मकर संक्रांति (Makar Sankranti)
सर्वप्रथम आप सभी को मकर संक्रांति पर्व की अनेक बधाई।
आज 14 जनवरी को, मकर संक्रांति का पर्व पुरे देश भर में बड़े ही जोश और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस बार तो प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन पौष पूर्णिमा के साथ शुरू हो गया है। मकर संक्रांति पर महाकुंभ का पहला अमृत स्नान है।
हर पतंग जानती है,
अंत में कचरे मे जाना है।
लेकिन उसके पहले हमें,
आसमान छूकर दिखाना है ।
" बस ज़िंदगी भी यही चाहती है "
अंत में कचरे मे जाना है।
लेकिन उसके पहले हमें,
आसमान छूकर दिखाना है ।
" बस ज़िंदगी भी यही चाहती है "
मकर सक्रांन्ति पर हार्दिक शुभकामनाएं
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हमारा देश सांस्कृतिक रूप से विश्व के सर्वाधिक सशक्त देशों में से एक है। हमारे देश मे मौसम से जुड़े बहुत त्योहार हैं और इन सभी त्योहारों का अपना एक विशेष महत्त्व है। इन्हें मनाने का तरीका भी अलग -अलग है। नए साल के पहले महीने जनवरी में मकर संक्रांति के महा पर्व की शुरुआत होती है। किसी न किसी रूप में लोग अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति को बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। वहीं इस खास दिन पर तिल, गुड़ के पकवानों का आनंद लिया जाता है साथ ही आज के दिन स्नान का भी विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति का महापर्व सिर्फ उत्तर भारत में ही नहीं, बल्कि दक्षिण भागों के साथ अलग-अलग राज्यों में अनेक नामों से मनाया जाता है। क्या आप जानते है कि हम सभी मकर संक्रांति को क्यों मनाते है? अगर नहीं जानते तो इसका कारण समझते हैं।
दरअसल यह खगोल से जुड़ा हुआ है. मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। कहा जाता है कि इस खास दिन पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए खुद उनके घर में प्रवेश करते है। इस दौरान एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है। वैसे तो सूर्य संक्रांति 12 हैं, लेकिन इनमें से चार संक्रांति बेहद अहम हैं, जिनमें मेष, कर्क, तुला, मकर संक्रांति हैं। यही कारण है कि इस खास दिन को हम सभी मकर संक्रांति के नाम से जानते है और इसे पर्व के रूप में मनाते है । आज मकर संक्रांति के पर्व की तिथि है।
देश में मकर संक्रांति के पर्व को कई नामों से जाना जाता है। पंजाब और जम्मू-कश्मीर के लोग में इसे लोहड़ी के नाम से बड़े पैमाने पर मनाते हैं। लोहड़ी का त्योहार मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है। जब सूरज ढल जाता है तब घरों के बाहर बड़े-बड़े अलाव जलाए जाते हैं और स्त्री-पुरुष,घर के बच्चे सज-धजकर नए-नए कपड़े पहनकर जलते हुए अलाव के चारों ओर भांगड़ा डांस करते हैं और अग्नि को मेवा, तिल, गजक, चिवड़ा आदि की आहुति भी देते हैं। सभी एक-दूसरे को लोहड़ी की शुभकामनाएं देते हुए आपस में भेंट बांटते हैं और प्रसाद बाटते हैं। प्रसाद में तिल, गुड़, मूंगफली, मक्का और गजक होती हैं।
मकर संक्रांति को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है. जैसे- पंजाब में माघी, हिमाचल प्रदेश में माघी साजी, जम्मू में माघी संग्रांद , हरियाणा में सकरत, मध्य भारत में सुकरत, तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात के साथ उत्तर प्रदेश में उत्तरायण, ओडिशा में मकर संक्रांति, असम में माघ बिहू, अन्य नामों से संक्रांति को मनाते है।
वहीं इस खास दिन पर लोग कामना करते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं,भोग लगाते है जिसमे चावल, दाल, गुड़, तिल, रेवड़ी आदि चढ़ाते हैं। इस शुभ दिन लोग पतंग उड़ाते हैं। दरअसल मकर संक्रांति एक ऐसा दिन है, जब धरती पर एक अच्छे और शुभ दिन की शुरुआत होती है। ऐसा इसलिए कि सूर्य दक्षिण के बजाय अब उत्तर को गमन करने लग जाता है. जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है तब तक उसकी किरणों का असर खराब माना गया है, लेकिन जब वह पूर्व से उत्तर की ओर गमन करते लगता है तब उसकी किरणें सेहत ,सुख और शांति को बढ़ाती हैं।
आज के दिन तिल, गुड़, मूंगफली, लाई और गजक के साथ ही बिहार में दही चूड़ा और उत्तर प्रदेश में खिचड़ी खाने का प्रचलन है। इस भोजन पीछे भी कई धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारण हैं।
मकर संक्रांति पर खिचड़ी क्यों बनाई जाती है?
मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने की परंपरा कई धार्मिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारणों से जुड़ी हुई है। खिचड़ी को सूर्य और शनि गृह से जुड़ा हुआ माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन खिचड़ी खाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। खिचड़ी दाल, चावल और सब्जियों से मिलकर बनती है, जो संतुलित और पौष्टिक आहार है। सर्दियों में शरीर को गर्म और ऊर्जा देने वाला भोजन माना जाता है। खिचड़ी के साथ तिल-गुड़ का सेवन किया जाता है, जो पाचन और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी दान करना बहुत शुभ माना जाता है। गंगा स्नान और खिचड़ी दान का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी है।
यह पर्व जनवरी माह की 14 तारीख को मनाया जाता है। चुकी यह त्यौहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मनाया जाता है और सूर्य सामान्यता 12, 13, 14 या 15 जनवरी में से किसी एक दिन मकर राशि में प्रवेश करता है, तो कभी-कभी यह त्यौहार 12, 13 या 15 तारीख को भी मनाया जाता है। इस बार भी यह पर्व 14 को अर्थात आज ही मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति के शुभ दिन पर यदि पवित्र नदी गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा और कावेर में कोई डुबकी लगता है, तो वह अपने सभी अतीत और वर्तमान पापों को धो देता है और आपको एक स्वस्थ, समृद्ध और खुशहाल जीवन प्रदान करता है। मकर संक्रांति में गुड़, तेल, कंबल, फल, छाता आदि दान करने से लाभ मिलता है।
एक बार पुनः आप सभी को मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
आप सभी खुश रहें और स्वस्थ रहें।
Happy Makar Sankranti
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Vdhaian ji
ReplyDeleteHappy makar Sankranti....
ReplyDeleteHappy.
ReplyDeleteHappy Makar Sankranti 🪁🪁🪁🪁🪁
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