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विघ्नेश्वर गणपति मंदिर (Vigneshwara Vinayaka Temple Ozar)

विघ्नेश्वर गणपति मंदिर (Vigneshwara Vinayaka Temple Ozar)

विघ्नेश्वर गणपति मंदिर (Vigneshwara Vinayaka Temple) अष्टविनायक में सातवें गणपति हैं। विग्नेश्वर गणेश मंदिर पुणे- नासिक हाईवे पर ओझर जिले में जुन्नार क्षेत्र में स्थित है।ओझर में श्री विघ्नहर अष्टविनायकों में सबसे धनी गणपति हैं। ओझर कुकडी नदी के किनारे स्थित एक गांव है।



विघ्नेश्वर गणपति मंदिर (Vigneshwara Vinayaka Temple Ozar)

जुन्नार तालुका में यह मंदिर पुणे-नासिक रोड पर नारायणगांव से 8 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन पुणे है।'विघ्न' का अर्थ है कार्य में 'बाधा' और 'हर' का आता है 'हरण करने वाला'।

किवदंती

राजा अभिनंदन ने त्रिलोकधीश बनने के लिए यज्ञ शुरू किया, इससे भयभीत होकर इंद्र ने यज्ञ को बाधित करने के लिए राक्षस विघ्नसुर का निर्माण किया और उसे यज्ञ को बाधित करने के लिए कहा। वह एक कदम आगे चला गया और सभी यज्ञ को बाधित करना शुरू कर दिया। इस कारण ऋषियों ने गणपति से विघ्नसुर से रक्षा के लिए उसके वध का अनुरोध किया। गणपति ने ऋषियों की विनती स्वीकार कर ली। जब यह बात विघ्नसुर को पता चला तो वह डर गया और भगवान गणेश की शरण में पहुंच कर अपनी पराजय स्वीकार करते हुए उनसे अभयदान मांगा। गणेश जी ने उसको अभयदान प्रदान किया और उसी से वचन लिया कि जहां कहीं भी मेरी पूजा हो रही होगी वह वहां नहीं जाएगा।विघ्नेश्वर ने वचन दिया किंतु साथ ही एक आग्रह भी किया कि यहां जब आप की पूजा हो तो आपके साथ मेरा भी नाम लिया जाए। तभी से यह मंदिर विघ्नेश्वर, विघ्नहर्ता और विघ्नहर के रूप में जाना जाता है।

विघ्नेश्वर गणपति मंदिर (Vigneshwara Vinayaka Temple Ozar)

इतिहास

1785 में बाजीराव पेशवा के भाई चिमाजी अप्पा ने पुर्तगालियों से वसई किले को जप्त करने के बाद मंदिर का जीर्णोद्धार किया और शिखर को सोने से ढक दिया। गणेश भक्त अप्पा शास्त्री जोशी द्वारा भी 1967 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था।

सभी अष्टविनायक मंदिरों की तरह केंद्रीय गणेश छवि को स्वयंभू माना जाता है, जो प्राकृतिक रूप से हाथी के चेहरे वाले पत्थर के रूप में होता है। मंदिर चारों ओर से ऊंची पत्थर की दीवारों से घिरा हुआ है और उसका शिखर सोने से निर्मित है। मंदिर का मुख पूरब की ओर है और वह पत्थर की मजबूत दीवार से घिरा हुआ है। मंदिर का बाहरी कक्ष 20 फुट लंबा और अंदर का कक्ष 10 फुट लंबा है।

यहां की मूर्ति पूर्व मुखी है साथ ही सिंदूर तथा तेल से संलेपित है। मंदिर में स्थापित मूर्ति की सुंड बाईं ओर है और इसकी आंखों और नाभि में हीरे जड़े हैं, जो एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है। रिद्धि और सिद्धि की मूर्तियां गणेश जी के दोनों तरफ रखी हुई हैं। यहां एक दीपमाला भी है जिसके पास द्वार पालक हैं।

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Vigneshwara Vinayaka Temple Ozar

Vigneshwara Ganapati Temple is the seventh Ganapati in Ashtavinayaka. Vigneshwar Ganesh Temple is located on the Pune-Nashik Highway in the Junnar region in Ojhar district. Shri Vighnahar in Ojhar is the richest Ganapati among the Ashtavinayaks. Ojhar is a village situated on the banks of river Kukdi.

विघ्नेश्वर गणपति मंदिर (Vigneshwara Vinayaka Temple Ozar)

This temple in Junnar taluka is 8 km from Narayangaon on the Pune-Nashik road. The nearest railway station is Pune. 'Vighna' means 'obstacle' in work and 'Har' stands for 'destroyer'.

Legend

King Abhinandan started the yajna to become Trilokdhish, being frightened by this, Indra created the demon Vighnasura to disrupt the yagya and asked him to interrupt the yagya. He went a step ahead and started disrupting all the yagyas. For this reason the sages requested Ganapati to kill him to protect him from Vighnasur. Ganapati accepted my request of Shiva, whenever Bana came to know about the beginning, he got scared and reached the shelter of Lord Ganesha, accepting his defeat and asked him for protection. Ganesh ji gave him protection and took a promise from him that wherever I was being worshiped, he would not go there. Vigneshwar made a promise but at the same time made a request that when you are worshiped here, my name is also with you. To be taken Since then this temple is known as Vighneshwar, Vighnaharta and Vighnahar.

विघ्नेश्वर गणपति मंदिर (Vigneshwara Vinayaka Temple Ozar)

History

Chimaji Appa, brother of Bajirao Peshwa, renovated the temple after confiscating the Vasai Fort from the Portuguese in 1785 and covered the spire with gold. This temple was also renovated in 1967 by Ganesh Bhakta Appa Shastri Joshi.


Like all Ashtavinayak temples, the central Ganesha image is believed to be Swayambhu, which is naturally in the form of a stone with an elephant face. The temple is surrounded by high stone walls on all four five and its facade is made of gold. It faces east and is surrounded by a strong stone wall. The outer chamber of the temple is 20 feet long and the inner chamber is 10 feet long.


The idol here is facing east and is coated with vermilion and oil. The trunk of the idol installed in the temple is on the left side and its eyes and navel are studded with diamonds, which presents a beautiful sight. The idols of Riddhi and Siddhi are placed on both sides of Ganesha. There is also a Deepmala which has gatekeepers.

विघ्नेश्वर गणपति मंदिर (Vigneshwara Vinayaka Temple Ozar)

32 comments:

  1. मूदक प्रिय मुद मंगल दाता ।
    विद्या वर दे बुद्वि विधाता ।।

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  2. सिद्धिविनायक मन्दिर मुम्बई स्थित एक प्रसिद्ध गणेशमन्दिर है। सिद्घिविनायक, गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है। गणेश जी जिन प्रतिमाओं की सूड़ दाईं तरह मुड़ी होती है, वे सिद्घपीठ से जुड़ी होती हैं और उनके मंदिर सिद्घिविनायक मंदिर कहलाते हैं। कहते हैं कि सिद्धि विनायक की महिमा अपरंपार है, वे भक्तों की मनोकामना को तुरन्त पूरा करते हैं। मान्यता है कि ऐसे गणपति बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते हैं और उतनी ही जल्दी कुपित भी होते हैं।
    मेरी जानकारी .........................

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  3. इतिहास

    किंवदन्दि है कि इस मंदिर का निर्माण संवत् १६९२ में हुआ था। मगर सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक इस मंदिर का १९ नवंबर १८०१ में पहली बार निर्माण हुआ था। सिद्धि विनायक का यह पहला मंदिर बहुत छोटा था। पिछले दो दशकों में इस मंदिर का कई बार पुनर्निर्माण हो चुका है। हाल ही में एक दशक पहले १९९१ में महाराष्ट्र सरकार ने इस मंदिर के भव्य निर्माण के लिए २० हजार वर्गफीट की जमीन प्रदान की। वर्तमान में सिद्धि विनायक मंदिर की इमारत पांच मंजिला है और यहां प्रवचन ग्रह, गणेश संग्रहालय व गणेश विापीठ के अलावा दूसरी मंजिल पर अस्पताल भी है, जहां रोगियों की मुफ्त चिकित्सा की जाती है। इसी मंजिल पर रसोईघर है, जहां से एक लिफ्ट सीधे गर्भग्रह में आती है। पुजारी गणपति के लिए निर्मित प्रसाद व लड्डू इसी रास्ते से लाते हैं।

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  4. नवनिर्मित मंदिर के 'गभारा ’ यानी गर्भगृह को इस तरह बनाया गया है ताकि अधिक से अधिक भक्त गणपति का सभामंडप से सीधे दर्शन कर सकें। पहले मंजिल की गैलरियां भी इस तरह बनाई गई हैं कि भक्त वहां से भी सीधे दर्शन कर सकते हैं। अष्टभुजी गर्भग्रह तकरीबन १० फीट चौड़ा और १३ फीट ऊंचा है। गर्भग्रह के चबूतरे पर स्वर्ण शिखर वाला चांदी का सुंदर मंडप है, जिसमें सिद्धि विनायक विराजते हैं। गर्भग्रह में भक्तों के जाने के लिए तीन दरवाजे हैं, जिन पर अष्टविनायक, अष्टलक्ष्मी और दशावतार की आकृतियां चित्रित हैं।

    वैसे भी सिद्धिविनायक मंदिर में हर मंगलवार को भारी संख्या में भक्तगण गणपति बप्पा के दर्शन कर अपनी अभिलाषा पूरी करते हैं। मंगलवार को यहां इतनी भीड़ होती है कि लाइन में चार-पांच घंटे खड़े होने के बाद दर्शन हो पाते हैं। हर साल गणपति पूजा महोत्सव यहां भाद्रपद की चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक विशेष समारोह पूर्वक मनाया जाता है।

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  5. विवाद

    सिद्धिविनायक मंदिर को हर साल लगभग ₹ 100 मिलियन - ₹ ​​150 मिलियन का दान मिलता है, जो इसे मुंबई शहर का सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट बनाता है। 2004 में, सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट, जो मंदिर का संचालन करता है, पर दान के कुप्रबंधन का आरोप लगाया गया था। नतीजतन, बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रस्ट के दान की जांच करने और आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश वी पी टिपनिस की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की। समिति ने बताया कि "इस मामले का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि विशेष संस्थानों के लिए कोई विधि या सिद्धांत का पालन नहीं किया जाता है। चयनकर्ताओं के लिए केवल मानदंड या संदर्भ या मंत्री या राजनीतिक भारी सिफारिश या संदर्भ थे, जो आम तौर पर सत्ताधारी पार्टी से संबंधित थे।

    2006 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट और याचिकाकर्ता केवल सेमलानी को मंदिर के ट्रस्ट फंड का उपयोग करने के लिए "विचारोत्तेजक दिशानिर्देश" तैयार करने का निर्देश दिया।

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  6. 🙏🏾 आरती 🙏🏾

    वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा, निर्विघ्नं कुरुमेदेव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
    ॐ…

    ॐ गण गणपतये नमो नमः, श्री सिद्धि विनायक नमो नमः।
    अष्टविनायक नमो नमः, गणपति बाप्पा मोरया॥
    मंगल मूर्ति मोरया…

    ॐ गण गणपतये नमो नमः, श्री सिद्धि विनायक नमो नमः।
    अष्टविनायक नमो नमः, गणपति बाप्पा मोरया॥
    मंगल मूर्ति मोरया…

    सुखकर्ता दुःखहर्ता वार्ता विघ्नाची, नूरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची।
    सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदुराची, कंठी झळके माल मुक्ताफळाची॥
    जय देव, जय देव…

    जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति, दर्शनमात्रे मानकामना पूर्ति।
    जय देव, जय देव…
    जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति, दर्शनमात्रे मानकामना पूर्ति।
    जय देव, जय देव…

    रत्नखचिता फरा तुझा गौरीकुमारा, चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा।
    हीरेजडित मुकुट शोभतो बरा, रुणझुणती नुपुरे चरणी घागरिया॥
    जय देव, जय देव…

    जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति, दर्शनमात्रे मानकामना पूर्ति।
    जय देव, जय देव…

    सेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को, दोंदिल लाल बिराजे सूत गौरिहार को।
    हाथ लिए गुड़ लड्डू साईं सुरवर को, महिमा कहे न जाय लागत हूँ पद को॥
    जय देव, जय देव…

    जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता, धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता।
    जय देव, जय देव…
    जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता, धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता।
    जय देव, जय देव…

    लंबोधर पीताम्बर फणिवर बंधना, सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना।
    दास रामाचा वाट पाहे सदना, संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना॥
    जय देव, जय देव…

    जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति, दर्शनमात्रे मानकामना पूर्ति।
    जय देव, जय देव…

    जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति, दर्शनमात्रे मानकामना पूर्ति।
    जय देव, जय देव…

    जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ति, दर्शनमात्रे मानकामना पूर्ति।
    जय देव, जय देव…

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  7. ये है मेरी जानकारी शायद आप सच मान ले

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    1. अच्छी जानकारी है आपकी....पर यह पोस्ट अष्टविनायक मंदिर के बारे में है, जो पुणे नासिक हाईवे के इर्द-गिर्द करीब 20 से 110 किलोमीटर के बीच में स्थापित है। आपने यहां मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर के विषय में जानकारी दी है।

      जल्द ही मैं सिद्धिविनायक मंदिर पर भी पोस्ट डालने का प्रयास करूंगी।

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  8. पेशवा बाजीराव प्रथम के भाई और मिलिट्री कमांडर चिमाजी अप्पा ने मंदिर की अवस्था में सुधार किया और पुर्तगालीयो से वसई किले को जीतने के बाद मंदिर के शिखर को स्वर्ण से सजाया था।

    1967 में भगवान गणेश के भक्त अप्पा शास्त्री जोशी ने भी मंदिर की अवस्था में सुधार किया था।

    धार्मिक महत्त्व:

    भगवान गणेश के अष्टविनायको में ओज़र का गणेश मंदिर सांतवे स्थान पर आता है, कई बार श्रद्धालु पांचवे स्थान पर ही इस मंदिर के दर्शन कर के लिए आते है।

    मुद्गल पुराण, स्कंद पुराण और तमिल विनायक पुराण के अनुसार : राजा अभिनन्दन ने एक बलिदान दिया, जिसमे उन्होंने देवराज इंद्र को कुछ भी प्रस्तुत नही किया। व्यथित होकर इंद्र ने काल (समय/मृत्यु) को उनके बलिदान को ख़त्म करने का आदेश दे दिया।

    इसके बाद काल ने असुर विघ्नसुर का रूप लिया, जो बलिदान की प्रक्रिया में बाधा बनकर खड़ा हुआ। इसी के साथ उसने ब्रह्माण्ड का भी नाश करना शुरू किया, बलिदान में बाधा बनने के साथ-साथ वह दूसरो को भी क्षति पंहुचा रहा था।

    फिर संतो ने परेशान होकर मदद के लिए भगवान शिव और ब्रह्मा को प्रार्थना की, जिन्होंने संतो को भगवान गणेश की पूजा करने के लिए कहा।

    सन्यासियों की प्रार्थना सुनकर भगवान गणेश से असुर राजा से युद्ध की शुरुवात की, जिसमे असुर को जल्द ही इस बात का एहसास हो चूका था की वह गणेश को पराजित नही कर सकता और इसीलिए उसने किसी को हानि न पहुचाने का वादा किया। तभी से भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।

    पराजय के बाद विघ्नसुर ने भगवान गणेश को अपना नाम धारण करने की प्रार्थना भी की और कहा जाता है की तभी से इस मंदिर को विघ्नेश्वर मंदिर कहा जाता है। मंदिर में हमें विघ्नेश्वर के रूप में भगवान गणेश की प्रतिमा देखने मिलती है।

    उत्सव:

    मंदिर में भगवान गणेश से जुड़े सभी उत्सव मनाए जाते है। जिनमे मुख्य रूप से गणेश चतुर्थी और गणेश जयंती शामिल है। इसके साथ-साथ मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा को 5 दिनों तक चलने वाले एक उत्सव का भी आयोजन किया जाता है।


    मेरी ये जानकारी है

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  9. ओजर 85 पर स्थित है किमी पुणे से, पुणे से दूर- नासिक राजमार्ग और नारायणगांव के उत्तर में लगभग 9 किमी। लेन्याद्री के एक और अष्टविनायक मंदिर के साथ, ओजर पुणे जिले के जुन्नार तालुका में है । ओजर कुकड़ी नदी के किनारे पर स्थित है, जिस पर बने येदागांव बांध के करीब है।

    इतिहास
    चिमाजी अप्पा , पेशवा के भाई और सैन्य कमांडर । बाजी राव I , ने मंदिर का जीर्णोद्धार किया और पुर्तगाली से वसई किले को जब्त करने के बाद सोने के साथ शिकारा (मंदिर शिखर) को कवर किया। 1967 में गणेश भक्त अप्पा शास्त्री जोशी द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार भी किया गया था।

    धार्मिक महत्व
    हालांकि ओजरात को अष्टविनायक सर्किट में जाने के लिए सातवें मंदिर के लिए निर्धारित किया गया है, तीर्थयात्री अक्सर ओझर पांचवें दर्शन करते हैं। , जैसा कि यह अधिक सुविधाजनक मार्ग है।

    मुद्गल पुराण , स्कंद पुराण और तमिल विनायक पुराण रिकॉर्ड: राजा अभिनंदन ने एक यज्ञ किया था जिसमें उन्होंने नहीं किया था देव-राजा को कोई भी चढ़ावा दे इंद्र । कुपित इंद्र ने बलिदान को नष्ट करने के लिए कला (समय / मृत्यु) का आदेश दिया। काला दानव विघ्नसुरा (बाधा-दानव) या विग्ना (बाधा) का रूप लेता है, जिसने बलिदान में बाधाएं पैदा कीं और इसे बर्बाद कर दिया। इसके अलावा, उन्होंने ब्रह्मांड में, ऋषियों और अन्य प्राणियों के अच्छे कार्यों और बलिदानों में बाधाएं पैदा कीं। ऋषियों ने भगवान से पूछा ब्रह्मा या शिव , जिन्होंने गणेश की पूजा की सलाह दी। तपस्वियों की प्रार्थना सुनकर, गणेश ने राक्षस से युद्ध करना शुरू कर दिया, जिसने जल्द ही महसूस किया कि यह जीतना असंभव है और अपने प्रतिद्वंद्वी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और दुनिया के प्राणियों को परेशान न करने पर सहमत हुए। यह व्यवस्था की गई थी कि विग्ना (बाधाएँ) केवल उन्हीं स्थानों पर रहेंगी जहाँ गणेश का आह्वान या पूजा नहीं की गई थी। कुछ संस्करणों में, पछतावा करने वाले विग्ना को गणेश का परिचारक बनाया गया, जो उन लोगों को परेशान करते हैं जो अपने भगवान की पूजा करने में विफल रहते हैं। विग्नासुर ने गणेश से विग्नेश्वरा (विघ्न / बाधाओं के भगवान) का नाम लेने का अनुरोध किया। राहत प्राप्त ऋषियों ने इस घटना को चिह्नित करने के लिए ओझर में विग्नेश्वरा के रूप में गणेश की एक प्रतिमा का अभिषेक किया।

    ये मंदिर वास्तुकला के लिये प्रसिद्ध है

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  10. वास्तुकला
    पूर्व की ओर स्थित मंदिर में "विशाल प्रांगण, एक भव्य प्रवेश द्वार, मूर्तिकला और भित्ति चित्र" हैं। । यह दो बड़े पत्थर द्वारापाल (द्वारपाल) की मूर्तियों और चार संगीतकारों की एक पंक्ति के साथ एक बड़े गेटवे के साथ एक चारदीवारी से घिरा हुआ है। एक लीनयाद्री मंदिर और शिवनेरी किला दीवार पर खड़े होकर देख सकते हैं। दो बड़े पत्थर (दीपक टॉवर) सात पुच्छल मेहराब के ठीक गलियारे के सामने प्रवेश द्वार के पास खड़े हैं। प्रवेश द्वार के दोनों ओर उल्लू (ध्यान के लिए छोटा कमरा) हैं। आंगन को टाइल किया गया है। केंद्रीय मंदिर में मूर्तिकला पक्ष और लिंटल्स के साथ तीन प्रवेश द्वार हैं; पूर्व एक केंद्रीय एक है। पेड़ों पर बंदरों और तोतों से घिरे राहत में गणेश के साथ केंद्रीय एक लिंटेल है। मंदिर में दो हॉल हैं, जिनमें से पहला एक (20 फीट ऊँचा) उत्तर और दक्षिण में प्रवेश द्वार है और इसमें धुंडीराज गणेश की प्रतिमा है। अगले एक (10 फीट ऊँचे) में एक सफेद संगमरमर का मुशिका (माउस, जो गणेश का वाहन है) है। मंदिर की दीवारें भित्ति चित्रों और रंगीन मूर्तियों से भरी हुई हैं। गर्भगृह के ऊपर शिखर - सोने की पन्नी से ढका हुआ है। इसमें दो चौड़े पत्थर भी हैं प्रकर्म s (एक हिंदू गर्भगृह के बाहर बाहरी रास्ता)।

    सभी अष्टविनायक मंदिरों की तरह, केंद्रीय गणेश छवि माना जाता है कि svayambhu ( स्व-अस्तित्व), स्वाभाविक रूप से एक हाथी-चेहरे पत्थर के रूप में होता है। गणेश का केंद्रीय चिह्न पूर्व की ओर मुख किए हुए है और उनके कंस सिद्धि और ऋद्धि [24>के पीतल के चित्रों से भरा हुआ है। उसके पास एक लेफ्ट-टर्निंग ट्रंक है और सिंदूर (सिंदूर) से ढका है। उनकी आँखें उभरी हुई हैं और उनका माथा और नाभि भी हीरे से सजी हुई है।

    मेरी जानकारीशायद आप संतुष्ठ होगी

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  11. त्यौहार
    मंदिर गणेश से जुड़े सामान्य त्योहार मनाते हैं: गणेश चतुर्थी और गणेश जयंती । इसके अलावा, दीपमालाएं जलने पर कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होने वाला पांच दिवसीय त्योहार भी मनाया जाता

    जसवंत निराला

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  12. ॐ गण गणपतए नमः 🙏🙏

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  13. जय गणेश देवा

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  14. गणपति बप्पा मोरया 🙏🙏🙏🙏

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  15. ॐ श्री गणेशाय नमः

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  16. अष्टविनायक गणेश मंदिर सातवें गणेश मंदिर के रूप में स्थापित है।विघ्णसुर पर विजय प्राप्त करने के कारण गणेश जी का एक नाम विघनेश्वर है।

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  17. jai ganesh jai ganesh jai ganesh deva🙏🙏🙏🙏

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  18. जय गणपति देवा

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