धरा विकल है आहत है
हुई इंसानियत शर्मसार
स्त्री की अस्मिता पुकारती
रो-रोकर बारम्बार
सनातनों की इस धरा पर
हैवानियत पाव पसार रही
मानवता बलिदान हो रही
सज्जनता है दम तोड़ रही
जंग लगी शमशीरों को
कुंद पड़ी धारों को
अब तुमको चमकाना होगा
झकझोर सुप्त आत्मा को
सनातन को बचाना होगा
कर रही धरा करूण क्रंदन
मां भारती की वेदना सुनो
बेटियाँ व्यथित पुकार रहीं
कुछ उनकी पीड़ा को सुनो
धर्म युद्ध होगा फिर से
फिर कोई कृष्णा चाहिए
द्रोपदी की लाज बचाने को
फिर कोई गोविंद चाहिए
कृष्ण की बाट जोहती
मां भारती की बेटियां
केशव तुम अवतार धरो
फरियाद करती बेटियाँ
🙏🙏
ReplyDeleteवहां के सीएम को इस्तीफा दे देना चाहिए और सारे आरोपियों को फांसी होनी चाहिए
ReplyDeleteऔर भगवान इस दिव्य आत्मा को शांति दे 🙏🏻🙏🏻
दुनिया में जितना महिलाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है दुनिया उतनी हैरान परेशान रहेगी
ReplyDeleteरविवार को उसे चांद का इंतजार रहता है जो रवि बनाकर इस पृथ्वी पर उतरता है
ReplyDeleteकिसी को क्या मालूम रवि का चांद कितना सुंदर होता है
हृदय को झकझोरतो कविता।
ReplyDeleteशुभ रविवार
Happy Sunday
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