तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की
"बहुत लंबी खामोशी से गुजरा हूं मैं,
किसी के कुछ कहने के इंतजार में..❣️"
तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की
क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की
नींद में कोई अपने-आप से बातें करता रहता है
काल-कुएँ में गूंजती है आवाज़ किसी सौदाई की
सीने में दिल की आहट जैसे कोई जासूस चले
हर साए का पीछा करना आदत है हरजाई की
आँखों और कानों में कुछ सन्नाटे से भर जाते हैं
क्या तुम ने उड़ती देखी है रेत कभी तन्हाई की
तारों की रौशन फ़सलें और चाँद की एक दरांती थी
साहू ने गिरवी रख ली थी मेरी रात कटाई की
💐
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 20 जनवरी 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
ReplyDeleteपांच लिंकों के आनन्द में इस रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार 💐
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteवाह! सुन्दर सृजन
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteWahhhhhhhhhh... very nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery Nice 👌🏻
ReplyDeleteWah
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