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मुस्काती तो है

मुस्काती तो है

Rupa Oos ki ek Boond
"होके मायूस ना यूं शाम से ढलते रहिए,
जिंदगी भोर है, सूरज से निकलते रहिए..❣️"


भोर तक उम्मीद की किरनें भी मुस्काती तो है,

 दूर मंजिल राह फिर भी न द्वार तक जाती तो है.. 


ये जरूरी है नहीं हर साध पूरी हो कोई,

पर तुम्हारी याद मुझको बारहां आती तो है..


नेह देता कौन गर ममतामयी होती नहीं,

गोद में लेकर मेरी माँ मुझको दुलराती तो है..


भूले बिसरे ही सही जब याद करता है कोई,

गै़र मुमकिन रोक पाना हिचकियाँ आती तो हैं..


भीख मागूं मैं किसी से ये कभी मुमकिन नहीं,

मुफ़लिसी में मेरी खुद्दारी ये समझाती तो है..


मन मचल जाता है बरबस याद जब आती तेरी, 

गुजरा जमाना, वो यादें तेरी अब भी तड़पाती तो हैं..

Rupa Oos ki ek Boond
"एक ही ठांव पे ठहरेंगे तो थक जाएंगे
धीर-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये..❣️"

12 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 19 अगस्त 2024 को लिंक की जाएगी ....  http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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    1. "पांच लिंकों के आनन्द में" इस रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।

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  2. 🙏🙏💐💐☕️☕️
    🕉️ शुभप्रभात🕉
    🙏जय श्री कृष्णा 🚩🚩🚩
    🙏आप का दिन मंगलमय हो 🙏
    🚩🚩राधे राधे 🚩🚩
    👍👍👍बहुत खूब 🙏
    🙏आप का बहुत बहुत धन्यवाद 💐💐

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  3. बहुत बहुत सुन्दर गजल

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  4. "एक ही ठांव पे ठहरेंगे तो थक जाएंगे
    धीर-धीरे ही सही राह पे चलते रहिये.."

    बहुत ही सुन्दर।

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  5. बहुत ही सुन्दर सार्थक और भावप्रवण गजल

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  6. लाजवाब।
    शानदार।

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