ऐ मौत उन्हें भुलाए ज़माने गुज़र गए
ऐ मौत उन्हें भुलाए ज़माने गुज़र गए
आजा कि ज़हर खाए ज़माने गुज़र गए
ओ जाने वाले आ कि तिरे इंतिज़ार में
रस्ते को घर बनाए ज़माने गुज़र गए
ग़म है न अब ख़ुशी है न उम्मीद है न यास
सब से नजात पाए ज़माने गुज़र गए
क्या लाइक़-ए-सितम भी नहीं अब मैं दोस्तो
पत्थर भी घर में आए ज़माने गुज़र गए
जान-ए-बहार फूल नहीं आदमी हूँ मैं
आजा कि मुस्कुराए ज़माने गुज़र गए
क्या क्या तवक़्क़ुआत थीं आहों से ऐ 'ख़ुमार'
ये तीर भी चलाए ज़माने गुज़र गए
"लम्हों की खताएं,
लफ्जों में क्या बताएं. ..❣️"
लफ्जों में क्या बताएं. ..❣️"
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 17 फरवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteपांच लिंकों के आनन्द में इस पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार 💐
DeleteWah
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteवाह
ReplyDelete🙏🙏💐💐
ReplyDelete🕉️शुभरात्रि वंदन 🕉️
🚩🚩जय श्री राधे राधे 🚩🚩
राइटर जी 👍👍👍🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐
🙏स्वस्थ रहिये मस्त रहिये अपना ख्याल रखिये 🙏
nice
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