संगत का असर
आइंस्टीन के ड्राइवर ने एक बार आइंस्टीन से कहा - सर! "मैंने हर बैठक में आपके द्वारा दिए गए हर भाषण को याद किया है।"
आइंस्टीन हैरान! उन्होंने कहा- ठीक है - अगले आयोजक मुझे नहीं जानते। आप मेरे स्थान पर वहां बोलिए और मैं ड्राइवर बनूंगा। ऐसा ही हुआ बैठक में अगले दिन ड्राइवर मंच पर चढ़ गया और भाषण देने लगा।
उपस्थित विद्वानों ने जोर-शोर से तालियां बजाईं। उस समय एक प्रोफेसर ने ड्राइवर से पूछा (जो उस समय मंच पर आइंस्टीन बना हुआ था) - "सर! क्या आप उस सापेक्षता की परिभाषा को फिर से समझा सकते हैं?
असली आइंस्टीन ने देखा बड़ा खतरा। अब तो वाहन चालक पकड़ा जाएगा। लेकिन ड्राइवर का जवाब सुनकर वे हैरान रह गये। ड्राइवर ने जवाब दिया - क्या यह आसान बात आपके दिमाग में नहीं आई? आप इसे मेरे ड्राइवर से पूछिए !! वह आपको समझाएगा।
शिक्षा:- यदि आप बुद्धिमान लोगों के साथ चलते हैं तो आप भी बुद्धिमान बनेंगे और मूर्खों के साथ ही सदा उठेंगे-बैठेंगे तो आपका मानसिक तथा बुद्धिमता का स्तर और सोच भी उन्हीं की भांति हो जाएगी !!
🌸जैसी संगत,वैसी रंगत।🌸
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में रविवार 16 फरवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteपांच लिंकों के आनन्द में इस पोस्ट को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार 💐
DeleteWah ji
ReplyDeleteसही बात, जैसी संगत वैसी रंगत
ReplyDeleteवाह, ड्राइवर भी आख़िर आइंस्टीन का था
ReplyDeleteवाह
ReplyDelete:) सुन्दर
ReplyDeleteNice
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