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पीपल (Peepal)/ Pipal

पीपल (Peepal)

ज्यादातर लोग पीपल (Peepal) को सिर्फ पूजनीय पेड़ मानते हैं। वैसे तो सभी पीपल से परिचित हैं, परंतु पीपल के पेड़ का औषधीय प्रयोग भी होता है और इससे कई रोगों में लाभ भी होता है, इससे कम लोग ही अवगत होंगे। हमारी भारतीय संस्कृति में पीपल की पूजा होती है। इसे देव वृक्ष का दर्जा प्राप्त है। स्कंद पुराण के अनुसार पीपल के जड़ में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं का वास होता है।

पीपल (Peepal)

पीपल क्या है?

पीपल एक पवित्र वृक्ष है, जो अपनी प्राणवायु के लिए जाना जाता है। आयुर्वेद की सुश्रुत संहिता और चरक संहिता में पीपल के औषधीय गुणों के बारे में बताया गया है। पीपल विषैले कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है तथा हमारे लिए उपयोगी प्राणवायु 'ऑक्सीजन' को छोड़ता है। 
पीपल के पेड़ की छाया बहुत ठंडी होती है। यह लगभग 10 से 20 मीटर ऊंचा होता है। यह विभिन्न शाखाओं वाला बहू वर्षीय वृक्ष है। पुराने वृक्ष की छाल सफेद श्यामल रंग की होती है। इसके नए पत्ते कोमल, चिकने और हल्के लाल रंग के होते हैं। इसके फल चिकने गोलाकार छोटे - छोटे होते हैं। कच्ची अवस्था में हरे और पकी अवस्था में बैगनी रंग के होते हैं। इसकी जड़ जमीन के अंदर उपजड़ों में विभाजित होती है और बहुत दूर तक फैली होती है। वट वृक्ष के समान ही इसके पुराने वृक्ष के तने तथा मोटी मोटी शाखाओं से जटाएं निकलती हैं। इसे पीपल की दाढ़ी कहते हैं। यह जटाएं बहुत मोटी तथा लंबी नहीं होती। इसके तने या शाखाओं को तोड़ने या छीलने से या कोमल पत्तों को तोड़ने से एक प्रकार का दूध जैसा चिपचिपा श्वेत पदार्थ निकलता है।

जानते हैं पीपल के फायदे, नुकसान, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में

आयुर्वेदिक ग्रंथों में पीपल के पेड़ और इसकी पत्तियों के गुणों के बारे में उल्लेख मिलता है। पीपल के प्रयोग से रंग  में निखार आता है। घाव, सूजन, दर्द से आराम मिलता है। पीपल खून को साफ करता है। इसकी छाल के उपयोग से पेट साफ होता है। कफ दोष, डायबिटीज, ल्यूकोरिया, सांसो के रोग में भी पीपल का इस्तेमाल लाभदायक होता है। 

पीपल (Peepal)

बुखार में

10-20 मिलीलीटर पीपल के पत्ते का काढ़ा सेवन करने से बुखार में आराम मिलता है।

आंख दर्द में

पीपल के पत्ते से निकलने वाले दूध जैसे पदार्थ को आंखों में लगाने से आंखों में होने वाला दर्द ठीक होता है।

दांत के रोग में

पीपल की ताजी टहनी से दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं और दांतों की वैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं। इससे मसूड़ों की सूजन भी कम होती है और मुंह से दुर्गंध आना भी खत्म हो जाता है।

हकलाने की समस्या

पीपल के वृक्ष पीपल के पके फल के चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से हकलाहट की बीमारी में लाभ होता है।

दमा रोग में

पीपल की छाल और पके हुए फल के चूर्ण को बराबर मात्रा में पीस लें। आधा चम्मच दिन में तीन बार सेवन करने से दमे की बीमारी में लाभ होता है।
पीपल (Peepal)

भूख ना लगने में

पीपल के वृक्ष के पके फलों के सेवन से कफ, पित्त, रक्त दोष, विष दोष, जलन, उल्टी तथा भूख की कमी की समस्या ठीक होती है।

शारीरिक कमजोरी में

आधा चम्मच पीपल के फल के चूर्ण को दिन में तीन बार गाय के दूध के साथ सेवन करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है।

कब्ज की समस्या

पीपल के 5 से 10 फल को नियमित रूप से खाने से कब्ज की समस्या ठीक होती है।

पेचिश रोग में

पीपल की कोमल टहनी, धनिया के बीज तथा मिश्री को बराबर मात्रा में मिला लें। 3-4 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से पेचिश में आराम मिलता है।

पीलिया रोग में

पीपल के तीन चार नए कोपलों को मिश्री के साथ 250 मिलीलीटर पानी में बारीक पीसकर घोलकर छान लें। यह शरबत रोगी को दो बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है। इसका प्रयोग 3 से 5 दिन ही करना चाहिए।

मधुमेह में

पीपल के पेड़ की छाल का 40 मिलीलीटर काढ़ा पीने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।

मूत्र रोग

पीपल की छाल का काढ़ा का नियमित सेवन करने से रुक- रुक कर पेशाब आने की समस्या में लाभ होता है।

हाथ पाव फटने की समस्या

हाथ पाव फटने की समस्या में पीपल के पत्तों का रस या दूध लगाने से लाभ होता है।

त्वचा रोग

पीपल के कोमल पत्तियों को खाने से खुजली तथा त्वचा पर फैलने वाले चर्म रोग में आराम मिलता है। इसका 40 मिलीलीटर काढ़ा बनाकर पीने से भी लाभ होता है।

अनेक प्रकार के घावों में 

पीपल के वृक्ष के नरम कोपलों को जलाकर कपड़े से छान लें। इसे पुराने घावों पर छिड़कने से लाभ होता है।

रक्त विकार में

1 से 2 ग्राम पीपल की बीज के चूर्ण को मधु के साथ सुबह शाम  चाटने से खून साफ होता है।


विभिन्न भाषाओं में पीपल के नाम

संस्कृत पिप्पली
हिन्दी- पीपर, पीपल
मराठी- पिपल
गुजराती- पीपर
बांग्ला- पिपुल
तेलुगू- पिप्पलु, तिप्पली
फारसी- फिलफिल 
अंग्रेज़ी- लांग पीपर
लैटिन- पाइपर लांगम

English Translate 

Peepal

Most of the people consider Peepal to be just a revered tree. Although everyone is familiar with Peepal, but Peepal tree also has medicinal uses and it also benefits in many diseases, only few people will be aware of it. Peepal is worshiped in our Indian culture. It has the status of a deity tree. According to Skanda Purana, Vishnu resides in the root of Peepal, Keshava in the stem, Narayan in the branches, Shrihari in the leaves and all the deities in the fruits.

पीपल (Peepal)

What is Peepal

Peepal is a sacred tree, which is known for its vitality. Sushruta Samhita and Charaka Samhita of Ayurveda describe the medicinal properties of peepal. Peepal absorbs toxic carbon dioxide and releases oxygen which is useful for us.
The shade of Peepal tree is very cold. It grows to a height of about 10 to 20 meters. It is a multi-year-old tree with various branches. The bark of the old tree is white in color. Its new leaves are soft, smooth and light red in color. Its fruits are smooth spherical and small. It is green in raw state and purple in color when ripe. Its root is divided into stems inside the ground and spreads very far. Like the banyan tree, the roots of its old tree come out from the trunk and thick thick branches. It is called Peepal's beard. These hairs are not very thick and long. By plucking or peeling its stem or branches, or by breaking the tender leaves, a kind of milky sticky white substance comes out.

Know about the advantages, disadvantages, uses and medicinal properties of peepal

पीपल (Peepal)

There is a mention about the properties of Peepal tree and its leaves in Ayurvedic texts. The use of peepal enhances the complexion. Relieves from wounds, swelling, pain. Peepal purifies the blood. The use of its bark clears the stomach. The use of peepal is also beneficial in Kapha dosha, diabetes, leucorrhoea, respiratory diseases.

In Fever

Taking 10-20 ml decoction of peepal leaves provides relief in fever.

In Eye Pain

Eye pain is cured by applying a substance like milk that comes out of peepal leaves in the eyes.

In Dental Disease

Brushing with a fresh twig of peepal strengthens the teeth and kills the bacteria of the teeth. It also reduces the swelling of the gums and also eliminates bad breath.

Stammering Problem

Taking the powder of ripe fruit of Peepal tree mixed with honey is beneficial in stammering disease.

In Asthma

Grind equal quantity of powder of peepal bark and ripe fruit. Taking half a teaspoon thrice a day provides relief in asthma.

Not Feeling Hungry

Consumption of ripe fruits of peepal tree cures phlegm, bile, blood defect, poison defect, burning sensation, vomiting and loss of appetite.

In Physical Weakness

Taking half spoon powder of peepal fruit with cow's milk thrice a day ends physical weakness.

Constipation Problem

Constipation is cured by eating 5 to 10 fruits of peepal regularly.

In Dysentery

Mix equal quantity of soft twig of peepal, coriander seeds and sugar candy. Taking 3-4 grams daily in the morning and evening provides relief in dysentery.

In Jaundice

पीपल (Peepal)

Grind three or four new peepal peepal with sugar candy in 250 ml water and dissolve it and filter it. Drinking this syrup twice to the patient is beneficial in jaundice. It should be used only for 3 to 5 days.

In Diabetes

Taking 40 ml decoction of the bark of peepal tree is beneficial in diabetes.

Urinary Disease

Regular consumption of decoction of peepal bark is beneficial in the problem of frequent urination.

Exfoliation Problem

Applying juice or milk of peepal leaves is beneficial in the problem of cracked hands.

Skin Disease

Eating soft leaves of peepal provides relief in itching and skin diseases. Drinking 40 ml decoction of this is also beneficial.

In a Variety of Wounds

Burn the soft shoots of the Peepal tree and filter it with a cloth. It is beneficial to sprinkle it on old wounds.

In Blood Disorder

Licking 1-2 grams powder of peepal seeds with honey in the morning and evening purifies the blood.

29 comments:

  1. पीपल का वृक्ष सबसे ज्यादा आक्सीजन प्रदान करता है
    पीपल हिंदूओ का प्रतीक है
    इसे बचाना हम सबकी जवावदारी और धार्मिक कर्तब्य है

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  2. जब अमावस्या (हिंदू कैलेंडर महीने के पन्द्रहवें दिन) हिन्दू कैलेंडर वर्ष में सोमवार को पड़ती है। इस दिन पवित्र पीपल के पेड़ की १०८ बार परिक्रमा कर महिलाएं व्रत रख कर पूजन करती हैं।

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  3. बोधि वृक्ष को नष्ट करने का प्रयास-

    पहली कोशिश

    कहा जाता है कि बोधिवृक्ष को सम्राट अशोक की एक वैश्य रानी तिष्यरक्षिता ने चोरी-छुपे कटवा दिया था। यह बोधिवृक्ष को कटवाने का सबसे पहला प्रयास था। रानी ने यह काम उस वक्त किया जब सम्राट अशोक दूसरे प्रदेशों की यात्रा पर गए हुए थे।

    मान्यताओं के अनुसार रानी का यह प्रयास विफल साबित हुआ और बोधिवृक्ष नष्ट नहीं हुआ। कुछ ही सालों बाद बोधिवृक्ष की जड़ से एक नया वृक्ष उगकर आया, उसे दूसरी पीढ़ी का वृक्ष माना जाता है, जो तकरीबन 800 सालों तक रहा।

    गौरतलब है कि सम्राट अशोक ने अपने बेटे महेन्द्र और बेटी संघमित्रा को सबसे पहले बोधिवृक्ष की टहनियों को देकर श्रीलंका में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करने भेजा था। महेन्द्र और संघिमित्रा ने जो बोधिवृक्ष श्रीलंका के अनुराधापुरम में लगाया था वह आज भी मौजूद है।


    दूसरी कोशिश

    दूसरी बार इस पेड़ को बंगाल के राजा शशांक ने बोधिवृक्ष को जड़ से ही उखड़ने की ठानी। लेकिन वे इसमें असफल रहे। कहते हैं कि जब इसकी जड़ें नहीं निकली तो राजा शशांक ने बोधिवृक्ष को कटवा दिया और इसकी जड़ों में आग लगवा दी। लेकिन जड़ें पूरी तरह नष्ट नहीं हो पाईं। कुछ सालों बाद इसी जड़ से तीसरी पीढ़ी का बोधिवृक्ष निकला, जो तकरीबन 1250 साल तक मौजूद रहा।

    तीसरी बार

    तीसरी बार बोधिवृक्ष साल 1876 प्राकृतिक आपदा के चलते नष्ट हो गया। उस समय लार्ड कानिंघम ने 1880 में श्रीलंका के अनुराधापुरम से बोधिवृक्ष की शाखा मांगवाकर इसे बोधगया में फिर से स्थापित कराया। यह इस पीढ़ी का चौथा बोधिवृक्ष है, जो आज तक मौजूद है।

    पीपल वृक्ष हिंदूओ का प्रतीक है

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  4. भारतीय संस्कृति में पीपल देववृक्ष है, इसके सात्विक प्रभाव के स्पर्श से अन्त: चेतना पुलकित और प्रफुल्लित होती है। स्कन्द पुराण में वर्णित है कि अश्वत्थ (पीपल) के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत सदैव निवास करते हैं।[क] पीपल भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत:मूर्तिमान स्वरूप है। भगवान कृष्ण कहते हैं- समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूँ।[ख] स्वयं भगवान ने उससे अपनी उपमा देकर पीपल के देवत्व और दिव्यत्व को व्यक्त किया है। शास्त्रों में वर्णित है कि पीपल की सविधि पूजा-अर्चना करने से सम्पूर्ण देवता स्वयं ही पूजित हो जाते हैं।[ग] पीपल का वृक्ष लगाने वाले की वंश परम्परा कभी विनष्ट नहीं होती। पीपल की सेवा करने वाले सद्गति प्राप्त करते हैं। पीपल वृक्ष की प्रार्थना के लिए अश्वत्थस्तोत्र में पीपल की प्रार्थना का मंत्र भी दिया गया है। [घ] प्रसिद्ध ग्रन्थ व्रतराज में अश्वत्थोपासना में पीपल वृक्ष की महिमा का उल्लेख है। अश्वत्थोपनयनव्रत में महर्षि शौनक द्वारा इसके महत्त्व का वर्णन किया गया है। अथर्ववेदके उपवेद आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। पीपल के वृक्ष के नीचे मंत्र, जप और ध्यान तथा सभी प्रकार के संस्कारों को शुभ माना गया है। श्रीमद्भागवत् में वर्णित है कि द्वापर युग में परमधाम जाने से पूर्व योगेश्वर श्रीकृष्ण इस दिव्य पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान में लीन हुए। यज्ञ में प्रयुक्त किए जाने वाले 'उपभृत पात्र' (दूर्वी, स्त्रुआ आदि) पीपल-काष्ट से ही बनाए जाते हैं। पवित्रता की दृष्टि से यज्ञ में उपयोग की जाने वाली समिधाएं भी आम या पीपल की ही होती हैं। यज्ञ में अग्नि स्थापना के लिए ऋषिगण पीपल के काष्ठ और शमी की लकड़ी की रगड़ से अग्नि प्रज्वलित किया करते थे।[3] ग्रामीण संस्कृति में आज भी लोग पीपल की नयी कोपलों में निहित जीवनदायी गुणों का सेवन कर उम्र के अंतिम पडाव में भी सेहतमंद बने रहते हैं।

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  5. Very useful information... सच में पीपल की पूजा होती है सभी करते भी हैं, पता था। पीपल सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देता शायद इसलिए इसे धर्म से जोड़ा गया...पर इसके इतने स्वास्थ्य लाभ की जानकारी नहीं थी। ऐसे ही चीजों से हम सबको अवगत करते रहो। माना की गूगल पर सारी इनफॉर्मेशन है, पर जिस विषय की जरूरत होती लोग वही सर्च करते। था तुम्हारे पोस्ट पर हर दिन कुछ अच्छा मिलता। Very good work done by u...👍👍👍

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  6. अगर ऐसे ही पीपल के वृक्ष कटते रहे तो प्रकृति से ऑक्सीजन विदा हो जाएगी

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  7. बहुपयोगी पौधा है पीपल का, सारे रोग दूर हो जाते है, धन्यबाद

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  8. बहुत उपयोगी जानकारी।

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  9. अच्छी जानकारी

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  10. पीपल का वृक्ष पूजनीय है और साथ मे औषधि गुणों से युक्त भी है।

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  11. अच्छी जानकारी

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  12. पूज्यनीय पीपल वृक्ष 🙏🙏

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  13. प्रकृति का आशीर्वाद हैं ये पेड़ मानव जाति के लिए लेकिन हम लोग अभी भी समझ नहीं रहे। शहरों में तो ये दिखते ही नही जहां इनकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
    बहुत अच्छी जानकारी

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  14. धर्म से उन्हीं बातों को जोड़ा गया है..जो मानव जाति के भले के लिए हैं। ये ऑक्सीजन सबसे ज्यादा देता तभी इसको धर्म से जोड़ा गया...ताकि लोग इसको नए काटे।

    इसके स्वास्थ्य लाभ से सबको अवगत कराने का अच्छा प्रयास👍👍

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  15. पीपल पूजनीय तथा औषधीय गुणों वाला पेड़ है।अच्छी जानकारी।

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  16. पीपल वृक्ष को देव वृक्ष
    कहना ही नहीं है पर्याप्त
    पीपल के इस पावन-वृक्ष
    से बहुत कुछ होता प्राप्त
    प्राणवायु सबसे अधिक
    ये पीपल देता है हमको
    दूर भगाता है जीवन से
    बीमारी के काले तम को
    पीपल केवल वृक्ष नहीं
    वृक्षों में सबसे उत्तम है
    विकारों को दूर करने की
    यह औषधि सर्वोत्तम है
    🙏नरेश"राजन"हिन्दुस्तानी🙏

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