आसमाँ (Asman)
यह आसमान जिसका कोई अंत नहीं, इतना विशाल जहां तक देखो वहां तक। इतनी विशालता के बाद भी कितना मौन कितना शांत। अपनी गोद में चांद तारों को समेटा हुआ रहस्य से भरे इस आसमान को देखकर एक अजीब से सुकून की अनुभूति होती है।हम इंसान जरा सा कुछ पाकर कितना इतराते और यह आसमान इतनी ऊंचाइयों के बावजूद कितना सहज।
इंसान के अस्तित्व के लिए आसमान का होना अत्यंत आवश्यक है। तपती मचलती गर्मी के बाद बारिश की रिमझिम फुहारे बादलों के माध्यम से आसमान से ही आती है ।और दिसंबर जनवरी की सर्दियों में इसी से हमें धूप भी मिलती है। मानव मस्तिष्क आसमान को लेकर सदैव सजग रहा है। कभी गोधूलि बेला में आसमान को अपलक निहारिये । इसे देखकर आपको लगेगा कि कितना रहस्य समेटे हैं अपने अंक में यह आसमान। रात में चांद- तारे इस की शोभा बढ़ाते हैं तो दिन में सूर्य का प्रकाश इसे आलोकित करता है । इन्हीं के बीच में बिखरे मेघ खंड की सुंदरता के क्या कहने। इन मेघ- खंडों में आप अपनी कल्पना शक्ति के आधार पर कुछ भी चित्रित कर सकते हैं। कभी कल्पना करके देखिए कि यदि आसमान न होता तो क्या होता?
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आसमाँ (Asman)
This sky which has no end, so vast as far as it looks. How silent, despite so much silence. Seeing this sky full of mystery with the moon stars on its lap, there is a strange feeling of peace.
How much we humans used to get a little something and this sky was so comfortable despite such heights.
The sky is essential for human survival. After the scorching summer, the rain comes from the sky through the sparse clouds of rain. And in the winter of December January we get sunshine from it as well. The human mind is always alert to the sky. Never stare at the sky at dusk. Seeing this, you will feel how many secrets are contained in this sky in your issue. In the night, the moon and stars add to it, then in the day the light of the sun illuminates it. What to say about the beauty of the cloud block scattered among them. In these cloud-sections, you can depict anything based on your imaginations. Ever imagine what would have happened if there had been no sky?
Perhaps there would not have been life on this earth.
Sky highs
Gagan heights
Amber's desires
Love the sky ..... "" ... ♥.
Sky has always been an inspiration to many youngsters.....#content is attractive
ReplyDeleteजिस प्रकार आसमां अंतहीन है,उसी तरह उसकी सुंदरता का वर्णन भी, फिर भी कम ही शब्दों में सुंदर वर्णन 👌👌
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteQuite good
ReplyDeleteप्रकृति के सौंदर्य की अतिसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteVery nice😄
ReplyDeleteGud effort...👍
ReplyDeleteBahut hi khoobsurat warnan
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteAttractive content..
ReplyDeleteAttractive
ReplyDeleteBahut Sunder..
ReplyDelete"आइये,महसूस करें नभ की बुलंदियां गगन की ऊंचाइया अम्बर की ख्वाइशें आकाश की चाहतें.
ReplyDelete👌👌
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअरे देखने वालों बादलों को छोड़ो हमारे दोस्त की स्माइल को देखो 😊😊
ReplyDeleteIt's beautiful depiction of the Nature ,worth enjoying ..thanks Rupa .🤝🌹
ReplyDeleteAwasthi ...🙏
ReplyDeleteप्रकृति के पंचतत्व आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी इन्हीं तत्वों से मिलकर इस जगत का निर्माण हुआ है। सूक्ष्म से स्थूल, स्थूल से स्थूलकाय अर्थात क्रम आकाश से पृथ्वी की ओर होगा। समस्त ब्रह्मांड परमात्मा में समाया हुआ है। आकाश सभी तत्वों में सूक्ष्म है और बाकी चारों तत्व आकाश में हैं। जैसा आकाश हमें चारों ओर महसूस होता है वैसा ही आकाश हमारे शरीर के अंदर भी है। आकाश का अर्थ ‘रिक्त स्थान’ अर्थात ‘शून्य’ है। शून्य से ही प्रत्येक वस्तु का आरंभ है। शून्य में ही अत्यंत गहरी शांति है। यदि शून्य का ज्ञान हो जाए तभी परम आनंद भी है। इस जगत में दिखने और न दिखने वाले जितने भी पदार्थ हैं उन सभी का निर्माण पंच तत्वों के अलग-अलग अनुपातों के कारण हुआ है। आकाश तत्व में ध्यान लगाना मन में शून्य भाव को जन्म देता है। जब मन में कोई विचार आता है तो उसके पीछे दूसरा विचार स्वभाविक ही आता है। इन दोनों विचारों के बीच में अत्यंत सूक्ष्म आकाश तत्व रहता है।
आकाश तत्व में ध्यान लगाने से विचारों के बीच रिक्त स्थान बनता है, वही रिक्त स्थान अधिक से अधिक लंबा होना मन को शांति देता और विचारों की गति शांत हो जाती है। ध्यान अवस्था में बैठकर शरीर के बाहर जो आकाश तत्व है तथा शरीर के भीतर जो आकाश तत्व है उस पर ध्यान केंद्रित कर उसे अनुभव करना ही आकाश तत्व का ध्यान करना है। आकाश का गुण ‘शब्द’ है। शब्द अनादि है एक बार उत्पन्न हुआ शब्द कभी नष्ट नहीं होता है। शब्द की उत्पत्ति तथा अंतिम स्थान आकाश ही है। शब्द आकाश में से ही उत्पन्न होकर आकाश में ही समा जाता है। आकाश का गुण सूक्ष्म और कार्य विशालताए स्वतंत्रता तथा खुलापन होता है। समस्त ब्रह्मांड आकाश में समाया हुआ है।
बस कल्पना और रोमांच से भरा परम् तत्व आकाश
ही है🙏मेरे परमपिता परमात्मा🙏
जबरदस्त जानकारी 👌🏻
ReplyDeleteबहुत सुन्दर 🤗🤗
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