इस विशद विश्व-प्रहार में
इस विशद विश्व-प्रहार में
किसको नहीं बहना पड़ा
सुख-दुख हमारी ही तरह,
किसको नहीं सहना पड़ा
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ,
मुझ पर विधाता वाम है,
चलना हमारा काम है।
मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोड़ा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है,
चलना हमारा काम है।
साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए
गति न जीवन की रुकी
जो गिर गए सो गिर गए
रहे हर दम,
उसी की सफलता अभिराम है,
चलना हमारा काम है।
"शिव मंगल सिंह 'सुमन'"
उसूल जैसे भी हों बदल जाते हैं हालातों पर..❣️❣️"
वाह वाह क्या बात है
ReplyDeleteइतवार की खुशनुमा सुबह ❤️
ReplyDeleteयह जो परी है चांद से भी हंसी है और उसके साथ रवि का चांद मान को खुश दिल को बाग-बाग कर देता है
ReplyDelete🙏🙏💐💐
ReplyDelete🕉️सुप्रभात🕉️☕️☕️
🙏जय श्री राधा माघव 🚩🚩🚩
🙏आप का दिन मंगलमय हों 🙏
🚩🚩राधे राधे 🚩🚩
👌👌वाह... बहुत खूब...आपका बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐
🙏श्री कृष्ण जी की कृपा से आप हमेशा स्वस्थ मस्त सुखी और खुश रहे 🙏
🙏अपना ख्याल रखिये 🙏
🥰🥰🥰hpy sunday
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