इतवार
अवसर और सूर्योदय में एक ही समानता है,
देर करने वाले इसे हमेशा खो देते हैं ❤❤
नव किरण का रथ सजा है
कलि कुसुम से पथ सजा है
बादलों से अनुचरों ने, स्वर्ण की पोषक धारी
आ रही रवि की सवारी
विहग बंदी और चारण
गए रहे कीर्ति गायन
छोड़कर मैदान भागी, तारकों की फ़ौज सारी
आ रही रवि की सवारी
चाहता उछलूँ विजय कह
पर ठिठकता देख कर यह
रात राजा खड़ा है, राह पर बन कर भिखारी
आ रही रवि की सवारी
🌼ख़ुशी हमारे ऐटिट्टूड पर निर्भर करती है 🌼
Happy Sunday n very nice pic ❣️👍
ReplyDeleteYe unknown wala pta nhi lagta thank u kisko bole😉😉
ReplyDeleteHappy Sunday (archana)
ReplyDeleteThe best line is "खुशी हमारे ऐट्टिट्युड पर निर्भर करती है" Happy Sunday, Enjoy
ReplyDeleteHappy sunday. Attitude of gratitude should be there for attaining KHUSHI.
ReplyDeleteright...
ReplyDeleteप्यारी सी कविता और बहुत बहुत प्यारी सी फ़ोटो के साथ रविवार का स्वागत है
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी कविता, लेकिन आज तो सुबह बहुत देर से हुई। बादल ही बादल लगे रहे लेकिन बारिस नाम की तो कोई नामो निसान ही नहीं।
ReplyDeleteHappy Sunday## nice pic
ReplyDeleteHappy Sunday## nice poem## beautiful pic
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteNice poem nd happy Sunday
ReplyDeleteखुशी हमारे ऐटिट्यूड पर निर्भर करती है....
ReplyDeleteNice pic
ReplyDeleteVery Happy Sunday, wonderful pic😘😘
ReplyDeleteNice lines..
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