on their feet for identification. Due to this many times the life of this bird gets stuck in a tree branch or branches. Not only this, many times children catch the sparrow and paint its feathers, due to which it has difficulty in flying and its health is also adversely affected.
A major reason for the decline in the population of sparrows is that sometimes their eggs and young are eaten by attacking birds like crows due to not having their nests in safe places. According to him, in order to bring back sparrows, people should provide some such places in their homes where they can easily build their nests and their eggs and young can be safe from invading birds.
Let us also try from today that we will all be aware of sparrow conservation.
Very nice.
ReplyDeleteलाजबाव है पोस्ट आपकी धन्यवाद जी
ReplyDeleteसमुचित व्यवस्था बनाकर हम सब गौरैया को संरक्षण प्रदान कर सकते हैं।। शुभ दोपहर
आपकी प्रतिक्रिया के लिए धनवाद।
Deleteसभी के छोटे छोटे प्रयास से एक बड़े कार्य को किया जा सकता है। गौरैया तथा अन्य पक्षी हमारे पर्यावरण की शोभा हैं, इन्हें संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। शुभ दोपहर
जी बिल्कुल, थोड़े दाना पानी तो सभी अपनी छतों पर रख सकते हैं🙏
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteअच्छा वाम विचारोत्तेजक आलेख।
ReplyDeleteSo Sweet 😊
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteक्यों ना हम सब मिलकर
ReplyDeleteकरे कुछ ऐसे कारगर उपाय
तादाद बढ़ जाए गौरैया की
जो होने लगी अब लुप्तप्राय
पेड़-पौधों खिड़की-दरवाजों
पे चीं-चीं थी करती चिड़िया
नन्ही-मुन्नी छोटी-प्यारी सी
नाम था जिसका तो गोरैया
गायब सी हो गई है क्योंकि
ना रही पेड़-पौधों की छैय्याँ
पेड़-पौधे हमने काट दिए
जंगल के जंगल छांट दिए
प्रकृति के सारे सुख हमने
मतलब के लिए पाट दिए
प्रकृति से यूँ छेड़छाड़ का
किसी ने ना किया विरोध
आने वाले समय में फिर
ये प्रकृति दिखाएगी क्रोध
इंसान के जीवन में फिर
आएंगे रोज जो अवरोध
इस क्रोध को शांत करने
फिर क्या कर लोगे शोध
🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏
चिड़ियों की चहचहाहट के साथ दिन की शुरुआत हो
ReplyDeleteतो कहना ही क्या.गाडियो की गड़गड़ाहट से दिन शुरू हो रहे.. उत्तम लेख
चिड़िया प्रकृति की अनमोल तोहफा हैं हम सबके लिए, हमें इनके संरक्षण संवर्धन के लिए कुछ कुछ उपाय करते रहना चाहिए
good article..save sparrow
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteNice article 👍 👏
ReplyDeleteSave sparrow...
चिड़िया को देखे बरसो हो गए.. और अब कबूतर भी बहुत कम देखने को मिलते है..
ReplyDeleteVery Nice
ReplyDeleteप्रदूषण और टावर के विकिरण के कारण गौरैया विलुप्त होने के कगार पर है, शायद गांवों में दिखती हो शहर में तो नहीं दिखती। इनके संरक्षण का हम सबको प्रयास करना चाहिए
ReplyDeleteMy favorite birds.
ReplyDeleteGood article.. अब तो दूसरी चिड़ियां दिख जाती हैं पर गौरैया बिल्कुल भी नहीं दिखती।
ReplyDeleteSave birds..save sparrow..
ReplyDeleteजाने कहां गये वो दिन जब गोरैया की चह चहाहट
ReplyDeleteके साथ सुबह होती थी । आंगन में इधर उधर फुदकना और घांस पात चुन कर अपने परिवार के लिये इतना बेहतरीन घोसला बनाना की उसकी
कारीगरी जैसा तो शायद मनुष्य भी अपना आशियाना नही बना सकता है। मेहनत इतनी की जिसकी कल्पना हमलोग नही कर सकते हैं।
ऐसे प्राकृतिक मनमोहक जीव को नष्ट करने में हमलोगों का ही योगदान है।
बस सिर्फ दिवस मना लेते हैं लेकिन उसके बचाव का कोई भी ठोस उपाय नही कर रहे है यही हमलोगों के लिये चिंता की बात है।
Great
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