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मैं एक पुरूष हूं

मैं एक पुरूष हूं

मैं एक पुरूष हूं
"इतना सब्र करना सीख जाओ कि, 
       अब कुछ बुरा भी हो तो बुरा ना लगे...❣️"

मैं पुरुष हूं

इसलिए कठोर हृदय हूं 

 मुझे कोमलता से क्या सरोकार 

आंसुओं को जब्त कर लेता हूं

पर आत्मा तो एक है 

वो कहां मानती है भेदभाव 

जन्मों से उसका आवागमन है 

कभी पुरुष तो कभी स्त्री का 

 वेश धारण किया है उसने 

पुरुष की कठोरता है उसमें 

तो स्त्री की कोमलता भी है 

मुझे (पुरुष) भी दर्द होता है 

स्त्री के प्रेम में पड़ा हुआ पुरूष 

चाहता है थोड़ा सा प्रेम 

उसके आंचल की छांव में 

आंसुओं से भीगना चाहता है

अपने कठोर हृदय के आवरण को उतारना चाहता है 

पिघलना चाहता है उसके प्रेम में 

थक कर उसकी गोद का आसरा खोजता है 

वह उससे कहना चाहता है 

हां मैं हूं एक.....

पिता पति पुत्र भाई और दोस्त ‌

पर एक कोमल हृदय आत्मा भी हूं 

मैं चाहता हूं स्पर्श तुम्हारे हाथों का 

मान अभिमान‌ कठोर होने का दिखावा 

सब उतार फेंकना चाहता हूं 

मैं चाहता हूं तुम्हारे प्रेम की तपिश 

थोड़ा सा तुम्हारे प्रेम में दुलार

दुनिया के मापदंडों से मैं थक गया हूं 

मैं खुलकर रोना चाहता हूं 

तुम अपने कोमल हाथों को 

मेरे सिर पर रखना 

और कहना कि मैं हुं 

अधिकार देना मुझे टूट कर बिखरने की 

आश्वासन और विश्वास देना 

समेट कर मुझे संबल प्रदान करोगी

हां मैं पुरुष हूं 

पर मैं एक कोमल हृदय भी हूं ।

9 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 16 दिसंबर 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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    1. "पांच लिंकों के आनन्द में" इस रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार।

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  2. एक आदमी की यह संवेदनशीलता है जो
    उसे अपनी प्रेमिका के पैर की उंगलियों के आकार से प्यार हो जाता है।
    गोधूलि में फंसी गर्दन का चिकना मोड़,
    स्पष्टीकरण के बाद हाथ का इशारा
    कोई गंभीर समस्या या क्षणिक भावना.

    एक आदमी की संवेदनशीलता है,
    जो भीड़ के सिर के ऊपर से महिला की नज़र को कैद कर लेता है।
    उसकी आँखों में वह देखेगा कि वह कौन है और वह कौन बनना चाहता है।
    और वह अपनी मुस्कान की धुन पर अपने दिल को गाने देगी
    होठों के कोने में छिपा हुआ.

    एक आदमी की यह संवेदनशीलता है जो
    वह रोज सुबह उठकर अधखुली पलकों से खोजता है
    उसका आकार जो शरीर और मन को जीवन के लिए प्रेरित करता है।
    और यह नई, अद्भुत दुनिया को जन्म देने में सक्षम है
    घर के बाहर।

    मनुष्य की संवेदना है जो खुलती है
    बहस के बाद दरवाज़ा पटकने में।
    छोड़ने के लिए नहीं, बल्कि रास्ते पर चलने के लिए
    अपना, समानांतर एक।
    और जब वह उसके पास लौटता है, तो उसकी आँखें कहती हैं
    कि वह भी अपने पास वापस आ रहा है.

    रात में जो आदमी खड़ा होता है, उसकी एक संवेदनशीलता होती है
    बच्चों के कमरे की दहलीज पर और चुपचाप देखता रहता है।
    लोग सोते ही बड़े हो जाते हैं।
    और फुसफुसाते हुए वह अपनी प्रेमिका का हाथ पकड़ लेता है ताकि वह उसे खो न दे
    इस पल में कपड़े धोने और लोरी के ढेर में।

    एक आदमी की यह संवेदनशीलता है जो
    किसी चीज़ पर विश्वास करता है, किसी चीज़ पर विश्वास करता है और किसी चीज़ के लिए लड़ता है।
    एक महिला को अपने साथ रखना और हर कोई
    वे उसके पीछे आएँगे, उन्होंने उसकी आत्मा का निशान महसूस किया
    जमीन पर अंकित.

    मनुष्य में एक संवेदनशीलता होती है जो उसे बताती है
    जियोमीटर होने का मतलब सिर्फ आकृतियों को देखना नहीं है,
    लेकिन अटल रूप से हर छोटे रूप में सत्य की तलाश करो,
    वह उसकी आंखों के सामने है.

    और वह पुरुष की इस गहरी संवेदनशीलता को कोमलता से गले लगा लेती है,
    तुम्हारी पलकों और कनपटी को चूमना।
    ऐसा होने के लिए.

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  3. संजय कुमारDecember 16, 2024 at 12:59 AM

    🙏🙏💐💐शुभरात्रि 🕉️
    🚩🚩जय श्री हरि जय श्री हरि जय श्री हरि 🚩🚩
    👍👍👍वाह... बहुत खूब... शेयर करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐

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  4. बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।

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  5. भावपूर्ण रचना

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